कोर्स 03 (FLN) गतिविधि 5 : अपने विचार साझा करें
कोर्स 03
गतिविधि 5 : सीखने के परिवेश
का सृजन– अपने विचार साझा करें
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके सोचें और अपने
विचार साझा करें।
कोर्स 03
गतिविधि 5 : सीखने के परिवेश
का सृजन– अपने विचार साझा करें
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके सोचें और अपने
विचार साझा करें।
सीखने के लिए स्वछंद माहौल तैयार करना और उनके सृजनात्मक कार्य हेतु आवश्यक वस्तु तक पहुंच प्रदान किया जानें वाला वातावरण
ReplyDeleteMohammad Faheem( Shikshamitra)
DeleteP. S. Shekhana Nagram, Block Mohanlalganj, District Luchnow,( U P)
Shiksharthiyo ke seekhne ke parivesh ka srijan karne hetu bhaymukt va aanandayak mahoul ki taiyyarj ko taiyyar karna chahiye. Print rich watawaran ka nirman hona chahiye.
Samuday wa abhibhawako ki sahbhagita swadhyay hona chahiye. Gatiwidhi sikhne ka uttam madhyam hai.
Kabad ke jugar se nirmit shikshan samgri dwara kaksha me shikshan uddeshyo ko sikhne me sahayta kar sakte hai.
Thank so much.
Bachchon ko samuh me karya karvana. T. L. M. Ka prayog karna bachchon ko aapas me bat karne ka samay dena samuhik khel khelana aadi.
DeleteBacchon ki goods ki alag pahchan karke unhen apne aap sikhane ke avsar dene chahie.
Deleteअंततः यह परिवेश प्रदान करना चाहिए जिसमें बच्चें प्रसंता से सीख सकें।
Deleteसीखने के लिए उन्हे संबंधित चीजे प्रदान करना जो सीखने में सहायक हो।
ReplyDeleteशिक्षार्थियों को सीखने के प्रवेश का सृजन करने हेतु भयमुक्त व आनंददायक माहौल तैयार करना चाहिए, प्रिंट रिच वातावरण का निर्माण करना चाहिए, समुदाय एवं अभिभावक की सहभागिता होना चाहिए, गतिविधि सीखने के उत्तम माध्यम है, कबाड़ से जुगाड़ सामग्री द्वारा कक्षा शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में सहायता कर सकते हैं ।धन्यवाद
Deleteयदि हम चाहते हैं कि बच्चे स्वयं कुछ करके सीखे तो उन्हें इसके लिए हमें कुछ संसाधन उपलब्ध कराना होगा जिसके माध्यम से बच्चे अपनी रचनात्मकता को विद्यालय में प्रस्तुत कर सकेंगे
ReplyDeleteबच्चों के सीखने का परिवेश अच्छा होना चाहिए तभी बच्चा किसी चीज को अच्छे से सीख पाएगा।
ReplyDeleteParivesh aur uchit Sansadhan uplabdh kara kar bacche ko acchi Tarah Se Sikha Ja sakta hai
Deleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
प्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।
स्वयं करके दिखा कर फिर उन्हें संसाधन उपलब्ध कराकर सिखाने सिखने का अच्छा वातावरण बनेगा
ReplyDeleteहम चाहते हैं कि बच्चे स्वयं कुछ करके सीखे तो उन्हें इसके लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध करना होगा, जैसे -पुस्तकालय,खोजबीन व विज्ञान, संगीत, हस्तकौशल, खेल - खेल गतिविधि आदि माध्यम से बच्चे अपनी रचनात्मकता को विद्यालय में प्रस्तुत कर सकेंगे
ReplyDeleteसीखने का परिवेश माहौल पैदा करने के लिए कक्षा में प्रिंट रिंच वातावरण बनाना पड़ेगा।या आसपास पेड़ पौधों, तालाब,नदी, गौठान, कारीगरों,बढ़ई, मिस्त्री के पास का भ्रमण किया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को घर या आस पास के परिवेश व माहौल से प्रभावित करता है।हमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास को बनाए रखने के लिए अच्छी माहौल देने की प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteयदि हम चाहते हैं कि बच्चे स्वयं कुछ करके सीखे तो उन्हें इसके लिए हमें कुछ संसाधन उपलब्ध कराना होगा जिसके माध्यम से बच्चे अपनी रचनात्मकता को विद्यालय में प्रस्तुत कर सकेंगे
Deleteबच्चों को सीखाने के लिए स्कूल में परिवेश का सृजन करने से पूर्व स्थानीय स्तर पर गांव या शहर में जहाँ बच्चे रहते हैं, वहाँ की भ्रमण अति महत्वपूर्ण हैं।क्योंकि बच्चे प्रेक्टिकली प्रत्येक्ष रुप से रूबरू होकर सीखते हैं।
Deleteप्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
ReplyDeleteअभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।स्वयं करके दिखा कर फिर उन्हें संसाधन उपलब्ध कराकर सिखाने सिखने का अच्छा वातावरण बनेगा
सीखने का परिवेश माहौल पैदा करने के लिए कक्षा में प्रिंट रिंच वातावरण बनाना पड़ेगा।या आसपास पेड़ पौधों, तालाब,नदी, गौठान, कारीगरों,बढ़ई, मिस्त्री के पास का भ्रमण किया जा सकता है।
Deleteइसके लिए हमें बच्चो को उनके रुचि के अनुसार स्वतंत्र माहौल,उचित अवसर एवम् पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल में स्वयं करके सीख सकते हैं।
ReplyDeleteBacchon mein sikhane ka parivesh achcha han hona na chahie
Deleteबच्चे स्वतंत्र रूप से सीखना पसंद करते हैं इसलिए उनको दबाव पूर्ण वातावरण से मुक्त रखा जाए बच्चे स्वयं करके सीखते है अतः उन्हे आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना होगा । मैं बच्चों के साथ मिलकर सृजनात्मक कार्य में उनका सहयोग करना पसंद करता हूँ।
ReplyDeleteBachcho ko sikhane ke liye anlool vatavrn,aakrshhk sansadhan,romanchk vishhay vastu,prspar sanvad,gudiya aur natk in triko ko samil karna chahti hu
ReplyDeleteBachcho ka seekhne parivesh achha ho jisase bachcha khud karke seekh sake
ReplyDeleteहमें अपने शाला के कक्ष में सीखने के कोनों का चयन कर उस कोने का नामकरण कर धीरे धीरे सामग्रियों का संकलन प्रारंभ कर देना चाहिए, इसमें विद्यार्थी, पालक, समुदाय, शिक्षक सभी मिलकर कार्य कर आवश्यक वस्तुएं जुटाते जायें, धीरे धीरे संग्रह होता चला जाएगा |
ReplyDeleteबच्चों को घर या आस पास के परिवेश व माहौल से प्रभावित करता है।हमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास को बनाए रखने के लिए अच्छी माहौल देने की प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए भयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।प्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए। अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।
ReplyDeleteअजीत चौहान
ReplyDeleteशिक्षक बच्चों को संसाधन उपलब्ध कराने के साथ- साथ एक स्वछंद माहौल में स्वतंत्रता पूर्वक सीखने देना चाहिए|
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए निम्न अनुसार क्षेत्र तय करेंगे ।
ReplyDelete1 वाहन क्षेत्र ---इसमें छोटे-छोटे खिलोने रखेगे ।जैसे बस , टिरक ,टेक्टर,मोटरसाइकिल,जेसीबी,हवाई जहाज,हेलीकांप्टर,जहाज,,साईकिल,बैलगाडी,कार,आदि के खिलौना रखेंगे।
2 बगीचा/पार्क क्षेत्र ---इसमें एक काल्पनिक बगीचा/पार्क बनाया जाएगा।
इसके माध्यम से आम,केला नीबू,आदि पेडों के साथ- साथ आस पास उगने वाले पौधों के चित्र लगाकर पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करके उन्हे जिज्ञासू बनाएगे।
3 बाजार/मेला क्षेत्र---इसमें बाजार के चित्रों के साथ तराजू बांट आदि के खिलौना रखेंगे।इससे उनकी समझ विकसित होगी।
सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराना उस वस्तु तक पहुच एवम उपयोग हेतु मार्गदर्शन देना ।
ReplyDeleteखेलगतिविधि सीखने का बेहतर माध्यम है।बच्चे खेल खेल में सीखना पसंद करते हैं। स्थानीय खेल से शारीरिक गत्यात्मक विकास होता है।छोटे बच्चे चित्रों को पढ़ते हैं अतःकक्षा की साजसज्जा चित्रात्मक होनी चाहिये। खिलौने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिये।
ReplyDeleteदादू सिंह तोमर
प्रा शा जोगीसार(GPM)
खेलगतिविधि सीखने का बेहतर माध्यम है।बच्चे खेल खेल में सीखना पसंद करते हैं। स्थानीय खेल से शारीरिक गत्यात्मक विकास होता है।छोटे बच्चे चित्रों को पढ़ते हैं अतःकक्षा की साजसज्जा चित्रात्मक होनी चाहिये। खिलौने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिये।
ReplyDeleteप्रायोगिक शिक्षण न केवल छात्रों को अनुभव आधारित गतिविधियो में संलग्न करता है,बल्कि उनके द्वारा सीखे गए ज्ञान और कौशल को कक्षा के बाहर कैसे उपयोग किया जा सकता है,इसकी भी एक झलक प्रदान करता है।
ReplyDeleteकबाड़ से जुगाड करके हम बच्चों को पाठ्यवस्तु को या कक्षा में शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में मदद कर सकते हैं। हमारे घरों में अनेक वस्तुएं जैसे टूटे खिलोने , खराब रिमोट कंट्रोल और ऐसे ही अनेकों बेकार पड़ी वस्तुएं होती हैं जिसे हम फेंक देते है या कबाड़ी को बेंच देते है । इन चीज़ों का उपयोग कक्षा में शिक्षण के दौरान कर सकते है।
ReplyDeleteबच्चों को जितना हो सके अधिक से अधिक स्वयं करके सीखने हेतु प्रेरित करें ताकि बच्चे अपनी सीखे हुए ज्ञान और कौशल को कक्षा के बाहर अपनी प्रदर्शन कर सके ताकि उनका मनोबल बढ़ाने में मदद मिल सकेगी।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
आसपास का वातावरण मिलनसार तरीके का होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए। शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चों के परिवेश को अच्छा और उनके सीखने की क्षमता के विकास में सहयोगी बन सकते है ।
कबाड़ से जुगाड करके हम बच्चों को पाठ्यवस्तु को या कक्षा में शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में मदद कर सकते हैं। हमारे घरों में अनेक वस्तुएं जैसे टूटे खिलोने , खराब रिमोट कंट्रोल और ऐसे ही अनेकों बेकार पड़ी वस्तुएं होती हैं जिसे हम फेंक देते है या कबाड़ी को बेंच देते है । इन चीज़ों का उपयोग कक्षा में शिक्षण के दौरान कर सकते है।मैने रिमोट कंट्रोल का उपयोग करके विज्ञान में विद्युत के सुचालक और कुचालक को स्पष्ट करने के लिए गैजेट के रूप में उपयोग करके शिक्षण को रोचक बनाने का प्रयास किया।
ReplyDeleteRelated things should be provided for students.
ReplyDeleteबच्चो के सीखने का परिवेश अच्छा होना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चे स्वतंत्र रूप से सीखना पसंद करते हैं इसलिए उनको दबाव पूर्ण वातावरण से मुक्त रखा जाए बच्चे स्वयं करके सीखते है अतः उन्हे आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराना होगा । मैं बच्चों के साथ मिलकर सृजनात्मक कार्य में उनका सहयोग करना पसंद करता हूँ।
ReplyDeleteनाम-श्री खुशहाली सोनी
सहायक शिक्षक lb
संकुल- खजूरी
P/s ढाबाडीह
बच्चों की मानसिकता को समझकर हमे उन्हे एक दबाव मुक्त बतावरण देना होगा ताकि बच्चे किसी भी विषय को समझ सके।
ReplyDeleteकल्पना कुमारी
Deleteप्राथमिक विद्यालय आनंदपुर
लखीसराय
बच्चों के सीखने का परिवेश अच्छा होना चाहिए तभी बच्चा किसी चीज को अच्छे से सीख पाएगा।
DeleteBachcho ko swayam karke sikhane ke lie hame bhaymukt vatavaran banakar uchit sansadhan uplabhdha karana chahie taki ve jo bhi sikhe purn tarike se sikhe
ReplyDeleteबच्चों को घर या आस पास के परिवेश व माहौल से प्रभावित करता है।हमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास को बनाए रखने के लिए अच्छी माहौल देने की प्रयास करना चाहिए । सीखने के लिए स्वछंद माहौल तैयार करना और उनके सृजनात्मक कार्य हेतु आवश्यक वस्तु तक पहुंच प्रदान किया जानें वाला वातावरण
ReplyDeleteSikhne ke parivesh ka Nirman karna hamari sarvochch prathmikta hona chahiye tabhi bachche sikhenge
ReplyDeleteजल्दी सीखने वाले बच्चों को देर से सीखने वाले बच्चों के साथ बैठा कर
ReplyDeleteबच्चों को घर या आस पास के परिवेश व माहौल से प्रभावित होते है।हमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास को बनाए रखने के लिए अच्छी माहौल देने का प्रयास के साथ शिक्षक और पालक को धैर्य के साथ बच्चों को सीखने के लिए समय देना होगा क्योंकि प्रत्येक बच्चे की समझ का स्तर भिन्न भिन्न होता है ।
ReplyDeleteसीखने का साधन और माहौल बना कर
ReplyDeleteबच्चे स्वयं करके सीखें उसके लिए बच्चों को वैसा ही माहौल बना कर देंगे खोजबीन विज्ञान संगीत खेल गतिविधि आदि आयोजित करेंगे जिससे बच्चे आनंददायक माहौल में सीखेंगे
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
प्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की . सहभागिता होनी चाहिए
टीवी या मोबाइल के माध्यम से वीडियो क्लिप दिखाना जिसमें बच्चे पौधे लगा रहे हैं और सब में पानी डाल रहे हैं जिसे देख कर के बच्चे सीखेंगे पौधों में पानी डालना उसकी देखरेख करना
ReplyDeleteबच्चों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डालना चाहिए। उन्हे स्वयं करके सीखने देना चाहिए
ReplyDeleteसीखने के लिए बच्चों को उनके क्षमता, गति और स्तर अनुसार गतिविधि, वातावरण, प्रदान करना बहुत आवश्यक है बच्चे वही सीखते हैं जैसा उन्हें वातावरण मिलता है ।
ReplyDelete1) सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए भयमुक्त एवं आनंददायक वातावरण तैयार करना चाहिए।
ReplyDelete2) बच्चों को स्वयं से सीखने का माहौल प्रदान करना चाहिए।
3)सीखने हेतु बच्चों के आयु एवं स्तर के अनुरूप संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए
4) बच्चों का समूह बनाकर और साथ ही अपने साथी के साथ मिलकर सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए ।
1) सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए बच्चों को भयमुक्त एवं आनंददायक वातावरण प्रदान करना चाहिए।
ReplyDelete2)बच्चों को स्वयं से सीखने हेतु माहौल प्रदान करना चाहिए।
3) बच्चों को समूह बनाकर और साथी के साथ सीखने देना चाहिए।
4)सीखने हेतु बच्चों को उनके आयु और स्तर के अनुरूप संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए।
प्रियंका
सहायक शिक्षक विज्ञान
प्राथमिक कन्या शाला कुरदा
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए बच्चों को उनकी रूचि, समझ, इच्छा को ध्यान मे रखते हुए गतिविधियाँ करवाना उचित रहेगा।
ReplyDelete1, सीखने के वातावरण का सृजन कक्षा में करना।
ReplyDelete2, प्रिंट रिच वातावरण बनाना।
3,बिल्लस,लूडो आदि खेल खिलाना
बच्चों की रुचि के अनुसार सिखाया जाय व वातावरण के अनुसार संसाधन, समाधान उपलब्ध कराने पर जोर होना चाहिए।
ReplyDeleteBache dekh, kr sun kr ,anubhav lekar ,chitro ka sambandh jodkr , khel khel me , aanad lekar gatividhi krke sikhte h
ReplyDeleteबाल मित्र व प्रिन्टरिच वातावरण,आवश्यक सामग्री व शिक्षक का सुविधादातामय कार्य-व्यवहार होना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों में विशेष गुण विद्यमान होते है। शिक्षक और पालको के बिच परस्पर संवाद और पारिवारिक कार्यक्रमो में छोटे छोटे कार्य बच्चों से लेने से उनमे उत्साह और जीवन में सिखने को मिलता है।
ReplyDeleteसीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteप्रिंट रिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।।अभिभावक एवम समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।
प्रिंटरीच वातावरण तैयार करना एवं बच्चों को विभिन्न पात्र देकर अभिनय द्वारा सीखा सकते हैं ।धन्यवाद
ReplyDeleteहमें बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास को बनाए रखने के लिए अच्छी माहौल देने की प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteशिक्षा बाल केंद्रित हो और महत्वपूर्ण यह है कि जब बच्चा सीख रहा हो तो अपनेआपको स्वच्छंद महसूस करे ।।बच्चों को खुद करके सीखने का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना चाहिए।।ताकि वह अपने पुराने अनुभव दे कुछ नया सीख सकें।
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteप्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।बच्चों को खुद करके सीखने का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना चाहिए।।ताकि वह अपने पुराने अनुभव दे कुछ नया सीख सकें।
बच्चों के लिए भय रहित मुक्त वातावरण बच्चों की रुचि के अनुसार सिखाने का वातावरण उत्पन्न करना
ReplyDeleteबच्चो को उचित संसाधन उपलब्ध कराकर, टीचिंग लियरनिंग मटेरियल का उपयोग कर तथा उन्हें कुछ प्रोजेक्ट देकर इसे सुनिश्चित किया जा सकता है।
ReplyDeleteBacchon ko Swatantra mahol ki avashyakta hai isase bacche sikhane mein main apna utsah dikhayenge
ReplyDeleteSikhane ke parivesh ka srijan karne ke liye bacchon ko unki ki Ruchi ke anusar samajik chhatron ko Dhyan mein rakhte hue a gatividhi karvana uchit hoga
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteआसपास और परिवेश से बच्चे अवलोकन , अनुकरण तथा स्वयं शामिल होकर " स्वयं अनुभव करके सीखते " हैं, उनको स्वयं रूचि होने पर कोई चीज सीखने में सहज व सरल हो जाती है. इसमें बच्चों के पूर्व ज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान होता है.
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के परिवेश का सृजन करने हेतु हमें एक "बालकेन्द्रित" अधिगम परिवेश का सृजन करना होगा , जिसमे बच्चों के पूर्वज्ञान व अनुभवों का भरपूर उपयोग किया जाये.
ज्ञात से अज्ञात , सरल से कठिन और मूर्त से अमूर्त जैसे शिक्षण सूत्रों और प्रविधियों का समावेश करते हुए स्वतंत्र और आनंददायी सीखने के परिवेश का सृजन किया जा सकता है. इसमें बच्चों की रुचिकर गतिविधियों का समावेश रहने से उनकी सक्रिय सहभागिता से उत्सुकता , अवलोकन , तुलना करना , निष्कर्ष निकालना व सीखना तथा सीखे हुए ज्ञान का दैनिक जीवन में उपयोग करना सहज और स्वाभाविक गुण के रूप में उनमे विकसित होगा.
चिमन लाल साहू
सहायक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला खम्हरिया (यदु)
विकासखण्ड- बलौदाबाजार
जिला –बलौदाबाजार ( छत्तीसगढ़ )
Swabhawik sikhne ki kriya
ReplyDeleteBalkendrit sikcha
Prakriti k aas pas
Samajik watawrn
Swanubhutikrn
Vichar vyakt bhi shj ho
Ye sb mulrup se sikhne ki kriya hai
सीखने के परिवेश का सृजन अर्थात सीखने में सहायक उपयुक्त माहौल बनाने के लिए सबसे पहले मैं ,क्या-क्या सीखाना है इसके बारे में खाका तैयार करना पसंद करुंगा, जिसके लिए मुझे प्रत्येक बच्चे के स्तर का आंकलन करना चाहिए। फिर प्रत्येक बच्चे के रुचि और सीखने में सहायक उपयुक्त विधि का निर्धारण करूंगा क्योंकि प्रत्येक बच्चे अलग होते हैं और उनके सीखने के तरीके भी अलग होते हैं। तब ही मैं सीखने के परिवेश का सृजन करने में अधिक सक्षम और सफल हो पाऊंगा।
ReplyDeleteस्कूल में कक्षा के बाहर जो भी उपलब्ध पेड़ पौधे है उसका अवलोकन करवाना और उनके पत्तों, पत्तों का रंग, आकार, कितने पत्तियाँ है,कौन सा पौधा बड़ा या छोटा है,किसमें कितनी कितनी पत्तियां है आदि बच्चों के समझ को सुदृढ़ व मजबूत बनाने में बहुत सहयोगी होता है।
ReplyDeleteरामप्रसाद नाग
नवीन प्राथमिक शाला पुरी
Prakritik chintan ho teacher ka
ReplyDeleteStudents ki dakchata anusar
Aur Purva gyan k aadhar pr vichar jahir kre
Harek Kary ko bahut achchha se students Awlokn kre usme teacher ki sanidhyata ho
Students dekhkr sunkr bolkr ya nklkrke hi sikhta hai
बच्चों को सीखने हेतु माहौल व संसाधन उपलब्ध करा कर परिवेश सृजन कर बड़े आसानी से सिखाया जा सकता हैं।आसपास के वातावरण से रूबरू कराकर पर्यावरण से संबंधित जानकारी दिया जा सकता हैं।कामगारों से मिलवाकर उन्हें व्यवसायों के बारे में बताया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चो को वर्तमान परिवेश में सीखने में इलेक्ट्रानिक मीडिया उपयोगी साबित होगा
ReplyDeleteआसपास और परिवेश से बच्चे अवलोकन , अनुकरण तथा स्वयं शामिल होकर " स्वयं अनुभव करके सीखते " हैं, उनको स्वयं रूचि होने पर कोई चीज सीखने में सहज व सरल हो जाती है. इसमें बच्चों के पूर्व ज्ञान का महत्वपूर्ण स्थान होता है.
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के परिवेश का सृजन करने हेतु हमें एक "बालकेन्द्रित" अधिगम परिवेश का सृजन करना होगा , जिसमे बच्चों के पूर्वज्ञान व अनुभवों का भरपूर उपयोग किया जाये.
ज्ञात से अज्ञात , सरल से कठिन और मूर्त से अमूर्त जैसे शिक्षण सूत्रों और प्रविधियों का समावेश करते हुए स्वतंत्र और आनंददायी सीखने के परिवेश का सृजन किया जा सकता है. इसमें बच्चों की रुचिकर गतिविधियों का समावेश रहने से उनकी सक्रिय सहभागिता से उत्सुकता , अवलोकन , तुलना करना , निष्कर्ष निकालना व सीखना तथा सीखे हुए ज्ञान का दैनिक जीवन में उपयोग करना सहज और स्वाभाविक गुण के रूप में उनमे विकसित होगा.
बच्चों को सिखने परिवेश सृजन करने के लिए, परवरिक वातावरण, साथी का वातावरण,21 शताब्दी की तकनिकी, सहयोग से, उपयोग कर, बच्चों मे सिखने की परिवेश सृजन किया जा सकता l
ReplyDeleteबच्चों को स्वतंत्र परिवेश प्रदान करना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार करने में पालक, शिक्षक और सहपाठी कि महत्वपूर्ण भूमिका होती है
ReplyDeleteपर्याप्त सहायक सामग्री और प्रिंट रिच वातावरण बाल केन्द्रित कक्षा बच्चों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं
बच्चों के सीखने के लिए सबसे अच्छा वातावरण बच्चा के अनुसार अर्थात बाल केंद्रित होना चाहिए बच्चे को सिखाते समय हमें खुद बच्चे बनकर उनके साथ घुल मिलकर उनकी रूचि का पता लगा कर सी खाने से बच्चे सीखने में तेजी दिखाते है|
ReplyDeleteउनके सीखने के नए नए चीजों को उनके समक्ष लेट जायेंगे।
ReplyDeleteat 3:18 AM
ReplyDeleteसीखने के लिए स्वछंद माहौल तैयार करना और उनके सृजनात्मक कार्य हेतु आवश्यक वस्तु तक पहुंच प्रदान किया जानें वाला वातावरण
सीखने के लिए भय मुक्त एवं सकारात्मक परिवेश का होना
ReplyDeleteSikhne ke liye khushnuma aur bhy mukt mhoul hona chahiye
ReplyDeleteइसके लिए मेरे अनुसार सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चे आपस में और शिक्षक के साथ बेहद सहज हों ।
ReplyDeleteबच्चों का अपने माँ बाप मित्रों और शिक्षक से मित्र वत व्यवहार हो, परस्पर संवाद हो। दैनिक जीवन का हाल चाल पूछें।
ReplyDeleteसीखने के लिए भयमुक्त वातावरण के साथ आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो।
ReplyDeleteकबाड़ से जुगाड करके हम बच्चों को पाठ्यवस्तु को या कक्षा में शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में मदद कर सकते हैं। हमारे घरों में अनेक वस्तुएं जैसे टूटे खिलोने , खराब रिमोट कंट्रोल और ऐसे ही अनेकों बेकार पड़ी वस्तुएं होती हैं जिसे हम फेंक देते है या कबाड़ी को बेंच देते है । इन चीज़ों का उपयोग कक्षा में शिक्षण के दौरान कर सकते है।मैने रिमोट कंट्रोल का उपयोग करके विज्ञान में विद्युत के सुचालक और कुचालक को स्पष्ट करने के लिए गैजेट के रूप में उपयोग करके शिक्षण को रोचक बनाने का प्रयास किया।
ReplyDeleteSharad Kumar Soni
Primary School Mahora
Baikunthpur
सीखने के परिवेश के सृजन करने लिए शालाओं में भय मुक्त माहौल के साथ साथ प्रिंटरीच वातावरण तैयार करना तथा बच्चों द्वारा सीखे हुए उपलब्धियों का प्रदर्शन करना चाहिए जिससे सभी बच्चें प्रेरित हो इस तरह सीखने के परिवेश के सृजन कर सकते है।
ReplyDeleteमुक्त
ReplyDeleteUnknown
ReplyDeleteबच्चे के पसंदीदा खेल के बारे में चर्चा करते हुए उनके अभिनय को भी साथ जोड़कर सीखा सकते है जैसे मिट्टी से घरौंदा बनाना आदि।
ReplyDeleteबच्चों को उनके रुचि के अनुसार रोचातमक प्रक्रिया कराने चाहिए और उन्हें रोचातमक प्रक्रियों के द्वारा शिक्षा व ज्ञान प्रदान कराना चाहिए ।
ReplyDeleteसीखने के लिए बच्चों को उनके माहौल अनुसार ढालना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को भयमुक्त वातावरण देकर हमें उनका सही तरीके से मार्गदर्शन करना चाहिए जिससे वे अपने आस पास के संसाधनों से ही बहुत कुछ सीख लेते हैं ,बच्चे तो खेल खेल में ही बहुत कुछ सीख जातेहैं जो कि हमें पता भी नहीं चलता इस लिए सप्ताह में एक दिन उनके लिए बच्चों को ही शिक्षक और छात्रों के रूप में एक दिन स्कूल सम्हालने की छूट दिया जाए जिससे वे स्वतंत्र होकर अपनी प्रतिभा सामने लायें,
ReplyDeleteसीखने के लिए भय से मुक्त वातावरण का होना आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चे खेल - खेल में जल्दी से सीखते हैं। शाला के परिवेश का सृजन करने के लिए भयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteआसपास के वातावरण किचन - गार्डन ,
फूलवारी आदि से बच्चों को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए। शिक्षक और अभिभावक मिलकर बच्चों के परिवेश को अच्छा और उनके सीखने की क्षमता के विकास में सहयोगी बन सकते है ।
सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
प्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।शिक्षा बाल केंद्रित हो और महत्वपूर्ण यह है कि जब बच्चा सीख रहा हो तो अपनेआपको स्वच्छंद महसूस करे ।।बच्चों को खुद करके सीखने का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना चाहिए।।ताकि वह अपने पुराने अनुभव दे कुछ नया सीख सकें।
Sikhane ke pratifal mein bacchon ke liye Anand bhai mahaul hona chahie
ReplyDeleteBaccho ke samjha ke anurup kary karna chahiye
ReplyDeleteसीखने का वातावरण तैयार करने के लिए हमें बच्चों से उनकी रूचि पर चर्चा करना चाहिए एवं उन्हें जो खेल या गतिविधि पसंद हो उन्हीं के माध्यम से स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteभयरहित व आनंददायक माहौल तैयार किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteप्रिंटरिच वातावरण का निर्माण होना चाहिए।
अभिभावक व समुदाय की सहभागिता अवश्य होना चाहिए।बच्चों को खुद करके सीखने का ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना चाहिए।।ताकि वह अपने पुराने अनुभव दे कुछ नया सीख सकें।
सीखने का वातावरण बिल्कुल भयमुक्त हो। बच्चों की छमताओं के अनुरुप वातावरण हो।उनकी योग्यताओं उनकी रुचि का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षार्थियों को सीखने के प्रवेश का सृजन करने हेतु भयमुक्त व आनंददायक माहौल तैयार करना चाहिए, प्रिंट रिच वातावरण का निर्माण करना चाहिए, समुदाय एवं अभिभावक की सहभागिता होना चाहिए, गतिविधि सीखने के उत्तम माध्यम है, कबाड़ से जुगाड़ सामग्री द्वारा कक्षा शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में सहायता कर सकते हैं ।धन्यवाद
ReplyDeleteजिस परिवेश में बालक निवास करता है उस परिवेश से बहुत कुछ सीखता है । वर्तमान समय मे बच्चो को लिखना आता है किन्तु पढ़ने के विधा में निपुण नहीं है ।
ReplyDeleteअभी हम बच्चो को जो भाषा स्थानीय स्थर पर बोली समझी जाती है उसी भाषा पर फोकस करे तो बच्चा भाषा की समझ विकसित होगा चुकी वर्णमाला सवर व्यंजन, बारहखड़ी, बच्चे के मेमोरी मे होगा तो बच्चा अच्छे से पढ़ सकता है ।भाषा मे बच्चे को दक्ष बनने मे कहानी कविता महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करते है जिसके लिए भाषाई पाठ्यक्रम मे नैतिक मूल्य ,मानवीय मूल्य,व्यक्तित्व विकास चरित्र निर्माण के आवश्यक तत्व पर आधारित कहानी कविता को शामिल करने की आवश्यकता है ।कहानी बच्चे बड़े जिज्ञासा लगन मगन हो कर पढ़ते है जिससे उन्हें भाषा पढ़ने की आदत विकसित होगा साथ ही वर्तमान समय मे नैतिकता मानवता का ह्रास हो गया है उसको पुन: स्थापित करने के दिशा में एक प्रयास होगा ।
बच्चे माता - पिता, भाई - बहन, सहपाठी एवं शिक्षक से ज्यादा सीखते है । चुकी सरकारी स्कूलों में जो बच्चे पढ़ने आते है उस परिवार मे शिक्षा के प्रति ज्यादा जागरूकता नहीं होता है संयुक्त परिवार अब रहा ही नहीं एकल परिवार की अधिकता है जिसमे स्कूल आने वाले बच्चो के साथ उनकी माताएं छोटे बच्चो को भी साथ मे भेज देती है वर्तमान में आंगनबाड़ी समय पर खुलता जी नहीं है खुलता है भी तो सहायिका केवल जो नाम लिखना जानती है वो अति है केवल खाना खिला कर छोड़ दिया जाता है । जिसके लिए प्रत्येक ग्राम मे एक प्राथमिक विद्यालय हो जहा पर कमसे कम सभी कक्षा के लिए एक शिक्षक एक प्रधान पाठक हो तो बच्चो को अच्छा परिवेश मिलेगा बच्चे पढेगे।
Ok
ReplyDeleteसीखने के आवश्यक सामग्री बच्चों के पास आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चों को सीखने के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना जहां बच्चे बिना भय के अपनी बात रख सकें। प्रिंट रिच भवन हो। समुदाय एवम् पालकों का सहयोग हो। राजनीतिक दखल ना हो
ReplyDeleteBachcho ko sikhane ka atavaran dene ke liye bhay mukta vatavaran va apne bato ko rakhne ki aazadi ho sath prit rith vatavaran tatha anek khel va sikhne ki samgri jaise khilauna pustake aadi hona chahiye
ReplyDeleteयदि हम चाहते हैं कि बच्चे स्वयं कुछ करके सीखे तो उन्हें इसके लिए हमें कुछ संसाधन उपलब्ध कराना होगा जिसके माध्यम से बच्चे अपनी रचनात्मकता को विद्यालय में प्रस्तुत कर सकेंगे
ReplyDeleteसीखने के लिए स्वछंद माहौल तैयार करना और उनके सृजनात्मक कार्य हेतु आवश्यक वस्तु तक पहुंच प्रदान किया जानें वाला वातावरण
ReplyDeleteSikhane ki uchit bhay Mukt mahaul Aur parivesh bacchon Ko pradan karna aur sikhane ke liye Anya upyogi vastuen bacchon ko pradan karne se Unki sikhane ki tarikon mein vriddhi ho sakti hai
ReplyDeleteOk
DeleteHamen bacchon ko sikhane ke liye bhay Mukt vatavaran ka Nirman karna chahie aur Aisi samagri pradan karna chahie jisse vah unke sikhane Mein sahayata kar sake
ReplyDeleteशिक्षार्थियों को सीखने के प्रवेश का सृजन करने हेतु भयमुक्त व आनंददायक माहौल तैयार करना चाहिए, प्रिंट रिच वातावरण का निर्माण करना चाहिए, समुदाय एवं अभिभावक की सहभागिता होना चाहिए, गतिविधि सीखने के उत्तम माध्यम है, कबाड़ से जुगाड़ सामग्री द्वारा कक्षा शिक्षण उद्देश्यों को सीखने में सहायता कर सकते हैं
ReplyDeleteसीखने के लिए उन्हे संबंधित चीजे प्रदान करना जो सीखने में सहायक हो।
ReplyDeleteइसके लिए हमें बच्चो को उनके रुचि के अनुसार स्वतंत्र माहौल,उचित अवसर एवम् पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल में स्वयं करके सीख सकते हैं।
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