कोर्स 01 (FLN) गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें
कोर्स 01
गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें
निम्न लिंक से 'खुला आकाश'
2004 वीडियो फिल्म देखें और इस पर अपने विचार साझा करें :
https://www.youtube.com/watch?v=1XjDHOrcJyw
ईसीसीई के बारे में
सोचें? क्या यह आवश्यक है? ईसीसीई कैसे स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता
है? अपनी समझ साझा करें
Video nahi chala।
ReplyDeleteKhula aakash me bahut hi achchhi bat batai gai hai real me aisa hi hona chahiye isse khel-khel me bachche sikhenge padhai bogh nahi hogi ye sabhi jagah lagu hona chahiye
Deleteशासकीय शालाओं के शिक्षक शिक्षकीय कार्य के अलावा बाकी सभी कार्य करना है तो ...कहां से संभव होगा ... शिक्षा स्तर कैसे बढेगी...।
DeleteACC school mein jivan mein sikhane ke liye sabse pahle shikshak ko out Bihari karya se mukt karna hoga tabhi to koi rul per karya ho sakta hai ek shikshak per padhaai se jyada Bihari office karya vartman mein rahata hai
Deleteखुला आकाश धारावाहिक वीडियोस के माध्यम से हमें पता चलता है कि हर इंसान एवं बच्चे में सीखने की क्षमता असीम होती है वह हर कुछ सीख जा सकता है उसके लिए उसे एक सकारात्मक प्रेरणा एवं पहल की आवश्यकता होती है हमें बच्चों की सकारात्मक सोच को ध्यान में रखकर कार्य करने की आवश्यकता है प्रत्येक बच्चे अपने आप में अद्भुत है जिसमें एक नया करने का भाव होता है वह अपने तरीके से सीखने का प्रयास करता है खेल खेल में बहुत सी चीजों को सीख जाता है इसके लिए सकारात्मक सोच एवं सकारात्मक पहल की आवश्यकता होती है उसके नकारात्मक पहलुओं को दरकिनार कर सकारात्मक सोच को विकसित करने की आवश्यकता होनी चाहिए
Deleteछात्रों को यश परिवेश दिया जाए की जिससे वह बुनियादी दक्षता हासिल कर सकें।
DeleteNot respond
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteदिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक (एल. बी.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.-पलारी
जिला - बलौदाबाजार (छ. ग.)
सहमत
Deleteयदि हमारे वर्तमान शिक्षा के बारे मे या शिक्षा व्यवस्था के बारे मे बात किया जाय तो निगेटिव सोच कहा जायेगा । एक शिक्षक सौ बच्चों को पढ़ा रहा है ऊपर से कई काम करवाया जाता है सो अलग।कहा से गुणवत्ता आएगी।खुला आकाश में यथार्थ को बताया गया है।देखने में स्वर्ग लगता है।ऐसा होना चाहिए।अफसोस
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चो में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त व संख्या बोध माप आदि में।दक्ष करना है लेकिन हमारी सोच नीव को।मजबूत करने पर नहीं कांगुरा निर्माण करने होता है इसलिए प्राथमिक शाला के 5अलग अलग कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य दर्ज संख्या के अनुसार कहीं 1/2/3
ReplyDeleteशिक्षक है और भी अन्य कार्यालयीन कार्यों को संचालित करना होता है
मेरा एक प्रश्न है
1) यदि किसी स्कूलों में 1/2/3 शिक्षक है तो एक,दो,या तीन कक्षा एक ही समय में ले रहें होते हैं तब दो,तीन या चार कक्षा के छात्र छात्राएं किसके सहारे शिक्षा ग्रहण करे ?
2)जहां पर प्राथमिक शाला में 5/4 शिक्षक है वहां के छात्र छात्राओं को शिक्षक द्वारा पाठ्यक्रम ओर अन्य गतिविधियों को संचालित करने में पर्याप्त अवसर बच्चों को दे पाते हैं
लेकिन जहां दर्ज संख्या कम है वहां के बच्चों को सीखने का अवसर कम क्यों?
क्या दर्ज संख्या कम होना उस गांव या बसाहट के बच्चों को सीखने केअवसर को कम नहीं करता ?
CG CG dwara adhyapan karya bahut acche se kiya ja sakta hai aur bacchon ki buniyadi jarur ton ko bhi pura Kiya ja sakta hai
ReplyDeleteईसीसीई शिषा और जीवन सीखने का आधार है, छात्र शिक्षक,माता-पिता समुदाय के लोग,मित्र, बुजुगों से हमेशा संपर्क में रहते हैं।उनके उम्र से कुछ अधिक सीखते है ।
ReplyDeleteईसीसीई शिषा और जीवन सीखने का अति महत्वपूर्ण आधार है ।
ईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक के बच्चों को सीखाने में 'खेल गतिविधि' ही सबसे कारगर विधि है,इससे बच्चे बोरियत महसूस नहीं करते और बच्चे सीखते रहते हैं।
ReplyDeleteयदि हमारे वर्तमान शिक्षा के बारे मे या शिक्षा व्यवस्था के बारे मे बात किया जाय तो निगेटिव सोच कहा जायेगा । एक शिक्षक सौ बच्चों को पढ़ा रहा है ऊपर से कई काम करवाया जाता है सो अलग।कहा से गुणवत्ता आएगी।खुला आकाश में यथार्थ को बताया गया है।देखने में स्वर्ग लगता है।ऐसा होना चाहिए।अफसोस
Deleteहां यह आवश्यक है ईसीसीई स्कूल और जीवन को सीखने का आधार हैं बच्चो को सामाजिक संवेदनशील बनाता तथा समग्र विकास के साथ संज्ञानात्मक ज्ञान को प्राप्त होता हैं
ReplyDeleteBuniyadi shiksha me bachcho k liye khel ati avashyak hai.
ReplyDeleteमैने खुला आकाश देखा बहुत अच्छा लगा । आदरणीय वशिष्ठ सर एवं मैडम ने प्रत्येक 15-20 बच्चों के लिए एक टीचर का सुझाव दिए है। जो सही है लेकिन यहां वास्तविकता कुछ और ही होता है । ऊपर से प्राइमरी स्कूल के टीचर से ही दुनियाभर का काम करवाया जाता है। आजकल हर डाटा की ऑनलाइन एंट्री का काम भी हमारे सिर पर ही होता है । ऐसे में शिक्षा में गुणवत्ता की कल्पना कैसे किया जा सकता है ? गुस्ताखी माफ़ हो।
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए . Rajesh mathur
ReplyDeleteईसीसीई बुनियादी शिक्षा के लिए एक आधार स्तम्भ है। सीखने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां अभिष्ठ की प्राप्ति के लिए निश्चित रूप से एक पायदान का कार्य करती है।यह एक आदर्श स्थिति है वास्तविक रूप में जमीनी स्तर पर संसाधनों का अभाव है, शिक्षकों की कमी है और उन्हें गैरशिक्षकीय कार्य में संलग्न किया जाता है। कुछ खामियां हैं जिसे दूर करना अति आवश्यक है।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक शिक्षा में इस वीडियो के माध्यम से बहुत ही सुंदर तरीके से समझाया गया है कि बच्चों को कैसे अवसर प्रदान करें उनको खेलते हुए सीखने का रंगों से काम करने का और उनकी इच्छाओं के अनुरूप उन्हें अवसर देने का हम कह सकते हैं कि इसके माध्यम से बच्चे को पूरी तरह खुली आकाश उन्हें प्रदान करते हैं जिससे बच्चे अच्छी तरह सीखते हैं। उन्हें अंको अक्षरों को लिखने और पढ़ने पर ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए वह स्वतंत्र रूप से सीखे यही प्रेरणा इसके माध्यम से मिल रही है
ReplyDeleteBuniyadi saksharta ke antargat ecce bahut jaruri hai bachcho ko is umra men jitna dikhaya jana chahie ve sab kuchh sikh jaega
ReplyDeleteईसीसी ई बच्चों की बुनियादी कौशल को सिखाने के लिए महत्वपूर्ण माध्यम है।
ReplyDeleteएसईसी ई को मजबूत बनाना होगा।
हां,ईसीसीई आवश्यक है। ईसीसीई मे शिक्षा का माध्यम खेल-कूद है।खेल-खेल मे बच्चे आसानी सीखते है और अपनी भावनाओं को भी व्यक्त करते है।
ReplyDeleteयदि हमारे वर्तमान शिक्षा के बारे मे या शिक्षा व्यवस्था के बारे मे बात किया जाय तो निगेटिव सोच कहा जायेगा । एक शिक्षक सौ बच्चों को पढ़ा रहा है ऊपर से कई काम करवाया जाता है सो अलग।कहा से गुणवत्ता आएगी।खुला आकाश में यथार्थ को बताया गया है।देखने में स्वर्ग लगता है।ऐसा होना चाहिए।अफसोस सिखाने के अलावा सब काम कराया जा रहा है
ReplyDeleteमैंने खुला आकाश देखा बहुत ही अच्छा लगा ।ईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने की आधार प्रदान करता है। शिक्षकों, अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रयास है
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए सभी घटकों यथा छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चो में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त व संख्या बोध माप आदि में।दक्ष करना है लेकिन हमारी सोच नीव को।मजबूत करने पर नहीं कांगुरा निर्माण करने होता है इसलिए प्राथमिक शाला के 5अलग अलग कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य दर्ज संख्या के अनुसार कहीं 1/2/3
ReplyDeleteशिक्षक है और भी अन्य कार्यालयीन कार्यों को संचालित करना होता है
मेरा एक प्रश्न है
1) यदि किसी स्कूलों में 1/2/3 शिक्षक है तो एक,दो,या तीन कक्षा एक ही समय में ले रहें होते हैं तब दो,तीन या चार कक्षा के छात्र छात्राएं किसके सहारे शिक्षा ग्रहण करे ?
2)जहां पर प्राथमिक शाला में 5/4 शिक्षक है वहां के छात्र छात्राओं को शिक्षक द्वारा पाठ्यक्रम ओर अन्य गतिविधियों को संचालित करने में पर्याप्त अवसर बच्चों को दे पाते हैं
लेकिन जहां दर्ज संख्या कम है वहां के बच्चों को सीखने का अवसर कम क्यों?
क्या दर्ज संख्या कम होना उस गांव या बसाहट के बच्चों को सीखने केअवसर को कम नहीं करता कविशंकर
ईसीसीई विद्यालय एवं परिवार में सीखने एवम सिखाने में अति महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteप्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा बच्चे की सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानातमक और शारीरिक आवश्यकताओं पर जोर देते हुए उसके समग्र विकास के लक्ष्य को सुनिश्चित करती है। फलस्वरूप बच्चा आजीवन सीखने एवं कल्याण की दिशा में आगे बढ़ता है।
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteसीखने सीखाने की प्रक्रिया को ईसीसीई मजबूती प्रदान करता है । 3 वर्ष से 9 वर्ष तक के बच्चों में सीखने की ललग अधिक होती है और यह सीखने का आधार है अतः पालक बालक एवं शिक्षक को परस्पर सहयोग की भावना रखना चाहिए ।
ReplyDelete। 3 वर्ष से 9 वर्ष तक के बच्चों में सीखने की ललग अधिक होती है और यह सीखने का आधार है अतः पालक बालक एवं शिक्षक को परस्पर सहयोग की भावना रखना चाहिए ।
ReplyDeleteसी जी कोर्स द्वारा बच्चों की बुनियादी शिक्षा को अच्छे से पूरा किया जा सकता है
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चो में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त व संख्या बोध माप आदि में।दक्ष करना है लेकिन हमारी सोच नीव को।मजबूत करने पर नहीं कांगुरा निर्माण करने होता है इसलिए प्राथमिक शाला के 5अलग अलग कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य दर्ज संख्या के अनुसार कहीं 1/2/3
ReplyDeleteशिक्षक है और भी अन्य कार्यालयीन कार्यों को संचालित करना होता है
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा बच्चे की सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं पर जोर देते हुए उसके समग्र विकास के लक्ष्य को सुनिश्चित करती है। फलस्वरूप बच्चा आजीवन सीखने एवं कल्याण की दिशा में आगे बढ़ता है।
ReplyDeleteबच्चे खेल खेल में और समूह में दुगनी गति से सीखते है क्योंकि वो एक दूसरे को देखकर उस कार्य का अनुसरण करते है और सीखते है ,बुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चे ईसीसीई के माध्यम से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास तेजी से होगा जो भी बाल्यावस्था में अत्यधिक जरूरी है।
शिक्षण व्यवस्था में पूर्व प्राथमिक स्तर बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस ओर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है विशेषकर सरकारी संस्थानों में। अति उपयोगी वीडियो👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteECE (Early childhood education) also known as nursery education, is a branch of education theory that relates to the teaching of children from birth up to the age of eight. Traditionally, this is up to the equivalent of third grade. ECE is described as an important period in child development.
ReplyDeleteEcce makes and enables the learning foundation and the atmosphere of institute and society.the close boundage among
ReplyDeletePrasanna mukherjee
ईसीसीई बुनियादी शिक्षा के लिए एक आधार स्तम्भ है। सीखने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियां अभिष्ठ की प्राप्ति के लिए निश्चित रूप से एक पायदान का कार्य करती है। जमीनी स्तर पर संसाधनों का अभाव है, शिक्षकों की कमी है । कुछ खामियां हैं जिसे दूर करना अति आवश्यक है।
ReplyDeleteHaan jaruri hai.. bachche ko apni samajh se school aur samaj me kary karne dena jaruri hai
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के लिए बच्चों में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त, संख्या बोध का निर्माण करना होता हैं।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा बच्चो के लिए आवश्यक है।
ReplyDeleteश्रीमती बिंदिया गवेल, शासकीय प्राथमिक शाला भाटापारा उतई, संकुल उतई ,जिला व विकासखंड दुर्ग ,छत्तीसगढ़।
ReplyDeleteहां यह आवश्यक है ईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है क्योंकि बच्चे जिस उम्र में जितना सीख सकता है उन्हें उतना ही सिखाना चाहिए उन्हें खेल के माध्यम से भी पढ़ाया जाना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और मानसिक दोनों का विकास हो।
Bachcho ko khel ke madhyam se siksha milni chahiye aur paryapt shikshak ki byawastha ho sath hi shikshako ke bhawisya ko bhi dhyan rakha jaye. Praathmik ke shikshako ki jimmedaari adhik hoti hai.
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा बच्चों के लिये आवश्यक है
ReplyDeleteअजीत
ReplyDeleteफिल्म तारे जमी पे देखे |
बच्चों को यदि खेल खेल की विधि में कोई भी गतिविधि कराई जाए तो बच्चे को वह नसीब को याद रहता है बल्कि उनके लिए बहुत ही मनोरंजक है और इसमें बच्चे कभी और भी महसूस नहीं करते और भी इतना मजबूर हो जाते हैं उनको यार खाने का भी ध्यान नहीं रहता बहुत ही बच्चे इंजॉय करते हैं
ReplyDeleteईसीसीई पूर्व प्राथमिक स्तर के बच्चो के लिए अति आवश्यक है। यह बच्चो के बौद्धिक विकास के लिए बहुत ही उपयोगी है।
ReplyDeleteखेल पद्धति से अधिगम पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास है,इस पद्धति में समाहित बिंदुओं का अनुशरण करके आप अपने शिक्षण को आनंददायक,सुगम और सहज बना सकते हैं,अधिगम क्षमता और बाल मनिविज्ञान के अनुरूप ही अर्थात बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली ही हर शिक्षक का प्रयास हो।
ReplyDeleteKhel ek jivan
ReplyDeleteखेल के माध्यम से ही बच्चे सबसे अधिक प्रभावी तरीके से सीखते है खेल विधि का प्रयोग करके शिक्षण को आनंदमय सरल और सहज बनाया जा सकता है
ReplyDeleteईसीसीई पूर्व प्राथमिक स्तर के बच्चो के लिए अति आवश्यक है
नरेंद्र कुमार पटेल
सहायक शिक्षक
कोसमी(द)
गरियाबंद
बुनियादी शिक्षा बौद्धिक विकास शारीरिक विकास एवं बच्चों में आत्मविश्वास को एक अलग ही माहौल प्रदान करता है जोकि समग्र विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteख़ुशहाली सोनी
सहायक शिक्षक
संकुल खजूरी
प्रा. शा. ढाबाडीह
मैंने यूट्यूब में खुला आकाश फिल्म के अंतर्गत ईसीसीई स्कूल देखा । बुनियादी साक्षरता के अन्तर्गत ईसीसीई बहुत जरूरी है। बच्चे को जिस उम्र में जितना सीखा जाना चाहिए वे सब कुछ सीख जाएगा।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता के अंतर्गत ईसीसीई बहुत जरूरी है बच्चों को जिस उम्र में जितना सीखना चाहिए वे सीख जायेंगे ।धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा वीडियो देखा। बहुत कुछ सीखने को मिला। बहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteसभी बच्चों में असीम क्षमताएं होती है।जरूरत है उन क्षमताओ को विकसित करने हेतु उचित मार्दर्शन देने की।ईसीसीई इस दिशा में बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteदादू सिंह तोमर सहायक शिक्षक
प्रा शा जोगीसार,गौरेला (GPM)
खुले आकाश बहुत ही बढ़िया लगा।
ReplyDeleteक्योकि जीवन की सच्चाई को सामने रखा गया है,यदि इसे अपने जीवन मे उतार लें जीवन जीने के तरीके जरूर बदल जाएगी ,आभार।।
ये जो वीडियो में समझाया,है अच्छा।पर ग्रामीण क्षेत्र में काम स्टाफ,training, स्टाफ में तालमेल का अभाव ।sa'b पसीना आ जाता है।मै साठ का हो गया,अब शारीरिक प्रॉब्लम भी है।हां, बच्चो को ऐसे शिक्षक चाहिए,मै हूं,बं सकता हूं।पर एच एम की जवाबदारी,निभाते हलात खराब।
ReplyDeleteआपको मै बताना चाहता हूं,मैंने सारे स्कूल्स हेतु,स्लाइड प्रोजेक्टर।सस्ता सुंदर,टिकाऊ।पेटेंट भी कराया।विभाग में प्रचार भी,डेमो भी।पर कुछ असर नहीं।निष्ठा में email आदि भी,पर जवाब नहीं मिला।जनाब स्लाइड प्रोजेक्टर,वो भी मेरा डिजाइन किया,क्रांति ला सकता हूं।
आपने जो बालकेंदृत शिक्षा के बारे में कहा,मैंने भी महीनों इस पर काम किया।स्लाइड प्रोजेक्टर डिजाइन किया,पेटेंट कराया। विभागीय सहयोग चाहा,आपसे संपर्क email से किया,कुछ नहीं हुआ।महीनों,साल बीत गए।प्रचार विभागीय डेमो सब किया,परिणाम,सिफर।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता के लिए ईसीसीई बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा में खेल खेल में शिक्षा सहायक है
ReplyDeleteयह बहुत आवश्यक है इसमें बच्चों का ध्यान रखते हुए उनको पढ़ाया जाता है।
ReplyDelete" खुला आकाश " Early Childhood Care & Education को अत्यंत सहज और सरल रूप में प्रस्तुत करता है , वास्तव में बाल्यकाल में बच्चों के समन्वित विकास के साथ ' खेल-खेल में शिक्षा ' का सराहनीय समावेश इस विडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है I इसमें बच्चों के लिए " सीखने का वातावरण " उपलब्ध कराते हुए गतिविधि करने तथा अनुभव करके स्वतंत्र रूप से सीखने हेतु पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराये जाने पर बल दिया गया है I
ReplyDeleteइस प्रकार की योजना को यदि प्रयत्नपूर्वक लागू किया जा सके तो इससे "लर्निंग आउटकम " की प्राप्ति करना सुनिश्चित हो पायेगा तथा विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता लायी जा सकती है I
किन्तु दुःखद है कि अब तक शिक्षा विभाग में शैक्षिक योजनाओं का क्रियान्वयन अत्यन्त निराशाजनक रहा है I इसमें ध्यान देने योग्य यह भी है कि यह विडियो वर्ष 2004 का जारी किया हुआ है ... अर्थात 17 वर्ष पहले का !!!
शासन - प्रशासन तथा शिक्षा विभाग को अच्छी पहल के क्रियान्वयन में अब और अधिक विलम्ब नहीं करना चाहिये... योजना का लाभ तभी है जब उसे उत्तम ढंग से क्रियान्वित किया जाये ... आशा है अब शिक्षा मंत्रालय ECCE के समस्त आयामों को भलीभांति लागू करने की दिशा में गंभीरतापूर्वक कार्य करेगा व प्रारंभिक शिक्षा के महत्व को समुचित ढंग से रेखांकित किया जा सकेगा I
चिमन लाल साहू
सहायक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला खम्हरिया (यदु)
विकासखण्ड- बलौदाबाजार
जिला –बलौदाबाजार ( छत्तीसगढ़ )
ECCE स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है इसलिए बच्चों को खुली आकाश प्रदान करना चाहिए ।बच्चो पर प्रारम्भ से ही पढ़ने लिखने का दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए,उन्हें उनकी इच्छानुरूप अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे खेल खेल में अच्छी तरह सीख सकते हैं।ECCE सभी बच्चों के लिए अति आवश्यक है।
ReplyDeleteECCE बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।खेल खेल में शिक्षा बच्चों को रोचक माहौल प्रदान करती है। बच्चों को सहज वातावरण उपलब्ध कराकर उनके बुनियादी भाषायी,गणितीय और तार्किक क्षमता के विकास में शिक्षक मददगार हो सकता है।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता के अन्तर्गत ईसीसीई बहुत आवश्यक है। बहुत अच्छी कोशिश है I
ReplyDeleteहम बच्चो को खेल और अन्य गतिविधि के द्वारा लिखना पढ़ना और सामाजिक शिक्षा दे सकते है
ReplyDeleteईसीसी बच्चों के सीखने के लिए एक नींव का कार्य इंगित कर रहा है क्योंकि जिस रचना की नींव जितनी मजबूत होगी उसका बाहरी विकास स्वत: ही मजबूत होगा जिस तरह नींव की मजबूती सारे निर्माण को मजबूत बना देता है उसी तरह बच्चों में बुनियादी ज्ञान (नींव) यदि मजबूत होगी तो वह स्वयं ही स्वतंत्र रूप से कार्य करने हेतु सक्षम हो पाएंगे तथा आगे उन्हें केवल मार्गदर्शन करने से ही वस्तुतः आगे बढ़ने की ओर अग्रसर होते नजर आएंगे|
ReplyDeleteकमलेश कुमार वर्मा
सहा. शिक्षक
शास. प्राथ. शाला मोहभट्ठा
ईसीसीई बुनियाद मजबूत करता है।इससे सीखना सरल व स्वभाविक ग्राह्य होगा।
ReplyDeleteECCE bacho ko padhane ka ek prabhavshali gatividhiyan hai bacche khel khel me samuhik gatividhiyon se jaldi sikhte hai, isme parents aur samuday ki bhi mahatvpurn sthan hota hai.
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो वास्तव में बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने में बहुत सहायक हो सकता है।क्योंकि बच्चों को सीखने का अवसर प्रदान करने से,और उन्हें अपने दिमाग का उपयोग कर खेलने से निश्चित ही उनका बहुमुखी विकास हो सकता है।पर अफसोस की बात यह है कि शिक्षकों को अनावश्यक रोज रोज कुछ न कुछ डाक या पत्र बनाकर भेजने का झंझट या कुछ ऑनलाइन मेसेजेस या कार्य,हमारे प्यारे प्यारे बच्चों की पढ़ाई के साथ प्यारी प्यारी सी नाइंसाफी है।
ReplyDeleteECCE ka prayog Ham sabhi pahle se hi kar rahe ha.Buniyadi Shiksha , ankgyan ,khel - khel me sikhana.yadi Ham chahte ha ki esa Karna ha to Karna hai.Teacher , parents or Students sabhi ko apni - apni jimmedari puri mehnat or lagan se nibhani hogi.Iske sath hi sath aangan Badi ko bi jodna hoga.quki bacche jab pahlibar school aate ha to unko Buniyadi Shiksha nahi ke brabar hota ha.isse primary teachers ko duguna mehnat Karna padta ha. or dusre office work alag se Karna padta .or yahi se bacche pichadte chale jate ha.
ReplyDeleteRENU PRADHAN
Govt.P/S Kastura
Block- Duldula
Dist. - JASHPUR ( C.G.)
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल खेल में शिक्षा जरूरी है
ReplyDeleteबाल्यावस्था में सीखी हुई अनुभव चिरकाल तक साथ देता है अतः बच्चों को प्रारम्भिक बालशिक्षा एवं देखभाल बहुत ही आवश्यक है
ReplyDeleteबाल्यावस्था में सीखी हुई अनुभव चिरकाल तक साथ देता है, अतः बच्चों को प्रारंभिक बालशिक्षा एवं देखभाल बहुत ही आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चे खेल खेल मे ही सीखते है इस वीडियो के माध्यम से बहुत ही कारगर तरीके बताए गए है
ReplyDelete
ReplyDeleteहां यह आवश्यक है ईसीसीई स्कूल जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है क्योंकि बच्चे जिस उम्र में जितना सीख सकता है उन्हें उतना ही सिखाना चाहिए उन्हें खेल के माध्यम से भी पढ़ाया जाना चाहिए ताकि उनका शारीरिक और मानसिक दोनों का विकास हो।
सभी बच्चों में असीम क्षमताएं होती है। जरूरत है उन क्षमताओ को विकसित करने हेतु उचित मार्दर्शन देने की। ईसीसीई इस दिशा में बेहतर विकल्प हो सकता है।
करनपाल सिंह
उ प्रा विद्यालय शेरनी
ब्लॉक् राया
जिला मथुरा
ईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए .
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
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ReplyDeleteवीडियो बहुत अच्छा है ।सभी स्कूलों में पर्याप्त संसाधन होने पर इस स्तर को सभी शालाओं में प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteखेल खेल में बच्चे अधिक सीखते हैं इसके लिए सभी साधन उपलब्ध होने चाहिए ताकि बच्चे उसका उपयोग कर सीख सकते हैं
ReplyDeleteVideo bhut acha hai khel khel me bachon ke sikhne samjhne ki sakti ka vikaas sugam tarike se hota hai
ReplyDeleteछोटे बच्चे खेल खेल में ही सीखते हैं | उन्हें आंगनबाड़ी में बहुत अच्छा माहौल मिलता है |
ReplyDeleteEcce baccho ko sikhne me aham bhumika aur awsar pradan karti hai. Bacche khel khel me sikhna aur gatividhi aadharit yojna sikhne k star ko badhati hai
ReplyDeleteखेल और गतिविधियों सीखने का साधन है । ई सी सी ई स्कूल पूर्व कक्षाओं में यह होना चाहिए। परन्तु मैं ने अनुभव किया है कि बच्चे सीखने के बजाय मनोरंजन करते हैं। हां जब उसी गति वि धि पुस्तक में पढ़ते या सुनते हैं तब कुछ समझने लगते है ।सोचते हैं कि इसे तो हमने खेलते समय किया है। कहने का तात्पर्य यह है कि किताबी अध्ययन के पूर्व खेल वह गतिविधियां आवश्यक है।
ReplyDeleteखुला आकाश फिल्म को देखकर लगता है कि हमें भी अपने विद्यालय में इस प्रकार का वातावरण निर्माण करने की इच्छा होती है परन्तु असम्भव है जहाँ दर्ज संख्या 145 है और दो शिक्षक ऊपर से बहुत सारी जानकारियां बना कर देनी होती है|
ReplyDeleteCece Lagu karna Ek acchi Soch hai Kintu iske liye Achcha buniyadi Shikha Hona bhi avashyak hai AVm yah vidyarthiyon ke liye atyant avashyak hai Kintu is Samay anganbadi AVN Vidyalay Suchna ka ka Kendra Ban Gaye Hain ecce ya primary Shiksha ke liye Nan Academy Karya kam se kam ho AVm primary schoolon mein shikshakon ki sankhya paryapt ki Jaaye
ReplyDeleteEcce school purv kakshaon me yah hona chahiye.khula akash film dekhkar bahut kuch naya sikhane ko mila jiska prayog aur baba char ham apni vidyalay ki class me kar sakte hain.
ReplyDeleteछोटे बच्चे खेल खेल में ही सीखते हैं | उन्हें आंगनबाड़ी में बहुत अच्छा माहौल मिल सकता है। पर जरूरत इस बात की है, कि
ReplyDeleteआंगनबाड़ी और अच्छा बनाया जाए
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता के अन्तर्गत ईसीसीई बहुत जरूरी है। बच्चे को जिस उम्र में जितना सीखा जाना चाहिए वे सब कुछ सीख जाएगा
Khula akash video me bhut acchi bt batai h hame baccho ko sikhane ke liye uchit vatavaran dena chahiye ar khel khel me ar activity ke madhyam se sikhana chahiye
ReplyDeleteखेल खेल में सीखना तनाव मुक्त होकर सीखना होता है । किसी प्रकार का दबाव नहीं होता ,सहजता पूर्वक कठिन से कठिन अवधारणाओं को सीखा जा सकता है
ReplyDeleteबच्चे खेल-खेल में बहुत अच्छा सीखते हैं और उन्हें इसी विधि से पढ़ाया जाना अत्यधिक रुचिकर व सुविधाजनक होगा
ReplyDeleteखेल एवं गतिविधियां प्रारंभिक शिक्षा है।
ReplyDeleteBachhe gatividhi ke sath ache se sikhte h khula Akash vedio me bhut ache se btaya gya h inka upyog kr bachho ko sikhya ja sakta h
ReplyDeleteThis is very good technique
ReplyDeleteKhula aakash me bahut hi achchhi bat batai gai hai real me aisa hi hona chahiye isse khel-khel me bachche sikhenge padhai bogh nahi hogi ye sabhi jagah lagu hona chahiye
Mukesh Kumar Sahu
P/s bakighat
Block Kota bilaspur
Ye bahut achi pahal hogi jisme bacche khel khel me sari nai chize sikh jaenge , jisse unhhe padhai bojhil nai lagegi.aur we khud kuch naya chahenge.
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने को आधार प्रदान करता है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा में खुली आकाश वीडियो के माध्यम से बच्चों को खेल-खेल में हंसना, कूदना, फांदना तथा रंग-बिरंगे खिलौने व अन्य गतिविधियों के माध्यम से दक्षता हासिल कर सीखते हैं। बच्चों को उनके इच्छाओं के अनुसार स्वतंत्र रूप से सीखने दिया जाना चाहिए। उन्हें किसी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहिए। जिससे वे स्वतंत्र रूप से सीख सके।
ReplyDeleteईसीसीई स्कूल और जीवन में सीखने का आधार प्रदान करता है, इसलिए छात्रों,स्कूलों ,शिक्षकों,अभिभावकों और समाज के साथ मिलकर परस्पर सहयोग करने की भावना को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
ReplyDeleteईसीसीई के पाठ्यक्रम को इस वीडियो के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से दिखाया गया है, अगर वाकई में छोटे बच्चों को इस तरह से खेल-खेल में सिखाया जाए तो वह बहुत जल्दी सीख जाएंगे। बाल्यकाल विद्यार्थियों के जीवन की बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है, इसी अवस्था से उनके आने वाले जीवन की नींव रखी जाती है और इसमें शिक्षकों के साथ साथ माता पिता और समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है । ईसीसीई पाठ्यक्रम के अनुसार अगर बच्चों को स्कूल के साथ-साथ घर में भी इस तरह का वातावरण दिया जाए तो वे दिन भर के क्रियाकलापों, खेलकूद और अपने अनुभवों के आधार पर भी बहुत कुछ सीख सकेंगे और आगे बढ़ेंगे।
ReplyDelete"खुला आकाश" वीडियो देखा। ईसीसीई से संबंधित बहुत अच्छी-अच्छी बातें बताई गई हैं। परन्तु मैं तो कहूंगा कि ये सब हमारे लिए 'परी कथाओं' की तरह हैं। शिक्षक और साधनविहीन पाठशालाओं में शिक्षक और बच्चे नियति का फल भोग रहे हैं।
ReplyDeleteबच्चों के लिए बुनियादी शिक्षण आवश्यक है नीव मजबूत होने से ही मजबूत इमारत तैयार होती है
ReplyDeleteखेल विधि से सिखाने से सभी बच्चे सक्रिय रहते है , क्योंकि ये बच्चो के रूचि के अनुरूप होते है, इसलिए इस विधि से सीखते समय बच्चो में थकान देखने को नहीं मिलता। यह विधि तो सिखाने की सर्वोत्तम विधि है।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक शिक्षा छोटे बच्चों के बौद्धिक, भावनात्मक, भाषाई, संख्यात्मक और सामाजिक सांस्कृतिक विकास के प्रारंभिक आधार होने के कारण इसका प्रभावी होना और उचित क्रियान्वयन के परिवेश का निर्माण करना बेहद जरूरी है। ईसीसीई के अवधारणा से समाज का हर तबका परिचित हो ताकि समाजिक सहयोग से बच्चों के मनोवृत्ति के अनुकूल वातावरण निर्माण का कार्य किया जा सके।
ReplyDeleteकितना अच्छा होता कि निष्ठा में दिखाए अनुसार पूरे भारत में व्यवस्था हो सकता। वरना सरकार द्वारा कहा और जाता है और होता और है। यहां तो पर्याप्त कमरे न शिक्षक न सुविधाएं।
ReplyDeleteसी एम साहू
शास उच्च मा विद्यालय
Dargaon
एक शिक्षक के भरोसे पांच कक्षाओं का संचालन करना ऊपर से बच्चों का अनियमित स्कूल आना, गुणवत्ता कितना आ पायेगा ये सभी को पता है अधिकांश बच्चों के पास साधनों की भी कमी रहती है इससे भी बच्चे पढ़ाई से दूर रहते हैं फिर भी एक अच्छा टीचर ये भरसक प्रयास करता है कि उसके बच्चों की नीव मजबूत हो, वो स्तर अनुसार लर्निंग आउटकम को प्राप्त करें
ReplyDelete1. शासकीय शालाओं के शिक्षकों को शिक्षकीय कार्य के अलावा और भी विभिन्न प्रकार के गैर शिक्षकीय कार्य करने पड़ते हैं। जिसके कारण हम प्रत्येक बच्चे को समय नहीं दे पाते हैं।
ReplyDelete2. शासकीय शाला में शिक्षकों की संख्या बच्चों के अनुपात में बहुत कम होती है।जिसके कारण न चाहते हुए भी हमें बच्चों को भीड़ में बिठाना पड़ता है।
3. ऐसे में ... शिक्षा के स्तर में सुधार ना हो पाने के लिए केवल शिक्षक उत्तरदायी नहीं है। साथ ही पालकों को भी अपने बच्चों के शिक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए।
"खुला आसमान" देखा बहुत ही रोचक लगा । ईसीसी खेल पद्धति से अधिगम पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास है,इस पद्धति में समाहित बिंदुओं का अनुशरण करके आप अपने शिक्षण को आनंददायक,सुगम और सहज बना सकते हैं,अधिगम क्षमता और बाल मनोविज्ञान के अनुरूप ही अर्थात बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली ही हर शिक्षक का प्रयास होना चाहिए।
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो अच्छा लगा।ये हम कुछ हद तक अपनाते है।
ReplyDeleteBuniyadi saksharta ke antargat ecce bahut jaruri hai bachcho ko is umra men jitna dikhaya jana chahie wo sb Sikhaaya Jana chahie
ReplyDeleteईसीसीई से बच़े अच़छी तरह से सीखेगे इसलिए इसे शिक्षको पालको तथा समाज के लोगो को परोतसाहित करना चाहिए
ReplyDeleteसीखने के चरण में बच्चो k liye जरूरी है।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा जरूरी हैं।
ReplyDeleteहर इंसान एवम बच्चों में सीखने की क्षमता असीम होती है । उन्हें खेल खेल में शिक्षा दी जानी चाहिए ,ताकि उन्हें आनंद आए तथा उनका रुचि एवम लगन बढ़े ।इसमें शिक्षकों के साथ पालकों का भी सहयोग आवश्यक है ।शिक्ष्या विभाग को आवश्यक संसाधन मुहैया कराना चाहिए । पर्याप्त शिक्षक पदस्ता कर उन्हें इस हेतु प्रशिक्षित करना चाहिए ।
ReplyDeleteKhule akash bahut achchhi soch hai aisha har jagah mahul hona chahiye
ReplyDeleteखुला आकाश धारावाहिक वीडियोस के माध्यम से हमें पता चलता है कि हर इंसान एवं बच्चे में सीखने की क्षमता असीम होती है वह हर कुछ सीख जा सकता है उसके लिए उसे एक सकारात्मक प्रेरणा एवं पहल की आवश्यकता होती है हमें बच्चों की सकारात्मक सोच को ध्यान में रखकर कार्य करने की आवश्यकता है प्रत्येक बच्चे अपने आप में अद्भुत है जिसमें एक नया करने का भाव होता है वह अपने तरीके से सीखने का प्रयास करता है खेल खेल में बहुत सी चीजों को सीख जाता है इसके लिए सकारात्मक सोच एवं सकारात्मक पहल की आवश्यकता होती है उसके नकारात्मक पहलुओं को दरकिनार कर सकारात्मक सोच को विकसित करने की आवश्यकता होनी चाहिए
ReplyDeleteखुला आकाश वीडियो देखने से पता चलता है कि यदि बच्चों को खेल खेल में शिक्षा दी जाए तो इसे उनका मानसिक शारीरिक या उनका सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। खेल में अक्सर हम देखते है की सभी बच्चे भाग लेते है।अतः स्कूल में खेल को v विशेष महत्व देना चाहिए।
ReplyDeleteECCCE बाल्यकाल में बच्चो के सीखने में मदद करने वाली विभिन्न परिस्थितियों को परिभाषित करता है ।
ReplyDeleteयदि हमारे वर्तमान शिक्षा के बारे मे या शिक्षा व्यवस्था के बारे मे बात किया जाय तो निगेटिव सोच कहा जायेगा । एक शिक्षक सौ बच्चों को पढ़ा रहा है ऊपर से कई काम करवाया जाता है सो अलग।कहा से गुणवत्ता आएगी।खुला आकाश में यथार्थ को बताया गया है।देखने में स्वर्ग लगता है।ऐसा होना चाहिए।
ReplyDeleteबुनियादी साक्षरता के अंतर्गत ईसीसीई बहुत जरूरी है बच्चों को जिस उम्र में जितना सीखना चाहिए वे सीख जायेंगे ।धन्यवाद ।
ReplyDeleteECCE bachcho ke sarvangin vikas ke liye bahut avsyak hai eske madhyam se bachcha na sirf sikhega balki bahut sare manviy guno ka bhi vikas hoga jo ek achche nagrik ke guno ka bhi vikas hoga jaise ek dusre ko chije batna sahyog karna aadi
ReplyDeleteThis video excellently describes the need of our pre-primary learners. It also makes the parents and teachers cautious about how they should not be pressurized about learning what others are learning because everyone has their our capacity and will to learn.
ReplyDeleteKhula aakash video bahut hi achha aur prernadayak hum jaise naye shikshako ke liye. Isse hame pata chalta hai ki bachho mein asimit sambhawnayein hai.
ReplyDeleteJinhe hum khel aur anay gatividhi is madhyam se bahut kuch sikha sakte hain.
खुला आकाश बच्चो की अंतर्निहित गुणों के विकाश के बारे में बहुत अच्छी बात कहता है।साथ ही खेल खेल में सीखना के महत्व पर प्रकाश डालता है
ReplyDeleteसी जी कोर्स द्वारा बच्चों की बुनियादी शिक्षा को अच्छे से पूरा किया जा सकता है
ReplyDeleteKhula aakash ke dwar bachcho ke mnobhaw ke anusar unki shiksha ki pragti ke nye tarike pradan krta hai
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चो में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त व संख्या बोध माप आदि में सहायक है
ReplyDeleteIsmein bahut acche se bataya Gaya hai per mera sujhav hai ki iske liye shikshak purn roop se khud Ko taiyar Karen
ReplyDeleteBacchon ko khel khel ke madhyam se uchit margdarshan dekar unhe swayam kar ke seekhne ka awsar pradan krna chahiye jisse vo khud apni jigyasa ko shant kar sake qki har baccha unique, jiyasu pravitti aur seekhne ki apar sambhavnayein lekr paida hota hai
ReplyDeleteमैने खुला आकाश देखा बहुत अच्छा लगा । आदरणीय वशिष्ठ सर एवं मैडम ने प्रत्येक 15-20 बच्चों के लिए एक टीचर का सुझाव दिए है। जो सही है लेकिन यहां वास्तविकता कुछ और ही होता है । ऊपर से प्राइमरी स्कूल के टीचर से ही दुनियाभर का काम करवाया जाता है। आजकल हर डाटा की ऑनलाइन एंट्री का काम भी हमारे सिर पर ही होता है । ऐसे में शिक्षा में गुणवत्ता की कल्पना कैसे किया जा सकता है ? गुस्ताखी माफ़ हो।
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