कोर्स 9 गतिविधि 6 : अपने विचार साझा करें
गतिविधि 6: अपने विचार साझा करें
संख्या संक्रीयाओं पर बच्चे का आकलन
करने के लिए, शिक्षक पाठ के अंत में केवल बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ एक प्रश्न पत्र
तैयार करता है। एक अन्य शिक्षक संख्या संक्रीयाओं की अवधारणा को छोटी उप-इकाइयों में
विभाजित करता है और देखता है कि बच्चा प्रत्येक उप-इकाई के लिए तैयार की गई गतिविधियों
के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। शिक्षक उस इकाई में किए गए प्रत्येक बच्चे के नमूना
कार्य की एक फाइल एक पोर्टफोलियो में रखता है और उसका उपयोग उनके पोर्टफोलियो को देखते
हुए रिपोर्ट लिखने के लिए करता है। आप अपनी कक्षा में कौन सी रणनीति अपनाना चाहेंगे
और क्यों?
Sthaniya parivesh se Judi Hui gatividhiyan se rubaru karva kar Kiya jaega
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश से परिचित करवाते हुए उनसे जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा जाएगा,जिससे वे अपने आस-पास के बारे में जान सके।
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के लिए प्रतिदिन की क्रियाओं के आधार पर ही हम बच्चों का सही आकलन कर उसमे सुधार का कार्य कर सकते हैं।उनकी प्रगति का लिखित लेखा जोखा रखना बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों के अनुरूप उनके दक्षता के आधार पर आंकलन किया जाना चाहिए
ReplyDeleteBachchon ke star ke anurup aakalan aur anya shikshak ki bhati chhoti ikaiyon ka nirman kar aakalan karna
Deleteबच्चों के अनुरूप उनके दक्षता के आधार पर आंकलन किया जाना चाहिए
Deleteबच्चों की अपनी स्थानीय परिवेश,दैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteबच्चों की गणित संख्या आंकलन के लिए उसे हम सभी पहलुओ से जुड़े प्रश्नो का संग्रह कर उनका आंकलन करेंगे। जैसे जोड़ घटाव पैटर्न ऑब्जेक्टिव क्रम वर्गीकरण आदि।
ReplyDeleteप्रतिदिन के अभ्यास मे संख्या ज्ञान एवम सक्रियाओ को उनके दैनिक जीवन मे जुड़े कार्यों को जोड़कर आकलन कर सकते है
ReplyDeleteदैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteदूसरे शिक्षक के द्वारा अपनायी गयी विधि उचित है इसमें बच्चे के अधिगम का परीक्षण चरणबद्ध किया जा सकता है तथा यदि अधिगम कमी पायी जाती है तो आसानी से पहचान (डिटेक्ट) की जा सकेगी |
ReplyDeleteमैं दूसरे विकल्प को उचित मानता हूँ, क्योंकि इस प्रकार की गतिविधियों में बच्चों में अवधारणा की समझ गतिविधि विस्तृत एवं सरल होता है ।
DeleteDakshata Anuroop aakalan Kiya Jana chahie
Deleteदूसरी रणनीति ज्यादा कारगर साबित होगी क्योंकि इसमें प्रत्येक बच्चे की सीखने की प्रगति उनकी गति प्रत्येक बच्चे के पोर्टफोलियो में हमको देखने को मिल जाएगी और बच्चा कहां समझ नहीं पा रहा है उसको बताने में उसको सिखाने में हमें मदद मिलेगा।
ReplyDeleteबच्चोंको उनके दैनिक जीवन में उपयोग किया जाने वाला गणितय कौशल के आधार पर आकलन करने करने हेतु प्रश्न तैयार करना होगा
ReplyDeleteदूसरे प्रकार की रणनीति अपनाया जाएगा क्योंकि छोटे छोटे इकाई की गतिविधि से हम अवधारणा को अच्छी तरह से समझा सकते है।
ReplyDeleteBachche ki dakshata ke adhar par aklan kiya jana chahiye.
ReplyDeleteबच्चो के अनुसार उनका आंकलन करना चाहिए जो उनकी सोच और समझ के अनुसार हो।
ReplyDeleteबच्चों के समझ एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे भागों में बांटकर विषयों का आकलन करने से यह अधिक उपयुक्त और प्रभावशाली होगा।पाठ के अंत में सही विकल्प के उत्तर देने मात्र से लर्निंग आउटकम का सही आकलन नहीं होगा। अतः दूसरी पद्धति अधिक उपयुक्त एवं कारगर है।
ReplyDeleteबच्चे की दक्षता के आधार पर उनके प्रतिदिन की गतिविधि को आधार बनाकर आकलन किया जाना है।
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ReplyDeleteहर प्रसाद साहूFebruary 7, 2022 at 3:02 AM
बच्चों के समझ एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे भागों में बांटकर विषयों का आकलन करने से यह अधिक उपयुक्त और प्रभावशाली होगा।पाठ के अंत में सही विकल्प के उत्तर देने मात्र से लर्निंग आउटकम का सही आकलन नहीं होगा। अतः दूसरी पद्धति अधिक उपयुक्त एवं कारगर है
बच्चों के मूल्यांकन के लिए दूसरी विधि ज्यादा कारगर होगी क्योंकि इसमें बच्चों के मूल्यांकन का तरीका विस्तृत है एवं बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए उपयुक्त है इसमें विभिन्न कौशलों का परीक्षण हो सकेगा
ReplyDeleteबच्चों के दैनिक जीवन में उपयोग किये जाने वाले गणितीय कौशलो के आधार पर आकलन कर विभिन्न कौशलो के विकास हेतू अधिक से अधिक बच्चों को अवसर प्रदान करेंगें ।
ReplyDeleteबच्चो के अनुरूप उनके दक्षता के हिसाब से अवलोकन करना चाहिए।
ReplyDeleteसंख्या smkriyaa में बच्चों का आंकलन पोर्टफोलियो के आधर करना चाहिए क्योंकि हम जो रोज आंकलन करते हैं उसकी जानकारी पोर्टफोलियो मे दर्ज होती है।
ReplyDeleteबच्चों के अनुरुप बच्चों को क्या आता हैं, क्या नहीं आता उसके दक्षता अनुरुप ही मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteदूसरे शिक्षक के द्वारा अपनायी गयी विधि उचित है इसमें बच्चे के अधिगम का परीक्षण चरणबद्ध किया जा सकता है तथा यदि अधिगम कमी पायी जाती है तो आसानी से पहचान कर उसमें सुधार की जा सकेगी |
ReplyDeleteविद्यार्थी के द्वारा प्रयास किया गया पोर्टफोलियो गतिविधि को ही स्थान देंगे ,क्योंकि इसके अंतर्गत वह बच्चा विषय के कौन से गतिविधि को कर पा रहा है या नहीं इस बात की जानकारी एक शिक्षक को सतत मिलती रहेगी।
ReplyDeleteविद्यार्थी के प्रगति के लिए यह कारगर तरीका है।
बच्चों की अपनी स्थानीय परिवेश,दैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteAccording to the performance and interest of the student we should asses them
ReplyDeleteAnd make record of them in file and give them grades
बच्चे की घटाना की अवधारणा स्पष्ट नहीं है।उसे ठोस वस्तुओं से गतिविधियां कराने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteदूसरे शिक्षक द्वारा अपनाई गई गतिविधि ज्यादा अच्छा लगा।क्योंकि इससे बच्चों को छोटी छोटी इकाई में अवधारणा स्पष्ट कराई जाती है।पोर्टफोलियो को आधार बनाया गया है।
ReplyDeleteBachcho ke samjha or Star ke anusar bachcho ka aankalan Kar skate hai.lekin bachcho ki Pragati ka dastavegikaran Karna jaruri hai.isase home bachcho ka star ka Sahi jankari Hoga
ReplyDeleteदूसरे शिक्षक के द्वारा अपनाये गये गतिविधि ज्यादा उचित है, और बच्चों को उनके स्तर और सीखने की गति के आधार पर आकलन किया जाना चाहिए|
ReplyDeleteबच्चों के हिसाब से प्रश्न तैयार करूंगा,एक्टिविटी भी।
ReplyDeleteये उचित रहेगा मेरे लिए।
संख्या संक्रीयाओं पर बच्चे का आकलन करने के लिए गतिविधि आधारित शिक्षण, गणित के अमूर्त रूप से मूर्त रूप की ओर जाना बेहतर होगा, ऐसी कई गतिविधियां करवाने और बातचीत करने की आवश्यकता होगी जिससे बच्चों मे वर्गीकरण, तुलना, जोड़, घटाव आदि अवधारणा को चरण दर चरण समझाया जा सके।
ReplyDeleteबच्चों के मूल्यांकन के लिए दूसरी विधि ज्यादा कारगर होगी क्योंकि बच्चों के समझ एवम् स्तर के अनुसार छोटे छोटे भागों में बांटकर विषयों का आकलन करने से यह अधिक उपयुक्त और प्रभाव शाली होगा
ReplyDeleteदूसरी विधि अधिक कारगर है क्योंकि यह बालकेन्द्रित है।
ReplyDeleteबच्चों की अपनी पोर्टफोलियो को देखते हुए स्थानीय परिवेश दैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी है उसे दूर कर आगे बढ़ाना ।और संपूर्ण कौशल को बारी-बारी हासिल करते हुए जाना ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो।
ReplyDeleteपोर्टफोलियो के माध्यम से ज्यादा कारगर होगी क्योंकि इसमें बच्चों के मूल्यांकन का तरीका विस्तृत है एवं बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए उपयुक्त है इसमें विभिन्न कौशलों का परीक्षण हो सकेगा
ReplyDeleteबच्चों को हम उनके विद्यालय मात्र से आकलन n कर उनके स्थानीय परिवेश भाषा उनसे कक्षा से बाहर की दुनिया जिस परिवेश से o आते hsi sab ko dyan me रखते हुए उनका आकलन karege ur unme जो कमियां hai उनका उसी तरीके से सुधार karege ur sabki फैल बना कर पोर्टफोलियो me रखेगे
ReplyDeleteबच्चों की अपने स्थानीय परिवेश,दैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना गणितीय संक्रिया में लिए अत्यंत आवश्यक है, ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की प्रतिदिन की गतिविधियों को आधार मान कर उनकी दक्षता के आधार पर आकलन करेंगे और आगे के लिए मार्ग दर्शन भी करायेंगे
ReplyDeleteबच्चों के समझ एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे भागों में बांटकर विषयों का आकलन करने से यह अधिक उपयुक्त और प्रभावशाली होगा।पाठ के अंत में सही विकल्प के उत्तर देने मात्र से लर्निंग आउटकम का सही आकलन नहीं होगा। अतः दूसरी पद्धति अधिक उपयुक्त एवं कारगर है
ReplyDeleteBachcho k star k anurup dainik Jeevan me upyogi sankriyao ka abhyas karana chahiye
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के लिए प्रतिदिन की क्रियाओं के आधार पर ही हम बच्चों का सही आकलन कर उसमे सुधार का कार्य कर सकते हैं । उनकी प्रगति का लेखा जोखा रखना बहुत जरूरी है ।
ReplyDeleteदूसरी विधि ज्यादा सही एवं नवाचारी है
ReplyDeleteKu. Sagarika marai,
ReplyDeletePratifin bachchhon ko sankhya kriyano ka aklan kar usme sudhar va behtar banane ka kary karen.
प्रतिदिन बच्चों की संख्या ओ पर संक्रियाओ का आकलन करना।
ReplyDeleteदैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेl
ReplyDeleteसंख्या संक्रियाओं के लिए प्रतिदिन की क्रियाओं के आधार पर ही हम बच्चों का सही आकलन कर उसमे सुधार का कार्य कर सकते हैं । उनकी प्रगति का लेखा जोखा रखना बहुत जरूरी है ।
ReplyDeleteREPLY
UnknownFebruary 19, 2022 at 8:28 AM
बच्चों को उनके दैनिक क्रियाकलापों के माध्यम से आकलन करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को संक्रियाओं के अनेक छोटे उप इकाइयों में बताना ज्यादा व्यवहारिक लग रहा है
ReplyDeleteहम संख्या संक्रियाओं को छोटी छोटी उप इकाई में विभाजित कर बच्चों के प्रतिक्रिया को फ़ाइल बनाकर सही आकलन हो इसलिए पोर्टफोलियो तैयार करने रणनीति अपनाएंगे
ReplyDeleteबच्चों की अपनी स्थानीय परिवेश,दैनिक जीवन से संबंधित जुड़े हुए सवालों को पूछ कर,उनकी प्रतिक्रिया को दर्ज करते हुए उनमें जो कमी हैं उसे दूर कर आगे बढ़ना और सम्पूर्ण कौशलों को बारी-बारी हासिल करते जाना।ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।बच्चों को संक्रियाओं के अनेक छोटे उप इकाइयों में बताना ज्यादा व्यवहारिक लग रहा है
ReplyDeleteविद्यार्थी के द्वारा किया गया प्रयास पोर्टफोलियो गतिविधि को ही स्थान देंगे ,क्योंकि इसके अंतर्गत वह बच्चा विषय के कौन से गतिविधि को कर पा रहा है या नहीं इस बात की जानकारी एक शिक्षक को सतत मिलती रहेगी।
ReplyDeleteविद्यार्थी के प्रगति के लिए यह कारगर तरीका है। संख्यात्मक संक्रिया को स्थानीय परिवेश से जोड़कर समझाया जा सकता है।
Bachchon ko sthaniy parivesh, dainik jeevan se jude hua prashnon ko puchh kar,unki samajh ko dekhakar hi ,usaki Kami ko dur karke bachchon ka sarvangin vikas kar sakte h
ReplyDeleteबच्चों को उनके दैनिक क्रियाकलाप से आकलन किया जाना चाहिए। और आवश्यकता अनुसार गतिविधि अपनानी चाहिए।।
ReplyDeleteविद्यार्थी के द्वारा प्रयास किया गया पोर्टफोलियो गतिविधि को ही स्थान देंगे ,क्योंकि इसके अंतर्गत वह बच्चा विषय के कौन से गतिविधि को कर पा रहा है या नहीं इस बात की जानकारी एक शिक्षक को सतत मिलती रहेगी।
ReplyDeleteविद्यार्थी के प्रगति के लिए यह कारगर तरीका है।
बच्चों की गणित संख्या आंकलन के लिए उसे हम सभी पहलुओ से जुड़े प्रश्नो का संग्रह कर उनका आंकलन करेंगे। जैसे जोड़ घटाव पैटर्न ऑब्जेक्टिव क्रम वर्गीकरण आदि।
ReplyDeleteबच्चों की गणित संख्या आंकलन के लिए उसे हम सभी पहलुओ से जुड़े प्रश्नो का संग्रह कर उनका आंकलन करेंगे। जैसे जोड़ घटाव पैटर्न ऑब्जेक्टिव क्रम वर्गीकरण
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश से परिचित करवाते हुए उनसे जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा जाएगा,जिससे वे अपने आस-पास के बारे में जान सके।
ReplyDeleteबच्चों के दक्षता अनुरूप आकलन करना
ReplyDeleteEk ikai ko chote chote up ikaiyo me bat kar bachche ke karyo ka portfoliyo taiyar karege jisse kis bachche ko kaha tak sikh gaye ye pata chalega jisse aage sikhane se sambandhit gatividhiyo ka aayojan kiya ja sake
ReplyDeleteबच्चों के समझ एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे भागों में बांटकर विषयों का आकलन करने से यह अधिक उपयुक्त और प्रभावशाली होगा।पाठ के अंत में सही विकल्प के उत्तर देने मात्र से लर्निंग आउटकम का सही आकलन नहीं होगा। अतः दूसरी पद्धति अधिक उपयुक्त एवं कारगर है।
ReplyDeleteबच्चों के अनुरूप उनके दक्षता के आधार पर आंकलन किया जाना चाहिए
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