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गतिविधि: विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम

विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे?

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Comments

  1. बच्चों को गतिविधियों में बांट एक लीडर चयन करके ।

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। शाला प्रमुख होने के नाते मैं स्टाफ शिक्षक ,पालक, शाला प्रबंधन समिति, छात्रों व जन समुदाय के आपसी समनवय से शाला विकास के लिए क्रियान्वयन करना चाहूंगा।

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  2. Vidhayalay ka netritvakarta jitna active hoga staff aur bachche bhi active honge.Kushal netritvakarta vidhalaya manage bhi kushalta se karta hai.

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  3. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    १६- अनौपचारिक संबंध

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  4. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  5. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा।

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  6. विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता हैसाथ में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है।

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  7. J, P. Lahre
    विद्यालय को काया-कल्पित रुपान्तरित करे वह विद्यालय नेतृत्व- कर्ता है
    1 बस्तर आदिवासी अंचल मे भाषायी संस्कृति एक गंभीर चुनौती है
    यहा की बच्चों की मातृभाषा "गोंडी" है बच्चों और माता- पिता के परिवेश मे घुल मिलकर "गोंडी" भाषा को सीखना और उसे बच्चों के प्राथमिक शिक्षा से जोडकर निरंतर शिक्षा विकास उन्मुखीकरण करवाना
    2 बच्चें के गाय चराने जाना, साप्ताहिक बाजार जाना, मौसमी गृहकार्य मे लिप्त रहना
    इसे स्थानीय जन प्रतिनिधि,माता-पिता और समाज के सियान के साथ सामाजिक चर्चा व पंच बैठकर समाधान करवाना
    3 भोजन- पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा पर गहरा प्रभाव डालता है
    अत: स्थानीय और वैज्ञानिक पौष्टिक भोजन को MDMS के तहत् विशिष्ट प्रबंध करवाना
    4 स्थानीय खेल और लोक- संस्कृति को बढावा देकर पर्यावरण और सामाजिक- विज्ञान विषय के लिए अनिवार्य अधिगम बनवाना ताकि बच्चे अपनी संस्कृति और शिक्षा के सेतु मे स्वच्छन्द सैर कर सके

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  8. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  9. Kisi bhi vidhyalay ka netritv karta jitna kushal hoga utni hi kushalta se wo vidhyalaya ko bhi achhe se manage kar payega

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  10. बच्चों को नेतृत्व करने के लिए अवसर उपलब्ध कराना विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से

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  11. Bachho ko avasar dekar netritva pradan krna

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    1. effective education leadership make a difference in improving learning by developing people providing teachers and others in the system with the necessary support and training will help in imparting leadership qualities in students .

      RADHAKRISHNA MISHRA

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  12. बच्चो को समूह में बांटकर एक लीडर बनाकर

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  13. बच्चों को नेतृत्व करने के लिए अवसर उपलब्ध कराना विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से(kk siware)

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता है।विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व कर्ता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पडेगा।

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  14. नेतृत्व क्षमता का विकास , स्व निर्णय लेने , व्यवहारिक ज्ञान, क्षमता विकास मे सहायक

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    1. विद्यालय में बच्चो को विभिन्न गतिविधियों में नेतृत्व करने का अवसर प्रदान कर सकते हैं|

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  15. विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है, तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है सा।में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है।

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    1. छात्रों को समूह में बाँट,किसी एक छात्र को उस गतिविधि में नेतृत्व देकर।

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    2. बच्चों को नेतृत्व करने के लिए अवसर उपलब्ध कराना विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से।

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  16. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  17. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  18. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  19. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  20. विद्यालय नेतृत्व और छात्र अधिगम हेतु छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालयीन वातावरण, अकादमिक सहयोग,बच्चो के ज्ञान और अनुभव तथा आवश्यकताओं के आधार पर सीखने सिखाने के तरीके को प्रभावशाली बनाना।....Darro

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  21. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्व करता कक्षाओं में अध्यापन कार्य करता है तो छात्रों के अधिगम पर प्रभाव पड़ता है साथ में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है

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  22. विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता हैसाथ में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है।

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  23. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। नेतृत्व करता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता है उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता है जो देख वा कर रहा होता है जैसे हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली, दूरदृष्टिता, शाला प्रबंधन कुशलता मृदुभाषी, साहसी जैसे अनेक गुणों के साथ सीखता है।

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  24. विद्यालय नेतृत्व के लिए पहलकर्ता एवं सकारत्मक सोच का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। शाला प्रमुख होने के नाते मैं शिक्षक ,पालक, शाला प्रबंधन समिति, छात्रों व जन समुदाय के आपसी समन्वय से शाला विकास के लिए सकारात्मक सोच उत्पन्न करना चाहूंगी।
    आफिजा मलिक प्राथमिक शाला नवाटोला लोहारी

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  25. विद्यालय नेतृत्व और छात्र अधिगम हेतु छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालयीन वातावरण, अकादमिक सहयोग,बच्चो के ज्ञान और अनुभव तथा आवश्यकताओं के आधार पर सीखने सिखाने के तरीके को प्रभावशाली बनाना।....

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  26. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  27. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है समय के अनुसार शिक्षक या विधालय प्रबंधन को हर परिस्थित मे अपने आप की ढाल कर सहयोगी, पालक, दोस्त, शिक्षक, मार्गदर्शक के रूप धारण कर विधालय को चलाना होता है सब का साथ होगा तभी प्रगती होगी

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  28. विद्यालय नेतृत्व का विद्यालय के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम एवं विद्यालय का सर्वागिंण विकास,छात्रों का सर्वागिंण विकास में विशेष महत्व है।

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  29. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  30. गतिविधियों में बच्चो को शामिल करने हेतु प्रयास

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
      यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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    2. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
      यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  31. कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता प्रमुख होने के नाते मैं शिक्षक ,पालक, शाला प्रबंधन सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालयीन सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालयीन एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर

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  32. विद्यालय के नेतृत्व कर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ता है lनेतृत्व कौशल विशेष प्रकार की कला है ,जिसके माध्यम से किसी भी असंभव कार्य को आसानी से किया जा सकता है lविद्यालय में यदि कुशल नेतृत्व कर्ता संस्था प्रमुख या शिक्षक होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगाl

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  33. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  34. प्रभावशाली नेतृत्व कर्ता बनने के लिऐ हममें ये गुण होने चाहिए- 1. अनुशासन प्रिय होना। 2. उत्तरदायी होना। 3. वस्तुनिष्ठ व्यवहार। 4. स्वनियंत्रण। 5. सही निर्णय लेने कि क्षमता। 6.स्पष्ट योजना। 7. सहानुभूति पूर्ण सोच। 8. शालीन व्यवहार। 9. सहकारिता की प्रवृत्ति। 10.अहम से दूर। 11. संस्थान के लिऐ समर्पण भावना। 12.जानकारी की पूर्णता। 13. अनौपारिक संबंध। 14. संप्रको से सुद्रदता। और भी बहुत सारे गुण हो सकते है ।

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  35. इन्द्र सिंह चन्द्रा , उच्च वर्ग शिक्षक , शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला काशीगढ़ , विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)

    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा व्यापक एवं गहरा प्रभाव पड़ता है। विद्यालय प्रधान या शिक्षक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक , कुशल प्रबंधक , निर्णय लेने की क्षमता, साहसी , कार्य विभाजन , वित्तीय लेखा-जोखा , अपने कार्यों के पुनरावलोकन एवं गुणवत्ता युक्त पठन कौशल जैसे अनेक गुणों को समाहित कर क्रियान्वयन किया जाता है ।नेतृत्व में ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण विशेष रूप से समाहित होते हैं । विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    1. विद्यालय का रखरखाव।
    2.स्वप्रेरित होकर सीखने का अवसर प्रदान करना।
    3.नवाचार के लिए प्रेरित करना।
    4.आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता है अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं। हमारी कार्य करने की शैली , सक्रियता इत्यादि छात्र अधिगम को प्रभावित करता है।

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  36. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता हैं, इसलिए नेतृत्व कर्ता को विद्यालय का कार्य योजना बनाते समय छात्र अधिगम प्रगति को ध्यान में रख कर बनाए, कार्य योजना में सभी शिक्षकों, पालकों, समुदायों, छात्रों से विचार विमर्श कर कार्य करने से छात्र अधिगम प्रगति शील ,गुणवत्ता पूर्ण बन सकता हैं।

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  37. हमें विद्यालय प्रमुख एवं शिक्षक के रूप में शाला का नेतृत्व करना होता है।विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का विद्यार्थियों के अधिगम स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।कुशल नेतृत्व के अभाव में शाला के समस्त गतिविधियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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  38. नेतृत्व के ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इसको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी है।विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1) विद्यालय का रखरखाव ।
    (2) सीखने का अवसर प्रदान करना।
    (3) नवाचार के लिए प्रेरित करना ।
    (4) आवश्यकता एवम् आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  39. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रमुख या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा।

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    1. विद्यालय नेतृत्व का बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं उसके अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है कई प्रकार की गतिविधियां करा बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास किया जा सकता है इन्हीं गतिविधियों के माध्यम से बच्चे क विषय वस्तु भी समझते एवं सीखते हैं एवं उनकी अवधारणा भी स्पष्ट होती है साथ ही उनमें इन गुणों का विकास होता है नेतृत्व क्षमता क्रियाशील उत्तरदायित्व अनुशासन आदि ।

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  40. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि विद्यालय में
    अच्छा संस्था प्रधान है या नेतृत्व करता है होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलाप पर पड़ता है

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  41. एक शिक्षक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है, अतः हमें साहसी, कुशल नेतृत्वकर्ता, जैसे अनेक गुणों के साथ काम करना होता है।

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  42. विद्यालय प्रधान या शिक्षक जो विद्यालय का नेतृत्व करता है इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल
    प्रबंधक, साहसी ,कार्य के प्रति उत्तरदायित्व, निर्णय
    लेने की क्षमता, कार्यो का सही सही विभाजन, वित्तीय लेखा जोखा,सीखने सिखाने का अवसर प्रदान करने वाला और कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति होना चाहिए साथ ही साथ विद्यालय का रखरखाव ,नये नये नवाचार से प्रेरित, आवश्यकता एवं अकांक्षाओ को पुरा करने वाला दक्ष व्यक्ति हो जिससे छात्र अधिगम पर प्रभाव डाल कर क्रियान्वित कर सके।

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  43. विद्यालय प्रधान या शिक्षक जो विद्यालय का नेतृत्व करता है इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल
    प्रबंधक, साहसी ,कार्य के प्रति उत्तरदायित्व, निर्णय
    लेने की क्षमता, कार्यो का सही सही विभाजन, वित्तीय लेखा जोखा,सीखने सिखाने का अवसर प्रदान करने वाला और कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति होना चाहिए साथ ही साथ विद्यालय का रखरखाव ,नये नये नवाचार से प्रेरित, आवश्यकता एवं अकांक्षाओ को पुरा करने वाला दक्ष व्यक्ति हो जिससे छात्र अधिगम पर प्रभाव डाल कर क्रियान्वित कर सके।

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  44. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  45. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    १६- अनौपचारिक संबंध

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  46. विद्यालय
    विद्यालय नेतृत्व पर छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है इसमें सहायक स्टाफ शिक्षक पालक शाला प्रतिनिधि एवं समुदाय जन समुदाय आपसी सामंजस्य
    सभी मिलकर के एक साथ मिलकर के काम करते हैं और विद्यालय के सर्वांगीण विकास में कार्य करते हैं।

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  47. Pritan kumar Xess,नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    १६- अनौपचारिक

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  48. मा.शा.कुदुर घोड़ा
    अम्बागढ़ चौकी
    राजनांदगांव
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव-----
    1-नवाचार के लिए प्रेरणास्रोत
    2-रुचि अनुरूप शिक्षा के लिए प्रोत्साहन
    3-निर्णय लेने की क्षमता का विकास
    4-सामाजिक दायित्व का ज्ञान

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
      यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  49. सत्यनारायण निषाद शिक्षक एल बी पूर्व मा शा lurgikhurd बलरामपुर छ ग।
    मैं अपने विद्यालय के नेतृत्वकर्ता से छात्र अधिगम के लिए सहयोग एवं परामर्श लेकर पारिवारिक जिम्मेदारी, जीवनशैली में बदलाव, कर्तव्य बोध पर ज़ोर दूंगा।

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है इसमें विद्यालय के सभी स्टाफ,पालक,शालाप्रतिनिधी एंव समुदाय, जन समुदाय का आपसी सामंजस्य बना कर विद्यालय के सर्वागिंण विकास के लिए कार्य करते हैं |

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  50. विद्यालय नेतृत्व के लिए पांच लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना (5) सभी सदस्यों की सहभागिता होना।

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  51. विद्यालय प्रमुख का अधिगम पर विशेष प्रभाव पड़ता है।अतः शाला के सभी स्टॉप व पालक तथा गणमान्य जनों को समय समय पर अवश्य साथ लेकर विद्यालय की गतिविधियों के बारे में विचार मंथन करना चाहिए।

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  52. भावशाली नेतृत्व करता में निम्नलिखित गुण होना आवश्यक है। पहलकर्ता एवं सकारात्मक होना दूरभाषी,दूरदर्शी, सहानुभूति, सबको साथ लेकर चलना, सही निर्णय लेने कि क्षमता, बुध्दिमान होना, सकारात्मक दृष्टिकोण रखना, प्रभावी प्रयोक्ता इसके अलावा अनेक अच्छे गुणों का होना आवश्यक है।
    आफिजा मलिक प्राथमिक शाला नवाटोला लोहारी

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  53. भावशाली नेतृत्व करता में निम्नलिखित गुण होना आवश्यक है। पहलकर्ता एवं सकारात्मक होना दूरभाषी,दूरदर्शी, सहानुभूति, सबको साथ लेकर चलना, सही निर्णय लेने कि क्षमता, बुध्दिमान होना, सकारात्मक दृष्टिकोण रखना, प्रभावी प्रयोक्ता इसके अलावा अनेक अच्छे गुणों का होना आवश्यक है।

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  54. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  55. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    खुशहाली सोनी
    बलौदाबाजार

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  56. विद्यालय में नेतृत्व के लिये स्वयम भी कार्य के प्रति जिम्मेदार होना एवम नेतृत्व करता का गुण होना चाहिये छात्रो में अधिगम के लिये उन्हें भी सहभागिता का अवसर देने होगा उनमे भी कार्य क्षमता बढ़ेगी

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  57. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा

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  58. विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है, तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है सभी मे पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है।

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  59. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  60. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  61. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में एक अच्छा नेतृत्वकर्ता संस्था प्रधान या नेतृत्वकर्ता शिक्षक होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर तथा सभी बच्चों पर पड़ेगा।

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  62. एन एल कुंभकार
    माशा कच्छारपारा
    केशकाल

    एक कुशल विद्यालय नेतृत्व छात्र अधिगम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यालय नेतृत्व की कार्यक्षमता, प्रभाव, रचनात्मक सोच,साथी शिक्षकों से सामंजस्य आदि कारक छात्रों के सीखने सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।

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  63. विद्यार्थियों को नेतृत्व करने का अवसर प्रदान कर।

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  64. Vidyalay Pradhan ya Shikshak ke roop Mein Vidyalay Ka netritva Karna hota hai iske liye Char Lakshya ko prapt karna Jaruri Hota hai:-1 Vidyalay ka Rakh rakhav 2 navachar ko prerit karna 3 avashyaktao ki purti karna 4 Vidyalay netrutva shikshakon ko prerit karna fir Shikshak chhatron ko adhigam karaen

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  65. विद्यालय में सक्रिय रहकर,अकादमिक कार्यों में भागीदारी, बच्चो एवम् शिक्षकों से सामंजस्य ,एवम् समय समय पर
    अपने नेतृत्व एवम् महत्व का एहसास कराते रहना,

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  66. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    १६- अनौपचारिक संबंध

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  67. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है।नेतृत्व करने वाले के कुशलता से कार्य करने से उनके छात्र भी कुशलता से कार्य करना सीखते हैं।

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  68. विद्यालय मे एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित रूप से विद्यालय के विकास पर पड़ेगा ।

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  69. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है ।जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे-बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है।

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  70. विद्यालय नेतृत्व का अपने सहकर्मी शिक्षकों समुदाय एवं छात्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है हमें अपने विद्यालय में नेतृत्व का अवसर मिलने पर शिक्षण कार्य से हमेशा जुड़े रहना चाहिए जिससे छात्र अधिगम को हम बेहतर ढंग से प्रभावित कर सकें।

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  71. विद्यालयनेतृत्व हेतु शैक्षिक नेतृत्व कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक,अकादमिक समर्थक को चार रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  72. A good leadership has many impacts on education as it not only promotes the imagination but also encourages them to learn anything by fun and enjoy their education.

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  73. Vidyalaya netritva ka chhatra adhigam par vyapak prabhav padta hai.Iske liye vidyalaya pramukh ko Leader bye position k sath hi Leader bye action kary bhi karna hoga aur sabhi shikshakon, vidyartiyon, abhibhavakon avam samuday k bich samanjasya banakar samast kriyakalapon ka kriyanvayan karna hoga jisase ki vidyartiyon k adhigam star me apekshit vikas ho sake

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  74. Ek vidyalaya karyakarta k rup m chatro,shikshako aur abhibhavko ,sabhi ke vicharo ko smjhte hue,aur vidyalaya pragati k liye aapsi charcha krke,safal nirnaya lete hue kriyanwayan krenge.

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  75. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा।

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    1. विद्यालयनेतृत्व हेतु शैक्षिक नेतृत्व कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक,अकादमिक समर्थक को चार रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  76. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।एक अच्छा संस्था प्रधान कुशल नेतृत्व कर्ता होगा तो विद्यालय का विकास निश्चित ही होगा।

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  77. शाला प्रमुख का छात्र अधिगम ओर बड़ा प्रभावपड़ता है नेतृत्व करता का हर गतिविधि पर पर सभी सहभागी का कार्य छमता भी कार्य करता है

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  78. शिक्षक का सही नेतृत्व छात्रों के अधिगम स्तर पर व्यापक प्रभाव छोड़ता है, एक कुशल नेतृत्वकर्ता शिक्षक के रूप में बच्चों को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने मे निश्चित रूप से सहायक होता है।

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  79. विघालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर वयापक और दुरगामी प्रभाव पडता है

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  80. लक्ष्मीन चन्द्रा ,शा.प्रा.शा.आमापाली जैजैपुर, विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)

    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा व्यापक एवं गहरा प्रभाव पड़ता है। विद्यालय प्रधान या शिक्षक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक , कुशल प्रबंधक , निर्णय लेने की क्षमता, साहसी , कार्य विभाजन , वित्तीय लेखा-जोखा , अपने कार्यों के पुनरावलोकन एवं गुणवत्ता युक्त पठन कौशल जैसे अनेक गुणों को समाहित कर क्रियान्वयन किया जाता है ।नेतृत्व में ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण विशेष रूप से समाहित होते हैं । विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    1. विद्यालय का रखरखाव।
    2.स्वप्रेरित होकर सीखने का अवसर प्रदान करना।
    3.नवाचार के लिए प्रेरित करना।
    4.आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता है अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं। हमारी कार्य करने की शैली , सक्रियता इत्यादि छात्र अधिगम को प्रभावित करता है।

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  81. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।एक कुशल नेतृत्व के रूप में शिक्षक का छात्रों को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  82. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    १६- अनौपचारिक संबंध

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  83. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  84. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम के सम्पूर्ण विकास हेतू महत्वपूर्ण है

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  85. विद्यालय नेतृत्व का छात्रों अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है विद्यार्थियों में स्थाई शिक्षा की प्रक्रिया के रूप में अपने आप को समृद्ध कर सकते हैं।

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  86. नेतृत्व के ज्ञान , कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इसको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी है।विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1) विद्यालय का रखरखाव ।
    (2) सीखने का अवसर प्रदान करना।
    (3) नवाचार के लिए प्रेरित करना ।
    (4) आवश्यकता एवम् आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  87. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा

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  88. विद्यालय नेतृत्व के लिए पहला लक्ष्य विद्यालय का कुशलता पूर्व क संचालन. सीखने और सिखाने पर जोर देना..स्टाफ केसाथ मधुर संबंध होना और शिक्षको के साथ हमेशा नवाचार करते रहना
    पूनम झा गठुला राजनांदगांव

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    1. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
      यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  89. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है

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  90. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है समय के अनुसार शिक्षक या विधालय प्रबंधन को हर परिस्थित मे अपने आप की ढाल कर सहयोगी, पालक, दोस्त, शिक्षक, मार्गदर्शक के रूप धारण कर विधालय को चलाना होता है सब का साथ होगा तभी प्रगती होगी

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  91. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है समय के अनुसार शिक्षक या विधालय प्रबंधन को हर परिस्थित मे अपने आप की ढाल कर सहयोगी, पालक, दोस्त, शिक्षक, मार्गदर्शक के रूप धारण कर विधालय को चलाना होता है सब का साथ होगा तभी प्रगती होगी

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  92. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है,क्योंकि कुशल नेतृत्व विद्यालय के हर क्षेत्र का विकास करता है,व सतत विद्यालय में नवीन उपलब्धियां कायम करता है।बालक, पालक,शिक्षक,समुदाय सभी को नियमित व जोड़े रखता है।।बेहतर नेतृत्व छात्र अधिगम में अत्यंत आवश्यक है।

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  93. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर इन चारों प्रभाव में से तीन प्रभाव अर्थात सीधा प्रभाव, मध्यस्थ प्रभाव व पारस्परिक प्रभाव हमारे विद्यालय में होता है,,विपरित प्रभाव तो शायद ही पड़ता है ,,और छात्र इन्हीं प्रभावों से प्रोत्साहित होते हैं |

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  94. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है,क्योंकि कुशल नेतृत्व विद्यालय के हर क्षेत्र का विकास करता है,व सतत विद्यालय में नवीन उपलब्धियां कायम करता है।बालक, पालक,शिक्षक,समुदाय सभी को नियमित व जोड़े रखता है।।बेहतर नेतृत्व छात्र अधिगम में अत्यंत आवश्यक है।

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  95. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  96. विद्यालय नेतृत्व से छात्र अधिगम पर प्रभाव तो पड़ेगा ही साथ ही शिक्षक विकास भी इसके द्वारा संपन्न होगा छात्रों को अपने अनुकूल वातावरण में सीखने सिखाने का मौका मिलेगा जिसमें विशेष सहयोग सभी शिक्षकों का होगा और विद्यालय नेतृत्व के अंतर्गत सभी शिक्षक नवाचारी होंगे जिससे उनका विकास होगा छात्रों को स्वयं करके सीखने का मौका मिलेगा।

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  97. Vidyalay netritva ka chhatra adhigam k liye prayas satat prakriya hai isme dhairya k sath sabhi vyaktigat aur manviya pahluon k sath talmel baithane k sath prabandhan ki samjhdari bhut avashyak hai

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  98. छात्र अधिगम पर विद्यालय नेतृत्व का गहन और व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय नेतृत्व स्वयं कक्षा में अध्ययन अध्यापन करते है तो वहां के छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। नेतृत्व कर्ता यदि हर कार्य में दक्ष होगा तो वहां के छात्रों का भी सर्वांगीण विकास होगा।

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  99. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम मे प्रत्यक्ष प्रभाव होगा सभी टीचरों के विकास के साथ साथ बच्चों में नेतृत्व क्षमता सहयोग की भावना अनुशासित, साहसी, सकारात्मकता का विकास होगा नेतृत्वकरता स्वयं अधिगम प्रक्रिया में भाग लेता है इसलिए उसे बच्चों के स्तर उनकी आवश्यकताओं की, पूरी जानकारी होती है साला के स्वरुप, शिक्षकों को अपनी योजनाओं में शामिल करना समुदाय से मिलकर चर्चा करके अधिगम प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है.

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  100. विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम ।स्वतंत्रता जिम्मेदारी लाती है- स्वतंत्रता शिक्षकों में, स्वतंत्रता बच्चों में ,क्या सीखना है, कैसे सीखना है ,इस पर सकारात्मक चर्चा हो। बच्चे स्वयं गतिविधि को समझें और अन्य साथियों को समझा कर सीखने की प्रक्रिया को सरल कर दे। अर्थात सीखने की जिम्मेदारी में बच्चे भी शामिल हो तो अधिगम का कार्य आसान हो जाएगा और शिक्षकों के साथ बच्चे भी मजा ले कर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकेंगे ।यदि शिक्षकों में ही नेतृत्व का गुण न होगा तो प्रक्रिया बोझिल होगी और बच्चे भी बोर होकर शरारत करने लगेंगे ।इसका मतलब यह कि नेतृत्व का गुण संस्था प्रमुख से होकर शिक्षकों तक और शिक्षकों से होकर बच्चों तक आने चाहिए। धन्यवाद।

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  101. विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है साथ में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव भी पड़ता है।

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  102. छात्रों को नेतृत्व करने के लिए अवसर प्रदान करेंगे एवं प्रोत्साहित करेंगे

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  103. यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  104. विद्यालय के नेतृत्व का छात्र अधिगम में बहुत प्रभाव पड़ता हैं।इससे बच्चो के सीखने की प्रक्रिया निर्भर करती हैं।

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  105. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने से पहले अपने समस्त स्टाफ के साथ बैठकर इसकी सुव्यवस्थित रूप रेखा बनाएंगे एवं कार्य का विभाजन कर एक टीम वर्क की भांति सभी विद्यार्थियों का सहयोग लेते हुए किसी भी कार्य को सुव्यवस्थित रुप से संपन्न करेंगे।

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  106. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है समय के अनुसार शिक्षक या विधालय प्रबंधन को हर परिस्थित मे अपने आप की ढाल कर सहयोगी, पालक, दोस्त, शिक्षक, मार्गदर्शक के रूप धारण कर विधालय को चलाना होता है सब का साथ होगा तभी प्रगती होगी

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  107. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है,क्योंकि वे बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।बच्चे उनके क्रियाकलापों,नेतृत्व क्षमता,कार्यकुशलता,पारस्परिक सहयोग,मधुर व्यवहार आदि से प्रभावित होते हैं।इसलिए छात्र अधिगम एवं विद्यालय के सर्वांगीण विकास में विद्यालय नेतृत्व का विशेष महत्व है।

    दिलीप कुमार वर्मा
    सहायक शिक्षक(L.B.)
    शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
    वि.ख.--पलारी
    जिला--बलौदाबाजार(छ. ग.)

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  108. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है अच्छे नेतृत्व करता प्रधान पाठक का कार्य स्कूल के सभी क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ता है विद्यालय का सर्वांगीण विकास विद्यालय नेतृत्व का विशेष महत्व है।

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  109. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। नेतृत्व कर्ता जितनी कुशलता से अपना कार्य करता है उतनी ही कुशलता से छात्र भी सीखते हैं,मैं अपने विधालय में अपने स्टाफ शिक्षक पालक शाला प्रतिनिधि एवं जन समुदाय आपसी सामंजस्य स्थापित करके कार्य करना चाहूँगी।

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  110. विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर व्यापक प्रभाव पड़ता है यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य करता है तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है साथ में पारस्परिक और प्रतिलोम प्रभाव पड़ता है ।

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  111. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिये टीम भावना के साथ सकारात्मक कदम उठाना होगा।निरन्तर ज्ञान,कौशल एवम् नवाचारी तकनीक का उपयोग करते हुए सीखने सिखाने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जायेगा।
    दादू सिंह तोमर

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  112. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  113. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा प्रभाव पड़ता है,इसलिए विद्यालय प्रधान औरहम सभी अध्यापक मिलकर ऐसा वातावरण तैयार करेंगे जिससे छात्र विभिन्न नवाचारी गतिविधियों द्वारा अपने कौशलों का निरंतर विकास कर सकें।

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  114. विद्यालय में नेतृत्व कर्ता का छात्रों के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान नेतृत्व करता है तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के सभी कृयाकलापों पर पड़ेगा।

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  115. व़िद्यालय मैं बच्चों को गतिविधियों द्वारा प्रयास किया जाता हैं।

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  116. Geeta sahu - विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है,शाला प्रमुख के होने के नाते नेतृत्वकर्ता को स्टाफ पालक S.M.C एवं छात्रों के आपसी समन्वय से शाला विकास के लिए कार्य करना चाहिए।

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  117. कुशल नेतृत्व से शिक्षण गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव दिखाई देता है।

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  118. बच्चों को नेतृत्व करने के लिए अवसर उपलब्ध कराना विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से।

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  119. विद्यालय नेतृत्व और छात्र अधिगम हेतु छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए विद्यालय इन वातावरण ,कादमिक सहयोग बच्चों के ज्ञान और अनुभव तथा आवश्यक अदाओं के आधार पर सीखने सिखाने के तरीके को प्रभावशाली बनाना

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  120. Bachcho ka adhigam prakriya viksith karne mesala me balsansd ka gthan karna ,sahpathi aanklan,balsbha karana
    .

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  121. Bachcho ko vibhinna gatividhiyo ka netritv karne ka avasar pradan karke leader chayan karke

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  122. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा

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  123. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  124. विद्यालय ने तृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रभारी या प्रमुख होगा तो निश्चय ही विद्यालय के समस्त क्रिया कलापों पर पड़ेगा।

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  125. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापो पर पड़ेगा।

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  126. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने से पहले अपने समस्त स्टाफ के साथ बैठकर इसकी सुव्यवस्थित रूप रेखा बनाएंगे एवं कार्य का विभाजन कर एक टीम वर्क की भांति सभी विद्यार्थियों का सहयोग लेते हुए किसी भी कार्य को सुव्यवस्थित रुप से संपन्न करेंगे।

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  127. विद्यालय नेतृत्वकर्ता को कुशल प्रशासक,कुशल प्रबंधक,साहसी,निर्णय लेने की क्षमता,कार्य विभाजन,वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन,अपने सहकर्मी और अन्य हितधारकों के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।नेतृत्व के ज्ञान,कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण होते हैं।इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरुरी है।विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरुरी है-
    (1)विद्यालय का रख-रखाव ।
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना।
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना।
    (4)आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  128. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत अधिक प्रभाव पडता है क्योंकि छात्र अपने नेतृत्व कर्ता के आचरण, व्यवहार, बोलने की क्षमता से अधिक प्रभावित होते हैं जो उनके सीखने पर प्रभाव डालता है क्योंकि छात्र जो प्रत्यक्ष देखते हैं उससे बहुत कुछ सीखते है। ममता झा, छान्टा झा,बम्हनी संकुल

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  129. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  130. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। नैतृत्व जितना सशक्त होगा बच्चों में अनुशाशन, समय की पाबंदी, कार्यकुशलता, प्रस्तुतिकरण आदि गुण स्वतः ही विकसित होगा, एवम वह भी एक कुशल नेतृत्व करने में सक्षम होगा।

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  131. छात्र अधिगम के अनुकूल सहयोगात्मक अधिगम वातावरण के निर्माण के माध्यम से हर क्षेत्र में बच्चों के लिए नवाचारी, स्कूल प्रशासन का नेतृत्व, शिक्षण अधिगम, आदि गुण होना चाहिए।(n.g)

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  132. एक कुशल विद्यालय नेतृत्वकर्ता का छात्र अधिगम पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।विद्यालय नेतृत्वकर्ता जितनी कुशलता के साथ विद्यालय के हर कार्य और गतिविधि को संपादित करता है उतनी ही सक्रियता के साथ छात्र भी उन सब कार्यों और गतिविधियों को सीखने अथवा करने लगता है जिन्हें वह देखता है।हमारी कार्यशैली,लगन,सक्रियता,सबको साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति,दूरदर्शिता,ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करते हैं।

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  133. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

    Rajesh Kumar Maheshwari
    Teacher(L.B.)
    MS Kosamdih Masturi District-Bilaspur

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  134. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता हैं,विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापो पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा अपने विद्यालय में क्रियाशील करने के लिए शिक्षक/छात्रों को नवाचार के लिए प्रेरित कर सभी छात्रों को सीखने के समान अवसर प्रदान कर वैज्ञानिक एवम् सकारात्मक सोच उत्तपन्न कर स्वयं भी हर कार्य कुशलता से करेंगे जिसका पूरे विद्यालय पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

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  135. Vidyalay natak cal ka chhatra ke adhigam mein vyapak prabhav padta hai. Vidyalay ke a Pradhan Pathak ko sala ke sabhi prakar ke a kriyakalap on mein sabko sath mein leke chalna chahie.

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  136. नेतृत्‍व कुुुुुुुशलता एक ऐसी कला है जिसके माध्‍यम से बहुत आसानी से बडे बडे असंभव कार्य को भी सरलता से किया जा सकता है, नेतृत्‍व करना एक खास कला है जो हर व्‍यक्ति के अंदर नही होती, अच्‍छा नेतृत्‍वकर्ता वही है जिसकेे व्‍यक्तित्‍व को हर कोई स्‍वीकारता है अच्‍छे नेतृत्‍वकर्ता मे निम्‍न गुुुुण होने चाहिए -
    १- अनुशासनप्रिय होना
    २- श्रमशीलता
    ३- उत्‍तरदायी होना
    ४- वस्‍तुनिष्‍ट व्‍यवहार
    ५- साहस
    ६- स्‍वनियंत्रण
    ७- सही ि‍निर्णय लेने की क्षमता
    ८- स्‍पष्‍ट योजना
    ९- सहानुभूतिपूर्ण साोच
    १०- शालीन व्‍यवहार
    ११- सहकारिता की प्रवृति
    १२- अहम से दूरी
    १३- संस्‍थान के लिये समर्पण की भावना
    १४- जानकारी की पूर्णता
    १५- सम्‍पर्कों मे दृढता
    बजरंग देवांगन
    शा. पू. मा. शाला परसिया
    संकुल -अण्डा वि .खं.- पथरिया
    जिला- मुंगेली ( छ. ग.)

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  137. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व कर्ता का छात्रों के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नेतृत्व कर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता है । उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी हर कार्य को करते हैं।

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  138. Vidyalya netritvakarta jitna madhurbhashi hoga utna hi achcha Sbhi teacher and students honge
    Netritvakarta k gun jise students apne jivan me utarte hai kuchh is prkar hai
    Anushashn priy
    Sahsi
    Swaniyntrn
    Sharmshilta
    Spshta yojna
    Samrpanbhav
    Jankari ki purnta
    Sakaratmk drishtikon
    Nirnay lene ki kchamta Vyavaharik

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  139. एक कुशल नेतृत्व करता संस्था को संपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। अधिगम को यह प्रभावित करता है क्योंकि नेतृत्वकर्ता नि:संदेह शिक्षक एवं विद्यार्थियों को दिशा प्रदान करता है।
    नेतृत्वकर्ता के कुछ गुण जो प्रभावित करता है-
    1.स्पष्टवादी
    2.निर्णयक्षमता
    3.दूरदृष्टिता
    4.सहयोगी

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  140. Bachho ko lederlship krne k liye awsar prdan krna

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  141. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  142. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    विद्यालय में एक अच्छा प्रधान या नेतृत्व करता होगा उसका प्रभाव विद्यालय के समस्त क्रिया कलापो पर पड़ेगा।

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  143. 1-अध्यापको का नेतृत्व -शिक्षकों की परिस्थितियों, समस्याओं का समाधान करके, विषय अध्यापन की कमजोरियों की पहचान व PLC से समाधान करके, उनके कामों में सहयोग करके ।
    2-छात्रों का नेतृत्व- किन परिस्थितियों से आते हैं, उनकी समस्याओं का पहचान करना, समाधान बताना,उनके सीखने की जरूरत व आने वाली कठिनाईयों पर बातें करके एवं स्वयं कक्षा संचालित कर के,उनके ज्ञान बढाने हेतु पुस्तकालय में पुस्तकें व्यवस्था करके,विज्ञान एवं अन्य विषय हेतु प्रायोगिक सामान उपलब्ध करके, सीखने का वातावरण तैयार कर आदि ।
    3-अभिभावकों का नेतृत्व-संपर्क करना, आमंत्रित करना,विद्यार्थियों की उपलब्धि से अवगत करा कर, उनकी जरूरतों से अवगत करा कर, घर में बच्चों को किस तरह कार्य करावे व बच्चों के व्यवहार पूछकर आदि ।
    4-सामुदायिक नेतृत्व-जनसंपर्क और चर्चा करके,विद्यालयीन कार्यों में सहयोग हेतु विनय करके, विद्यालयीन योजनाओं के बारे में अवगत करा कर एवं उनका छात्रों को मिल सकने वाले फायदे समझा कर,कुछ आपसी सहयोग करके, कार्यान्वित कर सकते हैं ।

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  144. Thank you so much for giving this wonderful knowledge , it was just amazing learning about it.☺️☺️

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  145. विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी करता है तो छात्र अधिगम पर सीधा प्रभाव पड़ता है अपने शिक्षको पालको तथा शालाविकास समिति से आपसी सामंजस्य के साथ काम करके बच्चो के सर्वांगीण विकास के साथ काम कर सकता है ।।

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  146. बच्चों को समूह में बांटकर नेतृत्व करने का मौका देना चाहिए।

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  147. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विद्यालय नेतृत्व कर्ता होने के नाते मैं अध्यापक, पालक और छात्रों के आपसी समन्वय से शाला विकास के लिए इस अवधारणा को क्रियान्वित करेंगे।

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  148. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। विद्यालय नेतृत्व कर्ता होने के नाते मैं अध्यापक, पालक और छात्रों के आपसी समन्वय से शाला विकास के लिए इस अवधारणा को क्रियान्वित करूँगी।

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  149. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  150. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव इस अवधारणा को हम अपने विद्यालय के संदर्भ में विद्यार्थियों में वर्तमान परिवेश के अनुसार स्वयं पर भरोसा , सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार ,आत्मविश्वास तथा नेतृत्वकर्ता का गुण विकसित करना चाहिए ताकि विद्यार्थियों का सतत रुप से व्यक्तित्व विकास हो सके ।

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  151. बच्चों को नेतृत्व करने के लिए अवसर उपलब्ध कराना विभिन्न गतििधियों के माध्यम से 4 लश्यो को प्राप्त करना जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचार के लिए प्रेरित करना 4 आश्यकतानुसार एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  152. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है।अत: स्वयं व अन्य हित कारको में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करना।जिससे बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।

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  153. बच्चों को समूह में बांट कर नेतृत्व करने का मौका देना चाहिए।

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  154. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं

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  155. विद्यालय नेतृत्वकर्ता के रूप में वे छात्रों के अधिगम को सीधे प्रभावित करते हैं क्योंकि वे शिक्षण कार्यो में भी संलग्न रहते हैं विद्यालय नेतृत्वकर्ता संस्था प्रमुख होने के नाते शिक्षकों को नयी शिक्षण पद्धति एवं नवाचारों के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करता है तथा विद्यार्थियों का अकादमिक आकलन उनके अधिगम स्तर के आधार पर करते हैं वे शिक्षकों को सहयोग एवं संसाधन उपलब्ध कराते हैं ताकि शिक्षक अपने शिक्षण अधिगम प्रक्रिया तथा तकनीक में परिवर्तन करे और छात्रों को अधिकतम लाभ मिल सके अर्थात् विद्यालय नेतृत्वकर्ता छात्रों की शैक्षिक जरूरतों,उनकी रूचियों,तथा उनकी अधिगम क्षमता बढ़ाने के तरीकों का पूर्ण जानकार होता है ।

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  156. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता हैं, इसलिए नेतृत्व कर्ता को विद्यालय का कार्य योजना बनाते समय छात्र अधिगम प्रगति को ध्यान में रख कर बनाए, कार्य योजना में सभी शिक्षकों, पालकों, समुदायों, छात्रों से विचार विमर्श कर कार्य करने से छात्र अधिगम प्रगति शील ,गुणवत्ता पूर्ण बन सकता हैं।,

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  157. विद्यालय नेतृत्व का छात्रों के अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नेतृत्वकर्ता बच्चों के पढाई के साथ साथ अन्य गतिविधि पर भी नजर रखता है जो कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
    1 विद्यालय का परिवेश
    2 नवाचार
    3 सीखने का अवसर
    4 आवश्यकता के अनुसार निर्णय।

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  158. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता हैं क्योंकि विद्यालय मे अच्छा नेतृत्व कर्ता होने उसके क्रियाकलापों व्यवहार, सकारात्मक सोच उत्पन्न करना, शिक्षक एवं छात्रों को सीखने और सीखाने के समान अवसर प्रदान करना, कार्य को कुशलता से समपन्न करना करवाना,नवाचारों के लिए प्रेरित करना इत्यादि कार्य जिसे सभी देखकर उसका अनुसरण करते है ।

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  159. नेतृत्व क्षमता का विद्यार्थियों में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसका सीधा प्रभाव अधिगम प्रक्रिया पर पड़ता है | सीखने सीखाने में नेतृत्व क्षमता का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

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  160. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा

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  161. बच्चों को समुह मे बाटकर एक लीडर बनाकर

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  162. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्वकर्ता होगा उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा।

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  165. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शाला प्रमुख होने के नाते मैं शिक्षक स्टाफ ,पालक, शाला प्रबंधन समिति, छात्रों व जन समुदाय के आपसी समनवय से छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए कार्य योजना बनाकर क्रियान्वयन करना चाहूंगा।

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  166. मेरे विद्यालय में मैं छात्रों को अधिगम के लिए एक साथ शिक्षक और छात्रों को शामिल करूंगा और अधिगम के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करूंगा नेतृत्व करता जितनी कुशलता से कार्य करता है उतनी ही कुशलता से छात्र सीखते हैं

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  167. मेरे विद्यालय में मैं छात्र अधिगम के लिए शिक्षक और छात्रों को शामिल करूंगा एवं शिक्षकों और छात्रों को अधिगम के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करूंगा नेतृत्व करता जितनी कुशलता से कार्य करता है उतनी ही कुशलता से छात्र सीखते हैं

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  168. एक अच्छा नेतृत्व कर्ता अपने नेतृत्व क्षमता से शाला के अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर आपसी समन्वय स्थापित कर विद्यालय को अधिक बेहतर ढंग से संचालित करने का प्रयास करेंगे व नित नये नये नवाचार कर सिखने सिखाने पर बेहतर प्रयास करेंगे

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  169. विद्यालय के नेतृत्व कर्ता का छात्र के अधिगम स्तर पर गहरा और व्यापक प्रभाव पड़ता है lनेतृत्व कौशल विशेष प्रकार की कला है ,जिसके माध्यम से किसी भी असंभव कार्य को आसानी से किया जा सकता है lविद्यालय में यदि कुशल नेतृत्व कर्ता संस्था प्रमुख या शिक्षक होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगाl

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  170. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं

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  171. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रमुख या नेतृत्व कर्ता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा।

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  172. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में संस्था प्रमुख होने से विद्यालय पर निश्चित ही उसका प्रभाव समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा। क्योंकि कक्षा में विद्यालय अधिगम नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  173. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है। नेतृत्व करता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता है उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता है जो देख वा कर रहा होता है जैसे हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली, दूरदृष्टिता, शाला प्रबंधन कुशलता मृदुभाषी, साहसी के साथ बच्चे सीख सकते है

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  174. एक कुशल नेतृत्व कर्ता होने से छात्र अधिगम पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि छात्र अनुशासन में रहकर अपना काम मन लगाकर करते हैं ।

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  175. Gatividhi 3
    Vidyalaynetritv kachhatra adhigam par mahatwpurn prabhaw padta hai Mai shala pramukh hone ke nate staff teachers,palak abhibhwak,S.M.C.,chhatronawam jansamuday se shalavikas hetu sabhi se sampark awam sahyog ki apeksha rakhunga mere anusar vidyalaya netrutva ke liye char lakchhyon Ko pana jaruri hai
    1.vidyalay ka rakhrakhaw
    2.Sikhane shikhane ka awsar badhana
    3.Nawachar ke liye protsahit karna chahiye.
    4.awashyaktaon aur aakanchhaon ki purti karna.
    Iske alawa chhatra adhigam ko badhane ke liye nimnlikhit par dhyan dene ki jarurat hai
    1.Bachchon ki bhasha ko bhi pramukhta dena arthat matribhasha
    2.Swasthyashikchha ko badhawa dene.
    3.paustik bhojan ko M.D.M. me shamil karwana.
    4.Sthaniykhel,Loksanskriti ko badhawa dekar Paryawaran aur Samajik vigyan ke vishay ke liye aniwarya adhigam prakriya Ko apnana.
    Rajesh Kumar Dinkar Assistant teacher ARSIYAN Morga via pondi uprora District Korba Chhattisgarh.

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  176. एक कुशल विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता हैं।नेतृत्वकर्ता जितना कुशलता के साथ हर कार्य को करता हैं उतना ही कुशलता के साथ छात्र भी उस हर कार्य को सीखता हैं जो देख व कर रहा होता हैं।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली,सब को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति, हमारी दूरदृष्टि ये सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता हैं।

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  177. विद्यालय नेतृत्व का शाला एवं छात्र अधिगम पर विशेष प्रभाव पडता है।शिक्षक,शाला प्रबंधन समिति,पालकों एवं जन समुदाय से आपसी समन्वय व सहभागिता प्राप्त कर छात्र अधिगम के पक्ष में सकारात्मक काम कर सकते हैं।ये सभी कार्य छात्रों को ध्यान में रखकर करेंगे।

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  178. Vidyalay netrutva ka Chhatra adhigam star per sidha prabhav padta hai kyunki agar ek shikshak yah Chatra anushasan Priya hai aur anushasan ke tahat koi kam karya karte Hain to avashya usmein safalta prapt karenge aur ise unka Vikas bhi e acche se hoga

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  179. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सबसे महत्वपूर्ण व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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  180. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। एक कुशल नेतृत्व के लिये समस्त शिक्षक ,पालक,शाला प्रबंधन समिति ,छात्रों व जन समुदाय के आपसी समन्वय से शाला के विकास के लिये क्रियान्वयन करना चाहिए।

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  181. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है चुंकि छात्र विद्यालय मे होने वाली विभिन्न गतिविधि का जैसे विभिन्न कार्यक्रम के आयोजन मे भागीदारी निभाता है समुदाय को शामिल कर, सभी शिक्षकों की सहभागिता, छात्रों का आपस मे समन्वय पूर्ण कार्य देखना और काम बाँट कर अपनी जिम्मेदारी को निभाना, इस तरह से नेतृत्व क्षमता,आपस मे सहयोग और सबको साथ लेकर कार्यक्रम को सफल बनाने की प्रक्रिया सीखता है

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  182. Ek kushal netritv ka vidyarthi adhigam par vishesh prabhav padhta hai. Kushal netritv karta k nimn gun hote hai
    Anushashan priya
    Shalinta bnaye rakhna
    Swanirnaya lene me saksham
    Vyavhar kushal hona

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  183. श्रीमती बिंदिया गवेल, शासकीय प्राथमिक शाला भाटापारा उतई,जिला व विकासखंड दुर्ग।

    विद्यालय के नेतृत्वकर्ता का छात्रों के अधिगम स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ता है।यदि नेतृत्वकर्ता कक्षा में अध्यापन कार्य भी कर आता है तो छात्रों के अधिगम स्तर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।नेतृत्वकर्ता जितनी कुशलता के साथ हर कार्यक्रम को करता है उतनी ही कुशलता के साथ छात्र भी उनके हर कार्य को सीखता है ।हमारी सक्रियता, कार्य करने की शैली ,सबको साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति ,हमारी दूरदृष्टि यह सब छात्र अधिगम को प्रभावित करता है।

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  184. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव पड़ता है। शाला प्रमुख होने के नाते मैं स्टाफ शिक्षक ,पालक, शाला प्रबंधन समिति, छात्रों व जन समुदाय के आपसी समनवय से शाला विकास के लिए क्रियान्वयन करना चाहूंगा

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  185. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।
    यदि विद्यालय में एक अच्छा संस्था प्रधान या नेतृत्व करता होगा तो उसका प्रभाव निश्चित ही विद्यालय के समस्त क्रियाकलापों पर पड़ेगा/ पड़ता है।

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