कोर्स 6 गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें
कोर्स 06
गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें
क्या हम जानते हैं कि बच्चों
में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है? अपने विचारों
को साझा करें।
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क्या हम जानते हैं कि बच्चों
में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है? अपने विचारों
को साझा करें।
बच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है। बच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं।
ReplyDeleteHan bachpan se bachche apne parivar ke bich me rahakar bhasha sikhate hain aur usi bhasha ke madhyam se anya bhasha bhi sikhate hain.
Deleteबच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है। बच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं
DeleteBachche apno ki dincharya ko dekh aur sun ker thodi bahut cheeze sikhk jata ya chalchitra ke madhyam se language ityadi sikh hi jaata hai
Deleteबच्चे भाषा अपने आसपास के परिवेश में सुन कर के उसको समझते हैं तथा गीत कहानी कविता इत्यादि के माध्यम से भी उनका नए शब्दावलियों से परिचय होता है
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है क्योंकि वे अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए लालायित रहते हैं तथा विभिन्न माध्यमों से अपनी राय बताना चाहते हैं जैसे- शुरूआती दौर में संकेतों से, फिर टूटीफूटी भाषा में, तीव्र आवाज करके ध्यानाकर्षण करने के प्रयास के दौरान, अपनी घर की भाषा में,... इत्यादि
ReplyDeleteयह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखना बच्चों के शाला पूर्व उनके घर और आसपास के वातावरण के साथ-साथ शालेय परिवेश बहुत महत्वपूर्ण होता है!
Deleteयुधिष्ठिर साहू
ReplyDeleteबच्चों को उनके मातृभाषा में गीत कविता के माध्यम से एक्टिविटी कर उनको मुख्य भाषा में कविता कहानी के माध्यम से सक्षम बनाया जा सकता है
Bacchon mein main matrabhasha sikhane ke pravritti shuru se hi hoti hai vah apni matrabhasha ko jante hain samajhte hain Bhasha ka Vikas karne ke liye unke matrabhasha mein hi unko padana chahie aur FIR koi nai Bhasha sikhana chahie
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से सुनकर भाषा सीखते है इसलिए बच्चों मे परिवेश का प्रभाव रहता है चाहे वह घर का हो या आस पड़ोस का जैसे बच्चों के परिवेश मे हिंदी भाषा से बात होती है तो बच्चे हिंदी बोलते है और अपनी स्थानीय बोली मे बात होती है तो बच्चे स्थानीय बोली बोलते है लेकिन जब बच्चे स्कूल आते है तो वे धीरे से स्कूल कि भाषा सीखने लगते है
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास के वातावरण से ज़्यादा सीखते हैं
ReplyDeleteBacche Apne vatavaran geet Kavita Kahani ke Madhyam se Bhasha sakte hain
Deleteभाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है ,भाषा सभी लोग जानते है परिवेश जैसा होता है बच्चे उसी अनुरूप काम करते है भाषा के आवश्यक तत्व सुनना बोलना पढ़ना लिखना हर बच्चा सुनना जनता है बोलना जनता है पढ़ने एवं लिखने की कौशल विकसित करने के लिए निपुर्ण भारत मिशन लागू किया जाना है ।इसके लिए स्कूलों में शिक्षण सामग्री भाषा के स्कूली पाठ्यक्रम में छोटे छोटे साधारण कहानी की किताबे जिसको बच्चे पढ़ सके और शिक्षक को पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध हो । तो बच्चो को पढ़ने लिखने का कौशल विकसित हो जाएगा।
ReplyDeleteBachche apani matribhasha v apane anubhav se behatar sikhate hai ath unhe unaki hi bhasha me kavita kahani ke jariye behatar dhang se sikhaya ja sakta hai
ReplyDeleteभाषा सीखना एक सहज प्राकृतिक प्रक्रिया हैं ।बच्चे में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। मौखिक भाषा शुरुआत में बहुत महत्वपूर्ण होती है
ReplyDeleteबच्चें भाषा अपने आसपास के परिवेश में सुनकर समझते हैं एवं गीत , कहानी व रोल प्ले के माध्यम से सीखते हैं व अपने मित्रों से साझा करते हैं ।
ReplyDeleteहाँ ,यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, और यह हर बच्चे में होती है, पर यह सीखने की प्रक्रिया किसी में तेज व किसी में धीमी होती है |
ReplyDeleteBachche Apne aas pass v ghar me boli jane wali bhasha se jaldi sikhte hai
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश के अनुसार भाषा सीखते है, इस कारण से बच्चों में परिवेश का प्रभाव रहता है, चाहे वह घर पर हो या आसपास के या पड़ोसी के बोली बोलते हो, परन्तु जब वह स्कूल आते है, तो घीरे-धीरे हिंदी भाषा सीखते है और बोलने लगते है, इसी प्रकार से बच्चों में कहानी, कविता, गीत, यादि का विकास होता है।
Deleteबच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की दो तरह की प्रवृति होती है ।घर मे बोली जाने वाली सहज मातृभाषा वह सीखता है और जब भाषा को माध्यम बनाकर सीखता है ।तब उसे विभिन्न कौशलों का विशेष अनुभव होता है ।
ReplyDeleteबच्चे में सीखने की स्वावभाविक प्रवृति होती है वह जिस परिवेश में होता है वहाँ के बोली जाने वाली बोली / भाषा को वह सीख जाता है और अपनी सम्प्रेषण में प्रयोग करता है
ReplyDeleteHa,bachcho me bhasha sikhne ki svabhavik pravritti hoti hai. Bachche apni matribhasha me kishi bhi avdharna ko sahhjta se sikhte hai
ReplyDeleteबच्चों में भाषई ज्ञान सिखाने की आवश्यकता होती है जब वह भाषा सिख लेता है तो उनमे शिक्षको द्वारा भाषा पड़कर समझाने पर बहुत जल्द विषय वास्तु को सीखते है।
ReplyDeleteBachacho me bhasha gyan sikhne ki abhi wyakti adhik hoti hai. We jyada se jyada apne vicharo ko wyakt krna chahte hai.
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है वह अपने विचारों को अभिव्यक्त करने हेतु उत्सुक रहते हैं मैं अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं और उस के माध्यम से अन्य लक्ष्य भाषा सीखते हैं
ReplyDeleteBachche jo sunte hai vhi bolte hai
ReplyDeleteAnukrn krna, dekhkr nkl krna, abhiny krna, apni baton ko kaise kahna hai use aata hai
Yh ak swabhawik sikhne ki prkriya hai .
Aas pas k watawrn use bhasha sikhane me mddgar sabit hota hai
Apne bhasha me vichar abhivykt krna aur anya bhashayi Lakchya ko prapt krne hetu nirnter pryas unka prtham Lakchya hota hai
Ha
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से भाषा सीखते है जब स्कूल आते है तो हिन्दी भाषा या स्कूल में बोले जाने वाली भाषा सीखते है ।बच्चे कविता, गीत,कहानी के माध्यम से सीखते है
ReplyDeleteजी हाँ!बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है ।
ReplyDeleteयह उनकी ज्ञानेन्द्रियो के द्वारा स्वाभाविक रूप से संपन्न होती है ।
भाषा सीखने के बाद अन्य कठिन विषय वस्तु को वह भाषा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता और सीखता है ।
बच्चे भाषा अपने आसपास के परिवेश में तथा गीत ,कहानी , कविता आदि के माध्यम से भी नए शब्दावलियों से परिचय होता है ।
ReplyDeleteहमारे विद्यालयों में विभिन्न परिवेश से बच्चे आते हैं जो अलग बोली और भाषाओं को जानते है ।भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है ,भाषा सभी लोग जानते है परिवेश जैसा होता है बच्चे उसी अनुरूप काम करते है भाषा के आवश्यक तत्व सुनना बोलना पढ़ना लिखना हर बच्चा सुनना जनता है बोलना जनता है पढ़ने एवं लिखने की कौशल विकसित करने के लिए निपुर्ण भारत मिशन लागू किया जाना है ।इसके लिए स्कूलों में शिक्षण सामग्री भाषा के स्कूली पाठ्यक्रम में छोटे छोटे साधारण कहानी की किताबे जिसको बच्चे पढ़ सके और शिक्षक को पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध हो । तो बच्चो को पढ़ने लिखने का कौशल विकसित हो जाएगा।
ReplyDeleteजी हां! बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है। हमारे विद्यालय में विभिन्न प्रवेश से बच्चे आते हैं जो अलग-अलग बोली और भाषाओं को जानते हैं। भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम होता है। बच्चे अपने परिवेश में अपने माता पिता एवं अन्य लोगों के साथ पारस्परिक कार्य व्यवहार करते हैं जिसके माध्यम से परिवेश में निहित या बोली जाने वाली भाषा को सकते हैं एवं भाषा में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को ग्रहण कर शब्द भंडार की वृद्धि करते हैं। किसी भाषा की सार्थक उपयोग के लिए शब्द भंडार की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है ।बच्चे अपने मातृभाषा के माध्यम से अन्य भाषा को सीखते हैं तथा इसी प्रकार और अन्य भाषा को सीखते हैं एवं भाषा में प्रयुक्त शब्दों का भंडारित कर भाषा को और पुष्ट बनाते है।
Deleteबच्चों में स्वाभाविक प्रवृत्तियों में भाषाओं के प्रति लगाव होता है।उसका परिवेश भाषा अधिग्रहण में सार्थक माध्यम है और भाषा की बुनियादी कौशलों को सीखता है
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से सुनकर भाषा सीखते है इसलिए बच्चों मे परिवेश का प्रभाव रहता है चाहे वह घर का हो या आस पड़ोस का जैसे बच्चों के परिवेश मे हिंदी भाषा से बात होती है तो बच्चे हिंदी बोलते है और अपनी स्थानीय बोली मे बात होती है तो बच्चे स्थानीय बोली बोलते है लेकिन जब बच्चे स्कूल आते है तो वे धीरे से स्कूल कि भाषा सीखने लगते है,
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश से सुनकर भाषा सीखते है इसलिए बच्चों मे परिवेश का प्रभाव रहता है चाहे वह घर का हो या आस पड़ोस का जैसे बच्चों के परिवेश मे हिंदी भाषा से बात होती है तो बच्चे हिंदी बोलते है और अपनी स्थानीय बोली मे बात होती है तो बच्चे स्थानीय बोली बोलते है लेकिन जब बच्चे स्कूल आते है तो वे धीरे से स्कूल कि भाषा सीखने लगते है।
ReplyDeleteबच्चे अपने आस -पास, घर एवं परिवार के सदस्यों की भाषा को सुनकर अपनी भाषा के शब्द-कोश को बढ़ाते हैं |
ReplyDeleteभाषा के माध्यम से अपने विचारों सहज ता के साथ प्रेषित किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवॄत्ति होती है।बच्चे की स्वयं की मातृभाषा में अभिव्यक्ति ज्यादा आसान होती है।
ReplyDeleteमोहम्मद फहीम(shikshamitra)
DeleteP. S. शेखाना नगराम, ब्लॉक मोहनलालगंज,जनपद लखनऊ राज्य उत्तर प्रदेश
बच्चे गीत, कहानी, ौर कविता के माध्यम से भाषा का अधिगम करते हैं। साथ- साथ अपने अनुभव एवं ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा मे ौर अपने मित्रों के संग साझा करते हैं।
बच्चों को उनकी मात्र भाषा मे गीत आदि के माध्यम से गतिविधि कर उनको मुख्य भाषा मे सक्षम बनाया जा सकता है।
इस प्रकार बच्चे अपने आस-पास के वातावरण से ज़्यादा सीखते हैं।
Thank so much
Apne parivesh ke anusar bachche batchit ka dhang sikhte hai aur ve aps me batchit karte hei git kavita ke madhyam se..
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास के परिवेश में बोली जाने वाली भाषा आसानी से सीखने में सक्षम होते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी मातृभाषा में गीत कविता के माध्यम से माध्यम से एक्टिविटी कर उनको मुख्य भाषा में कविता कहानी के माध्यम से सक्षम बनाया जा सकता है
ReplyDeleteबच्चे अपने मातृभाषा से भलिभांति परिचित होते हैं तो उन्हें उनकी ही भाषा में सहजता होती है अन्य भाषा में वे असहजता महसूस करते है इसलिए सिखाते समय हमें उनकी ही भाषा में सिखाना चाहिए भलेही नार्मली बातचीत के लिए अन्य भाषाओं की चयन कर सकते हैं
ReplyDeleteबच्चे अपने परिवेश के अनुसार भाषा सीखते है, इस कारण से बच्चों में परिवेश का प्रभाव रहता है, चाहे वह घर पर हो या आसपास के या पड़ोसी के बोली बोलते हो, परन्तु जब वह स्कूल आते है, तो घीरे-धीरे हिंदी भाषा सीखते है और बोलने लगते है, इसी प्रकार से बच्चों में कहानी, कविता, गीत, यादि का विकास होता है।
ReplyDeleteबच्चों के लिए मातृ भाषा सीखने का सबसे सशक्त माध्यम है।स्कूली भाषा के साथ मातृ भाषा का समावेश करके स्कूल के प्रति बच्चो के सोच को बदला जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है क्योंकि वे अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए लालायित रहते हैं तथा विभिन्न माध्यमों से अपनी राय बताना चाहते हैं जैसे- शुरूआती दौर में संकेतों से, फिर टूटीफूटी भाषा में, तीव्र आवाज करके ध्यानाकर्षण करने के प्रयास के दौरान, अपनी घर की भाषा में,... इत्यादि
ReplyDeleteनाम- खुशहाली सोनी
संकुल- खजुरी
P/s Dhabadih
बिलकुल "बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वभाविक प्रवृत्ति होती हैं।"क्योंकि बच्चें अपने मन की बातों को कहने के लिए बड़े उत्सुक रहते हैं और वो उसे कई तरीकों से अभिव्यक्त करते हैं।इशारों में,संकेत के रूप में,बोलकर,चित्रों के माध्यम से वैगेरा-वैगेरा।
ReplyDeleteबच्चे में सीखने की स्वावभाविक प्रवृति होती है शैश्वावस्था में संकेतों के माध्यम से अपनी बातें या जरूरतों के लिए अपने अभिभावकों से इशारे में बात करते हैं । वह जिस परिवेश में होता है वहाँ के बोली जाने वाली बोली / भाषा को वह सीख जाता है और अपनी सम्प्रेषण में प्रयोग करता है । अपने आस पास बोली जाने वाली भाषाओं को भी वे सहज ही सीख लेता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है ।
ReplyDeleteयह उनकी ज्ञानेन्द्रियो के द्वारा स्वाभाविक रूप से संपन्न होती है ।
भाषा सीखने के बाद अन्य कठिन विषय वस्तु को वह भाषा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता और सीखता है ।
Sharad Kumar Soni
PS Mahora
Block - Baikunthpur
बच्चों में भाषा सीखने की तीव्र इच्छा होती है वे चित्र के माध्यम से गीत , कविता , कहानी , के माध्यम से सीखते हैं और अपने अनुभव, विचार , कल्पना को भाषा के माध्यम से ही सबों तक साझा करते हैं।
ReplyDeleteहां,बच्चे अपने परिवेश से भाषाएं सीखते हैं।संचित ज्ञान व अनुभव के आधार पर अपनी भाषा को लोगो के बीच संप्रेषित करते हैं।
ReplyDeleteबच्चें भाषा अपने आसपास के परिवेश के अनुसार सुनकर समझते हैं एवं गीत, कहानी व रोल प्ले के माध्यम से सीखते हैं व अपने घर, मित्रों में साझा करते हैं।
ReplyDeleteहाँ,बच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।शुरूआती दौर मे बच्चे संकेतो से फिर टूटीपुटी भाषा मे, तीव्र आवाज करके अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं।बच्चे गीत,कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते है और अपने ज्ञान एवं अनुभव को भाषा के माध्यम से ही कक्षा मे और अपने मित्रों से साझा करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे भाषा अपने आसपास के परिवेश में सुन कर के उसको समझते हैं तथा गीत कहानी कविता इत्यादि के माध्यम से भी उनका नए शब्दावलियों से परिचय होता हैबच्चों में भाषा सीखने की तीव्र इच्छा होती है वे चित्र के माध्यम से गीत , कविता , कहानी , के माध्यम से सीखते हैं और अपने अनुभव, विचार , कल्पना को भाषा के माध्यम से ही सबों तक साझा करते हैं।
ReplyDeleteहां बिल्कुल बच्चों को भाषा सीखने में और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है क्योंकि बच्चे जब अपनी पारिवारिक माहौल में होता है उस समय अपने आसपास की भाषा को सुनकर के वह भाषा सीख लेता है और जैसे ही स्कूओ में अपने साथी व शिक्षको के संपर्क में आता है तो वह भाषा के माध्यम से सीखना प्रारंभ कर देता है ।
ReplyDeleteनिश्चिततौर पर बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। भाषा तो सम्प्रेषण और आत्मविकास का आधार है।
ReplyDeleteदादू सिंह तोमर
प्रा शाला जोगीसार
विकासखंड गौरेला
जिला-जी पी एम(छ ग)
मुकेश कुमार साहू
ReplyDeleteप्रा•शा•बाकीघाट, कोटा, बिलासपुर
निश्चित तौर पर बच्चों को उनकी भाषा में कही गई बातें आसानी से समझ में आ जाती है।इसलिए बच्चों में समझ विकसित करने के लिए, अपने विषय वस्तु अप्लाई करने के लिए अधिक से अधिक बच्चों की भाषा का ही उपयोग करना चाहिए
स्कूली पाठ्यक्रम में छोटे छोटे साधारण कहानी की किताबे जिसको बच्चे पढ़ सके और शिक्षक को पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध हो । तो बच्चो को पढ़ने लिखने का कौशल विकसित हो जाएगा।
ReplyDeleteस्कूली पाठ्यक्रम में छोटे छोटे साधारण कहानी की किताबे जिसको बच्चे पढ़ सके और शिक्षक को पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध हो। तो बच्चों को पढ़ने लिखने का कौशल विकसित हो जाएगा
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवति होती है। जिसके माध्यम से बच्चे गीत कविता कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं। वे अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कक्षा में अपनी भाषा और अपने मित्रों के साथ पढ़ना- लिखना सीखते हैं।
ReplyDeleteबच्चे मे भाषा सीखने की प्रवृति पहले से मौजूद होती है।वे अपने परिवेश से सुनकर, अनुभव करके स्वयं ही सीख जाते हैं।
ReplyDeleteBaacho me bhasha sikhane ki pravriti pahle se maojud hoty hai ve apne parivesh se sunkar, anubhav karke svyam hi sikh jate hai
ReplyDeleteबच्चे भाषा सुनकर सीखते हैं भाषा द्वारा किसी व्यक्ति वस्तु विचार की अभिव्यक्ति होती है दुनिया के बारे में भाषा के द्वारा व्यक्त किया जाता है अपनी सोच भाषा के द्वारा बेस्ट करता है
ReplyDeleteBachche bhasha ke madhyam se hi sikhate hai aur apne vichar bhi bhasha se vayakt karte hai
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की संभावित प्रवृत्ति होती है वह गीत कविता कहानी के माध्यम से भाषण सकते हैं तथा कक्षा में अपनी भाषा की क्षमता का प्रदर्शन करते हैं
ReplyDeleteबच्चे अपनी भाषा में कविता, कहानी, गीत आदि जानते हैं वह अपनी भाषा में अपने भाव व्यक्त करते हैं।
ReplyDeleteDecember 1, 2021 at 5:25 AM
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है। बच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं।
मेरा विचार इस बारे में कुछ हटकर है ,
ReplyDeleteकि भाषा सिखाने की शुरुवात वर्णमाला को क्रमानुसार सिखाकर किया जाए।
क्योंकि सीधे ही वर्णमाला सिखाना ,रटवाना एक छोटे बच्चे के लिए उबाऊ और समझ में न आने वाली प्रक्रिया हो सकती है, क्योंकि यह एक तरह से बच्चे के लिए अमूर्त प्रक्रिया होगी।
हमारे भी मन मे जैसे हाथी बोलने से लिखा हुआ हाथी शब्द नही,बल्कि हाथी का चित्र पहले उभरता है ।कहने का तात्पर्य यह कि-बच्चे को सीधा ही वर्णमाला सिखाने के बजाय उसे कुछ उसके परिचित चित्र को दिखाया जाए।उससे उसका नाम उच्चारित करवाया जाए,जो प्रायः सभी बच्चे कर लेंगे,क्योंकि यह उसके अपने घर से सीखे पूर्वज्ञान मे है ।
अब उस शब्द की डिकोडिंग की जाए,उसे तुकडो में तोडकर अलग-अलग बोला और बोलवाया जाए।फिर उसमें से उसके मूल अक्षर को निकाल कर उच्चारण कराया जाए,अब इसी के साथ उसे लिखने का अभ्यास करा सकते हैं ।क्यो कि पढने और लिखने की प्रक्रिया साथ साथ चलती है ।इससे वर्ण की आकृति और उसका मूर्त रूप (अर्थ)दिमाग में बैठ जाता है ।
इस प्रकार वर्णों को पढना और लिखना सिखाने के साथ /बाद उनको उसके उचित क्रम में रखकर व्यवस्थित कर एक समान ध्वनि वाले शब्दों को क्रमशः सिखाये।इससे सीखने में आसानी के साथ साथ उनके बीच के सूक्ष्म अंतरो(उच्चारण और लेखन के) का भी बच्चों को पता चलेगा ।
फिर क्रम से मात्राओ के साथ बारह खडी के उपयोग से नई ध्वनियों का वे निर्माण एकबार बताने के बाद वे स्वतः करते जायेगे।और जहाँ गलती हो वहाँ शिक्षक उनकी मदद करेंगे ।
ढाई साल के बच्चे भाषा पूरी तरह समझ सकते हैं और उसका उपयोग कर सकते हैं।
ReplyDeleteर और ल अक्षर बोलने में कठिनाई होती है । बच्चे ये जानते हैं कि मैं र और ल नहीं बोल पा रहा हूं। वे उसे सीखने का प्रयास करते हैं।
बच्चों में भाषा सीखना एक जन्मजात गुण है बच्चे अपने आसपास के परिवेश में रह कर अधिक से अधिक भाषा को सीख सकता है
ReplyDeleteBachche koi matribhasha any bhasha sikhne me madad karti hai . Yah ek swabhavik prakriya hai
ReplyDeleteबच्चों को अपने साथ घटी घटनाओं को बताने में रूचि रखते हैं। भ्रमण किए स्थान जैसे मेला,हाट बाजार, दर्शनीय स्थल या अपने कोई रिश्तेदार के यहां घुमने गए थे के विषय में बड़ी उत्सुकता से वर्णन करते हैं। और इसके लिए वे अपनी भाषा का इस्तेमाल करते हैं इस प्रकार भाषा के माध्यम से सीखते हैं।
ReplyDeleteभाषा सीखना एक सहज प्राकृतिक प्रक्रिया हैं ।बच्चे में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। मौखिक भाषा शुरुआत में बहुत महत्वपूर्ण होती है बच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है। बच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने,भाषा के माध्यम से ही विभिन्न दक्षता तक पहुंचा जा सकता है,बच्चों की सरल भाषा को अपनाना बहुत जरूरी है ।धन्यवाद
ReplyDeleteबच्चों में सीखने की स्वाभाविक क्रिया होती है |
ReplyDeleteBacchon mein sikhane ki sambhavit Kiya hoti hai
ReplyDeleteBacche Apne aas paas ke vatavaran se sikhate Hain
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है, यह कथन सत्य है। जब वह शाला आता है तो वह अपने आसपास की चीजों के बारे में अपनी भाषा मे बता सकता है, उसे अपने परिवेश की जानकारी होती है, अवसर दिए जाने पर वे अपनी भाषा में उस संबंध में वार्तालाप भी करते हैं।
ReplyDeleteबच्चा अपने आसपास से देखकर-सुनकर स्वभाविक रूप से भाषा सीखना रहता है।उसे तराशने व दिशा दिखाने की जरूरत है।
ReplyDeleteनिश्चित रूप से बच्चे भाषा के माध्यम से सिखते है।और भाषा सिखने एवम् भाषा के माध्यम से ही सिखाने की शुरुवात होती है।
ReplyDeleteबच्चे जिस - जिस परिवेश में जाता है वह उस परिवेश की भाषा सीखते जाता है।बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की दो तरह की प्रवृति होती है ।घर मेंं बोली जाने वाली सहज मातृभाषा वह सीखता है और जब भाषा को माध्यम बनाकर सीखता है ।तब उसे विभिन्न कौशलों का विशेष अनुभव होता है ।
ReplyDeleteBacche jis jis parivesh mein jata hai jata hai vah use parivesh ke Bhasha se Kiya jata hai bacchon mein Bhasha sikhane aur bhasha ke madhyam se se sikhane sikhane ki do tarah ki prapti hoti hai jo ghar mein boli jaati hai jaisa samaj Bhasha avashyakta Ho jaaye bhasha ke madhyam se banaa banaa kar sakta hai tab usse vibhinn Kusum Ko schoolon ka Vishesh Anubhav hota hai
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteभाषा सीखना एक सहज एवं प्राकृतिक प्रक्रिया हैं , बच्चे में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। मौखिक भाषा शुरुआत में बहुत महत्वपूर्ण होती है बच्चों में भाषा सीखने की और भाषा के माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है।बच्चे सर्वप्रथम अपने पालकों की बातों से अवगत होकर घर मे जो भाषा बोली जाती है उस भाषा को बोलना प्रारंभ करते है । बच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे गीत कविता और कहानी के माध्यम से भाषा सीखते हैं, और अपने अनुभव और ज्ञान को भाषा के माध्यम से ही कक्षा में और अपने मित्रों से साझा करते हैं।बच्चे अपने परिवेश से सुनकर भाषा सीखते है इसलिए बच्चों मे परिवेश का प्रभाव रहता है चाहे वह घर का हो या आस पड़ोस का जैसे बच्चों के परिवेश मे हिंदी भाषा से बात होती है
ReplyDeleteChild has there natural process for there learning skills
ReplyDeleteबच्चे पहले संकेतों फिर आसपास के लोगों को सुनकर भाषा सीखते हैं। सबसे पहले वह अपनी मातृभाषा को ही सीखते हैं फिर गीत,कविता आदि के माध्यम से उनकी भाषा स्पष्ट होती जाती है।
ReplyDeleteBacho me bhasha ko sunkar sikhne ki swabhavik pravitti hoti h . Sath hi bhasha k madhyam se ve anya nai nai jankariyo, gito, kahaniyo aadi ko sikhte va samjhte h
ReplyDeleteजी हां बच्चों में भाषा सीखने की और भाषा से माध्यम से सीखने की प्रवृत्ति होती है जिससे वह बच्चा उच्च कक्षा और मित्रों से शिक्षकों से समन्वय बना सकता है और उसके लिए सहायक होता है
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की प्रवृति होती है और उसको मजबूत करने के लिए कहानी कविता गीत संगीत नाटक एकांकी अंताक्षरी का आयोजन नियमित करना चाहिए इसने उनकी के साथ भाषा सीखने को बल मिलता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चे अपने परिवेश से ही मौखिक भाषा सीख कर स्कूल आते है। साहित्य, कहानी, कविता, तुकबंदी, नाटक आदि विधाएं हैं जिससे उनकी भाषा को विकसित करने में मदद करता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है क्योंकि वे अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए लालायित रहते हैं तथा विभिन्न माध्यमों से अपनी राय बताना चाहते हैं जैसे- शुरूआती दौर में संकेतों से, फिर टूटीफूटी भाषा में, तीव्र आवाज करके ध्यानाकर्षण करने के प्रयास के दौरान, अपनी घर की भाषा में।
ReplyDeleteभाषा बच्चे सुन सुन कर आवश्यता के चीजों के ध्वनि को याद कर धीरे धीरे सीखते हैं। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, बच्चे समाज मे परिवार में रह कर भाषा सीख जाते हैं।
ReplyDeleteहां बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की तथा भाषा से सीखने की माध्यम होती है|
ReplyDeleteहम देखते हैं कि बच्चे स्कूल आता है तो वह अपनी मातृभाषा तथा आसपास की भाषा को जान रहा होता है परंतु धीरे-धीरे वह स्कूल की भाषा को भी सीख जाता है|
भाषा सीखने का माध्यम होता है बच्चा गीत,कविता, कहानी आदि के माध्यम से भाषा को सीखता है |
यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, बच्चों में भाषा सीखने और भाषा के माध्यम से सीखना बच्चों के शाला पूर्व उनके घर और आसपास के वातावरण के साथ-साथ शालेय परिवेश बहुत महत्वपूर्ण होता है!
ReplyDeleteहा होती हैं और यही कारण है कि वह अपने आप को विकसित करने में सक्षम हो पाते है
ReplyDeleteबच्चों को जो रूचि पूर्ण लगता है, उसे वे आनन्दमय वातावरण में सीखते हैं इसी प्रकार कविता, कहानी,भाषा सीखना स्वाभाविक हो जाता है।
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास के परिवेश से भाषा का ज्ञान सीखते हैं और उनकी बोली में इसका प्रभाव दिखता है इसलिए वे मातृभाषा में सिखाई गई चीजों को जल्दी सीखते हैं। अगर उन्हें रुचि पूर्ण तरीके से किसी भी भाषा में पढ़ाया जाए वे उसे सीखने की कोशिश करेंगे।
ReplyDeleteबच्चे दूसरे को देखकर उनका अनुकरण करते वह खुद सीखने की कोशिश करते हैं हम उनके रूचि अनुसार भाषा पढाते है तो वह सीख जाता है
ReplyDeleteहां हम जानते हैं कि बच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। बच्चे जन्म के पश्चात धीरे धीरे बड़े होते हैं और अपने परिवार में एवं अपने आसपास के परिवेश से भाषा सीखते रहते हैं । इस प्रकार उसके भाषा सीखने की शुरुआत हो जाती है। शाला में आकर अपनी भाषा का विस्तार करता है।
ReplyDeleteबच्चें विभिन्न परस्थिति व परिवेश से निकल कर हमारे पास आते हैं। उनकी सोचने व समझने की दिशा अलग अलग होती है। ऐसे में उन्हें एक नई भाषा सीखने में परेशानी आ सकती है परंतु चूंकि अभी वे बालावस्था में है, उनमें नई चीजों व नए माहौल में ढलना सरल होता है।
ReplyDeleteअगर उनसे उन्हीं की भाषा को माध्यम बना कर सीखने सिखाने की प्रक्रिया की जाए तो उनके लिए विषयवस्तु को समझना अत्यंत सरल व सुगम हो जाएगा।
इस तरह से हम कह सकते है की बच्चो में भाषा सीखने व भाषा के माध्यम से सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है ,भाषा सभी लोग जानते है परिवेश जैसा होता है बच्चे उसी अनुरूप काम करते है भाषा के आवश्यक तत्व सुनना बोलना पढ़ना लिखना हर बच्चा सुनना जनता है बोलना जनता है पढ़ने एवं लिखने की कौशल विकसित करने के लिए निपुर्ण भारत मिशन लागू किया जाना है ।इसके लिए स्कूलों में शिक्षण सामग्री भाषा के स्कूली पाठ्यक्रम में छोटे छोटे साधारण कहानी की किताबे जिसको बच्चे पढ़ सके और शिक्षक को पढ़ने के लिए सामग्री उपलब्ध हो । तो बच्चो को पढ़ने लिखने का कौशल विकसित हो जाएगा।
ReplyDeleteStudents learn language at their home and near by surroundings.we should encourage them to learn more by activities in class room.
ReplyDeleteबच्चे कहानी और कविता के माध्यम से भाषा सीखते हैं और उन्हें आपने दोस्तों के बीच शेयर करते हैं।
ReplyDeleteबच्चे घर मे बोली जाने वाली भाषा सीखते हैं। यह भाषा वे अपने आस पास के परिवेश से भी सीखते हैं। जब वो स्कूल आते हैं तो हिन्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteउनकी ज्ञानेन्द्रियो के द्वारा स्वाभाविक रूप से संपन्न होती है ।
ReplyDeleteभाषा सीखने के बाद अन्य कठिन विषय वस्तु को वह भाषा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता और सीखता है ।
सबसे पहले पालकों, समुदाय ,शिक्षकों को स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी को समझना होगा। बच्चों को भी इस विषय में बताना होगा।1 सबसे पहले तो बच्चों के व्यक्तिगत स्वच्छता पर निगरानी तय करनी होगी।
ReplyDelete2 दैनिक दिनचर्या में स्वच्छता के आदतों पर ध्यान देना होगा।
3 विद्यालय में ,कक्षा में स्वच्छ आदतों पर ध्यान देना होगा।
Bachcho me bhasha sikhne ki pravitti hoti hai ve apne vichar bhasha ke madhyam aasani se abhivyakt kar sakte hai bhale hi ve koi chitra ya kewal ek sabd hi ho sakta hai ve jo kuch bhi sikhte hai vah bhasa ke madyam se hi hota hai kyoki bhasha ke bina sikhna ho nahi sakta
ReplyDeleteबच्चों के लिए मातृ भाषा सीखने का सबसे सशक्त माध्यम है।स्कूली भाषा के साथ मातृ भाषा का समावेश करके स्कूल के प्रति बच्चो के सोच को बदला जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों में भाषा सीखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है वह अपने विचारों को अभिव्यक्त करने हेतु उत्सुक रहते हैं मैं अपनी मातृभाषा में अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हैं और उस के माध्यम से अन्य लक्ष्य भाषा सीखते हैं
ReplyDeleteBacche matrabhasha mein kisi bhi chij ko bahut acche tarike se samajh sakte hain isliye Hamari Jor Rehana chahie ki bacche apni matrabhasha Mein Hi shuruaati Shiksha grahan Karen
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