मॉड्यूल 6
गतिविधि
4 : द मेमोरी
लेन
कृपया
बारिश के
मौसम से
जुड़े अपने
बचपन के
अनुभवों को
लिखें या
चित्र बनाएँ
।
निर्देश: यह गतिविधि आपके बचपन की यादें / बारिश के मौसम का आनन्द साझा करने के लिए है। आप नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपना अनुभव लिख सकते हैं तरह-तरह की आवाज़ें जो आपको याद हों - बारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ । बरसात के मौसम में मिट्टी की गंध - वनस्पति की, गीली मिट्टी की, नमी की, मौसम के दौरान विशेष भोजन की गंध जो आपको याद है ।उस समय पहनने वाले वस्त्र। बरसात के मौसम में भोजन, मौसम के विशेष गाने। त्यौहार और फसलें जो आपको याद हों कोई भी बीमारी जो लोग सोचते हों कि वह इस समय में उन्हें प्रभावित कर सकती है? भारी बारिश के कारण आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों का सामना कभी आपको करना पड़ा हो । कुछ और जो आप साझा करना चाहते हैं?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
हाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteसही है,सर जी बचपन की यादे को कभी नहीं भूल सकते
DeleteBarish me bhigna , mitti ki Sondhi si khushboo aur nav chalana mujhe bachpan me bhut pasand tha
Deleteबरसात का वो मौसम मुझे सबसे अच्छा लगता है उन दिनों ज़मीन से शोधि खुसबो औऱ चारो तरफ बहुत सी हरयाली मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
Deleteबरसात में जब पानी गिरता था तो पैरों को छुपा छुपा कर के नाचना बहुत अच्छा लगता था और जब बहुत तेज बारिश होती थी तो घर की छत से जब पानी टपकता था तो कभी इधर कभी उधर भागते थे वह दिन बहुत याद आता है।
DeleteBachpan me hamne kagaz ke naav, aeroplane banaye hai aur kanche bhi khele hai
ReplyDeleteबारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
ReplyDeleteआनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।
साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteपहली बारिश मे भीगना और मेढक का टर टर आज भी याद आते है।
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।
बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
ReplyDeleteसाईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
DeleteBachpan me hum barsat ke dino me pani me bhingte huye school se ghar aate thye khelte kudate huve bada maja aata thaa
ReplyDeleteBachpan ke dino me barish me school Jana aas pass ke sabhi nazaron ka anand lena ,hari bhari prakriti or chidiyo ki awaaze , or ghar pr chai va pakore khana , bhut hi Bhavik lgta h baarish ka mausam
ReplyDeleteबरसात का मौसम, ये नाम ही जेहन में आनन्द का भाव पैदा कर देती हैं,
ReplyDeleteबारिश के मौसम में चारों ओर हरियाली, मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू और बारिश में भीगना ये सब अलग ही आनन्द का एहसास कराता है|
DeleteRainy season gives relief from heat.farmers grow their crops.
ReplyDeleteबचपन में बारिश का अनुभव अलग ही रोमांच पैदा करता है।तथा जानबूझकर भीगने व स्कूल से छुट्टी पाने का मजा कुछ और होता है।
ReplyDelete"सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।
ReplyDelete
ReplyDeleteहाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
हाँ मुझे बारिश का मौसम बहुत सुहाना लगता है बारिश मे हम भीग कर शाला से घर आते तो बहुत मजा करते थे। और चारो तरफ हरियाली होती ,मेढ़क की आवाजे आती थी।पानी मे चलना ,भीगना ,माटी की खुशबू बार -बार सुघंने को ललाइत करती थी।
ReplyDeleteबरसात का मौसम बहुत ही सुहाना लगता है , मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू बहुत ही मन को लुभाता है।
ReplyDeleteबारिश के दिन में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है, चारों तरफ हरा-भरा देख कर मन आनंदित हो जाता है।
ReplyDeleteखेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।
ReplyDeleteबारिश में बहुत सारे जीव जन्तु देखने को मिलता है
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।
Barish me bhigne me achchha lagata hai
ReplyDeleteजब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|
ReplyDeleteबारिश के मौसम में बहुत पानी गिरता है सब तरफ पानी ही पानी रहता है सब तरफ हरियाली होता हैं कीचड़ होता हैं बारिश का मौसम सुहाना होता हैं बारिश में भीगना अच्छा लगता हैं बारिश में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आती हैं |
ReplyDeleteबिल्कुल, बारिश शब्द सुनते ही,मन मस्तिष्क पर बरसात के समय होने वाली गतिविधि चित्रित होने लगता है। मेरा ध्यान सबसे पहले अभावों, गरीबों, मजदूरों के परिवार, घर के तरफ जाता है, क्योंकि पानी से उनके घर टपकता है, वे अपने दैनिक मजदूरी के लिए जाने में असमर्थ होते है। बारिश के दिनों में काफी तकलीफ देने वाले दिनों का सामना करना पड़ता है।
ReplyDeleteबारिश के पानी में हम कागज के नाव बनाकर बहाते थे ।बारिश में खूब भीगते थे।
ReplyDeleteबरसात की शुरुआत में मिट्टी गीली होने पर जो सोंधी‐सोंधी खुशबू आती हैं, वह बहुत अच्छी लगती हैं, इससे बच्चे और कई तरह की अच्छी और बुरी खुशबू के बारे में जान सकते हैं।
ReplyDeleteबरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
ReplyDeleteबारिश के दिन में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है, चारों तरफ हरा-भरा देख कर मन आनंदित हो जाता है।
हां बचपन में हमे बारिश के मौसम में भीगना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteसंध्या बैस (शा. मा.शा. उमरदा)
ReplyDeleteबचपन में बारिश के पानी मे भीगने का अलग आनंद था। रुके पानी पर कागज की नाव बनाकर चलाने मे बहुत मजा आता था। स्कूल जाते समय बारिश मे भिगना तथा छुट्टी पाने पर बडा आनंद आता था। घर आते समय विभिन्न जीवों को निहरते चलने का अलग ही आनंद था ।
बारिश में बचपन मे मिट्टी की भीनी-भीनी सी खुशबू बहुत अच्छी लगती है। और साथ ही मूंगदाल के पकोड़े चटनी के साथ खाने का बहुत ही मजा आता है
ReplyDeleteBarish ki bundo ki awaz aaj bhi kano ko madhur sangit me kho jane wali lagti hai.. bachpan me nav banakar bahti nali me dosto ke sath chalana ... school se ate samae raincoat hote hue bhi bhigte hie ana.. gadho me jute se chapak chapak karna... y sab abhi bhi yaad ata hai... redpoll ko pakadkar ginti ginna...
ReplyDeleteबारिश होने के बाद की सुगंध का एक अलग ही आनंद होता है। बचपन में कागज की कश्ती बनाकर उसे पानी में छोड़ने का एक अलग ही मजा होता था। पानी के गड्ढे में कूदना ....... रेनकोट होते हुए भी भीगना बहुत अच्छा अनुभव रहा।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में भीगना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteBarsat ke Dino me pani me bhigana bahut bhata tha. Baris ko yad karte hi mujhe mere bachpan ke friend yad aate hai. Kagaj ki nav to sabhi ne banai hai. Baris ka anubhav hame bachpan me le jata hai.
Deleteमैं अपनी लिखी एक कविता साझा करना चाहता हूँ।
ReplyDeleteदेखो बरखा रानी आई,
देखो बरखा रानी आई।
संग अपने कितनी खुशियाँ लाई।
देखो बरखा रानी आई।
बादल गरजा, बिजली चमकी।
धरती ने अपनी प्यास बुझाई।
देखो बरखा रानी आई।
कभी बूँद-बूँद, कभी घूम-घूम।
मिट्टी की सौंधी खुशबू लाई।
देखो बरखा रानी आई।
ठण्डी चली बयार, बूँदों की तेज धार।
रातों ने तरह-तरह की ध्वनियाँ सुनाई।
देखो बरखा रानी आई।
किसान दौड़े आए, बैलों को संग लाए।
खेतों की हुई जुताई।
देखो बरखा रानी आई।
तितर-बितर मिट्टी के भीतर,
बीजों ने फिर से जान पाई।
देखो बरखा रानी आई।
मन को लुभाती,
मंद-मंद झूमती गाती।
हरियाली सभी ओर छाई।
देखो बरखा रानी आई।
संग अपने कितनी खुशियाँ लाई।
देखो बरखा रानी आई।
भूपेश
Mujhe mitti ki wo sondhi khushboo bahut hi achhi lagti hai jo barish ki pehali boond ke sath aati hai.bachpan me kagaz ki kashti chalane me bahut maza aata tha.ghar ke samne jama hue barish ke pani me khelne ka apna alag Anand hota tha.
ReplyDeleteबरसात में ज्यादा देर भीगने से मोहंती बीमारियों हो सकती है इसलिए बरसात में देर तक भीगना नहीं चाहिए
ReplyDeleteIt is very nice to get wet in the rainy water, the first drops of rainy smell smells good in the soil, bathing in rainy water is very different.
ReplyDeleteहाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteBachpan me Barsat Ke Shuru hote hea Ham Ghar Se Bahar kheton per Chale Jaate the aur chhote chhote Tandav aur Bans ke Gharwali Lakadi se Machhali p karte the sath mein Mitti ki Sondhi Khushboo barsati Mitti Hamen bahut l achhi lagti thii Kabhi Kabhi To Khushboo ke sath sath Safed Mitti bhi chat liya Karte The
ReplyDeleteजब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|
ReplyDeleteखेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।
जब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|पानी को डण्डे से पीटते थे|
ReplyDeleteखेल खेल में बच्चे सीखकर अपने अनुभवो को साझा करने में मदद मिलती है इसके साथ साथ शारीरिक और मानसिक का विकास होता है।
Barish ke mousam me mitti ki acchi khushbu aatti h. Bachpan mae ham barish k pani mae kagaz ki noww chalaya krte the.
ReplyDeleteजब मैं 1980 में कक्षा 9 वीं में गणित विषय पर शशिभूषण सिंह शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चन्द्रपुर मेंएडमिशन लिया था ।मेरे विषय में मेरे गांव से अकेला था।रास्ता नदी किनारे से होकर ही जाता था।पगडंडी पर चलकर जाना पड़ता था।बरसात का मौसम था नदी पर बाढ़ था।मेरा गांव बाढ़ से डूब रहा था ,गांव पूरा खाली हो चुका था।मरे घर वाले ज्ञुझे बैलों को लेकर सपोस ग्राम के मैदान पर जाने को कहा गया।रात के घूप अंधेरे में मैं बैलों को लेकर सप़स के मैदान पर पहचचा। वहां एक चारपाई पर सोकर बैलों की सिंगों से फ़सी रस्सी को पकड़कर सो रहा था।तब नदी के बहाव की कल - कल व झर - झर की आवाज आ रही थी।इधर मच्छरों का काटनख उधर घर का पानी मेंडूबनख इन सारी चिंता ओं के कारण रखत में नींद नहीं आ रही थी। मैं सोंच में पड़ा रहा .........
ReplyDeleteबरसात में पानी से भिगना, उछल कूद करते इधर-उधर जाना कागज का नाव चलाना,गाँव- गाली के बहते पानी ,नदी तलाब खेतो में मछली और चारो तरफ हरियाली को देखकर मन प्रसन्न हो जाना।
ReplyDeleteबचपन का दिन सबसे खुशनुमा होता है और सब के लिए होता है सब का बचपन एक अनमोल रत्न की तरह है जो हम सब याद करके इन पलों को अपने दिलो मैं बसा कर रखे है हमें बचपन का वह दिन जब बरसात के दिनों में वर्षा होती है तब हम छोटे-छोटे इतने मस्ती से उस बारिश की बूंदों में कितनी खुशियों की तरह जैसे कोई बारिश की बूंद ना हो अनमोल मोती हो ऐसा अनुभव प्रतीत होता है कितना अच्छा लगता है बारिश में भीगना वह बचपन जो हम सबका है आपका और हमारा
ReplyDeleteबारिश के मौसम में भीगना बहुत अच्छा लगता था बचपन में कागज का नाव बनाकर पानी में बहाना फिर उसके पीछे भागना अच्छा लगता था।बादल का ग़रज के साथ बिजली का गिरना बहुत डर लगता था।
ReplyDeleteबारिश की बूंदों एवं बचपन की यादें इनका संबंध बहुत ही ज्यादा है बचपन की यादें जुड़ी हुई है। बचपन की ओ यादें एवं बारिश में मस्ती आज ही यादें ताजा हो जाती।
ReplyDeleteBarish ke dino me kagaj ka naw banana ,barish me bhigna v khelna . Dosto ke sath machhali pakadane jana.
ReplyDeleteकोरोना काल ने पाठ्यक्रम के माद्यम से अपने बचपन की यादे भी वापस ले आई यह विषयवस्तु बारिस के मौसम का तो इस मौसम ने भिगब यचना छप छप करके खेलना नदी में नाव चलाना मछली पकड़ना ओर बहुत कुछ बचपन की यादे के साथ बारिश के मौसम का आनंद लेना
ReplyDeleteपहले पानी में भीगना और मेंढक का टर्र टर्र आवाज निकलना याद आ रही है मिट्टी की गंधअच्छी लगती थी ज्यादा पानी गिरने पर छत से पानी टपकने पर बर्तन रखना क्योंकि उस समय छप्पर खपरैल हुआ करता था
ReplyDeleteबिना मौसम के एक अलग मौसम के अनुभव की प्राप्ति के लिए एक रोचक गतिविधि है।बारिश के बूंदों की आवाज़ एक अलग ही समय की ओर ले जाता है।
ReplyDeleteMy name is Sefali halder
ReplyDeleteमैं विद्यार्थियों को तुअर द्वार एप्पलीकेशन के जरिये ऑनलाइन क्लास लेती रही। जिससे वो अपनी पड़ाई से जुड़े राह सके। साथ ही साथ उनके अभिभावकों को स्कूल बुलाके ऑनलाइन क्लास के बारे में जानकारी दी।
मैं बारिश की दिनों में बचपन की ओ मस्ती,शरारतें, और खेल याद किया करता हूँ जिसमें बारिश में भीग कर नाचना, कागज की नाव बनाकर पानी में छोड़ना,मम्मी की डांट सब बहुत मजेदार लगता था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम आनन्द दायक मौसम है।बिजली की गड़गड़ाहट से पानी के बुन्दो से धरती गगन मुखरित हो उठते हैं। सोंधा-सोंधा गन्ध पवन ने चारों दिशाओं में ईत्र के तरह फैलाते हैं, ये मनमोहक दृश्य मुझे खुशी प्रदान करते हैं।
ReplyDeleteहै बारिश का मौसम बचपन मे ले जाता है भीगने का आनंद ---- कभी नही बोलने वाला एहसास है स्कूल के बच्चे जब अकारण भीगते है तो हम अपने बचपन के दिन याद आते है
ReplyDeleteबारिश के मौसम में मैं अपने भाई - बहन के साथ नदी में मछली पकड़ने जाया करते थे। पानी में तैरते थे। कागज के नाव बनाकर पानी में चलाते थे।
ReplyDeleteजब मैं प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ले रहा था तब क्लास की शुरूवात ही बरसात से होती थी उस समय नई पुस्तकों की खुशबू एवम् सोंधी मिट्टी की गंध मुझे आज भी याद है।क्लास में बैठे गिरते पानी के बूंदों को देखना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteखेल खेल मे बच्चे जल्दी सीखते हैं।
ReplyDeleteकागज का नाव बनाना बारिश में अच्छा लगता है।
ReplyDeleteI enjoyed very much of rain during my childhood.I heard the voice of different animals like frog, insects etc.
ReplyDeleteमैं जब शिक्षक बना और शाला मे गया ,मैं उस पल को नही भूल सकता कयों कि जुलाई माह में पानी का बरसना और मिट्टी से सौधी खूशबू मुझे काफी उत्साहित कर रहा था।मैंने पुस्तक उठाकर देखा तो पुस्तक से भी बहुत बढ़िया खुशबू आ रही थी, मैं उस वक्त को आज तक नहीं भूल सका, जब भी पहली बरसात होता है तब वह पल याद आता हैं।
ReplyDeleteबारिश में बच्चों का कागज का नाव बनाकर सड़क के किनारे बहते पानी में नाव छोड़ना और आगे बढ़ते नाव को देखकर ताली बजाकर खुश होते देख मुझे भी मेरा बचपन याद जाता है।बीच गली में बहते पानी में छपाक कर कपड़े भीगने का मजा ही कुछ और होता है।बारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है
ReplyDeleteMain barish k dino me naav banakar bahte pani me chalati thi
ReplyDeleteजहां तक मुझे याद है बरसात का एक दिन था। अचानक बादल गरजने एवं बिजली तड़पने लगा था। देखते देखते ही चारों ओर अंधेरा छा गया और घनघोर गर्जन- तर्जन के साथ मूसलाधार पानी बरसने लगा। साथ में आंधी तूफान तथा पत्थर(बर्फ) अधिक मात्रा में एवं बड़े आकार का लगभग 25 से 50 ग्राम तक का गिर रहा था। जिसका दुष्परिणाम निचले अमले(गरीब) परिवार का घर उजड़ रहा था। घास फूस से लदे झोपड़ी अपना स्वरूप खो चुका था। बेघर परिवार अपना जान बचाने के लिए पेड़- पौधों तथा अन्य स्थानों में आश्रय ले रहे थे, किंतु बिजली( गाज) के गिरने से पेड़ के नीचे खड़े बैल बकरियों में से 8 की जान जा चुकी थी। कुछ पक्षी वर्षा के पश्चात यत्र- तत्र मरे पाए गए। नदियां उफान पर थी, पुल के ऊपर से धारा बह रहा था। कई स्थान जलमग्न हो चुके थे। मिट्टी की सुगंध मन को भा रही थी।
ReplyDeleteगांव के ज्यादातर लोग नदी की ओर बाढ़ देखने जाने लगे थे।
बचपन मे बारिश में भींगना और मिट्टी की महक आज भी रोमांचित कर देती है। बारिश में गलियों में पानी बहना उसको रोक के बांध बनाना और पीपल के पत्ते को गोलाकार में मोड़कर मोरी जैसा बनाके उसमे से पानी का निकलना देख खूब आनन्द की अनुभूति होती थी।
ReplyDeleteBarsaat me mittiyo se aane wali khusbu mujhe hamesha yaado me rahengi
ReplyDeleteBarsaat me mittiyo se aane wali khusbu mujhe hamesha yaado me rahengi
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।
Brsaat aur bachpn ke wo din yaad krte hi aaj bhi m khud ko bacha hi mhsoos krne lag jati hu ...bacho ko khelta Dekh naav bnana paani me bhigna gaddo me kudna mitti kikhusboo aur meri ma ka Mujhe chillana aur hmara hasna...M is comment ko likhte huye apna bachpn 5min ke liye hi sahi aur yaad krke bhoot acha mhsoos kar rahi hu..
ReplyDeleteMiss Durga Tembhurkar
Govt.middle school raka
Dist .rajnandagaon cg
बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
बचपन मे वारिश का आनंद ही कुछ रहता है आणि का गिनना बदल की गर्जना ओला गिरना ऊबे आप मे बहुत आनंद देता है
ReplyDeleteबरसात की पानी मे भीगना बहुत ही अच्छा लगता है।बरसात मे मिट्टी की सौंधी-सौंधी खुशबू बहुत ही अच्छी लगती है।बारिश की रिमझिम आवाज संगीत की तरह महसूस होता है।
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।
ReplyDelete"सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।
ReplyDeleteबरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
ReplyDeleteमेरा मनपसंद मौसम है बारिश जब हम स्कूल मे रहते है और बारिश शुरु हो जाती थी तो हम लोगों को जल्दी छूट् टी मिल जाती थी।फिर हम अपने बसता को सिर पर रखकर भागते घर आते।फिर छत मे भरे पानी में खूब खेलते थे।गीली मिट् टी के खिलौने भी बनाते थे।
ReplyDeleteIt is very nice to get wet in the rainy water, the first drops of rainy smell smells good in the soil, bathing in rainy water is very different.
ReplyDeleteकागज से नाओ बनाना अच्छा लागत है
ReplyDeleteबचपन की बारिश की महक आज भी बच्चा बना दिया करती है मुझे ....
ReplyDeleteबारिश के दिनों में घर से बाहर स्कूल जाने के लिए मैंने नदी पार ,नाव बैठ कर किया था।
ReplyDeleteBaarish k mausam mei hm kaagaz k nao banaya krte the. Baarish k mausam soch k vo thndi hawa,mitti ki khushboo man ko tript krdeti h.
ReplyDeleteबारिश और बचपन दोनों अलौकिक..
ReplyDeleteबचपन में बारिश में भीगने से बहुत ही आनंद आता था मिट्टी की सोंधी खुशबू और कागज का नाव बनाकर चलाना बचपन की यादें ताजा कर देता है।
ReplyDeleteBarish me bhigna kagaj ki nav bnakar chalana janbujhkar pani se bhare gaddho k uper cycle chalakr niklna ek alg hi mja aata tha bachpan me
ReplyDeleteबारिश के मौसम में जब मैं अपने बचपन को याद करता हूं तो बहुत सारे अनुभव और घटनाएं मुझे बरबस याद आ जाती है कि कैसे मैं बारिश होने पर जब सड़कें कीचड़ से भर जाती थी और केंचुए सड़कों पर यत्र तत्र रेंगते रहते थे तो मुझे ऐसे सड़कों पर चलने से बहुत डर लगता था और मैं स्कूल से अपने घर रोते हुए आता था क्योंकि मुझे केंचुओं से बहुत डर लगता था। इसके अलावा बादलों की जोरदार गर्जना से भी मैं डर कर सहम जाता था।
ReplyDeleteबचपन में क्योंकि मेरा घर नदी के किनारे था, तो उससे जुड़ी यादें भी मुझे याद आ जाती है की कैसे जब भारी बारिश होती थी और नदी में बाढ़ आती थी तो रात के समय नदी के लहरों की आवाज जोर-जोर से सुनाई देती थी, इसे सुनकर हम समझ जाते थे की नदी में बाढ़ आ गई है और हम सुबह का इंतजार करने लगते थे नदी देखने के लिए। इसके अलावा बारिश होने पर हमारे घर की छत से जगह जगह पानी टपकने लगता था, इससे हम बच्चों के बीच खूब धमाचौकड़ी मचती थी।
वास्तव में बारिश का मौसम ढेर सारी यादें छोड़ जाता है।
बारिश की याद आते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं विद्यार्थी जीवन में घर से भले ही छाता लेकर विद्यालय के लिए निकलते थे लेकिन जैसे ही छुट्टी के समय बारिश होती थी तो बिना छाते के तेजी के साइकल चलाते घर आना बड़ा ही आनंददायक लगता था इस बीच बारिश के बाद मौसम भी स्वच्छ हो जाया करता था और मिट्टी से भीनी खुशबू भी आती थी ऐसे में घर पहुंचते ही यदि गरमा गरम पकोड़े मिल जाए तो अतिरेक आनंद की अनुभूति होती थी पकोड़े खाते-खाते सीरियल और कार्टून का आनंद लेना बहुत अच्छा लगता था वाकई में बचपन बहुत आनंद दायक होता है ।
ReplyDeleteहाँ सही हैं सर
Deleteबचपन में पानी में भीगना अच्छा लगता था पानी में भीगते हुए नाचना और कपड़े और शर्ट खोल कर देना और साथ में गाना गाते थे गोल गोल रानी इतना पानी गोल गोल रानी इतना पानी।
ReplyDeleteBarsat Ke Dinon Mein Din Achcha Lagta Hai Mitti ki Khushboo bahut acchi Lagti Hai
Deleteबारिश के दिनों में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु बहुत ही प्यारा लगता है।बचपन की दिनों ,भीगते मस्ती करते हुये, मित्रों के साथ,गड्ढे में भरे हुये पानी को उछालना आदि का अपना अलग मजा रहा।
ReplyDeleteबारिश के दिनों में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबु बहुत ही प्यारा लगता है।बचपन की दिनों ,भीगते मस्ती करते हुये, मित्रों के साथ,गड्ढे में भरे हुये पानी को उछालना आदि का अपना अलग मजा रहा।
ReplyDeleteBars at ke mousam me bachhe ka aannad algh hota hoi nachna began aur gana gana me mama ate hai
ReplyDeleteबचपन की यादें वो मेरे सुंदर गाँव, बारिश💦 की बूंदें वो कागज की नाव, छपछपाछप करते पांव, वो छतरी☔ की छाव, बारिश मे भीगनें की लगाव मित्रों के साथ मस्ती करने में अलग ही आनंद की अनुभूति होती.. .
ReplyDeleteबरसात पानी में छप छप नाचना घर के छत से गिरते हुए पानी में भीगना बनती बिगड़ती बुलबुले पानी को देख कर खुश होना साथियों के साथ खेत में केकड़ा पकड़ना बहुत ही मजा आता थी
ReplyDeleteबरसात के मौसम में बूंदों की फुहार से मन आनंदित और प्रफुल्लित होता है । बरसात का मजा कुछ और है भीगना ,गड्ढों में भरे पानी में चलना साइकिल चलाना ,मस्ती करना, बचपन की याद दिलाती है। बरसात के पानी के बहाव में कागज से बने नाव को छोड़ते थे। चारों और हरियाली से हमारा मन मनमोहक हो जाता था।
ReplyDeleteBaris me khaprail me bane ghar me pani ka tapkana . Ghar me pani tapkate bund ke liye chhute chhute bartan rakhna .baris me school me dosto me sath kichad me khelna . Kagaj ki nav ko chalna bada hi Anand deta tha
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।घर के टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था। हम जब स्कूल जाते थे तो बीच मे एक नाला पडता था। बारिश के मौसम मे अक्सर बाढ आता था जो हमारे कमर तक पानी बहता उस नाला को पार करने के लिए बडों की सहयोग से हो पाते थे वह मौसम बहुत याद आते है।
बचपन के समय की बारिश में कुछ अलग ही मजा था हम कहीं बाहर से आ रहे हो और हल्की बौछार पानी की हो जाए तो बहुत ही अच्छा लगता था उस समय ना तो सर्दी बुखार का डर था और नहीं थी जाने का था जैसे ही बारिश शुरू होती थी हम किसी आसपास के ऐसी जगह पर रुक जाती थी जहां पर हल्की-हल्की पानी की फुहार हम पर पढ़ने लगे और घर पर हो बहुत तेज बारिश हो रही हो तो बाहर सड़क पर निकल कर पानी में भीगने लग जाती थी बारिश की आवाज बहुत ही मनमोहक लगती थी उस समय कोई रोक-टोक नहीं थी घर में अगर आंगन में पानी भर गया हो तभी ठ भीग भीग कर कर नाली निकालने का काम करते थे और छप्पर वाली छत पर कहीं पानी टपक रहा हो तो भीगे हुए तो रहते थे उस छप्पर को भी बनाना बनाना शुरु कर देते जब तक मैं बनता नहीं था हम छत पर से उतरते नहीं थे उसे बनाकर ही दम लेते थे कपड़े धो कर सुखा हैं और बारिश में कपड़े ठीक गए हैं तो से और भीगने देते थे ताकि जब मौसम साफ हो जाए तब वह फिर से सूख जाए बारिश में अपने पालतू जानवरों जैसे बिल्ली का भी ध्यान रहता था कि बारिश शुरू हो गई है वह घर में आ जाएं बारिश में जैसे भीगने का बहाना ही होना चाहिए था मन चंचल होता है सहेलियों की साथ देखने का अपना ही मजा होता है बारिश में सड़क में जोर-जोर से कूदना और खेलना बहुत ही अच्छा लगता था
ReplyDeleteIt is very nice to get wet in the rainy water and play to the soil
ReplyDeleteबचपन की बारिश का अपना अलग ही मजा था|पहली बारिश में मिट्टी की सौंधी सौंधी महक चारो ओर फैली रहती, बारिश का पानी कभी टप-टप तो कभी झरझर,कभी तेज तो कभी धीमी आवाज तो कभी कंपकंपाती हुई हवा के साथ आती | घर के बड़े पानी में भीगने से मना करते- भीगो मत वरना बीमार पड़ जाओगे, फिर भी हम कहां मानने वाले पानी में कागज की नाव बना कर चलाते और भीग कर घर आने पर डांट पड़ती | धान के फसल चारो ओर भरा भरा दिखाई देता, कभी कभी लगातार बारिश से घर, गांव,गली एवं नालों में खूब पानी भर जाने से अन्य गांवों से सम्पर्क नहीं हो पाता जिससे राशन,दवाई और अन्य समान लाने में बहुत परेशानी उठानी पड़ती |
ReplyDeleteव्यक्ति का बचपन एक स्वर्णिम काल होता है।जब भी याद आती है, आनंद देती है। जब मैं छोटा था,मैं गांव मे रहता था।बारिस में फुटू(मसरूम)खोजते खोजते बहुत दूर निकल गए।जब घर के लिए वापिस हुए तो नाला(छोटी नदी)में बाढ़ आ गया था।पानी का बहाव तेज था।शाम हो रही थी।उस दिन हम 4 लोग थे।जान जोखिम में डाल कर नाला पार हुए।मैं तो बहते बहते बचा।ये बात मैंने घर मे किसी को नही बताया।जब भी इस घटना को याद करता हूँ मैं डर जाता हूं ।बरसात जहां आंनददायी होती है तो कहीं अपने गलती के कारण डरावनी भी हो जाती है।
ReplyDeleteमा.शा.कुदूरघोड़ा
अंबागढ़ चौकी
राजनांदगांव
I enjoyed very much of rain during my childhood.
ReplyDeleteसाईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteBarish me bhigane me bahut aanand aata hai
ReplyDeleteबारिश मुझे बहुत पसंद है।बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनन्द लिया है हमने। कभी कागज की कश्ती चलाकर, तो कभी पानी से भरे गड्ढो में साइकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनन्द आता था। मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आज भी महसूस करते हैं। बारिश में भिगना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteगर्मी मौसम के बाद जब पहली बार बारिश होता है तो बारिश की बूंदे मिट्टी पर पड़ती है तो उसका एक महक उड़ता है वह मुझे बहुत अच्छा लगता है। बारिश में भीगते स्कूल से घर आना बहुत अच्छा लगता था। बारिश के बुंदों से जो आवाज आती हैं बहुत ही मजेदार लगता है। मेरा मन हमेशा, बारिश में मोटरसाइकिल से भीगतें हुए घुमने का होता है। बारिश में गर्म-गर्म पकोड़े खाने में मजा आता है ।हम किसान परिवार से जुड़े हैं तो बारिश से खुशी मिलती है । बारिश में कई बीमारी भी आती सर्दी-जुकाम , वायरल फीवर, मलेरिया आदि । हम छत्तीसगढ़ से है तो कई सारे त्योहार बारिश में होता है जैसे हरेली में खेती के काम आने वाले हर को धोकर और सभी आवश्यक औजारों की पुजा करते हैं ,तीजा पोला आदि। बारिश में सभी जगह कीचड़ होता है जिसके कारण कुछ परेशानियां भी होता है फिर भी बारिश एक नई जीवन की खुशियों को लेकर आता है
ReplyDeleteबारिश का आनंद ही कुछ और है बचपन की बारिश जब याद आती है तब वह अनुभव कुछ और ही रहता है ।वह आनंद कुछ और ही रहता है, हमारे छत में मुझे याद है एक जगह थी जहां पर पानी भर जाता था हम लोग बस इंतजार करते थे वह जगह पर पानी कब भरें और हम सब वहां पर खेलने कूदने लग जाए वह दिन आज भी याद आता है तो मन प्रफुल्लित हो जाता है। मिट्टी की गंध तो आज भी महसूस होती है कहीं पर , बहुत सारी चीजें हैं बारिश के अनुभव को लेकर ,लेकिन यह एक पल जो हमने अपने बचपन में अनुभव लिया है वह यादगार रहेगा
ReplyDeleteBari's bhigana halki phuhare man ko aandit karte hai bacche khushi se jhumte hai sath hi bari's bachapan ki yad dilati hai
ReplyDeleteहाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteबारिश में कीचड़ होने से मुझे अच्छा नही लगता , फिसलने का डर लगता है , लिकिन किसानों की खुशी मुझे अच्छी लगती है ,, बारिश में गाड़ी चलाना पसंद है , मैं बारिश में रेनकोट अपने गाड़ी में रखा रहता हूं क्योंकि मेरा स्कूल 18 किमी दूर है ।
ReplyDeleteBarish ke dino me charon or harhali v khusnuma mahul pyare lgte h
ReplyDeleteबचपन में बरसात में भिगते-भिगते दोस्तों के साथ मिट्टी खोदकर सडक़ बनाते थे ।
ReplyDeleteबारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है जब बारिश की पहली बूंद िमिटटी पर पडती है तो िमिटटी की सौंधी सी गंध मन मे एक अजीब सी हलचल पैदा करती है बचपन मे बारिश के मौसम मे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे डालकर िनिहारतेे रहना एक सुखद अनुभूति थी, चारों ओर हरियाली ही हरियाली ,खेतों मे लगे फसलों को देखना और झरनों की कलकल की आवाज मन को रोमांचित करती है
ReplyDeleteहाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है हमने कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते
ReplyDeleteपहली बारिश की सौंधी खुशबू ,स्कूल के छप्पर से पानी टपकना ,भीगते हुए घर आना, बड़ा याद आता है
ReplyDeleteसाईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं।
ReplyDeleteबारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
ReplyDeleteआनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।
बारिश का मौसम शुरू शुरू मे मिट्टी कि सोंधी सौंधी महक आज भी मुझे याद हैं। शुरू शुरू मे बारीश मे भींगना याद आती हैं।हमारे घर के सामने पानी भर जाता था।जिसमें लकड़ी के लट्ठे का नाव बना कर तैरना अच्छा लगता था।कागज का नाव बनाकर बहाना, फिर देखना कि किसका नाव दूर तक जाता है।घर की रसोई से आती पकोड़े की गंध अच्छी लगती थीं।भुट्टे भून कर खाना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबरसात के मौसम का आनंद ही अलग है।इस मौसम को अनुभव खुशी और परेशानी दोनों ही तरीके से कर सकते हैं।
ReplyDeleteपहला-बरसात के पानी में भीगना,खेलना,नाचना ,गाना आनंद का अनुभव कराता है।
दूसरा-हमारे छात्र जीवन में हम पूर्व माध्यमिक कक्षा पढने दूसरे गाँव जाते थे।सडक नहीं बना था।खेतों की मेडों पर पैदल बस्ता लादकर गिरते-पडते-भीगते अपने मंजिल तक पहुँचते थे और वापस घर आते थे,तो हँसी भी आता था और रोना भी।
पर जैसा भी हो ,आज हमें अपने मेहनत का फल अवश्य ही प्राप्त हुआ है।
बचपन की हर यादें मन को गुदगुदाती है , बारिश की यादें तो मन को बचपन की ओर ले जाती है , बारिश में भीगना, कागज के नाव बना कर खेलना , फिर ना व के लिए अपने मित्रो से झगड़ना , फिर तुरंत उससे मिल जाना , ये सभी यादे मन को भाव वभोर कर देती है।
ReplyDeleteबरसात का मौसम बहुत अच्छा लगता था चारों तरफ पानी की बूंदे गिरती हुई ध्वनि उत्पन्न कर रहे करती थी हां मैं आज भी याद है स्कूल जाते जाते समय छाता नहीं होने पर प्लास्टिक की बोरी से बोरी को पीठ पर लगाकर पानी से बचाव करते थे बारिश के पानी में नहाना बहुत आनंद आया लगता था
ReplyDeleteबारिश बंद होने के बाद गली में बहते पानी को गीली मिट्टी से रोक कर बाँध बनाते थे।उस पानी को नाली बनाकर छोटे छोटे गड्ढे में भरते थे ।खपरैल का घर था बारिश होना मतलब परेशानियों का बढ़ना ।
ReplyDeleteबारिश में पानी के बूंदों से भिगने का अलग
ReplyDeleteआनंद मिलता था। मछली पकड़ने का भी बहुत मजा था ।बहते पानी में तैरने में खूब मज़ा आता था।(kk siware)
बरसात में मस्ती करने का मन करता है खुले आसमानो में बचपन की यादें तरोताजा हो जाती है ।
ReplyDeletewhen I identified our friend on road with colour of their raincoat.when playing in the puddle was tha best moment of the day.when the sign of little frogs and snail in our home delighted me ."Rain still hold a special place in our heart."
ReplyDeleteYes, I have enjoyed the raindrops very much in my childhood. In rainy season we also eat bhajiya and sometimes in a open Sky we also see the rainbow.
ReplyDeleteबारिश के मौसम का आनंद बहुत लिया मैने, रूके हुये बारिश के पानी मे छप छप करके चलना, गीली मिट्टी मे सहेलियो का हाथ पकड़कर चलना, कागज के नाव बनाकर उसे पानी मे तैराना ये सभी खुशियो के पल थे।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में पानी की बूंदे की आवाज मजा लेना बार-बार पानी में भीगना गरम गरम चाय पीना चना खा ली खाना कागज की नाव पानी में तराना सोंधी सोंधी मिट्टी की खुशबू अच्छा लगता था
ReplyDeleteAnita Singh
ReplyDeleteबारिश का मौसम बहुत अच्छा लगता था ।पानी की बूंदों को देखना , बारिश में भीगना ,चारों तरफ पानी ही पानी, बहुत ही आनंद आता था। पानी मे कागज की नाव बनाकर चलाना, छोटे- छोटे गड्ढे में पानी उसमे उछलना कूदना अच्छा लगता था ।
Bachpan ke dino me barish me school Jana aas pass ke sabhi nazaron ka anand lena ,hari bhari prakriti or chidiyo ki awaaze , or ghar pr chai va pakore khana , bhut hi Bhavik lgta h baarish ka mausam.
ReplyDeleteबचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
त्यौहार में हरेली और फसल में धान।
लोग भीगने से बचने की सलाह देना पसंद करते थे...भीगो मत सर्दी-ज़ुकाम या बुखार हो जाएगा... कहते थे।
ज़्यादा बारिश होने पर हमारे घर में अक्सर पानी भर जाता था।
मुझे बारिश का मौसम बहुत सुहाना लगता है बारिश में पानी की बूंदों से भीगने का एक अलग ही अहसास होता है।
ReplyDeleteजब मैं छोटा था बरसते पानी में नहाना मुझे बहुत अच्छा लगता था।
ReplyDeleteजब भी बरसात का मौसम आता था छत से नीचे गिरते पानी में नहाते थे| गली में बहते हुए पानी में कागज की नाव चलाते थे एवं उसी गन्दे पानी में तैरकर मजा लेते थे| एक दूसरे पर कीचड़ उछालते थे| बहते पानी को रोकने का प्रयास करते थे|
ReplyDeleteबचपन मे दोस्तो के साथ बारिश में भीगने का अलग ही मज़ा था। हम बारिश में भीगने के लिए तरह-तरह के बहाने तलाश करते थे। बचपन के वो पल सुनहरे पल थे जो आज की ज़िन्दगी की बड़ी से बड़ी मुश्किलो में भी चेहरे पर मुसकान दे जाते है।
ReplyDeleteबचपन की बरसात भुलाए नहीं भूलती।हम अपने गांव में दोस्तों के साथ खूब मस्ती करते थे।कागज की नाव बनाकर गलियों में बहते पानी में छोड़ते थे।गांव के नहर, नाले,तालाब और बाँध में कितना पानी भरा है ये देखने जाते थे।घर वालों के साथ अक्सर खेत भी जाते थे।वो खेत मे काम करते तो हम मिट्टी के खिलौने बनाते।नन्हें-नन्हें मेढ़कों को छेड़ने में बड़ा मजा आता था।बारिश की पानी मे भीगना कितना अच्छा लगता था!स्कूल जाने के लिए रैन कोट की जगह बोरा को मोरी बनाकर ओढ़ लेते थे।फिर उसी को टाटपट्टी की जगह बिछा कर बैठ भी जाते थे।
ReplyDeleteकिसी ने ठीक ही कहा है........'कोई मुझको लौटा दी बचपन का सावन, वो कागज़ की कश्ती,वो बारिश का पानी......'।
बारिश का मौसम बहुत ही सुहावना होता है जब बारिश की पहली बूंद िमिटटी पर पडती है तो िमिटटी की सौंधी सी गंध मन मे एक अजीब सी हलचल पैदा करती है बचपन मे बारिश के मौसम मे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर उसे पानी मे डालकर िनिहारतेे रहना एक सुखद अनुभूति थी, चारों ओर हरियाली ही हरियाली ,खेतों मे लगे फसलों को देखना और झरनों की कलकल की आवाज मन को रोमांचित करती है
ReplyDeleteBarish ke din me bhigna Bahut hi achchha lagta hai Charo taraf hra bhara dekh kr mn aandit Ho jata hai
ReplyDeleteबारिश मुझे बहुत पसंद है।बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनन्द लिया है हमने। कभी कागज की कश्ती चलाकर, तो कभी पानी से भरे गड्ढो में साइकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनन्द आता था। मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आज भी महसूस करते हैं। बारिश में भिगना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबारिश मुझे बहुत पसंद है । बचपन की यादें बहुत ही स्मरणीय है ।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में भीगना चाप चाप करना नाव चलना आदि का मजा लेना
ReplyDeleteबारिश के मौसम में बहुत पानी गिरता है सब तरफ पानी ही पानी रहता है सब तरफ हरियाली होता हैं कीचड़ होता हैं बारिश का मौसम सुहाना होता हैं बारिश में भीगना अच्छा लगता हैं बारिश में मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू आती हैं |
ReplyDeleteI experience rain in my childhood as making boat of papers it became wet taking snow in our hands and enjoyed danced with friends in heavy rains it destroys the crops destroy the dams and various diseases evolved and the economic and the economical loss of our country by the rain occurs.
ReplyDeleteRADHAKRISHNA MISHRA
आज सच में बचपन की बातें याद आई हम जब 7 किमी दुर विद्यालय जाते थे तेज बारिश में छाता भी उड़ जाता था
ReplyDeleteगांव में दादी चना भूंजती थी और हम मजे से खाते थे। रैनकोट तो परिस्थिति वश नहीं मिला लेकिन झिल्ली औढ़कर कापी पुस्तक बचाकर स्कूल जाते थे। गांव में विशेष कर धान की फसल बोते थे। और किसान पानी में भी निंदाई किया करते थे मोरा ओढ़कर। बरसात में ऐसा बात होता था कि सर्दी, खांसी और बुखार अकसर हो जाया करता था।
बरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
ReplyDeleteबारिश शब्द आते ही मुझे सबसे पहले मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू, बादलों का गर्जना,चारों और हरियाली, नदी ,झरने ,खेत, और भुट्टे याद आते हैं
ReplyDeleteबरसात के दिनों में स्कूल से लौटते समय जूता मौजा गिला करते हुए कीचड़ में नाचते हुए घराना बहुत अच्छा लगता था बादलों के गर्जन पर खड़े हो जाना और जोर से बारिश होने पर दौड़ दौड़ कर घर आना बहुत याद आता है
ReplyDeleteबचपन मेंं मैंने बारिश का बहुत आनन्द लिया। बहती हुई पानी में छपाक -छपाक कर चलने में मजा आता था।कपड़े गीले हो जाते थे। रात में पानी की बूँदे छप्पर पर पड़ती तो नींद गहरी आती। विद्यालय जाने में परेशानी हुआ करती थी। गीली मिट्टी पैरों में लग जाया करती थी।बिजली कड़कती तब भयभीत हो जाया करते। बादलों के गरजन से कानों को ऊँगलियों से बंद कर लेते थे। बरसात में नदी का उफान देखने का अलग ही आन्नद आता था।
ReplyDeleteजगत राम कश्यप (शिक्षक)
ReplyDeleteमाध्यमिक शाला :- केरगांव
विकासखंड/ जिला :- गरियाबंद
गर्मी के बाद बरसात का आगमन हम बच्चों के लिए बहुत ही आनंददायक मौसम होता था। जब पहली बरसात हवा के तेज झोंकों के साथ काले-काले बादल का घिरना और जब पानी गिरता था तब हम बच्चे पानी के बवछारों से भी कर कर बहुत आनंदित होते थे और खुशी में चिल्लाते भी थे जब बरसात का पहला मौसम आता तो मिटटी की भीनी- भीनी खुशबू के साथ मेंढक का बाहर निकलना पीले मेंढक,हरे मेंढक,छोटे मेंढक, बड़े मेंढक का फूदकना,मेढ़को के विभिन्न प्रकार की आवाजें निकालकर बरशात के आने की खुशी में गीत गाना बहुत अच्छा लगता था उनके आवाज के साथ जिंगरों, किड़े-मकोड़े का मधुर आवाज वातावरण को और अधिक आनंदित बना देता था ऐसे में भीगना मन को बहुत ही आनंद देता था
जब बरसात जोरों पर होता था तब उस समय कई दिनों तक पानी गिरने के कारण नदी नाले उफान पर होते थे खेत खलिहान चारों तरफ पानी ही पानी नजर आता था ऐसे में हम बच्चे छतरी के साथ मछली पकड़ने के लिए जाली पकड़ कर निकलते थे उस समय नदी नालों में भरपूर मात्रा में मछलियां मिलती थी हम सब हाफ पेंट और कमीज के साथ भीगे रहते थे और ठंडी हवा के झोंकों के साथ कभी-कभी हल्के से कापने लगते थे जब ऐसी हालात में घर पहुंचते थे तब हमारे माता-पिता हमें डांटते थे और हम बच्चे कहां मानने वाले थे फिर डांट सुनकर कुछ समयघर में विश्रामकर अलाव से गर्मी प्राप्त कर,कपड़े बदल कर पुनः छतरी पकड़कर बरसात का आनंद लेने के लिए नदी के किनारे निकल जाते थे और उफान में रहे नदी को घंटों देखा करते थे इन बातों को याद कर आज भी मन रोमांचित हो जाता है।
Bachpan me barish ka aanad hi alag sa tha. Barish ki dasktak sunte hi hk sabhi dost jhum pdte the. Khule baadalo ke neeche jakar aasman ki tarf dekhte aur ankhe band kr boondo ko mehsoos krte the. Rasto se barish ki patli nahar ban jati thi jisme hm sabhi dost kagaz ki naav banakar tairaya krte the.
ReplyDeleteBachpan me baarish me baahar bheegne ka maza hi kuch or the. Baarish hote sath dosto k sath bahar nikal k naav banana or use behte pani me tairaana. Baarish ki boondo ko mehsus karna
ReplyDeleteबरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात के आते ही धरती हरी भरी हो जाती है बरसात की पहली बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है।
ReplyDeleteHi friends
ReplyDeleteIam sharing my childhood memory I was in class 7 th my father bought new umbrellas for my sister n for me .one day heavy raining was there I took my umbrella and I went to school,as soon as I reached to the school entrance gate heavy wind came n my umbrella turned upward But my teacher helped me I never forget my teacher still today..
बचपन की बारिश कुछ अलग ही अहसास कराती थी।टिन की छत में जब बारिश होती थी तो ऐसा लगता था जैसे कोई तारसा बजा रहा हो..बारिश की रफ्तार के साथ कभी धीमी तो कभी तेज।बादल तो ड्रम की तरह आवाज़ करते थे।हवा कंपकंपी उत्पन्न कर देती थी।पक्षियों का चहचहाना।झरनों की कलकल।पहली बारिश में मिट्टी की गंध मनमोहक होती थी।गोभी की सब्जी पसंदीदा हुआ करती थी।टीशर्ट और हाफ पैंट पहनना पसंद था।बारिश में भजिया खाना और चाय पीना रोचक लगता था।बुजुर्गों से कहानियां सुनना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteरिमझिम के.....जैसे गाने।
बारिश में मौसम का आनन्द बहुत ही सुंदर होता है। बारिश की आवाज छत पर गिरने वाली बारिश हवा, बादले के गर्जन, पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज बहुत ही मधुर होते हैं।
ReplyDeleteबरसात का मौसम सुहाना होता है तथा प्रकृति बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है बादलों का गर्जना वा हवाओं का बहना अच्छा लगता है ।
ReplyDeleteBarish me bhigna,raste me bahte paani me khelna aur kagaj ki naav Chalana bahut maza aata tha.
ReplyDeleteBarish ke mousam me mitti ki acchi khushbu aatti h. Bachpan mae ham barish k pani mae kagaz ki noww chalaya krte the.
ReplyDeleteबारिश मौसम और बचपन की यादें एक रोमांच पैदा कर देती है। बारिश में भीगना, कागज की नाव चलाना और उसके पीछे भागना,पानी को रोककर बांध बनाना,उसमे पत्तल का पाइप लगाकर पानी को निकालना । बहुत ही आनंद आता था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में रिमझिम फुहार की आवाज़, मिट्टी के गड्ढों में खेलना, बारिश बंद होने के बाद ठंडी हवा की लहर जिसका लुफ्त लेने छत पर जाना, स्कूल से घर आते वक़्त बारिश में भीगना, घर पर गरम चाय और पकोड़ो की महक, पुराने कपड़े निकालना क्योंकि नए कपड़े सूखे नहीं होते थे, कभी कभी भारी बारिश से घर में पानी भर जाना जिससे समान जल्दी से उठा कर यहां वहां रखना पड़ता था आदि ऐसी कई यादें बारिश से जुड़ी हुई है।
ReplyDeleteबारिश का मौसम में भीगना और मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी याद आता है।
ReplyDeleteभारी बारिश के दौरान हम सभी अपने अपने आँगन के पाईप की नली को बंद कर उसे एक तालाब का रूप दे देकर उसमे तैरने का अभिनय किया करते थे सच में बड़े ही अविश्मर्णीय पल है। जीवन के ।।
ReplyDeleteबरसात की पानी में भीगना बहुत ही अच्छा लगता है बरसात की पहले बूंदों से मिट्टी में सोंधी सोंधी खुशबू आती है बरसात के पानी में नहाने का अलग ही मजा होता है
ReplyDeleteबचपन में बारिश की बूंदों में भीगना बहुत अच्छा लगता था बारिश में मिट्टी के भीगने से सोंधी सोंधी खुशबू आती थी मेंढक के टर टर की आवाजें याद है झरने से झर झर बहने की आवाज आती थी बिजली का चमकना गर्जना in सब का अलग ही एहसास है
ReplyDeleteबचपन में बारिश के बहते पानी में कागज कि नाव चलाने का आनंद अद्भुत था। बारिश की पहली बूंदों से मिट्टी की सौंधी महक बहुत मनभावन होती है
ReplyDeleteबचपन मे बारिश में भीगना बहुत अच्छा लगता था मेरा साथी था पडोसी राजू पानी गिरने के तुरंत बाद हैम दोनो घर से बाहर आकर खेलते थे कीचड़ में दोनों एक दूसरे को मिट्टी डालते थे भीग वाला और दोनों गंदे हो जाते थे पर हमें बहुत अच्छा लगता था जब घर वाले देखते थे हमें पकड़कर घर ले जाते थे कितना मजा आता था उन दिनों हमे । बचपन की वो टाइम
ReplyDelete....
जब स्कूल जाते थे तब बारिश के मौसम में भीगना बहुत अच्छा लगता था अपने बैग को रेनकोट से ढककर बारिश में भीगते हुए साइकिल चलाते हुए घर वापस आते थे माँ अदरक वाली चाय पिलाती थी कि कहीं हम बीमार न हो जाएँ और यदि स्कूल जाते समय बारिश होती थी तो परेशानी बढ़ जाती थी रेनकोट पहनने के बावजूद स्कूल पहुंचते पहुंचते हम गीले हो जाते थे सफेद ड्रेस बचाने के बावजूद छींटों से गंदा हो जाता था मोजे बैग में रखकर ले जाते थे कई बार गीले हो जानें की वजह से छुट्टी हो जाती थी ।
ReplyDeleteBachpan me baarish me bhigna bahut achcha lagta tha aur mitti ki saindi saundhi khushbu bahut achchi lagti thi...
ReplyDeleteबारिश मुझे बहुत अच्छा लगता है बारिश होती है तो मिट्टी की सौंधी खुशबू मुझे बहुत अच्छी लगती है दूसरी बात यह मेरा स्कूल का रोड बहुत खराब है बारिश के दिनों में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए बरसात आते ही मुझे स्कूल जाने की चिंता सताने लगती हैं
ReplyDeleteहाँ, बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है कागज की कश्ती के पीछे पीछे पानी पर चलना
ReplyDeleteबारिश के मौसम मे भीगना हर बच्चो को अच्छा लगता है वैसा ही मुझे भी बहुत अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबचपन मे मै अपने दोस्तो के साथ कागज का नाव
बनाकर पानी मे बहाना फिर भिगते भागते उसके
पीछे भागना बहुत अच्छा लगता था।
आज भी बारिश की बूदे बचपन की यादे
को ताजा कर जाती है।
Barish ke aawaj ki bshut sundar gatiwidhi
ReplyDeleteबरसात का नाम सुनते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है हम कैसे पानी में कागज की कश्ती बना कर चलाया करते थे और उसके पीछे पीछे थोड़ा करते थे।
ReplyDeleteबचपन में बारिश में भीगने का उसमें खेलने का अपना एक अलग ही मजा आता था हम गलियों में बहते हुए पानी में कागज की नाव कश्ती बनाकर उसमें बताया करते थे और दौड़ दौड़ कर गलियों में पानी से गिरते हुए फव्वारे में नहाने का खूब मजा आता था वह क्या दिन है आज भी वह दिन बहुत याद आता है
ReplyDeleteबचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया है । कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लिया करते हैं । बारिश के मौसम में टीन के चादरों पर बारिश की बूंदें किसी तासा की ध्वनि से कम नहीं था ।ध्वनि कभी धीमी तो कभी तेज..
ReplyDeleteबारिश के मौसम में मछली पकड़ने का अपना अलग आनंद आता था..
और बरसात में गर्मागर्म भजिया खाने का मजा ही कुछ और होता है..
Rula diya na.bachpan yaad kara ke
ReplyDeleteबारिश का मौसम मेरा पसंदीदा मौसम है।बचपन में बरिश का आनंद लेना सभी बच्चों का सौख होता है।वो बारिश में भीगना,ठहरे हुए पानी में नाव चलाना,छत से गिरते पानी में उछलकूद कर नहाना,पानी के धार को बांधने का मजा ही कुछ ज्यादा रहता है।मैं भी इन सभी शरारतों में बराबर शामिल रहा।आज भी वो दिन बहुत याद आते हैं।
ReplyDeleteबारिश में भीगना बड़ा मज़ा आता था और मछली पकड़ना अच्छा लगता था।लेकिन सर्दी बुखार होने का डर भी लगा रहता था। खासकर छत के पानी गिरता था उस पानी में नहाने में बड़ा मजा आता था। खेतो मे थरहा लगाने मे बड़ा मजा आता था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में हमने बहुत ही आनंद लिये है ।बारिश का पानी जब मिट्टी पर गिरती है तो उसकी सौधी-सौधी खुशबू अत्यंत मनमोहक लगती है ।
ReplyDeleteBachpan ki yaade taza hogyi vo bhigne pe maa ki dant or.. dant k bad ka dular... Badal k garajne ka dar.. or barasne pe khushi.. suhani yaade
ReplyDeleteबरसात में बारिश के बूंदो को देखते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती है। हम पानी में कागज के जहाज बनाकर बहाते थे। बरसात का मौसम सबसे अच्छा मौसम होता था ।
ReplyDeleteपानी मे चलना ,नाव
Deleteबनाकर पानी मे छोडना ,बारिश के बूंदो से खेलना ,गरम गरम पकौड़ा खाना
मानसून का मौसम सभी मौसमों में सबसे अच्छा माना जाता है | हर किसी को बारिश के इंतजार बेसब्री से होता है | आज सुबह से अत्यधिक गर्मी थी जैसे-जैसे सूर्य आसमान में चढ़ने लगा वैसे ही बेचैनी बढ़ने लगी | हवा बिलकुल भी बंद हो चुकी थी हुए धुप बहुत ही तेज था |
ReplyDeleteसभी के मुँह से “ऊफ” निकलने लगा | इस भीषण गर्मी और उष्णता को देखकर अनुभव होने लगा की आज वर्षा होगी | दिन ढलते ही आकाश में कुछ घटाएँ दिखाई पड़ने लगी | बादल चारो तरफ से घिर आया, और गरजते हुए काली घटा का रुप धारण कर ऊपर चढ़ने लगा |
बादलों को देखकर मोर छमछम नाचने लगा | बिजली चमकने लगी और हवा तेज हो गई | सूखे और मुरझाए शरीर में नवजीवन भरने लगी |
वर्षा के स्वागत में मेंढक टर्र-टर्र करने लगा | कुछ ही देर में बादलों से पूरा आसमान ढँक गया और टप-टप, कण-कण की बुँदे बरसने लगी | बच्चों की टोली वर्षा आने की खुशी में गुनगुना कर नाचने लगे
मैं बरसात के दिनों में सामाजिक जगह बैठे रहते थे वही बैठे बैठे बारिश का मजा लेता था। बरसात थम जाने के बाद गांव के गली में बहते हुए पानी मे नाव चलाते और मछली पकड़ते थे।
ReplyDeleteबारिश की याद आते ही बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं विद्यार्थी जीवन में घर से भले ही छाता लेकर विद्यालय के लिए निकलते थे लेकिन जैसे ही छुट्टी के समय बारिश होती थी तो बिना छाते के तेजी के साइकल चलाते घर आना बड़ा ही आनंददायक लगता था इस बीच बारिश के बाद मौसम भी स्वच्छ हो जाया करता था और मिट्टी से भीनी खुशबू भी आती थी ऐसे में घर पहुंचते ही यदि गरमा गरम पकोड़े मिल जाए तो अतिरेक आनंद की अनुभूति होती थी पकोड़े खाते-खाते सीरियल और कार्टून का आनंद लेना बहुत अच्छा लगता था वाकई में बचपन बहुत आनंद दायक होता है
ReplyDeleteबारिश में भीगने और खेलने का अलग ही मजा होता है कागज के नाव बनाकर बरसाती पानी में तैराना बहुत ही लगता था । बचपन में बारिश के समय एक नीलकंठ पक्षी का बच्चा भीगकर पेड़ से नीचे गिर गया था उड़ नहीं पा रहा था ।मैंने उसे उठाया और पोछ कर एक टोकरी में रातभर रखा और सुबह जैसे ही मैंने टोकरी खोली वो उड़ गया।मै बहुत निराश हो गई थी। पर अब सोचती हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है।
ReplyDeleteबचपन में बारिश के मौसम का बहुत आनन्द लिया है। बरसात में गलियों की पानी को रोकना और उसमें कागज का नाव बना कर छोड़ना बहुत ही अच्छा लगता था। बरसात के मौसम में जब काले-काले घने बादल छा जाती हैं,बिजली चमकने लगती है और तेज हवाओं के साथ मूसलाधार पानी बरसने लगती है, मेंढक टर्राने लगती हैं, पक्षियों के कलरव तथा झरनों की आवाजें अत्याधिक मन को मोह लेती हैं।
ReplyDelete"सबसे अच्छी खुशबू तब आती है जब बारिश की बूँदें मिटटी को स्पर्श करती हैं।”मुझे बारिश में चलना और भीगना बहुत पसंद है क्योंकि बारिश का मतलब सिर्फ भीगना नही होता बल्कि इसे महसूस करना होता है।
ReplyDeleteबचपन में बारिश का मजा ही कुछ और था। बारिश में भीगना बारिश के बूंद ओके महसूस करना। पानी में कागज की नाव चलाना। कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना " जम के बरस रे बदरा जम के बरस"
ReplyDeleteबारिश से पहले तूफान का डर| छप्पर वाले घर मैं पानी टपकना | मेंढको का टर्टर करना ।
बचपन में बारिश का मजा ही कुछ और था। बारिश में भीगना बारिश के बूंद ओके महसूस करना। पानी में कागज की नाव चलाना। कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना " जम के बरस रे बदरा जम के बरस"
ReplyDeleteबारिश से पहले तूफान का डर| छप्पर वाले घर मैं पानी टपकना | मेंढको का टर्टर करना ।
बचपन में बारिश की बूंदों का बहुत आनंद लिया करते थे और कभी कागज की कश्ती चलाकर तो कभी पानी से भरे खड्डों में साईकल चलाकर पानी उछालने में.कीचड़ में खेलना। पानी में छपा छप करना डांस करना। गाने गाना बड़ा आनंद आता था। मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आज भी महसूस कर लियाकरते हैं चारों ओर हरियाली छायी रहती हैं
ReplyDeleteबरसात का वो मौसम मुझे सबसे अच्छा लगता है उन दिनों ज़मीन से शोधि खुसबो औऱ चारो तरफ बहुत सी हरयाली मुझे बहुत अच्छी लगती है ।
ReplyDeleteBachpan me barish me bhigna girte huye pani me idhar se udhar daudna koodna bada maza ata tha.mitti ki saundhi saundhi khushboo aaj bhi aati hai .school se chhutti pane ke jabardasti pani me bhingna aaj bhi yaad hai.
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