कोर्स 6 गतिविधि 3 : अपने विचार साझा करें

 

कोर्स 06

गतिविधि 3: अपने विचार साझा करें

क्या हमें भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए? क्या बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए? अपने विचारों को साझा करें।

Comments

  1. बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें

    ReplyDelete
    Replies
    1. Nahi yah jaruri nahi hai ki bhasha sikhane ki suruvat varnamala se hi ho chhoti -chhoti kahaniyon, aapas me batchit se bhasha sikhane ki suruvat karni chahiye .

      Delete
    2. बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें

      Delete
  2. बच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा |

    ReplyDelete
    Replies
    1. भाषा सीखने सिखाने की प्रक्रिया में भाषा को बच्चे अपने परिवेश में कार्य व्यवहार करते हुए सीखते हैं। और अपनी भावनाओं को मौखिक भाषा के रूप में सीखते है वहां उसे वर्णमाला ज्ञान नहीं होता है तब भी वह अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता है। शुरुआती दौर पर भाषा सिखाने की प्रक्रिया गीतों कहानी प्रिंट रिच सामग्रियों से करनी चाहिए ।इसके बाद विचारों को वाक्यों के माध्यम से बताना चाहिए क्रमश वाक्यों में निहित शब्दों का परिचय कराना फिर अक्षरों वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। इस प्रकार सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे जल्दी से अर्थ पूर्ण रूप में भाषा सीखते हैं

      Delete
  3. भाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्थानीय स्तर पर बोली जाने वाली भाषा के आधार वस्तु ,वयक्ति,पेड़ पौधे; जानवरों आदि के नाम के पहले वर्ड से परिचित करते हुए अक्षर का ज्ञान देना भी अति सहयोगी है ।

      Delete
  4. Bacchon ko bhasha sikhane ke liye ye aai mala kyon Sakta tab hoge jab ham unko kram tarike se a padhna likhna sikhayen Varna aaspaas ke vatavaran mein I shabdon se bhi e varnan ka Parichay kara sakte hain tatha unki Bhasha ko Kiya ja sakta hai

    ReplyDelete
  5. बच्चों को मौखिक भाषा बोलने के लिए वर्णमाला सीखने की आवश्यकता नहीं पड़ती लेकिन् अपनी भावनाओं को लिखित रूप देने या कहानी कविता आदि पढ़ने के लिए अक्षर ज्ञान होना अति आवश्यक है।

    ReplyDelete
  6. बच्चे को जब तक वर्णमाला से परिचय नहीं कराया जाएगा तब तक बच्चे को पढ़ने लिखने के कौशल का विकास कैसे होगा , बच्चे को सुनना बोलना देखकर लिखने का अभ्यास तो स्कूलों में करा ही दिया जाता है पढ़कर लिखने के कौशल के लिए बच्चे को स्वर व्यंजन बारहखड़ी का ज्ञान होना आवश्यक है ।
    बच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान ,बिना मात्रा वाले दो,तीन,चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।

    ReplyDelete
  7. Bachchon ko moukhik rup se sikhane me n sahi lekin likhana sikhane ke liye varnamala ki jarurat hoti hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. मोहम्मद फहीम(शिक्षामित्र)
      P. S. शेखाना नगराम, ब्लॉक मोहनलालगंज, जनपद लखनऊ, राज्य उत्तर प्रदेश
      शिक्षर्थियों को मौखिक रूप से भाषा सीखने हेतु बोलने के लिए वर्णमाला कि आवश्यकता नहीं है। परन्तु यदि लेखन कौशल को विकसित करना हैं तो बच्चे को क्रमांनुसार अथवा बिना क्रम के अनुरूप वर्णमाला उनको आनी चाहिए। ताकि वह भलीभांति लेखन कार्य कर सके। साथ -साथ अपने विचारों एवं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सके।
      Thank so much

      Delete
  8. हमे बच्चों को भाषा मे निपुण करने के लिए मौखिक संवाद पर व बच्चों की भाषा पर बल देना चाहिए। वर्णमाला क्रम मे सिखाया जाय यह जरूरी नहीं है। मातृभाषा मे बच्चे अपना भाषाई विकास आसानी से कर पाते हैं।

    ReplyDelete
  9. मेरे स्कूल में बच्चे वर्णमाला से बहुत अच्छे से व जल्दी सीखते है |

    ReplyDelete
    Replies
    1. हमे बच्चों को भाषा मे निपुण करने के लिए मौखिक संवाद पर व बच्चों की भाषा पर बल देना चाहिए। वर्णमाला क्रम मे सिखाया जाय यह जरूरी नहीं है। मातृभाषा मे बच्चे अपना भाषाई विकास आसानी से कर पाते हैं।

      Delete
    2. Bhasha sikhane ke liye varnamala avashyak Nahin Hai Magar Kahani Kavita Kahane ke liye varnamala ki avashyakta hoti hai

      Delete
  10. बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।

    REPLY

    Unknow

    ReplyDelete
  11. बच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।

    ReplyDelete
  12. Bachcho ko kisi bhi bhasha ko sikhne ke liye bachcho ke sath is bhasha me batchit karni chahiye.na ki use varnamala sikhaye.

    ReplyDelete
  13. बच्चों को वर्ण माला सिखाने के साथ साथ उनमे अक्षरो की समझ भी बतानी जरुरी है। क्योकि इन्ही अक्षरो को जोड़ने से शब्द का निर्माण होता हसि जो बच्चों की भाषा बोली से सम्बन्ध रहते है। और उनमे शब्दों के साथ उनके अर्थ भी समझ आते है।

    ReplyDelete
  14. बच्चों को मात्रिभाषा सिखाने की शुरुआत बातचीत चित्र कार्ड अंक कार्ड आपसी संवाद आदि के द्वारा बच्चों के शब्द भंडार में वृद्धि करनी चाहिए इस चाहिए इसकी बात धीरे धीरे उसे वर्णमाला सिखाना चाहिए

    ReplyDelete
  15. वैसे तो बच्चों को भाषा सीखाने के लिए मौखिक रूप से भाषा सीखाया जा सकता है परन्तु उसे लीपी बद्ध करने या लेखन करने के लिए वर्णों को पहचान करना और जानना आवश्यक है ।

    ReplyDelete
  16. भाषा सीखने के लिए वर्णमाला को कर्मानुसार सिखाने की अवश्यकता नहीं होती बच्चों अपने स्थानीय परिवेश के आधार पर वर्ण माला के आवाजों से परिचय कराते हुए सीखने पर जोर देना चाहिए ।

    ReplyDelete
  17. Apni bhavnavon ko vyakt krne k liye lipi ki aavshykta hogi chahe koi bhi lipi ho likhit rup prdan krke apni baton
    Ko murtrup prdan kr skta hai
    varnamala ki aavshykta hogi

    ReplyDelete
  18. वैसे तो भाषा सीखने की शुरूआत तो घर तथा अपने आसपास वातावरण से प्रारंभ हो जाता है। वर्णमाला को क्रम से पढ़ना जरूरी है लिपिबद्ध क्रम से करा सकते है

    ReplyDelete
  19. UnknownDecember 2, 2021 at 11:57 PM
    भाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!

    ReplyDelete
  20. bachon ko saral tarike se bhasha sikhana chahiye padhai ruchipuran ho tavi bhasha ka vikas hoga.

    ReplyDelete
  21. मेरा विचार इस बारे में कुछ हटकर है ,
    कि भाषा सिखाने की शुरुवात वर्णमाला को क्रमानुसार सिखाकर किया जाए।
    क्योंकि सीधे ही वर्णमाला सिखाना ,रटवाना एक छोटे बच्चे के लिए उबाऊ और समझ में न आने वाली प्रक्रिया हो सकती है, क्योंकि यह एक तरह से बच्चे के लिए अमूर्त प्रक्रिया होगी।
    हमारे भी मन मे जैसे हाथी बोलने से लिखा हुआ हाथी शब्द नही,बल्कि हाथी का चित्र पहले उभरता है ।कहने का तात्पर्य यह कि-बच्चे को सीधा ही वर्णमाला सिखाने के बजाय उसे कुछ उसके परिचित चित्र को दिखाया जाए।उससे उसका नाम उच्चारित करवाया जाए,जो प्रायः सभी बच्चे कर लेंगे,क्योंकि यह उसके अपने घर से सीखे पूर्वज्ञान मे है ।
    अब उस शब्द की डिकोडिंग की जाए,उसे तुकडो में तोडकर अलग-अलग बोला और बोलवाया जाए।फिर उसमें से उसके मूल अक्षर को निकाल कर उच्चारण कराया जाए,अब इसी के साथ उसे लिखने का अभ्यास करा सकते हैं ।क्यो कि पढने और लिखने की प्रक्रिया साथ साथ चलती है ।इससे वर्ण की आकृति और उसका मूर्त रूप (अर्थ)दिमाग में बैठ जाता है ।
    इस प्रकार वर्णों को पढना और लिखना सिखाने के साथ /बाद उनको उसके उचित क्रम में रखकर व्यवस्थित कर एक समान ध्वनि वाले शब्दों को क्रमशः सिखाये।इससे सीखने में आसानी के साथ साथ उनके बीच के सूक्ष्म अंतरो(उच्चारण और लेखन के) का भी बच्चों को पता चलेगा ।
    फिर क्रम से मात्राओ के साथ बारह खडी के उपयोग से नई ध्वनियों का वे निर्माण एकबार बताने के बाद वे स्वतः करते जायेगे।और जहाँ गलती हो वहाँ शिक्षक उनकी मदद करेंगे ।

    ReplyDelete
  22. सीधे सीधे वर्ण माला रटवाना नही चाहिए ।बल्कि बच्चे को उसके पूर्वज्ञान से संबंधित चित्र आदि दिखाकर उसका नाम उच्चारण कराना चाहिए ।फिर उस नाम का डिकोडिग करते हुए, उसके शुरू के मूल अक्षर तक पहुंचना चाहिए ।फिर उस अक्षर या वर्ण को पढना और लिखना सिखाना चाहिए ।
    इससे वह वर्ण उस बच्चे के लिए अमूर्त और उबाऊ न होकर उसके दिमाग में एक छवि बनायेंगे,जिससे सिखना सरल और सरस हो सकता है ।

    ReplyDelete
  23. भाषा सीखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है । शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए ।

    ReplyDelete
  24. बच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान ,बिना मात्रा वाले दो,तीन,चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।भाषा सीखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है । शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए ।

    ReplyDelete
  25. बच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत हमेशा सार्थक संवाद से ही करना चाहिए।वर्णों के क्रम को लेकर काफी बाद में शुरुआत करना चाहिए

    ReplyDelete
  26. बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।

    ReplyDelete
  27. अजीत चौहान
    बच्चों को भाषा सिखाने के लिए ज्यादा से ज्यादा उनसे संवाद करने की जरूरत है न कि वर्णमाला की |

    ReplyDelete
  28. भाषा सीखने की शुरूआत तो घर से ही हो जाता है।आगे के भाषायी कौशलों के विकास के लिए वर्णमाला का ज्ञान जरूरी है। यह किसी भी क्रम से सिखाया जा सकता है।

    ReplyDelete
  29. Bhasha kausal ke liye vichar abhivyakti karwae aur unko bolne avsar milna chahiye..

    ReplyDelete
  30. बच्चा "भाषा" अपने घर से ही सीखकर आता हैं पर वो अपनी-अपनी मातृभाषा होती हैं।इसे सीखाने की जरूरत नहीं होती हैं।लेकिन एक स्थिति ऐसी भी आती हैं जब हमें कोई भी बात को क्रमानुसार रखना होता हैं तब हमें क्रम वार बातों को रखना होता हैं और बच्चें भी इस स्थिति अनुसार कोई भी बात को खुद अपने से क्रम अनुसार बोल लेते हैं।और यहीं से क्रमानुसार सीखना प्रारंभ हो जाता हैं।

    ReplyDelete
  31. बच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा |
    Sharad Kumar Soni
    PS Mahora
    Block - Baikunthpur

    ReplyDelete
  32. बच्चो की अपनी मातृभाषा होती है।अन्य मौखिक भाषा सीखाने के लिए कविता कहानी आदि सन्दर्भो के वाक्य,शब्द,वर्ण क्रमानुसार होना चाहिए।

    ReplyDelete
  33. आगे के भाषायी कौशलों के विकास के लिए वर्णमाला का ज्ञान जरूरी है। यह किसी भी क्रम से सिखाया जा सकता है।बच्चो की अपनी मातृभाषा होती है।अन्य मौखिक भाषा सीखाने के लिए कविता कहानी आदि सन्दर्भो के वाक्य,शब्द,वर्ण क्रमानुसार होना चाहिए।बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।

    ReplyDelete
  34. घर बच्चों का प्रथम पाठशाला होती हैं जहां बच्चे माता पिता और परिवार के सदस्यों के माध्यम से मौखिक भाषा सीखते हैं । बच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।

    ReplyDelete
  35. भाषा सिखाने की शुरुआत हमे वर्णमाला से नही करनी चाहिए बल्कि बच्चों से उनके स्थानीय परिवेश चर्चा करनी चाहिए, उनके परिवार के सदस्यो के नाम पूछना चाहिए, गीत,कविता,कहानी सुनाना चाहिए, बच्चो को भी सुनाने के लिए कहना चाहिए। बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना आवश्यक नही है।

    ReplyDelete
  36. बच्चों को भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला को सिखाना आवश्यक नहीं है इससे पहले हम चित्र कहानी कविता इत्यादि से बच्चों से बात करने से ही आरंभ करनी चाहिए तत्पश्चात हम किसी कविता को ही लेकर के 1 वाक्य को हम लेकर उसके पश्चात उसके शब्दों को लें और शब्दों के पश्चात उनकी ध्वनि को ले इस प्रकार से हम बच्चों को भाषा सिखाने के क्रम में आगे बढ़ सकते हैं और उनको सभी वर्णमाला को पहले बताने बताने की आवश्यकता नहीं है।

    ReplyDelete
  37. हमें भाषा सीखाने की शुरुआत वर्णमाला से नहीं करना चाहिए।प्रारंभिक दौर में उन्हें परिवेशीय चीजो अथवा घटनाक्रमो के सम्बन्ध में उनके निजी मातृभाषा में वार्तालाप करने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए।
    दादू सिंह तोमर

    ReplyDelete
  38. मौखिक बातचीत के लिए तो बच्चों को वस्तुओं को दिखाकर बात कर सकते है। लेखन के लिए वर्णमाला स्वर और व्यंजन की जानकारी जरूर होनी चाहिए।

    ReplyDelete
  39. भाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है।शाला में नियमबंधद् करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए। तथा लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत होती है।

    ReplyDelete
  40. बच्चों को नाते एफडीएसए

    ReplyDelete
  41. भाषा को सिखाने की शुरुआत में मौखिक बोलने को आवश्यकता होती है व बच्चों को सुनने की बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित न भी करवाया जाए, किन्तु सभी वर्णों से परिचित करवाना आवश्यक है। जिससे वे शुद्ध पढ़ना लिखना सीख सकें।

    ReplyDelete
  42. Bachcho ko bhasha sikhane ke liye varnmala ki jarurat nhi padta , bachcho ko apni bat ko likhit me vyakt karne ke liye varnmala ko janana jaruri hai

    ReplyDelete
  43. Bachcho ko bhasha sikhane ke liye varnmala ki jarurat nhi padta,bachcho ko apni bat ko likhit me vyakt karne ke liye varnmala ko Janna jaruri hai

    ReplyDelete
  44. भाषा को सिखाने की शुरुआत में मौखिक रुप से वर्णमाला के साथ करवाना चाहिए। ताकि बच्चों को सुनने की क्षमता विकास के साथ वर्णमाला का क्रमानुसार परिचित करवाया जाना आवश्यक है।

    ReplyDelete
  45. बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा

    ReplyDelete
  46. बच्चा भाषा अपने परिवार से अपने आसपास के लोगों से बिना वर्णमाला के प्रारंभ करता है साला में नियमित करने तथा बच्चों में सभी विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए।

    ReplyDelete
  47. बच्चो को भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला की आवश्यकता नही होतीऔर वर्णमाला सिखाने का कोई क्रम होना चाहिए।

    ReplyDelete
  48. सुनना बोलना भाषा सीखने की पहली सीढ़ी है। इसीलिए भाषा के पाठ्यक्रम में कविता वह कहानियां दी गई होती है। इसे बच्चों को सीखने दे ना चाहिए।

    ReplyDelete
  49. यह सर्वविदित है कि बच्चे जब चलना भी नहीं सीखा होता तब से भाषा सीख रहा होता है उस समय न तो उसे ठीक से बोलना सीखा रहता है और न ही लिखना

    ReplyDelete
  50. भाषा सीखने के लिए प्रारंभ से ही वर्णमाला की आवश्यकता नहीं है। स्कूल आने से पहले ही वह अपने परिवार और समाज से कुछ भाषा सीखकर आता है। भाषा कौशल को विकसित करने के लिए अवश्य ही वर्णमाला सीखने की आवश्यकता होती है। ये क्रम से हो सकता है या कि बिना क्रम से।

    ReplyDelete
  51. वर्णमाला क्रम से सिखाया जाए यह जरूरी नहीं चूंकि

    ReplyDelete
  52. बच्चों को भाषा सीखाने के लिए वर्णमाला सीखाने की आवश्यकतानहीं है,बच्चे घर से ही अपनी भाषा सीखकर आते हैं ।धन्यवाद

    ReplyDelete
  53. भाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करना आवश्यक नही है, हमे बालसाहित्य, कहानियाँ, प्रिंट रिच वातावरण, कविताएँ सुनाना, बच्चों को अभिव्यक्ति के अवसर देकर, भाषायी गतिविधियों की सहायता लेनी चाहिए ।

    ReplyDelete
  54. भाषा सिखाने के लिए LSRW के क्रम से ही चलना सही है।

    ReplyDelete
  55. Bacchon ko bhasha sikhane ke liye pahle unke sath samvad karna bahut avashyak hai jaise ki ki kahani aur kavitaon ke dwara unke sath samvad karna avashyak hai taki bacche maukhik roop se apni baat kahane mein Samarth Ho iske pakshat hi varnamala sikhai jaani chahie varnamala kram se sikhana avashyak nahin hai

    ReplyDelete
  56. लेखन कार्य के लिए वर्णमाला नितांत आवश्यक है।

    ReplyDelete
  57. बच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है, इससे उनके संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सह-संबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं,वर्ण माला ज्ञान के पश्चात बच्चों से लेखन कार्य प्रारंभ कराना चाहिए।

    ReplyDelete
  58. बुनियादी तौर पर भाषा सीखने के लिए क्रमशः LSRW सुनना, बोलना, पढ़ना व लिखना है। बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन व पठन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें

    ReplyDelete
  59. बच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है

    ReplyDelete
  60. Nacho ko bhasha sikhane ko shuruvat mai shuruvat me poem,story surname see karts Hun.halanki photo black board me varnmala,likhata Hun.

    ReplyDelete
  61. बच्चों की भाषा का विकास तो तभी से होना शुरू हो जाता है जबसे वह हूं हां करना शुरू कर देता है। धीरे धीरे वह बात चीत करने लगता है परंतु भाषा को लिपिबद्ध करने के लिए वर्णमाला और क्रमबद्धता अति आवश्यक है।

    ReplyDelete
  62. प्रत्येक बच्चे, अपनी मातृभाषा का ज्ञान होता है और उसी वातावरण क्षेत्रीय भाषा अपने घर से ही सिक्योर आते हैं इसलिए हमें शिक्षकों को बच्चे की मातृभाषा होना चाहिए जिससे बच्चे अधिक से अधिक उत्साहित होकर उस भाषा में सीखते हैं क्यों की वह उसी भाषा में शुरुआत से बातचीत करता है, हर बच्चे को अन्य भाषा का विज्ञान कराना चाहिए आवश्यक है ताकि भविष्य में, उस वातावरण का ( अत्यधिक ) चलन है उस भाषा को सीख सकें हैं आवश्यक है कि सिखाना...

    ReplyDelete
  63. Chitro ke sath varnmala ka parichay karana jaruri ha .kyoki bhasha me written or oral Dono hota ha.or ye Dono jaruri ha.

    ReplyDelete
  64. बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है। परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए। ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें।

    ReplyDelete
  65. बच्चे को जब तक वर्णमाला से परिचय नहीं कराया जाएगा तब तक बच्चे को पढ़ने लिखने के कौशल का विकास कैसे होगा , बच्चे को सुनना बोलना देखकर लिखने का अभ्यास तो स्कूलों में करा ही दिया जाता है पढ़कर लिखने के कौशल के लिए बच्चे को स्वर व्यंजन बारहखड़ी का ज्ञान होना आवश्यक है ।
    बच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान बिना मात्रा वाले दो तीन चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।

    ReplyDelete
  66. बच्चों को भाषा सीखने के लिए प्रारंभ में वर्णमाला सीखने की जरूरत नहीं है। भाषा बोलने का अभ्यास जरूरी है।

    ReplyDelete
  67. बच्चों के भाषा के कौशल को बढ़ाने के लिए वर्णमाला से परिचित कराना आवश्यक है।

    ReplyDelete
  68. बच्चे को प्रारंभ में भाषा सिखाते समय चित्र कार्ड, चित्र पर चर्चा, वस्तुओ के नाम आदि मातृभाषा में शुरुआत करना चाहिए जिससे बच्चे में आत्मविश्वास आए
    तथा उनकी झिझक दूर होने पर धीरे-धीरे उन्हें वर्णमाला सीखाना चाहिए
    जिससे बच्चे अधिक रुचि लेकर सीख सके|

    ReplyDelete
  69. बच्चों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है, बच्चों द्वारा संवाद में भाषा का प्रयोग किया जाता है।शुरुआत में वर्णमाला को क्रमबद्ध सीखाना आवश्यक नहीं है।

    ReplyDelete
  70. क्रमबद्ध वर्णमाला ज्ञान आवश्यक नही है

    ReplyDelete
  71. जरूरी नहीं की भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला को पहले सिखाया जाए।

    ReplyDelete
  72. बच्चों को पहले ध्वनि जागरूकता से सिखाने की शुरुआत करनी चाहिए फिर वर्ण को सीखना चाहिए

    ReplyDelete
  73. नहीं बच्चों का भाषायी कौशल विकसित करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम वर्णमाला क्रम से ही शुरू करे बच्चों में बातचीत करके बच्चे सुनकर भी भाषायी कौशल अर्जित कर सकते हैं शिक्षक महज एक मार्गदर्शक बने....

    ReplyDelete
  74. बच्चों को मौखिक भाषा बोलने के लिए वर्णमाला क्रम सीखने की आवश्यकता नहीं है, पर लेखन कौशल को विकसित करने के लिए वर्णमाला के ज्ञान की आवश्यकता होगी ताकि वे सही शब्दों का चुनाव करके लिख सके और उसे अच्छे से पढ़ सके।

    ReplyDelete
  75. बच्चे को उनके माहौल के अनुसार सिखाया जा सकता है

    ReplyDelete
  76. बच्चों को सिखाने की शुरुआत करते समय कहानी के माध्यम से शब्दों एवं चित्रों से परिचित कराते हुए वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। वाहनों का क्रमबद्ध रूप से ज्ञान कराना आवश्यक नहीं है किंतु बाद में उन्हें व्यवस्थित रूप से वर्णमाला का ज्ञान कराया जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  77. बच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत उन्हें रंगबिरंगे चित्रों को दिखाकर व ड्राइंग कराने से करना चाहिए। साथ ही उन्हें कहानी व कविताओं के माध्यम से भी माहौल में ढलने और पढ़ने के लिए प्रेरित करने में सहायता दी जा सकती है।
    बच्चे जब शब्दों को बोलना व पहचानना सीख जाए तो उन्हें अक्षर ज्ञान करने के साथ ही लिखने के कौशल को भी अभ्यास कराया जा सकता है। यहां यह जरूरी नहीं की अक्षरों को क्रमानुसार ही सिखाया जाए।
    बच्चों को सबसे सरल वर्णमाला से कठिन वर्णमाला की तरफ ले के जाना चाहिए ताकि उस पर कोई मानसिक तनाव न पड़े।

    ReplyDelete
  78. भाषा सीखने सिखाने की प्रक्रिया में भाषा को बच्चे अपने परिवेश में कार्य व्यवहार करते हुए सीखते हैं। और अपनी भावनाओं को मौखिक भाषा के रूप में सीखते है वहां उसे वर्णमाला ज्ञान नहीं होता है तब भी वह अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता है। शुरुआती दौर पर भाषा सिखाने की प्रक्रिया गीतों कहानी प्रिंट रिच सामग्रियों से करनी चाहिए ।इसके बाद विचारों को वाक्यों के माध्यम से बताना चाहिए क्रमश वाक्यों में निहित शब्दों का परिचय कराना फिर अक्षरों वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। इस प्रकार सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे जल्दी से अर्थ पूर्ण रूप में भाषा सीखते हैं

    ReplyDelete
  79. बच्चो को लिखने के दौरान वर्णमाला का जानकारी तो होना चाहिए। कक्षा मे छोटी छोटी कहानियों की किताब पड़ने के लिए उपलब्ध करवाना चाहिए।

    ReplyDelete
  80. भाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!

    ReplyDelete
  81. Bachcho ko bhasha sikhane ki suruaat varnmala se nahi karni chahiye balki kavita kahani se karni chahiye jiska koi arth hota hai halaki bad me varnmala ko sikhaya ja sakta hai

    ReplyDelete
  82. Bacchon ko bhasha sikhane ke liye varnmala Ki avashyakta Nahin Hai Kyunki bacche Bhasha To Apne Ghar Ke aaspaas ke parivesh se khel Khud Se Sikh sakte hain

    ReplyDelete
  83. पहले मौखिक भाषा का विकास करें उसके पश्चात वर्ण के पहचान क्रमशः करवाना चाहिए

    ReplyDelete
  84. बच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोर्स 03 (FLN) गतिविधि 5 : अपने विचार साझा करें

कोर्स - 02, गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें

कोर्स 08 (FLN) गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें