मॉड्यूल 2

गतिविधि 2: व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को समझना

 

हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की क्या भूमिका है? क्या यह अधिगम में सहायक हैं? शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं?

एक पल को रुकें एवं चिंतन करें। दिए गए चरणों का पालन करके ब्लॉग पर अपनी समझ साझा करें-

Comments

  1. शिक्षण अधिगम मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है।क्योंकि सामाजिक व्यक्तिगत गुण शिक्षक एवम छात्रों के मध्य स्वीकार्यता हेतु सेतु का कार्य करता है।एवम शिक्षक द्वारा शिक्षण अधिगम को अपेक्षानुरूप सरल बनाता है

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    1. गीता साहू(जगदलपुर,बस्तर,छत्तीसगढ़)- हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है।छात्रों के व्यक्तित्व को निखारने एवं उनको सही मार्गदर्शन देने में सहायक है।और ये गुण अधिगम में सहायक है।

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    2. शिक्षक का व्यक्तिगत , सामाजिक गुणों में सकारात्मक चिन्तन के साथ समाज में प्रत्येक व्यक्ति के भावनात्मक सोंच को महत्व देकर आदर्श गुणों , कौशल विकास के साथ -साथ सभी विद्यार्थियों में अपने आदर्शों के प्रतिबिंब स्थापित करने में सफल होगा ।

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    3. Students kachchi umra ke hote hain unme vyaktigat samajik guno ke Vikas me teacher ka bahut bada role hota hai teacher ke samajik guno ka prabhav bachchon ke vyavahar me jhalkta hai

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    4. Students kachchi umra ke hote hain unme vyaktigat samajik guno ke Vikas me teacher ka bahut bada role hota hai teacher ke samajik guno ka prabhav bachchon ke vyavahar me jhalkta hai

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  2. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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    1. शिक्षक अधिगम में उक्त गुणों का होना आवश्यक है।क्योकि यही गुण शिक्षक और छात्रों में एक सेतु का कार्य करता है। सीखने की प्रक्रिया समाज से ही शुरू होता है।

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  3. शिक्षक अधिगम मेंउक्त गुणों का होना अतिआवश्यक है।क्योंकि यही गुण शिक्षक एवं छात्रों में एक सेतु का कार्य करता है।

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    1. शिक्षक अधिगम मेंउक्त गुणों का होना अतिआवश्यक है।क्योंकि यही गुण शिक्षक एवं छात्रों में एक सेतु का कार्य करता है।

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    2. शिक्षक अधिगम में समाहित सभी गुण बच्चों पूर्ण विकास के लिए अनिर्वाय है

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    3. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों
      का अहम भूमिका होती है इसी गुणों के आधार पर ही
      हम सही मायने में हम शिक्षक और छात्रों के मध्य मार्गदर्शक
      के रूप में उपस्थित रहते हैं ।

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  4. शिक्षण अधिगम मे समाहित सभी गुण छात्रो के लिये जरूरी है

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    1. शिक्षक अधिगम में समाहित गुण बच्चों के पूर्ण विकास के लिए अनिवार्य है

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  5. व्यक्ति का सामाजिक गुणों को समझना एक सहज अधिक व्यावहारिक रूप से ओतप्रोत है जिसके अंतर्गत हम समाज की गतिविधि अपनी व्यक्तिगत निजी जानकारी या सीखने सिखाने की प्रक्रिया के अंतर्गत समाज में ऐसी अवधारणा स्पष्ट होता है जिससे हम अपनी व्यक्तिगत कार्यों को समाज से प्रेरित होकर नई दिशा में करने की आवश्यकता होती हैऔर अधिगम को बढ़ाने में बहुत ही सहायक होती है क्योंकि एक सीखने की प्रक्रिया समाज से ही शुरू होता है और है यह व्यक्तिगत भूमिका निभाने में भी सहायक होती क्योंकि जिस समाज में रहते है वहां एक समाजिक व्यावहारिक ज्ञान की खोज और सीखने की कला की विकसित करने सहायक होती है

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    1. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का होना अति आवश्यक है क्योंकि यही गुण शिक्षक और छात्रों में सेतु का कार्य करता है

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    2. सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुण से शिक्षण अघिगम मानव मूल्यों को दर्शाता है जिससे बच्चों का गुणात्मक विकास संभव है

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  6. व्यक्तिक सामाजिक गुण मनुष्य को समाज मे स्वीकार्यता व सम्मान दिलाता है । शिक्षकों में इस गुण का होना अत्यंत ही आवश्यक है, क्योंकि शिक्षक के व्यक्तित्व का अनुसरण बच्चे जाने अनजाने करते ही हैं । अपने पूरे शिक्षण काल के दौरान छात्र अनेक शिक्षकों के संपर्क में आते हैं तथा उनके व्यक्तित्व व व्यवहार से बहुत कुछ ग्रहण करते हैं जो छात्रों के व्यक्तिक सामाजिक गुण के रूप में परिलक्षित होते हैं ।

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  7. सामाजिक गुणों का होना आवश्यक हैं क्योंकि इसके बिना किसी मनुष्य का समग्र विकास सही दिशा में नहीं हो सकता।

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  8. जब तक व्यक्ति सामाजिक रूप से परिपक्व नहीं हो जाएगा वह आसपास की गतिविधियों को समझने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम नहीं होगा शिक्षक और छात्र का संबंध समाजिक रूप से सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा।

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  9. सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुण होने से विद्यार्थी और शिक्षक को एक दूसरे को समझने और उनके गुणो का विकास करने में मदद मिलती है

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  10. शिक्षक की दिनचर्या में जो व्यक्तिगत सामाजिक गुण होते है वह अधिगम में अत्यंत सहायक है यह गुण छात्रों के सामाजिक गुणों के लिए मार्गदर्शक है।

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  11. एक शिक्षक व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  12. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार को प्रदर्शित करते है।यह गुण अधिगम में बहु सहायक है।शिक्षक इस गुण को बढ़ाने में अपना सहयोग देकर विद्यार्थी को एक अच्छा सामाजिक गुण युक्त व्यक्तित्व प्रदान करने में सहयोग करता है।

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  13. हाँ,शिक्षण अधिगम मे व्यकतिगत व सामाजिक गुणो का होना अति आवश्यक है।चुकि यह शिक्षक और छात्र के बीच सेतू का काम आता है। जिससे छात्र आसानी से सीखते है।

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  14. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण सभी विद्यार्थियों में होना अति आवश्यक है।

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  15. शिक्षण अधिगम मे समाहित सभी गुण छात्रो के लिये जरूरी है

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  16. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण अधिगम में सहायक है क्योंकि विद्यार्थियों को सुरक्षित और स्वीकृत महसूस कराने के लिए सकारात्मक कक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।
    व्यक्तिगत और सामाजिक क्षमता विद्यार्थियों को आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति बनने में सहायता करती है, ताकि विद्यार्थी भविष्य में उचित निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
    शिक्षक बच्चों को प्रोत्साहित कर और शाला/कक्षा में स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

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  17. शिक्षक अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अति आवश्यक है क्योंकि व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है। शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व का स्थापित किया जा सकता है, सामाजिक गुणों के बिना मनुष्य का समग्र विकास सही दिशा में नहीं हो सकता।

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  18. शिक्षक अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अति आवश्यक है क्योंकि व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है। शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व का स्थापित किया जा सकता है, सामाजिक गुणों के बिना मनुष्य का समग्र विकास सही दिशा में नहीं हो सकता।

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  19. Pratidin ki dincharya me vyaktigat samajik gunn aham bhumika nibhaate hai. Baccho or shikshako ke bich me samanjasya sthapit karte hai or shikshako ke bhay se dur rehte hai .

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  20. हमारी दैनिक दिनचर्या में व्यकितगतएवं सामाजिक गुणोका बहुत ही महत्व पूर्ण भूमिका रहती है क्योंकि हमारे गुणही हमे सिखाते है कि हम कैसे व्यवहार करे यह हमें असधिगम में अत्यंत आवश्यक है शिक्षक हमारे गुणों को बढ़ाने में अत्यं ही आवश्यक भूमिका निभाते है

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  21. निश्चित रूप से ,हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है यह शिक्षक -छात्र के विचार ,मनोभाव आत्मीयता बढ़ाने के लिए संपर्क सेतु है।

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  22. शिक्षक एवं शिक्षार्थी दोनों के लिए प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का होना आवश्यक है। या शिक्षक एवं छात्र की आत्मीयता विश्वास एवं पारस्परिक संबंध को समझने में मदद करता है।

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  23. हर दिन हम अपनी दैनिक दिनचर्या से व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास करते है, किसी ना किसी रूप में।

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  24. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत और सामाजिक द्वारा ही गुणों का निर्माण होता है जब बच्चे कक्षा में आते हैं तो भावनात्मक रूप से तो भावनात्मक रूप से उनमें पूर्व ज्ञान का अनुभव होता है इन तथ्यों के माध्यम से हम बच्चों को सकारात्मक भाव पैदा करते हैं जिससे उनमें एक नई ऊर्जा पैदा होती है जो बच्चों सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है और बच्चे अपने को सुरक्षित महसूस करने लगते हैं और इन सब बातों को अपनी दिनचर्या में लाते हैं जिससे बच्चों ने नकारात्मक भाव पैदा नहीं होता और व्यक्तिगत रूचि तथा भावनाओं का विकास होने लगता है यह सब बातें व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के विकास में योगदान करते हैं जिससे बच्चे उचित निर्णय लेने में सक्षम हो जाते हैं फिर बच्चों में उत्साह जनक परिणाम देखने को मिलते हैं

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  25. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है। शिक्षक अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अति आवश्यक है क्योंकि व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है।

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  26. Teacher ki bhumika bahut hi aham h kyuki vo student me samajik guno koviksit karne ka karya karta hai jis se bacche school aur apne niji jivan me safal ho

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  27. bachcho ko apni samajik or vyktigat vikas ke liye jaruri ha apni man ki bato ko vykt karne me sakchham hona

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  28. व्यक्तिगत विकास के लिए समय निकालना व्यस्त विद्यालय प्रमुखों के लिए चुनौती है। इसलिए यह इकाई आपके कार्यक्रम में जगह बनाने में आपको सक्षम करने के लिए दो महत्वपूर्ण मुख्य कौशलों पर ध्यान केंद्रित करती है: समय का प्रबंधन और प्रतिनिधित्व फिर यह इस बात की खोजबीन करेगी कि आपकी हरकतों को उद्देश्यपूर्ण (एक व्यक्तिगत विकास योजना के उपयोग से) और प्रभावी (SMART उद्देश्यों के उपयोग से) बनाते हुए व्यक्तिगत विकास के लिए निकाले गए आपके समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए।

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  29. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का महत्वपूर्ण स्थान है।शिक्षक के माध्यम से विद्यार्थियों में इन गुणों को स्थापित किया जा सकता है जिससे उनमे अपने आसपास के लोगों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आता है।साथ ही समाज के प्रति सकारात्मक गुणों का विकास होता है।

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  30. व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यक्ति को समाज मे व्यवहारिक बनाते है जो एक दूसरे को जोड़ता है। साथ ही यह अधिगम के रूप में भी सहायक है क्योंकि यह शिक्षक और छात्रों के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है।यह बिल्कुल सही है शिक्षक छात्रों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते है क्योंकि हम एक समाज मे रहते है और शिक्षक छात्रों को समाज मे रहने व सीखने की कला को विकसित करने में सहायक होते है।

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  31. शिक्षक अधिगम मे मनुष्य को निश्चित आचरण व्यवहारिक सामाजिक ग्यान की खोज मे छात्रो को सीखने मे सहायक होती है।

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  32. हमारे दैनिक जीवन में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का विकास होता रहता है शाला में बच्चों की पारिवारिक जीवन एवं सामाजिक जीवन को ध्यान में रखकर उनके गुणों का विकास करते हैं। जिससे बच्चे खुल कर हमारे साथ देते तथा उनमें उत्साह और जिज्ञासा देखने को मिलता है और वे सीखने को उत्सुक रहते हैं।

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  33. हमारी प्रतिदिन के दिनचर्या में व्यक्तिगत समाजिक गुणों का महत्वपूर्ण भुमिका है,सामजिक गुण अधिगम में सहायक है,शिक्षक इस गुण को बढाने में सहयोग प्रदान करता है,सामजिक गुणों के बिना मनुष्यों का समग्र विकास नहीं हो सकता है ।

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  34. शिक्षक अधिगम मे बच्चों की सामाजिक गुण ,व्यवहार, आचरण,ग्यान ये सभी जीवन के लिए आवश्यक है ।

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  35. हमारी दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की भूमिका अधिगम के रु सहायक है, क्योकि हम दिनभर जो करते है उन्हें बच्चे देखकर समझकर करने की कोशिश करते है और सीखते है, उसमे और नयापन लाते है। हमारे क्रियाकलापों का अनुसरण करते है।

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  36. व्यक्तिगत सोचने समझने का तरीका अलग है।व्यक्तिगत विकास के लिए बच्चो को प्रेरित करना जरूरी है।छात्र यदि अपना विचार प्राकृतिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक या अन्य प्रकार से व्यक्त करते है,तो हम उनके विचारो को समझकर उसे दिशा निर्देश कर सकते है,प्रोत्साहित कर सकते है।इस तरह शिक्षक व छात्र के बीच सामंजस्य बनेगा।

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  37. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।वह समाज मे रहकर ही समाज और देश को आगे बढाता है।

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  38. व्यक्तिगत व सामाजिक गुण हर पल हमारे जीवन की गतिविधियों को संचालित करता है | यह अपने पूर्व अनुभवों के साथ वर्तमान स्थिति के साथ मिश्रित होकर तात्कालिक निर्णयों के लिए प्रोत्साहित करती है |
    निस्संदेह यह अधिगम का महत्वपूर्ण हिस्सा है |
    विद्यार्थी जीवन इन्हीं गुणों के पोषक के रूप में स्कूली अपेक्षा से जुड़ता है, शिक्षक ही वो बड़ी कड़ी है जो उनके अंतर्निहित प्रतिभाओं को बाह्य आकार प्रदान करने में मुख्य भूमिका निभाता है |

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  39. शिक्षक अधिगम मे बच्चों की सामाजिक गुण ,व्यवहार, आचरण,ग्यान ये सभी जीवन के लिए आवश्यक है ।

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  40. शिक्षक अधिगम मे बच्चों की सामाजिक गुण ,व्यवहार, आचरण,ग्यान ये सभी जीवन के लिए आवश्यक है ।

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  41. शिक्षक अधिगम मे मनुष्य को निश्चित आचरण, व्यवहारिक, सामाजिक ग्यान की खोज में छात्रों को सीखने मे सहायक होती है ।

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  42. जब विद्यार्थी समूहों में काम करते है तो उनकी पृष्ठभूमि और अद्वितीय अनुभव वयक्तिगत विशेषताओं , रुचि और छमताओ के साथ अपने वयक्तिगत- सामाजिक गुडो के विकास में योगदान करती है।

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  43. शिक्षक अधिगम मे बच्चों के व्यवहार, आचरण सामाजिक गुण सभी जीवन के लिए आवश्यक है।

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  44. व्यक्तिगत- सामाजिक गुण हमारे जीवन निर्वाह का अभिन्न अंग है तथा शिक्षक, शिक्षण अधिगम में छात्रों को व्यक्तिगत- सामाजिक गुणों को सिखाकर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं।

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  45. शिक्षक का मुस्कान और मृदुभाषी होने से बच्चों की कार्यक्षमता बढ़ती है। बच्चे बेझिझक होकर सवाल जवाब करने लगते हैं।

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  46. Pratidin ki dincharya me vayaktigat samajik guno ki mahatvpuran bhumika h, yah gun chhatron ko adarsh charitra nirman me sahayak hote h , yah adhigam me b sahayak h kyoki sakaratmak bhawnay chhatron ko ache pradarshan k liye prerit krte h , shikshak chhatron me vayaktigat samajik guno ko badhate h, ek sakaratmak watawaran me hi bacho me in guno ka vikash hota h

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  47. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण मनुष्य को मनुष्य बनाकर पशुओं से अलग करता है।

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  48. शिक्षक का स्वभाव सरल और मृदुभाषी होने से बच्चों की कार्य क्षमता बढ़ता है। बच्चें आसानी से सवाल ज़वाब करते हैैं ।

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  49. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।।

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  50. Yayktigat samajik gun hi ak insaan ki phchan banate hai to jo cheej hamari pahchan bana rhi hai uski hamare jeevan me bahoot hi important role hai aur yah learning me bahoot helpful hai, bachhe teacher ko dekh kr hi seekhte hai to teacher in guno ko develop krne me bahoot important role play krte hai

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  51. हमरी प्रतिदिन की दिनचर्या मे व्यक्तिगत समाजिक गुणो की महत्वपुर्ना भुमिका होती है । सकारात्म भवनाये ही आगे बढ्ने की प्रेरणा देती है।अधिगम का यह महत्वपुर्ण हिस्सा है । शिक्षक विद्यार्थीयो मे इन गुणो का विकास करने मे अहम भुमिका निभाते है।

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  52. Manav ek samajik prani h, hr trh se ek dusre pr nirbhar krta h , samajik guns ko apna kar hum behtar jiwan ji sakte h, ek sikshak ki bhumika kisi ke jivan me ek margdarshak ki hoti h jo hme samajikta ko samjha kar samarth banate hai

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  53. व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों का प्रतिदिन की दिनचर्या में होना अत्यंत ही लाभदायक हैं क्योंकि यह हमें सकारात्मकता प्रदान करती हैं। हमारे विद्यार्थियों में इन गुणों का विकास बहुत ही आवश्यक है, यही वे गुण है जो बच्चों को शिक्षण अधिगम में समस्याओं का हल ढूंढने , ज्ञान, अच्छा आचरण,आदि योग्यताओ का विकास करता हैं। ये गुण शिक्षक और छात्र के मध्य सेतु का काम करता हैं। इन गुणों की सहायता से हम विद्यार्थियों को एक जिम्मेदार सामाजिक नागरिक बनाता हैं।एक शिक्षक में इन गुणों का होना आवश्यक है क्योंकि शिक्षक ही छात्र के हीरो होते हैं वे इन्ही का अनुसरण करते हैं।

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  54. Adhigam star ko sahajta se ooper uthana hi shikshak ka dayitva hai.vyaktigat samajik guno ko badhakar nischit adhigam star ko prapt kiya ja sakta hai

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  55. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण के द्वारा एक व्यक्ति सामाजिक मानव के रूप में तैयार होता है तथा उसमें उच्च आदर्श स्थापित होते हैं । हमारी प्रतिदिन को दिनचर्या में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  56. शिक्षण अधिगम मे समाहित सभी गुण छात्रो के लिये जरूरी है हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या अच्छे गुणों का समावेश होना चाहिये।

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  57. व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमारे व्यक्तित्व का परिचायक होता है अतः शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है और शिक्षक की भूमिका निश्चित रूप से इस कार्य में सहायक होती है

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  58. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुणों की बहुत ज्यादा भूमिका है क्योंकि हम वही कार्य करते हैं जिस पर हम विश्वास करते हैं जो सोचते हैंकोई भी कार्य उसी तरह संपन्न होता है जिस तरह की हमारी भावनाएं होती हैं।सामाजिक गुण अधिगम में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि कोई भी विद्यार्थी शाला में भावनाओं के साथ प्रवेश करता है अगर भावनाएं सकारात्मक है तो उसका अधिगम उचित दिशा में जाता है और अगर नकारात्मक हो जाता है तो उसके अधिगम में रुकावट आने लगती हैं।शिक्षक अपने शिक्षण और विद्यालय में सकारात्मक परिवेश बनाकर अधिगम में सहायता प्रदान कर सकता है।

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  59. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में सामाजिक गुणों की बहुत ज्यादा भूमिका है क्योंकि हम वही कार्य करते हैं जिस पर हम विश्वास करते हैं जो सोचते हैंकोई भी कार्य उसी तरह संपन्न होता है जिस तरह की हमारी भावनाएं होती हैं।सामाजिक गुण अधिगम में भी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि कोई भी विद्यार्थी शाला में भावनाओं के साथ प्रवेश करता है अगर भावनाएं सकारात्मक है तो उसका अधिगम उचित दिशा में जाता है और अगर नकारात्मक हो जाता है तो उसके अधिगम में रुकावट आने लगती हैं।शिक्षक अपने शिक्षण और विद्यालय में सकारात्मक परिवेश बनाकर अधिगम में सहायता प्रदान कर सकता है।

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  60. Shikshak vyaktigat Samajik guno ke Vikas mein Mahiti Bhumika nibhate hain.Apne swim ke vyavahar Jaise vinamrata Sahyog anushasan prabhavi AVN spasht abhivyakti kshamta Logon ke sath Madhur AVN Sahyog atmak sambandh Bado ko Samman dena aur choto ko Pyar aur uske star per rahakar vyavhar karna tasha apne vish me acchi pakad aur apnepan vala vatavarn taiyar kar prabhavi shikshan ke madamji se vah vidyarthiyon me pratyaksh aur paroksha rup se unme in guno ka vilas kar saktehai sath hi unka adhigam level avum atmviswas bhi badhai hai

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  61. व्यक्ति का सामाजिक गुणों को समझना एक सहज अधिक व्यावहारिक रूप से ओतप्रोत है जिसके अंतर्गत हम समाज की गतिविधि अपनी व्यक्तिगत निजी जानकारी या सीखने सिखाने की प्रक्रिया के अंतर्गत समाज में ऐसी अवधारणा स्पष्ट होता है जिससे हम अपनी व्यक्तिगत कार्यों को समाज से प्रेरित होकर नई दिशा में करने की आवश्यकता होती हैऔर अधिगम को बढ़ाने में बहुत ही सहायक होती है क्योंकि एक सीखने की प्रक्रिया समाज से ही शुरू होता है और है यह व्यक्तिगत भूमिका निभाने में भी सहायक होती क्योंकि जिस समाज में रहते है वहां एक समाजिक व्यावहारिक ज्ञान की खोज और सीखने की कला की विकसित करने सहायक होती है
    व्यक्तिगत सामाजिक गुण हमारे व्यक्तित्व का परिचायक होता है अतः शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है और शिक्षक की भूमिका निश्चित रूप से इस कार्य में सहायक होती है

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  62. व्यक्ति में सामाजिक गुण की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है।शिक्षक इन्ही गुणों के द्वारा बच्चों में सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाने की दिशा में कार्य करते हैं।

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  63. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हां यह अधिगम में सहायक है। शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे उनका व्यवहार, उनके गुण आदि।

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  64. hmare prtidin k dincharya me tatha school me hmare vyaktigat tatha samajik gud hi jo hmare or anya logo or hmare student k bich setu k karya karte h shiksha adhigam me hmara yahi gud chhatro ko sikhne or samajik bnne me sahayata kr skta h vyaktigat samajik gud hmare vyaktigat ki parchhai hoti h jo anya logo k hmare prati chhavi nirdharit karti h or chhotro ko hmse judne or sikhne me sahayak hoti h

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  65. हमारा व्यक्तिगत गुण ही हमारे व्यवहार को प्रदर्शित करता है हम जिस समाज में रहते हैं उनके मूल्यों को समझने के लिए सामाजिक गुण को स्वीकार कर अच्छे विचारों को आदान-प्रदान कर आगे बढ़ना चाहिए।

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  66. व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यक्ति को समाज में रहने लायक और समाज के गतिविधियों में भाग लेने लायक बनाते हैं हम जब व्यक्तिगत सामाजिक गुण के तहत अपना विकास करते हैं तो हम दूसरों की भावनाओं को समझने के काबिल बनते हैं जिससे हमें यह ज्ञात होता है कि हम और हमारे आसपास रहने वाले लोगों के भावनाओं में क्या समानताएं एवं विनीत आए हैं हम पाते हैं कि हमारी हर एक विचार दूसरे की विचारों के बिल्कुल समान कभी नहीं होते हां हम अपनी व्यक्तिगत विचारों और दूसरों के विचारों को सुनकर उस में सामंजस्य स्थापित कर को बेहतर ढंग से कर सकते हैं इसीलिए व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के तहत मुझे लगता है कि यह गुंजा है कि हम दूसरों को सुनने की आदत डालें केवल बोलते रहना ही जरूरी नहीं है बल्कि हमें दूसरों को सुनने के लिए भी समय देना होगा तभी हम दूसरों की बातों को सही ढंग से समझ पाएंगे इसीलिए व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अगर बच्चों के अंदर करना है तो उन्हें समाज का विकास इस प्रकार से करना होगा कि वे दूसरे की बातों को सुनने का आदत रखें एवं एवं यह सुनिश्चित करें कि उनकी भावनाएं एवं उनके विचार क्या दूसरों से भिन्न है यदि भिन्न है तो वह भिन्नता किस प्रकार और उस भिन्नता के स्तर को समझकर कार्य का संपादन करें यही समाज उसे एक बेहतर जीवन स्तर प्राप्त करने में मदद करें धन्यवाद धन्यवाद

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  67. वयक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्यों को समाज मे रहने का तौर तरीका सिखाती है।क्या अच्छा है क्या गलत है इसकी समझ बनाती है।समाज मे रहकर ही मनुष्यों आचरण सिखता है।बच्चो के शिक्षा में सामाजिक गुणों के समावेश से सामाजिक दायित्तो और वयवहार को स्थापित किया जा सकता है।

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  68. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही समाज मे हमारा स्थान बनाते हैं। जिससे बच्चे सीखते हैं।

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  69. हमारा व्यक्तिगत गुण ही हमारे व्यवहार को प्रदर्शित करता है हम जिस समाज में रहते हैं उनके मूल्यों को समझने के लिए सामाजिक गुण को स्वीकार कर अच्छे विचारों को आदान-प्रदान कर आगे बढ़ना चाहिए।

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  70. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के माध्यम से छात्रों के मनोभावों को समझने उनके साथ समन्वय स्थापित करने,उनके समझ को विस्तार देने में सहायक है।इससे बच्चों में शिक्षक के प्रति स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायता करती है।

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  71. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से ही कोई भी बच्चा , आम नागरिक या शिक्षक अपने नैतिक दायित्वों का निर्वहन करता है। इन गुणों के ही कारण वह मानव होने के भाव को सफल और चरितार्थ कर पाता है। दिन प्रतिदिन वह स्वयं भी अच्छे कर्म करता है व दूसरों को प्रेरित करता है।
    हां, यह अधिगम में निश्चित ही सहायक है, एक दूसरे से सीखने -सिखाने की भावना का विकास होता है।
    शिक्षक इन गुणों के विकास में मुख्य रूप से भागीदार बनता है। अपने इन्हीं गुणों को व्यवहार में अपनाने से वह विद्यार्थियों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का प्रेषण व पोषण करते हैं, जिससे नैतिक व चारित्रिक मूल्यों का विकास सम्भव है।

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  72. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या मे व्यक्तिगत -सामाजिक गुणों की अहम भूमिका रही है । हमारे बात व्यवहार एवं बर्ताव का काफी असर उनके जीवन में डालता है। वह प्रतिदिन अपने कौशल एवं सामाजिक गुणों का विकास करता है। शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक सामाजिक गुणों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं ।उनका रहन-सहन ,बच्चों एवं अन्य शिक्षकों के प्रति व्यवहार उनके क्रियाकलाप का असर बच्चों पर बहुत प्रभाव डालते हैं। उनका अनुसरण कर आगे बढ़ने की प्रेरणा लेते हैं।

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    1. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही हम सबको इस समाज में क्या ,कैसे, कब,कहाँ व्यवहार करना है, यह सिखाते हैं। व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही मानव को मानव समझना सिखाते हैं। प्रेम, सद्भाव, सहयोग दयाभाव, पर्यावरण की रक्षा जैसे भावों का विकास भी इन्हीं गुणों का सकारात्मक प्रभाव- परिणाम है।
      ये हमारे अधिगम की रीढ़ है। शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य परस्पर समझ भावना आएगी तब शिक्षक विद्यर्थियों में वही शिक्षा प्रेषित कर पाएंगे जो वो चाहते हैं ठीक इसी तरह छात्रगण भी शिक्षक के द्वारा दिये जा रहे विषयगत शैक्षणिक व नैतिक विषयवस्तु को ग्रहण करेंगे।
      शिक्षक ही इन गुणों का मूल संवाहक है । एक अच्छा शिक्षक जिसमें व्यक्तिगत व सामाजिक गुण भरे हों वही समाज के हर व्यक्ति चाहे विद्यालय , ग्राम व अन्य स्थानों पर अपने व्यवहार के बल पर इन गुणों का प्रसार व विकास कर सकता है।

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  73. जब एक शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से परिपूर्ण होगा तभी अपने शहकर्मी एवं विद्यार्थियों में अपने आचरण से संप्रेषित कर सकेगा।विद्यार्थी अनुकरण से गुणों को आत्मसात करने के लिये प्रेरित होगा।

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  74. हमारे दैनिक दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का प्रभाव न सिर्फ हम पर बल्कि हमसे जुड़े अन्य लोगों पर भी पड़ता है। हम दैनिक जीवन में जिस तरह प्रतिक्रिया करते हैं, समस्याओं का निदान करते हैं, व दैनिक क्रिया व्यापार करते हैं, वह अन्य के लिए उदाहरण भी बन सकता है। एक शिक्षक के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि विद्यार्थी अपने शिक्षक का अनुकरण करते हैं एवं उसके प्रत्येक कार्य व व्यवहार से सीखते हैं।

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  75. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का प्रतिदिन की दिनचर्या में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि यही गुण हमारे व छात्रों के जीवन का आधार बनते है। इन्ही गुणों के विकास के साथ ही छात्रों में ज्ञान, कौशलों, जीवन की समस्याओं का हल ढूंढने आदि का निरंतर विकास होता रहता है। शिक्षक में इन गुणों का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि इन्ही से वह अपने विद्यार्थियों से मित्रवत व्यवहार स्थापित करता है व उन्हें पारंगत बनाता हैं।

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  76. शिक्षक का व्यक्तित्व हर छात्र छात्राओं के लिए अनुकरणीय होता है उन्हें वे अपने आदर्श के रूप में देखते हैं । यदि शिक्षक गुणों के भंडार हैं तो निश्चित तौर पर विद्यार्थियों के अंदर भी इन गुणों का आना तय है।यह कहना समीचीन होगा की शिक्षक के व्यक्तिगत सामाजिक गुण का हस्तांतरण पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों में अवश्य होता है।
    डॉक्टर सरिता साहू शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला धौराभाठा विकासखंड पाटन जिला दुर्ग

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  77. सामाजिक गुणों का होना आवश्यक हैं क्योंकि इसके बिना किसी मनुष्य का समग्र विकास सही दिशा में नहीं हो सकता।

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  78. व्यक्ति गत एवम् सामाजिक गुण, किसी व्यक्ति और राष्ट्र के उचित एवम् समग्र विकास के लिए आवश्यक है। अतः बच्चो में उन गुणों को जानना और उनका विकास, एक बेहतर नागरिक बनने की नींव है।

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  79. व्यक्ति के आचार- विचार व्यवहार, क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है इसीलिए अगर शिक्षक का व्यक्तित्व उत्तम है तो वह श्रेष्ठ समाज का निर्माण करने में सहायक हो सकता है तथा बच्चों के व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।

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  80. व्यक्ति का व्यवहार ही महत्वपूर्ण है। यदि शिक्षक अपने कार्य कुशलता से बच्चों के साथ अच्छे सामाजिक गुणों का साझा करता है, तो निश्चय ही उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा। जिससे श्रेष्ठ समाज निर्माण करने में सहायक होगा। इससे बच्चों में सामाजिक गुणों का विकास होगा।

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  81. Vyaktigat samajik gun adhigam me sahaayak hai. Vidyarthi ki vyaktigat samajik gun badhane me sikshak ki mahatvapurn bhumika hai

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  82. शिक्षक अपनी व्यक्तिगत व्यवहार, सामाजिक गुण, कार्य कुशलता से विद्यार्थियों में भी व्यक्ति गत , सामाजिक गुण निहित कर सकता है

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  83. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रभाव डालते हैं। ये गुण सकारात्मक या नकारात्मक दोनों प्रकार के हो सकते हैं, जो हम छात्रों में भी देखते हैं। यदि ये गुण सकारात्मक हों तो जीवन में अच्छा प्रदर्शन करने व सफलता पाने में सहायक होते हैं। निश्चित ही ये छात्रों के अधिगम को भी प्रभावित करते हैं तथा कक्षा में भी भिन्नता का कारण बनते हैं। जाहिर है जब बच्चा सामाजिक परिदृश्य से दुखी होगा तो उसका मन भी सीखने में नही लगेगा।
    शिक्षक व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों के विकास में सबसे अहम कड़ी साबित होते हैं। शाला में नैतिक शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, सामाजिक परिदृश्य से जुड़ी कहानियाँ इत्यादि गतिविधियाँ शिक्षकों द्वारा संचालित की जाती हैं, जो बच्चों के मनोभावों को सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर करती हैं।

    प्रदीप कुमार नागेश
    सहायक शिक्षक
    बालक आश्रम बुरुंगपाल (तोकापाल), बस्तर

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    1. बिल्कुल सही
      इसीलिए अच्छे सामाजिक ब्यक्तिगत गुणों से युक्त छात्र का अधिगम ज्यादा सकारात्मक होता है ।

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  84. सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुण होने से विद्यार्थी और शिक्षक को समझने एवं उनके गुणों का विकास करने में मदद मिलती है।

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  85. शिक्षक के व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को छात्र अनुसरण करते हैं हमारी दिनचर्या की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है|

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  86. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को समझना हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या का अहम हिस्सा होता है, क्योंकि हमारी आदतों को छात्रकर कर अपने जीवन में जोड़ते हैं अतः यह आवश्यक है।

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  87. शिक्षक अधिगम में उक्त गुणों का होना आवश्यक है। क्योंकि यही गुण शिक्षक एवं छात्रों के लिए सेतु का कार्य करता है। और बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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  88. व्यक्तिगत सामजिक गुणों का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
    शिक्षण अधिगम में यह बहुत उपयोगी है क्योंकि इससे शिक्षक और छात्र के बीच उचित सामंजस्य बनता है। छात्र निडर होकर शाला और शिक्षक से जुड़ते हैं। बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए वयक्तिगत समाजिक गुणों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है।

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  89. शिक्षकगणों और विद्यालयी परिवेश से संबद्ध अन्य व्यक्तियों के व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों का सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकास संवर्धन हेतु ही विद्यालयी वातावरण विकसित किया जाता है ताकि बच्चे समाज से भली भाँति अंतःक्रिया करने में सक्षम हों।समाज के रीति रिवाजों से अवगत हों।ग़लत सही में भेद कर सकें।आत्मविश्वासी बने।इसके बाद समाज परिवार मित्र आदि के व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से बच्चे प्रभावित होते हैं उन्हें भी आत्मसात करने की कोशिश करते हैं।बच्चे के व्यक्तित्त्व पर उसके संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति कुछ न कुछ छाप छोड़ता है।विद्यालय स्तर से यह अपेक्षा होती है कि बच्चे को सही और गलत में भेद करते हुए अच्छे गुणों को आत्मसात करने पर बल दें।

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  90. किसी भी शिक्षक के लिए व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का होना नितांत आवश्यक है इन गुणों की वजह से ही हम बच्चों के या छात्राओं के मनोभाव को समझते हैं तथा उनकी सोच को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं तथा इन कौशलों के विकास से बच्चे अपने जीवन के विषम परिस्थितियों में भी सही निर्णय ले पाने में सक्षम होते हैं।

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  91. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में सकारात्मक भावनाएं जैसे खुशी ,उत्साह आदि महत्वपूर्ण सामाजिक गुणों को बढ़ाती है। नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, उदासी, अपराध, असुरक्षा, उपहास आदि सामाजिक गुणों के बाधक हैं।
    शिक्षक बच्चों में सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाकर अधिगम में सहायक बना सकते हैं, जिससे अधिगम सरल बनता है।

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  92. It plays an important role asin our daily life so many activities are based on it only .it shows not only our personality but also inspiration to many others for so many activities.
    Ofcourse it helps in learning too.
    It creates an healthy atmosphere in any aspect and helps in complete personalty /sarvangini vikhas of a person

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  93. व्यक्तिगत व सामाजिक गुण हर पल हमारे जीवन की गतिविधियों को संचालित करता है, व्यक्तिगत विकास के लिए बच्चो को प्रेरित करना जरूरी है। छात्र यदि अपना विचार प्राकृतिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक या अन्य प्रकार से व्यक्त करते है,तो हम उनके विचारो को समझकर उसे दिशा निर्देश कर सकते है, प्रोत्साहित कर सकते है। जो बच्चों में शिक्षण अधिगम में समस्याओं का हल ढूंढने , ज्ञान, अच्छा आचरण,आदि योग्यताओ का विकास करता हैं।

    भवदीय
    अजय कुमार श्रीवास
    शिक्षक (एलबी) विज्ञान
    शा0पू0मा0वि0 भदरापारा,
    बालको नगर कोरबा (छत्‍तीसगढ़)

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  94. Shikshak aur baccho Ko jod kar rakhne ke liye samajik gun ati awashyak h jis se aapsi talmel badhta h

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  95. Shikshak aur baccho ko jodkar rakhne ke liye samajik gun ati awashyak hai is se apsi talmel badhta h

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  96. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या वास्तव में हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अभिव्यक्ति होती है। हम अपने सामाजिक व्यक्तिगत गुणों का जिस तरह से विकास करते हैं दैनिक जीवन के क्रियाकलाप उसके अनुरूप प्रभावित होते है ।ये गुण हमारे दिनचर्या को सरल बनाते हैं ।
    ये गुण सीखने और अधिगम की प्रक्रिया में सहायक होते है । शिक्षक इन ब्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बच्चों में विकसित होने में सहायता करते हैं जिससे अधिगम आसान और तीव्र होने लगते ।
    शिक्षक - व्यक्तिगत और सामाजिक गुण - अधिगम एक दूसरे से जुड़े हुए कड़ी हैं।

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  97. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  98. ब्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का असर अधिगम में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं इसलिए शिक्षक के तौर पर हमारी जवाबदेही ज्यादा होती है कि शिक्षक और छात्रों में सकारात्मक गुणों का विकास हो

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  99. व्यक्तिगत सामजिक गुणों का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
    शिक्षण अधिगम में यह बहुत उपयोगी है क्योंकि इससे शिक्षक और छात्र के बीच उचित सामंजस्य बनता है। छात्र निडर होकर शाला और शिक्षक से जुड़ते हैं। बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए वयक्तिगत समाजिक गुणों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है।

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  100. Pratidin ki dincharya hamare vayktigat guno ki abhivakti hoti hai

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  101. Pratidin vaiktigat-samajik dincharya m guno ki bhoomika mahatwapurn h..
    Ha ye adhigam m sahayak h
    Ha shikshak ek margdarshak hota h Jo bachcho m guno ki abhivyakti karta h

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  102. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  103. Shikshak bachcho k vaiktigat-samajik guno ka margdarshak hota h

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  104. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  105. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  106. शिक्षक अधिगम में उक्त गुणों का होना आवश्यक है।क्योकि यही गुण शिक्षक और छात्रों में एक सेतु का कार्य करता है। सीखने की प्रक्रिया समाज से ही शुरू होता है।

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  107. शिक्षक में उक्त गुणो का होना जरूरी है।

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  108. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  109. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के विकास करने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  110. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों से शिक्षक और छात्र के बिच दूरी कम करता है और सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

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  111. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुण होने से छात्र सहजता से सीखते है भय दूर होता है और शिक्षण अधिगम आसान होता है।

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  112. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुण होना ,अत्यंत आवश्यक है,इसका खासा असर विद्यालय एवम उसके परिवेश में पड़ता है,जो सकारात्मक पहलुओं को जन्म देने का काम करता है।।साथ ही बच्चो को काफी प्रभावकारी महसूस होता है ।।।

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  113. व्यक्तिगत सामाजिक गुण विद्यालय को विकसित करने में सहयोग प्रदान करती है और विद्यार्थियों में कौशलों को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा मार्गदर्शन प्रदान करने में भी सहायक होती है और यह विद्यार्थियों में आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मदद करती है

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  114. व्यक्तिगत सामाजिक गुण किसी व्यक्ति की चरित्र के साथ-साथ उसकी सोंच, समझ और मानवीय व्यवहार को भी प्रदर्शित करता है।

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  115. व्यक्तिगत सामाजिक गुण शिक्षक और छात्र के बीच सामंजस्य स्थापित करने का गुण है इसकी सहायता से शिक्षक छात्रों को बेहतर समझ सकते हैं एवं छात्र आपसी सामंजस्य से अपने साथियों के साथ आगे बढ़ सकते हैं

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  116. व्यक्तिगत- सामाजिक गुण हमारे व बच्चों के दैनिक जीवन में महत्व पूर्ण है जो बच्चों के व हमारे जीवन मूल्यों के विकास के लिए जरूरी है

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  117. शिक्षक अधिगम में इन गुणों का होना आवश्यक है इसके द्वारा छात्रों के व्यक्तित्व का विकास होता है और यही गुण जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती है।

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  118. Vyaktigat samajik gun ka hamaare jawan me bahut hi mahatma hai. In guno ka upyog ham pratidin karte hai, school me bhi bachcho ko vyaktigat samajik guno ka vikash aavashyak hai taki we apne, apne pariwar, samaj ko sahi disha de sake

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  119. शिक्षण अधिगम मे व्यक्तिगत सामाजिक गुण अत्यंत आवश्यक है इससे विद्यार्थियों का व्यक्तित्व का विकास होता है और आगे निर्णय लेने मे सुविधा होती है

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  120. व्यक्तिगत- सामाजिक गुण शिक्षक व छात्र दोनो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।क्योंंकि इन्ही गुणों से ही जीवन मूल्यों का विकास सम्भव होता है।इसकी महत्ता को सभी को स्वीकार करना है।

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  121. school is preparation of society where children think, feel, and act about their future , so a teacher must work for the good future of a student in many ways and action to make a human a social being .

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  122. व्यक्तिगत और सामाजिक क्षमता छात्रों को अनुशासन एवं आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति बनने में सहायता करते हैं।

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  123. हमारी प्रति दिन की दिनचर्या हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में मदद करती है साथ ही हमारी व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से बच्चों मेसीखने के स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं।

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  124. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों से शिक्षक और छात्र के बीच दूरी कम करता है और सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

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  125. हमारी दिनचर्या में कई व्यक्तिगत कार्य एवं सामाजिक कार्य निहित होते है।जैसे किसी की सहायता करना सामाजिक बैठक आदि। उसी प्रकार विद्यार्थियों के लिए भी यह कार्य अधिगम के रूप में कार्य करती है।

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  126. मनुष्य व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से समाज मे जुड़ा रहता है अधिगम में इन गुणों का होना अति आवश्यक है

    शिक्षक व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बढ़ा कर बच्चो में सामाजिकता संवेदनशीलता तथा भाईचारा सीखा सकता है ।

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  127. अधिगम में सामाजिक व व्यक्तिगत गुण एक नींव के इट बुनियाद का काम करती है इन्ही गुणों के आधार पर छात्र सीखने की ओर कदम रखते हैं । शिक्षक इन सामाजिक गुणों के विकास हेतु निरन्तर कार्यरत हैं ताकि समाज देश को एक आदर्श नागरिक दे सके । एक अच्छा नागरिक एक आदर्श समाज व राष्ट्र का निर्माण करता है ।

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  128. हमारे दैनिक दिनचर्या में हमारे व्यक्तिगत सामाजिक गुण होना अत्यंत आवश्यक है।तभी हम बच्चों को और अपने सहकर्मियों के साथ समस्याओं का निदान कर पाएंगे।

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  129. , हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की वही भूमिका है जो जीवन में संस्कृति की होती है। एवं शिक्षण अधिगम में यह बहुत आवश्यक है।

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  130. व्यक्तिगत सामाजिक गुण की भूमिका जितना महत्वपूर्ण परिवार ,समाज के लिए है उतना ही महत्वपूर्ण शिक्षण अधिगम के लिए भी महत्वपूर्ण है इससे बच्चे और शिक्षक एक दूसरे से अच्छे से जुड़ पाते हैं औऱ अध्यापन का कार्य सरल, सहज औऱ रुचिपूर्ण हो जाता है। ...धन्यवाद।

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  131. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को देखा जा सकता है जो समय-समय पर परिस्थितियों के आधार पर प्रकट होते रहते हैं सकारात्मक गुण शिक्षण अधिगम में सहायक होते हैं शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं ताकि विद्याथिर्यों का समग्र विकास हो सके।शिक्षक विद्यालय में अनुकूल वातावरण तैयार कर विद्याथिर्यों में गुणों को विकसित कर जीवन के हर क्षेत्र में सही निर्णय लेने हेतु प्रेरित करते हैं।

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  132. शिक्षक का व्‍यक्तित्‍व समाज के आचरण के रूप में दृष्टिगोचर होता है।

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  133. हम प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-
    सामाजिक गुणों से एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। यह अधिगम में सहायक है। छात्र शिक्षकों के संपर्क में सामाजिक गुणों को प्राप्त करते हैं

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  134. शिक्षक में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की समझ का होना अति आवश्यक है।उक्त गुण के कारण ही शिक्षक विद्यालय में छात्रों की भावनाओं को समझकर उसके अनुरूप ही अपने शिक्षण विधियों को प्रयोग में लायेगा।

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  135. व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है और हर एक व्यक्ति में यह गुण होना ही चाहिए शिक्षकों के लिए यह बहुत जरूरी है इसे हम बच्चों को समाज से जुड़ने समाज की सेवा करने कि शिक्षा अच्छे से दे सकते हैं बच्चे अपने माता-पिता के साथ-साथ शिक्षक के व्यवहार से भी बहुत कुछ सीखते हैं सामाजिक होना हमारे लिए और समाज के लिए बहुत ही लाभदायक होता है इससे अब बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं

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  136. ब्यक्तितव को निखारने में हमारी दैनिक दिनचर्या की अहम भूमिका है इससे छात्रों को मार्गदर्शन देने मे सहायता मिलती है

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  137. ब्यक्तित्व को निखारने में हमारी दैनिक दिनचर्या की अहम भूमिका है इससे छात्रों को मार्गदर्शन देने में सहायता मिलती है

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  138. Vyakti ek samajik paradi hai yahi samajik gud hii hame ek dushre se jodta hai our apni bhavnao ko ek dushre ke sath prakat karne ke liye prerit karta hai yahi gud bachche our shikchhak ko apsi samjh bhi viksit karta hai ye bachche our shikchhak ko apsh me jodta hai jisse bachche ka pudan rup se vikash ho sake

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  139. व्यक्तिगत-सामाजिक गुण का होना आवश्यक है, इसे अधिगम के रूप में शिक्षण के दौरान उपयोग करना ही चाहिए,जिससे बच्चे का सर्वांगिण विकास हो।

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  140. व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है।शिक्षक अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अति आवश्यक है

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  141. व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है।शिक्षक अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अति आवश्यक है

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  142. शिक्षक में व्यक्तिगत सामाजिक गुण होना आवश्यक हैं ताकि शिक्षक, बच्चो को समाज मे रह कर नैतिक आचरण करने की लिए प्रेरित कर सके, सम्प्रेषण कौसल का विकास हो सके,कक्षा में सीखने के लिए प्रेरित कर सके।

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  143. बच्चे शिक्षक का अनुसरण करते हैं

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  144. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण बच्चों के अधिगम स्तर को बढ़ाने में आवश्यक है।

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  145. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही है जो मनुष्य को सामाजिक तौर पर एक समाज मे रह कर एक निश्चित आचरण हेतु प्रेरित व उपयुक्त समय पर बाध्य करती है।
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  146. व्यक्तिगत गुण ही शिक्षक एवं छात्रों के मध्य समावेशन हेतु सेतु का कार्य करती है।

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  147. व्यक्तिगत सामाजिक गुण अधिगम में सहायक है साथ ही यह महत्वपूर्ण भी है शिक्षक छात्र दोनों के लिए क्योंकि यह एक सेतु का कार्य करता है समावेशन हेतु और जैसे कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तो सामाजिक गुणों के बिना मनुष्य का समग्र विकास नहीं हो सकता उक्त गुणों के कारण ही शिक्षक छात्रों को अच्छी तरह समझ कर उनकी स्तर के अनुरूप भली-भांति प्रकार से मार्गदर्शन कर सकते हैं

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  148. प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुण ही है जो एक व्यक्ति का आईना होता है और इन्ही गुणों के द्वारा वह अपने समाज और देश का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक दिशा प्रदान करता है और यह प्रदर्शित करता है कि उसका समाज कैसा होना चाहिए ।
    इन्ही गुणों के द्वारा वह अधिगम करता है और उसके अधिगम की रूपरेखा कैसी होगी इसका पता चलता है वह क्या सीखेगा और क्या नही यह उसके व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से ही निर्धारित होता है
    शिक्षक ही वो कड़ी है जो सामाजिक गुणों की वृद्धि को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है उसके बिना यह सम्भव नहीं हो सकता है।
    नाम-खुशहाली सोनी/KHUSHAHALI SONI
    कर्मचारी कोड-19200440571
    स्कूल-p/s DHABADIH
    संकुल-रसेड़ा
    बलौदाबाजार

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    1. जी हाँ आपने बिल्कुल ठीक कहा।👍

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  149. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है ।शिक्षण अधिगम में समाहित सभी गुण विद्यार्थियों के लिए जरुरी है ।एक शिक्षक व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

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  150. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास हमारे लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि यह गुण शिक्षक एवं छात्रों के विकास के लिए अच्छा कदम होता है जिसके लिए अधिगम स्तर सहायक होता है

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  151. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के आधार पर ही स्वच्छ समाज का वातावरण निर्भर करता है। व्यक्तिगत और सामाजिक गुण अधिगम में सहायक होता है।इन्हीं गुणों के आधार पर ही मानवीय मूल्यों का विकास संभव होता है।तथा आदर्श नागरिक बनने की दिशा तय होती है।

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  152. व्यक्तिगत सामाजिक गुण का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है।जीवन के सभी पहलुओं मे उनके अधिगम और व्यवहार को प्रभावित करता है।समाजिक प्राणी जब समुह मे कार्य करता है तो उनके समाजिक गुणों काविकास होता है।जो अपने जीवन के हर पहलू मे उचित निणर्य लेने में सक्षम बनते हैं।

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  153. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के आधार पर ही स्वच्छ समाज का वातावरण निर्भर करता है। व्यक्तिगत और सामाजिक गुण अधिगम में सहायक होता है।इन्हीं गुणों के आधार पर ही मानवीय मूल्यों का विकास संभव होता है।तथा आदर्श नागरिक बनने की दिशा तय होती है।

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  154. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के आधार पर ही स्वच्छ समाज का वातावरण निर्भर करता है। व्यक्तिगत और सामाजिक गुण अधिगम में सहायक होता है।इन्हीं गुणों के आधार पर ही मानवीय मूल्यों का विकास संभव होता है।तथा आदर्श नागरिक बनने की दिशा तय होती है।

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  155. Vaiktigat samajik goon teacher avm students ke madhya ek setu ka kaam karta hai.Isse adhigam saral ho jata hai.

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  156. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों की भूमिका हमारे उठने के साथ शुरू होती है और सोने के साथ बंद होती है दिनचर्या की शुरुआत हम अभिवादन के साथ करते है और हमारे दैनिक दिनचर्या के व्यवहार में गुण दिखलाई देती है जिसमें एक दूसरे से बातें करना ,सही आचरण करना ये सभी व्यक्तिगत - सामाजिक गुण के अन्तर्गत आते है
    2.हां व्यक्तिगत सामाजिक गुण अधिगम में किसी विषय पर काम करते समय चर्चा के साथ ,अपने दोस्तो से किसी विषय की चर्चाओं शामिल होते है
    3. हां ।

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  157. व्यतिगत सामाजिक गुणों के कारण ही हम समाज और परिवार से जुड़ पाते है ।यह गुण हर इंसान में अलग अलग होता है जो उसकी पहचान होती है।

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  158. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास होना बहुत जरूरी है जिससे छात्र समाज में उचित व्यवहार करते हुए आगे बढ़े

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  159. बच्चे अक्सर नकल करते रहते है। और हम यदि बच्चो के सामने अपने गुणों को प्रदर्शित करेंगे तो जाहिर है वो वैसे करने का प्रयास करेंगे

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  160. प्रतिदिन हम व्यक्तिगत और समाजिक गुणों के साथ सुसज्जित रहेगें तो निःसंदेह लोगोंको अपनी ओर आकर्षित करेंगें,और खुद का व्यक्तित्व मे भी निखर आयेगा,इन गुणों से मन तरोताज़ा रहेगा।
    और यह गुण अधिगम मे बहुत ही सहायक है,बच्चों मे इनसानियत का गुण आयेगा। और शिक्षक जब अध्यापन कराते है तो बच्चों में समाजिक गुण उभारने की भूमिका का भी निर्वाहन करते हैं। वे बच्चों में प्रेम ,सहयोग, दया मिलकर रहना का गुण विकसित करने का प्रयास करते हैं।

    रामकुमार तिवारी
    सहायक शिक्षक(LB)
    शा.प्रा.शा.लोरो(सन्ना)
    वि.ख.-बगीचा, जशपुर

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  161. प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है।जो शिक्षण अधिगम को निखारने के काम करता है।

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  162. "शिक्षक एक मोमबत्ती की तरह है जो स्वयं जलकर दुसरो को प्रकाश देता है।"
    ठीक इसी तरह एक शिक्षक में उच्च कोटि की व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुण परिलक्षित होने चाहिए। अर्थात शिक्षक के व्यक्तित्व का विद्यार्थियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता हैं। विद्यार्थियों के समग्र विकास में एवं उनके अधिगम प्रकिया पर शिक्षकों का व्यक्तिगत एवं सामाजिक मूल्यों ,गुणों,आदर्शो का ही अनुसरण का प्रतिबिंब दिखाई देता है।

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  163. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका होती है खासकर एक शिक्षक में व्यक्तिगत सामाजिक गुण छात्रों एवं समाज पर होता है।क्योंकि छात्रों शिक्षक से ही सामाजिक मूल्यों को सकते है।और अपने जीवन में अपनाते है।

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  164. शिक्षण अधिगम में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास अत्यंत आवश्यक है ।शिक्षण अधिगम में समाहित सभी गुण विद्यार्थियों के लिए जरुरी है ।एक शिक्षक व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
    अधिगम में उक्त गुणों के समावेशन से विद्यार्थियों में उच्च सामाजिक दायित्व व व्यवहारो को स्थापित किया जा सकता है।
    शिक्षकों द्वारा शालेय शिक्षण में सामाजिक गुणो के दायित्व पूर्ण समावेशन से ही सामाजिक मूल्यों में कसावट व उच्च आदर्श युक्त व्यक्तित्व निर्मित होते है।

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  165. कक्षा तथा विद्यालय में शिक्षक तथा विद्यार्थियों द्वारा व्यक्तिगत,सामाजिक गुणों जैसे-देखभाल, चिंता, संवेदनशीलता, स्वीकृति, परानुभूति,सहयोग आदि को अपनाना तथा प्रदर्शित करना एक अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करता है।जो अधिगम के लिए महत्वपूर्ण शर्त है।शिक्षक विद्यार्थियों को कक्षा तथा विद्यालय में उचित वातावरण प्रदान कर व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों को बढाने मे भूमिका निभाते हैं।

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  166. छात्र पहले अपने घर परिवार से सीख कर आता हैफिर वह जब स्कूल आता तो शिक्षक से सीखता है ।इसलिये एक शिक्षक में व्यक्तिगत सामाजिक गुणो की अह्म भूमिका होती है ताकि छात्र अपने जीवन मे अपना सके।

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  167. हम प्रतिदिन लोगों से मिलते है,उनके हालचाल पूछते हैं।इस प्रकार दो पक्षों में सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।इसी तरह शिक्षक भी व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।वे बच्चों के माता-पिता ,भाई-बहन,,दादा-दादी के अलावा समाज के अन्य लोगों से मिलते हैं,जिससे सामाजिक गुणों को समझने में मदद मिलती है, जो अधिगम में सहायक है।

    दिलीप कुमार वर्मा
    सहायक शिक्षक (L.B.)
    शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
    वि.ख.-पलारी
    जिला-बलौदाबाजार (c.g.)

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  168. 2, 2020 at 1:28 AM
    व्यक्तिगत सामाजिक गुण मनुष्य को समाज मे सम्मान दिलाता है । शिक्षकों में इस गुण का होना अत्यंत ही आवश्यक है, क्योंकि शिक्षक के व्यक्तित्व का अनुसरण बच्चे जाने अनजाने करते ही हैं । अपने पूरे शिक्षण काल के दौरान छात्र अनेक शिक्षकों के संपर्क में आते हैं तथा उनके व्यक्तित्व व व्यवहार से बहुत कुछ ग्रहण करते हैं जो छात्रों के व्यक्तिक सामाजिक गुण के रूप में परिलक्षित होते हैं ।

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  169. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं। यह गुण अधिगम में बहुत सहायक है।

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  170. व्यक्तिगत सामाजिक गुण शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच एक सेतु का काम करती है, यह गुण दिनचर्या मे अहम भूमिका निभाती है व विद्यार्थियों मे अधिगम हेतु नई दिशा प्रदान करती है।

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  171. Shikshan adhigam mein vyaktigat AVN Samajik gunon ka Vikas bahut hi avashyak hai Inhi gunon se Chhatra Samaj Mein Ek sammanit Jivan Jeene yogya Ban pata hai

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  172. Shikshan adhigam mein vyaktigat AVN Samajik gunon ka Vikas bahut hi avashyak hai Inhi gunon se Chhatra Samaj Mein Ek sammanit Jivan Jeene yogya Ban pata hai

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  173. शिक्षण अधिगम मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का होना अति आवश्यक है क्योंकि यही गुण शिक्षक और छात्रों के मध्य समावेशन व भावनात्मक जुड़ाव हेतु सेतु का कार्य करता है ।ये अधिगम को अपेक्षानुरुप सरल बनाता है और व्यवहार. आचरण. ग्यान ये सभी जीवन के लिए आवश्यक हैं।

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  174. हमार हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की भूमिका अहम है, व्यक्तिगत सामाजिक गुण व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करता है कोई भी व्यक्ति अपने गुणों के आधार पर पहचाना जा सकता है। व्यक्तिगत सामाजिक गुण शिक्षक विद्यार्थी के बीच संबंध को विकसित करने और मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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  175. Yes Teachers play role in developing personal social development in children because they wait and watch activities of teacher

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  176. शिक्षक का व्यक्तिगत , सामाजिक गुणों में सकारात्मक चिन्तन के साथ समाज में प्रत्येक व्यक्ति के भावनात्मक सोंच को महत्व देकर आदर्श गुणों , कौशल विकास के साथ -साथ सभी विद्यार्थियों में अपने आदर्शों के प्रतिबिंब स्थापित करने में सफल होगा ।

    बजरंग देवांगन
    शा.पू.मा.शाला परसिया
    संकुल- अंडा
    वि.खं. - पथरिया
    जिला- मुंगेली (छ.ग.)

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  177. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण बच्चों और जनसमुदाय के बीच सम्बन्ध बनाने के लिए आवश्यक है।अपने इस गुण को मैं हमेशा बढ़ाती और सुधार करती हूँ।ताकि मैं बच्चों और समाज,जनसमुदाय के बीच कड़ी बन सकू।

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  178. व्यक्ति में सामाजिक गुणों का होना अनिवार्य है।यही गुण उसे समाज से जोड़े रखता है।

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  179. हमारे जीवन में सामाजिक गुण का बहुँत ही महत्त्व है। सामाजिकता ऐसा माध्यम है जो अनेक बातें, जीवन शैली, संस्कृति, आचरण, व्यव्हार, भाषा बोली हा हस्तांतरण करता है। इसका जीवन की हर मोड़ पर विशेष महत्त्व है।

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  180. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण शिक्षण अधिगम में एक महत्वपूर्ण भूमिका तनमाते हें । यह शिक्षक द्वारा शिक्षण अधिगम को सरल बनाने के साथ ही साथ विद्याथियों की सकारात्मक सोच को निकसित करता है।

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  181. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण शिक्षण अधिगम में एक महत्वपूर्ण भूमिका तनमाते हें । यह शिक्षक द्वारा शिक्षण अधिगम को सरल बनाने के साथ ही साथ विद्याथियों की सकारात्मक सोच को निकसित करता है।

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  182. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है।छात्रों के व्यक्तित्व को निखारने एवं उनको सही मार्गदर्शन देने में सहायक है।और ये गुण अधिगम में भी सहायक है।

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  183. If we understanding personal and social qualities of students... So that is good for us and we could do easily good and effective work in between our students and also our staff.....I really appreciate that type of attitude for teaching and every work .

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  184. शिक्षण अधिगम में व्‍यक्तिगत सामाजिक गुणों के विकास आवश्‍यक है ि‍शिक्षक का व्‍यक्तिगत सामाजिक गुणों मे सकरात्‍मक ि‍चिंतन के साथ समाज मे प्रत्‍येक व्‍यक्ति के भावनात्‍मक सोच को महत्‍व देकर आदर्श गुणों और कौशलों के ि‍विकास के साथ साथ सभी विदयार्थियों मे अपने आदर्शों के प्रतिबिम्‍ब स्‍थापित करने मे सफल होगा

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  185. Its plays an important role in society. It is a bridge between students and teachers.

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