मॉड्यूल 6

गतिविधि 4 : मेमोरी लेन


कृपया बारिश के मौसम से जुड़े अपने बचपन के अनुभवों को लिखें या चित्र बनाएँ

निर्देश: यह गतिविधि आपके बचपन की यादें / बारिश के मौसम का आनन्द साझा करने के लिए है। आप नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपना अनुभव लिख सकते हैं तरह-तरह की आवाज़ें जो आपको याद हों - बारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ बरसात के मौसम में मिट्टी की गंध - वनस्पति की, गीली मिट्टी की, नमी की, मौसम के दौरान विशेष भोजन की गंध जो आपको याद है ।उस समय पहनने वाले वस्त्र। बरसात के मौसम में भोजन, मौसम के विशेष गाने। त्यौहार और फसलें जो आपको याद हों कोई भी बीमारी जो लोग सोचते हों कि वह इस समय में उन्हें प्रभावित कर सकती है? भारी बारिश के कारण आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों का सामना कभी आपको करना पड़ा हो कुछ और जो आप साझा करना चाहते हैं?

चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें

Comments

  1. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही है,सर जी बचपन की यादे को कभी नहीं भूल सकते

      Delete
    2. Barish me bhigna , mitti ki Sondhi si khushboo aur nav chalana mujhe bachpan me bhut pasand tha

      Delete
    3. बरसात का वो मौसम मुझे सबसे अच्छा लगता है उन दिनों ज़मीन से शोधि खुसबो औऱ चारो तरफ बहुत सी हरयाली मुझे बहुत अच्छी लगती है ।

      Delete
    4. बरसात में जब पानी गिरता था तो पैरों को छुपा छुपा कर के नाचना बहुत अच्छा लगता था और जब बहुत तेज बारिश होती थी तो घर की छत से जब पानी टपकता था तो कभी इधर कभी उधर भागते थे वह दिन बहुत याद आता है।

      Delete
  2. Bachpan me hamne kagaz ke naav, aeroplane banaye hai aur kanche bhi khele hai

    ReplyDelete
  3. बारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
    आनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।







    ReplyDelete
  4. साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  5. पहली बारिश मे भीगना और मेढक का टर टर आज भी याद आते है।

    ReplyDelete
  6. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।
    त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
    लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
    ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।

    ReplyDelete
  7. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है

    ReplyDelete
    Replies
    1. साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

      Delete
  8. Bachpan me hum barsat ke dino me pani me bhingte huye school se ghar aate thye khelte kudate huve bada maja aata thaa

    ReplyDelete
  9. Bachpan ke dino me barish me school Jana aas pass ke sabhi nazaron ka anand lena ,hari bhari prakriti or chidiyo ki awaaze , or ghar pr chai va pakore khana , bhut hi Bhavik lgta h baarish ka mausam

    ReplyDelete
  10. बरसात का मौसम, ये नाम ही जेहन में आनन्द का भाव पैदा कर देती हैं,

    ReplyDelete
    Replies
    1. बारिश के मौसम में चारों ओर हरियाली, मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू और बारिश में भीगना ये सब अलग ही आनन्द का एहसास कराता है|

      Delete
  11. Rainy season gives relief from heat.farmers grow their crops.

    ReplyDelete
  12. बचपन में बारिश का अनुभव अलग ही रोमांच पैदा करता है।तथा जानबूझकर भीगने व स्कूल से छुट्टी पाने का मजा कुछ और होता है।

    ReplyDelete
  13. "सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।

    ReplyDelete

  14. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  15. हाँ मुझे बारिश का मौसम बहुत सुहाना लगता है बारिश मे हम भीग कर शाला से घर आते तो बहुत मजा करते थे। और चारो तरफ हरियाली होती ,मेढ़क की आवाजे आती थी।पानी मे चलना ,भीगना ,माटी की खुशबू बार -बार सुघंने को ललाइत करती थी।

    ReplyDelete
  16. बरसात का मौसम बहुत ही सुहाना लगता है , मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू बहुत ही मन को लुभाता है।

    ReplyDelete
  17. बारिश के दिन में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है, चारों तरफ हरा-भरा देख कर मन आनंदित हो जाता है।

    ReplyDelete
  18. खेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।

    ReplyDelete
  19. बारिश में बहुत सारे जीव जन्तु देखने को मिलता है

    ReplyDelete
  20. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।
    त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
    लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
    ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।

    ReplyDelete
  21. Barish me bhigne me achchha lagata hai

    ReplyDelete
  22. जब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|

    ReplyDelete
  23. बारिश के मौसम में बहुत पानी गिरता है सब तरफ पानी ही पानी रहता है सब तरफ हरियाली होता हैं कीचड़ होता हैं बारिश का मौसम सुहाना होता हैं बारिश में भीगना अच्छा लगता हैं बारिश में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आती हैं |

    ReplyDelete
  24. बिल्कुल, बारिश शब्द सुनते ही,मन मस्तिष्क पर बरसात के समय होने वाली गतिविधि चित्रित होने लगता है। मेरा ध्यान सबसे पहले अभावों, गरीबों, मजदूरों के परिवार, घर के तरफ जाता है, क्योंकि पानी से उनके घर टपकता है, वे अपने दैनिक मजदूरी के लिए जाने में असमर्थ होते है। बारिश के दिनों में काफी तकलीफ देने वाले दिनों का सामना करना पड़ता है।

    ReplyDelete
  25. बारिश के पानी में हम कागज के नाव बनाकर बहाते थे ।बारिश में खूब भीगते थे।

    ReplyDelete
  26. बरसात की शुरुआत में मिट्टी गीली होने पर जो सोंधी‐सोंधी खुशबू आती हैं, वह बहुत अच्छी लगती हैं, इससे बच्चे और कई तरह की अच्छी और बुरी खुशबू के बारे में जान सकते हैं।

    ReplyDelete
  27. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
    बारिश के दिन में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है, चारों तरफ हरा-भरा देख कर मन आनंदित हो जाता है।

    ReplyDelete
  28. हां बचपन में हमे बारिश के मौसम में भीगना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  29. संध्या बैस (शा. मा.शा. उमरदा)
    बचपन में बारिश के पानी मे भीगने का अलग आनंद था। रुके पानी पर कागज की नाव बनाकर चलाने मे बहुत मजा आता था। स्कूल जाते समय बारिश मे भिगना तथा छुट्टी पाने पर बडा आनंद आता था। घर आते समय विभिन्न जीवों को निहरते चलने का अलग ही आनंद था ।

    ReplyDelete
  30. बारिश में बचपन मे मिट्टी की भीनी-भीनी सी खुशबू बहुत अच्छी लगती है। और साथ ही मूंगदाल के पकोड़े चटनी के साथ खाने का बहुत ही मजा आता है

    ReplyDelete
  31. Barish ki bundo ki awaz aaj bhi kano ko madhur sangit me kho jane wali lagti hai.. bachpan me nav banakar bahti nali me dosto ke sath chalana ... school se ate samae raincoat hote hue bhi bhigte hie ana.. gadho me jute se chapak chapak karna... y sab abhi bhi yaad ata hai... redpoll ko pakadkar ginti ginna...

    ReplyDelete
  32. बारिश होने के बाद की सुगंध का एक अलग ही आनंद होता है। बचपन में कागज की कश्ती बनाकर उसे पानी में छोड़ने का एक अलग ही मजा होता था। पानी के गड्ढे में कूदना ....... रेनकोट होते हुए भी भीगना बहुत अच्छा अनुभव रहा।

    ReplyDelete
  33. बारिश के मौसम में भीगना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
    Replies
    1. Barsat ke Dino me pani me bhigana bahut bhata tha. Baris ko yad karte hi mujhe mere bachpan ke friend yad aate hai. Kagaj ki nav to sabhi ne banai hai. Baris ka anubhav hame bachpan me le jata hai.

      Delete
  34. मैं अपनी लिखी एक कविता साझा करना चाहता हूँ।

    देखो बरखा रानी आई,
    देखो बरखा रानी आई।
    संग अपने कितनी खुशियाँ लाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    बादल गरजा, बिजली चमकी।
    धरती ने अपनी प्यास बुझाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    कभी बूँद-बूँद, कभी घूम-घूम।
    मिट्टी की सौंधी खुशबू लाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    ठण्डी चली बयार, बूँदों की तेज धार।
    रातों ने तरह-तरह की ध्वनियाँ सुनाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    किसान दौड़े आए, बैलों को संग लाए।
    खेतों की हुई जुताई।
    देखो बरखा रानी आई।

    तितर-बितर मिट्टी के भीतर,
    बीजों ने फिर से जान पाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    मन को लुभाती,
    मंद-मंद झूमती गाती।
    हरियाली सभी ओर छाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    संग अपने कितनी खुशियाँ लाई।
    देखो बरखा रानी आई।

    भूपेश

    ReplyDelete
  35. Mujhe mitti ki wo sondhi khushboo bahut hi achhi lagti hai jo barish ki pehali boond ke sath aati hai.bachpan me kagaz ki kashti chalane me bahut maza aata tha.ghar ke samne jama hue barish ke pani me khelne ka apna alag Anand hota tha.

    ReplyDelete
  36. बरसात में ज्यादा देर भीगने से मोहंती बीमारियों हो सकती है इसलिए बरसात में देर तक भीगना नहीं चाहिए

    ReplyDelete
  37. It is very nice to get wet in the rainy water, the first drops of rainy smell smells good in the soil, bathing in rainy water is very different.

    ReplyDelete
  38. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  39. Bachpan me Barsat Ke Shuru hote hea Ham Ghar Se Bahar kheton per Chale Jaate the aur chhote chhote Tandav aur Bans ke Gharwali Lakadi se Machhali p karte the sath mein Mitti ki Sondhi Khushboo barsati Mitti Hamen bahut l achhi lagti thii Kabhi Kabhi To Khushboo ke sath sath Safed Mitti bhi chat liya Karte The

    ReplyDelete
  40. जब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|
    खेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।

    ReplyDelete
  41. जब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|
    खेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।

    ReplyDelete
  42. Barish ke mousam me mitti ki acchi khushbu aatti h. Bachpan mae ham barish k pani mae kagaz ki noww chalaya krte the.

    ReplyDelete
  43. जब मैं 1980 में कक्षा 9 वीं में गणित विषय पर शशिभूषण सिंह शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चन्द्रपुर मेंएडमिशन लिया था ।मेरे विषय में मेरे गांव से अकेला था।रास्ता नदी किनारे से होकर ही जाता था।पगडंडी पर चलकर जाना पड़ता था।बरसात का मौसम था नदी पर बाढ़ था।मेरा गांव बाढ़ से डूब रहा था ,गांव पूरा खाली हो चुका था।मरे घर वाले ज्ञुझे बैलों को लेकर सपोस ग्राम के मैदान पर जाने को कहा गया।रात के घूप अंधेरे में मैं बैलों को लेकर सप़स के मैदान पर पहचचा। वहां एक चारपाई पर सोकर बैलों की सिंगों से फ़सी रस्सी को पकड़कर सो रहा था।तब नदी के बहाव की कल - कल व झर - झर की आवाज आ रही थी।इधर मच्छरों का काटनख उधर घर का पानी मेंडूबनख इन सारी चिंता ओं के कारण रखत में नींद नहीं आ रही थी। मैं सोंच में पड़ा रहा .........

    ReplyDelete
  44. बरसात में पानी से भिगना, उछल कूद करते इधर-उधर जाना कागज का नाव चलाना,गाँव- गाली के बहते पानी ,नदी तलाब खेतो में मछली और चारो तरफ हरियाली को देखकर मन प्रसन्न हो जाना।

    ReplyDelete
  45. बचपन का दिन सबसे खुशनुमा होता है और सब के लिए होता है सब का बचपन एक अनमोल रत्न की तरह है जो हम सब याद करके इन पलों को अपने दिलो मैं बसा कर रखे है हमें बचपन का वह दिन जब बरसात के दिनों में वर्षा होती है तब हम छोटे-छोटे इतने मस्ती से उस बारिश की बूंदों में कितनी खुशियों की तरह जैसे कोई बारिश की बूंद ना हो अनमोल मोती हो ऐसा अनुभव प्रतीत होता है कितना अच्छा लगता है बारिश में भीगना वह बचपन जो हम सबका है आपका और हमारा

    ReplyDelete
  46. बारिश के मौसम में भीगना बहुत अच्छा लगता था बचपन में कागज का नाव बनाकर पानी में बहाना फिर उसके पीछे भागना अच्छा लगता था।बादल का ग़रज के साथ बिजली का गिरना बहुत डर लगता था।

    ReplyDelete
  47. बारिश की बूंदों एवं बचपन की यादें इनका संबंध बहुत ही ज्यादा है बचपन की यादें जुड़ी हुई है। बचपन की ओ यादें एवं बारिश में मस्ती आज ही यादें ताजा हो जाती।

    ReplyDelete
  48. Barish ke dino me kagaj ka naw banana ,barish me bhigna v khelna . Dosto ke sath machhali pakadane jana.

    ReplyDelete
  49. कोरोना काल ने पाठ्यक्रम के माद्यम से अपने बचपन की यादे भी वापस ले आई यह विषयवस्तु बारिस के मौसम का तो इस मौसम ने भिगब यचना छप छप करके खेलना नदी में नाव चलाना मछली पकड़ना ओर बहुत कुछ बचपन की यादे के साथ बारिश के मौसम का आनंद लेना

    ReplyDelete
  50. पहले पानी में भीगना और मेंढक का टर्र टर्र आवाज निकलना याद आ रही है मिट्टी की गंधअच्छी लगती थी ज्यादा पानी गिरने पर छत से पानी टपकने पर बर्तन रखना क्योंकि उस समय छप्पर खपरैल हुआ करता था

    ReplyDelete
  51. बिना मौसम के एक अलग मौसम के अनुभव की प्राप्ति के लिए एक रोचक गतिविधि है।बारिश के बूंदों की आवाज़ एक अलग ही समय की ओर ले जाता है।

    ReplyDelete
  52. My name is Sefali halder
    मैं विद्यार्थियों को तुअर द्वार एप्पलीकेशन के जरिये ऑनलाइन क्लास लेती रही। जिससे वो अपनी पड़ाई से जुड़े राह सके। साथ ही साथ उनके अभिभावकों को स्कूल बुलाके ऑनलाइन क्लास के बारे में जानकारी दी।

    ReplyDelete
  53. मैं बारिश की दिनों में बचपन की ओ मस्ती,शरारतें, और खेल याद किया करता हूँ जिसमें बारिश में भीग कर नाचना, कागज की नाव बनाकर पानी में छोड़ना,मम्मी की डांट सब बहुत मजेदार लगता था।

    ReplyDelete
  54. बारिश के मौसम आनन्द दायक मौसम है।बिजली की गड़गड़ाहट से पानी के बुन्दो से धरती गगन मुखरित हो उठते हैं। सोंधा-सोंधा गन्ध पवन ने चारों दिशाओं में ईत्र के तरह फैलाते हैं, ये मनमोहक दृश्य मुझे खुशी प्रदान करते हैं।

    ReplyDelete
  55. है बारिश का मौसम बचपन मे ले जाता है भीगने का आनंद ---- कभी नही बोलने वाला एहसास है स्कूल के बच्चे जब अकारण भीगते है तो हम अपने बचपन के दिन याद आते है

    ReplyDelete
  56. बारिश के मौसम में मैं अपने भाई - बहन के साथ नदी में मछली पकड़ने जाया करते थे। पानी में तैरते थे। कागज के नाव बनाकर पानी में चलाते थे।

    ReplyDelete
  57. जब मैं प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ले रहा था तब क्लास की शुरूवात ही बरसात से होती थी उस समय नई पुस्तकों की खुशबू एवम् सोंधी मिट्टी की गंध मुझे आज भी याद है।क्लास में बैठे गिरते पानी के बूंदों को देखना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  58. खेल खेल मे बच्चे जल्दी सीखते हैं।

    ReplyDelete
  59. कागज का नाव बनाना बारिश में अच्छा लगता है।

    ReplyDelete
  60. I enjoyed very much of rain during my childhood.I heard the voice of different animals like frog, insects etc.

    ReplyDelete
  61. मैं जब शिक्षक बना और शाला मे गया ,मैं उस पल को नही भूल सकता कयों कि जुलाई माह में पानी का बरसना और मिट्टी से सौधी खूशबू मुझे काफी उत्साहित कर रहा था।मैंने पुस्तक उठाकर देखा तो पुस्तक से भी बहुत बढ़िया खुशबू आ रही थी, मैं उस वक्त को आज तक नहीं भूल सका, जब भी पहली बरसात होता है तब वह पल याद आता हैं।

    ReplyDelete
  62. बारिश में बच्चों का कागज का नाव बनाकर सड़क के किनारे बहते पानी में नाव छोड़ना और आगे बढ़ते नाव को देखकर ताली बजाकर खुश होते देख मुझे भी मेरा बचपन याद जाता है।बीच गली में बहते पानी में छपाक कर कपड़े भीगने का मजा ही कुछ और होता है।बारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है

    ReplyDelete
  63. Main barish k dino me naav banakar bahte pani me chalati thi

    ReplyDelete
  64. जहां तक मुझे याद है बरसात का एक दिन था। अचानक बादल गरजने एवं बिजली तड़पने लगा था। देखते देखते ही चारों ओर अंधेरा छा गया और घनघोर गर्जन- तर्जन के साथ मूसलाधार पानी बरसने लगा। साथ में आंधी तूफान तथा पत्थर(बर्फ) अधिक मात्रा में एवं बड़े आकार का लगभग 25 से 50 ग्राम तक का गिर रहा था। जिसका दुष्परिणाम निचले अमले(गरीब) परिवार का घर उजड़ रहा था। घास फूस से लदे झोपड़ी अपना स्वरूप खो चुका था। बेघर परिवार अपना जान बचाने के लिए पेड़- पौधों तथा अन्य स्थानों में आश्रय ले रहे थे, किंतु बिजली( गाज) के गिरने से पेड़ के नीचे खड़े बैल बकरियों में से 8 की जान जा चुकी थी। कुछ पक्षी वर्षा के पश्चात यत्र- तत्र मरे पाए गए। नदियां उफान पर थी, पुल के ऊपर से धारा बह रहा था। कई स्थान जलमग्न हो चुके थे। मिट्टी की सुगंध मन को भा रही थी।
    गांव के ज्यादातर लोग नदी की ओर बाढ़ देखने जाने लगे थे।

    ReplyDelete
  65. बचपन मे बारिश में भींगना और मिट्टी की महक आज भी रोमांचित कर देती है। बारिश में गलियों में पानी बहना उसको रोक के बांध बनाना और पीपल के पत्ते को गोलाकार में मोड़कर मोरी जैसा बनाके उसमे से पानी का निकलना देख खूब आनन्द की अनुभूति होती थी।

    ReplyDelete
  66. Barsaat me mittiyo se aane wali khusbu mujhe hamesha yaado me rahengi

    ReplyDelete
  67. Barsaat me mittiyo se aane wali khusbu mujhe hamesha yaado me rahengi

    ReplyDelete
  68. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।
    त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
    लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
    ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।

    ReplyDelete
  69. Brsaat aur bachpn ke wo din yaad krte hi aaj bhi m khud ko bacha hi mhsoos krne lag jati hu ...bacho ko khelta Dekh naav bnana paani me bhigna gaddo me kudna mitti kikhusboo aur meri ma ka Mujhe chillana aur hmara hasna...M is comment ko likhte huye apna bachpn 5min ke liye hi sahi aur yaad krke bhoot acha mhsoos kar rahi hu..

    Miss Durga Tembhurkar
    Govt.middle school raka
    Dist .rajnandagaon cg

    ReplyDelete
  70. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।

    ReplyDelete
  71. बचपन मे वारिश का आनंद ही कुछ रहता है आणि का गिनना बदल की गर्जना ओला गिरना ऊबे आप मे बहुत आनंद देता है

    ReplyDelete
  72. बरसात की पानी मे भीगना बहुत ही अच्छा लगता है।बरसात मे मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू बहुत ही अच्छी लगती है।बारिश की रिमझिम आवाज संगीत की तरह महसूस होता है।

    ReplyDelete
  73. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।

    ReplyDelete
  74. "सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।

    ReplyDelete
  75. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है

    ReplyDelete
  76. मेरा मनपसंद मौसम है बारिश जब हम स्कूल मे रहते है और बारिश शुरु हो जाती थी तो हम लोगों को जल्दी छूट् टी मिल जाती थी।फिर हम अपने बसता को सिर पर रखकर भागते घर आते।फिर छत मे भरे पानी में खूब खेलते थे।गीली मिट् टी के खिलौने भी बनाते थे।

    ReplyDelete
  77. It is very nice to get wet in the rainy water, the first drops of rainy smell smells good in the soil, bathing in rainy water is very different.

    ReplyDelete
  78. कागज से नाओ बनाना अच्छा लागत है

    ReplyDelete
  79. बचपन की बारिश की महक आज भी बच्चा बना दिया करती है मुझे ....

    ReplyDelete
  80. बारिश के दिनों में घर से बाहर स्कूल जाने के लिए मैंने नदी पार ,नाव बैठ कर किया था।

    ReplyDelete
  81. Baarish k mausam mei hm kaagaz k nao banaya krte the. Baarish k mausam soch k vo thndi hawa,mitti ki khushboo man ko tript krdeti h.

    ReplyDelete
  82. बारिश और बचपन दोनों अलौकिक..

    ReplyDelete
  83. बचपन में बारिश में भीगने से बहुत ही आनंद आता था मिट्टी की सोंधी खुशबू और कागज का नाव बनाकर चलाना बचपन की यादें ताजा कर देता है।

    ReplyDelete
  84. Barish me bhigna kagaj ki nav bnakar chalana janbujhkar pani se bhare gaddho k uper cycle chalakr niklna ek alg hi mja aata tha bachpan me

    ReplyDelete
  85. बारिश के मौसम में जब मैं अपने बचपन को याद करता हूं तो बहुत सारे अनुभव और घटनाएं मुझे बरबस याद आ जाती है कि कैसे मैं बारिश होने पर जब सड़कें कीचड़ से भर जाती थी और केंचुए सड़कों पर यत्र तत्र रेंगते रहते थे तो मुझे ऐसे सड़कों पर चलने से बहुत डर लगता था और मैं स्कूल से अपने घर रोते हुए आता था क्योंकि मुझे केंचुओं से बहुत डर लगता था। इसके अलावा बादलों की जोरदार गर्जना से भी मैं डर कर सहम जाता था।
    बचपन में क्योंकि मेरा घर नदी के किनारे था, तो उससे जुड़ी यादें भी मुझे याद आ जाती है की कैसे जब भारी बारिश होती थी और नदी में बाढ़ आती थी तो रात के समय नदी के लहरों की आवाज जोर-जोर से सुनाई देती थी, इसे सुनकर हम समझ जाते थे की नदी में बाढ़ आ गई है और हम सुबह का इंतजार करने लगते थे नदी देखने के लिए। इसके अलावा बारिश होने पर हमारे घर की छत से जगह जगह पानी टपकने लगता था, इससे हम बच्चों के बीच खूब धमाचौकड़ी मचती थी।
    वास्तव में बारिश का मौसम ढेर सारी यादें छोड़ जाता है।

    ReplyDelete
  86. बारिश की याद आते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं विद्यार्थी जीवन में घर से भले ही छाता लेकर विद्यालय के लिए निकलते थे लेकिन जैसे ही छुट्टी के समय बारिश होती थी तो बिना छाते के तेजी के साइकल चलाते घर आना बड़ा ही आनंददायक लगता था इस बीच बारिश के बाद मौसम भी स्वच्छ हो जाया करता था और मिट्टी से भीनी खुशबू भी आती थी ऐसे में घर पहुंचते ही यदि गरमा गरम पकोड़े मिल जाए तो अतिरेक आनंद की अनुभूति होती थी पकोड़े खाते-खाते सीरियल और कार्टून का आनंद लेना बहुत अच्छा लगता था वाकई में बचपन बहुत आनंद दायक होता है ।

    ReplyDelete
  87. बचपन में पानी में भीगना अच्छा लगता था पानी में भीगते हुए नाचना और कपड़े और शर्ट खोल कर देना और साथ में गाना गाते थे गोल गोल रानी इतना पानी गोल गोल रानी इतना पानी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. Barsat Ke Dinon Mein Din Achcha Lagta Hai Mitti ki Khushboo bahut acchi Lagti Hai

      Delete
  88. बारिश के दिनों में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु बहुत ही प्यारा लगता है।बचपन की दिनों ,भीगते मस्ती करते हुये, मित्रों के साथ,गड्ढे में भरे हुये पानी को उछालना आदि का अपना अलग मजा रहा।

    ReplyDelete
  89. बारिश के दिनों में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु बहुत ही प्यारा लगता है।बचपन की दिनों ,भीगते मस्ती करते हुये, मित्रों के साथ,गड्ढे में भरे हुये पानी को उछालना आदि का अपना अलग मजा रहा।

    ReplyDelete
  90. Bars at ke mousam me bachhe ka aannad algh hota hoi nachna began aur gana gana me mama ate hai

    ReplyDelete
  91. बचपन की यादें वो मेरे सुंदर गाँव, बारिश💦 की बूंदें वो कागज की नाव, छपछपाछप करते पांव, वो छतरी☔ की छाव, बारिश मे भीगनें की लगाव मित्रों के साथ मस्ती करने में अलग ही आनंद की अनुभूति होती.. .

    ReplyDelete
  92. बरसात पानी में छप छप नाचना घर के छत से गिरते हुए पानी में भीगना बनती बिगड़ती बुलबुले पानी को देख कर खुश होना साथियों के साथ खेत में केकड़ा पकड़ना बहुत ही मजा आता थी

    ReplyDelete
  93. बरसात के मौसम में बूंदों की फुहार से मन आनंदित और प्रफुल्लित होता है । बरसात का मजा कुछ और है भीगना ,गड्ढों में भरे पानी में चलना साइकिल चलाना ,मस्ती करना, बचपन की याद दिलाती है। बरसात के पानी के बहाव में कागज से बने नाव को छोड़ते थे। चारों और हरियाली से हमारा मन मनमोहक हो जाता था।

    ReplyDelete
  94. Baris me khaprail me bane ghar me pani ka tapkana . Ghar me pani tapkate bund ke liye chhute chhute bartan rakhna .baris me school me dosto me sath kichad me khelna . Kagaj ki nav ko chalna bada hi Anand deta tha

    ReplyDelete
  95. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।घर के टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।
    त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
    लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
    ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था। हम जब स्कूल जाते थे तो बीच मे एक नाला पडता था। बारिश के मौसम मे अक्सर बाढ आता था जो हमारे कमर तक पानी बहता उस नाला को पार करने के लिए बडों की सहयोग से हो पाते थे वह मौसम बहुत याद आते है।

    ReplyDelete
  96. बचपन के समय की बारिश में कुछ अलग ही मजा था हम कहीं बाहर से आ रहे हो और हल्की बौछार पानी की हो जाए तो बहुत ही अच्छा लगता था उस समय ना तो सर्दी बुखार का डर था और नहीं थी जाने का था जैसे ही बारिश शुरू होती थी हम किसी आसपास के ऐसी जगह पर रुक जाती थी जहां पर हल्की-हल्की पानी की फुहार हम पर पढ़ने लगे और घर पर हो बहुत तेज बारिश हो रही हो तो बाहर सड़क पर निकल कर पानी में भीगने लग जाती थी बारिश की आवाज बहुत ही मनमोहक लगती थी उस समय कोई रोक-टोक नहीं थी घर में अगर आंगन में पानी भर गया हो तभी ठ भीग भीग कर कर नाली निकालने का काम करते थे और छप्पर वाली छत पर कहीं पानी टपक रहा हो तो भीगे हुए तो रहते थे उस छप्पर को भी बनाना बनाना शुरु कर देते जब तक मैं बनता नहीं था हम छत पर से उतरते नहीं थे उसे बनाकर ही दम लेते थे कपड़े धो कर सुखा हैं और बारिश में कपड़े ठीक गए हैं तो से और भीगने देते थे ताकि जब मौसम साफ हो जाए तब वह फिर से सूख जाए बारिश में अपने पालतू जानवरों जैसे बिल्ली का भी ध्यान रहता था कि बारिश शुरू हो गई है वह घर में आ जाएं बारिश में जैसे भीगने का बहाना ही होना चाहिए था मन चंचल होता है सहेलियों की साथ देखने का अपना ही मजा होता है बारिश में सड़क में जोर-जोर से कूदना और खेलना बहुत ही अच्छा लगता था

    ReplyDelete
  97. It is very nice to get wet in the rainy water and play to the soil

    ReplyDelete
  98. बचपन की बारिश का अपना अलग ही मजा था|पहली बारिश में मिट्टी की सौंधी सौंधी महक चारो ओर फैली रहती, बारिश का पानी कभी टप-टप तो कभी झरझर,कभी तेज तो कभी धीमी आवाज तो कभी कंपकंपाती हुई हवा के साथ आती | घर के बड़े पानी में भीगने से मना करते- भीगो मत वरना बीमार पड़ जाओगे, फिर भी हम कहां मानने वाले पानी में कागज की नाव बना कर चलाते और भीग कर घर आने पर डांट पड़ती | धान के फसल चारो ओर भरा भरा दिखाई देता, कभी कभी लगातार बारिश से घर, गांव,गली एवं नालों में खूब पानी भर जाने से अन्य गांवों से सम्पर्क नहीं हो पाता जिससे राशन,दवाई और अन्य समान लाने में बहुत परेशानी उठानी पड़ती |

    ReplyDelete
  99. व्यक्ति का बचपन एक स्वर्णिम काल होता है।जब भी याद आती है, आनंद देती है। जब मैं छोटा था,मैं गांव मे रहता था।बारिस में फुटू(मसरूम)खोजते खोजते बहुत दूर निकल गए।जब घर के लिए वापिस हुए तो नाला(छोटी नदी)में बाढ़ आ गया था।पानी का बहाव तेज था।शाम हो रही थी।उस दिन हम 4 लोग थे।जान जोखिम में डाल कर नाला पार हुए।मैं तो बहते बहते बचा।ये बात मैंने घर मे किसी को नही बताया।जब भी इस घटना को याद करता हूँ मैं डर जाता हूं ।बरसात जहां आंनददायी होती है तो कहीं अपने गलती के कारण डरावनी भी हो जाती है।
    मा.शा.कुदूरघोड़ा
    अंबागढ़ चौकी
    राजनांदगांव

    ReplyDelete
  100. I enjoyed very much of rain during my childhood.

    ReplyDelete
  101. साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  102. Barish me bhigane me bahut aanand aata hai

    ReplyDelete
  103. बारिश मुझे बहुत पसंद है।बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनन्द लिया है हमने। कभी कागज की कश्ती चलाकर, तो कभी पानी से भरे गड्ढो में साइकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनन्द आता था। मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आज भी महसूस करते हैं। बारिश में भिगना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  104. गर्मी मौसम के बाद जब पहली बार बारिश होता है तो बारिश की बूंदे मिट्टी पर पड़ती है तो उसका एक महक उड़ता है वह मुझे बहुत अच्छा लगता है। बारिश में भीगते स्कूल से घर आना बहुत अच्छा लगता था। बारिश के बुंदों से जो आवाज आती हैं बहुत ही मजेदार लगता है। मेरा मन हमेशा, बारिश में मोटरसाइकिल से भीगतें हुए घुमने का होता है। बारिश में गर्म-गर्म पकोड़े खाने में मजा आता है ।हम किसान परिवार से जुड़े हैं तो बारिश से खुशी मिलती है । बारिश में कई बीमारी भी आती सर्दी-जुकाम , वायरल फीवर, मलेरिया आदि । हम छत्तीसगढ़ से है तो कई सारे त्योहार बारिश में होता है जैसे हरेली में खेती के काम आने वाले हर को धोकर और सभी आवश्यक औजारों की पुजा करते हैं ,तीजा पोला आदि। बारिश में सभी जगह कीचड़ होता है जिसके कारण कुछ परेशानियां भी होता है फिर भी बारिश एक नई जीवन की खुशियों को लेकर आता है

    ReplyDelete
  105. बारिश का आनंद ही कुछ और है बचपन की बारिश जब याद आती है तब वह अनुभव कुछ और ही रहता है ।वह आनंद कुछ और ही रहता है, हमारे छत में मुझे याद है एक जगह थी जहां पर पानी भर जाता था हम लोग बस इंतजार करते थे वह जगह पर पानी कब भरें और हम सब वहां पर खेलने कूदने लग जाए वह दिन आज भी याद आता है तो मन प्रफुल्लित हो जाता है। मिट्टी की गंध तो आज भी महसूस होती है कहीं पर , बहुत सारी चीजें हैं बारिश के अनुभव को लेकर ,लेकिन यह एक पल जो हमने अपने बचपन में अनुभव लिया है वह यादगार रहेगा

    ReplyDelete
  106. Bari's bhigana halki phuhare man ko aandit karte hai bacche khushi se jhumte hai sath hi bari's bachapan ki yad dilati hai

    ReplyDelete
  107. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  108. बारिश में कीचड़ होने से मुझे अच्छा नही लगता , फिसलने का डर लगता है , लिकिन किसानों की खुशी मुझे अच्छी लगती है ,, बारिश में गाड़ी चलाना पसंद है , मैं बारिश में रेनकोट अपने गाड़ी में रखा रहता हूं क्योंकि मेरा स्कूल 18 किमी दूर है ।

    ReplyDelete
  109. Barish ke dino me charon or harhali v khusnuma mahul pyare lgte h

    ReplyDelete
  110. बचपन में बरसात में भिगते-भिगते दोस्तों के साथ मिट्टी खोदकर सडक़ बनाते थे ।

    ReplyDelete
  111. बारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है जब बारिश की पहली बूंद ि‍मिटटी पर पडती है तो ि‍मिटटी की सौंधी सी गंध मन मे एक अजीब सी हलचल पैदा करती है बचपन मे बारिश के मौसम मे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे डालकर ि‍निहारतेे रहना एक सुखद अनुभूति थी, चारों ओर हरियाली ही हरियाली ,खेतों मे लगे फसलों को देखना और झरनों की कलकल की आवाज मन को रोमांचित करती है

    ReplyDelete
  112. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते

    ReplyDelete
  113. पहली बारिश की सौंधी खुशबू ,स्कूल के छप्पर से पानी टपकना ,भीगते हुए घर आना, बड़ा याद आता है

    ReplyDelete
  114. साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।

    ReplyDelete
  115. बारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
    आनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।

    ReplyDelete
  116. बारिश का मौसम शुरू शुरू मे मिट्टी कि सोंधी सौंधी महक आज भी मुझे याद हैं। शुरू शुरू मे बारीश मे भींगना याद आती हैं।हमारे घर के सामने पानी भर जाता था।जिसमें लकड़ी के लट्ठे का नाव बना कर तैरना अच्छा लगता था।कागज का नाव बनाकर बहाना, फिर देखना कि किसका नाव दूर तक जाता है।घर की रसोई से आती पकोड़े की गंध अच्छी लगती थीं।भुट्टे भून कर खाना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  117. बरसात के मौसम का आनंद ही अलग है।इस मौसम को अनुभव खुशी और परेशानी दोनों ही तरीके से कर सकते हैं।
    पहला-बरसात के पानी में भीगना,खेलना,नाचना ,गाना आनंद का अनुभव कराता है।
    दूसरा-हमारे छात्र जीवन में हम पूर्व माध्यमिक कक्षा पढने दूसरे गाँव जाते थे।सडक नहीं बना था।खेतों की मेडों पर पैदल बस्ता लादकर गिरते-पडते-भीगते अपने मंजिल तक पहुँचते थे और वापस घर आते थे,तो हँसी भी आता था और रोना भी।
    पर जैसा भी हो ,आज हमें अपने मेहनत का फल अवश्य ही प्राप्त हुआ है।

    ReplyDelete
  118. बचपन की हर यादें मन को गुदगुदाती है , बारिश की यादें तो मन को बचपन की ओर ले जाती है , बारिश में भीगना, कागज के नाव बना कर खेलना , फिर ना व के लिए अपने मित्रो से झगड़ना , फिर तुरंत उससे मिल जाना , ये सभी यादे मन को भाव वभोर कर देती है।

    ReplyDelete
  119. बरसात का मौसम बहुत अच्छा लगता था चारों तरफ पानी की बूंदे गिरती हुई ध्वनि उत्पन्न कर रहे करती थी हां मैं आज भी याद है स्कूल जाते जाते समय छाता नहीं होने पर प्लास्टिक की बोरी से बोरी को पीठ पर लगाकर पानी से बचाव करते थे बारिश के पानी में नहाना बहुत आनंद आया लगता था

    ReplyDelete
  120. बारिश बंद होने के बाद गली में बहते पानी को गीली मिट्टी से रोक कर बाँध बनाते थे।उस पानी को नाली बनाकर छोटे छोटे गड्ढे में भरते थे ।खपरैल का घर था बारिश होना मतलब परेशानियों का बढ़ना ।

    ReplyDelete
  121. बारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
    आनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।(kk siware)

    ReplyDelete
  122. बरसात में मस्ती करने का मन करता है खुले आसमानो में बचपन की यादें तरोताजा हो जाती है ।

    ReplyDelete
  123. when I identified our friend on road with colour of their raincoat.when playing in the puddle was tha best moment of the day.when the sign of little frogs and snail in our home delighted me ."Rain still hold a special place in our heart."

    ReplyDelete
  124. Yes, I have enjoyed the raindrops very much in my childhood. In rainy season we also eat bhajiya and sometimes in a open Sky we also see the rainbow.

    ReplyDelete
  125. बारिश के मौसम का आनंद बहुत लिया मैने, रूके हुये बारिश के पानी मे छप छप करके चलना, गीली मिट्टी मे सहेलियो का हाथ पकड़कर चलना, कागज के नाव बनाकर उसे पानी मे तैराना ये सभी खुशियो के पल थे।

    ReplyDelete
  126. बारिश के मौसम में पानी की बूंदे की आवाज मजा लेना बार-बार पानी में भीगना गरम गरम चाय पीना चना खा ली खाना कागज की नाव पानी में तराना सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू अच्छा लगता था

    ReplyDelete
  127. Anita Singh
    बारिश का मौसम बहुत अच्छा लगता था ।पानी की बूंदों को देखना , बारिश में भीगना ,चारों तरफ पानी ही पानी, बहुत ही आनंद आता था। पानी मे कागज की नाव बनाकर चलाना, छोटे- छोटे गड्ढे में पानी उसमे उछलना कूदना अच्छा लगता था ।

    ReplyDelete
  128. Bachpan ke dino me barish me school Jana aas pass ke sabhi nazaron ka anand lena ,hari bhari prakriti or chidiyo ki awaaze , or ghar pr chai va pakore khana , bhut hi Bhavik lgta h baarish ka mausam.

    ReplyDelete
  129. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।
    त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
    लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
    ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।

    ReplyDelete
  130. मुझे बारिश का मौसम बहुत सुहाना लगता है बारिश में पानी की बूंदों से भीगने का एक अलग ही अहसास होता है।

    ReplyDelete
  131. जब मैं छोटा था बरसते पानी में नहाना मुझे बहुत अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  132. जब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|

    ReplyDelete
  133. बचपन मे दोस्तो के साथ बारिश में भीगने का अलग ही मज़ा था। हम बारिश में भीगने के लिए तरह-तरह के बहाने तलाश करते थे। बचपन के वो पल सुनहरे पल थे जो आज की ज़िन्दगी की बड़ी से बड़ी मुश्किलो में भी चेहरे पर मुसकान दे जाते है।

    ReplyDelete
  134. बचपन की बरसात भुलाए नहीं भूलती।हम अपने गांव में दोस्तों के साथ खूब मस्ती करते थे।कागज की नाव बनाकर गलियों में बहते पानी में छोड़ते थे।गांव के नहर, नाले,तालाब और बाँध में कितना पानी भरा है ये देखने जाते थे।घर वालों के साथ अक्सर खेत भी जाते थे।वो खेत मे काम करते तो हम मिट्टी के खिलौने बनाते।नन्हें-नन्हें मेढ़कों को छेड़ने में बड़ा मजा आता था।बारिश की पानी मे भीगना कितना अच्छा लगता था!स्कूल जाने के लिए रैन कोट की जगह बोरा को मोरी बनाकर ओढ़ लेते थे।फिर उसी को टाटपट्टी की जगह बिछा कर बैठ भी जाते थे।

    किसी ने ठीक ही कहा है........'कोई मुझको लौटा दी बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती,वो बारिश का पानी......'।

    ReplyDelete
  135. बारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है जब बारिश की पहली बूंद ि‍मिटटी पर पडती है तो ि‍मिटटी की सौंधी सी गंध मन मे एक अजीब सी हलचल पैदा करती है बचपन मे बारिश के मौसम मे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे डालकर ि‍निहारतेे रहना एक सुखद अनुभूति थी, चारों ओर हरियाली ही हरियाली ,खेतों मे लगे फसलों को देखना और झरनों की कलकल की आवाज मन को रोमांचित करती है

    ReplyDelete
  136. Barish ke din me bhigna Bahut hi achchha lagta hai Charo taraf hra bhara dekh kr mn aandit Ho jata hai

    ReplyDelete
  137. बारिश मुझे बहुत पसंद है।बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनन्द लिया है हमने। कभी कागज की कश्ती चलाकर, तो कभी पानी से भरे गड्ढो में साइकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनन्द आता था। मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आज भी महसूस करते हैं। बारिश में भिगना अच्छा लगता था।

    ReplyDelete
  138. बारिश मुझे बहुत पसंद है । बचपन की यादें बहुत ही स्मरणीय है ।

    ReplyDelete
  139. बारिश के मौसम में भीगना चाप चाप करना नाव चलना आदि का मजा लेना

    ReplyDelete
  140. बारिश के मौसम में बहुत पानी गिरता है सब तरफ पानी ही पानी रहता है सब तरफ हरियाली होता हैं कीचड़ होता हैं बारिश का मौसम सुहाना होता हैं बारिश में भीगना अच्छा लगता हैं बारिश में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आती हैं |

    ReplyDelete
  141. I experience rain in my childhood as making boat of papers it became wet taking snow in our hands and enjoyed danced with friends in heavy rains it destroys the crops destroy the dams and various diseases evolved and the economic and the economical loss of our country by the rain occurs.


    RADHAKRISHNA MISHRA

    ReplyDelete
  142. आज सच में बचपन की बातें याद आई हम जब 7 किमी दुर विद्यालय जाते थे तेज बारिश में छाता भी उड़ जाता था
    गांव में दादी चना भूंजती थी और हम मजे से खाते थे। रैनकोट तो परिस्थिति वश नहीं मिला लेकिन झिल्ली औढ़कर कापी पुस्तक बचाकर स्कूल जाते थे। गांव में विशेष कर धान की फसल बोते थे। और किसान पानी में भी निंदाई किया करते थे मोरा ओढ़कर। बरसात में ऐसा बात होता था कि सर्दी, खांसी और बुखार अकसर हो जाया करता था।

    ReplyDelete
  143. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है

    ReplyDelete
  144. बारिश शब्द आते ही मुझे सबसे पहले मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू, बादलों का गर्जना,चारों और हरियाली, नदी ,झरने ,खेत, और भुट्टे याद आते हैं

    ReplyDelete
  145. बरसात के दिनों में स्कूल से लौटते समय जूता मौजा गिला करते हुए कीचड़ में नाचते हुए घराना बहुत अच्छा लगता था बादलों के गर्जन पर खड़े हो जाना और जोर से बारिश होने पर दौड़ दौड़ कर घर आना बहुत याद आता है

    ReplyDelete
  146. बचपन मेंं मैंने बारिश का बहुत आनन्द लिया। बहती हुई पानी में छपाक -छपाक कर चलने में मजा आता था।कपड़े गीले हो जाते थे। रात में पानी की बूँदे छप्पर पर पड़ती तो नींद गहरी आती। विद्यालय जाने में परेशानी हुआ करती थी। गीली मिट्टी पैरों में लग जाया करती थी।बिजली कड़कती तब भयभीत हो जाया करते। बादलों के गरजन से कानों को ऊँगलियों से बंद कर लेते थे। बरसात में नदी का उफान देखने का अलग ही आन्नद आता था।

    ReplyDelete
  147. जगत राम कश्यप (शिक्षक)

    माध्यमिक शाला :- केरगांव
    विकासखंड/ जिला :- गरियाबंद

    गर्मी के बाद बरसात का आगमन हम बच्चों के लिए बहुत ही आनंददायक मौसम होता था। जब पहली बरसात हवा के तेज झोंकों के साथ काले-काले बादल का घिरना और जब पानी गिरता था तब हम बच्चे पानी के बवछारों से भी कर कर बहुत आनंदित होते थे और खुशी में चिल्लाते भी थे जब बरसात का पहला मौसम आता तो मिटटी की भीनी- भीनी खुशबू के साथ मेंढक का बाहर निकलना पीले मेंढक,हरे मेंढक,छोटे मेंढक, बड़े मेंढक का फूदकना,मेढ़को के विभिन्न प्रकार की आवाजें निकालकर बरशात के आने की खुशी में गीत गाना बहुत अच्छा लगता था उनके आवाज के साथ जिंगरों, किड़े-मकोड़े का मधुर आवाज वातावरण को और अधिक आनंदित बना देता था ऐसे में भीगना मन को बहुत ही आनंद देता था
    जब बरसात जोरों पर होता था तब उस समय कई दिनों तक पानी गिरने के कारण नदी नाले उफान पर होते थे खेत खलिहान चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता था ऐसे में हम बच्चे छतरी के साथ मछली पकड़ने के लिए जाली पकड़ कर निकलते थे उस समय नदी नालों में भरपूर मात्रा में मछलियां मिलती थी हम सब हाफ पेंट और कमीज के साथ भीगे रहते थे और ठंडी हवा के झोंकों के साथ कभी-कभी हल्के से कापने लगते थे जब ऐसी हालात में घर पहुंचते थे तब हमारे माता-पिता हमें डांटते थे और हम बच्चे कहां मानने वाले थे फिर डांट सुनकर कुछ समयघर में विश्रामकर अलाव से गर्मी प्राप्त कर,कपड़े बदल कर पुनः छतरी पकड़कर बरसात का आनंद लेने के लिए नदी के किनारे निकल जाते थे और उफान में रहे नदी को घंटों देखा करते थे इन बातों को याद कर आज भी मन रोमांचित हो जाता है।



    ReplyDelete
  148. Bachpan me barish ka aanad hi alag sa tha. Barish ki dasktak sunte hi hk sabhi dost jhum pdte the. Khule baadalo ke neeche jakar aasman ki tarf dekhte aur ankhe band kr boondo ko mehsoos krte the. Rasto se barish ki patli nahar ban jati thi jisme hm sabhi dost kagaz ki naav banakar tairaya krte the.

    ReplyDelete
  149. Bachpan me baarish me baahar bheegne ka maza hi kuch or the. Baarish hote sath dosto k sath bahar nikal k naav banana or use behte pani me tairaana. Baarish ki boondo ko mehsus karna

    ReplyDelete
  150. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात के आते ही धरती हरी भरी हो जाती है बरसात की पहली बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है।

    ReplyDelete
  151. Hi friends
    Iam sharing my childhood memory I was in class 7 th my father bought new umbrellas for my sister n for me .one day heavy raining was there I took my umbrella and I went to school,as soon as I reached to the school entrance gate heavy wind came n my umbrella turned upward But my teacher helped me I never forget my teacher still today..


    ReplyDelete
  152. बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
    रिमझिम के.....जैसे गाने।

    ReplyDelete
  153. बारिश में मौसम का आनन्द बहुत ही सुंदर होता है। बारिश की आवाज छत पर गिरने वाली बारिश हवा, बादले के गर्जन, पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज बहुत ही मधुर होते हैं।

    ReplyDelete
  154. बरसात का मौसम सुहाना होता है तथा प्रकृति बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है बादलों का गर्जना वा हवाओं का बहना अच्छा लगता है ।

    ReplyDelete
  155. Barish me bhigna,raste me bahte paani me khelna aur kagaj ki naav Chalana bahut maza aata tha.

    ReplyDelete
  156. Barish ke mousam me mitti ki acchi khushbu aatti h. Bachpan mae ham barish k pani mae kagaz ki noww chalaya krte the.

    ReplyDelete
  157. बारिश मौसम और बचपन की यादें एक रोमांच पैदा कर देती है। बारिश में भीगना, कागज की नाव चलाना और उसके पीछे भागना,पानी को रोककर बांध बनाना,उसमे पत्तल का पाइप लगाकर पानी को निकालना । बहुत ही आनंद आता था।

    ReplyDelete
  158. बारिश के मौसम में रिमझिम फुहार की आवाज़, मिट्टी के गड्ढों में खेलना, बारिश बंद होने के बाद ठंडी हवा की लहर जिसका लुफ्त लेने छत पर जाना, स्कूल से घर आते वक़्त बारिश में भीगना, घर पर गरम चाय और पकोड़ो की महक, पुराने कपड़े निकालना क्योंकि नए कपड़े सूखे नहीं होते थे, कभी कभी भारी बारिश से घर में पानी भर जाना जिससे समान जल्दी से उठा कर यहां वहां रखना पड़ता था आदि ऐसी कई यादें बारिश से जुड़ी हुई है।

    ReplyDelete
  159. बारिश का मौसम में भीगना और मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी याद आता है।

    ReplyDelete
  160. भारी बारिश के दौरान हम सभी अपने अपने आँगन के पाईप की नली को बंद कर उसे एक तालाब का रूप दे देकर उसमे तैरने का अभिनय किया करते थे सच में बड़े ही अविश्मर्णीय पल है। जीवन के ।।

    ReplyDelete
  161. बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है

    ReplyDelete
  162. बचपन में बारिश की बूंदों में भीगना बहुत अच्छा लगता था बारिश में मिट्टी के भीगने से सोंधी सोंधी खुशबू आती थी मेंढक के टर टर की आवाजें याद है झरने से झर झर बहने की आवाज आती थी बिजली का चमकना गर्जना in सब का अलग ही एहसास है

    ReplyDelete
  163. बचपन में बारिश के बहते पानी में कागज कि नाव चलाने का आनंद अद्भुत था। बारिश की पहली बूंदों से मिट्टी की सौंधी महक बहुत मनभावन होती है

    ReplyDelete
  164. बचपन मे बारिश में भीगना बहुत अच्छा लगता था मेरा साथी था पडोसी राजू पानी गिरने के तुरंत बाद हैम दोनो घर से बाहर आकर खेलते थे कीचड़ में दोनों एक दूसरे को मिट्टी डालते थे भीग वाला और दोनों गंदे हो जाते थे पर हमें बहुत अच्छा लगता था जब घर वाले देखते थे हमें पकड़कर घर ले जाते थे कितना मजा आता था उन दिनों हमे । बचपन की वो टाइम
    ....

    ReplyDelete
  165. जब स्कूल जाते थे तब बारिश के मौसम में भीगना बहुत अच्छा लगता था अपने बैग को रेनकोट से ढककर बारिश में भीगते हुए साइकिल चलाते हुए घर वापस आते थे माँ अदरक वाली चाय पिलाती थी कि कहीं हम बीमार न हो जाएँ और यदि स्कूल जाते समय बारिश होती थी तो परेशानी बढ़ जाती थी रेनकोट पहनने के बावजूद स्कूल पहुंचते पहुंचते हम गीले हो जाते थे सफेद ड्रेस बचाने के बावजूद छींटों से गंदा हो जाता था मोजे बैग में रखकर ले जाते थे कई बार गीले हो जानें की वजह से छुट्टी हो जाती थी ।

    ReplyDelete
  166. Bachpan me baarish me bhigna bahut achcha lagta tha aur mitti ki saindi saundhi khushbu bahut achchi lagti thi...

    ReplyDelete
  167. बारिश मुझे बहुत अच्छा लगता है बारिश होती है तो मिट्टी की सौंधी खुशबू मुझे बहुत अच्छी लगती है दूसरी बात यह मेरा स्कूल का रोड बहुत खराब है बारिश के दिनों में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए बरसात आते ही मुझे स्कूल जाने की चिंता सताने लगती हैं

    ReplyDelete
  168. हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है कागज की कश्ती के पीछे पीछे पानी पर चलना

    ReplyDelete
  169. बारिश के मौसम मे भीगना हर बच्चो को अच्छा लगता है वैसा ही मुझे भी बहुत अच्छा लगता था।
    बचपन मे मै अपने दोस्तो के साथ कागज का नाव
    बनाकर पानी मे बहाना फिर भिगते भागते उसके
    पीछे भागना बहुत अच्छा लगता था।
    आज भी बारिश की बूदे बचपन की यादे
    को ताजा कर जाती है।

    ReplyDelete
  170. Barish ke aawaj ki bshut sundar gatiwidhi

    ReplyDelete
  171. बरसात का नाम सुनते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है हम कैसे पानी में कागज की कश्ती बना कर चलाया करते थे और उसके पीछे पीछे थोड़ा करते थे।

    ReplyDelete
  172. बचपन में बारिश में भीगने का उसमें खेलने का अपना एक अलग ही मजा आता था हम गलियों में बहते हुए पानी में कागज की नाव कश्ती बनाकर उसमें बताया करते थे और दौड़ दौड़ कर गलियों में पानी से गिरते हुए फव्वारे में नहाने का खूब मजा आता था वह क्या दिन है आज भी वह दिन बहुत याद आता है

    ReplyDelete
  173. बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है । कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं । बारिश के मौसम में टीन के चादरों पर बारिश की बूंदें किसी तासा की ध्वनि से कम नहीं था ।ध्वनि कभी धीमी तो कभी तेज..
    बारिश के मौसम में मछली पकड़ने का अपना अलग आनंद आता था..
    और बरसात में गर्मागर्म भजिया खाने का मजा ही कुछ और होता है..

    ReplyDelete
  174. Rula diya na.bachpan yaad kara ke

    ReplyDelete
  175. बारिश का मौसम मेरा पसंदीदा मौसम है।बचपन में बरिश का आनंद लेना सभी बच्चों का सौख होता है।वो बारिश में भीगना,ठहरे हुए पानी में नाव चलाना,छत से गिरते पानी में उछलकूद कर नहाना,पानी के धार को बांधने का मजा ही कुछ ज्यादा रहता है।मैं भी इन सभी शरारतों में बराबर शामिल रहा।आज भी वो दिन बहुत याद आते हैं।

    ReplyDelete
  176. बारिश में भीगना बड़ा मज़ा आता था और मछली पकड़ना अच्छा लगता था।लेकिन सर्दी बुखार होने का डर भी लगा रहता था। खासकर छत के पानी गिरता था उस पानी में नहाने में बड़ा मजा आता था। खेतो मे थरहा लगाने मे बड़ा मजा आता था।

    ReplyDelete
  177. बारिश के मौसम में हमने बहुत ही आनंद लिये है ।बारिश का पानी जब मिट्टी पर गिरती है तो उसकी सौधी-सौधी खुशबू अत्यंत मनमोहक लगती है ।

    ReplyDelete
  178. Bachpan ki yaade taza hogyi vo bhigne pe maa ki dant or.. dant k bad ka dular... Badal k garajne ka dar.. or barasne pe khushi.. suhani yaade

    ReplyDelete
  179. बरसात में बारिश के बूंदो को देखते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है। हम पानी में कागज के जहाज बनाकर बहाते थे। बरसात का मौसम सबसे अच्छा मौसम होता था ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. पानी मे चलना ,नाव
      बनाकर पानी मे छोडना ,बारिश के बूंदो से खेलना ,गरम गरम पकौड़ा खाना

      Delete
  180. मानसून का मौसम सभी मौसमों में सबसे अच्छा माना जाता है | हर किसी को बारिश के इंतजार बेसब्री से होता है | आज सुबह से अत्यधिक गर्मी थी जैसे-जैसे सूर्य आसमान में चढ़ने लगा वैसे ही बेचैनी बढ़ने लगी | हवा बिलकुल भी बंद हो चुकी थी हुए धुप बहुत ही तेज था |

    सभी के मुँह से “ऊफ” निकलने लगा | इस भीषण गर्मी और उष्णता को देखकर अनुभव होने लगा की आज वर्षा होगी | दिन ढलते ही आकाश में कुछ घटाएँ दिखाई पड़ने लगी | बादल चारो तरफ से घिर आया, और गरजते हुए काली घटा का रुप धारण कर ऊपर चढ़ने लगा |

    बादलों को देखकर मोर छमछम नाचने लगा | बिजली चमकने लगी और हवा तेज हो गई | सूखे और मुरझाए शरीर में नवजीवन भरने लगी |

    वर्षा के स्वागत में मेंढक टर्र-टर्र करने लगा | कुछ ही देर में बादलों से पूरा आसमान ढँक गया और टप-टप, कण-कण की बुँदे बरसने लगी | बच्चों की टोली वर्षा आने की खुशी में गुनगुना कर नाचने लगे

    ReplyDelete
  181. मैं बरसात के दिनों में सामाजिक जगह बैठे रहते थे वही बैठे बैठे बारिश का मजा लेता था। बरसात थम जाने के बाद गांव के गली में बहते हुए पानी मे नाव चलाते और मछली पकड़ते थे।

    ReplyDelete
  182. बारिश की याद आते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं विद्यार्थी जीवन में घर से भले ही छाता लेकर विद्यालय के लिए निकलते थे लेकिन जैसे ही छुट्टी के समय बारिश होती थी तो बिना छाते के तेजी के साइकल चलाते घर आना बड़ा ही आनंददायक लगता था इस बीच बारिश के बाद मौसम भी स्वच्छ हो जाया करता था और मिट्टी से भीनी खुशबू भी आती थी ऐसे में घर पहुंचते ही यदि गरमा गरम पकोड़े मिल जाए तो अतिरेक आनंद की अनुभूति होती थी पकोड़े खाते-खाते सीरियल और कार्टून का आनंद लेना बहुत अच्छा लगता था वाकई में बचपन बहुत आनंद दायक होता है

    ReplyDelete
  183. बारिश में भीगने और खेलने का अलग ही मजा होता है कागज के नाव बनाकर बरसाती पानी में तैराना बहुत ही लगता था । बचपन में बारिश के समय एक नीलकंठ पक्षी का बच्चा भीगकर पेड़ से नीचे गिर गया था उड़ नहीं पा रहा था ।मैंने उसे उठाया और पोछ कर एक टोकरी में रातभर रखा और सुबह जैसे ही मैंने टोकरी खोली वो उड़ गया।मै बहुत निराश हो गई थी। पर अब सोचती हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है।

    ReplyDelete
  184. बचपन में बारिश के मौसम का बहुत आनन्द लिया है। बरसात में गलियों की पानी को रोकना और उसमें कागज का नाव बना कर छोड़ना बहुत ही अच्छा लगता था। बरसात के मौसम में जब काले-काले घने बादल छा जाती हैं,बिजली चमकने लगती है और तेज हवाओं के साथ मूसलाधार पानी बरसने लगती है, मेंढक टर्राने लगती हैं, पक्षियों के कलरव तथा झरनों की आवाजें अत्याधिक मन को मोह लेती हैं।

    ReplyDelete
  185. "सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।

    ReplyDelete
  186. बचपन में बारिश का मजा ही कुछ और था। बारिश में भीगना बारिश के बूंद ओके महसूस करना। पानी में कागज की नाव चलाना। कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना " जम के बरस रे बदरा जम के बरस"
    बारिश से पहले तूफान का डर| छप्पर वाले घर मैं पानी टपकना | मेंढको का टर्टर करना ।

    ReplyDelete
  187. बचपन में बारिश का मजा ही कुछ और था। बारिश में भीगना बारिश के बूंद ओके महसूस करना। पानी में कागज की नाव चलाना। कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना " जम के बरस रे बदरा जम के बरस"
    बारिश से पहले तूफान का डर| छप्पर वाले घर मैं पानी टपकना | मेंढको का टर्टर करना ।

    ReplyDelete
  188. बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया करते थे और कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में.कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लियाकरते हैं चारों ओर हरियाली छायी रहती हैं

    ReplyDelete
  189. बरसात का वो मौसम मुझे सबसे अच्छा लगता है उन दिनों ज़मीन से शोधि खुसबो औऱ चारो तरफ बहुत सी हरयाली मुझे बहुत अच्छी लगती है ।

    ReplyDelete
  190. Bachpan me barish me bhigna girte huye pani me idhar se udhar daudna koodna bada maza ata tha.mitti ki saundhi saundhi khushboo aaj bhi aati hai .school se chhutti pane ke jabardasti pani me bhingna aaj bhi yaad hai.

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

कोर्स 03 (FLN) गतिविधि 5 : अपने विचार साझा करें

कोर्स - 02, गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें

कोर्स 08 (FLN) गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें