हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।
अमरचंद बर्मन व्याख्याता शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय चकरभाटा मुंगेली
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि प्रत्येक प्राणी में जन्म से या वंशज से प्रतिभा ,गुण और ज्ञान समाहित रहता है।हमे भी बच्चे के रुचि ,क्षमता और जिज्ञासा के अनुसार शिक्षा देने की आवश्यकता है ताकि बच्चे रुचिकर एवम आनंदमयी तरीके से से सीख सके।
जानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है। उसी को इंप्रूव किया जाए जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें। अनुजय वैश्य, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव विकासखंड_ पेंड्रा जिला _गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़
The story 'School Of Animals' tells us about that, all the students of same class doesn't have the same qualities and abilities. The quality and ability may differ from student to student. Each and every child have their own quality which they inherit from their family background or some have by by birth. As a teacher it is our responsiblility to recognise the student with such qualities and improve them according to their nature and interest, so that they can grow in that direction and achieve, whatever they wanted to acquire in their life. These motivational steps will definitely be beneficial for their higher studies and careers.
Rajnigandha Sai Govt. Boys hr. Sec. School, Kasnabel, Jashpur (C. G.)
Kahani se yahi bindu prapt hota hai ki...class me baithe sabhi bachhe kuch na kuch gun rakhte hain...sabhi ko ek hi tarazu me nahi taula ja sakta hai...har bachhe me kuch na kuch hunar jarur hota hai...hame use pechaan kar use nikharne ka kosis karna chahiye
बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए
पवन कुमार देवांगन व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल बिलारी जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
विद्यार्थियों की रुचि अनुसार ही हमे अपनी शिक्षण अधिगम हेतु पाठ-योजना तैयार करनी चाहिये क्योंकि हमारा लक्ष्य भी विद्यार्थी ही हैं. हमें सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखना है
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
श्रीमती हेमलता बोगिया शास. हाई स्कूल, माकड़ी वि. खं./जिला-कोंडागांव
सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग प्रदर्शन और रुचि होता है। हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है और एक समावेशी कक्षा बनाना है।
मुझे यह कहानी अत्यंत ही शिक्षा प्रद लगी और मेरे विचार से बच्चों में जो जो विशेष योग्यता है उसे प्रोत्साहित करते हुए उसका सर्वांगिण विकास भी होते रहना चाहिए।
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है। अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।
श्रीमती हेमलता बोगिया व्याख्याता(गणित) टी संवर्ग शास. हाई स्कूल, माकड़ी वि. खं./जिला- कोंडागांव
जब बच्चा स्कूल आता है तो अपने साथ अपनी योग्यता और रूचि लेकर स्कुल आता है जो हर बच्चो से अलग होती है | वे अपनी योग्यता एवम रूचि के अनुरूप ही सीखना /अध्यापन कार्य करते है | इसलिए आवश्यक है की अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर बच्चो की योग्यता एवम रूचि अनुरूप की शिक्षण कार्य किया जावे ताकि हर एक बच्चे की सीखने की गतिविधि अत्यंत सरल हो और वे आसानी से सिख सके |
Sabhi students me ek jaisi visheshta nahi hoti sab students apne aap me vishesh hote hai. Hame unki visheshta par dhyan dena chahiye n ki unki kamiyo par. Sabko sab sikhane ke chakkar me students vo bhi bhool jayenge jo unhe achhe se aata hai.
सभी बच्चों की अपनी विशेष योग्यता होती है और हर बच्चा अपने आप में विशिष्ट होता है।अतः हमें अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर रोचक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को सिखाना चाहिये।
स्कूल में और कक्षा में विभिन्न बुद्धि लब्धि वाले बच्चे पढ़ते हैं कहानी जो बिंदु उभर कर सामने आए वह है कि जिस बच्चे में जो गुण है उस गुण को पाठ्यक्रम के अनुसार उपयोग में लाया जाए और उसके गुण से ही बाकी बच्चों में प्रोत्साहन स्वरूप जो गुण विकसित हो उन्हें बच्चों को अपने क्षमता अनुरूप करने के लिए प्रेरित किया जाए।
बच्चो के क्षमता एवं रूचि को समझ कर उसके अनुरूप उनके ज्ञान को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि हर बच्चे का समझने एवं सीखने का स्तर अलग अलग होता है जैसे बोल कर,लिख कर,चित्रो/वीडियो के माध्यम से समझते है इसलिए समावेशी शिक्षा के विकास में समावेशी विद्यालयों का होना आवश्यक है। By K.K. Gopal(lect.) G.H.S.S.Silli
हमारी कक्षा में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है की जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं सभी बच्चों में एक जैसा सोचने की क्षमता नहीं होती है सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सकेl
जानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे। गेन्दू लाल चंद्राकर व्याख्याता शास.उ.मा.शाला रुसे जिला-कबीरधाम(छ. ग.)
जानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे।
प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग प्रकार के गुण या वरदान होते हैं, हर बच्चा बुद्धिमान होता है, गुण को पहचान कर शिक्षा प्रदान करने की विधि एवं तकनीक का चयन करना होगा। शिक्षक की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, कहीं ऐसा ना हो की हम बालक के जन्मजात गुण को ही नष्ट कर डालें, इस प्रयास में की वह कुछ नया गुण आत्मसात करें। धन्यवाद
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। जानकी वल्लभ तम्बोली व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिकविद्यालय तिलईरवार
हमे हर बच्चे की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी रुचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से कौशल विकास एवम सीखने का अवसर देना चाहिए। विकास सिंह पैकरा Govt.Higher secondary school pakni, Surajpur
कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाएंगे , अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर ही उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।
अत्यंत शिक्षाप्रद कहानी है सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है कोई ना कोई हुनर हर बच्चे में अवश्य होता है क्षेत्र विशेष में बच्चे की प्रतिभा को पहचान कर उस क्षेत्र में उसे आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।
हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
प्रत्येक बच्चे का ब्यक्तिगत रूप से उसके प्रतिभा/रुचि का क्षेत्र पता लगाकर उसी क्षेत्र मे उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाय।यदि सभी क्षेत्रों मे उसे एक ही साथ पारंगत करने की कोशिश करें तो शायद और क्षेत्रों के साथ साथ अपने रूचि के क्षेत्र में भी पहले से खराब प्रदर्शन कर जाय।
प्रत्येक कक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में रूचि रखने वाले बच्चे होते हैं। सभी विद्यार्थियों की सोचने, समझने एंव सीखने की क्षमता अलग--अलग होती हैं। सभी को एक ही शिक्षण विधि से पढ़ाने पर समान दक्षता व कौशल विकसित नही की जा सकती। बच्चों को उनकी रुचि , सीखने की गति एवं विषय अनुरूप गतिविधियां आधारित शिक्षण विधियां अपनाते हुए पढ़ाने से जल्दी से सीखते हैं। तथा सीखा हुआ ज्ञान स्थायी होता है। सभी पर ध्यान देते हुए सीखने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए। शिक्षकों को अपना ज्ञान बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। बच्चों को केन्द्र में रखकर पढ़ाने से गुणवत्ता लाई जा सकती है।
कक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए अशोक मिश्रा ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सखोली ,सरगुजा
हर बच्चा अपने आप मे अद्वितीय होता है।सबकी रूचि सभी विषयों या क्षेत्रों में समान हो ये जरूरी नही।अतः हमें उनकी रुचियों व क्षमता के अनुरूप उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए व इसमें आवश्यक मार्गदर्शन व सहायता करना चाहिए।
प्रत्येक बच्चों में सोचने -समझने की क्षमता अलग अलग होती है इसलिए बच्चों को उनकी समझ केअनुरूप सरल शब्दों में उदाहरण सहित / रोचक कहानी द्वारा किसी विषय वस्तु को पढ़ाना अथवा समझाना पत्येक बच्चे के लिये फायदेमंद होगा
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। सुश्री रजनी साहू व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा
हर बच्चे में अपनी एक अलग प्रतिभा छिपी होती है। विद्यालय में सभी बच्चों को एक साथ अपनी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिलता है । ऐसे में सभी विद्यार्थी एक दूसरे से कुछ न कुछ सीखते है
कक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए शालिनी सिंह ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा
Har bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye
बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
अत्यंत शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
बहूत ही अच्छी कहानी है। हमारी शाला में सभी बच्चे किसी ना किसी क्षेत्र में आगे होते है अत: हमें उन बच्चो की रूची के अनुसार उन्हे आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर उनका सर्वांगीण विकास करना चाहिये। नेहा बैष्णव शा.उच्च.मा.विद्यालय चेटबा जिला-जशपुर (छ.ग.)
कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों की रुचि, सोच, क्षमता अलग अलग होती है इसलिए उन पर दबाव डालकर रुचि और क्षमता के विरुद्ध कार्य करवाने से वे पिछड़ जाते हैं साथ ही कक्षा में तुलना करने से हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं. अतः हमें आकलन करते हुए विद्यार्थियों को रुचि के अनुसार प्रोत्साहित करना चाहिए. ताकि वे अपनी पसंदीदा क्षेत्र में दक्ष हो सकें और आगे बढ़ सकें. सुचिता मुखर्जी, शा. उ. मा. शाला, वृन्दानगर
संसार के सभी बच्चों को ईश्वर ने बुद्धि प्रदान की है इन बुद्धि का क्रियान्वयन करने के लिए गुण गुरुओं में दिया है अतः शिक्षकों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए की हर एक छात्र छात्राओं को उनके कमजोरियों को पहचानते हुए उन कमजोरियों को या उन कमियों को उनकी सरलता के अनुसार कैसे दूर करें क्योंकि हर एक बच्चा योग्य है
बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
इस कहानी से यह सिख मिलती है कि हर बच्चा इस्पेसल होता है।हमारे कक्षा में उपस्थित बच्चों में कुछ ना कुछ अंर्तनिहित दक्षता होती है जिसकी पहचान करके हमे उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए न कि पुराने ढर्रे का इस्तेमाल करते हुए।
Har bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye
We learnt from story that Every child has different types of quality .we must use different types of educational method, technics for their better learning.
यह कहानी हमे यह बताती है कि , हमारी कक्षा में विबिन्न योग्यता ,रुचि और क्षमता के बालक होते है , कुछ जल्दी सीखने वाले , कुछ थोड़ा अधिक समय लेने वाले कुछ ऐसे भी जिनकी योग्यता या रुचि के अनुरूप पाठ्यक्रम न हो तो वे कुछ भी नही सिख पाते । ऐसे में पाठ्यक्रम और सीखने सिखाने की व्यवस्था इन सभी विभिन्नताओं और योग्यताओं को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए ।
सभी बच्चों की सिखाने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्रो में प्रदर्शन और रूचि होता है हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है। और एक समावेशी कक्षा बनाना है।
मेरा विद्यालय शहर में है। जहां शासकीय विद्यालय में मेरे विचार से विविधता सबसे अधिक देखने को मिलती है। कक्षा में 15-20 गाँव के बहुत से बच्चे पढ़ने आते हैं । इनमें से कई आर्थिक लिहाज़ से, कई सामाजिक तौर पर, तो कई शारीरिक तौर पर भी विविधता लिए होते हैं। सभी बच्चों में समन्वय स्थापित करना मेरा सबसे पहला कार्य होता है। इसके लिए मैं विषय-वस्तु को पढ़ाने के पश्चात् उनमें एक दूसरे से सीखने और विषय-वस्तु में पढ़ाए हुयी चीजों में, जो समझ नहीं आता उसे एक दूसरे से समझने हेतु उत्साहित करते-करते, वे एक दूसरे की इन विविधताओं को सम्मान देने लगते हैं। इस प्रकार किसी विद्यार्थी में अपनी अलग होने की हीन भावना जागृत ना हो ऐसा प्रथम प्रयास रहता है। और इस प्रकार एक अंदरुनी खुशी कक्षा से निकलते वक्त मुझमे होती है।
Hmari class m bhut si bhinn bhinn yogytao wale bcche hote hai .ydi HM unhe smjhkr yogytanusar age bdhay.to y students Apne Apne kshetra m bhumulya yogdan de skte h.or hmare desh Ka name Roshan krenge.jai hind
इस कहानी ने एकबार हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद👍👍💐💐
कक्षा में विविधता छात्रों में आर्थिक सामाजिक और मानसिक स्तर पर विचारों का बदलाव बहुत जरूरी है विविधता का तात्पर्य कदापि भी उनके साथ भेदभाव करना नहीं होता बल्कि विविधता का अर्थ तात्पर्य है कि विभिन्न प्रकार के लोगों की सोच भावनाओं और विचारों का एकीकरण किया जा सके शिवकुमार केशी (व्याख्याता) हिंदी शासकीय हाई स्कूल मेंउ विकासखंड पामगढ़ जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
विद्यार्थियों की रुचि,सीखने की गति,क्षमताओं का भली प्रकार से आकलन करते हुए,शिक्षण कराना ही इस कहानी का उद्देश्य है। टीचर्स को इन बातों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर,अपने अध्यापन कौशल को विकसित करना होगा।
बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।सभी को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए अवसर एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए। ऋषि कुमार साहू व्याख्याता हाई स्कूल बगरुमनाला जिला-धमतरी
इस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद।
इस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद। Sandeep kishor Bhatnagar. Govt higher secondary school, Tiriya. Block- jagdalpur
Sabhi bacchon ka iq level bhinn hoti hai,shikshak ko chahiye k wo pehle unko jaache aor usi anusar apne shikshan vidhiyon me parivartan karte huye bacchon ko seekhane ka prayas kare
जानवर की पाठशाला नामक कहानी से मुझे यह ज्ञात हुआ कि कक्षा में सभी बच्चे में अलग अलग प्रतिभा और कौशल होते हैं। अतः एक शिक्षक को बच्चों की विशेष प्रतिभा को उभारने में एक सच्चा पथ प्रदर्शक और सलाहकार के रूप में कार्य करना चाहिए जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके।
नवीन कुमार बघेल (व्याख्याता गणित) शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,घोटिया (बस्तर)
द एनिमल स्कूल से हमे यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान क्षमता वाले नहीं होते है, सबकी क्षमताएं भिन्न भिन्न होती है सभी में कुछ न कुछ विशेष गुण और हुनर होता है,हमे उसी हुनर में निखार लाना है बच्चो पर अनावश्यक रूप से दवाब नही बनाना चाहिए हमे बच्चो की रुचि का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
Kahani ke Saare patra kisi na kisi roop me hamen apni class me dekhne mil jayenge.....ham teachers ke karya hain ki ham apni bachchon ke pratibha aur sikhane ki kchhamta ke hisaab se kaise unhe gyanarjan karayen avam kisi ko bhi sikhane se vanshi na ho aisa prayas sada karte rahen
कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है। सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
कहानी सुनने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुचि कि प्रत्येक बच्चे की एक विशेष रुचि और गुण होता है जो उन्हें परिपूर्ण बनाता है और उसके अनुसार हमें अपनी शिक्षा की प्रक्रिया को चुनना चाहिये. और उसके अनुसार हम छात्र का मूल्यांकन करें
हर विद्यार्थी में कुछ विशेष गुण होते हैं,बस हमे उनके गुणों को पहचान कर उनको उचित अवसर प्रदान करना है ताकि उनमें छिपी प्रतिभा बाहर निकल सके और वह पूरे आत्मविश्वास व लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
Is kahani se hamen yaha Sikh milati hai ki bacchon mein alag alag gun aur kausal hote Hain. Humein bacchon ke hunar ko pahchan kar unhen nikarne ki koshish karni chahiye taki vah Apne hunar ke dwara jivan mein kuchh achcha aage chalkar hasil kar sake, apni chhamata ke anusar hi unhen humein aage badhane dena chahiye aur Sahi Marg dikhana chahie .. Nicky Agrawal Lecturer GHSS Raikheda
यह कहानी बहुत ही मार्मिकता के साथ शिक्षा देती है साथ ही स्वंम को आईना दिखाने का कार्य भी करती है सच है कई बार हम सब कहीं न कहीं ऐसी ही भूल कर बैठते है और सब का एक समान आंकलन करते है जबकि प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग खासियतें होती है और अलग कमजोरी भी होती है हमें इसे पहचानने की आवश्यकता है और उनके अनुरूप उनके गुणों को और निखारने के एवं कमियों को दूर करने की दिशा में कार्य करना होगा तभी हम सब बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर कर पायेंगे
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है। अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।We can improve and develop that to every children's/student's skills through their interest.
हम सब जानते हैं कि विविधता सब जगह मौजूद होती है। यह बात हमारे विद्यालय पर भी लागू होती है। हमारे बच्चों में भी विभिन्न प्रकार की विविधताएँ पाई जाती हैं, हमें इनका सम्मान करना चाहिए। बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते ।वे किसी एक विशेष क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।
Class me variuos character ke student hota h ..unke in character ke according hi hme apni teaching technique ko apply krna chahiye jisse student ka wholestic development ho ske ...sbhi student ko unke guno ke according apnana chahiye...unke manobal ko bdana chahiye ...
I understood that the teacher should deal the students of different capabilities with different teaching methods to develop their personalities. A teacher must examine the students' talent and teach them accordingly with their potential.
कक्षा में बच्चे विभिन्न विचार वाले होते हैं उनके अपने अपने विचार होते हैं हमें उनके विचारों को समझ कर जानकर हमें पढ़ाना चाहिए । कक्षा में विविधता वाले बच्चे आते हैं उनके अधिगम को ध्यान में रखते हुए हम अपने अधिगम शैली में परिवर्तन हमे उनके अनुरूप करना चाहिए।
हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।
There are children with different thinking in our class, in which some children are very pioneer in the field. So we should provide opportunities to the children to learn according to their interest. Apart from this, they are very ahead in that field. Therefore, by changing our teaching method, we should think about the work according to the interest of the children, so that the activity of learning becomes easy for them.
कहानी बेहद ही शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायक है। हम बच्चों की रुचि व समझ के आधार पर उन्हें आगे बढ़ने सीखने हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित करें तो उनकी प्रतिभा अवश्य निखरेगी और वे अपनी मंजिल अवश्य पा सकेंगे।
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
दयाशंकर सिंह व्याख्याता शा0 बा0 उ0 मा0 वि0 लुंड्रा जिला सरगुजा
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए
जानवरो का विद्यालय कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश से छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्र सभी कला में निपुण हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी का दायित्व है कि छात्रों के प्रतिभा को पहचानकर उसके सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास करे ।
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें
बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए
यह कहानी प्रेरणादायी और आत्मचिंतन के योग्य है।बच्चों में जन्मजात निहित गुणों को पहचान कर उनकी क्षमता के अनुरूप तराशना है।वह विद्यालय में अपनापन महसूस कर सके। अनुपम बारीक व्या. केम्प1 भिलाई
हर बच्चे की सीखने की छमता अलग होती है उसकी एक विशेष कार्य मे करने की रुचि होती है उसके अनुसार ही उसे सीखाना चाहिए सबको एक ही तरीके से नही सीक सकते शिक्षक उसकी रुचि को पहचाने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करे। अर्चना जोशी प्राचार्य हाई स्कूल मोपका बिलासपुर
हमारे कक्षाओं में बच्चे विभिन्नता, और विशेषता, लेकर आते हैं, वे अपने अपना पूर्व अनुभव अपनी भाषा, समझ अपने साथ लाते हैं, प्रत्येक बच्चे में सभी प्रकार की बुद्धिमत्ता ,और जिज्ञासा होती है, परन्तु विभिन्नता और असमानता के कारण वो अपने आप को व्यक्त नहीं कर पाता। हमें बच्चों को खुले और मुक्त वातावरण प्रदान करते हुए, समावेशन को अपने कक्षा कक्ष में लागू करना होगा।
जानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है,उसी को इंप्रूव करने का प्रयास किया जाए । बच्चों मेंअनेक प्रतिभाएंहोती है।जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें। प्रदीप कुमार भास्कारवार, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैम्प 1
हर विद्यालय में अलग अलग बुध्दि लब्धि और विभिन्न रुचि के छात्र होते उन छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधि के माध्यम से पढ़ाना चाहिए छात्र में पहले से मौजूद प्रतिभा को उभारने के प्रयास करने चाहिए । Priyanka Singh sengar
सभी बच्चे अपने घर परिवेश से कुछ कुछ चीजों में हुनर सीख कर आते हैं और उनमें रुचि रखते हैं। उनके इन्ही हुनरों को कक्षा में छोटे छोटे समूह शिक्षण से एक दूसरे से ज्ञान बढ़ा सकते हैं।
कक्षा में विविध बुद्धि स्तर एवम विविध रुचियों के बच्चे होते है।हमे सभी बच्चों की रुचियों को ध्यान के रखकर शिक्षण कार्य करना चाहिए जिससे ये बच्चे अपने रुचिपूर्ण विषयवस्तु मे ज्यादा ध्यान केंद्रित करके सफलता प्राप्त करे।
कहानी बहुत शिक्षाप्रद लगी।इस कहानी से ज्ञात होता है कि सभी बच्चों की सीखने की क्षमताएं अलग अलग होती है उनकी रुचि क्षमता और दक्षता के आधार पर ही शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।ताकि वे उत्साहपूर्वक ध्यान केन्दित कर सफल हो सकेंऔर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें। डॉ मीना सिंह प्राचार्य,शा उ मा शाला लिमतरी बिलासपुर,छग
इस कहानी से हमें यह ये मार्गदर्शन मिला की हमारे स्कूल में आने वाले विद्यार्थी अलग अलग सोच अलग अलग हुनर वाले अलग अलग माहौल के होते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी का अपना काबिलियत होता है सभी का रूचि पढ़ाई में ही हो ऐसा नहीं है सबका अपना अपना उद्देश्य होता है। कोई अच्छा गाना गा सकता है तो कोई अच्छा डांस कर सकता है। किसी का रूचि पेंटिंग में है तो किसी का खेल में। कहने का मतलब ये है की विद्यार्थियों को उनके काबिलियत के आधार पर आगे बढ़ाना बेहतर होगा। जिस छेत्र में रूचि है उसे उसी मार्ग में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। भूपेंद्र कुमार घृतलहरे ब्याख्याता शा. उच्च. माध्य. वि. मल्दा
बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।
Every Student is individual and having certain capacity and ability so we must accept their individuality and teach them accordingly. The story represents traditional Indian educational view in modern concept.
Dharmendra Prasad Saraswat Lecturer Govt. Higher Secondary School Chilhati District - Rajnandgaon (C.G.)
कक्षा में सभी विद्यार्थियों के गुण तथा क्षमता अलग अलग होती है तथा प्रत्येक विद्यार्थी प्रत्येक क्षमता में निपुर्ण हो ऐसा मुश्किल है परंतु प्रत्येक विद्यार्थी को हर एक गुण से परिचित अवश्य होना चाहिए ताकि वह अपने क्षमता को पहचान सके।
This story shows how as a teacher we discriminate our students. It is very essential to give prefrence to child interest because every child has specific character.
हमारे स्कूल में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं। जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है कि जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं। सभी बच्चों में एक जैसा गुण नहीं होता। सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि अनुसार बढ़ावा देना चाहिए। ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सके।
इस कहानी के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हर एक विद्यार्थी में कुछ ना कुछ खूबी जरूर होती है और उनकी इसी खूबी को ध्यान में रखते हुये हमें उन्हें शिक्षा की ओर अग्रसर करना है ताकि उनकी रूचि पढ़ाई में बनी रहे। धन्यवाद !
कहानी के अनुसार बच्चों में सीखने की प्रवृति अलग अलग होती है,अतः शिक्षक एवं पालक आपस में मिलकर मनोवैज्ञानिक तरीके से कार्य करेंगे तभी बच्चों का समग्र विकास होगा.
मॉड्यूल १प्रत्येक बच्चे में कुछ ना कुछ प्रतिभा पाई जाती है। हम शिक्षकों को बच्चों की प्रतिभा को ध्यान में रखकर उनकी इस विशेष प्रतिभा को निखारके उसे क्षेत्र विशेष में उल्लेखनीय सफलता हासिल कराने में योगदान देने का प्रयास करना चाहिए।(देवेंद्र सिंह राजपूत) व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घुटकू
प्रत्येक छात्र की अपनी अलग अधिगम क्षमता व रूचि होती है जो उसे किसी विशेष क्षेत्र में अधिक क्षमतावान बनाता है। प्रत्येक छात्र की रुचि व उस विशेष गुणको जानना और उसके अनुरूप शिक्षा प्रदान करना जरूरी है ताकि हम प्रत्येक छात्र को उसके गुणों के अनुसार और अधिक प्रोत्साहित कर सकें।
प्रत्येक छात्र मौलिक होता है और उसमें कुछ क्षमता और योग्यताएँ होती है इसलिए हमें उनके व्यक्तित्व को स्वीकार करना चाहिए और उसी के अनुसार उन्हें पढ़ाना चाहिए। कहानी आधुनिक अवधारणा में पारंपरिक भारतीय शैक्षिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है।
धर्मेंद्र प्रसाद सारस्वत व्याख्याता शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चिल्हाटी जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
सभी छात्र एक समान नहीं होते हैं पर सभी छात्रों में अपनी अलग अलग प्रतिभा छिपी हुई होती हैं ... हमे जरूरत हैं उनकी प्रतिभा को बाहर निकलने की और उनकी जरूरत की हिसाब से उन्हें पढ़ाई करवाने की ।।
जानवरों के स्कूल कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि क्लास में अलग अलग क्षेत्रों में रुचि रखने वाले बच्चे होते हैं साथ ही उनकी समझने की क्षमता भी एक समान नही होती ।उन्हें उनकी क्षमता को पहचान कर सिखाने का प्रयास किया जाना उचित होगा। शंकर लाल पुरी व्याख्याता शास.हाई स्कूल-कुडकई जिला-जी. पी.एम.
Hamari class mein mein vibhinn Prakar ke bacche hote hain jinki samajh alag alag Hoti Hai Hamen main Unki Samajh Ke anusar vibhinn Prakar ki gatividhiyan Karke unhen Samjhana chahie jisse Sabhi bacchon Ke Sath Milkar Shiksha prapt kar sake
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा होती हैं उसे पहचान कर उस बच्चे को अपने उस प्रतिभा को निखारने की सीख देनी चाहिए जो बच्चों को पसंद ना हो उसे थोपना नही चाहिए
From story we concluded that each and every student has it's own quality and some weak points. As a teacher it's our duty to improve it's quality and work on student according to it's requirement and change our way of teaching to make student weakness it's power.
सभी विद्यार्थी विशेष होते हैं। उनकी व्याक्तिगत भिन्नता और अभिरुचि के अनुसार अध्यापन और आकलन की आवश्यकता है। तभी शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले विद्यार्थी होते है सब विद्यार्थियों की अलग अलग रुचि होती है , सब में अलग प्रतिभा होती है ,, हमें उनकी रुचि के अनुसार सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए , उनकी प्रतिभा को निखारना चाहिए,, हम हर समय सभी छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते है,, लेकिन हम अपने अध्यापन में विविधता ला सकते है और छात्रों को उनके द्वारा की जाने वाली सीखने की कुछ गतिविधियों के विषय में किसी विकल्प की पेशकश कर सकते है। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने में प्रोत्साहित कर सकते हैं।
जब बच्चा स्कूल आता है तब वह अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान रखता है और कुछ विशेष प्रतिभा उनमे जागृत होती है हम उनके उस दक्षता को पहचान कर उनको उनके अनुरूप अवसर प्रदान करें जिससे वह प्रोत्साहित हो और अपने क्षमता अनुरूप विशेष योग्यता हासिल कर सके
जानवरों की पाठशाला की तरह हमारा विद्यालय होता है, विद्यार्थी में कई तरह की विभिन्नता एवं विविधता पाई जाती है प्रत्येक विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में निपुण नहीं हो सकता अलग-अलग विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्र में निपुण हो सकता है किसी भी छात्र को हमें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए। हमारे विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिससे विद्यालय हमारा व्यवहार एवं कुशल करने के लिए विद्यार्थी को अवसर देनी चाहिए जब तक हम किसी विद्यार्थी को अवसर नहीं देंगे वह विद्यार्थी नहीं सीख सकता जिस तरह बदक एवं गिलहरी अपने क्षेत्र में निपुण थी लेकिन कोई आवश्यक नहीं है कि हमेशा विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करें और आज की हमारी शिक्षा पद्धति को बदलने की भी आवश्यकता है, जो मापदंड तय किया जा रहा है यह बच्चों को हतोउत्साहित एवं उत्साहित दोनों कर सकता है ,क्योंकि जो बच्चा कम अंक प्राप्त करता है उसके मन में बहुत हीन भावना जागृत हो जाती है ,इससे बचने के लिए हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उनका खुद का हक है वह उनको मिलनी चाहिए और हम सभी शिक्षकों को अपने व्यवहार एवं कार्यों रूचिकर गतिविधि से अच्छी शिक्षा देने से आगे बढ़ सकता है। विद्यालय प्रत्येक के लिए खुला होना चाहिए क्योंकि इसमें कई तरह के विद्यार्थी हमारे विद्यालय में आते हैं और वह ना जाने कौनसी क्षेत्र में आगे बढ़ जाए यह कौन सा क्षेत्र में आगे बढ़ेगा कोई नहीं जानता।
Hame sabhi students ki individual quality ko dhyan me rakhte hue hi unhe motivate karna chahiye aur unhi quality ke basis par unka evaluation karna chahiye, nahi to unki qualities depreciate ho jati hai.
Mrs. Rashmi Choubey Govt. H. S. S. Kotagaon, dist- Balod, C.G.
व्यक्तिगत भिन्नता मानव का व्यवहारिक गुण हैं, सभी में अद्वितीय शक्ति होती है, शिक्षक को अपने बच्चों के व्यवहार/गुणों की जानकारी के मुताबिक पाठचर्या/ पठन-पाठन का निर्धारण सरल और बोझिल रहित बना कर बनाई जा सकती है, यह सभी विषय पर किया जा सकता है।
*बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।
जितेन्द्र कुमार ठाकुर शा.उ.मा. वि. Kotagaon Bk:-Dondi, Dist:-बालोद*
छात्रों को उनकी कौशल के अनुसार ही अवसर देना चाहिये ।यदि उन्हें विपरीत क्षेत्र में आगे बढ़ाए,जिससे उनका मन बिल्कुल भी नही लगता ,तो वह उस क्षेत्र में बिलकुल भी आगे नही बढ़ पायेगा।अतः हमें छात्रों की योग्यता का अवलोकन कर उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।
प्रत्येक बच्चे व्यक्तिगत रूप से भिन्न होते है। व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखते हुए सभी बच्चों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर देना चाहिए। क्योंकि यह सत्य ईश्वर ने सभी को समान नहीं बनाया है, यह भी हकी़कत है कि किसी को भी किसी से कम नहीं बनाया है। अर्थात हर बच्चा प्रतिभाशाली होता है, यह बात अलग है कि सबकी प्रतिभा का क्षेत्र अलग- अलग होता है।
सभी बच्चों की क्षमता अलग-अलग होते हैं किसी एक एक्टिविटी के आधार पर उसकी पूरी क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता सब के गुण अलग-अलग हैं हम 1 गुण को ले करके अगर चलेंगे और उसमें सोचेंगे कि जो स्कूल में पारंगत है और उसी के आधार पर उसका आकलन करेंगे तो उस बच्चे की जो दूसरे को है वह इसमें कहीं ना कहीं दब से जाते हैं और उन गुणों का पूरा विकास नहीं हो पाता है
Every child is different Their abilities And interests are different We should not pressurised children And give them equal opportunity to show their talent
शाला में विभिन्न क्षेत्रों से बच्चे आते हैं और उन्हें उनके क्षेत्र के अनुसार उनमें रुचि व ज्ञान होता है अतः हमें उनके रुचि व ज्ञान को ध्यान मे रखते हुए उन्हें अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चे अपने स्तर से सीख सकें।
हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए -Santoshi panigrahi Lecturer govt. HSS ghatlohnga Bastar...
सभी कक्षा मेंअलग-अलग रूचि एवं स्तर के विद्यार्थी रहते हैं।उनकी अभिरुचि एवं क्षमता के अनुरूप उन्हें शिक्षण मिले तो वे बेहतर अभिव्यक्ति दे सकते हैं।बतख को दौड़ना तथा खरगोश को तैरना सिखाना तो समय और ऊर्जा का अपव्यय ही होगा। गौरीशंकर यादव प्राचार्य शास.हाईस्कूल बुटाकसा वि.खं. चौकी, जिला-राजनांदगांव.
कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं -- 1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना। 2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना। 3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना। 4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना। 5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना।
कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं -- 1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना। 2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना। 3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना। 4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना। 5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना। कविता बिजोलिया व्याख्याता शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उ मा विद्यालय जगदलपुर बस्तर छ ग
हमारे विद्यालय में विभिन्न स्तर के छात्र-छात्रायें पढ़ते हैं कोई कोई बच्चे किसी भी कंटेंट को पढ़ने समझने में बहुत अच्छे हैं वहीं कुछ कुछ विद्यार्थियों को बहुत परेशानी होती है। मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों को मेरे द्वारा पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम आसानी से समझ आये, इसमें मैं कुछ हद तक सफल भी रहा हूँ।
Is kahani se yah shiksha milti hai ki alag alag baccho ki visheshta alag hoti hai hame sabhi baccho ko ek sath lekar chalna hoga lekin jin vishyon me unki pakad acchi hai use badhava dena chahiye
Every student is unique.the quality and ability may differ from student to student .As a teacher its our responsibility to recognize the student with such qualities and improve them according to their nature and interest
इस कहानी की तरह हमारे स्कूल में भी विभिन्न रूचि और क्षमता रखने वाले बच्चे आते हैं, इसलिए हमें उनकी रूचि और क्षमता के आधार पर ही शिक्षा देना चाहिए, ताकि हर बच्चा अपनी रूचि और क्षमता के आधार पर सीख सके.और आगे बढ़ सके
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों में बचपन से ही कुछ ना कुछ विशेषताएं होती हैं साला आने पर हम उसे पाठ्यक्रम का नाम देकर उसकी विशेषताओं को को कम कर देते हैं अतः सभी बच्चों को उनकी विशेषता के अनुरूप सिखाया जाना चाहिए जैसे जो बच्चे खेल में रुचि लेते हैं उन्हें खेलने आगे बढ़ाना चाहिए तथा जो बच्चे ड्राइंग पेंटिंग में रुचि रखते हैं उन्हें उसी में आगे बढ़ाना चाहिए एवं जो बच्चे डांस या गाने में रुचि रखते हैं उसे हमने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार से उनकी व्यवसायिक क्षमता का भी विकास होता है।
Each & every student has different abilities. Also there capacities differ from child to child ,so the teaching methods must vary for them to form an equal & responsible Society.
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश एवं वैयक्तिक विभिन्नताओं से युक्त छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्रों की योग्यता कक्षा में एक जैसी हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ विशिष्ट प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी शिक्षकों का यह दायित्व है कि छात्रों के उस प्रतिभा को पहचानकर उसमें निखार लायें तथा उनके सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास करे ।
A great fable is not only evergreen but teaches a great lesson. It reveals us about the importance of focussing on our strengths. It clearly depicts the image of our classroom in which we worry about weaknesses and forget to leverage the core skills of our students. Every dark clouds have a silver lining similarly every children comprises with his capabilities, so a teacher should identify the skills and enable students to excel in it and improve on his areas of opportunities. If you build on your strengths enough, your weakness become irrelevant. So, let the ducks swim, rabbits run and eagles fly. Teaching is an art, so we should be creative while delivering our lessons. We should also follow the scientific processes which are systematic. Teachers should know each student present in his classroom and adjust the teaching methodologies accordingly with respect to Personal characteristics like age, gender, Academic background of students like prior knowledge, Group structure of Class as size matters a lot and Cognitive structure which deals with mental abilities, intellectual capacity, memory retention, attention span etc. We should plan and develop our lessons accordingly as per our students. Here we should also work on our own abilities like in communication, education, management of classroom, personality, leadership qualities, sense of humour etc. to touch the heart of students with positive attitude as it is our responsibility to reach the learning outcomes and make them a good citizen. Regards, Syed Shadab Ahmed Lecturer, Govt.H.S.S. Korchatola
सभी बच्चों के अंदर कुछ ना कुछ विशेष प्रतिभा होती है हमें बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए उनकी रूचि के अनुसार ही अपने शिक्षण अधिगम को सरल बनाना चाहिए और उसके अनुसार ही बच्चों को पढ़ाना चाहिए ताकि बच्चे उस क्षेत्र में आगे बढ़ सके
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है सभी बच्चों को जो अपना कार्य करने में पूरी तरह सक्षम नहीं है वह प्रोत्साहित करके धीरे-धीरे उनके कौशल को बढ़ाना चाहिए उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए
सभी बच्चों की अपनी कुछ खामी कुछ खासियतें होती है तो विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को विशेष ध्यान देते हुए साथ ही साथ बाकी बच्चों की सहायता से उसको सहज बनाने के लिए प्रेरित करतें है
रूपलाल पटेल व्याख्याता शा हा स्कूल कलंगपुरी दुर्गकोंडाल कांकेर
एक कक्षा के सभी बच्चे समान क्षमता वाले नहीं होते ,साथ ही प्रत्येक बच्चे में कुछ अलग विशेषता होती है अतः हम सभी बच्चों के लिए समान शिक्षण पद्धति का उपयोग नहीं कर सकते। हमें प्रत्येक बच्चे की रूचि क्षमता तथा योग्यता के अनुरूप आगे बढ़ने के शुभ अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें। हमारी शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री तथा कक्षा की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे भिन्न-भिन्न गुणों वाले बच्चों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकें।
यह कहानी हमें बताता है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता। अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एस.पिपरिया
विद्यार्थियों में विविधता स्वाभाविक है।शिक्षक को इन विविधताओं व विद्यार्थियों की विशिष्टताओं से न केवल अवगत रहना चाहिए ,बल्कि इनके आधार पर ही अधिगम को प्रभावी बनाया जाना चाहिए । धर्मेश कुमार शर्मा, व्याख्याता शा.उ.मा.वि. केंद्री ,अभनपुर जि. रायपुर
🙏 ये कहानी बहुत ही रोचक लगा, जो बच्चो की अनेक विविधताओं को बताया है,इन्हीं विविधताओं में ही अपनी अलग अलग प्रतिभा। छुपी होती हैं,उन सब बच्चों को उनके ही प्रतिभा , जिज्ञासा से ही उनका विकास के लिए उनके प्रतिभा ओ ही आगे बढ़ जाए
This story tells us that in a class we have different students with different ability,interests and curiosity. As a teacher it is our responsibility to give them the environment according to their nature.so that their personality will improve positively and in future they will be able to become not only a successful person but also a good human being also.. Gunjan shah Lec. G.H.School Gondaiya Bilaspur
इस कहानी को पढ़कर हमे ये समझ आता हैं कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता। अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
इस ऐनिमल स्टोरी के उदाहरण से ये स्पष्ट है कि सबमे अपनी अलग प्रतिभा होती है अभी तक स्कूल के पाठ्यक्रम ऐसे हैं कि टीचर्स को वही पढ़ाना होता है स्कूल का लिमिट टाइम और सम्बंधित बहुत सारे कार्य, मुझे लगता है शिक्षक को यदि केवल पढ़ाने के अलावा और कोई काम न हो तो वे बच्चों को काफी टाइम दे सकेंगे और उनकी रुचि भी समझ के उनके अनुसार उन्हें अध्यापन करा सकेंगे । नई शिक्षा नीति इस रुचिकर अध्ययन पर आधारित है इससे जरूर बच्चे अपने कौशल को प्रदर्शित कर पाएंगे ।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता। अतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और प्रयासरत करना चाहिए। नैना बनर्जी व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल चोरभट्टी करतला, कोरबा।
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है। अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।
सभी बच्चो में अलग अलग हुनर होता है।और उनकी रुचि भी अलग अलग होता है।तो हमे उनकी रुचि के अनुसार उनको सीखने के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।सभी बच्चों के कौशल एवम समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए।
बच्चों के परिवेश के अनुरूप उनके हुनर को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी हुनर को बखूबी से कर पाएंगे| राम भजन पटेल व्यख्याता शा. हाई स्कूल बघर्रा विकासखंड-पंडरिया, जिला-कबीरधाम
कक्षा मे भिन्न भिन्न परिवेश, रुचि, योग्यता के अनुसार बच्चों पर धयान देकर पढाने की विधि को बदले,बच्चों के गुणों को पहचान कर सीखने के लिए प्रेरित करें।एक रुचिकर समावेशी कक्षा बनाना।
हर व्यक्ति की अलग-अलग खासियत होती है कोई किसी क्षेत्र में आगे होता है तो कोई पीछे होता है सभी में एक जैसी गुणवत्ता नही होती, इसलिए किसी भी बच्चे पर हमें दबाव नहीं डालना चाहिए इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है!
This story tells us that all the students of the class doesn't have same qualities.. it May differ from students to students. Variation can occur in every student, because feelings and emotions differ from person to person.. some may have writing skills, and some have physical skills. All the students have different abilities..
हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि पहले बच्चों की प्रतिभा को पहचाना हमारा कर्तव्य है और पहचान करके बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार उस क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए जिस क्षेत्र में वे विशेष विशेष रूचि रखते हैं जैसे कि कुछ बच्चे खेलकूद में अच्छे आते हैं कुछ पेंटिंग ड्राइंग कुछ बच्चे बातचीत मेंअच्छे होते हैं कुछ बच्चे रिसर्च करने में बहुत अच्छे होते हैं और कुछ बच्चे ऑल राउंडर होते हैं तो हमें उनकी योग्यता के अनुसार उनकी क्षमता के अनुसार पहचान कर उनसे कक्षा में पढ़ाना चाहिए
Bachhon me hi nahi sabhi me vyaktik bhinnata hoti hai. Jo unhe vishesh banati hai . Isi Tarah bachhon ko unke ruching v kshama anusar sikhne k liye prerit kiya jana chahiye
कक्षा में विभिन्न बच्चे विभिन्न प्रकार के सामाजिक आर्थिक परिवेश से आते हैं । उनके जीवन यापन पर निर्भर होती है और उनके बोली -भाषा एवं सामाजिक स्तर भी होती है, जिसके कारण उनके सीखने के क्षमता में भी निर्भर होती है। एक शिक्षक को समझने की जरूरत है कि जो हमारे विषय वस्तु है। उसे हम किस प्रकार उनके समाज के अनुरूप हम काम कर सके इस बंता के बावजूद भी सभी बच्चों में समानता के भाव लाना एक शिक्षक का दायित्व है जिसे हमें करना अनिवार्य होता है। सभी में समानता लाने से एक दूसरे से सीखने सिखाने की जो प्रक्रिया होती है उसमें सरलता आती है और बच्चों में ऊंच-नीच के भेदभाव से समाप्त होता है। यह प्रकृति ही , विविधता से भरी हुई है लेकिन हुए एक-दूसरे पर आत्मनिर्भर वह पूरक होते हैं। जिससे उनके जीवन यापन सुचारू रूप से चलती है। हर कोई हर क्षेत्र में अव्वल हो या कोई जरूरी नहीं लेकिन हर बच्चा मैं कुछ ना कुछ विशेषता होती है जिसमें वह आगे होता है इसे शिक्षक को पहचानने की जरूरत होती है।
रामसेवक पैकरा व्याख्याता एलबी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय- बसकेपी, विकासखंड- कुसमी, जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़.
कहानी ये बताती है कि हर बच्चे में कुछ खासियत और कुछ कमी होती है। और हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर बच्चे के खासियत/ गुण का आधार पर अपनी शिक्षा का पैटर्न रखना चाहिए और सभी पर सामान और सम्पूर्ण ध्यान देना चाहिए। साथ ही सभी बच्चों के लिए एक अलग सिस्टम तैयार करना चाहिए क्योंकि कुछ बच्चे पढ़ने में तो कुछ खेलने में तो कुछ अन्य गतिविधियों में अच्छे होते है। बहुत ही अच्छी और जागरूक करने वाली कहानी है।
हमारे विद्यालय में विभिन्न पृष्ठभूमि के विद्यार्थी होते है,जो अपनी विशेष गुणों से एक दूसरे से भिन्न होते है। जिन्हें हमें उनके गुणों को एक संशाधन के रूप में पठन पाठन में उपयोग करना चाहिए।
कोर्स 03 गतिविधि 5 : सीखने के परिवेश का सृजन– अपने विचार साझा करें सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके सोचें और अपने विचार साझा करें।
कोर्स 02 गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें माध्यमिक स्तर पर आई . सी . टी . आपके शिक्षण , अधिगम और मूल्यांकन कार्यों में कैसे सहयोग करती है ? अपनी समझ साझा करें।
कोर्स 08 : सीखने का आकलन गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं जिन्हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं ? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा करें।
हमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।
ReplyDeleteअमरचंद बर्मन
व्याख्याता
शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय चकरभाटा मुंगेली
Absolutely Right...
Deleteइस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि प्रत्येक प्राणी में जन्म से या वंशज से प्रतिभा ,गुण और ज्ञान समाहित रहता है।हमे भी बच्चे के रुचि ,क्षमता और जिज्ञासा के अनुसार शिक्षा देने की आवश्यकता है ताकि बच्चे रुचिकर एवम आनंदमयी तरीके से से सीख सके।
Deleteजानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है। उसी को इंप्रूव किया जाए जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें।
Deleteअनुजय वैश्य, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव विकासखंड_ पेंड्रा
जिला _गौरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़
The story 'School Of Animals' tells us about that, all the students of same class doesn't have the same qualities and abilities. The quality and ability may differ from student to student. Each and every child have their own quality which they inherit from their family background or some have by by birth. As a teacher it is our responsiblility to recognise the student with such qualities and improve them according to their nature and interest, so that they can grow in that direction and achieve, whatever they wanted to acquire in their life. These motivational steps will definitely be beneficial for their higher studies and careers.
DeleteRajnigandha Sai
Govt. Boys hr. Sec. School, Kasnabel, Jashpur (C. G.)
Kahani se yahi bindu prapt hota hai ki...class me baithe sabhi bachhe kuch na kuch gun rakhte hain...sabhi ko ek hi tarazu me nahi taula ja sakta hai...har bachhe me kuch na kuch hunar jarur hota hai...hame use pechaan kar use nikharne ka kosis karna chahiye
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए
ReplyDeleteपवन कुमार देवांगन
व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल बिलारी
जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
विद्यार्थियों की रुचि अनुसार ही हमे अपनी शिक्षण अधिगम हेतु पाठ-योजना तैयार करनी चाहिये क्योंकि हमारा लक्ष्य भी विद्यार्थी ही हैं. हमें सभी विद्यार्थियों का ध्यान रखना है
Deleteकहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
ReplyDeleteसभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
श्रीमती हेमलता बोगिया
शास. हाई स्कूल, माकड़ी
वि. खं./जिला-कोंडागांव
सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग प्रदर्शन और रुचि होता है। हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है और एक समावेशी कक्षा बनाना है।
ReplyDeleteमुझे यह कहानी अत्यंत ही शिक्षा प्रद लगी और मेरे विचार से बच्चों में जो जो विशेष योग्यता है उसे प्रोत्साहित करते हुए उसका सर्वांगिण विकास भी होते रहना चाहिए।
ReplyDeleteकहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
ReplyDeleteअपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।
श्रीमती हेमलता बोगिया
व्याख्याता(गणित) टी संवर्ग
शास. हाई स्कूल, माकड़ी
वि. खं./जिला- कोंडागांव
जब बच्चा स्कूल आता है तो अपने साथ अपनी योग्यता और रूचि लेकर स्कुल आता है जो हर बच्चो से अलग होती है | वे अपनी योग्यता एवम रूचि के अनुरूप ही सीखना /अध्यापन कार्य करते है | इसलिए आवश्यक है की अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर बच्चो की योग्यता एवम रूचि अनुरूप की शिक्षण कार्य किया जावे ताकि हर एक बच्चे की सीखने की गतिविधि अत्यंत सरल हो और वे आसानी से सिख सके |
ReplyDeleteBachho ko unki ruchi k anusar hi aage badhne k liye prerit krna hai ..taki we aage pahuch sake
ReplyDeleteSabhi bacchon me ek jaise gun nahi hote.Bacchon ko unki ruchi ke anusar aage badhana hi hamara kartaviya hai.
DeleteSabhi students me ek jaisi visheshta nahi hoti sab students apne aap me vishesh hote hai. Hame unki visheshta par dhyan dena chahiye n ki unki kamiyo par. Sabko sab sikhane ke chakkar me students vo bhi bhool jayenge jo unhe achhe se aata hai.
ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी विशेष योग्यता होती है और हर बच्चा अपने आप में विशिष्ट होता है।अतः हमें अपने अध्यापन शैली में परिवर्तन कर रोचक गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को सिखाना चाहिये।
ReplyDeleteस्कूल में और कक्षा में विभिन्न बुद्धि लब्धि वाले बच्चे पढ़ते हैं कहानी जो बिंदु उभर कर सामने आए वह है कि जिस बच्चे में जो गुण है उस गुण को पाठ्यक्रम के अनुसार उपयोग में लाया जाए और उसके गुण से ही बाकी बच्चों में प्रोत्साहन स्वरूप जो गुण विकसित हो उन्हें बच्चों को अपने क्षमता अनुरूप करने के लिए प्रेरित किया जाए।
ReplyDeleteWe have to promote students according to their interests and abilities
ReplyDeleteबच्चो के क्षमता एवं रूचि को समझ कर उसके अनुरूप उनके ज्ञान को विकसित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि हर बच्चे का समझने एवं सीखने का स्तर अलग अलग होता है जैसे बोल कर,लिख कर,चित्रो/वीडियो के माध्यम से समझते है इसलिए
ReplyDeleteसमावेशी शिक्षा के विकास में समावेशी विद्यालयों का होना आवश्यक है।
By
K.K. Gopal(lect.)
G.H.S.S.Silli
हमें बच्चों की योग्यता और क्षमता की परख करनी चाहिए और उनकी रूचि का भी। बच्चों के ऊपर कुछ भी थोपना, उनके प्राकृतिक गुण का विनाश कर सकता है।
ReplyDeleteबच्चों की समझ और रुचि के अनुसार ही हमें अपनी teaching strategies बनानी चाहिए।
ReplyDeleteहमारी कक्षा में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है की जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं सभी बच्चों में एक जैसा सोचने की क्षमता नहीं होती है सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सकेl
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे।
ReplyDeleteगेन्दू लाल चंद्राकर
व्याख्याता
शास.उ.मा.शाला रुसे
जिला-कबीरधाम(छ. ग.)
जानवरों का विद्यालय कहनी हमे यह सीख देती है कि जो बच्चे जिस कौशल में आगे बढ़ सकता है उसको उसी कौशल में आगे बढ़ने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए,उनकी जन्मजात या उनके आसपास की जो कलाएं है उनमें उन्हें और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करे।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे में अलग-अलग प्रकार के गुण या वरदान होते हैं, हर बच्चा बुद्धिमान होता है, गुण को पहचान कर शिक्षा प्रदान करने की विधि एवं तकनीक का चयन करना होगा। शिक्षक की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, कहीं ऐसा ना हो की हम बालक के जन्मजात गुण को ही नष्ट कर डालें, इस प्रयास में की वह कुछ नया गुण आत्मसात करें।
ReplyDeleteधन्यवाद
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
ReplyDeleteसभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है। जानकी वल्लभ तम्बोली व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिकविद्यालय तिलईरवार
हमे हर बच्चे की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनकी रुचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से कौशल विकास एवम सीखने का अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteविकास सिंह पैकरा
Govt.Higher secondary school pakni, Surajpur
कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteसही है
Deleteबच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए । यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाएंगे , अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर ही उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।
ReplyDeleteअत्यंत शिक्षाप्रद कहानी है सभी बच्चों की सीखने की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है कोई ना कोई हुनर हर बच्चे में अवश्य होता है क्षेत्र विशेष में बच्चे की प्रतिभा को पहचान कर उस क्षेत्र में उसे आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए ।
ReplyDeleteहमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का ब्यक्तिगत रूप से उसके प्रतिभा/रुचि का क्षेत्र पता लगाकर उसी क्षेत्र मे उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाय।यदि सभी क्षेत्रों मे उसे एक ही साथ पारंगत करने की कोशिश करें तो शायद और क्षेत्रों के साथ साथ अपने रूचि के क्षेत्र में भी पहले से खराब प्रदर्शन कर जाय।
ReplyDeleteप्रत्येक कक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में रूचि रखने वाले बच्चे होते हैं। सभी विद्यार्थियों की सोचने, समझने एंव सीखने की क्षमता अलग--अलग होती हैं। सभी को एक ही शिक्षण विधि से पढ़ाने पर समान दक्षता व कौशल विकसित नही की जा सकती। बच्चों को उनकी रुचि , सीखने की गति एवं विषय अनुरूप गतिविधियां आधारित शिक्षण विधियां अपनाते हुए पढ़ाने से जल्दी से सीखते हैं। तथा सीखा हुआ ज्ञान स्थायी होता है। सभी पर ध्यान देते हुए सीखने का पर्याप्त अवसर देना चाहिए। शिक्षकों को अपना ज्ञान बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। बच्चों को केन्द्र में रखकर पढ़ाने से गुणवत्ता लाई जा सकती है।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए अशोक मिश्रा ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सखोली ,सरगुजा
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप मे अद्वितीय होता है।सबकी रूचि सभी विषयों या क्षेत्रों में समान हो ये जरूरी नही।अतः हमें उनकी रुचियों व क्षमता के अनुरूप उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए व इसमें आवश्यक मार्गदर्शन व सहायता करना चाहिए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों में सोचने -समझने की क्षमता अलग अलग होती है इसलिए बच्चों को उनकी समझ केअनुरूप सरल शब्दों में उदाहरण सहित / रोचक कहानी द्वारा किसी विषय वस्तु को पढ़ाना अथवा समझाना पत्येक बच्चे के लिये फायदेमंद होगा
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ReplyDeleteकहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते।सभी मे कोई न कोई हुनर अवश्य होता है।हमे उनके इस हुनर को ही बाहर निकलना है।
सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
सुश्री रजनी साहू व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा
हर बच्चे में अपनी एक अलग प्रतिभा छिपी होती है। विद्यालय में सभी बच्चों को एक साथ अपनी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी मिलता है । ऐसे में सभी विद्यार्थी एक दूसरे से कुछ न कुछ सीखते है
ReplyDelete
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों की सोचने समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है साथ ही साथ उनकी रुचियाँ भी अलग अलग होती है अतः बच्चों को उनकी रुचि के क्षेत्र में बढ़ाते हुए अन्य क्षेत्रों में भी आगे ले जाने का प्रयास करना चाहिए
शालिनी सिंह ,व्याख्याता,शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवागांव पेंड्रा
Har bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye
ReplyDeleteAprajita singh G.H.S.S TAGA
Deleteबच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
ReplyDeleteअत्यंत शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है।
ReplyDeleteसभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
बहूत ही अच्छी कहानी है। हमारी शाला में सभी बच्चे किसी ना किसी क्षेत्र में आगे होते है अत: हमें उन बच्चो की रूची के अनुसार उन्हे आगे बढ़ने का अवसर प्रदान कर उनका सर्वांगीण विकास करना चाहिये।
ReplyDeleteनेहा बैष्णव
शा.उच्च.मा.विद्यालय चेटबा
जिला-जशपुर (छ.ग.)
कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों की रुचि, सोच, क्षमता अलग अलग होती है इसलिए उन पर दबाव डालकर रुचि और क्षमता के विरुद्ध कार्य करवाने से वे पिछड़ जाते हैं साथ ही कक्षा में तुलना करने से हीन भावना से ग्रस्त हो जाते हैं.
ReplyDeleteअतः हमें आकलन करते हुए विद्यार्थियों को रुचि के अनुसार प्रोत्साहित करना चाहिए.
ताकि वे अपनी पसंदीदा क्षेत्र में दक्ष हो सकें
और आगे बढ़ सकें.
सुचिता मुखर्जी, शा. उ. मा. शाला, वृन्दानगर
संसार के सभी बच्चों को ईश्वर ने बुद्धि प्रदान की है इन बुद्धि का क्रियान्वयन करने के लिए गुण गुरुओं में दिया है अतः शिक्षकों का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए की हर एक छात्र छात्राओं को उनके कमजोरियों को पहचानते हुए उन कमजोरियों को या उन कमियों को उनकी सरलता के अनुसार कैसे दूर करें क्योंकि हर एक बच्चा योग्य है
ReplyDeleteबच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
इस कहानी से यह सिख मिलती है कि हर बच्चा इस्पेसल होता है।हमारे कक्षा में उपस्थित बच्चों में कुछ ना कुछ अंर्तनिहित दक्षता होती है जिसकी पहचान करके हमे उसे आगे बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए न कि पुराने ढर्रे का इस्तेमाल करते हुए।
ReplyDeleteHar bachhe me alag yogyta aur pratibha hoti hai aur sabhi bachho ki ruchiya b alag alag kshetro me hoti hai har bachha har field me aage ni ho skta h unki ruchi k Anusara aage badhne hetu protsahit krna chahiye
ReplyDeleteAprajita singh G.H.S.S TAGA
We learnt from story that Every child has different types of quality .we must use different types of educational method, technics for their better learning.
ReplyDeleteयह कहानी हमे यह बताती है कि , हमारी कक्षा में विबिन्न योग्यता ,रुचि और क्षमता के बालक होते है , कुछ जल्दी सीखने वाले , कुछ थोड़ा अधिक समय लेने वाले कुछ ऐसे भी जिनकी योग्यता या रुचि के अनुरूप पाठ्यक्रम न हो तो वे कुछ भी नही सिख पाते ।
ReplyDeleteऐसे में पाठ्यक्रम और सीखने सिखाने की व्यवस्था इन सभी विभिन्नताओं और योग्यताओं को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए ।
सभी बच्चों की सिखाने की क्षमता भिन्न होती है। सभी बच्चों का अलग अलग क्षेत्रो में प्रदर्शन और रूचि होता है हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना है। और एक समावेशी कक्षा बनाना है।
ReplyDeleteमेरा विद्यालय शहर में है। जहां शासकीय विद्यालय में मेरे विचार से विविधता सबसे अधिक देखने को मिलती है। कक्षा में 15-20 गाँव के बहुत से बच्चे पढ़ने आते हैं । इनमें से कई आर्थिक लिहाज़ से, कई सामाजिक तौर पर, तो कई शारीरिक तौर पर भी विविधता लिए होते हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चों में समन्वय स्थापित करना मेरा सबसे पहला कार्य होता है। इसके लिए मैं विषय-वस्तु को पढ़ाने के पश्चात् उनमें एक दूसरे से सीखने और विषय-वस्तु में पढ़ाए हुयी चीजों में, जो समझ नहीं आता उसे एक दूसरे से समझने हेतु उत्साहित करते-करते, वे एक दूसरे की इन विविधताओं को सम्मान देने लगते हैं। इस प्रकार किसी विद्यार्थी में अपनी अलग होने की हीन भावना जागृत ना हो ऐसा प्रथम प्रयास रहता है। और इस प्रकार एक अंदरुनी खुशी कक्षा से निकलते वक्त मुझमे होती है।
We should be understood our students qualities then we decide how we intro deuce their strength and work out.
ReplyDeleteHmari class m bhut si bhinn bhinn yogytao wale bcche hote hai .ydi HM unhe smjhkr yogytanusar age bdhay.to y students Apne Apne kshetra m bhumulya yogdan de skte h.or hmare desh Ka name Roshan krenge.jai hind
ReplyDeleteइस कहानी ने एकबार हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद👍👍💐💐
ReplyDeleteकक्षा में विविधता छात्रों में आर्थिक सामाजिक और मानसिक स्तर पर विचारों का बदलाव बहुत जरूरी है विविधता का तात्पर्य कदापि भी उनके साथ भेदभाव करना नहीं होता बल्कि विविधता का अर्थ तात्पर्य है कि विभिन्न प्रकार के लोगों की सोच भावनाओं और विचारों का एकीकरण किया जा सके
ReplyDeleteशिवकुमार केशी (व्याख्याता) हिंदी
शासकीय हाई स्कूल मेंउ
विकासखंड पामगढ़ जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़
विद्यार्थियों की रुचि,सीखने की गति,क्षमताओं का भली प्रकार से आकलन करते हुए,शिक्षण कराना ही इस कहानी का उद्देश्य है। टीचर्स को इन बातों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर,अपने अध्यापन कौशल को विकसित करना होगा।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सीखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।सभी को अपनी प्रतिभा निखारने के लिए अवसर एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए।
ReplyDeleteऋषि कुमार साहू व्याख्याता
हाई स्कूल बगरुमनाला जिला-धमतरी
इस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद।
ReplyDeleteइस कहानी में हमारा ध्यान हमारी कक्षा में विद्यार्थियों की रचनात्मक विभिन्नता की ओर खींचा है साथ ही हमारी अघ्यापन शैली विद्यार्थियों से हमारी अपेक्षाओं पर प्रश्न चिन्ह लगाया निश्चित ही इस कहानी पर विचार करने के बाद मुझे अपनी अध्यापन शैली में बदलाव की आवश्यकता महसुस हुई है। वास्तव में सभी छात्रों में कुछ ना कुछ विशेष गुण होते हैं । अतः सभी छात्रों को उनके विशेष गुणों की पहचान कर मूल्याकंन किये जाने का अवसर दिया जाना चाहिए । इस कहानी के रचनाकार व प्रस्तुति कर्ता आहूजा मैम को बधाई व धन्यवाद।
ReplyDeleteSandeep kishor Bhatnagar.
Govt higher secondary school, Tiriya.
Block- jagdalpur
Sabhi bacchon ka iq level bhinn hoti hai,shikshak ko chahiye k wo pehle unko jaache aor usi anusar apne shikshan vidhiyon me parivartan karte huye bacchon ko seekhane ka prayas kare
ReplyDeleteजानवर की पाठशाला नामक कहानी से मुझे यह ज्ञात हुआ कि कक्षा में सभी बच्चे में अलग अलग प्रतिभा और कौशल होते हैं। अतः एक शिक्षक को बच्चों की विशेष प्रतिभा को उभारने में एक सच्चा पथ प्रदर्शक और सलाहकार के रूप में कार्य करना चाहिए जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteनवीन कुमार बघेल (व्याख्याता गणित)
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,घोटिया (बस्तर)
द एनिमल स्कूल से हमे यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान क्षमता वाले नहीं होते है, सबकी क्षमताएं भिन्न भिन्न होती है सभी में कुछ न कुछ विशेष गुण और हुनर होता है,हमे उसी हुनर में निखार लाना है बच्चो पर अनावश्यक रूप से दवाब नही बनाना चाहिए हमे बच्चो की रुचि का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteKahani ke Saare patra kisi na kisi roop me hamen apni class me dekhne mil jayenge.....ham teachers ke karya hain ki ham apni bachchon ke pratibha aur sikhane ki kchhamta ke hisaab se kaise unhe gyanarjan karayen avam kisi ko bhi sikhane se vanshi na ho aisa prayas sada karte rahen
ReplyDeleteकक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। सभी मे कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होता है। हमे उनके इस प्रतिभा को ही बाहर निकालना है।
ReplyDeleteसभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नही बढ़ सकते,वे किसी विशेष क्षेत्र में ही अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं। बच्चों पे अधिक दबाव बनाना सही नहीं।
बच्चों की रुचि को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।
अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि के क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह अपना सर्वांगीण विकास कर सकेl
Each student have their own quality and excellence.we as a teacher have to promote their capabilities by different teaching methods.
ReplyDeleteArpana Minz
Lecturer Biology
G.Hr.S.S Bhagwanpur
कहानी सुनने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुचि कि प्रत्येक बच्चे की एक विशेष रुचि और गुण होता है जो उन्हें परिपूर्ण बनाता है और उसके अनुसार हमें अपनी शिक्षा की प्रक्रिया को चुनना चाहिये. और उसके अनुसार हम छात्र का मूल्यांकन करें
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में विभिन्न स्तर के विद्यार्थी पढ़ते है उनके स्तर के अनुरूप व रुचि के अनुसार सभी विद्यार्थियों को शिक्षा दी जानी चाहिए ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteहर विद्यार्थी में कुछ विशेष गुण होते हैं,बस हमे उनके गुणों को पहचान कर उनको उचित अवसर प्रदान करना है ताकि उनमें छिपी प्रतिभा बाहर निकल सके और वह पूरे आत्मविश्वास व लगन से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
ReplyDeleteIs kahani se hamen yaha Sikh milati hai ki bacchon mein alag alag gun aur kausal hote Hain. Humein bacchon ke hunar ko pahchan kar unhen nikarne ki koshish karni chahiye taki vah Apne hunar ke dwara jivan mein kuchh achcha aage chalkar hasil kar sake, apni chhamata ke anusar hi unhen humein aage badhane dena chahiye aur Sahi Marg dikhana chahie ..
ReplyDeleteNicky Agrawal
Lecturer
GHSS Raikheda
यह कहानी बहुत ही मार्मिकता के साथ शिक्षा देती है साथ ही स्वंम को आईना दिखाने का कार्य भी करती है सच है कई बार हम सब कहीं न कहीं ऐसी ही भूल कर बैठते है और सब का एक समान आंकलन करते है जबकि प्रत्येक बच्चे की अपनी अलग खासियतें होती है और अलग कमजोरी भी होती है हमें इसे पहचानने की आवश्यकता है और उनके अनुरूप उनके गुणों को और निखारने के एवं कमियों को दूर करने की दिशा में कार्य करना होगा तभी हम सब बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप विकास के पथ पर अग्रसर कर पायेंगे
ReplyDeleteWe can improve and develop that to every children's/student's skills through their interest.
ReplyDeleteकहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
ReplyDeleteअपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।We can improve and develop that to every children's/student's skills through their interest.
हम सब जानते हैं कि विविधता सब जगह मौजूद होती है। यह बात हमारे विद्यालय पर भी लागू होती है। हमारे बच्चों में भी विभिन्न प्रकार की विविधताएँ पाई जाती हैं, हमें इनका सम्मान करना चाहिए। बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।सभी बच्चे सब क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकते ।वे किसी एक विशेष क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं।
ReplyDeleteClass me variuos character ke student hota h ..unke in character ke according hi hme apni teaching technique ko apply krna chahiye jisse student ka wholestic development ho ske ...sbhi student ko unke guno ke according apnana chahiye...unke manobal ko bdana chahiye ...
ReplyDeleteI understood that the teacher should deal the students of different capabilities with different teaching methods to develop their personalities. A teacher must examine the students' talent and teach them accordingly with their potential.
ReplyDeleteकक्षा में बच्चे विभिन्न विचार वाले होते हैं उनके अपने अपने विचार होते हैं हमें उनके विचारों को समझ कर जानकर हमें पढ़ाना चाहिए । कक्षा में विविधता वाले बच्चे आते हैं उनके अधिगम को ध्यान में रखते हुए हम अपने अधिगम शैली में परिवर्तन हमे उनके अनुरूप करना चाहिए।
ReplyDeleteहमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए बच्चों की विविधता को ध्यान में रखकर ही हमें अपनी शिक्षण विधि व शैली को चुननी चाहिए, तभी हम समावेशी शिक्षा को सफल बना पाएंगे।
ReplyDeleteThere are children with different thinking in our class, in which some children are very pioneer in the field. So we should provide opportunities to the children to learn according to their interest. Apart from this, they are very ahead in that field. Therefore, by changing our teaching method, we should think about the work according to the interest of the children, so that the activity of learning becomes easy for them.
ReplyDeleteकहानी बेहद ही शिक्षाप्रद एवं प्रेरणादायक है। हम बच्चों की रुचि व समझ के आधार पर उन्हें आगे बढ़ने सीखने हेतु प्रेरित व प्रोत्साहित करें तो उनकी प्रतिभा अवश्य निखरेगी और वे अपनी मंजिल अवश्य पा सकेंगे।
ReplyDeleteबच्चो मेे पड़ने लिखने की समझ भिन्न भिन्न होती है हमें उसी के अनुरूप अधिगम शिक्षण देनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चो को शिक्षण देने वाले शिक्षक के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है
ReplyDeleteबच्चो को उनकी अधिगम स्तर के अनुसार सिखाना चाहिए और सभी बच्चों को साथ में लेकर चलना चाहिए।
ReplyDeleteएक कक्षा में अलग-अलग योग्यता और अलग-अलग समझ के बच्चे होते है। सभी को उनकी व्यक्तिगत रुचि और योग्यता के अनुसार पढ़ाया और सिखाया जाना चाहिए..
ReplyDeleteइस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
ReplyDeleteइस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि जिस तरह से जानवरों के स्कूल में भिन्न-भिन्न योग्यता वाले जानवर आते हैं, उसी तरह से हमारे स्कूल में भी भिन्न-भिन्न रुचि, योग्यता और परिवेश से छात्र आते हैं । हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
ReplyDeleteदयाशंकर सिंह
व्याख्याता
शा0 बा0 उ0 मा0 वि0 लुंड्रा
जिला सरगुजा
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।अपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चें आसानी से सीख सकें ऐसा न हो कि ख़रगोश की तरह स्कूल से भाग जाये।
ReplyDeleteबच्चों की योग्यता आधारित शिक्षा होनी चाहिए।
ReplyDeleteमुझे यह कहानी अत्यंत ही शिक्षा प्रद लगी
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए
ReplyDeleteजानवरो का विद्यालय कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश से छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्र सभी कला में निपुण हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी का दायित्व है कि छात्रों के प्रतिभा को पहचानकर उसके सामाजिक और नैतिक मूल्यों का विकास करे ।
ReplyDeleteकहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। हमें छात्रों को उनके रुचि, योग्यता और कौशल को ध्यान में रखते हुए सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चे आसानी से सीख सकें
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार ही आगे बढ़ाना चाहिए यदि उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिसमें उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगता तो वह क्षेत्र में आगे बिल्कुल भी नहीं बढ़ पाता है अतः हमें बच्चों की क्षमता का परीक्षण कर दी उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाना चाहिए इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रत्येक बच्चों में अलग-अलग व्यक्तिगत गुण पाए जाते हैं उसके अपने घर-परिवार औरआसपास माहौल का भी प्रभाव पड़ता है, इसलिए उसके व्यक्तिगत गुणों का पहचान करके हमें उनके शिक्षण में सहयोग करना चाहिए
ReplyDeleteयह कहानी प्रेरणादायी और आत्मचिंतन के योग्य है।बच्चों में जन्मजात निहित गुणों को पहचान कर उनकी क्षमता के अनुरूप तराशना है।वह विद्यालय में अपनापन महसूस कर सके।
ReplyDeleteअनुपम बारीक व्या. केम्प1 भिलाई
हर बच्चे की सीखने की छमता अलग होती है उसकी एक विशेष कार्य मे करने की रुचि होती है उसके अनुसार ही उसे सीखाना चाहिए सबको एक ही तरीके से नही सीक सकते शिक्षक उसकी रुचि को पहचाने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करे।
ReplyDeleteअर्चना जोशी
प्राचार्य हाई स्कूल मोपका बिलासपुर
हमारी कक्षा में अलग-अलग रुचि क्षमता और प्रतिभा वाले बच्चे होते हैं उनकी इन अलग-अलग गुड़ों के अनुसार क्षमता विकास के लिए अवसर मिलना चाहिए
ReplyDeleteहमारे कक्षाओं में बच्चे विभिन्नता, और विशेषता, लेकर आते हैं, वे अपने अपना पूर्व अनुभव अपनी भाषा, समझ अपने साथ लाते हैं, प्रत्येक बच्चे में सभी प्रकार की बुद्धिमत्ता ,और जिज्ञासा होती है, परन्तु विभिन्नता और असमानता के कारण वो अपने आप को व्यक्त नहीं कर पाता।
ReplyDeleteहमें बच्चों को खुले और मुक्त वातावरण प्रदान करते हुए, समावेशन को अपने कक्षा कक्ष में लागू करना होगा।
कहानी चिंतन योग्य है बच्चों की मौलिक रूचि और समझ के आधार पर उनके लिए सीखने के अवसर उपलब्ध कराकर हम अपने कक्षा शिक्षण को प्रभावी बना सकते हैं ।
ReplyDeleteजानवर की पाठशाला कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यार्थियों में जो कौशल है,उसी को इंप्रूव करने का प्रयास किया जाए । बच्चों मेंअनेक प्रतिभाएंहोती है।जिससे वह अपने कौशल के द्वारा जीवन में कोई अच्छी उपलब्धियां हासिल कर सकें। प्रदीप कुमार भास्कारवार, व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैम्प 1
ReplyDeleteहर विद्यालय में अलग अलग बुध्दि लब्धि और विभिन्न रुचि के छात्र होते उन छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न गतिविधि के माध्यम से पढ़ाना चाहिए छात्र में पहले से मौजूद प्रतिभा को उभारने के प्रयास करने चाहिए । Priyanka Singh sengar
ReplyDeleteसभी बच्चे अपने घर परिवेश से कुछ कुछ चीजों में हुनर सीख कर आते हैं और उनमें रुचि रखते हैं। उनके इन्ही हुनरों को कक्षा में छोटे छोटे समूह शिक्षण से एक दूसरे से ज्ञान बढ़ा सकते हैं।
ReplyDeleteHame her bacche ki yogyta aur kaushal ke anururup shiksha dena chahiye savtantra rup se.
ReplyDeleteकक्षा में विविध बुद्धि स्तर एवम विविध रुचियों के बच्चे होते है।हमे सभी बच्चों की रुचियों को ध्यान के रखकर शिक्षण कार्य करना चाहिए जिससे ये बच्चे अपने रुचिपूर्ण विषयवस्तु मे ज्यादा ध्यान केंद्रित करके सफलता प्राप्त करे।
ReplyDeleteकहानी बहुत शिक्षाप्रद लगी।इस कहानी से ज्ञात होता है कि सभी बच्चों की सीखने की क्षमताएं अलग अलग होती है उनकी रुचि क्षमता और दक्षता के आधार पर ही शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।ताकि वे उत्साहपूर्वक ध्यान केन्दित कर सफल हो सकेंऔर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें।
ReplyDeleteडॉ मीना सिंह
प्राचार्य,शा उ मा शाला लिमतरी
बिलासपुर,छग
इस कहानी से हमें यह ये मार्गदर्शन मिला की हमारे स्कूल में आने वाले विद्यार्थी अलग अलग सोच अलग अलग हुनर वाले अलग अलग माहौल के होते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी का अपना काबिलियत होता है सभी का रूचि पढ़ाई में ही हो ऐसा नहीं है सबका अपना अपना उद्देश्य होता है। कोई अच्छा गाना गा सकता है तो कोई अच्छा डांस कर सकता है। किसी का रूचि पेंटिंग में है तो किसी का खेल में। कहने का मतलब ये है की विद्यार्थियों को उनके काबिलियत के आधार पर आगे बढ़ाना बेहतर होगा। जिस छेत्र में रूचि है उसे उसी मार्ग में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
ReplyDeleteभूपेंद्र कुमार घृतलहरे
ब्याख्याता
शा. उच्च. माध्य. वि. मल्दा
बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।
ReplyDeleteEvery Student is individual and having certain capacity and ability so we must accept their individuality and teach them accordingly. The story represents traditional Indian educational view in modern concept.
ReplyDeleteDharmendra Prasad Saraswat
Lecturer
Govt. Higher Secondary School Chilhati
District - Rajnandgaon (C.G.)
बच्चों को उनकी रुचि अनुसार करने का मौका देना चाहिए। जिससे वे अपने कार्य मे सफलता हासिल करेंगे वा खुश भी रहेंगे।
ReplyDeleteजिस छात्र की जैसी रूची उसी को सीखने का अवसर मिलना चाहिए। जो नये शिक्षा नीति में संभव है।
ReplyDeleteकक्षा में सभी विद्यार्थियों के गुण तथा क्षमता अलग अलग होती है तथा प्रत्येक विद्यार्थी प्रत्येक क्षमता में निपुर्ण हो ऐसा मुश्किल है परंतु प्रत्येक विद्यार्थी को हर एक गुण से परिचित अवश्य होना चाहिए ताकि वह अपने क्षमता को पहचान सके।
ReplyDeleteThis story shows how as a teacher we discriminate our students. It is very essential to give prefrence to child interest because every child has specific character.
ReplyDeleteहमारे स्कूल में अलग-अलग स्तर के बच्चे होते हैं। जब हम कक्षा कक्ष में बच्चों को पढ़ाते हैं या उनका आकलन करते हैं उस समय हमें यह देखने को मिलता है कि जिस क्षेत्र में बच्चों की रुचि ज्यादा होती है उसका प्रदर्शन अच्छे तरीके से कर लेते हैं। सभी बच्चों में एक जैसा गुण नहीं होता। सब में कुछ ना कुछ अंतर होता है। अतः हमें बच्चों का आकलन करते हुए उनके रूचि अनुसार बढ़ावा देना चाहिए। ताकि उसमें वह अच्छे से दक्षता हासिल कर सकें और वह आगे बढ़ सके।
ReplyDeleteइस कहानी के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हर एक विद्यार्थी में कुछ ना कुछ खूबी जरूर होती है और उनकी इसी खूबी को ध्यान में रखते हुये हमें उन्हें शिक्षा की ओर अग्रसर करना है ताकि उनकी रूचि पढ़ाई में बनी रहे।
ReplyDeleteधन्यवाद !
कहानी के अनुसार बच्चों में सीखने की प्रवृति अलग अलग होती है,अतः शिक्षक एवं पालक आपस में मिलकर मनोवैज्ञानिक तरीके से कार्य करेंगे तभी बच्चों का समग्र विकास होगा.
ReplyDeleteमॉड्यूल १प्रत्येक बच्चे में कुछ ना कुछ प्रतिभा पाई जाती है। हम शिक्षकों को बच्चों की प्रतिभा को ध्यान में रखकर उनकी इस विशेष प्रतिभा को निखारके उसे क्षेत्र विशेष में उल्लेखनीय सफलता हासिल कराने में योगदान देने का प्रयास करना चाहिए।(देवेंद्र सिंह राजपूत) व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घुटकू
ReplyDeleteप्रत्येक छात्र की अपनी अलग अधिगम क्षमता व रूचि होती है जो उसे किसी विशेष क्षेत्र में अधिक क्षमतावान बनाता है। प्रत्येक छात्र की रुचि व उस विशेष गुणको जानना और उसके अनुरूप शिक्षा प्रदान करना जरूरी है ताकि हम प्रत्येक छात्र को उसके गुणों के अनुसार और अधिक प्रोत्साहित कर सकें।
ReplyDeleteप्रत्येक छात्र मौलिक होता है और उसमें कुछ क्षमता और योग्यताएँ होती है इसलिए हमें उनके व्यक्तित्व को स्वीकार करना चाहिए और उसी के अनुसार उन्हें पढ़ाना चाहिए। कहानी आधुनिक अवधारणा में पारंपरिक भारतीय शैक्षिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है।
ReplyDeleteधर्मेंद्र प्रसाद सारस्वत
व्याख्याता
शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चिल्हाटी
जिला - राजनांदगांव (छ.ग.)
सभी बच्चों में अलग - अलग गुण,क्षमता, रुचि होती है उन्हें उन्ही के अनुसार आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करना चाहिए ।
ReplyDeleteAnil kumar sharma
ReplyDeleteसभी बच्चो में एक जैसी गुण नही होते ।बच्चीं को उनकी रुचि ऐण्ड capability के अनुसार आगे बढ़ाना ही हमारा कर्तव्य हे।
सभी छात्र एक समान नहीं होते हैं पर सभी छात्रों में अपनी अलग अलग प्रतिभा छिपी हुई होती हैं ... हमे जरूरत हैं उनकी प्रतिभा को बाहर निकलने की और उनकी जरूरत की हिसाब से उन्हें पढ़ाई करवाने की ।।
ReplyDeleteजानवरों के स्कूल कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि क्लास में अलग अलग क्षेत्रों में रुचि रखने वाले बच्चे होते हैं साथ ही उनकी समझने की क्षमता भी एक समान नही होती ।उन्हें उनकी क्षमता को पहचान कर सिखाने का प्रयास किया जाना उचित होगा।
ReplyDeleteशंकर लाल पुरी
व्याख्याता
शास.हाई स्कूल-कुडकई
जिला-जी. पी.एम.
Hamari class mein mein vibhinn Prakar ke bacche hote hain jinki samajh alag alag Hoti Hai Hamen main Unki Samajh Ke anusar vibhinn Prakar ki gatividhiyan Karke unhen Samjhana chahie jisse Sabhi bacchon Ke Sath Milkar Shiksha prapt kar sake
ReplyDeleteइस कहानी से हमें सीख मिलती है कि सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा होती हैं उसे पहचान कर उस बच्चे को अपने उस प्रतिभा को निखारने की सीख देनी चाहिए जो बच्चों को पसंद ना हो उसे थोपना नही चाहिए
ReplyDeleteरूचि ये अनुसार सिखने कि स्वतंत्रता होनी चाहिए। व अवसर भी।
ReplyDeleteHSS
KONARI
PALARI
BALODA BAZAR
रूचि के अनुसार सिखने कि स्वतंत्रता होनी चाहिए। व अवसर भी
ReplyDeleteFrom story we concluded that each and every student has it's own quality and some weak points. As a teacher it's our duty to improve it's quality and work on student according to it's requirement and change our way of teaching to make student weakness it's power.
ReplyDeleteसभी विद्यार्थी विशेष होते हैं। उनकी व्याक्तिगत भिन्नता और अभिरुचि के अनुसार अध्यापन और आकलन की आवश्यकता है। तभी शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
ReplyDeleteहमारे कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले विद्यार्थी होते है सब विद्यार्थियों की अलग अलग रुचि होती है , सब में अलग प्रतिभा होती है ,, हमें उनकी रुचि के अनुसार सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए , उनकी प्रतिभा को निखारना चाहिए,, हम हर समय सभी छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते है,, लेकिन हम अपने अध्यापन में विविधता ला सकते है और छात्रों को उनके द्वारा की जाने वाली सीखने की कुछ गतिविधियों के विषय में किसी विकल्प की पेशकश कर सकते है। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें आगे बढ़ने में प्रोत्साहित कर सकते हैं।
ReplyDeleteजब बच्चा स्कूल आता है तब वह अपने परिवेश से बहुत कुछ ज्ञान रखता है और कुछ विशेष प्रतिभा उनमे जागृत होती है हम उनके उस दक्षता को पहचान कर उनको उनके अनुरूप अवसर प्रदान करें जिससे वह प्रोत्साहित हो और अपने क्षमता अनुरूप विशेष योग्यता हासिल कर सके
ReplyDeleteबच्चे अलग अलग परिवेश से आते है ।कहानी के अनुसार सभी बच्चो को एक ही तरीके से न तो सीखाया जा सकता है और न ही सब बच्चो की रूचि एक जैसी होती है
ReplyDeleteSabhi bachho me pratibhaye saman nhi hoti. Aur na hi sbhi ko ek hi trh se sikhaya ja skta h. unki yogyta ke aadhar pr sikhane ka prayas krna chahiye
ReplyDeleteजानवरों की पाठशाला की तरह हमारा विद्यालय होता है, विद्यार्थी में कई तरह की विभिन्नता एवं विविधता पाई जाती है प्रत्येक विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में निपुण नहीं हो सकता अलग-अलग विद्यार्थी अलग-अलग क्षेत्र में निपुण हो सकता है किसी भी छात्र को हमें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय का वातावरण ऐसा होना चाहिए जिससे विद्यालय हमारा व्यवहार एवं कुशल करने के लिए विद्यार्थी को अवसर देनी चाहिए जब तक हम किसी विद्यार्थी को अवसर नहीं देंगे वह विद्यार्थी नहीं सीख सकता जिस तरह बदक एवं गिलहरी अपने क्षेत्र में निपुण थी लेकिन कोई आवश्यक नहीं है कि हमेशा विद्यार्थी किसी एक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करें और आज की हमारी शिक्षा पद्धति को बदलने की भी आवश्यकता है, जो मापदंड तय किया जा रहा है यह बच्चों को हतोउत्साहित एवं उत्साहित दोनों कर सकता है ,क्योंकि जो बच्चा कम अंक प्राप्त करता है उसके मन में बहुत हीन भावना जागृत हो जाती है ,इससे बचने के लिए हमारी शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो उनका खुद का हक है वह उनको मिलनी चाहिए और हम सभी शिक्षकों को अपने व्यवहार एवं कार्यों रूचिकर गतिविधि से अच्छी शिक्षा देने से आगे बढ़ सकता है।
विद्यालय प्रत्येक के लिए खुला होना चाहिए क्योंकि इसमें कई तरह के विद्यार्थी हमारे विद्यालय में आते हैं और वह ना जाने कौनसी क्षेत्र में आगे बढ़ जाए यह कौन सा क्षेत्र में आगे बढ़ेगा कोई नहीं जानता।
बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि सभी बच्चों की क्षमता एक समान नहीं होते हैं। जबरन किसी काम को लादना उचित नहीं है।
ReplyDeleteताराचंद कौशिक
(स.शि.)
शास.उ.मा.वि.चोगरीबहार
जिला जशपुर
Hame sabhi students ki individual quality ko dhyan me rakhte hue hi unhe motivate karna chahiye aur unhi quality ke basis par unka evaluation karna chahiye, nahi to unki qualities depreciate ho jati hai.
ReplyDeleteMrs. Rashmi Choubey
Govt. H. S. S. Kotagaon, dist- Balod, C.G.
Individual differences shiuld be taken into consideration while following the syllabus and conducting different activities
ReplyDeleteSabhi student me kuch special quality hoti hai use e pahchana he aur usko usi method se padhya jaye to vah jarur success hoga
ReplyDeleteबच्चे अपने क्षमता अनुसार सीखते हैं उनके क्षमता अनुसार ही प्रेरित करना चाहिए ताकि उनको बोझिल ना लगे
ReplyDelete/
Sabhi student me ek special quantity hoti hai usi ke anusar usee padha na hai tab usee success nishchit milagi
ReplyDeleteSmt seema Rajoriya
Govt.H.s.s.kotagaon
Dis-Balod
व्यक्तिगत भिन्नता मानव का व्यवहारिक गुण हैं, सभी में अद्वितीय शक्ति होती है, शिक्षक को अपने बच्चों के व्यवहार/गुणों की जानकारी के मुताबिक पाठचर्या/ पठन-पाठन का निर्धारण सरल और बोझिल रहित बना कर बनाई जा सकती है, यह सभी विषय पर किया जा सकता है।
ReplyDelete*बच्चो में निहित क्षमता को आधार बनाकर उनका सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। बच्चों के सिखने से लेकर मूल्याङ्कन तक उनकी उनकी रुचि, पारिवारिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि,उनके परिवेश आदि को आधार बनाना चाहिए।
ReplyDeleteजितेन्द्र कुमार ठाकुर
शा.उ.मा. वि. Kotagaon
Bk:-Dondi, Dist:-बालोद*
प्रत्येक बच्चे की अपनी विशिष्ट रूचि और योग्यता होती है एक शिक्षक होने के नाते हमें विद्यार्थी की रूचि को पहचान कर उन्हें उसी के अनुरुप पढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों को उनकी कौशल के अनुसार ही अवसर देना चाहिये ।यदि उन्हें विपरीत क्षेत्र में आगे बढ़ाए,जिससे उनका मन बिल्कुल भी नही लगता ,तो वह उस क्षेत्र में बिलकुल भी आगे नही बढ़ पायेगा।अतः हमें छात्रों की योग्यता का अवलोकन कर उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चें में प्रतिभा होती है केवल उसे पहचानने की जरूरत होती है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे व्यक्तिगत रूप से भिन्न होते है। व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखते हुए सभी बच्चों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर देना चाहिए। क्योंकि यह सत्य ईश्वर ने सभी को समान नहीं बनाया है, यह भी हकी़कत है कि किसी को भी किसी से कम नहीं बनाया है। अर्थात हर बच्चा प्रतिभाशाली होता है, यह बात अलग है कि सबकी प्रतिभा का क्षेत्र अलग- अलग होता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की क्षमता अलग-अलग होते हैं किसी एक एक्टिविटी के आधार पर उसकी पूरी क्षमता का आकलन नहीं किया जा सकता सब के गुण अलग-अलग हैं हम 1 गुण को ले करके अगर चलेंगे और उसमें सोचेंगे कि जो स्कूल में पारंगत है और उसी के आधार पर उसका आकलन करेंगे तो उस बच्चे की जो दूसरे को है वह इसमें कहीं ना कहीं दब से जाते हैं और उन गुणों का पूरा विकास नहीं हो पाता है
ReplyDeleteEvery child is different
ReplyDeleteTheir abilities And interests are different
We should not pressurised children
And give them equal opportunity to show their talent
शाला में विभिन्न क्षेत्रों से बच्चे आते हैं और उन्हें उनके क्षेत्र के अनुसार उनमें रुचि व ज्ञान होता है अतः हमें उनके रुचि व ज्ञान को ध्यान मे रखते हुए उन्हें अवसर प्रदान करना चाहिए ताकि बच्चे अपने स्तर से सीख सकें।
ReplyDeleteहमारी कक्षा में विभिन्न सोच विचार वाले बच्चे होते हैं, जिसमें कुछ बच्चे कुक्षेक क्षेत्र में बहुत ज्यादा अग्रणी होते हैं ।अतः हमें यह होना चाहिए कि बच्चों की रूचि के अनुसार उनको सीखने का अवसर उपलब्ध कराना चाहिए ।इसके अलावा वे उस क्षेत्र में बहुत आगे जा सकते हैं अतः हमको अपने शिक्षण पद्धति को बदलते हुए बच्चों के रूचि के अनुसार उनको कार्य सोचना चाहिए जिससे उनको सीखने की गतिविधि आसान हो जाए ।कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक जैसा नहीं होते।इसलिए हमें हर एक बच्चों की योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उनके रूचि के अनुसार उनको स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDelete-Santoshi panigrahi
Lecturer govt. HSS ghatlohnga
Bastar...
सभी कक्षा मेंअलग-अलग रूचि एवं स्तर
ReplyDeleteके विद्यार्थी रहते हैं।उनकी अभिरुचि एवं
क्षमता के अनुरूप उन्हें शिक्षण मिले तो
वे बेहतर अभिव्यक्ति दे सकते हैं।बतख
को दौड़ना तथा खरगोश को तैरना सिखाना तो समय और ऊर्जा का अपव्यय ही होगा।
गौरीशंकर यादव
प्राचार्य
शास.हाईस्कूल बुटाकसा
वि.खं. चौकी, जिला-राजनांदगांव.
बच्चों की रूचि के अनुसार उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए ।
ReplyDeleteहर बच्चे की रुचि और योग्यता अलग अलग होती है एक शिक्षक को उनकी योग्यता के अनुरूप उसे आगे प्रोत्साहित करना चाहिए।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि, सभी बच्चों में सहजात गुण होते हैं,उसको परखना चाहिए,ऐसी शिक्षा होनी चाहिए कि बच्चे की मौलिक प्रतिभा कमजोर न हो।
ReplyDeleteकक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं --
ReplyDelete1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना।
2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना।
3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना।
4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना।
5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना।
कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए जानवर की पाठशाला कहानी से हमें निम्न क्रिया बिंदु प्राप्त होते हैं --
ReplyDelete1) शिक्षा के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए छात्र के व्यवहार में समुचित परिवर्तन लाना।
2) प्रत्येक छात्र की ईश्वर प्रदत्त क्षमता प्रतिभा रुचि और मानसिकता को पहचानना।
3) प्रत्येक बच्चे को उन्हीं से संबंधित गतिविधियों में रुचि लेने हेतु उत्साहित करना।
4) किसी भी बच्चे को उसकी अरुचिकर गतिविधि हेतु और कार्य पूरा ना करने पर दबाव ना डालना।
5) गतिविधि पूर्ण ना कर पाने की स्थिति में बच्चे को कक्षा के सामने को निराश और अपमानित ना करना।
कविता बिजोलिया व्याख्याता
शासकीय महारानी लक्ष्मी बाई उ मा विद्यालय जगदलपुर बस्तर छ ग
कहानी को सुनने के बाद मुझे बहुत अच्छा लगा कक्षा में जो गतिविधियां होनी चाहिए और बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर काम देना चाहिए
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में विभिन्न स्तर के छात्र-छात्रायें पढ़ते हैं कोई कोई बच्चे किसी भी कंटेंट को पढ़ने समझने में बहुत अच्छे हैं वहीं कुछ कुछ विद्यार्थियों को बहुत परेशानी होती है। मैं हमेशा कोशिश करता हूँ कि सभी विद्यार्थियों को मेरे द्वारा पढ़ाया जा रहा पाठ्यक्रम आसानी से समझ आये, इसमें मैं कुछ हद तक सफल भी रहा हूँ।
ReplyDeleteHame class ke sabhi students ko ek jaise mulyankit nahi karna chahiye. Unke talent aur interest ko dhyan me rakhte hue assignment dena chahiye
ReplyDeleteIs kahani se yah shiksha milti hai ki alag alag baccho ki visheshta alag hoti hai hame sabhi baccho ko ek sath lekar chalna hoga lekin jin vishyon me unki pakad acchi hai use badhava dena chahiye
ReplyDeleteEvery student is unique.the quality and ability may differ from student to student .As a teacher its our responsibility to recognize the student with such qualities and improve them according to their nature and interest
ReplyDeleteइस कहानी की तरह हमारे स्कूल में भी विभिन्न रूचि और क्षमता रखने वाले बच्चे आते हैं, इसलिए हमें उनकी रूचि और क्षमता के आधार पर ही शिक्षा देना चाहिए, ताकि हर बच्चा अपनी रूचि और क्षमता के आधार पर सीख सके.और आगे बढ़ सके
ReplyDeleteइस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों में बचपन से ही कुछ ना कुछ विशेषताएं होती हैं साला आने पर हम उसे पाठ्यक्रम का नाम देकर उसकी विशेषताओं को को कम कर देते हैं अतः सभी बच्चों को उनकी विशेषता के अनुरूप सिखाया जाना चाहिए जैसे जो बच्चे खेल में रुचि लेते हैं उन्हें खेलने आगे बढ़ाना चाहिए तथा जो बच्चे ड्राइंग पेंटिंग में रुचि रखते हैं उन्हें उसी में आगे बढ़ाना चाहिए एवं जो बच्चे डांस या गाने में रुचि रखते हैं उसे हमने उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार से उनकी व्यवसायिक क्षमता का भी विकास होता है।
ReplyDeletewe have to consider each and every student and taught according to their own plus and minus
ReplyDeleteEach & every student has different abilities. Also there capacities differ from child to child ,so the teaching methods must vary for them to form an equal & responsible Society.
ReplyDeleteहर विद्यार्थी को स्वयं की खूबी को पहचानने का अवसर देकर उनको समरूप करने की बजाय उनकी गुणवत्ता के आधार पर आकलन किया जाए।
ReplyDeleteइस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि विभिन्न सामाजिक परिवेश एवं वैयक्तिक विभिन्नताओं से युक्त छात्र कक्षा में अध्ययन हेतु आते है ।सभी छात्रों की योग्यता कक्षा में एक जैसी हो यह जरूरी नहीं ।सभी छात्रों में कुछ न कुछ विशिष्ट प्रतिभा जरूर होती है । अतः हम सभी शिक्षकों का यह दायित्व है कि छात्रों के उस प्रतिभा को पहचानकर उसमें निखार लायें तथा उनके सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास करे ।
ReplyDeleteA great fable is not only evergreen but teaches a great lesson. It reveals us about the importance of focussing on our strengths. It clearly depicts the image of our classroom in which we worry about weaknesses and forget to leverage the core skills of our students. Every dark clouds have a silver lining similarly every children comprises with his capabilities, so a teacher should identify the skills and enable students to excel in it and improve on his areas of opportunities. If you build on your strengths enough, your weakness become irrelevant. So, let the ducks swim, rabbits run and eagles fly. Teaching is an art, so we should be creative while delivering our lessons. We should also follow the scientific processes which are systematic. Teachers should know each student present in his classroom and adjust the teaching methodologies accordingly with respect to Personal characteristics like age, gender, Academic background of students like prior knowledge, Group structure of Class as size matters a lot and Cognitive structure which deals with mental abilities, intellectual capacity, memory retention, attention span etc. We should plan and develop our lessons accordingly as per our students. Here we should also work on our own abilities like in communication, education, management of classroom, personality, leadership qualities, sense of humour etc. to touch the heart of students with positive attitude as it is our responsibility to reach the learning outcomes and make them a good citizen.
ReplyDeleteRegards,
Syed Shadab Ahmed
Lecturer, Govt.H.S.S. Korchatola
सभी बच्चों के अंदर कुछ ना कुछ विशेष प्रतिभा होती है हमें बच्चों की प्रतिभा को निखारते हुए उनकी रूचि के अनुसार ही अपने शिक्षण अधिगम को सरल बनाना चाहिए और उसके अनुसार ही बच्चों को पढ़ाना चाहिए ताकि बच्चे उस क्षेत्र में आगे बढ़ सके
ReplyDeleteइस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है सभी बच्चों को जो अपना कार्य करने में पूरी तरह सक्षम नहीं है वह प्रोत्साहित करके धीरे-धीरे उनके कौशल को बढ़ाना चाहिए उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चे किसी ना किसी कौशल से भरे होते है प्रतिभा होता है हमे जरूरत है उन प्रतिभाओ को सही दिशा देना ।
Deleteसभी बच्चों की अपनी कुछ खामी कुछ खासियतें होती है तो विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को विशेष ध्यान देते हुए साथ ही साथ बाकी बच्चों की सहायता से उसको सहज बनाने के लिए प्रेरित करतें है
ReplyDeleteरूपलाल पटेल
व्याख्याता
शा हा स्कूल कलंगपुरी दुर्गकोंडाल कांकेर
एक कक्षा के सभी बच्चे समान क्षमता वाले नहीं होते ,साथ ही प्रत्येक बच्चे में कुछ अलग विशेषता होती है अतः हम सभी बच्चों के लिए समान शिक्षण पद्धति का उपयोग नहीं कर सकते। हमें प्रत्येक बच्चे की रूचि क्षमता तथा योग्यता के अनुरूप आगे बढ़ने के शुभ अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकें। हमारी शिक्षण विधि, शिक्षण सामग्री तथा कक्षा की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिससे भिन्न-भिन्न गुणों वाले बच्चों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल सकें।
ReplyDeleteयह कहानी हमें बताता है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
ReplyDeleteअतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
एस.पिपरिया
बच्चों में निहित स्वाभाविक विविधता के अनुसार ही उन्हें अधिगम के लिए प्रेरित करना
ReplyDeleteविद्यार्थियों में विविधता स्वाभाविक है।शिक्षक को इन विविधताओं व विद्यार्थियों की विशिष्टताओं से न केवल अवगत रहना चाहिए ,बल्कि इनके आधार पर ही अधिगम को प्रभावी बनाया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteधर्मेश कुमार शर्मा, व्याख्याता
शा.उ.मा.वि. केंद्री ,अभनपुर जि. रायपुर
🙏 ये कहानी बहुत ही रोचक लगा, जो बच्चो की अनेक विविधताओं को बताया है,इन्हीं विविधताओं में ही अपनी अलग अलग प्रतिभा। छुपी होती हैं,उन सब बच्चों को उनके ही प्रतिभा , जिज्ञासा से ही उनका विकास के लिए उनके प्रतिभा ओ ही आगे बढ़ जाए
ReplyDeleteबच्चों के साथ ऑनलाइन के माध्यम से जुड़े रहे जिसमें नेटवर्क की समस्या अधिक आने लगा जिसके कारण सभी बच्चों से सम्पर्क ऑनलाइन के माध्यम से सम्भव नहीं है
ReplyDeleteThis story tells us that in a class we have different students with different ability,interests and curiosity. As a teacher it is our responsibility to give them the environment according to their nature.so that their personality will improve positively and in future they will be able to become not only a successful person but also a good human being also..
ReplyDeleteGunjan shah
Lec.
G.H.School Gondaiya
Bilaspur
Sabhi bachcho me ek vishisht pratibha hoti hai.Usk.parakhna shikshak ka kam hota hai.atah students ke interest ka bhi dhyan rakhna hoga
ReplyDeleteइस कहानी को पढ़कर हमे ये समझ आता हैं कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
ReplyDeleteअतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
जितेंद्र राठौर
DeleteLect.
Govt.h.s.deragarh
1) students hobby
ReplyDelete2) students activity
3) interesting topic in other activities
इस ऐनिमल स्टोरी के उदाहरण से ये स्पष्ट है कि सबमे अपनी अलग प्रतिभा होती है अभी तक स्कूल के पाठ्यक्रम ऐसे हैं कि टीचर्स को वही पढ़ाना होता है स्कूल का लिमिट टाइम और सम्बंधित बहुत सारे कार्य, मुझे लगता है शिक्षक को यदि केवल पढ़ाने के अलावा और कोई काम न हो तो वे बच्चों को काफी टाइम दे सकेंगे और उनकी रुचि भी समझ के उनके अनुसार उन्हें अध्यापन करा सकेंगे ।
ReplyDeleteनई शिक्षा नीति इस रुचिकर अध्ययन पर आधारित है इससे जरूर बच्चे अपने कौशल को प्रदर्शित कर पाएंगे ।
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि सभी बच्चों का कौशल एवं दक्षता एक समान नहीं होता, विभिन्न परिवेश, शारीरिक क्षमता एवं मानसिक स्थिति के कारण उन्हें एक समान किसी विषय में पारंगत नहीं किया जा सकता।
ReplyDeleteअतः सभी बच्चों के व्यक्तिगत कौशल एवं समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर देना चाहिए और उसके पसंदीदा विषय में ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और प्रयासरत करना चाहिए।
नैना बनर्जी
व्याख्याता
शासकीय हाई स्कूल चोरभट्टी
करतला, कोरबा।
कहानी को पढ़ने,सुनने व समझने से हमें यह ज्ञात होता है कि कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते हैं।सभी में कोई ना कोई प्रतिभा अवश्य होती है। उनकी इस प्रतिभा को अपनी आधुनिक शिक्षा पद्धति के द्वारा बाहर निकालना है।
ReplyDeleteअपने शिक्षण पद्धति,शैली आदि में परिवर्तन कर शिक्षा को विद्यार्थियों के लिए रुचिकर बनाना है ।उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने पर दबाव ना डाल कर उनके प्रतिभा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वह निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हो सके।
सभी बच्चो में अलग अलग हुनर होता है।और उनकी रुचि भी अलग अलग होता है।तो हमे उनकी रुचि के अनुसार उनको सीखने के अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।सभी बच्चों के कौशल एवम समझ के आधार पर उन्हें सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों के परिवेश के अनुरूप उनके हुनर को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए जिससे वे अपनी हुनर को बखूबी से कर पाएंगे|
ReplyDeleteराम भजन पटेल
व्यख्याता
शा. हाई स्कूल बघर्रा
विकासखंड-पंडरिया, जिला-कबीरधाम
कक्षा मे भिन्न भिन्न परिवेश, रुचि, योग्यता के अनुसार बच्चों पर धयान देकर पढाने की विधि को बदले,बच्चों के गुणों को पहचान कर सीखने के लिए प्रेरित करें।एक रुचिकर समावेशी कक्षा बनाना।
ReplyDeleteहर व्यक्ति की अलग-अलग खासियत होती है कोई किसी क्षेत्र में आगे होता है तो कोई पीछे होता है सभी में एक जैसी गुणवत्ता नही होती, इसलिए किसी भी बच्चे पर हमें दबाव नहीं डालना चाहिए इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है!
ReplyDeleteThis story tells us that all the students of the class doesn't have same qualities.. it May differ from students to students. Variation can occur in every student, because feelings and emotions differ from person to person.. some may have writing skills, and some have physical skills. All the students have different abilities..
ReplyDeleteहमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि पहले बच्चों की प्रतिभा को पहचाना हमारा कर्तव्य है और पहचान करके बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार उस क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए जिस क्षेत्र में वे विशेष विशेष रूचि रखते हैं जैसे कि कुछ बच्चे खेलकूद में अच्छे आते हैं कुछ पेंटिंग ड्राइंग कुछ बच्चे बातचीत मेंअच्छे होते हैं कुछ बच्चे रिसर्च करने में बहुत अच्छे होते हैं और कुछ बच्चे ऑल राउंडर होते हैं तो हमें उनकी योग्यता के अनुसार उनकी क्षमता के अनुसार पहचान कर उनसे कक्षा में पढ़ाना चाहिए
ReplyDeleteBachhon me hi nahi sabhi me vyaktik bhinnata hoti hai. Jo unhe vishesh banati hai . Isi Tarah bachhon ko unke ruching v kshama anusar sikhne k liye prerit kiya jana chahiye
ReplyDeleteकक्षा में विभिन्न बच्चे विभिन्न प्रकार के सामाजिक आर्थिक परिवेश से आते हैं । उनके जीवन यापन पर निर्भर होती है और उनके बोली -भाषा एवं सामाजिक स्तर भी होती है, जिसके कारण उनके सीखने के क्षमता में भी निर्भर होती है। एक शिक्षक को समझने की जरूरत है कि जो हमारे विषय वस्तु है। उसे हम किस प्रकार उनके समाज के अनुरूप हम काम कर सके इस बंता के बावजूद भी सभी बच्चों में समानता के भाव लाना एक शिक्षक का दायित्व है जिसे हमें करना अनिवार्य होता है। सभी में समानता लाने से एक दूसरे से सीखने सिखाने की जो प्रक्रिया होती है उसमें सरलता आती है और बच्चों में ऊंच-नीच के भेदभाव से समाप्त होता है। यह प्रकृति ही , विविधता से भरी हुई है लेकिन हुए एक-दूसरे पर आत्मनिर्भर वह पूरक होते हैं। जिससे उनके जीवन यापन सुचारू रूप से चलती है। हर कोई हर क्षेत्र में अव्वल हो या कोई जरूरी नहीं लेकिन हर बच्चा मैं कुछ ना कुछ विशेषता होती है जिसमें वह आगे होता है इसे शिक्षक को पहचानने की जरूरत होती है।
ReplyDeleteरामसेवक पैकरा व्याख्याता एलबी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय- बसकेपी, विकासखंड- कुसमी, जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़.
कहानी ये बताती है कि हर बच्चे में कुछ खासियत और कुछ कमी होती है। और हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर बच्चे के खासियत/ गुण का आधार पर अपनी शिक्षा का पैटर्न रखना चाहिए और सभी पर सामान और सम्पूर्ण ध्यान देना चाहिए। साथ ही सभी बच्चों के लिए एक अलग सिस्टम तैयार करना चाहिए क्योंकि कुछ बच्चे पढ़ने में तो कुछ खेलने में तो कुछ अन्य गतिविधियों में अच्छे होते है। बहुत ही अच्छी और जागरूक करने वाली कहानी है।
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में विभिन्न पृष्ठभूमि के विद्यार्थी होते है,जो अपनी विशेष गुणों से एक दूसरे से भिन्न होते है। जिन्हें हमें उनके गुणों को एक संशाधन के रूप में पठन पाठन में उपयोग करना चाहिए।
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