छोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।
Kirtan lal verma hm Bhadera Nawagaon Rajnandgaon....Bachcho k liye shikhane ka avsar hume nirman karna hai..aur unke shikhane ki gati me dhyan de kar kausal nirman me sahayog pradan karna hai.....
खेल आधारित गतिविधियां कराकर,समूह कार्यों से,अभ्यास कार्यों से,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से.…..इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
बच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप गतिविधि एवम् समूह कार्य और दक्षता आंकलन कार्य निष्ठां से बच्चों में कार्य योजना बनाकर विशेष उपलब्धि हासिल किया जाना चाहिए।
3 -9 varsh ke bacchon ko geet ,Kavita, kahani tatha Khel ke madhyam se sikha sakte hain. tatha unke purv Gyan ka bhi pata laga lena chahie jisse bacche .adhik Ruchi purvak Sikh sakte .hain.
बच्चों को खेल आधारित गतिविधि कराकर समूह मे गतिविधि कराकर एवम परिवेश के वस्तुओ से अर्थात बच्चे पहले से जिन वस्तुओ से परिचित हो उनसे गतिविधि कराकर बच्चों के उपलब्धि को आका जा सकता है
खेल आधारित गतिविधियां ,समूह कार्यों ,अभ्यास कार्यों ,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से.…..इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
3-9 वर्ष के आपु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलबिधयों को खेल आधारित गतिविधियाँ कराकर समूह कार्य कराकर अवसर प्रदान कर गीत कहानी आदि के द्वारा सुनिशिचत करेंगे ।
3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता को निश्चित इस प्रकार से कर सकते हैं कि उन्हें बालक केंद्रित शिक्षा देकर एवं खेल खेल में शिक्षा देकर उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
बच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप गतिविधि एवम् समूह कार्य और दक्षता आंकलन कार्य निष्ठां से बच्चों में कार्य योजना बनाकर विशेष उपलब्धि हासिल किया जाना चाहिए।बच्चो को खेल खेल मे उनका आकलन कर सकते गतिविधि के माध्यम से उन्हे समझाकर सिखा सकते है।
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण, समूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना । इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा ।
रूचिकर खेल ,कहानी, कविता ,नाटक आपसी सहयोग, आपसी संवाद, स्वतंत्र वातावरण, हावभाव को प्रोत्साहित करना, उनके बोली का सम्मान ,एक दूसरे का अनुसरण ,टीचर द्वारा विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके आस पास के लोगों को जानना, विद्यार्थी पास के सभी रंग से परिचित रहते हैं उसे पाठशाला में शामिल करें। इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी के उपलब्धियों को जाना जा सकता है ।
बच्चों को उनके रुचि एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे समूह में गतिविधियों में शामिल करने से प्रभावी रूप से सीखते हैं । और इसी बीच निरंतर उनका आकलन भी जारी रहे ।
3-9 वर्ष के बच्चों को छोटी -छोटी कहानी, कविता, गीत के माध्यम से खेल -खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे -छोटे मौखिक प्रश्न पूछकर उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
3-9वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को खेल आधारित गतिविधियां कराकर समूह कार्य कराकर, अवसर प्रदान कर गीत, कविता, कहानी आदि के द्वारा सुनिश्चित कर सकते हैं।
3-9 वर्ष के बच्चों की उपलब्धि हेतु कक्षा गत गतिविधियां, बाहरी गतिविधियां, आदि सहजता से सिखने हेतु कार्य करेंगे l साथ ही साथ स्कूल में सभी हितधारकों की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे l माता पिता को बच्चे की सिखने की गति से अवगत कराते हुए उपयुक्त सुझाव देंगे l स्कूल में समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, पालक सम्मलेन आदि आयोजित करेंगे जिससे हितधारकों का जुड़ाव स्कूल से हो सके l
बच्चों को छोटी छोटी kahani sunakar उनसे संबंधित प्रश्न पूछकर उनसे उनके घर परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनकी उपलब्धियों के बारे ्म jana सकता है
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण, समूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना । इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा
खेल आधारित गतिविधि कराकर, श्रम कार्यों से ,अभ्यास के अवसर प्रदान कर ,प्रश्न प्रश्नोत्तरी कार्यों परिवारिक चर्चा ,परिचर्चा से, गीत, कविता, से अंताक्षरी ,खेल इत्यादि। तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
छोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।
3-9वर्ष के बच्चों को भयमुक्त वातावरण में छोटे छोटे खेल पर आधारित गतिविधियों के माध्यम से, सामूहिक रूप से कार्य करवाना, बच्चों में आपसी संवाद, गीत, कविता, नाटक और कहानी के माध्यम से उनके झिझक को दूर कर आत्माभिव्यक्ति को बढ़ाना, नियमित गृहकार्य देेना उसे पूरा करने में पालकों का सहयोग लेना ,उनके मनोभाव को समझकर मार्गदर्शन करना जिससे वे सहज हो सकें और सीख सकें
3 से 9 साल तक के बच्चे सीखने के लिए खेल या नृत्य, संगीत आदि के माध्यम से जल्दी सीखते है,खेल आधारित गतिविधियां कराकर,समूह कार्यों से,अभ्यास कार्यों से,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से व इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए उनकी रुचि को दृष्टिगत रखते हुए सामंजस्य स्थापित करना होगा ।छोटी छोटी कहानी गीत ,कविता ,खेल खेल में आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते हैं ।
स्थानीय परिवेश की विभिन्न गतिविधियो जैसे त्योहार , शादी , मेले , खानपान , पहनावा आदि के बारे मे उनके मातृभाषा मे छोटे प्रश्नो द्वारा उनके उपलब्धियो का आकलन किया जा सकता है । आगे कहानी , कविता और खेल मे भी उनके दक्षता देखी जा सकती है ।
छोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।स्थानीय परिवेश की विभिन्न गतिविधियो जैसे त्योहार , शादी , मेले , खानपान , पहनावा आदि के बारे मे उनके मातृभाषा मे छोटे प्रश्नो द्वारा उनके उपलब्धियो का आकलन किया जा सकता है । आगे कहानी , कविता और खेल मे भी उनके दक्षता देखी जा सकती है ।
3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की गतिविधि सुनिश्चित करने के लिए हमें उनके आसपास के परिवेश की जानकारी होना तथा उन्हें उन्हीं की भाषा में सिखाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे बच्चे को असहज महसूस ना हो तथा उन्हें अपने आसपास के परिवेश जैसा माहौल स्कूल में मिल सके तथा उन्हें खेल खेल गतिविधि तथा अन्य रोचक प्रकार से सीखने के मौके प्रदान करना चाहिए
3 से 9 वर्ष में सीखने की क्षमता विकसित करने के लिए बच्चों को खेल आधारित गतिविधि कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण,समूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना । इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा ।
3se9varsh ke bachcho ke sikhne ki kchamta ke nirdharan ke liye maukhik prasn portfoliyo kodekhkar avlokan dwara unke khel v batchit ko sunkar unke karyo ko dekhkar kar sakte hai
3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता को निश्चित इस प्रकार से कर सकते हैं कि उन्हें बालक केंद्रित शिक्षा देकर एवं खेल खेल में शिक्षा देकर उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
कोर्स 03 गतिविधि 5 : सीखने के परिवेश का सृजन– अपने विचार साझा करें सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके सोचें और अपने विचार साझा करें।
कोर्स 02 गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें माध्यमिक स्तर पर आई . सी . टी . आपके शिक्षण , अधिगम और मूल्यांकन कार्यों में कैसे सहयोग करती है ? अपनी समझ साझा करें।
कोर्स 08 : सीखने का आकलन गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं जिन्हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं ? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा करें।
बच्चों से उनके आस-पास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे प्रश्न करके उनके उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
ReplyDeleteछोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।
DeleteGit Kavita unke parivar ke bare me puchhana kahaniyan sunana unse chhote aur saral prashn puchhana
DeleteKirtan lal verma hm Bhadera Nawagaon Rajnandgaon....Bachcho k liye shikhane ka avsar hume nirman karna hai..aur unke shikhane ki gati me dhyan de kar kausal nirman me sahayog pradan karna hai.....
Deleteखेल आधारित गतिविधियां कराकर,समूह कार्यों से,अभ्यास कार्यों से,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से.…..इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteBaccho ko padhai ke saath pratiyogita ka hona aavashyak hai jaise games me
Deleteबच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप गतिविधि एवम् समूह कार्य और दक्षता आंकलन कार्य निष्ठां से बच्चों में कार्य योजना बनाकर विशेष उपलब्धि हासिल किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteखेल खेल मे ही व मनोरंजक गतिविधि के माध्यम से ही आकलन कर सकते है। समूह कार्य से भी आकलन किया जा सकता है।
ReplyDelete3 -9 varsh ke bacchon ko geet ,Kavita, kahani tatha Khel ke madhyam se sikha sakte hain. tatha unke purv Gyan ka bhi pata laga lena chahie jisse bacche .adhik Ruchi purvak Sikh sakte .hain.
DeleteAspas ke pariveh se bachcho ko jodenge.
ReplyDeleteबच्चों के विकास के लिए सभी समुदायों परिवारों शिक्षा शास्त्रियों को मिलकर एक योजना बनानी चाहिए तथा वही योजना क्रियात्मक रचनात्मक होने चाहिए
ReplyDeleteSamuh karya se bachcho ka aklan kiya ja sakta hai
ReplyDeleteबच्चों को खेल आधारित गतिविधि कराकर समूह मे गतिविधि कराकर एवम परिवेश के वस्तुओ से अर्थात बच्चे पहले से जिन वस्तुओ से परिचित हो उनसे गतिविधि कराकर बच्चों के उपलब्धि को आका जा सकता है
ReplyDeleteबच्चो को खेल खेल मे उनका आकलन कर सकते गतिविधि के माध्यम से उन्हे समझाकर सिखा सकते है।
ReplyDeleteखेल आधारित गतिविधियां ,समूह कार्यों ,अभ्यास कार्यों ,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से.…..इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चों को गतिविधि आधारित कार्यों जैसे खेल समूह कार्य चर्चा परिचर्चा आंकलन कर उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है
ReplyDeleteपरिवेश से जोड़ते हुए करेंगे।
ReplyDelete3-9 वर्ष के आपु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलबिधयों को खेल आधारित गतिविधियाँ कराकर समूह कार्य कराकर अवसर प्रदान कर गीत कहानी आदि के द्वारा सुनिशिचत करेंगे ।
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता को निश्चित इस प्रकार से कर सकते हैं कि उन्हें बालक केंद्रित शिक्षा देकर एवं खेल खेल में शिक्षा देकर उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रूचि के अनुरूप गतिविधि एवम् समूह कार्य और दक्षता आंकलन कार्य निष्ठां से बच्चों में कार्य योजना बनाकर विशेष उपलब्धि हासिल किया जाना चाहिए।बच्चो को खेल खेल मे उनका आकलन कर सकते गतिविधि के माध्यम से उन्हे समझाकर सिखा सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को उनके रुचि एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे समूह में गतिविधियों में शामिल करने से प्रभावी रूप से सीखते हैं। और इसी बीच निरंतर उनका आकलन भी जारी रहे।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण,
ReplyDeleteसमूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना ।
इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा
और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा ।
Through indoor and outdoor activities,class activities,reading and writing skills.and their interest
ReplyDelete3_9 वर्ष के बच्चों को सामुहिक रूप खेल आधारित गतिविधि व उनके पूर्व ज्ञान का उपयोग करके सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को प्राप्त कर पायेंगे।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चो को रूचिकर खेल गतिविधि, कविता,कहानी चुटकुले,द्वारा उनकी क्षमताओ का आकलन कर उपलब्धियो को प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteरूचिकर खेल ,कहानी, कविता ,नाटक
ReplyDeleteआपसी सहयोग, आपसी संवाद, स्वतंत्र वातावरण, हावभाव को प्रोत्साहित करना,
उनके बोली का सम्मान ,एक दूसरे का अनुसरण ,टीचर द्वारा विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके आस पास के लोगों को जानना, विद्यार्थी पास के सभी रंग से परिचित रहते हैं उसे पाठशाला में शामिल करें।
इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी के उपलब्धियों को जाना जा सकता है ।
बच्चों को उनके रुचि एवं स्तर अनुसार छोटे छोटे समूह में गतिविधियों में शामिल करने से प्रभावी रूप से सीखते हैं । और इसी बीच निरंतर उनका आकलन भी जारी रहे ।
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों को छोटी -छोटी कहानी, कविता, गीत के माध्यम से खेल -खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे -छोटे मौखिक प्रश्न पूछकर उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
ReplyDeleteगतिविधि के द्वारा करेंगे।
ReplyDeleteGroup activity se work karvakar bachchon LA Allan kids jackets salts hai.
ReplyDelete3से9 आयु वाले बच्चों से उनके परिवेश के बारे मे चर्चा करेंगे और उनसें छोटी छोटी गीत कविता कहानियों के द्वारा उनकी उपलब्धियो को जांचा जा सकता है।
ReplyDeleteआस पास केपरिवेश के बारे मे बताकर छोटे छोटे प्रश्न पुछकर उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है|
ReplyDeleteउनकी रूचि के अनुसार छोटे- छोटे प्रश्न पूछकर, गतिविधि के द्वारा उनकी उपलब्धि को जांचा जा सकता हैं|
ReplyDelete3-9वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की क्षमता की उपलब्धियों को खेल आधारित गतिविधियां कराकर समूह कार्य कराकर, अवसर प्रदान कर गीत, कविता, कहानी आदि के द्वारा सुनिश्चित कर सकते हैं।
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों की उपलब्धि हेतु कक्षा गत गतिविधियां, बाहरी गतिविधियां, आदि सहजता से सिखने हेतु कार्य करेंगे l साथ ही साथ स्कूल में सभी हितधारकों की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे l माता पिता को बच्चे की सिखने की गति से अवगत कराते हुए उपयुक्त सुझाव देंगे l स्कूल में समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, पालक सम्मलेन आदि आयोजित करेंगे जिससे हितधारकों का जुड़ाव स्कूल से हो सके l
ReplyDeleteछोटी छोटी कहानी ,कविता गीत के माध्यम से तथा संबंधित छोटे छोटे मौखिक प्रश्न पूछकर उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को छोटी छोटी kahani sunakar उनसे संबंधित प्रश्न पूछकर उनसे उनके घर परिवार के बारे में जानकारी प्राप्त कर उनकी उपलब्धियों के बारे ्म jana सकता है
ReplyDelete3 से 9 वर्षों के बच्चो के सीखने की क्षमता की उपलब्धि को सुनिश्चित करने के लिए खेल आधारित गतिविधि,समूह कार्य व स्थानीय परिवेश पर चर्चा आदि कर सकते हैं।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए खेल आधारित कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण,
ReplyDeleteसमूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना ।
इन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा
और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा
बच्चों को उनके आसपास के परिवेश से सम्बंधित छोटे-छोटे खेल आधारित गतिविधियों को करा के, उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है ।
ReplyDeleteखेल आधारित गतिविधि कराकर, श्रम कार्यों से ,अभ्यास के अवसर प्रदान कर ,प्रश्न प्रश्नोत्तरी कार्यों परिवारिक चर्चा ,परिचर्चा से, गीत, कविता, से अंताक्षरी ,खेल इत्यादि। तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
ReplyDeleteखेल,गतिविधियों द्वारा,,कहानी,एक्टिंग,चर्चा द्वारा।
ReplyDeleteBachcho ko parivesh se Jude chhote chhote gatividhiyo jaise khel,samuh karya,geet,kahani,kavita ke madhyam se bachcho ke uplabdhiyo ko jan sakte hai
ReplyDeleteछोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।
ReplyDelete3-9वर्ष के बच्चों को भयमुक्त वातावरण में छोटे छोटे खेल पर आधारित गतिविधियों के माध्यम से, सामूहिक रूप से कार्य करवाना, बच्चों में आपसी संवाद, गीत, कविता, नाटक और कहानी के माध्यम से उनके झिझक को दूर कर आत्माभिव्यक्ति को बढ़ाना, नियमित गृहकार्य देेना उसे पूरा करने में पालकों का सहयोग लेना ,उनके मनोभाव को समझकर मार्गदर्शन करना जिससे वे सहज हो सकें और सीख सकें
ReplyDelete3 से 9 साल तक के बच्चे सीखने के लिए खेल या नृत्य, संगीत आदि के माध्यम से जल्दी सीखते है,खेल आधारित गतिविधियां कराकर,समूह कार्यों से,अभ्यास कार्यों से,अवसर प्रदान कर,प्रश्रोत्तरी कार्यों से,पारिवारिक चर्चा-परिचर्चा से,गीत-कविता से,अंताक्षरी खेल से व इत्यादि तरीकों से बच्चों के उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता हैं।
ReplyDeleteखेल आधारित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के द्वारा बच्चों की उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
ReplyDelete3 से 9 वर्ष के बच्चों के लिए उनकी रुचि को दृष्टिगत रखते हुए सामंजस्य स्थापित करना होगा ।छोटी छोटी कहानी गीत ,कविता ,खेल खेल में आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते हैं ।
ReplyDeleteस्थानीय परिवेश की विभिन्न गतिविधियो जैसे त्योहार , शादी , मेले , खानपान , पहनावा आदि के बारे मे उनके मातृभाषा मे छोटे प्रश्नो द्वारा उनके उपलब्धियो का आकलन किया जा सकता है । आगे कहानी , कविता और खेल मे भी उनके दक्षता देखी जा सकती है ।
ReplyDeleteछोटी उम्र के बच्चों को छोटी- छोटी कहानी, गीत, कविता के माध्यम से खेल- खेल में उनके आसपास के परिवेश से संबंधित छोटे- छोटे मौखिक प्रश्न करके उनकी उपलब्धियों को सुनिश्चित कर सकते है।स्थानीय परिवेश की विभिन्न गतिविधियो जैसे त्योहार , शादी , मेले , खानपान , पहनावा आदि के बारे मे उनके मातृभाषा मे छोटे प्रश्नो द्वारा उनके उपलब्धियो का आकलन किया जा सकता है । आगे कहानी , कविता और खेल मे भी उनके दक्षता देखी जा सकती है ।
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3 से 9 वर्ष के बच्चों के सीखने की गतिविधि सुनिश्चित करने के लिए हमें उनके आसपास के परिवेश की जानकारी होना तथा उन्हें उन्हीं की भाषा में सिखाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे बच्चे को असहज महसूस ना हो तथा उन्हें अपने आसपास के परिवेश जैसा माहौल स्कूल में मिल सके तथा उन्हें खेल खेल गतिविधि तथा अन्य रोचक प्रकार से सीखने के मौके प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के अभिव्यक्ति, वस्तु के प्रति रुचि अरुचि का अवलोकन कर3से9 वर्ष आयु के बच्चों की सीखने की क्षमता को सुनिश्चित करेंगे।
ReplyDeleteखेल आधारित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के द्वारा बच्चों की उपलब्धियों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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3 से 9 वर्ष में सीखने की क्षमता विकसित करने के लिए बच्चों को खेल आधारित गतिविधि कार्यक्रम,आपसी संवाद, रुचि आधारित गतिविधि, नेतृत्व, प्रिंटरिच वातालरण,आपसी सम्मान का गुण,समूह कार्य, गीत, संगीत, नाटक, बोली को मुख्य धारा में जोड़ना,उनके सम्प्रेषण क्षमता को बढ़ाना, आत्मविश्वास जागृत करना, पालक से मुलाकात, रचनात्मक कार्य देना, विद्यार्थी के पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ साथ उनके भावों को समझना ।
ReplyDeleteइन सभी गतिविधियों द्वारा विद्यार्थी विषय की मुख्य धारा में जुड़ पायेगा
और वह अपनी समझ को सहजता से आगे ले जाएगा ।
बच्चों के परिवेश को समझकर उस आधारित प्रश्न पूछकर अध्ययन को रोचक बनाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को उनके दैनिक जीवन से जुड़ी प्रश्न पूछ कर । खेल के माध्यम से
ReplyDeleteखेल खेल मे ही व मनोरंजक गतिविधि के माध्यम से ही आकलन कर सकते है। समूह कार्य से भी आकलन किया जा सकता है।
ReplyDeleteखेल -खेलमें , समूह में, बच्चों को सीखाना चाहिए
ReplyDelete3se9varsh ke bachcho ke sikhne ki kchamta ke nirdharan ke liye maukhik prasn portfoliyo kodekhkar avlokan dwara unke khel v batchit ko sunkar unke karyo ko dekhkar kar sakte hai
ReplyDelete3-9 वर्ष के बच्चों के सीखने की क्षमता को निश्चित इस प्रकार से कर सकते हैं कि उन्हें बालक केंद्रित शिक्षा देकर एवं खेल खेल में शिक्षा देकर उनके सीखने की क्षमता को सुनिश्चित कर सकते हैं
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