मॉड्यूल 1- गतिविधि 5: द एनिमल स्कूल (जानवरों का विद्यालय) कल्पित कथा पर चिंतन
अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?
अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?
Yes
ReplyDeleteKahani achhi hai
Deleteसभी बच्चों पर एक समान ध्यान देना चाहिए साथ ही उसकी पूर्व कौशल, ज्ञान या जिस क्षेत्र में विशेष हो का भी हास न हो!
Deleteस्कूल के बच्चों में विभिन्नताये होती है अलग-अलग परिस्थितियों से बच्चे आते हैं बच्चे कि सीखने कि क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीखकर आते हैं उसके गुणो को नजर अंदाज न करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल खेल में सीखाना चाहिए बच्चे को पता न चले कि पढ़ा या सीखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल खेल में सीख जाय।
Deleteसभी बच्चों में एक विशेष प्रतिभा और विशेषता होती है उसका पहचान कर उसके खासियत व रुचियों के अनुरूप शिक्षण शैली अपनाना आवश्यक है।तभी बच्चे में पूर्ण गुणवत्ता ला पाएंगे।
Deleteसभी बच्चों में एक विशेष प्रतिभा और विशेषता होती है उसका पहचान कर उसके खासियत व रुचियों के अनुरूप शिक्षण शैली अपनाना आवश्यक है।तभी बच्चे में पूर्ण गुणवत्ता ला पाएंगे।
Deleteस्कूल के बच्चों में विभिन्नताये होती है अलग-अलग परिस्थितियों से बच्चे आते हैं बच्चे कि सीखने कि क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीखकर आते हैं उसके गुणो को नजर अंदाज न करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल खेल में सीखाना चाहिए बच्चे को पता न चले कि पढ़ा या सीखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल खेल में सीख जाय। उसकी रुचि के अनुरूप ही उसे सिखाने की कोशिश करनी चाहिए
Deleteस्कूल के बच्चों को उसके अनुरूप ही पढ़ाना चाहिए बच्चों में विभिन्न प्रकार की विविधता पाई जाती हैं जिससे बच्चे अलग-अलग परिस्थितियों से स्कूल आते हैं उसमें भिन्न भिन्न प्रकार की रुचियां होती हैं और उनके रुचियों के हिसाब से बच्चे को पढ़ाना चाहिए। गुणों को ध्यान में रखते हुए सब कुछ सामान ज्ञान देना चाहिये वह खेल खेल हो या शिक्षण अधिगम प्रणाली के माध्यम से ही उसकी रूचि के अनुरूप ही सिखाना चाहिए तभी बच्चों में गुणवत्ता आयेगी।
DeleteYes
ReplyDeleteJsjshduhddhhud
DeleteSabhi bacche alag hote hai.jinhe saman bhav se siksha Dena sikshak ka Karya hai.kaksha unk anurup hoga to bacche school bhi aayenge or padhenge
Deleteबर्फ एक ठोस पदार्थ हैं। जिसे हम पीने, नहाने, कपड़ा धोने मे इस्तेमाल नहीं कर सकते। साथ ही बर्फ का अपना विशेष गुण हैं। जिसे विशेष कार्य मे उपयोग किया जाता है। इस आधार पर मैं कह सकता हुॅ। कि बर्फ का हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है।
ReplyDeletesabhi bachche ek saman nai hote h sabhi me kuch na kuch khas hota h jaruri nai jo bachha study me achha h wo sport me b achha hoga hme bachho ki khasiyat ko dekh unko usi field me age bdne ko protsahit karna chahiye sath me kosis honi chahiye k sare bachho ko study k basic jankari jarur ho sath hi bachho ki tulna dusre bachho se na karke unki ruchi k anusar unko karya pradan karna chahiye or age bdne ko protsahit karna hoga.jis field me bachhe ki ruchi nai use us field me jabardasti dalne se bachhe age nai bd payenge sath unme nirasha k bhaw b jagne lagega jo bachhe k future k liye achha nai hoga
ReplyDeleteकहानी एक जंगल की...जैसे कार्टून चैनल Mogli🕺
ReplyDeleteSabhi bachhe alag alag hote hai..sabhi bachho me vibhinn prakar ki visheahtaye hoti hai..bachho ki kshamtao k aadhar par unka aankalan karna hai unko sikhana hai.
ReplyDeleteकिसी क्लास के बच्चों की तुलना किसी जंगल के जानवरों से की जा सकती है, जैसे अलग अलग जानवर विभिन्न व्यवहार व स्वभाव के होते है वैसे ही बच्चे भी अलग अलग स्वभाव व व्यवहार के होते हैं। जिन्हें समान भाव से शिक्षा देना शिक्षक का कार्य है
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे एक समान बुद्धि के नही होते कक्षा मेंबच्चोंकेपढ़ने समझने रूचि व क्षमताओं मेंअंतर होता है इसलिए उन्हीं के अनरूप कक्षा में कार्य दे कर पढ़ाया जाय तो कक्षा उनके अनकूल होगा तो बच्चे स्कूल भी आयगे और पड़ेंगे
DeleteSahi hai sabhi bachche ak saman buddhi ke nahi hote kisi ko padna pasand hota hai to kisi ko likhna kisi ko drawing kisi ko khel me ruchi hoti hai hame unke ruchiyon ko pahchan ker protsahan ker unhe aage badana hoga
DeleteSabhi bachchon me vibhinna visheshtaye hoti hai. Jise anurup shikshak ko karya karna hota hai
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । सभी का आई क्यू लेबल अलग होता है । हर विद्यार्थियों की विशेषता को पहचान कर एक सीखने - सीखाने का अनुकूल वातावरण बनाकर सभी में सामंजस्य बैठाना । विविधता में भी एकता की सीख । इत्यादि गुण द एनीमल स्कूल से जोड़ सकते है ।
ReplyDeleteउदाहरण स्वरूप स्कूल को जंगल बता कर अलग अलग बच्चों को शेर ,भालू,हिरन आदि जानवर बना कर गतिविधि करने कह सकते है जैसे आवाज निकालना, हाथी की तरह चलना बन्दर की तरह उछलना आदि।
ReplyDeleteजिस प्रकार समावेशी शिक्षा को परिभाषित किया गया है उसी प्रकार सबको एक साथ लेकर चलना है जो कक्षा से भाग जाता है उसको प्रोत्साहन देकर आगे बड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है।
ReplyDeleteHar bachcha ek sman nahi hota sabhi bachche me alag quality hoti hai alag gun hote hai hame un guno ko pahchan kar unhe motivat kar aage bdhana hoga....
ReplyDeletePretending नकल करना जानवरों का नकल करना जैसे ,घोड़ा बिल्ली ,कुत्ता ,मेमना, मछली ,का तैरना जिससे साफ होता है अलग अलग जानवर अलग अलग व्यवहार
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग अलग प्रतिभा होती है
Deleteसभी विद्यार्थियों में अपनी अलग अलग पहचान और और अलग-अलग प्रतिभा होती है
ReplyDeleteहर विधार्थी की सोच अलग होती हैँ बहुत कम होते हैँ जो हमारी बतायीं गई बातो को वैसा ही समझते हैँ जैसा हमने बताया वरना सबके अलग -अलग मत होते हैँ
ReplyDeleteSabhi bachchon me alag alag yogyataye hoti hai unhe usi disha me aage karna hota
ReplyDeleteAll students have different talents and thinkings and we should treat them according to that.
ReplyDeleteबच्चों से अलग अलग व्यवहार व स्वभाव के साथ साथ अलग अलग विचार एवम क्रियाए प्राप्त होते है
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । सबको एक साथ लेकर चलना है जो कक्षा से भाग जाता है उसे भी।😀😀😀
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । सबको एक साथ लेकर चलना है जो कक्षा से भाग जाता है उसे भी।������
ReplyDeleteक्षमता के अनुसार कार्य दिया जाना चाहिए।।
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों की अपनी-अपनी विशेष गुण होता है, कोई दिखने में अच्छा होता है, तो कोई बोलने में, कोई दौड़ने में, तो कोई पढ़ने में, कोई अन्य कार्य में। कक्षा के सभी विद्यार्थियों की अपनी अलग-अलग पहचान, क्षमता और अलग-अलग प्रतिभा होती है। अर्थात् कक्षा के बच्चों में विविधता देखने को मिलती है। यहां हमें किसी भी बच्चे को कमतर नहीं आंकना चाहिए। क्योंकि बच्चे अपने परिवेश से बहुत कुछ सीखकर आते हैं। हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना चाहिए और उन्हें उनकी प्रतिभा के अनुरूप गाईड करके उन्हें उसी क्षेत्र में अच्छा करने के प्रोत्साहित करना चाहिए।
ReplyDeleteभवदीय
अजय कुमार श्रीवास
शिक्षक (एलबी) विज्ञान
शा0पू0मा0वि0 भदरापारा,
बालको नगर कोरबा (छत्तीसगढ़)
स्कूल में सभी बच्चे समान नहीं होती है ।कुछ बहुत ही प्रतिभावान होते हैं तो कुछ निम्न क्षमता वाले बच्चे होते हैं हमें सभी बच्चों को एक साथ लेते हुए चलना है।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमता एवं आवश्यकताओं को ध्यान रखते हुए,, अपने शिक्षकीय गतिविधियों को योजनाबद्ध करने की आवश्यकता है जिससे कि उन्हें भी सीखने के पर्याप्त अवसर मिल सके
ReplyDeleteउदाहरण स्वरूप स्कूल को जंगल बता कर अलग अलग बच्चों को शेर ,भालू,हिरन आदि जानवर बना कर गतिविधि करने कह सकते है जैसे आवाज निकालना, हाथी की तरह चलना बन्दर की तरह उछलना आदि।
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग-अलग योग्यता होती है तथा हर बच्चा किसी विशेष क्षेत्र में बहुत प्रतिभावान होता है, तो हमें उनकी इन्हीं विशेषताओं को पहचानते हुए उस क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि जानवरों के स्कूल में हुआ उन्होंने बिना किसी बच्चे की योग्यता को पहचाने उनकी क्षमताओं के विपरीत उन्हें कार्य करने के लिए दिया जिसमें वे असफल हो गए और शायद ऐसा ही हम अपने विद्यालयों में भी करते हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग-अलग योग्यता होती है तथा हर बच्चा किसी विशेष क्षेत्र में बहुत प्रतिभावान होता है, तो हमें उनकी इन्हीं विशेषताओं को पहचानते हुए उस क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि जानवरों के स्कूल में हुआ उन्होंने बिना किसी बच्चे की योग्यता को पहचाने उनकी क्षमताओं के विपरीत उन्हें कार्य करने के लिए दिया जिसमें वे असफल हो गए और शायद ऐसा ही हम अपने विद्यालयों में भी करते है ।
ReplyDeleteबच्चों की अपनी एक विशिष्ट प्रतिभा होती है सभी विद्यार्थियों में विविधता होती है उसकी प्रतिभा के साथ अन्य गुणों का सर्वांगीण विकास करना भी शिक्षक का कार्य है|
ReplyDeleteइस कहानी उद्देश्य छात्रों के संपूर्ण विकास पर कार्य करने कि सीख देती हैं।
ReplyDeleteमै सोहन लाल यादव , माध्यमिक शाला बेंगची , जिला रायगढ़ , छत्तीसगढ़
ReplyDeleteइस कहानी को सुन कर मुझे मोगली की कहानी याद आ गई जो इंसानी बच्चा होते हुए भी भेड़ियों के बीच मे रह कर अपने आप को उन जैसे बनाने की कोशिश करता था और हमेशा हार जाता था । फिर उसने धीरे धीरे अपने आपको पहचानने लगा और अपने कमजोरियों पर विजय पाते हुए अपने लिए एक जानवरों के उलट लकड़ी का हथियार जिसे बूमरैंग के नाम से जाना जाता है को बनाता है । ठीक उसी प्रकार हमारे विद्यालय में भी विभिन्न क्षमताएँ से युक्त बच्चे आते हैं । बस हमें उनकी प्रतिभाओं को पहचान कर बच्चों को उनकी क्षमताओं से अवगत कराते हुए उनमे निखार लाने हेतु माहौल देना है।
Sabhi students me Samanta nhi hota sab me kuch khash quality hoti hai. Study me weak to other works me jankari jyada etc.
ReplyDeleteAll students have different studying level and their abilities are also different. We should taught them according to their level and should also use teaching technique according to their level.
ReplyDeleteप्रत्येक विद्यार्थी अपने आप में विशिष्ट होता है । सभी विद्यार्थियों को समान महत्व कक्षा में मिलना चाहिए ।विद्यार्थियों को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए । विद्यार्थियों की विशिष्ट प्रतिभाओं को पहचान कर उनकी अधिक से अधिक मदद की जा सकती है।
ReplyDeleteबच्चों को समझाने के लिए कहानी अच्छी है
ReplyDeleteस्कूल में सभी बच्चे समान नहीं होते हैं कुछ बहुत ही प्रतिभावान होते हैं और कुछ निम्न क्षमता वाले बच्चे होते हैं ।हमे सभी बच्चों को एक साथ लेते हुए चलना है। तथा बच्चों को उनकी क्षमताओं से अवगत कराते हुए उन्हें निखार लाने हेतु अवसर देना है ।
ReplyDeleteजो बच्चा जिस चीज में रुचि रखता हो शिक्षक को उसी चीज में सहयोग करके मदद करना चाहिए बच्चों की रुचि के अनुसार उसे प्रोत्साहन करना चाहिए
ReplyDeleteहमें बच्चों की भिन्नता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उनकी योग्यताओं, क्षमताओं पर भरोसा करते हुए यह विश्वास करना चाहिए कि वे कर सकते हैं। इस कहानी से निम्न बिंदू समझ आते हैं- 1. कक्षा में भिन्न-भिन्न प्रकार के बच्चे होते हैं, जिस पर ध्यान देते हुए हमें अपने शिक्षण प्रक्रिया और गतिविधियों में बदलाव लाने होंगे।
ReplyDelete2. सभी बच्चों को एक ही तुला पर तौलना या एक ही नज़रिए से देखना गलत है।
3. बच्चों की क्षमताओं तथा कमजोरियों पर ध्यान देकर हमेशा मजबूत पक्ष से कमज़ोर पक्ष को सुधारने का प्रयास करना चाहिए।
प्रदीप कुमार नागेश
सहायक शिक्षक
बालक आश्रम बुरुंगपाल (तोकापाल), बस्तर
Sabhi bachcho me alag alag visheshtayen ya gun hote hai usko dhyan me rakhkar unko saman siksha pradan kiya jana ek sikshak ka kartavya hai
ReplyDeleteस्कूल में सभी बच्चों की योग्यता की पहचान कर उसके अनुरूप उनको शिक्षा प्रदान करना और उनका विकास करना है
ReplyDeleteकक्षा के सभी बच्चे विभिन्न क्षमताओं वाले होते हैं,उनका एक ही प्रकार से आकलन उचित नहीं है
ReplyDeleteजिस प्रकार बत्तख एक अच्छा तैराक था,गिलहरी एक अच्छा उछल-कूद करने वाली एवं खरगोश एक अच्छा तैराक था।लेकिन जानवरों के स्कूल में आने पर उनके इन गुणों को महत्व नहीं दिया गया।इस कारण ये सभी जानवर स्कूल छोड़ने लगे।यहाँ तक इनके माता-पिता भी जानवरों के स्कूल में अपने बच्चों को भेजना बंद कर दिया।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें स्कूल में अपने छात्रों के हुनर को नजरअंदाज न करें और अपने पढ़ाने की विधि में बदलाव करते रहें।बच्चों को प्यार से समझाएं व् बातें करें,जिससे वे स्कूल आने में रूचि लें।
दिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक (L.B.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.-पलारी
जिला-बलौदाबाजार (c.g.)
सभी बच्चे एक समान नही होते सबमे कोई न कोई विशेष कौशल होता है ये अपने परिवेश से सीखते रहते है। अतः बच्चों के कौशलों का सम्मान,उपयोग व प्रोत्साहित करते हुए अन्य कौशलों से जोड़े। इसके लिए सीखने सीखाने के प्रक्रिया में आवश्यक बदलाव हों किया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी बच्चे ज्ञान और कौशल के क्षेत्र में एक समान नहीं होते। सभी के अलग-अलग विधाओं में रुचि होती है। उनकी रुचि को ध्यान में रखकर अध्यापन कार्य करना चाहिए। उनकी दक्षता एवं क्षमता का विकास करने से ही उनका सर्वांगीण विकास हो सकता है।
ReplyDeleteबच्चों मे जो गुण है उसी से हमे शिक्षा की ओर लेने की आवश्यकता है, जैसे जो खेल में रुची लेता है उसे खेल के माध्यम से पढायें, तो वह रुची के साथ करेगा और अच्मछे अंलायेगा सीखेगा, उस किताब में उलझायेगे तो परिणाम ठीक नही रहेगा।
ReplyDeleteबच्चों को हीन भावना का शिकार न होने दें।जिन बच्चों में जैसी योग्यता हो उसी पर आगे बढ़ाएं।होपलेश न होने दे ।रुचिकर उत्साहित करते हुए शिक्षण कार्य करें।
ReplyDeleteस्कूलों में सभी बच्चें विभिन्न क्षमताओं दक्षता वाले होते हैं उनका एक ही प्रकार से आंकलन करना उचित नहीं है सभी बच्चें एक समान नहीं होते सबमें कोई एक विशेष कौशल होता है उनके कौशल को ध्यान में रखकर प्रोत्साहित करते हुए अन्य कौशल दक्षता क्षमता का विकास करने के लिए जोड़कर सीखने सीखने की प्रक्रिया में बदलाव किया जा सकता है जिससे उसका सर्वांगीण विकासहो सकता है। अपनी रुचि से ही लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते है।
ReplyDeleteस्कूल में सभी बच्चे सामान्य नही होते। कुछ बहुत ही प्रतिभावान होते है कुछ निम्न क्षमता वाले बच्चे होते है। हमे सभी बच्चे को एक साथ लेते हुए चलना है। बच्चों के रुचि के अनुसार उसे प्रोत्साहन करना चाहिए।
ReplyDeleteहमें बच्चों को उनकी रूचि के हिसाब से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए
ReplyDeleteसभी विद्यार्थियों में अलग पहचान और अलग प्रतिभा होती है|
ReplyDeleteउदाहरण स्वरूप स्कूल को जंगल बता कर अलग अलग बच्चों को शेर ,भालू,हिरन आदि जानवर बना कर गतिविधि करने कह सकते है जैसे आवाज निकालना, हाथी की तरह चलना बन्दर की तरह उछलना आदि।
ReplyDeleteबच्चों की तुलना एनिमल स्कूल का उदाहरण देकर की जा सकती है जिस प्रकार हर जानवर में एक विशेष गुण होता है वैसे ही हर बच्चों में एक विशेष गुण होता है। एक कक्षा के बच्चो में अलग- अलग प्रतिभा होती हैं, हमे सभी को साथ लेकर चलना हैं उनके स्तर के अनुरूप हमे उन्हें प्रोत्साहित कर उनमे कौशलों का विकास करना हैं।
ReplyDeleteविविधता को बताने और समझने के लिए जंगल की किसी कहानी के द्वारा उनके कार्य और क्षमता के बारे में बताते और समझाते हुए अवगत करवाया जा सकता है इस तरह कहानी का उद्देश्य भी पूरा हो जाता है और बच्चों का मनोरंजन भी हो जाता है
ReplyDeleteविविधता को बताने और समझने के लिए जंगल की किसी कहानी के द्वारा उनके कार्य और क्षमता के बारे में बताते और समझाते हुए अवगत करवाया जा सकता है इस तरह कहानी का उद्देश्य भी पूरा हो जाता है और बच्चों का मनोरंजन भी हो जाता है
ReplyDeleteनाम-खुशहाली सोनी/KHUSHAHALI SONI
कर्मचारी कोड-19200440571
स्कूल-p/s DHABADIH
संकुल-रसेड़ा
बलौदाबाजार
संवेदनशील बने ,विद्यार्थी के गुणों को समझ कर उसके अनुसार उसे अवसर प्रदान करें। बच्चों की तुलना करने से बचें सबको साथ लेकर चले
ReplyDeleteसभी बच्चों को एक समान ध्यान देते हुए पढ़ाना और यह भी सुनिश्चित करना कि उनके कौशल, किसी विषय संबंधित विशेष ज्ञान का उचित मूल्यांकन व मार्गदर्शन करना जिससे उनके आत्मविश्वास में कमी न आये और उनके कौशल का ह्रास न होने पाए।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चे एक समान बुद्धि के नही होते कक्षा में बच्चों के पढ़ने समझने रूचि व क्षमताओं मेंअंतर होता है इसलिए उन्हीं के अनरूप कक्षा में कार्य दे कर पढ़ाया जाय तो कक्षा उनके अनकूल होगा. बच्चों की प्रतिभा के साथ अन्य गुणों का सर्वांगीण विकास करना भी शिक्षक का कार्य है|
ReplyDeleteMitali Basu
Ek Jungle ke andar mein vividh prakar ke janwar rahte Hain har Janwar ki apni ek swabhav aur uski visheshta hoti hai usi tarah kaksha mein bhi bacche a gun aur swabhav mein alag alag hote Hain lekin unhen shikshak ko shikshit karna ek chunauti ki tarah rahata hai aur shikshak UN sabhi bacchon ke gun aur vyavhar aur swabhav Ko dekhte hue unhen ek sath lekar chalta hai
ReplyDeleteDr Sarita Sahu MS Dhara Bhata Patan Durg
स्कूल के बच्चों मे िविभिन्ताऍ होती है वे अलग अलग परिवेश से आते हैं तो उनकी रूचि और क्षमताऍ भी अलग होती हैंं इसलिये उनकी रूचि एवं क्षमता के अनुरूप कार्य देकर पढाया जाए और धीरे धीरे नये कौशल उनमे विकसित किये जाए साथ ही कक्षा का माहौल उनके अनुकूल हो तो बच्चेे पढने के िलिये प्रोत्साहित होंगें
ReplyDeleteस्कूल में कई तरह के बच्चे आतें हैं जिनके सोच में,समझ में, सीखने के तरीकों में, सीखने की क्षमताओं में, कौशल में , रूचि में अंतर होता है हमें चाहिए कि हम हर बच्चे को पहले समझें और उनकी समझ, आवश्यकता ,सीखने के स्तर के आधार पर पढ़ाने की विधियों का प्रयोग करें। किसी भी बच्चे की उपेक्षा नहीं करें ताकि बच्चों के मन में स्कूल, शिक्षकों के प्रति लगाव रहे बच्चे हर कौशल को सीखने में रूचि ले सके।
ReplyDeleteबच्चे हर उम्र में अलग सोच रखते है स्कूल में अनेक स्वभाव वाले बच्चें आते है उनके स्वभाव व्यवहार आदत इच्छा आदि मानवीय गुणों को ध्यान में रखते हुए उनका ध्यान रखा जाना चाहिए कहने का मतलब बच्चे क्लास में उबाऊ और कक्षा से पलायनवादी को न अपनाये । बच्चों एक दूसरे से जुड़ कर प्रदत्त कार्य या कक्षा कार्य को परिणाम दें
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । सभी का आई क्यू लेबल अलग होता है । हर विद्यार्थियों की विशेषता को पहचान कर एक सीखने - सीखाने का अनुकूल वातावरण बनाकर सभी में सामंजस्य बैठाना । विविधता में भी एकता की सीख । इत्यादि गुण द एनीमल स्कूल से जोड़ सकते है ।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रुचि एवं क्षमता के अनुरूप शिक्षा दी जाए ताकि वे अपना काम अच्छे से कर सकें।
ReplyDeleteहर बच्चे में कुछ न कुछ विशेष प्रतिभा होती है, हमे उसी प्रतिभा के ऊपर ध्यान रखते हुए रोचक व आनंददायी वातावरण विद्यालय में तथा क्लास में बनाना होगा ताकि बच्चे बोरिंग न हो...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर मार्गदर्शन इस प्रशिक्षण से मिल है।इससे हम बहुत कुछ सीख रहे हैं।
सभी बच्चे में एक विशेष खासियत होती है बच्चो को पहचान कर उनकी रुचियों के अनुसार शिक्षण शैली अपनाना चाहिए तभी बच्चो का विकास होगा।
ReplyDeleteस्तर के अनुसार सभी बच्चों की सीखने की क्षमता अलग अलग होती है सभी को समान अवसर प्रदान करना चाहिए एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को विशेष ध्यान देना चाहिए... बच्चों को विषय के अनुसार अवसर प्रदान करना चाहिए...
ReplyDeleteसभी बच्चों को उनके स्तर के अनुरूप ही सीखाना चाहिए उनके पूर्व ज्ञान अनुभव का उपयोग सीखने की प्रक्रिया में करना चाहिए ।
ReplyDeleteद एनिमल स्कूल की कहानी से स्पष्ट है कि सभी जानवरों की अपनी एक विशिष्ट प्रतिभा होती हैं और उन्हें अपनी प्रतिभा के विपरीत कार्य कराया गया जिससे वे अपनी विशिष्ट प्रतिभा से भी दूर होते चले गए अतः हमें अपनी कक्षा या स्कूल में निम्न बिंदुओ पर अपने शिक्षण प्रक्रिया और गतिविधियों का प्रयोग करना होगा--- 1 - स्कूल या कक्षा में सभी बच्चों की योग्यता की पहचान सुनिश्चित कर एवं उसकी रुचि अनुरूप शिक्षा प्रदान करनी चाहिए । 2-बच्चे जिस कौशल क्षेत्र में निपुण है या उनकी रुचि है तो उनकी दच्छ्ता का विकास करते हुए अन्य कौशल क्षेत्र में धीरे धीरे से उसकी रुचि अनुरूप लक्ष्य को प्राप्त किया जाना चाहिए। 3बच्चों का उचित मूल्यांकन एवं मार्ग दर्शन के द्वारा उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करनी चाहिए ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके । रवि शंकर तिवारी शिक्षक एल बी शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय पराडोल मनेन्द्रगढ़ जिला कोरिया छत्तीसगढ़
ReplyDeleteबच्चों की तुलना जानवरों का विद्यालय का उदाहरण देकर की जा सकती है। जिस प्रकार हर जानवर में विशेष गुण होते हैं वैसे ही हर बच्चों में विशेष गुण होता है। कक्षा में विभिन्न स्तर के बच्चे होते हैं हमें सभी को उनके स्तर के अनुरूप प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी रूचि के अनुसार शिक्षा देना चाहिए प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग प्रतिभा होती है और शिक्षक को उसकी प्रतिभा को निखारना चाहिए l
ReplyDeleteइस विभिन्नता पूर्ण शिक्षण पद्धति से एक समय सीमा पश्चात सभी बच्चों में समानता आ जायेगा । सभी बच्चों में सभी कौशलों का एक हद तक विकाश होगा । बच्चों को असंभव लगने वाली चीजें भी सरल हो जाएगी।
ReplyDeleteशाला में हर बच्चे एक समान नही होते उनमे अलग-अलग प्रतिभा होती है अलग-अलग स्तर होते हैं उनके स्तरों को ध्यान में रखकर उन्हें आगे प्रोत्साहित करना चाहिए ।
ReplyDeleteBachcho me vividhta dekhne ko milti hai . Kaksha me iska dhyan rakhna chahiye ki alag bachcho ki adhigam kshamta alag alag hoti hai .
ReplyDeleteसभी के लिए एक ही तरह से शिक्षण अनुकूल नहीं है प्रतियेक छात्र के लिए अलग-अलग विधियों से अध्ययन कराया जाना उचित होगा।
ReplyDeleteप्रत्येेक बच्चे के सीखने की अपनी क्षमता और गति होती है, हमें अपनी अध्यापन विधियों को अपेक्षा नुरूप बदलने की आवश्यकता पड़ती है
ReplyDeleteकिसी कक्षा में पढ़ने वाले सभी बच्चे अलग-अलग बुद्धिलब्धि एवं अलग-अलग जीवन कौशल से पूर्ण होतें है, इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चे की शिक्षा उनके जीवन कौशल एवं बुद्धिलब्धि को ध्यान में रखकर दिया जाय। इस हेतु शिक्षक के साथ-साथ हमारे शिक्षा प्रशासन को भी ध्यान देने की आवश्यकता है, हमारी शिक्षा पद्धति में अंको की महत्ता को कम करने व आंकलन में गुणवत्ता परिवर्तन पर ध्यान देना होगा।
ReplyDeleteहमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चा जिस परिवेश से आया है उसको ध्यान में रखकर उसकी नींव डाली जाये ।उसके बाल मन को पढ़ना बहुत जरूरी है। बच्चों के पूर्व ग्यान ही शुरूवात में आधारशीला का काम करते हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चे की योग्यता व् समझने की क्षमता अलग अलग होती है इसलिए हमें उनकी योग्यता का सम्मान करते हुए उनके स्तर के अनुसार विधियों का प्रयोग करते हुए शैक्षिक सिखाना चाहिए .
ReplyDeleteबच्चे के परिवेश व रुचि को ध्यान में रखते हुए खेल खेल में शिक्षण का कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी कार्यकुशलता एवं क्षमता के अनुरूप ही उनको आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए
ReplyDeleteकहानी से यह प्रेरणा मिलती है कि हमे हर छात्र के क्षमता को पहचानते हुए, उसके अनुरूप कार्य करना चाहिए । जिससे की हर छात्र का सर्वांगीण विकास हो । और हर छात्र अपने अनुरूप सिख सके ।।
ReplyDeleteसभी बच्चे समान नही होते है,सब में कुछ न कुछ विविधता होती है।साथ ही सबमें कुछ विशेष गुण और कुछ कमियां भी होती है।हमें कक्षा संचालन के समय इन सारी बातों का ध्यान रखना है।जिससे बच्चों के अंदर छुपे गुण बाहर आ सके और उनकी कमियों को हम ध्यान में रखते हुए उन्हें समावेशी शिक्षा दे।
ReplyDeleteसभी बच्चों पर समान ध्यान देना चाहिए, एक ही तरह के मापदण्ड से सबको परखना चाहिए , उसके पूर्व ज्ञान से उसे सीखने का मौका पहले देना चाहिए।
ReplyDeleteSabhi bachho ke vishesh guno ke aadhar per shamaveshi shiksha dena chahiye.
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम मी व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण स्थान है शिक्षक एवं माता-पिता के माध्यम से विद्यार्थियों में इन गुणों को स्थापित किया जा सकता है व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यक्ति को समाज में व्यवहारिक बनाते हैं जो एक दूसरे को जोड़ता है
ReplyDeleteSabhi bachho ko unke vishesh guno ke aadhar per shikhana hai to unko shamaveshi shiksha dena chahiye
ReplyDeleteSabhi bachho ko unke vishesh guno ke aadhar per shikhana hai to unko shamaveshi shiksha dena chahiye
ReplyDeleteबच्चों को ऊसकी रुची के अनुसार पड़ने लिखने का मौका दिया जाना चाहिये। उनपर दबाव न डाला जाए।
ReplyDeleteEvery student in the class has different abilities we have to encourage their ability accordingly.
ReplyDeleteRADHAKRISHNA MISHRA.
सभी बच्चों के सीखने की गति और उनकी किसी भी अवधारणा को समझने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है। हमे उनकी इस सीखने की गति और उनकी क्षमता को ध्यान मे रखते हुए कक्षा में उनके लिए अनुकूल गतिविधियों का आयोजन करते हुए उन्हे अधिगम के अवसर देने चाहिए। बच्चों के दैनिक जीवन के अनुभवों और उनके पूर्व ज्ञान का उपयोग करते हुए हमे किसी भी अवधारणा को बच्चों के सामने रखें तो उस अवधारणा पर उनकी समझ विकसित होती जाती है।
ReplyDeleteएक शिक्षक की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि जब बच्चा शाला में प्रवेश करता है उसके बाद शिक्षक विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों की विशेषताओं को जाने एवं उन कमियों को भी जाने उसके पश्चात विशेषताओं को और विकसित करें और उन कमियों को दूर करने का प्रयास करें जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास रुक रहा हो अतः एक शिक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों की विशेषताओं और उनकी कमियों दोनों को जानकर उन पर सामंजस्य बिठाए और बच्चों को इस तरह से शिक्षित करे कि वह समाज में अपनी उन विशेषताओं के द्वारा प्रतिष्ठा को प्राप्त कर सके।
ReplyDeleteडॉक्टर सरिता साहू शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला धौराभाठा विकासखंड पाटन जिला दुर्ग
बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं होती है बच्चे में अपनी परिवेश के अनुसार कौंशलोंका विकास होता रहता है इसलिये बच्चों के रुचि,सामाजिक ढांचा ,परिवेश को ध्यान में रखते हुए शैक्षिक कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteमैंने सदैव पाया कि स्कूल के बच्चों में विभिन्नताये होती है अलग-अलग परिस्थितियों से बच्चे आते हैं बच्चे कि सीखने कि क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीखकर आते हैं उसके गुणो को नजर अंदाज न करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल खेल में सीखाना चाहिए बच्चे को पता न चले कि पढ़ा या सीखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल खेल में सीख जाय। उसकी रुचि के अनुरूप ही उसे सिखाने की कोशिश करनी चाहिए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकी रूचि के अनुसार शिक्षा देना चाहिए प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग प्रतिभा होती है और शिक्षक को उसकी प्रतिभा को निखारना चाहिए l
ReplyDeleteशिक्षक को विद्यार्थी की योग्यता को पहचानकर उनके अनुसार शिक्षण कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चो मे अलग अलग प्रतिभा और योग्यता होती है, बच्चों को उनकी प्रतिभा निखरने का मौका और प्रोत्साहन देना चाहिए
ReplyDeleteकक्षा के सभी बच्चों में अलग-अलग गुण व रूचियाँ होती हैं। कोइ खेल में अच्छा होता है ,कोइ ड्राइंग पेन्टिंग में,कोइ पढ़ाई में इत्यादि। अतः हमें चाहिए कि हम बच्चों की रूचि के अनुसार उसे मार्ग दर्शन दें ।उसमें जो जन्मजात गुण हैं उसे उभारें व आगे बढ़ाएं।
ReplyDeleteद एनिमल स्कूल कहानी अच्छी है।हमे चिंतन करने के लिए ।इस कहानी में जो सार बताया गया है कहीं न कहीं हमारी शाला के इर्द गिर्द दिखाई देता ।सभी बच्चे अपने आप मे खास होता है ,हमे उनके उन्ही गुणों को पहचान कर काम करने की आवश्यकता होती है और वो भी सभी बच्चों के साथ।
ReplyDeleteSabhi students ke ander ek special quality hota hai.Ek teacher ke nate hame uske quality ke anusaar siksha pradaan karna chhahiye.
ReplyDeleteजिस प्रकार बत्तख एक अच्छा तैराक था,गिलहरी एक अच्छा उछल-कूद करने वाली एवं खरगोश एक अच्छा तैराक था।लेकिन जानवरों के स्कूल में आने पर उनके इन गुणों को महत्व नहीं दिया गया।इस कारण ये सभी जानवर स्कूल छोड़ने लगे।यहाँ तक इनके माता-पिता भी जानवरों के स्कूल में अपने बच्चों को भेजना बंद कर दिया।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें स्कूल में अपने छात्रों के हुनर को नजरअंदाज न करें और अपने पढ़ाने की विधि में बदलाव करते रहें।बच्चों को प्यार से समझाएं व् बातें करें,जिससे वे स्कूल आने में रूचि लें।
दिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक (L.B.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.-पलारी
जिला-बलौदाबाजार (c.g.)
सभी बच्चे सीख सकते हैं, उसे अवसर, मार्गदर्शक और अभ्यास की आवश्यकता है।
ReplyDeleteबच्चो में भिन्नता होती है, सभी किसी न किसी क्षेत्र में निपुण होते हैं।
सभी बच्चों में एक विशेष प्रतिभा और विशेषता होती है उसका पहचान कर उसके खासियत व रुचियों के अनुरूप शिक्षण शैली अपनाना आवश्यक है।तभी बच्चे में पूर्ण गुणवत्ता ला पाएंगे।
ReplyDeleteसभी बच्चे सीख सकते हैं, उसे अवसर, मार्गदर्शक और अभ्यास की आवश्यकता है।
ReplyDeleteबच्चो में भिन्नता होती है, सभी किसी न किसी क्षेत्र में निपुण होते हैं।
सभी Sabhi bacche Saman Nahin Hote a Hain Sabhi Ke a dakshata on mein Main Kuchh Na Kuchh asamantay hoti hai use pahchankar bachcho ko uchit awsar dena chahiye
ReplyDeleteसभी बच्चों को उनकी अपनी रुचि के अनुसार प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि बच्चे दूसरों से अपने आप को अलग न समझे और उनकी प्रतिभा और निखर हो सके ।
ReplyDeleteसभी बच्चो मे अलग अलग प्रतिभा और योग्यता होती है, बच्चों को उनकी प्रतिभा निखरने का मौका और प्रोत्साहन देना चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों में एक विशेष गुण होती है सबको साथ लेकर चलना है। जिससे उनके आत्मविश्वास में कमी ना आए।
ReplyDeleteमेरे विचार से बच्चो को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार आगे बढ़्याया जाना चाहिए। ना कि उन पर अपनी मनमानी थोपनी चाहिए। क्योंकि सभी बच्चों में उनकी स्वयं की कुछ न कुछ खासियत होती है। बच्चो की सही विकास उनके बौद्धिक छमता पर निर्भर करता है।
ReplyDeleteजिस प्रकार बत्तख एक अच्छा तैराक था,गिलहरी एक अच्छा उछल-कूद करने वाली एवं खरगोश एक अच्छा तैराक था।लेकिन जानवरों के स्कूल में आने पर उनके इन गुणों को महत्व नहीं दिया गया।इस कारण ये सभी जानवर स्कूल छोड़ने लगे।यहाँ तक इनके माता-पिता भी जानवरों के स्कूल में अपने बच्चों को भेजना बंद कर दिया।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें स्कूल में अपने छात्रों के हुनर को नजरअंदाज न करें और अपने पढ़ाने की विधि में बदलाव करते रहें।बच्चों को प्यार से समझाएं व् बातें करें,जिससे वे स्कूल आने में रूचि लें।
श्रीमती सीमा वर्मा
सहायक शिक्षक (LB)
प्रा.शाला गाड़ाकुसमी (CG)
सभी बच्चों की रूची अलग-अलग विषयों में होता है । बच्चों को उनकी रूचि अनुरूप विषय लेना चाहिए ना कि उन्हें बाध्य करना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों में प्रतिभा होती है, बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार आगे बढने का अवसर प्रदान करना चाहिए.
ReplyDeleteहमारे विद्यालय में अनेकों गुणों के बालक आते है कहानी में दिये गयर बातो के तरह ही मेरे द्वारकिसी बालक को निराश नही किया जाता
ReplyDeleteमेरे द्वारा उन्हें उन्ही कार्यो में लगा कर उनका ध्यान सीखने की ओर ले जाने का जरिया किया जाता है सीधे पढ़ाई के बजाय उन्हें दूसरे गतिविधियों में लगा कर सीखने का प्रयास किया जाता है जिसमे मुझे बहुत हद तक सफलता मिलता हैं
नवल किशोर तिवारी शिक्षक
उच्च प्राथमिक विद्यालय रानी बछली ब्लॉक कोटा जिला बिलासपुर छत्तीस गढ़
sabhi bacchon ko unki Ruchi aur yogyata ke anusar hi Shiksha Dena chahie na ki unke upar thopna chahie ki Tum ek karo agar koi baccha doctor banne mein Ruchi rakhta hai to usko humko engineer banane ki or nahin le Jana chahie
ReplyDeleteसभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा होती है, लेकिन उसको तराशने का काम शिक्षक का है.
ReplyDeleteHumare class m alag alag soch aur samajh k bacche hain, jinhe ek samaan padhati s nahi sikhaya ja skya isliye hr bachhe ko apni soch aur samajh k anooroop sikhana hi sahi hoga.
ReplyDeleteSabhi student me alag-alag quality hoti hai usi ke anusar sikhana chahiye bachhe dhire dhire hi sahi last me jrur sikhenge ye teachers ko krna hota hai
ReplyDeleteहर एक बच्चा विशिष्ट होता है । उनमें कुछ प्रतिभाएं कुछ विशेषताएं अवश्य होती है। जिसे हम शिक्षकों को पहचान कर सीखना है ।
ReplyDeleteसब प्रकार के बच्चे होने के कारण हमें उनकी प्रतिभा को उभारने कार्य करना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षाओं में सभी बच्चे एक-समान नहीं होते हैं हर बच्चों के अंदर कोई ना कोई रूचि छिपे होते हैं हमको उसको जानना है और बच्चों को उनकी क्षमताओं से अवगत कराते हुए उनको प्रोत्साहित करना है।
ReplyDeletesabhi bachche ek saman nai hote h sabhi me kuch na kuch khas hota h jaruri nai jo bachha study me achha h wo sport me b achha hoga hme bachho ki khasiyat ko dekh unko usi field me age bdne ko protsahit karna chahiye sath me kosis honi chahiye k sare bachho ko study k basic jankari jarur ho sath hi bachho ki tulna dusre bachho se na karke unki ruchi k anusar unko karya pradan karna chahiye or age bdne ko protsahit karna hoga.jis field me bachhe ki ruchi nai use us field me jabardasti dalne se bachhe age nai bd payenge sath unme nirasha k bhaw b jagne lagega jo bachhe k future k liye achha nai hoga
ReplyDeleteस्कूल के बच्चों में विभिन्नता hoti हैं अलग-अलग परिस्थितियों se
ReplyDeleteबच्चे आते हैं बच्चे की सीखने की क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीख कर आते हैं और उनके गुणों को नजरअंदाज ना करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल-खेल में सिखाना चाहिए बच्चे को पता ना चले कि पढ़ाया सिखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल में सीख जाए बच्चों के जो खुद के गुण होते हैं उसे हमें उभारना चाहिए और दो बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए क्योंकि सभी बच्चे अलग होते हैं और सब में विशेष गुण होते हैं
इस कहानी से यह क्रिया बिंदु निकलते हैं कि स्कूल में आने वाले बच्चों में बहुत विविधताएं होती है हर बच्चे का पढ़ने का समझने का तथा कार्य करने का तरीका अलग होता है । हमें हर बच्चे को अलग अलग विधियों का उपयोग करके समझाने की अतः पढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए
ReplyDeleteसभी बच्चों में क्षमता होती है, उनकों जिस क्षेत्र में रुचि हो उसी क्षेत्र में बढावा दिया जाना चाहिए.
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग-अलग योग्यता होती है तथा हर बच्चा किसी विशेष क्षेत्र में बहुत प्रतिभावान होता है, तो हमें उनकी इन्हीं विशेषताओं को पहचानते हुए उस क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि जानवरों के स्कूल में हुआ उन्होंने बिना किसी बच्चे की योग्यता को पहचाने उनकी क्षमताओं के विपरीत उन्हें कार्य करने के लिए दिया जिसमें वे असफल हो गए और शायद ऐसा ही हम अपने विद्यालयों में भी करते है ।
ReplyDeleteस्कूल के बच्चों में विभिन्नताये होती है अलग-अलग परिस्थितियों से बच्चे आते हैं बच्चे कि सीखने कि क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीखकर आते हैं उसके गुणो को नजर अंदाज न करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल खेल में सीखाना चाहिए बच्चे को पता न चले कि पढ़ा या सीखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल खेल में सीख जाय।
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । सभी का आई क्यू लेबल अलग होता है । हर विद्यार्थियों की विशेषता को पहचान कर एक सीखने - सीखाने का अनुकूल वातावरण बनाकर सभी में सामंजस्य बैठाना । विविधता में भी एकता की सीख । इत्यादि गुण द एनीमल स्कूल से जोड़ सकते है ।( kamal Kumar Siware)
ReplyDeleteशाला में सभी बच्चे एक जैसे नही होते उनके सिखने की क्षमता अलग अलग होती है साथ ही किसी किसी बच्चे विशेष प्रतिभा होती है जो अपने परिवेश से सिखकर आते है।बच्चों में छुपी दक्षता को पहचान कर उसे उनकी कौशल के अनुरुप शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों में प्रतिभा होती है, उस प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक का कार्य है कि बच्चों के सही मार्गदर्शक बने.
ReplyDeleteMere vichar se school me bachche alag alag paristhiti v parivesh se aate hai wah ghar me apni samjh le kar aate hai hame sabhi se saman vyevhaar karke khel khel me sikhana chahiye
ReplyDeleteजैसा बच्चों का मूल्यांकन या आंकलन होता है उसमे ये जरूरी नहीं है कि वो हमेशा परफेक्ट हो कोशिश उसमे हमेशा बदलाव के साथ उन्नत तरीको और प्रयासों के साथ वातावरण और उसमे उस स्कूल को तरीके तय करने की और बंधनों से मुक्त होने की जरूरत है जो हमेशा से एक ही परिपाटी पर आधारित होते है ।इसलिए आज शायद ये चर्चाएं हो रही है ।मगर शिक्षक और बच्चे लगातार एक दूसरे को अवलोकन कर के आपस में अच्छी तालमेल बैठा कर एक पूरा सत्र जिसमे कई विषय होते हैं पूरा करते है ,कई अच्छी बातें होने के बाद भी ऐसे तरीको की पर्याप्त जरूरत बनी रहती है जिसमे कुछ नया हो ,और यही जिज्ञासा प्रेरणा बनती है
ReplyDeleteबच्चों की रुचि एवं विविधता के आधार पर शिक्षण के तरीकों मे बदलाव करना चाहिए
ReplyDeleteBachcho ke ruchi ko pahchan kar.use usake anurup yadi shiksha di jaye to nishchit hi us field me succes hoga.
ReplyDeleteBachcho ki padhai me isse rochi badhegyi jisse unki padhne me sahayata milegyi
ReplyDeleteकक्षा में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को उनके ज्ञान एवं उनकी क्षमताओं के स्तर का आकलन कर उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वे प्रसन्न चित्त होकर अपनी क्षमताओं का उपयोग कर सकें|
ReplyDeleteसभी बच्चों पर एक समान ध्यान देना चाहिए क्योंकि सभी अलग अलग परिवेश से बच्चे आते हैं तथा बच्चों की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है।
ReplyDeleteगुणों का नजरअंदाज ना करके सभी को समान ज्ञान देना चाहिए।
बच्चों की सीखने की दक्षताअलग-अलग होती है, चुंकि बच्चे भिन्न-भिन्न सामाजिक परिस्थितियों एवं परिवेश से आते है ।
ReplyDeleteबच्चों को कुछ समस्या दिया जाता है जिसे वे अपने तरिके से सुलझाते हैं
ReplyDeleteसभी बच्चे एक समान नहीं होते तब मैं सबकी रुचि दक्षता और सीखने की गति अलग-अलग होती है यदि बच्चा सीख नहीं पा रहा आगे नहीं बढ़ रहा तो हो सकता है कि हम अपने तरीकों में बदलाव करें बच्चे के अनुरूप तो वह वह चीज समझ पाए
ReplyDeleteकक्षा में अध्यापन कराते समय सभी बच्चों के साथ व्यव्हार मित्रता पूर्ण होनी चाहिये, जिससे बच्चे बेझिझक अपने विचार एवं भाव को असानी से शिक्षक एवं सहपाठियों के बीच व्यक्त कर सकें।
ReplyDeleteकक्षा में विद्यार्थियों में अनेक विविधता होती । सभी बच्चों में एक विशेष गुण होता है । बच्चों में रूचि व क्षमता अलग अलग होती है | सभी का आई क्यू लेबल अलग होता है । हर विद्यार्थियों की विशेषता को पहचान कर एक सीखने - सीखाने का अनुकूल वातावरण बनाकर सभी में सामंजस्य बैठाना । विविधता में भी एकता की सीख । इत्यादि गुण द एनीमल स्कूल से जोड़ सकते है ।
ReplyDeleteहर बच्चे में कुछ विशेष क्षमता और कौशल होता है, एक शिक्षक का दायित्व और कर्तव्य है कि वह बच्चे की उस विशेषता को पहचानने और निखारने के साथ साथ उसमें अन्य क्षमताओं और कौशलों का विकास करे | इसके साथ ही शिक्षक विभिन्न प्रकार के बच्चों को एक साथ सीखने सिखाने की प्रक्रिया में शामिल करते हुए उन्हें अपनी सीखने की गति के अनुरूप सीखने का अवसर प्रदान करे तथा बच्चों के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई पूर्वग्रह न रखे, बच्चों के बीच तुलना न करे और ऐसा कोई काम या व्यवहार न करे जिससे बच्चे किसी हीनभावना से ग्रसित हो जाएं |
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें स्कूल में अपने छात्रों के हुनर को नजरअंदाज न करें और अपने पढ़ाने की विधि में बदलाव करते रहें।बच्चों को प्यार से समझाएं व्
ReplyDeleteबातें करें,जिससे वे स्कूल आने में रूचि लें।
श्रीमती चेतन वर्मा
सहायक शिक्षक (LB)
प्रा.शाला गाड़ाकुसमी (CG)
सभी बच्चों में प्रतिभा होती है, उस प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक का कार्य है कि बच्चों के सही मार्गदर्शक बने.
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमताओं के आधार पर सीखाना तथा सभी बच्चों को साथ ले कर चलना और उसका सर्वांगीण विकास करवाना शिक्षक का कार्य हैं!
ReplyDeleteHar bachhe ki ruchi aur kshamta alag hoti hai.Bachho ki ruchi k anusar hi padhane k tareeke me parivartan karna hoga.Bachho ki kshamta ko ubharne ka prayas karna hoga.
ReplyDeleteहर बच्चे में कुछ विशेष क्षमता और कौशल होता है, एक शिक्षक का दायित्व और कर्तव्य है कि वह बच्चे की उस विशेषता को पहचानने और निखारने के साथ साथ उसमें अन्य क्षमताओं और कौशलों का विकास करे | इसके साथ ही शिक्षक विभिन्न प्रकार के बच्चों को एक साथ सीखने सिखाने की प्रक्रिया में शामिल करते हुए उन्हें अपनी सीखने की गति के अनुरूप सीखने का अवसर प्रदान करे तथा बच्चों के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई पूर्वग्रह न रखे, बच्चों के बीच तुलना न करे और ऐसा कोई काम या व्यवहार न करे जिससे बच्चे किसी हीनभावना से ग्रसित हो जाएं |
ReplyDeleteजिस प्रकार बत्तख एक अच्छा तैराक था,गिलहरी एक अच्छा उछल-कूद करने वाली एवं खरगोश एक अच्छा तैराक था।लेकिन जानवरों के स्कूल में आने पर उनके इन गुणों को महत्व नहीं दिया गया।इस कारण ये सभी जानवर स्कूल छोड़ने लगे।यहाँ तक इनके माता-पिता भी जानवरों के स्कूल में अपने बच्चों को भेजना बंद कर दिया।
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिली कि हमें स्कूल में अपने छात्रों के हुनर को नजरअंदाज न करें और अपने पढ़ाने की विधि में बदलाव करते रहें।बच्चों को प्यार से समझाएं व् बातें करें,जिससे वे स्कूल आने में रूचि लें।सीखने - सीखाने के लिए अनुकूलित वातावरण एवं समंजस्य स्थापित करना चाहिए जिससे बच्चा रूचि लेकर सीख सके।
श्रीमती सरस्वती प्रजापति
सहा.शि.(L.B.)
प्रा.शा. हरदीकला
वि.खं. - कटघोरा
जिला - कोरबा
अलग-अलग परिस्थितियों से बच्चे आते हैं बच्चे कि सीखने कि क्षमता भी अलग होती है बच्चे अपने परिवेश में बहुत कुछ सीखकर आते हैं उसके गुणो को नजर अंदाज न करें सबको समान ज्ञान देना चाहिए और बच्चों को खेल खेल में सीखाना चाहिए बच्चे को पता न चले कि पढ़ा या सीखा रहे हैं उसे लगे कि खेल रहे हैं और वह खेल खेल में सीख जाय। उसकी रुचि के अनुरूप ही उसे सिखाने की कोशिश करनी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को विभिन्नता में एकता को अच्छे ढंग से सिखाने के लिए हम उन्हें कहानी के माध्यम से समझा सकते हैं एक कहानी जिसमें जंगल का राजा रहता है और उस में बहुत से जानवर रहते हैं और कैसे हो एक दूसरे का साथ देते हैं हम शिक्षकों को भी बच्चों की अलग-अलग हुनर को परखना होगा और उसके अनुरूप उन्हें सीखने एवं आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करना होगा
ReplyDeleteबच्चों कि प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक को बच्चों का सही मार्गदर्शन करना चाहिए। बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुसार पढ़ाना चाहिए ।तथा बच्चों का सर्वांगीण विकास करवाना शिक्षक का कार्य है।
ReplyDeleteसभी छात्रों को पढ़ने लिखने के लिए अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाए
ReplyDeleteबच्चे मिटटी के ढेले के समान होते हैं, कोई नरम, कोई कडक, कोई दानेदार, कोई चिकना,,,, जिनको तरासना एक शिक्षक की बहुत ही सुंदर कलाकृति होती है लेकिन उस बच्चे रूपि कलाकृति में सुंदरता तभी आयेगी, जब पाठशाला उसके लिए एक खुला मंच होगा। जहां पर वह बच्चा रुपि कलाकृति बेझिझक खड़ा होकर अपने मन की बात कह सके, अपने मन की प्रतिक्रिया दे सके। तभी वह बच्चा एक सुंदर घडे़ का आकार लेकर असमानता में समानता बनकर अपनी कलाकृति का अदभुत प्रदर्शन कर सकेगा।
ReplyDeleteजानवरों का पाठशाला
ReplyDelete----------------------------
एक अद्भुत काल्पनिक कहानी है। जलचर बत्तख ऐ ग्रेड थल में इम्तहान से गुजरने के बाद पुनः जल की रेस में डी श्रेणी में आता है। इसी तरह गिलहरी और खरगोश आदि, वास्तव में क्षमता किसी का किसी मे
गोस्वामी तुलसीदासजी का इस संबंध में एक चौपाई चरितार्थ है----
का बड़ छोट कहत अपराधु,
शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सभी को है, स्तरनुसार शिक्षा उपलब्ध कराना प्रथम दायित्व बनता है।
जानवरों का पाठशाला
ReplyDelete----------------------------
एक अद्भुत काल्पनिक कहानी है। जलचर बत्तख ऐ ग्रेड थल में इम्तहान से गुजरने के बाद पुनः जल की रेस में डी श्रेणी में आता है। इसी तरह गिलहरी और खरगोश आदि, वास्तव में क्षमता किसी का किसी मे
गोस्वामी तुलसीदासजी का इस संबंध में एक चौपाई चरितार्थ है----
का बड़ छोट कहत अपराधु,
शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार सभी को है, स्तरनुसार शिक्षा उपलब्ध कराना प्रथम दायित्व बनता है।
बच्चों की तुलना एनिमल स्कूल का उदाहरण देकर की जा सकती है जिस प्रकार हर जानवर में एक विशेष गुण होता है वैसे ही हर बच्चों में एक विशेष गुण होता है। एक कक्षा के बच्चो में अलग- अलग प्रतिभा होती हैं, हमे सभी को साथ लेकर चलना हैं उनके स्तर के अनुरूप हमे उन्हें प्रोत्साहित कर उनमे कौशलों का विकास करना हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चों में प्रतिभा होती है, उस प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक का कार्य है कि बच्चों के सही मार्गदर्शक बने.
ReplyDeleteविद्यालय में सभी बच्चों को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर समावेशी शिक्षा दी जाए ताकि उनका सार्वागिंन विकास हो सके।
ReplyDeleteबच्चों को उनके परिवेश, सीखने की क्षमता, प्रतिभा, गुण,आदि को ध्यान में रखकर स्तरानुरूप शिक्षा दी जानी चाहिए।
ReplyDeleteबच्चो में सीखने की क्षमता अलग अलग होती है । उनकी प्रतिभा को पहचान कर हमें सही मार्गदर्शन करना चाहिए । सीखने के गति के अनुरूप ही अवसर प्रदान करना चाहिए। बच्चे किसी हीन भावना से ग्रसित ना हो ऐसा सामंजस्य स्थापित करना चाहिए । बच्चो की प्रतिभा को पहचान कर तराशने का काम हम शिक्षकों का है।
ReplyDeleteSabhi bacho mein alag alag gun hote hai. Unki pratibha ke anusar teacher ko unhe sikhana chahiye.
ReplyDeleteकक्षा के सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभा और विशेषता होती है हमें उसकी पहचान कर उसके खासियत और रूचि के अनुसार शिक्षण शैली को अपनाना चाहिए ताकि हम बच्चों में सही गुणवत्ता ला सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों की मातृभाषा को प्राथमिकता देकर घर की भाषा में उन्हें समझने के लिए स्थान देना व सभी को समान नजर देखना जरूरी है सब बच्चों में सिखने व समझने के गुण होते हैं उनके प्रतिभा को पहचान कर शिक्षकों द्वारा बच्चों को उचित मार्गदर्शन देना चाहिए
ReplyDeleteइस कहानी से यही प्रेरणा मिली कि, प्रत्येक के अंदर अलग गुण मौजुद होता है जो उनकी विशेषता होती है।हमें बच्चों के रुचि अनुरूप कार्य पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए।अन्यथा उनमे छिपी प्रतिभा को हम पहचान नहीं पाएंगे ।
ReplyDeleteसभी बच्चों में प्रतिभा होती है, उस प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक का कार्य है कि बच्चों के सही मार्गदर्शक बने.
ReplyDeleteशाला मे हर बच्चा अलग अलग परिवार,समाज क्षेत्र से आते है। बच्चो की तर्कशैली योग्यता मे
ReplyDeleteभिन्नता होती है। कुछ बच्चो की प्रतिभा अन्य की तुलना मे तीव्र होती है। बच्चो की प्रतिभा को पहचान कर शिक्षक को पढ़ाना चाहिए जिससे
बच्चो का सर्वागीण विकास हो सके।
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ReplyDeleteविविधता को संबोधित करते हुए कहेंगें की जो भी जीव जंतु जिस परिवेश में रहते है उस परिवेश के अनुकूल वे अपने क्रियाविधि में निपुण रहते है यदि उसे प्रतिकूल वातावरण में हम क्रियाविधि कराते हैं तो वे सफल नही हो पाते जैसे पानी में मगर बलवान हो सकता है लेकिन शेर नही उसी प्रकार जंगल में शेर बलवान हो सकता है लेकिन मगर नही |
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteइस कहानी में यह बताया गया है कि हर किसी में अलग गुण अलग प्रतिभाएं होती हैं हर परिवेश को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है।
ReplyDeleteशाला मे बच्चे अलग अलग परिवार समाज क्षेत्र से आते है।हर बच्चे की प्रतिभा अलग अलग होती है। बच्चो की तर्कशैली सिखने की प्रतिभा को ध्यान मे रखते हुए हमे अध्यापन कार्य करवाना
ReplyDeleteचाहिए। उनकी प्रतिभा को निखारना है दबाना
नही है ताकि सभी बच्चो का सर्वांगीण विकास
हो सके।
हर विद्यार्थी में उनके अंदर अलग प्रकार की कार्य करने की विशेष रूचि होती है और उन रूचि यों में पारंगत होते हैं या उस कार्य को करने के लिए इच्छा शक्ति होती है हमें किसी की इच्छा शक्ति को मारना नहीं चाहिए क्योंकि वह विशेष रूप से उस कार्य को करने में बहुत अच्छा लगता है जिस प्रकार हमें एक कहानी के माध्यम से जो जानवरों की पाठशाला में हमें देखने को मिलता है सब में अलग-अलग रुचियां हैं फिर भी हम उन रुचि यों को सामने ना लाकर हम अपने हिसाब से उन बच्चों को कार्य देते हैं जिससे उस कार्य को नहीं कर पाता और जो उन्हें जिसमें रुचि है समय आने पर उन रुचि पूर्ण कार्य को करने में भी कमी आती है इस कहानी के माध्यम से हम और आप यह सीख मिलती है की हर बच्चों की प्रतिभा को आगे लाना और उस प्रतिभा के माध्यम से अन्य कार्य को आगे बढ़ाना जिससे बच्चे का संपूर्ण रुप से विकास हो सके और अन्य कार्य करने में भी उनकी रुचि पैदा हो सकें हम कह सकते हैं की समावेशी शिक्षा ही इस कार्य को करने के लिए हमें प्रेरणा देती है।
ReplyDeleteमेरी राय में बच्चों की विविधता एवम् रूचि को ध्यान में रखते हुए ,हम शिक्षकों को शिक्षण विधि को अधिक प्रभावी व रूचिकर बनाते हुए सभी विधार्थीयो के विकास पर कार्य करना चाहिए ।
ReplyDelete" जानवरों का विद्यालय " इस कहानी में बहुत ही स्पष्ट रूप से यह चित्रित किया गया है कि भिन्न भिन्न छात्रों में भिन्न भिन्न प्रकार की प्रतिभाएं होती हैं। और शालाओं में पाठ्यक्रम पूर्ण करने के चक्कर में उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। बच्चे अपने उन अनोखे हुनर को और निखारने (जिनके जरिये वे अपनी अलग पहचान बना सकते हैं) के बजाए उन दूसरे क्रियाकलापों में व्यस्त हो जाते हैं जिनमें न तो उन्हें उतनी रूचि है और ना ही वे उन्हें जानते हैं। नतीजा यह होता है कि बच्चे अपने हुनर को भी खो देते हैं और फिर खुद को दूसरे सफल विद्यार्थियों से तुलना कर खुद को असफल और नाकाबिल महसूस करने लगते हैं।जिससे उनकी मानसिक क्षमता पर बहुत गहरा असर पड़ता है।
ReplyDeleteइसका एक हल यह हो सकता है कि विद्यालयीन क्रियाकलापों में पाठ्यक्रम की बोझिलता को दूर करने और शाला के प्रति छात्रों के मन के डर को दूर करने के लिए एक पीरियड बच्चों लिए रखना चाहिए, जिसमें वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन स्वतंत्रता से कर सकें। इस गतिविधि से एक फायदा यह भी होगा की बच्चे छोटी उम्र से ही खुद को समझना शुरू करेंगे (self counciling जिसे हम कहते हैं)। उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा, विचारशीलता, निर्णय लेने की क्षमता आदि गुणों का उनमें विकास होता चला जायेगा। साथ ही शाला के प्रति छात्रों का अलगाव दूर होकर मिट जाएगा।
कक्षा के सभी बच्चों में अपनी अलग अलग क्षमता एवं कौशल होती है हमें उनकी क्षमता और कौशल को ध्यान में रखकर सिखाने की प्रक्रिया का क्रियान्वयन करना होगा जिससे उनकी सिखने की प्रक्रिया सहज सरल हो सके ।
ReplyDeleteबच्चों को उनके रूचि, पूर्व ज्ञान,को आधार बनाकर सभी को समान रूप से अवसर प्रदान करते हुए धैर्य के साथ आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए।
ReplyDeleteहर बच्चा अपने आप मे अनोखा है उसमें प्रतिभा है। हमे उस प्रतिभा को निखारने में मदद करना।
ReplyDeleteहर बच्चे की मानसिक ,शारीरिक ,आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भिन्नता है,जब वह दूसरी भिन्नता वाले बच्चे के संपर्क में आता है तो उन से भी कुछ न कुछ ग्रहण करता है।सीखने का क्रम जीवनपर्यन्त चलता रहता है।इससे बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ता है।
कक्षा में बच्चों के बीच बहुत सी विभिन्नता होती है। उनके सीखने की क्षमता व अलग अलग होती है। सभी बच्चों की रुचि और शारीरिक क्षमता भी अलग अलग होती है ऐसे में सभी बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम लागू करना उनके लिए न्याय संगत नही है। ऐसे ही विद्यालय में जो ऐसे बच्चे है जो शारीरिक रूप से सामान्य बच्चों के समान सक्षम नही है उनके लिए उनके स्तर और क्षमता के अनुसार पाठ्यक्रम और सीखने की विधियों का चयन करना और उनके अनुसार ही उनका आकलन किया जाना चाहिए। सबको यह महसूस कराया जाना चाहिए कि सभी अपने आप मे विशेष हैं।
ReplyDeleteसभी बच्चें अलग -अलग परिवेश से आते हैंं, उनका रहन - सहन अलग - अलग होता हैं। सीखने की क्षमता अलग होतीं हैं ।लेकिन उनकी प्रतिभा और कौशल को हमें पहचान कर उनके कौशल और रूचियों के अनुरुप शिक्षण शैली अपनाकर बच्चों का सर्वागींंण विकास किया जा सकते हैंं
ReplyDeleteबजरंग देवांगन
शा.पू.मा.शाला परसिया
संकुल- अंडा
वि.खं. - पथरिया
जिला- मुंगेली ( छ.ग.)
Kahani acchi hai . yeh hamen sochne per majbur karti hai ki bacchon ko kaise padhaye
ReplyDeleteबच्चो की पारिवारिक , आर्थिक, शारारिक, मानसिक परिस्थितियां भिन भिन होती है जिसे ध्यान में रखते हुए शिक्षण अधिगम को सुगम एवम् रुचि पुर्ण बनाना चाहिए
ReplyDeleteशाला मे बच्चे अलग अलग परिवार समाज क्षेत्र से आते है।हर बच्चे की प्रतिभा अलग अलग होती है। बच्चो की तर्कशैली सिखने की प्रतिभा को ध्यान मे रखते हुए हमे अध्यापन कार्य करवाना
ReplyDeleteचाहिए। उनकी प्रतिभा को निखारना है दबाना
नही है ताकि सभी बच्चो का सर्वांगीण विकास
हो सके।
Very Good Story.
बच्चों की अंतर्निहित क्षमता का आकलन करना स्वयं मे ही विशिष्ठ तथा रोमांचक है। उनके विविध गुणों /अवगुणों का पता लगाकर उसके अनुरूप उनमें सकारात्मकता का भाव उत्पन्न कराते हुए सर्वांगीण विकास कराना एक आदर्श शिक्षक का कर्त्तव्य है।
ReplyDeleteNADIM KHAN
ASSTT. TEACHER
P.S. MOTIMPUR
CLUSTER- PAWANTARA
BLOCK- S/LOHARA
DISTT-KABIRDHAM(C.G.)
PIN-49995
बच्चे जिस कार्य मे दक्ष है पहले उसे काराए उसके पश्चात दुसरे कार्य को धीरे-धीरे काराए
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग-अलग योग्यता होती है तथा हर बच्चा किसी विशेष क्षेत्र में बहुत प्रतिभावान होता है, तो हमें उनकी इन्हीं विशेषताओं को पहचानते हुए उस क्षेत्र में उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जैसा कि जानवरों के स्कूल में हुआ उन्होंने बिना किसी बच्चे की योग्यता को पहचाने उनकी क्षमताओं के विपरीत उन्हें कार्य करने के लिए दिया जिसमें वे असफल हो गए और शायद ऐसा ही हम अपने विद्यालयों में भी करते है ।
ReplyDeleteकक्षा मे हरेक बच्चा विविधता लिये होता है और सभी मे जन्मजात प्रतिभा होती है आवश्यकता इस बात कि है कि हम उसकी जन्मजात प्रतिभा को किनारे करके नयी प्रतिभा को समावेशित करने के स्थान पर उसकी जन्मजात प्रतिभा के साथ ही नयी प्रतिभा मे भी उसे ऐसा निपुण बना दे कि उसे आनंद की प्राप्ति हो l
ReplyDeleteस्कूल के बच्चों मे विभिन्नताए होती है बच्चे अपने परिवेश मे बहुत कुछ सीख कर आते बच्चों की सीखने की क्षमता भी अलग अलग होती है। बच्चों को खेल खेल मे सीखाना चाहिए और हमे सभी बच्चो को साथ मे लेकर चलना चाहिए बच्चों के रुचि के अनरुप ही उसे सीखाने की कोशिश करनी चाहिए
ReplyDeleteशिक्षक होने के नाते हमें मालूम है कि कक्षा में अलग अलग पहचान लेकर बच्चे आते हैं सभी की रुचि में भिन्नता होती हैं इसलिए हमें समावेशी शिक्षा देनी चाहिए । कुछ बच्चो मे सिखने की क्षमता मे भिन्नता होती है। हमें सभी बच्चों के अनुसार पाठ्यक्रम को लेकर आगे बढना चाहिए
ReplyDeleteकक्षा मे सभी बच्चे एक समान नहीं होते है हमें सभी बच्चों मे विविधता देखने को मिलता है जो स्वाभाविक है, हमें बच्चों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं एवं समस्याओ को ध्यान मे रखते हुए उनकी रूचि अनुसार आगे बढ़ाना चाहिए|
ReplyDeleteयह कहानी हमें सिखाती है कि विद्यालय में आने वाले प्रत्येक बच्चे में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से विभिन्नताएं होती है। प्रत्येक बच्चे की प्रतिभा और कौशल भी एक दूसरे से भिन्न होती है। इसके साथ ही उनमें किसी न किसी क्षेत्र में कोई न कोई कमियां भी होती है बच्चों की इन्हीं प्रतिभाओं और कमियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य नहीं करेंगे तो बच्चे अपनी पहली प्रतिभा को भी खोते चले जाएंगे और दूसरे क्षेत्र में भी कुछ सीख पाने में स्वयं को अक्षम महसूस करेंगे। अतः बच्चों की पहली प्रतिभा को निखारते हुए धैर्य से नयी कौशल विकसित करने पर प्रयास करते रहना है।
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