कोर्स 01

 

गतिविधि 5 : अपनी समझ साझा करें

 

आपकी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु प्राप्त होते  हैं ? अपनी समझ साझा करें ।

Comments

  1. हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।

    अमरचंद बर्मन
    व्याख्याता
    शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय चकरभाटा मुंगेली

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि प्रत्येक प्राणी में जन्म से या वंशज से प्रतिभा ,गुण और ज्ञान समाहित रहता है।हमे भी बच्चे के रुचि ,क्षमता और जिज्ञासा के अनुसार शिक्षा देने की आवश्यकता है ताकि बच्चे रुचिकर एवम आनंदमयी तरीके से से सीख सके।

      Delete
    2. जानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है। उसी को इंप्रूव किया जाए जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें।
      अनुजय वैश्य, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव विकासखंड_ पेंड्रा
      जिला _गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़

      Delete
    3. The story 'School Of Animals' tells us about that, all the students of same class doesn't have the same qualities and abilities. The quality and ability may differ from student to student. Each and every child have their own quality which they inherit from their family background or some have by by birth. As a teacher it is our responsiblility to recognise the student with such qualities and improve them according to their nature and interest, so that they can grow in that direction and achieve, whatever they wanted to acquire in their life. These motivational steps will definitely be beneficial for their higher studies and careers.

      Rajnigandha Sai
      Govt. Boys hr. Sec. School, Kasnabel, Jashpur (C. G.)

      Delete
  2. Kahani se yahi bindu prapt hota hai ki...class me baithe sabhi bachhe kuch na kuch gun rakhte hain...sabhi ko ek hi tarazu me nahi taula ja sakta hai...har bachhe me kuch na kuch hunar jarur hota hai...hame use pechaan kar use nikharne ka kosis karna chahiye

    ReplyDelete
  3. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए

    पवन कुमार देवांगन
    व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल बिलारी
    जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

    ReplyDelete
    Replies
    1. विद्यार्थियों की रुचि अनुसार ही हमे अपनी शिक्षण अधिगम हेतु पाठ-योजना तैयार करनी चाहिये क्योंकि हमारा लक्ष्य भी विद्यार्थी ही हैं. हमें सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखना है

      Delete
  4. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।

    श्रीमती हेमलता बोगिया
    शास. हाई स्कूल, माकड़ी
    वि. खं./जिला-कोंडागांव

    ReplyDelete
  5. सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग प्रदर्शन और रुचि होता है। हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है और एक समावेशी कक्षा बनाना है।

    ReplyDelete
  6. मुझे यह कहानी अत्यंत ही शिक्षा प्रद लगी और मेरे विचार से बच्चों में जो जो विशेष योग्यता है उसे प्रोत्साहित करते हुए उसका सर्वांगिण विकास भी होते रहना चाहिए।

    ReplyDelete
  7. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
    अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।

    श्रीमती हेमलता बोगिया
    व्याख्याता(गणित) टी संवर्ग
    शास. हाई स्कूल, माकड़ी
    वि. खं./जिला- कोंडागांव

    ReplyDelete
  8. जब बच्चा स्कूल आता है तो अपने साथ अपनी योग्यता और रूचि लेकर स्कुल आता है जो हर बच्चो से अलग होती है | वे अपनी योग्यता एवम रूचि के अनुरूप ही सीखना /अध्यापन कार्य करते है | इसलिए आवश्यक है की अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर बच्चो की योग्यता एवम रूचि अनुरूप की शिक्षण कार्य किया जावे ताकि हर एक बच्चे की सीखने की गतिविधि अत्यंत सरल हो और वे आसानी से सिख सके |

    ReplyDelete
  9. Bachho ko unki ruchi k anusar hi aage badhne k liye prerit krna hai ..taki we aage pahuch sake

    ReplyDelete
    Replies
    1. Sabhi bacchon me ek jaise gun nahi hote.Bacchon ko unki ruchi ke anusar aage badhana hi hamara kartaviya hai.

      Delete
  10. Sabhi students me ek jaisi visheshta nahi hoti sab students apne aap me vishesh hote hai. Hame unki visheshta par dhyan dena chahiye n ki unki kamiyo par. Sabko sab sikhane ke chakkar me students vo bhi bhool jayenge jo unhe achhe se aata hai.

    ReplyDelete
  11. सभी बच्चों की अपनी विशेष योग्यता होती है और हर बच्चा अपने आप में विशिष्ट होता है।अतः हमें अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर रोचक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को सिखाना चाहिये।

    ReplyDelete
  12. स्कूल में और कक्षा में विभिन्न बुद्धि लब्धि वाले बच्चे पढ़ते हैं कहानी जो बिंदु उभर कर सामने आए वह है कि जिस बच्चे में जो गुण है उस गुण को पाठ्यक्रम के अनुसार उपयोग में लाया जाए और उसके गुण से ही बाकी बच्चों में प्रोत्साहन स्वरूप जो गुण विकसित हो उन्हें बच्चों को अपने क्षमता अनुरूप करने के लिए प्रेरित किया जाए।

    ReplyDelete
  13. We have to promote students according to their interests and abilities

    ReplyDelete
  14. बच्चो के क्षमता एवं रूचि को समझ कर उसके अनुरूप उनके ज्ञान को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि हर बच्चे का समझने एवं सीखने का स्तर अलग अलग होता है जैसे बोल कर,लिख कर,चित्रो/वीडियो के माध्यम से समझते है इसलिए
    समावेशी शिक्षा के विकास में समावेशी विद्यालयों का होना आवश्यक है।
    By
    K.K. Gopal(lect.)
    G.H.S.S.Silli

    ReplyDelete
  15. हमें बच्चों की योग्यता और क्षमता की परख करनी चाहिए और उनकी रूचि का भी। बच्चों के ऊपर कुछ भी थोपना, उनके प्राकृतिक गुण का विनाश कर सकता है।

    ReplyDelete
  16. बच्चों की समझ और रुचि के अनुसार ही हमें अपनी teaching strategies बनानी चाहिए।

    ReplyDelete
  17. हमारी कक्षा में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है की जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं सभी बच्चों में एक जैसा सोचने की क्षमता नहीं होती है सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सकेl



    ReplyDelete
  18. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  19. जानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे।
    गेन्दू लाल चंद्राकर
    व्याख्याता
    शास.उ.मा.शाला रुसे
    जिला-कबीरधाम(छ. ग.)

    ReplyDelete
  20. जानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे।

    ReplyDelete
  21. प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग प्रकार के गुण या वरदान होते हैं, हर बच्चा बुद्धिमान होता है, गुण को पहचान कर शिक्षा प्रदान करने की विधि एवं तकनीक का चयन करना होगा। शिक्षक की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, कहीं ऐसा ना हो की हम बालक के जन्मजात गुण को ही नष्ट कर डालें, इस प्रयास में की वह कुछ नया गुण आत्मसात करें।
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  22. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। जानकी वल्लभ तम्बोली व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिकविद्यालय तिलईरवार

    ReplyDelete
  23. हमे हर बच्चे की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी रुचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से कौशल विकास एवम सीखने का अवसर देना चाहिए।
    विकास सिंह पैकरा
    Govt.Higher secondary school pakni, Surajpur

    ReplyDelete
  24. कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए

    ReplyDelete
  25. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाएंगे , अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर ही उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।

    ReplyDelete
  26. अत्यंत शिक्षाप्रद कहानी है सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है कोई ना कोई हुनर हर बच्चे में अवश्य होता है क्षेत्र विशेष में बच्चे की प्रतिभा को पहचान कर उस क्षेत्र में उसे आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।

    ReplyDelete
  27. हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए

    ReplyDelete
  28. प्रत्येक बच्चे का ब्यक्तिगत रूप से उसके प्रतिभा/रुचि का क्षेत्र पता लगाकर उसी क्षेत्र मे उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाय।यदि सभी क्षेत्रों मे उसे एक ही साथ पारंगत करने की कोशिश करें तो शायद और क्षेत्रों के साथ साथ अपने रूचि के क्षेत्र में भी पहले से खराब प्रदर्शन कर जाय।

    ReplyDelete
  29. प्रत्येक कक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में रूचि रखने वाले बच्चे होते हैं। सभी विद्यार्थियों की सोचने, समझने एंव सीखने की क्षमता अलग--अलग होती हैं। सभी को एक ही शिक्षण विधि से पढ़ाने पर समान दक्षता व कौशल विकसित नही की जा सकती। बच्चों को उनकी रुचि , सीखने की गति एवं विषय अनुरूप गतिविधियां आधारित शिक्षण विधियां अपनाते हुए पढ़ाने से जल्दी से सीखते हैं। तथा सीखा हुआ ज्ञान स्थायी होता है। सभी पर ध्यान देते हुए सीखने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए। शिक्षकों को अपना ज्ञान बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। बच्चों को केन्द्र में रखकर पढ़ाने से गुणवत्ता लाई जा सकती है।

    ReplyDelete
  30. कक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए अशोक मिश्रा ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सखोली ,सरगुजा

    ReplyDelete
  31. हर बच्चा अपने आप मे अद्वितीय होता है।सबकी रूचि सभी विषयों या क्षेत्रों में समान हो ये जरूरी नही।अतः हमें उनकी रुचियों व क्षमता के अनुरूप उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए व इसमें आवश्यक मार्गदर्शन व सहायता करना चाहिए।

    ReplyDelete
  32. प्रत्येक बच्चों में सोचने -समझने की क्षमता अलग अलग होती है इसलिए बच्चों को उनकी समझ केअनुरूप सरल शब्दों में उदाहरण सहित / रोचक कहानी द्वारा किसी विषय वस्तु को पढ़ाना अथवा समझाना पत्येक बच्चे के लिये फायदेमंद होगा

    ReplyDelete

  33. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
    सुश्री रजनी साहू व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा

    ReplyDelete
  34. हर बच्चे में अपनी एक अलग प्रतिभा छिपी होती है। विद्यालय में सभी बच्चों को एक साथ अपनी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिलता है । ऐसे में सभी विद्यार्थी एक दूसरे से कुछ न कुछ सीखते है

    ReplyDelete

  35. कक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए
    शालिनी सिंह ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा

    ReplyDelete
  36. Har bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye

    ReplyDelete
  37. बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।

    ReplyDelete
  38. अत्यंत शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
    अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl

    ReplyDelete
  39. बहूत ही अच्छी कहानी है। हमारी शाला में सभी बच्चे किसी ना किसी क्षेत्र में आगे होते है अत: हमें उन बच्चो की रूची के अनुसार उन्हे आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर उनका सर्वांगीण विकास करना चाहिये।
    नेहा बैष्णव
    शा.उच्च.मा.विद्यालय चेटबा
    जिला-जशपुर (छ.ग.)

    ReplyDelete
  40. कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों की रुचि, सोच, क्षमता अलग अलग होती है इसलिए उन पर दबाव डालकर रुचि और क्षमता के विरुद्ध कार्य करवाने से वे पिछड़ जाते हैं साथ ही कक्षा में तुलना करने से हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं.
    अतः हमें आकलन करते हुए विद्यार्थियों को रुचि के अनुसार प्रोत्साहित करना चाहिए.
    ताकि वे अपनी पसंदीदा क्षेत्र में दक्ष हो सकें
    और आगे बढ़ सकें.
    सुचिता मुखर्जी, शा. उ. मा. शाला, वृन्दानगर

    ReplyDelete
  41. संसार के सभी बच्चों को ईश्वर ने बुद्धि प्रदान की है इन बुद्धि का क्रियान्वयन करने के लिए गुण गुरुओं में दिया है अतः शिक्षकों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए की हर एक छात्र छात्राओं को उनके कमजोरियों को पहचानते हुए उन कमजोरियों को या उन कमियों को उनकी सरलता के अनुसार कैसे दूर करें क्योंकि हर एक बच्चा योग्य है

    ReplyDelete
  42. बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
    अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl

    ReplyDelete
  43. इस कहानी से यह सिख मिलती है कि हर बच्चा इस्पेसल होता है।हमारे कक्षा में उपस्थित बच्चों में कुछ ना कुछ अंर्तनिहित दक्षता होती है जिसकी पहचान करके हमे उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए न कि पुराने ढर्रे का इस्तेमाल करते हुए।

    ReplyDelete
  44. Har bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye

    Aprajita singh G.H.S.S TAGA

    ReplyDelete
  45. We learnt from story that Every child has different types of quality .we must use different types of educational method, technics for their better learning.

    ReplyDelete
  46. यह कहानी हमे यह बताती है कि , हमारी कक्षा में विबिन्न योग्यता ,रुचि और क्षमता के बालक होते है , कुछ जल्दी सीखने वाले , कुछ थोड़ा अधिक समय लेने वाले कुछ ऐसे भी जिनकी योग्यता या रुचि के अनुरूप पाठ्यक्रम न हो तो वे कुछ भी नही सिख पाते ।
    ऐसे में पाठ्यक्रम और सीखने सिखाने की व्यवस्था इन सभी विभिन्नताओं और योग्यताओं को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए ।

    ReplyDelete
  47. सभी बच्चों की सिखाने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्रो में प्रदर्शन और रूचि होता है हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है। और एक समावेशी कक्षा बनाना है।

    ReplyDelete
  48. मेरा विद्यालय शहर में है। जहां शासकीय विद्यालय में मेरे विचार से विविधता सबसे अधिक देखने को मिलती है। कक्षा में 15-20 गाँव के बहुत से बच्चे पढ़ने आते हैं । इनमें से कई आर्थिक लिहाज़ से, कई सामाजिक तौर पर, तो कई शारीरिक तौर पर भी विविधता लिए होते हैं।
    सभी बच्चों में समन्वय स्थापित करना मेरा सबसे पहला कार्य होता है। इसके लिए मैं विषय-वस्तु को पढ़ाने के पश्चात्‌ उनमें एक दूसरे से सीखने और विषय-वस्तु में पढ़ाए हुयी चीजों में, जो समझ नहीं आता उसे एक दूसरे से समझने हेतु उत्साहित करते-करते, वे एक दूसरे की इन विविधताओं को सम्मान देने लगते हैं। इस प्रकार किसी विद्यार्थी में अपनी अलग होने की हीन भावना जागृत ना हो ऐसा प्रथम प्रयास रहता है। और इस प्रकार एक अंदरुनी खुशी कक्षा से निकलते वक्त मुझमे होती है।

    ReplyDelete
  49. We should be understood our students qualities then we decide how we intro deuce their strength and work out.

    ReplyDelete
  50. Hmari class m bhut si bhinn bhinn yogytao wale bcche hote hai .ydi HM unhe smjhkr yogytanusar age bdhay.to y students Apne Apne kshetra m bhumulya yogdan de skte h.or hmare desh Ka name Roshan krenge.jai hind

    ReplyDelete
  51. इस कहानी ने एकबार हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद👍👍💐💐

    ReplyDelete
  52. कक्षा में विविधता छात्रों में आर्थिक सामाजिक और मानसिक स्तर पर विचारों का बदलाव बहुत जरूरी है विविधता का तात्पर्य कदापि भी उनके साथ भेदभाव करना नहीं होता बल्कि विविधता का अर्थ तात्पर्य है कि विभिन्न प्रकार के लोगों की सोच भावनाओं और विचारों का एकीकरण किया जा सके
    शिवकुमार केशी (व्याख्याता) हिंदी
    शासकीय हाई स्कूल मेंउ
    विकासखंड पामगढ़ जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़

    ReplyDelete
  53. विद्यार्थियों की रुचि,सीखने की गति,क्षमताओं का भली प्रकार से आकलन करते हुए,शिक्षण कराना ही इस कहानी का उद्देश्य है। टीचर्स को इन बातों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर,अपने अध्यापन कौशल को विकसित करना होगा।

    ReplyDelete
  54. बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।सभी को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए अवसर एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए।
    ऋषि कुमार साहू व्याख्याता
    हाई स्कूल बगरुमनाला जिला-धमतरी

    ReplyDelete
  55. इस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद।

    ReplyDelete
  56. इस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद।
    Sandeep kishor Bhatnagar.
    Govt higher secondary school, Tiriya.
    Block- jagdalpur

    ReplyDelete
  57. Sabhi bacchon ka iq level bhinn hoti hai,shikshak ko chahiye k wo pehle unko jaache aor usi anusar apne shikshan vidhiyon me parivartan karte huye bacchon ko seekhane ka prayas kare

    ReplyDelete
  58. जानवर की पाठशाला नामक कहानी से मुझे यह ज्ञात हुआ कि कक्षा में सभी बच्चे में अलग अलग प्रतिभा और कौशल होते हैं। अतः एक शिक्षक को बच्चों की विशेष प्रतिभा को उभारने में एक सच्चा पथ प्रदर्शक और सलाहकार के रूप में कार्य करना चाहिए जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके।

    नवीन कुमार बघेल (व्याख्याता गणित)
    शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,घोटिया (बस्तर)

    ReplyDelete
  59. द एनिमल स्कूल से हमे यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान क्षमता वाले नहीं होते है, सबकी क्षमताएं भिन्न भिन्न होती है सभी में कुछ न कुछ विशेष गुण और हुनर होता है,हमे उसी हुनर में निखार लाना है बच्चो पर अनावश्यक रूप से दवाब नही बनाना चाहिए हमे बच्चो की रुचि का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।

    ReplyDelete
  60. Kahani ke Saare patra kisi na kisi roop me hamen apni class me dekhne mil jayenge.....ham teachers ke karya hain ki ham apni bachchon ke pratibha aur sikhane ki kchhamta ke hisaab se kaise unhe gyanarjan karayen avam kisi ko bhi sikhane se vanshi na ho aisa prayas sada karte rahen

    ReplyDelete
  61. कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है।
    सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
    बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
    अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl

    ReplyDelete
  62. Each student have their own quality and excellence.we as a teacher have to promote their capabilities by different teaching methods.

    Arpana Minz
    Lecturer Biology
    G.Hr.S.S Bhagwanpur

    ReplyDelete
  63. कहानी सुनने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुचि कि प्रत्येक बच्चे की एक विशेष रुचि और गुण होता है जो उन्हें परिपूर्ण बनाता है और उसके अनुसार हमें अपनी शिक्षा की प्रक्रिया को चुनना चाहिये. और उसके अनुसार हम छात्र का मूल्यांकन करें

    ReplyDelete
  64. हमारे विद्यालय में विभिन्न स्तर के विद्यार्थी पढ़ते है उनके स्तर के अनुरूप व रुचि के अनुसार सभी विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए ।

    ReplyDelete
  65. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  66. हर विद्यार्थी में कुछ विशेष गुण होते हैं,बस हमे उनके गुणों को पहचान कर उनको उचित अवसर प्रदान करना है ताकि उनमें छिपी प्रतिभा बाहर निकल सके और वह पूरे आत्मविश्वास व लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।

    ReplyDelete
  67. Is kahani se hamen yaha Sikh milati hai ki bacchon mein alag alag gun aur kausal hote Hain. Humein bacchon ke hunar ko pahchan kar unhen nikarne ki koshish karni chahiye taki vah Apne hunar ke dwara jivan mein kuchh achcha aage chalkar hasil kar sake, apni chhamata ke anusar hi unhen humein aage badhane dena chahiye aur Sahi Marg dikhana chahie ..
    Nicky Agrawal
    Lecturer
    GHSS Raikheda

    ReplyDelete
  68. यह कहानी बहुत ही मार्मिकता के साथ शिक्षा देती है साथ ही स्वंम को आईना दिखाने का कार्य भी करती है सच है कई बार हम सब कहीं न कहीं ऐसी ही भूल कर बैठते है और सब का एक समान आंकलन करते है जबकि प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग खासियतें होती है और अलग कमजोरी भी होती है हमें इसे पहचानने की आवश्यकता है और उनके अनुरूप उनके गुणों को और निखारने के एवं कमियों को दूर करने की दिशा में कार्य करना होगा तभी हम सब बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर कर पायेंगे

    ReplyDelete
  69. We can improve and develop that to every children's/student's skills through their interest.

    ReplyDelete
  70. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
    अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।We can improve and develop that to every children's/student's skills through their interest.

    ReplyDelete
  71. हम सब जानते हैं कि विविधता सब जगह मौजूद होती है। यह बात हमारे विद्यालय पर भी लागू होती है। हमारे बच्चों में भी विभिन्न प्रकार की विविधताएँ पाई जाती हैं, हमें इनका सम्मान करना चाहिए। बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।

    ReplyDelete
  72. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते ।वे किसी एक विशेष क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।

    ReplyDelete
  73. Class me variuos character ke student hota h ..unke in character ke according hi hme apni teaching technique ko apply krna chahiye jisse student ka wholestic development ho ske ...sbhi student ko unke guno ke according apnana chahiye...unke manobal ko bdana chahiye ...

    ReplyDelete
  74. I understood that the teacher should deal the students of different capabilities with different teaching methods to develop their personalities. A teacher must examine the students' talent and teach them accordingly with their potential.

    ReplyDelete
  75. कक्षा में बच्चे विभिन्न विचार वाले होते हैं उनके अपने अपने विचार होते हैं हमें उनके विचारों को समझ कर जानकर हमें पढ़ाना चाहिए । कक्षा में विविधता वाले बच्चे आते हैं उनके अधिगम को ध्यान में रखते हुए हम अपने अधिगम शैली में परिवर्तन हमे उनके अनुरूप करना चाहिए।

    ReplyDelete
  76. हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।

    ReplyDelete
  77. There are children with different thinking in our class, in which some children are very pioneer in the field. So we should provide opportunities to the children to learn according to their interest. Apart from this, they are very ahead in that field. Therefore, by changing our teaching method, we should think about the work according to the interest of the children, so that the activity of learning becomes easy for them.

    ReplyDelete
  78. कहानी बेहद ही शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायक है। हम बच्चों की रुचि व समझ के आधार पर उन्हें आगे बढ़ने सीखने हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित करें तो उनकी प्रतिभा अवश्य निखरेगी और वे अपनी मंजिल अवश्य पा सकेंगे।

    ReplyDelete
  79. बच्चो मेे पड़ने लिखने की समझ भिन्न भिन्न होती है हमें उसी के अनुरूप अधिगम शिक्षण देनी चाहिए

    ReplyDelete
  80. बच्चो को शिक्षण देने वाले शिक्षक के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है

    ReplyDelete
  81. बच्चो को उनकी अधिगम स्तर के अनुसार सिखाना चाहिए और सभी बच्चों को साथ में लेकर चलना चाहिए।

    ReplyDelete
  82. एक कक्षा में अलग-अलग योग्यता और अलग-अलग समझ के बच्चे होते है। सभी को उनकी व्यक्तिगत रुचि और योग्यता के अनुसार पढ़ाया और सिखाया जाना चाहिए..

    ReplyDelete
  83. इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।

    ReplyDelete
  84. इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।

    दयाशंकर सिंह
    व्याख्याता
    शा0 बा0 उ0 मा0 वि0 लुंड्रा
    जिला सरगुजा

    ReplyDelete
  85. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।

    ReplyDelete
  86. बच्चों की योग्यता आधारित शिक्षा होनी चाहिए।

    ReplyDelete
  87. मुझे यह कहानी अत्यंत ही शिक्षा प्रद लगी

    ReplyDelete
  88. इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए

    ReplyDelete
  89. जानवरो का विद्यालय कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश से छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्र सभी कला में निपुण हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी का दायित्व है कि छात्रों के प्रतिभा को पहचानकर उसके सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास करे ।

    ReplyDelete
  90. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें

    ReplyDelete
  91. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए

    ReplyDelete
  92. यह कहानी प्रेरणादायी और आत्मचिंतन के योग्य है।बच्चों में जन्मजात निहित गुणों को पहचान कर उनकी क्षमता के अनुरूप तराशना है।वह विद्यालय में अपनापन महसूस कर सके।
    अनुपम बारीक व्या. केम्प1 भिलाई

    ReplyDelete
  93. हर बच्चे की सीखने की छमता अलग होती है उसकी एक विशेष कार्य मे करने की रुचि होती है उसके अनुसार ही उसे सीखाना चाहिए सबको एक ही तरीके से नही सीक सकते शिक्षक उसकी रुचि को पहचाने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करे।
    अर्चना जोशी
    प्राचार्य हाई स्कूल मोपका बिलासपुर

    ReplyDelete
  94. हमारी कक्षा में अलग-अलग रुचि क्षमता और प्रतिभा वाले बच्चे होते हैं उनकी इन अलग-अलग गुड़ों के अनुसार क्षमता विकास के लिए अवसर मिलना चाहिए

    ReplyDelete
  95. हमारे कक्षाओं में बच्चे विभिन्नता, और विशेषता, लेकर आते हैं, वे अपने अपना पूर्व अनुभव अपनी भाषा, समझ अपने साथ लाते हैं, प्रत्येक बच्चे में सभी प्रकार की बुद्धिमत्ता ,और जिज्ञासा होती है, परन्तु विभिन्नता और असमानता के कारण वो अपने आप को व्यक्त नहीं कर पाता।
    हमें बच्चों को खुले और मुक्त वातावरण प्रदान करते हुए, समावेशन को अपने कक्षा कक्ष में लागू करना होगा।

    ReplyDelete
  96. कहानी चिंतन योग्य है बच्चों की मौलिक रूचि और समझ के आधार पर उनके लिए सीखने के अवसर उपलब्ध कराकर हम अपने कक्षा शिक्षण को प्रभावी बना सकते हैं ।

    ReplyDelete
  97. जानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है,उसी को इंप्रूव करने का प्रयास किया जाए । बच्चों मेंअनेक प्रतिभाएंहोती है।जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें। प्रदीप कुमार भास्कारवार, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैम्प 1

    ReplyDelete
  98. हर विद्यालय में अलग अलग बुध्दि लब्धि और विभिन्न रुचि के छात्र होते उन छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधि के माध्यम से पढ़ाना चाहिए छात्र में पहले से मौजूद प्रतिभा को उभारने के प्रयास करने चाहिए । Priyanka Singh sengar

    ReplyDelete
  99. सभी बच्चे अपने घर परिवेश से कुछ कुछ चीजों में हुनर सीख कर आते हैं और उनमें रुचि रखते हैं। उनके इन्ही हुनरों को कक्षा में छोटे छोटे समूह शिक्षण से एक दूसरे से ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

    ReplyDelete
  100. Hame her bacche ki yogyta aur kaushal ke anururup shiksha dena chahiye savtantra rup se.

    ReplyDelete
  101. कक्षा में विविध बुद्धि स्तर एवम विविध रुचियों के बच्चे होते है।हमे सभी बच्चों की रुचियों को ध्यान के रखकर शिक्षण कार्य करना चाहिए जिससे ये बच्चे अपने रुचिपूर्ण विषयवस्तु मे ज्यादा ध्यान केंद्रित करके सफलता प्राप्त करे।

    ReplyDelete
  102. कहानी बहुत शिक्षाप्रद लगी।इस कहानी से ज्ञात होता है कि सभी बच्चों की सीखने की क्षमताएं अलग अलग होती है उनकी रुचि क्षमता और दक्षता के आधार पर ही शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।ताकि वे उत्साहपूर्वक ध्यान केन्दित कर सफल हो सकेंऔर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें।
    डॉ मीना सिंह
    प्राचार्य,शा उ मा शाला लिमतरी
    बिलासपुर,छग

    ReplyDelete
  103. इस कहानी से हमें यह ये मार्गदर्शन मिला की हमारे स्कूल में आने वाले विद्यार्थी अलग अलग सोच अलग अलग हुनर वाले अलग अलग माहौल के होते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी का अपना काबिलियत होता है सभी का रूचि पढ़ाई में ही हो ऐसा नहीं है सबका अपना अपना उद्देश्य होता है। कोई अच्छा गाना गा सकता है तो कोई अच्छा डांस कर सकता है। किसी का रूचि पेंटिंग में है तो किसी का खेल में। कहने का मतलब ये है की विद्यार्थियों को उनके काबिलियत के आधार पर आगे बढ़ाना बेहतर होगा। जिस छेत्र में रूचि है उसे उसी मार्ग में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
    भूपेंद्र कुमार घृतलहरे
    ब्याख्याता
    शा. उच्च. माध्य. वि. मल्दा

    ReplyDelete
  104. बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।

    ReplyDelete
  105. Every Student is individual and having certain capacity and ability so we must accept their individuality and teach them accordingly. The story represents traditional Indian educational view in modern concept.

    Dharmendra Prasad Saraswat
    Lecturer
    Govt. Higher Secondary School Chilhati
    District - Rajnandgaon (C.G.)

    ReplyDelete
  106. बच्चों को उनकी रुचि अनुसार करने का मौका देना चाहिए। जिससे वे अपने कार्य मे सफलता हासिल करेंगे वा खुश भी रहेंगे।

    ReplyDelete
  107. जिस छात्र की जैसी रूची उसी को सीखने का अवसर मिलना चाहिए। जो नये शिक्षा नीति में संभव है।

    ReplyDelete
  108. कक्षा में सभी विद्यार्थियों के गुण तथा क्षमता अलग अलग होती है तथा प्रत्येक विद्यार्थी प्रत्येक क्षमता में निपुर्ण हो ऐसा मुश्किल है परंतु प्रत्येक विद्यार्थी को हर एक गुण से परिचित अवश्य होना चाहिए ताकि वह अपने क्षमता को पहचान सके।

    ReplyDelete
  109. This story shows how as a teacher we discriminate our students. It is very essential to give prefrence to child interest because every child has specific character.

    ReplyDelete
  110. हमारे स्कूल में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं। जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है कि जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं। सभी बच्चों में एक जैसा गुण नहीं होता। सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि अनुसार बढ़ावा देना चाहिए। ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सके।

    ReplyDelete
  111. इस कहानी के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हर एक विद्यार्थी में कुछ ना कुछ खूबी जरूर होती है और उनकी इसी खूबी को ध्यान में रखते हुये हमें उन्हें शिक्षा की ओर अग्रसर करना है ताकि उनकी रूचि पढ़ाई में बनी रहे।
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  112. कहानी के अनुसार बच्चों में सीखने की प्रवृति अलग अलग होती है,अतः शिक्षक एवं पालक आपस में मिलकर मनोवैज्ञानिक तरीके से कार्य करेंगे तभी बच्चों का समग्र विकास होगा.

    ReplyDelete
  113. मॉड्यूल १प्रत्येक बच्चे में कुछ ना कुछ प्रतिभा पाई जाती है। हम शिक्षकों को बच्चों की प्रतिभा को ध्यान में रखकर उनकी इस विशेष प्रतिभा को निखारके उसे क्षेत्र विशेष में उल्लेखनीय सफलता हासिल कराने में योगदान देने का प्रयास करना चाहिए।(देवेंद्र सिंह राजपूत) व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घुटकू

    ReplyDelete
  114. प्रत्येक छात्र की अपनी अलग अधिगम क्षमता व रूचि होती है जो उसे किसी विशेष क्षेत्र में अधिक क्षमतावान बनाता है। प्रत्येक छात्र की रुचि व उस विशेष गुणको जानना और उसके अनुरूप शिक्षा प्रदान करना जरूरी है ताकि हम प्रत्येक छात्र को उसके गुणों के अनुसार और अधिक प्रोत्साहित कर सकें।

    ReplyDelete
  115. प्रत्येक छात्र मौलिक होता है और उसमें कुछ क्षमता और योग्यताएँ होती है इसलिए हमें उनके व्यक्तित्व को स्वीकार करना चाहिए और उसी के अनुसार उन्हें पढ़ाना चाहिए। कहानी आधुनिक अवधारणा में पारंपरिक भारतीय शैक्षिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है।

    धर्मेंद्र प्रसाद सारस्वत
    व्याख्याता
    शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चिल्हाटी
    जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)

    ReplyDelete
  116. सभी बच्चों में अलग - अलग गुण,क्षमता, रुचि होती है उन्हें उन्ही के अनुसार आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहिए ।

    ReplyDelete
  117. Anil kumar sharma
    सभी बच्चो में एक जैसी गुण नही होते ।बच्चीं को उनकी रुचि ऐण्ड capability के अनुसार आगे बढ़ाना ही हमारा कर्तव्य हे।

    ReplyDelete
  118. सभी छात्र एक समान नहीं होते हैं पर सभी छात्रों में अपनी अलग अलग प्रतिभा छिपी हुई होती हैं ... हमे जरूरत हैं उनकी प्रतिभा को बाहर निकलने की और उनकी जरूरत की हिसाब से उन्हें पढ़ाई करवाने की ।।

    ReplyDelete
  119. जानवरों के स्कूल कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि क्लास में अलग अलग क्षेत्रों में रुचि रखने वाले बच्चे होते हैं साथ ही उनकी समझने की क्षमता भी एक समान नही होती ।उन्हें उनकी क्षमता को पहचान कर सिखाने का प्रयास किया जाना उचित होगा।
    शंकर लाल पुरी
    व्याख्याता
    शास.हाई स्कूल-कुडकई
    जिला-जी. पी.एम.

    ReplyDelete
  120. Hamari class mein mein vibhinn Prakar ke bacche hote hain jinki samajh alag alag Hoti Hai Hamen main Unki Samajh Ke anusar vibhinn Prakar ki gatividhiyan Karke unhen Samjhana chahie jisse Sabhi bacchon Ke Sath Milkar Shiksha prapt kar sake

    ReplyDelete
  121. इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा होती हैं उसे पहचान कर उस बच्चे को अपने उस प्रतिभा को निखारने की सीख देनी चाहिए जो बच्चों को पसंद ना हो उसे थोपना नही चाहिए

    ReplyDelete
  122. रूचि ये अनुसार सिखने कि स्वतंत्रता होनी चाहिए। व अवसर भी।

    HSS
    KONARI
    PALARI
    BALODA BAZAR

    ReplyDelete
  123. रूचि के अनुसार सिखने कि स्वतंत्रता होनी चाहिए। व अवसर भी

    ReplyDelete
  124. From story we concluded that each and every student has it's own quality and some weak points. As a teacher it's our duty to improve it's quality and work on student according to it's requirement and change our way of teaching to make student weakness it's power.

    ReplyDelete
  125. सभी विद्यार्थी विशेष होते हैं। उनकी व्याक्तिगत भिन्नता और अभिरुचि के अनुसार अध्यापन और आकलन की आवश्यकता है। तभी शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  126. हमारे कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले विद्यार्थी होते है सब विद्यार्थियों की अलग अलग रुचि होती है , सब में अलग प्रतिभा होती है ,, हमें उनकी रुचि के अनुसार सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए , उनकी प्रतिभा को निखारना चाहिए,, हम हर समय सभी छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते है,, लेकिन हम अपने अध्यापन में विविधता ला सकते है और छात्रों को उनके द्वारा की जाने वाली सीखने की कुछ गतिविधियों के विषय में किसी विकल्प की पेशकश कर सकते है। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने में प्रोत्साहित कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  127. जब बच्चा स्कूल आता है तब वह अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान रखता है और कुछ विशेष प्रतिभा उनमे जागृत होती है हम उनके उस दक्षता को पहचान कर उनको उनके अनुरूप अवसर प्रदान करें जिससे वह प्रोत्साहित हो और अपने क्षमता अनुरूप विशेष योग्यता हासिल कर सके

    ReplyDelete
  128. बच्चे अलग अलग परिवेश से आते है ।कहानी के अनुसार सभी बच्चो को एक ही तरीके से न तो सीखाया जा सकता है और न ही सब बच्चो की रूचि एक जैसी होती है

    ReplyDelete
  129. Sabhi bachho me pratibhaye saman nhi hoti. Aur na hi sbhi ko ek hi trh se sikhaya ja skta h. unki yogyta ke aadhar pr sikhane ka prayas krna chahiye

    ReplyDelete
  130. जानवरों की पाठशाला की तरह हमारा विद्यालय होता है, विद्यार्थी में कई तरह की विभिन्नता एवं विविधता पाई जाती है प्रत्येक विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में निपुण नहीं हो सकता अलग-अलग विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्र में निपुण हो सकता है किसी भी छात्र को हमें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।
    हमारे विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिससे विद्यालय हमारा व्यवहार एवं कुशल करने के लिए विद्यार्थी को अवसर देनी चाहिए जब तक हम किसी विद्यार्थी को अवसर नहीं देंगे वह विद्यार्थी नहीं सीख सकता जिस तरह बदक एवं गिलहरी अपने क्षेत्र में निपुण थी लेकिन कोई आवश्यक नहीं है कि हमेशा विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करें और आज की हमारी शिक्षा पद्धति को बदलने की भी आवश्यकता है, जो मापदंड तय किया जा रहा है यह बच्चों को हतोउत्साहित एवं उत्साहित दोनों कर सकता है ,क्योंकि जो बच्चा कम अंक प्राप्त करता है उसके मन में बहुत हीन भावना जागृत हो जाती है ,इससे बचने के लिए हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उनका खुद का हक है वह उनको मिलनी चाहिए और हम सभी शिक्षकों को अपने व्यवहार एवं कार्यों रूचिकर गतिविधि से अच्छी शिक्षा देने से आगे बढ़ सकता है।
    विद्यालय प्रत्येक के लिए खुला होना चाहिए क्योंकि इसमें कई तरह के विद्यार्थी हमारे विद्यालय में आते हैं और वह ना जाने कौनसी क्षेत्र में आगे बढ़ जाए यह कौन सा क्षेत्र में आगे बढ़ेगा कोई नहीं जानता।

    ReplyDelete
  131. बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि सभी बच्चों की क्षमता एक समान नहीं होते हैं। जबरन किसी काम को लादना उचित नहीं है।

    ताराचंद कौशिक
    (स.शि.)
    शास.उ.मा.वि.चोगरीबहार
    जिला जशपुर

    ReplyDelete
  132. Hame sabhi students ki individual quality ko dhyan me rakhte hue hi unhe motivate karna chahiye aur unhi quality ke basis par unka evaluation karna chahiye, nahi to unki qualities depreciate ho jati hai.

    Mrs. Rashmi Choubey
    Govt. H. S. S. Kotagaon, dist- Balod, C.G.

    ReplyDelete
  133. Individual differences shiuld be taken into consideration while following the syllabus and conducting different activities

    ReplyDelete
  134. Sabhi student me kuch special quality hoti hai use e pahchana he aur usko usi method se padhya jaye to vah jarur success hoga

    ReplyDelete
  135. बच्चे अपने क्षमता अनुसार सीखते हैं उनके क्षमता अनुसार ही प्रेरित करना चाहिए ताकि उनको बोझिल ना लगे
    /

    ReplyDelete
  136. Sabhi student me ek special quantity hoti hai usi ke anusar usee padha na hai tab usee success nishchit milagi

    Smt seema Rajoriya
    Govt.H.s.s.kotagaon
    Dis-Balod

    ReplyDelete
  137. व्यक्तिगत भिन्नता मानव का व्यवहारिक गुण हैं, सभी में अद्वितीय शक्ति होती है, शिक्षक को अपने बच्चों के व्यवहार/गुणों की जानकारी के मुताबिक पाठचर्या/ पठन-पाठन का निर्धारण सरल और बोझिल रहित बना कर बनाई जा सकती है, यह सभी विषय पर किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  138. *बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।

    जितेन्द्र कुमार ठाकुर
    शा.उ.मा. वि. Kotagaon
    Bk:-Dondi, Dist:-बालोद*

    ReplyDelete
  139. प्रत्येक बच्चे की अपनी विशिष्ट रूचि और योग्यता होती है एक शिक्षक होने के नाते हमें विद्यार्थी की रूचि को पहचान कर उन्हें उसी के अनुरुप पढ़ाना चाहिए।

    ReplyDelete
  140. छात्रों को उनकी कौशल के अनुसार ही अवसर देना चाहिये ।यदि उन्हें विपरीत क्षेत्र में आगे बढ़ाए,जिससे उनका मन बिल्कुल भी नही लगता ,तो वह उस क्षेत्र में बिलकुल भी आगे नही बढ़ पायेगा।अतः हमें छात्रों की योग्यता का अवलोकन कर उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।

    ReplyDelete
  141. प्रत्येक बच्चें में प्रतिभा होती है केवल उसे पहचानने की जरूरत होती है।

    ReplyDelete
  142. प्रत्येक बच्चे व्यक्तिगत रूप से भिन्न होते है। व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखते हुए सभी बच्चों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर देना चाहिए। क्योंकि यह सत्य ईश्वर ने सभी को समान नहीं बनाया है, यह भी हकी़कत है कि किसी को भी किसी से कम नहीं बनाया है। अर्थात हर बच्चा प्रतिभाशाली होता है, यह बात अलग है कि सबकी प्रतिभा का क्षेत्र अलग- अलग होता है।

    ReplyDelete
  143. सभी बच्चों की क्षमता अलग-अलग होते हैं किसी एक एक्टिविटी के आधार पर उसकी पूरी क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता सब के गुण अलग-अलग हैं हम 1 गुण को ले करके अगर चलेंगे और उसमें सोचेंगे कि जो स्कूल में पारंगत है और उसी के आधार पर उसका आकलन करेंगे तो उस बच्चे की जो दूसरे को है वह इसमें कहीं ना कहीं दब से जाते हैं और उन गुणों का पूरा विकास नहीं हो पाता है

    ReplyDelete
  144. Every child is different
    Their abilities And interests are different
    We should not pressurised children
    And give them equal opportunity to show their talent

    ReplyDelete
  145. शाला में विभिन्न क्षेत्रों से बच्चे आते हैं और उन्हें उनके क्षेत्र के अनुसार उनमें रुचि व ज्ञान होता है अतः हमें उनके रुचि व ज्ञान को ध्यान मे रखते हुए उन्हें अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चे अपने स्तर से सीख सकें।

    ReplyDelete
  146. हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
    -Santoshi panigrahi
    Lecturer govt. HSS ghatlohnga
    Bastar...

    ReplyDelete
  147. सभी कक्षा मेंअलग-अलग रूचि एवं स्तर
    के विद्यार्थी रहते हैं।उनकी अभिरुचि एवं
    क्षमता के अनुरूप उन्हें शिक्षण मिले तो
    वे बेहतर अभिव्यक्ति दे सकते हैं।बतख
    को दौड़ना तथा खरगोश को तैरना सिखाना तो समय और ऊर्जा का अपव्यय ही होगा।
    गौरीशंकर यादव
    प्राचार्य
    शास.हाईस्कूल बुटाकसा
    वि.खं. चौकी, जिला-राजनांदगांव.

    ReplyDelete
  148. बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए ।

    ReplyDelete
  149. हर बच्चे की रुचि और योग्यता अलग अलग होती है एक शिक्षक को उनकी योग्यता के अनुरूप उसे आगे प्रोत्साहित करना चाहिए।

    ReplyDelete
  150. इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि, सभी बच्चों में सहजात गुण होते हैं,उसको परखना चाहिए,ऐसी शिक्षा होनी चाहिए कि बच्चे की मौलिक प्रतिभा कमजोर न हो।

    ReplyDelete
  151. कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं --
    1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना।
    2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना।
    3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना।
    4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना।
    5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना।

    ReplyDelete
  152. कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं --
    1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना।
    2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना।
    3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना।
    4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना।
    5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना।
    कविता बिजोलिया व्याख्याता
    शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उ मा विद्यालय जगदलपुर बस्तर छ ग

    ReplyDelete
  153. कहानी को सुनने के बाद मुझे बहुत अच्छा लगा कक्षा में जो गतिविधियां होनी चाहिए और बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर काम देना चाहिए

    ReplyDelete
  154. हमारे विद्यालय में विभिन्न स्तर के छात्र-छात्रायें पढ़ते हैं कोई कोई बच्चे किसी भी कंटेंट को पढ़ने समझने में बहुत अच्छे हैं वहीं कुछ कुछ विद्यार्थियों को बहुत परेशानी होती है। मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों को मेरे द्वारा पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम आसानी से समझ आये, इसमें मैं कुछ हद तक सफल भी रहा हूँ।

    ReplyDelete
  155. Hame class ke sabhi students ko ek jaise mulyankit nahi karna chahiye. Unke talent aur interest ko dhyan me rakhte hue assignment dena chahiye

    ReplyDelete
  156. Is kahani se yah shiksha milti hai ki alag alag baccho ki visheshta alag hoti hai hame sabhi baccho ko ek sath lekar chalna hoga lekin jin vishyon me unki pakad acchi hai use badhava dena chahiye

    ReplyDelete
  157. Every student is unique.the quality and ability may differ from student to student .As a teacher its our responsibility to recognize the student with such qualities and improve them according to their nature and interest

    ReplyDelete
  158. इस कहानी की तरह हमारे स्कूल में भी विभिन्न रूचि और क्षमता रखने वाले बच्चे आते हैं, इसलिए हमें उनकी रूचि और क्षमता के आधार पर ही शिक्षा देना चाहिए, ताकि हर बच्चा अपनी रूचि और क्षमता के आधार पर सीख सके.और आगे बढ़ सके

    ReplyDelete
  159. इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों में बचपन से ही कुछ ना कुछ विशेषताएं होती हैं साला आने पर हम उसे पाठ्यक्रम का नाम देकर उसकी विशेषताओं को को कम कर देते हैं अतः सभी बच्चों को उनकी विशेषता के अनुरूप सिखाया जाना चाहिए जैसे जो बच्चे खेल में रुचि लेते हैं उन्हें खेलने आगे बढ़ाना चाहिए तथा जो बच्चे ड्राइंग पेंटिंग में रुचि रखते हैं उन्हें उसी में आगे बढ़ाना चाहिए एवं जो बच्चे डांस या गाने में रुचि रखते हैं उसे हमने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार से उनकी व्यवसायिक क्षमता का भी विकास होता है।

    ReplyDelete
  160. we have to consider each and every student and taught according to their own plus and minus

    ReplyDelete
  161. Each & every student has different abilities. Also there capacities differ from child to child ,so the teaching methods must vary for them to form an equal & responsible Society.

    ReplyDelete
  162. हर विद्यार्थी को स्वयं की खूबी को पहचानने का अवसर देकर उनको समरूप करने की बजाय उनकी गुणवत्ता के आधार पर आकलन किया जाए।

    ReplyDelete
  163. इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश एवं वैयक्तिक विभिन्नताओं से युक्त छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्रों की योग्यता कक्षा में एक जैसी हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ विशिष्ट प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी शिक्षकों का यह दायित्व है कि छात्रों के उस प्रतिभा को पहचानकर उसमें निखार लायें तथा उनके सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास करे ।

    ReplyDelete
  164. A great fable is not only evergreen but teaches a great lesson. It reveals us about the importance of focussing on our strengths. It clearly depicts the image of our classroom in which we worry about weaknesses and forget to leverage the core skills of our students. Every dark clouds have a silver lining similarly every children comprises with his capabilities, so a teacher should identify the skills and enable students to excel in it and improve on his areas of opportunities. If you build on your strengths enough, your weakness become irrelevant. So, let the ducks swim, rabbits run and eagles fly. Teaching is an art, so we should be creative while delivering our lessons. We should also follow the scientific processes which are systematic. Teachers should know each student present in his classroom and adjust the teaching methodologies accordingly with respect to Personal characteristics like age, gender, Academic background of students like prior knowledge, Group structure of Class as size matters a lot and Cognitive structure which deals with mental abilities, intellectual capacity, memory retention, attention span etc. We should plan and develop our lessons accordingly as per our students. Here we should also work on our own abilities like in communication, education, management of classroom, personality, leadership qualities, sense of humour etc. to touch the heart of students with positive attitude as it is our responsibility to reach the learning outcomes and make them a good citizen.
    Regards,
    Syed Shadab Ahmed
    Lecturer, Govt.H.S.S. Korchatola

    ReplyDelete
  165. सभी बच्चों के अंदर कुछ ना कुछ विशेष प्रतिभा होती है हमें बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए उनकी रूचि के अनुसार ही अपने शिक्षण अधिगम को सरल बनाना चाहिए और उसके अनुसार ही बच्चों को पढ़ाना चाहिए ताकि बच्चे उस क्षेत्र में आगे बढ़ सके

    ReplyDelete
  166. इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है सभी बच्चों को जो अपना कार्य करने में पूरी तरह सक्षम नहीं है वह प्रोत्साहित करके धीरे-धीरे उनके कौशल को बढ़ाना चाहिए उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए

    ReplyDelete
    Replies
    1. सभी बच्चे किसी ना किसी कौशल से भरे होते है प्रतिभा होता है हमे जरूरत है उन प्रतिभाओ को सही दिशा देना ।

      Delete
  167. सभी बच्चों की अपनी कुछ खामी कुछ खासियतें होती है तो विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को विशेष ध्यान देते हुए साथ ही साथ बाकी बच्चों की सहायता से उसको सहज बनाने के लिए प्रेरित करतें है

    रूपलाल पटेल
    व्याख्याता
    शा हा स्कूल कलंगपुरी दुर्गकोंडाल कांकेर

    ReplyDelete
  168. एक कक्षा के सभी बच्चे समान क्षमता वाले नहीं होते ,साथ ही प्रत्येक बच्चे में कुछ अलग विशेषता होती है अतः हम सभी बच्चों के लिए समान शिक्षण पद्धति का उपयोग नहीं कर सकते। हमें प्रत्येक बच्चे की रूचि क्षमता तथा योग्यता के अनुरूप आगे बढ़ने के शुभ अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें। हमारी शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री तथा कक्षा की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे भिन्न-भिन्न गुणों वाले बच्चों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकें।

    ReplyDelete
  169. यह कहानी हमें बताता है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
    अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
    एस.पिपरिया

    ReplyDelete
  170. बच्चों में निहित स्वाभाविक विविधता के अनुसार ही उन्हें अधिगम के लिए प्रेरित करना

    ReplyDelete
  171. विद्यार्थियों में विविधता स्वाभाविक है।शिक्षक को इन विविधताओं व विद्यार्थियों की विशिष्टताओं से न केवल अवगत रहना चाहिए ,बल्कि इनके आधार पर ही अधिगम को प्रभावी बनाया जाना चाहिए ।
    धर्मेश कुमार शर्मा, व्याख्याता
    शा.उ.मा.वि. केंद्री ,अभनपुर जि. रायपुर

    ReplyDelete
  172. 🙏 ये कहानी बहुत ही रोचक लगा, जो बच्चो की अनेक विविधताओं को बताया है,इन्हीं विविधताओं में ही अपनी अलग अलग प्रतिभा। छुपी होती हैं,उन सब बच्चों को उनके ही प्रतिभा , जिज्ञासा से ही उनका विकास के लिए उनके प्रतिभा ओ ही आगे बढ़ जाए

    ReplyDelete
  173. बच्चों के साथ ऑनलाइन के माध्यम से जुड़े रहे जिसमें नेटवर्क की समस्या अधिक आने लगा जिसके कारण सभी बच्चों से सम्पर्क ऑनलाइन के माध्यम से सम्भव नहीं है

    ReplyDelete
  174. This story tells us that in a class we have different students with different ability,interests and curiosity. As a teacher it is our responsibility to give them the environment according to their nature.so that their personality will improve positively and in future they will be able to become not only a successful person but also a good human being also..
    Gunjan shah
    Lec.
    G.H.School Gondaiya
    Bilaspur

    ReplyDelete
  175. Sabhi bachcho me ek vishisht pratibha hoti hai.Usk.parakhna shikshak ka kam hota hai.atah students ke interest ka bhi dhyan rakhna hoga

    ReplyDelete
  176. इस कहानी को पढ़कर हमे ये समझ आता हैं कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
    अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जितेंद्र राठौर
      Lect.
      Govt.h.s.deragarh

      Delete
  177. 1) students hobby
    2) students activity
    3) interesting topic in other activities

    ReplyDelete
  178. इस ऐनिमल स्टोरी के उदाहरण से ये स्पष्ट है कि सबमे अपनी अलग प्रतिभा होती है अभी तक स्कूल के पाठ्यक्रम ऐसे हैं कि टीचर्स को वही पढ़ाना होता है स्कूल का लिमिट टाइम और सम्बंधित बहुत सारे कार्य, मुझे लगता है शिक्षक को यदि केवल पढ़ाने के अलावा और कोई काम न हो तो वे बच्चों को काफी टाइम दे सकेंगे और उनकी रुचि भी समझ के उनके अनुसार उन्हें अध्यापन करा सकेंगे ।
    नई शिक्षा नीति इस रुचिकर अध्ययन पर आधारित है इससे जरूर बच्चे अपने कौशल को प्रदर्शित कर पाएंगे ।

    ReplyDelete
  179. इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
    अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और प्रयासरत करना चाहिए।
    नैना बनर्जी
    व्याख्याता
    शासकीय हाई स्कूल चोरभट्टी
    करतला, कोरबा।


    ReplyDelete
  180. कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
    अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।

    ReplyDelete
  181. सभी बच्चो में अलग अलग हुनर होता है।और उनकी रुचि भी अलग अलग होता है।तो हमे उनकी रुचि के अनुसार उनको सीखने के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।सभी बच्चों के कौशल एवम समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए।

    ReplyDelete
  182. बच्चों के परिवेश के अनुरूप उनके हुनर को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी हुनर को बखूबी से कर पाएंगे|
    राम भजन पटेल
    व्यख्याता
    शा. हाई स्कूल बघर्रा
    विकासखंड-पंडरिया, जिला-कबीरधाम

    ReplyDelete
  183. कक्षा मे भिन्न भिन्न परिवेश, रुचि, योग्यता के अनुसार बच्चों पर धयान देकर पढाने की विधि को बदले,बच्चों के गुणों को पहचान कर सीखने के लिए प्रेरित करें।एक रुचिकर समावेशी कक्षा बनाना।

    ReplyDelete
  184. हर व्यक्ति की अलग-अलग खासियत होती है कोई किसी क्षेत्र में आगे होता है तो कोई पीछे होता है सभी में एक जैसी गुणवत्ता नही होती, इसलिए किसी भी बच्चे पर हमें दबाव नहीं डालना चाहिए इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है!

    ReplyDelete
  185. This story tells us that all the students of the class doesn't have same qualities.. it May differ from students to students. Variation can occur in every student, because feelings and emotions differ from person to person.. some may have writing skills, and some have physical skills. All the students have different abilities..

    ReplyDelete
  186. हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि पहले बच्चों की प्रतिभा को पहचाना हमारा कर्तव्य है और पहचान करके बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार उस क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए जिस क्षेत्र में वे विशेष विशेष रूचि रखते हैं जैसे कि कुछ बच्चे खेलकूद में अच्छे आते हैं कुछ पेंटिंग ड्राइंग कुछ बच्चे बातचीत मेंअच्छे होते हैं कुछ बच्चे रिसर्च करने में बहुत अच्छे होते हैं और कुछ बच्चे ऑल राउंडर होते हैं तो हमें उनकी योग्यता के अनुसार उनकी क्षमता के अनुसार पहचान कर उनसे कक्षा में पढ़ाना चाहिए

    ReplyDelete
  187. Bachhon me hi nahi sabhi me vyaktik bhinnata hoti hai. Jo unhe vishesh banati hai . Isi Tarah bachhon ko unke ruching v kshama anusar sikhne k liye prerit kiya jana chahiye

    ReplyDelete
  188. कक्षा में विभिन्न बच्चे विभिन्न प्रकार के सामाजिक आर्थिक परिवेश से आते हैं । उनके जीवन यापन पर निर्भर होती है और उनके बोली -भाषा एवं सामाजिक स्तर भी होती है, जिसके कारण उनके सीखने के क्षमता में भी निर्भर होती है। एक शिक्षक को समझने की जरूरत है कि जो हमारे विषय वस्तु है। उसे हम किस प्रकार उनके समाज के अनुरूप हम काम कर सके इस बंता के बावजूद भी सभी बच्चों में समानता के भाव लाना एक शिक्षक का दायित्व है जिसे हमें करना अनिवार्य होता है। सभी में समानता लाने से एक दूसरे से सीखने सिखाने की जो प्रक्रिया होती है उसमें सरलता आती है और बच्चों में ऊंच-नीच के भेदभाव से समाप्त होता है। यह प्रकृति ही , विविधता से भरी हुई है लेकिन हुए एक-दूसरे पर आत्मनिर्भर वह पूरक होते हैं। जिससे उनके जीवन यापन सुचारू रूप से चलती है। हर कोई हर क्षेत्र में अव्वल हो या कोई जरूरी नहीं लेकिन हर बच्चा मैं कुछ ना कुछ विशेषता होती है जिसमें वह आगे होता है इसे शिक्षक को पहचानने की जरूरत होती है।

    रामसेवक पैकरा व्याख्याता एलबी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय- बसकेपी, विकासखंड- कुसमी, जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़.

    ReplyDelete
  189. कहानी ये बताती है कि हर बच्चे में कुछ खासियत और कुछ कमी होती है। और हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर बच्चे के खासियत/ गुण का आधार पर अपनी शिक्षा का पैटर्न रखना चाहिए और सभी पर सामान और सम्पूर्ण ध्यान देना चाहिए। साथ ही सभी बच्चों के लिए एक अलग सिस्टम तैयार करना चाहिए क्योंकि कुछ बच्चे पढ़ने में तो कुछ खेलने में तो कुछ अन्य गतिविधियों में अच्छे होते है। बहुत ही अच्छी और जागरूक करने वाली कहानी है।

    ReplyDelete
  190. हमारे विद्यालय में विभिन्न पृष्ठभूमि के विद्यार्थी होते है,जो अपनी विशेष गुणों से एक दूसरे से भिन्न होते है। जिन्हें हमें उनके गुणों को एक संशाधन के रूप में पठन पाठन में उपयोग करना चाहिए।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोर्स 03 (FLN) गतिविधि 5 : अपने विचार साझा करें

कोर्स - 02, गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें

कोर्स 08 (FLN) गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें