कोर्स 6 गतिविधि 3 : अपने विचार साझा करें
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क्या हमें भाषा सिखाने की शुरुआत
वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए? क्या बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना
चाहिए? अपने विचारों को साझा करें।
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क्या हमें भाषा सिखाने की शुरुआत
वर्णमाला सिखाने से करनी चाहिए? क्या बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना
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बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें
ReplyDeleteNahi yah jaruri nahi hai ki bhasha sikhane ki suruvat varnamala se hi ho chhoti -chhoti kahaniyon, aapas me batchit se bhasha sikhane ki suruvat karni chahiye .
Deleteबच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें
Deleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा |
ReplyDeleteभाषा सीखने सिखाने की प्रक्रिया में भाषा को बच्चे अपने परिवेश में कार्य व्यवहार करते हुए सीखते हैं। और अपनी भावनाओं को मौखिक भाषा के रूप में सीखते है वहां उसे वर्णमाला ज्ञान नहीं होता है तब भी वह अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता है। शुरुआती दौर पर भाषा सिखाने की प्रक्रिया गीतों कहानी प्रिंट रिच सामग्रियों से करनी चाहिए ।इसके बाद विचारों को वाक्यों के माध्यम से बताना चाहिए क्रमश वाक्यों में निहित शब्दों का परिचय कराना फिर अक्षरों वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। इस प्रकार सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे जल्दी से अर्थ पूर्ण रूप में भाषा सीखते हैं
Deleteभाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!
ReplyDeleteस्थानीय स्तर पर बोली जाने वाली भाषा के आधार वस्तु ,वयक्ति,पेड़ पौधे; जानवरों आदि के नाम के पहले वर्ड से परिचित करते हुए अक्षर का ज्ञान देना भी अति सहयोगी है ।
DeleteBacchon ko bhasha sikhane ke liye ye aai mala kyon Sakta tab hoge jab ham unko kram tarike se a padhna likhna sikhayen Varna aaspaas ke vatavaran mein I shabdon se bhi e varnan ka Parichay kara sakte hain tatha unki Bhasha ko Kiya ja sakta hai
ReplyDeleteबच्चों को मौखिक भाषा बोलने के लिए वर्णमाला सीखने की आवश्यकता नहीं पड़ती लेकिन् अपनी भावनाओं को लिखित रूप देने या कहानी कविता आदि पढ़ने के लिए अक्षर ज्ञान होना अति आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चे को जब तक वर्णमाला से परिचय नहीं कराया जाएगा तब तक बच्चे को पढ़ने लिखने के कौशल का विकास कैसे होगा , बच्चे को सुनना बोलना देखकर लिखने का अभ्यास तो स्कूलों में करा ही दिया जाता है पढ़कर लिखने के कौशल के लिए बच्चे को स्वर व्यंजन बारहखड़ी का ज्ञान होना आवश्यक है ।
ReplyDeleteबच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान ,बिना मात्रा वाले दो,तीन,चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।
Bachchon ko moukhik rup se sikhane me n sahi lekin likhana sikhane ke liye varnamala ki jarurat hoti hai
ReplyDeleteमोहम्मद फहीम(शिक्षामित्र)
DeleteP. S. शेखाना नगराम, ब्लॉक मोहनलालगंज, जनपद लखनऊ, राज्य उत्तर प्रदेश
शिक्षर्थियों को मौखिक रूप से भाषा सीखने हेतु बोलने के लिए वर्णमाला कि आवश्यकता नहीं है। परन्तु यदि लेखन कौशल को विकसित करना हैं तो बच्चे को क्रमांनुसार अथवा बिना क्रम के अनुरूप वर्णमाला उनको आनी चाहिए। ताकि वह भलीभांति लेखन कार्य कर सके। साथ -साथ अपने विचारों एवं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सके।
Thank so much
हमे बच्चों को भाषा मे निपुण करने के लिए मौखिक संवाद पर व बच्चों की भाषा पर बल देना चाहिए। वर्णमाला क्रम मे सिखाया जाय यह जरूरी नहीं है। मातृभाषा मे बच्चे अपना भाषाई विकास आसानी से कर पाते हैं।
ReplyDeleteमेरे स्कूल में बच्चे वर्णमाला से बहुत अच्छे से व जल्दी सीखते है |
ReplyDeleteहमे बच्चों को भाषा मे निपुण करने के लिए मौखिक संवाद पर व बच्चों की भाषा पर बल देना चाहिए। वर्णमाला क्रम मे सिखाया जाय यह जरूरी नहीं है। मातृभाषा मे बच्चे अपना भाषाई विकास आसानी से कर पाते हैं।
DeleteBhasha sikhane ke liye varnamala avashyak Nahin Hai Magar Kahani Kavita Kahane ke liye varnamala ki avashyakta hoti hai
Deleteबच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।
ReplyDeleteREPLY
Unknow
bachho ko sikhane ke liye bahut aacha hai
ReplyDeleteबच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।
ReplyDeleteBachcho ko kisi bhi bhasha ko sikhne ke liye bachcho ke sath is bhasha me batchit karni chahiye.na ki use varnamala sikhaye.
ReplyDeleteबच्चों को वर्ण माला सिखाने के साथ साथ उनमे अक्षरो की समझ भी बतानी जरुरी है। क्योकि इन्ही अक्षरो को जोड़ने से शब्द का निर्माण होता हसि जो बच्चों की भाषा बोली से सम्बन्ध रहते है। और उनमे शब्दों के साथ उनके अर्थ भी समझ आते है।
ReplyDeleteबच्चों को मात्रिभाषा सिखाने की शुरुआत बातचीत चित्र कार्ड अंक कार्ड आपसी संवाद आदि के द्वारा बच्चों के शब्द भंडार में वृद्धि करनी चाहिए इस चाहिए इसकी बात धीरे धीरे उसे वर्णमाला सिखाना चाहिए
ReplyDeleteवैसे तो बच्चों को भाषा सीखाने के लिए मौखिक रूप से भाषा सीखाया जा सकता है परन्तु उसे लीपी बद्ध करने या लेखन करने के लिए वर्णों को पहचान करना और जानना आवश्यक है ।
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए वर्णमाला को कर्मानुसार सिखाने की अवश्यकता नहीं होती बच्चों अपने स्थानीय परिवेश के आधार पर वर्ण माला के आवाजों से परिचय कराते हुए सीखने पर जोर देना चाहिए ।
ReplyDeleteApni bhavnavon ko vyakt krne k liye lipi ki aavshykta hogi chahe koi bhi lipi ho likhit rup prdan krke apni baton
ReplyDeleteKo murtrup prdan kr skta hai
varnamala ki aavshykta hogi
Nahi
ReplyDeleteवैसे तो भाषा सीखने की शुरूआत तो घर तथा अपने आसपास वातावरण से प्रारंभ हो जाता है। वर्णमाला को क्रम से पढ़ना जरूरी है लिपिबद्ध क्रम से करा सकते है
ReplyDeleteUnknownDecember 2, 2021 at 11:57 PM
ReplyDeleteभाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!
bachon ko saral tarike se bhasha sikhana chahiye padhai ruchipuran ho tavi bhasha ka vikas hoga.
ReplyDeleteमेरा विचार इस बारे में कुछ हटकर है ,
ReplyDeleteकि भाषा सिखाने की शुरुवात वर्णमाला को क्रमानुसार सिखाकर किया जाए।
क्योंकि सीधे ही वर्णमाला सिखाना ,रटवाना एक छोटे बच्चे के लिए उबाऊ और समझ में न आने वाली प्रक्रिया हो सकती है, क्योंकि यह एक तरह से बच्चे के लिए अमूर्त प्रक्रिया होगी।
हमारे भी मन मे जैसे हाथी बोलने से लिखा हुआ हाथी शब्द नही,बल्कि हाथी का चित्र पहले उभरता है ।कहने का तात्पर्य यह कि-बच्चे को सीधा ही वर्णमाला सिखाने के बजाय उसे कुछ उसके परिचित चित्र को दिखाया जाए।उससे उसका नाम उच्चारित करवाया जाए,जो प्रायः सभी बच्चे कर लेंगे,क्योंकि यह उसके अपने घर से सीखे पूर्वज्ञान मे है ।
अब उस शब्द की डिकोडिंग की जाए,उसे तुकडो में तोडकर अलग-अलग बोला और बोलवाया जाए।फिर उसमें से उसके मूल अक्षर को निकाल कर उच्चारण कराया जाए,अब इसी के साथ उसे लिखने का अभ्यास करा सकते हैं ।क्यो कि पढने और लिखने की प्रक्रिया साथ साथ चलती है ।इससे वर्ण की आकृति और उसका मूर्त रूप (अर्थ)दिमाग में बैठ जाता है ।
इस प्रकार वर्णों को पढना और लिखना सिखाने के साथ /बाद उनको उसके उचित क्रम में रखकर व्यवस्थित कर एक समान ध्वनि वाले शब्दों को क्रमशः सिखाये।इससे सीखने में आसानी के साथ साथ उनके बीच के सूक्ष्म अंतरो(उच्चारण और लेखन के) का भी बच्चों को पता चलेगा ।
फिर क्रम से मात्राओ के साथ बारह खडी के उपयोग से नई ध्वनियों का वे निर्माण एकबार बताने के बाद वे स्वतः करते जायेगे।और जहाँ गलती हो वहाँ शिक्षक उनकी मदद करेंगे ।
सीधे सीधे वर्ण माला रटवाना नही चाहिए ।बल्कि बच्चे को उसके पूर्वज्ञान से संबंधित चित्र आदि दिखाकर उसका नाम उच्चारण कराना चाहिए ।फिर उस नाम का डिकोडिग करते हुए, उसके शुरू के मूल अक्षर तक पहुंचना चाहिए ।फिर उस अक्षर या वर्ण को पढना और लिखना सिखाना चाहिए ।
ReplyDeleteइससे वह वर्ण उस बच्चे के लिए अमूर्त और उबाऊ न होकर उसके दिमाग में एक छवि बनायेंगे,जिससे सिखना सरल और सरस हो सकता है ।
भाषा सीखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है । शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान ,बिना मात्रा वाले दो,तीन,चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।भाषा सीखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है । शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत हमेशा सार्थक संवाद से ही करना चाहिए।वर्णों के क्रम को लेकर काफी बाद में शुरुआत करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।
ReplyDeleteअजीत चौहान
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए ज्यादा से ज्यादा उनसे संवाद करने की जरूरत है न कि वर्णमाला की |
भाषा सीखने की शुरूआत तो घर से ही हो जाता है।आगे के भाषायी कौशलों के विकास के लिए वर्णमाला का ज्ञान जरूरी है। यह किसी भी क्रम से सिखाया जा सकता है।
ReplyDeleteBhasha kausal ke liye vichar abhivyakti karwae aur unko bolne avsar milna chahiye..
ReplyDeleteबच्चा "भाषा" अपने घर से ही सीखकर आता हैं पर वो अपनी-अपनी मातृभाषा होती हैं।इसे सीखाने की जरूरत नहीं होती हैं।लेकिन एक स्थिति ऐसी भी आती हैं जब हमें कोई भी बात को क्रमानुसार रखना होता हैं तब हमें क्रम वार बातों को रखना होता हैं और बच्चें भी इस स्थिति अनुसार कोई भी बात को खुद अपने से क्रम अनुसार बोल लेते हैं।और यहीं से क्रमानुसार सीखना प्रारंभ हो जाता हैं।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा |
ReplyDeleteSharad Kumar Soni
PS Mahora
Block - Baikunthpur
बच्चो की अपनी मातृभाषा होती है।अन्य मौखिक भाषा सीखाने के लिए कविता कहानी आदि सन्दर्भो के वाक्य,शब्द,वर्ण क्रमानुसार होना चाहिए।
ReplyDeleteआगे के भाषायी कौशलों के विकास के लिए वर्णमाला का ज्ञान जरूरी है। यह किसी भी क्रम से सिखाया जा सकता है।बच्चो की अपनी मातृभाषा होती है।अन्य मौखिक भाषा सीखाने के लिए कविता कहानी आदि सन्दर्भो के वाक्य,शब्द,वर्ण क्रमानुसार होना चाहिए।बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने और बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है, परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है ,तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला आना चाहिए ,ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को ,अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें ।
ReplyDeleteघर बच्चों का प्रथम पाठशाला होती हैं जहां बच्चे माता पिता और परिवार के सदस्यों के माध्यम से मौखिक भाषा सीखते हैं । बच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत हमे वर्णमाला से नही करनी चाहिए बल्कि बच्चों से उनके स्थानीय परिवेश चर्चा करनी चाहिए, उनके परिवार के सदस्यो के नाम पूछना चाहिए, गीत,कविता,कहानी सुनाना चाहिए, बच्चो को भी सुनाने के लिए कहना चाहिए। बच्चो को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित कराना आवश्यक नही है।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला को सिखाना आवश्यक नहीं है इससे पहले हम चित्र कहानी कविता इत्यादि से बच्चों से बात करने से ही आरंभ करनी चाहिए तत्पश्चात हम किसी कविता को ही लेकर के 1 वाक्य को हम लेकर उसके पश्चात उसके शब्दों को लें और शब्दों के पश्चात उनकी ध्वनि को ले इस प्रकार से हम बच्चों को भाषा सिखाने के क्रम में आगे बढ़ सकते हैं और उनको सभी वर्णमाला को पहले बताने बताने की आवश्यकता नहीं है।
ReplyDeleteहमें भाषा सीखाने की शुरुआत वर्णमाला से नहीं करना चाहिए।प्रारंभिक दौर में उन्हें परिवेशीय चीजो अथवा घटनाक्रमो के सम्बन्ध में उनके निजी मातृभाषा में वार्तालाप करने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteदादू सिंह तोमर
मौखिक बातचीत के लिए तो बच्चों को वस्तुओं को दिखाकर बात कर सकते है। लेखन के लिए वर्णमाला स्वर और व्यंजन की जानकारी जरूर होनी चाहिए।
ReplyDeleteभाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है।शाला में नियमबंधद् करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए। तथा लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत होती है।
ReplyDeleteबच्चों को नाते एफडीएसए
ReplyDeleteभाषा को सिखाने की शुरुआत में मौखिक बोलने को आवश्यकता होती है व बच्चों को सुनने की बच्चों को क्रमानुसार वर्णमाला से परिचित न भी करवाया जाए, किन्तु सभी वर्णों से परिचित करवाना आवश्यक है। जिससे वे शुद्ध पढ़ना लिखना सीख सकें।
ReplyDeleteBachcho ko bhasha sikhane ke liye varnmala ki jarurat nhi padta , bachcho ko apni bat ko likhit me vyakt karne ke liye varnmala ko janana jaruri hai
ReplyDeleteBachcho ko bhasha sikhane ke liye varnmala ki jarurat nhi padta,bachcho ko apni bat ko likhit me vyakt karne ke liye varnmala ko Janna jaruri hai
ReplyDeleteभाषा को सिखाने की शुरुआत में मौखिक रुप से वर्णमाला के साथ करवाना चाहिए। ताकि बच्चों को सुनने की क्षमता विकास के साथ वर्णमाला का क्रमानुसार परिचित करवाया जाना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सहसंबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं फिर लेखन में प्रवेश किया जाना बेहतर होगा
ReplyDeleteबच्चा भाषा अपने परिवार से अपने आसपास के लोगों से बिना वर्णमाला के प्रारंभ करता है साला में नियमित करने तथा बच्चों में सभी विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चो को भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला की आवश्यकता नही होतीऔर वर्णमाला सिखाने का कोई क्रम होना चाहिए।
ReplyDeleteसुनना बोलना भाषा सीखने की पहली सीढ़ी है। इसीलिए भाषा के पाठ्यक्रम में कविता वह कहानियां दी गई होती है। इसे बच्चों को सीखने दे ना चाहिए।
ReplyDeleteयह सर्वविदित है कि बच्चे जब चलना भी नहीं सीखा होता तब से भाषा सीख रहा होता है उस समय न तो उसे ठीक से बोलना सीखा रहता है और न ही लिखना
ReplyDeleteभाषा सीखने के लिए प्रारंभ से ही वर्णमाला की आवश्यकता नहीं है। स्कूल आने से पहले ही वह अपने परिवार और समाज से कुछ भाषा सीखकर आता है। भाषा कौशल को विकसित करने के लिए अवश्य ही वर्णमाला सीखने की आवश्यकता होती है। ये क्रम से हो सकता है या कि बिना क्रम से।
ReplyDeleteवर्णमाला क्रम से सिखाया जाए यह जरूरी नहीं चूंकि
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सीखाने के लिए वर्णमाला सीखाने की आवश्यकतानहीं है,बच्चे घर से ही अपनी भाषा सीखकर आते हैं ।धन्यवाद
ReplyDeleteभाषा सिखाने की शुरुआत वर्णमाला सिखाने से करना आवश्यक नही है, हमे बालसाहित्य, कहानियाँ, प्रिंट रिच वातावरण, कविताएँ सुनाना, बच्चों को अभिव्यक्ति के अवसर देकर, भाषायी गतिविधियों की सहायता लेनी चाहिए ।
ReplyDeleteभाषा सिखाने के लिए LSRW के क्रम से ही चलना सही है।
ReplyDeleteBacchon ko bhasha sikhane ke liye pahle unke sath samvad karna bahut avashyak hai jaise ki ki kahani aur kavitaon ke dwara unke sath samvad karna avashyak hai taki bacche maukhik roop se apni baat kahane mein Samarth Ho iske pakshat hi varnamala sikhai jaani chahie varnamala kram se sikhana avashyak nahin hai
ReplyDeleteलेखन कार्य के लिए वर्णमाला नितांत आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है, इससे उनके संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है इसे सह-संबद्ध करते हुए शब्दभंडार में वृद्धि करें तथा इसके लिए विद्या प्रवेश के तहत् कविता, कहानी, चित्र-कार्ड, अंककार्ड की मदद ले सकते हैं,वर्ण माला ज्ञान के पश्चात बच्चों से लेखन कार्य प्रारंभ कराना चाहिए।
ReplyDeleteबुनियादी तौर पर भाषा सीखने के लिए क्रमशः LSRW सुनना, बोलना, पढ़ना व लिखना है। बच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है परंतु यदि लेखन व पठन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने के लिए बोलने के लिए प्रेरित करना आवश्यक है इससे संवाद एवं संचार में वृद्धि होगी, बच्चे की अपनी मातृभाषा में अधिकार शाला आने से पूर्व से होना प्रारंभ हो जाता है
ReplyDeleteNacho ko bhasha sikhane ko shuruvat mai shuruvat me poem,story surname see karts Hun.halanki photo black board me varnmala,likhata Hun.
ReplyDeleteबच्चों की भाषा का विकास तो तभी से होना शुरू हो जाता है जबसे वह हूं हां करना शुरू कर देता है। धीरे धीरे वह बात चीत करने लगता है परंतु भाषा को लिपिबद्ध करने के लिए वर्णमाला और क्रमबद्धता अति आवश्यक है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे, अपनी मातृभाषा का ज्ञान होता है और उसी वातावरण क्षेत्रीय भाषा अपने घर से ही सिक्योर आते हैं इसलिए हमें शिक्षकों को बच्चे की मातृभाषा होना चाहिए जिससे बच्चे अधिक से अधिक उत्साहित होकर उस भाषा में सीखते हैं क्यों की वह उसी भाषा में शुरुआत से बातचीत करता है, हर बच्चे को अन्य भाषा का विज्ञान कराना चाहिए आवश्यक है ताकि भविष्य में, उस वातावरण का ( अत्यधिक ) चलन है उस भाषा को सीख सकें हैं आवश्यक है कि सिखाना...
ReplyDeleteChitro ke sath varnmala ka parichay karana jaruri ha .kyoki bhasha me written or oral Dono hota ha.or ye Dono jaruri ha.
ReplyDeleteबच्चे को मौखिक रूप से भाषा सीखने के लिए बोलने के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं है। परंतु यदि लेखन कौशल को विकसित करना है तो बच्चे को क्रम अनुसार या बिना क्रम के ही वर्णमाला उनको आना चाहिए। ताकि वह अच्छे से लेखन कार्य कर सकें और अपने विचारों को अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकें।
ReplyDeleteबच्चे को जब तक वर्णमाला से परिचय नहीं कराया जाएगा तब तक बच्चे को पढ़ने लिखने के कौशल का विकास कैसे होगा , बच्चे को सुनना बोलना देखकर लिखने का अभ्यास तो स्कूलों में करा ही दिया जाता है पढ़कर लिखने के कौशल के लिए बच्चे को स्वर व्यंजन बारहखड़ी का ज्ञान होना आवश्यक है ।
ReplyDeleteबच्चे को सर्व प्रथम स्वर व्यंजन का ज्ञान बिना मात्रा वाले दो तीन चार अक्षर वाले शब्दो बताने इसके बाद मात्रा वाले छोटे शब्द इसके बाद स्वयं से शब्द रचना वाक्य रचना की कला से बचाव परिपूर्ण होगा।
बच्चों को भाषा सीखने के लिए प्रारंभ में वर्णमाला सीखने की जरूरत नहीं है। भाषा बोलने का अभ्यास जरूरी है।
ReplyDeleteबच्चों के भाषा के कौशल को बढ़ाने के लिए वर्णमाला से परिचित कराना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चे को प्रारंभ में भाषा सिखाते समय चित्र कार्ड, चित्र पर चर्चा, वस्तुओ के नाम आदि मातृभाषा में शुरुआत करना चाहिए जिससे बच्चे में आत्मविश्वास आए
ReplyDeleteतथा उनकी झिझक दूर होने पर धीरे-धीरे उन्हें वर्णमाला सीखाना चाहिए
जिससे बच्चे अधिक रुचि लेकर सीख सके|
बच्चों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है, बच्चों द्वारा संवाद में भाषा का प्रयोग किया जाता है।शुरुआत में वर्णमाला को क्रमबद्ध सीखाना आवश्यक नहीं है।
ReplyDeleteक्रमबद्ध वर्णमाला ज्ञान आवश्यक नही है
ReplyDeleteजरूरी नहीं की भाषा सिखाने के लिए वर्णमाला को पहले सिखाया जाए।
ReplyDeleteबच्चों को पहले ध्वनि जागरूकता से सिखाने की शुरुआत करनी चाहिए फिर वर्ण को सीखना चाहिए
ReplyDeleteनहीं बच्चों का भाषायी कौशल विकसित करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि हम वर्णमाला क्रम से ही शुरू करे बच्चों में बातचीत करके बच्चे सुनकर भी भाषायी कौशल अर्जित कर सकते हैं शिक्षक महज एक मार्गदर्शक बने....
ReplyDeleteबच्चों को मौखिक भाषा बोलने के लिए वर्णमाला क्रम सीखने की आवश्यकता नहीं है, पर लेखन कौशल को विकसित करने के लिए वर्णमाला के ज्ञान की आवश्यकता होगी ताकि वे सही शब्दों का चुनाव करके लिख सके और उसे अच्छे से पढ़ सके।
ReplyDeleteबच्चे को उनके माहौल के अनुसार सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों को सिखाने की शुरुआत करते समय कहानी के माध्यम से शब्दों एवं चित्रों से परिचित कराते हुए वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। वाहनों का क्रमबद्ध रूप से ज्ञान कराना आवश्यक नहीं है किंतु बाद में उन्हें व्यवस्थित रूप से वर्णमाला का ज्ञान कराया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को भाषा सिखाने की शुरुआत उन्हें रंगबिरंगे चित्रों को दिखाकर व ड्राइंग कराने से करना चाहिए। साथ ही उन्हें कहानी व कविताओं के माध्यम से भी माहौल में ढलने और पढ़ने के लिए प्रेरित करने में सहायता दी जा सकती है।
ReplyDeleteबच्चे जब शब्दों को बोलना व पहचानना सीख जाए तो उन्हें अक्षर ज्ञान करने के साथ ही लिखने के कौशल को भी अभ्यास कराया जा सकता है। यहां यह जरूरी नहीं की अक्षरों को क्रमानुसार ही सिखाया जाए।
बच्चों को सबसे सरल वर्णमाला से कठिन वर्णमाला की तरफ ले के जाना चाहिए ताकि उस पर कोई मानसिक तनाव न पड़े।
Ok
ReplyDeleteभाषा सीखने सिखाने की प्रक्रिया में भाषा को बच्चे अपने परिवेश में कार्य व्यवहार करते हुए सीखते हैं। और अपनी भावनाओं को मौखिक भाषा के रूप में सीखते है वहां उसे वर्णमाला ज्ञान नहीं होता है तब भी वह अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता है। शुरुआती दौर पर भाषा सिखाने की प्रक्रिया गीतों कहानी प्रिंट रिच सामग्रियों से करनी चाहिए ।इसके बाद विचारों को वाक्यों के माध्यम से बताना चाहिए क्रमश वाक्यों में निहित शब्दों का परिचय कराना फिर अक्षरों वर्णों का ज्ञान कराना चाहिए। इस प्रकार सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चे जल्दी से अर्थ पूर्ण रूप में भाषा सीखते हैं
ReplyDeleteबच्चो को लिखने के दौरान वर्णमाला का जानकारी तो होना चाहिए। कक्षा मे छोटी छोटी कहानियों की किताब पड़ने के लिए उपलब्ध करवाना चाहिए।
ReplyDeleteभाषा सिखने की शुरुआत तो घर तथा अपने आसपास के वातावरण से बिना वर्णमाला के प्रारंभ हो जाता है! शाला में नियमबद्ध करने तथा बच्चों में शब्द विस्तार को दृष्टिगत रखते हुए चित्रों के साथ वर्णमाला से परिचित कराना चाहिए!
ReplyDeleteBachcho ko bhasha sikhane ki suruaat varnmala se nahi karni chahiye balki kavita kahani se karni chahiye jiska koi arth hota hai halaki bad me varnmala ko sikhaya ja sakta hai
ReplyDeleteBacchon ko bhasha sikhane ke liye varnmala Ki avashyakta Nahin Hai Kyunki bacche Bhasha To Apne Ghar Ke aaspaas ke parivesh se khel Khud Se Sikh sakte hain
ReplyDeleteपहले मौखिक भाषा का विकास करें उसके पश्चात वर्ण के पहचान क्रमशः करवाना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों की मौखिक भाषा या साधारणतः बोल -चाल की भाषा के लिए वर्णमाला की जरूरत नहीं पड़ती ।लेखन कौशल को सीखाने के लिए वर्णमाला की जरूरत है।क्रमानुसार या बिना क्रमानुसार सिखा सकते है ।
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