कोर्स 03 (FLN) गतिविधि 3 : अपने विचार साझा करें
कोर्स 03
गतिविधि 3 : अपने विचार साझा करें
क्या आप यह मानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है? यदि हाँ, तो आप कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेंगे? अपने विचार साझा करें।
प्रत्येक बच्चों को सीखने का प्रयाप्त अवसर देना और निगरानी करना I
ReplyDeletePratik bacchon ke a sikhane Ka Tarika alag Hota Hai aur Unki avashyakta Puri karne ke liye adhyapakon ko Sanyog atmak ravaiya banana chahie Sahyog ke vatavaran mein unko dishanirdesh karna
DeleteMohammad Faheem(Shikshamitra) P . S. Shekhana Nagram, Block Mohanlalganj, District Lucknow(U P)
DeletePratyek skiksharthi ki sikhne ki gati alag- alag hoti hai. Unki aawashyaktao ko poora karne ke liye unhe swayam sikhne ke paryapt awsar pradan karna chahiye. Pratyek chhatra apni Ruchi wa kshamta ke anusar sikhta hai. Atah chhatro ki mansik, samajik prishthbhoomi alag- alag hoti hai.
Ukt avashyaktao ki poorti hetu nimnlikhit upay karenge_
1- Aatmvishwas banaye rakhne aur use badhane me madad karke,
2- Sahayta aur sughav dekar,
3- bhaymukt vatawaran pradan karke,
4- khoj/ anveshan ke mouke dekar,
5- jodi me charcha karwakar,
6- bade bachcho se baatchit ke awsar pradan karke,
7- ham umr bachcho se batcheet kar,
8- Khel gatividhiyo me parivartan karke.
Thank so much
Nice work
Deleteप्रत्येक बच्चों की स्तर एवं सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती है। बच्चों को उनके स्तर की परख करने के उपरांत उनकी स्तरानुसार कार्य व गतिविधियाँ कराई जाती है।
Deleteबच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो।
ReplyDeleteBacchon ke staron ki Prakriti Uske Is Tarah anusar Shiksha Dena chahie
Deleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है ,उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने उन्हें स्वयं सीखने के पर्याप्त अवसर देनी चाहिए ।प्रत्येक बच्चा अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार सीखता है प्रत्येक बच्चे की मानसिक बौद्धिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि भिन्न-भिन्न होती है इन सभी के लिए आत्मविश्वास बनाए रखते हुए मदद करने की आवश्यकता है, सहायता एवं सहयोग देकर ,खेल खेल गतिविधियों द्वारा, भयमुक्त वातावरण देकर और समूह में पर्याप्त बातचीत का अवसर देकर उनकी सीखने की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं
Deleteप्रत्येक बच्चे को उसकू रूचि एवम् क्षमता अनुसार सिखने का अवसर दिया जाएगा।ताकि उनका समग्र विकास हो।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान अवसर प्रदान किया जाएगा और उनकी आवश्यकता को पूरा करेंगे
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है ,उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने उन्हें स्वयं सीखने के पर्याप्त अवसर देनी चाहिए ।प्रत्येक बच्चा अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार सीखता है प्रत्येक बच्चे की मानसिक बौद्धिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि भिन्न-भिन्न होती है इन सभी के लिए आत्मविश्वास बनाए रखते हुए मदद करने की आवश्यकता है, सहायता एवं सहयोग देकर ,खेल खेल गतिविधियों द्वारा, भयमुक्त वातावरण देकर और समूह में पर्याप्त बातचीत का अवसर देकर उनकी सीखने की आवश्यकताओं को
Deleteबच्चे अलग अलग माहौल से आते है साथ ही सीखने की गति भिन्न होती है अतः सिखाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।
ReplyDeleteHan kyuki har bachche alag alag parivesh se aate hain unhe sikhane ka paryapt avasar den samuh me karya karvaye.
Deleteएक बच्चा सचमुच अलग होता है और वह अलग प्रवेश से आता है अतः हमें हर बच्चे को मौका देना चाहिए उनको खोज परक और स्वयं सीखने के अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteअलग अलग बच्चों के सीखने समझने का स्तर अलग अलग होता है, अतः अत्यंत धीरज के साथ बच्चों को समय देना होगा। हो सकता है कि हमें कुछ बच्चों को सीखने के लिए स्पेशल टूल्स या तकनीक का। उपयोग करना पड़े।
ReplyDeleteहां,क्योंकि बच्चे विभिन्न परिवेश से आते है।अत: उनके परिवेश एवम् रुचि को ध्यान में रखा जाए।प्रत्येक बच्चे के सीखने के तरीके अलग होते हैं।इसके लिए उनके आवश्यकता अनुरूप पर्याप्त साधन व अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteहां प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग हो सकता है।
ReplyDeleteहां, मेरा यह निश्चित मानना है कि प्रत्येक बच्चा अलग हैैऔर उनके सीखने के तरीके भी अलग होते हैं।इसके लिए हमें प्रत्येक बच्चे को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना होगा और उनके आवश्यकताओं पर निगरानी रखते हुए उनका पूर्ण सहयोग करना होगा।
ReplyDeleteAll children are unique and the teachers can manage students profile with their strength and weaknesses. He should also diagnosed his learning difference and pace of learning to provide individual learning.
ReplyDeleteइसके लिए हमें प्रत्येक बच्चे को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना होगा और उनके आवश्यकताओं पर निगरानी रखते हुए उनका पूर्ण सहयोग करना होगा।अलग अलग बच्चों के सीखने समझने का स्तर अलग अलग होता है, अतः अत्यंत धीरज के साथ बच्चों को समय देना होगा। हो सकता है कि हमें कुछ बच्चों को सीखने के लिए स्पेशल टूल्स या तकनीक का। उपयोग करना पड़े।
ReplyDeleteबच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो।बच्चे सीख रहे हैं या नहीं ,ये भी जरूर देखा जायेगा।
ReplyDeleteमेरा यह निश्चित मानना है कि प्रत्येक बच्चा अलग -अलग होते हैैऔर उनके सीखने के तरीके भी अलग -अलग होते हैं, इसके लिए हमें प्रत्येक बच्चे को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिए, उनके आवश्यकताओं पर निगरानी रखते हुए उनका पूर्ण सहयोग करते हुए अवसर देना होगा।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अलग है और उनके सीखने का तरीका भी अलग होता है इसलिए उन्ह सीखने का पर्याप्त अवसर प्रदान करना होगा उनके सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए उनके रुचि अनुसार स्वयं करके सीखने का अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteअलग अलग बच्चों के सीखने समझने का स्तर अलग अलग होता है, अतः अत्यंत धीरज के साथ बच्चों को समय देना होगा। व्यक्तिगत सहयोग कर उनके स्तर अनुसार उन्हें प्रेरित करें
ReplyDeleteYes Pratyek bchche ke sikhne ke trike alg-alg hote hai.jbh sala me aate hai to unhe kai nyi chije dekhne,sunne,avlokan karne ,swyam krne,ane sathiyo se milkar karne aadi ka anubhavhota hai
ReplyDeleteHum bchcho ke ankul vatavarn bnaye,ve kis trike sesikhne ka pryas kar rha hai us pardyan dena.
विद्यालय में प्रत्येक बच्चा अलग-अलग पृष्टभूमि से आते हैं।उनके सीखने की गति में पर्याप्त विविधता पायी जाती है।जो बच्चे धीमी गति से सीखते हैं उनके साथ सहानुभूति पूर्वक बातचीत करते हैं।उनके समस्या से अवगत होकर उचित मार्गदर्शन देते है तथा सीखने का पर्याप्त समय देते हैं।
ReplyDeleteदादूसिंह तोमर सहायक शिक्षक
प्रा शा जोगीसार(GPM)
प्रत्येक बच्चा अलग उसकी क्षमता अलग अतः विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा पर बल देने की जरूरत है।
ReplyDeleteक्योंकि बच्चे विभिन्न परिवेश से आते है।अत: उनके परिवेश एवम् रुचि को ध्यान में रखा जाए।प्रत्येक बच्चे के सीखने के तरीके अलग होते हैं।इसके लिए उनके आवश्यकता अनुरूप पर्याप्त साधन व अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज करने व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो।
ReplyDeleteहा यह सत्य है कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। एक शिक्षिका के रूप में मैं अपने कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उन्हे बेहतर माहौल प्रदान करती हूं। एक ऐसा शैक्षणिक माहौल जिसमें एक सुरक्षित और देखभाल करने वाला वातावरण शामिल है। इसमें सभी बच्चे अपने विद्यालय के प्रति अपनापन महसूस करते हैं इस तरह से विद्यार्थियों को उनके नैतिक विकास में मदद मिलती है। मैं अपने कक्षा के बच्चों को उनका सर्वाेत्तम कार्य प्रदर्शन करने और गुणवत्तापूर्ण काम करने के लिए सहयोग और चुनौती दोनों देती हूं। शाला प्रबंधन की बैठकों में विद्यार्थियों के सीखने तथा उनकी समस्याओं पर चर्चा करती हूं जिससे एक अच्छा समाधान सामने आता है। मेरा मानना है कि विद्यार्थियों के सीखने और चरित्र के विकास में शिक्षक के अलावा माता-पिता व समुदाय के लोगों का महत्वपूर्ण हाथ होता है।
ReplyDeleteप्रस्तुति- श्रीमती सत्या सूर्यवंशी सहायक शिक्षक, शास.प्राथ.शाला भादा, संकुल- पीथमपुर वि.ख.-नवागढ़
जिला-जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़
फोन- 7974984764, व्हाट्सअप - 8120815021, ई मेल - rajesh.suryavanshi.janjgir@gmail.com
हां,प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। बच्चो की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना । खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो । प्रत्येक बच्चे को उसके रूचि एवं क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर दिया जाएगा।
ReplyDeleteअजीत चौहान
ReplyDeleteजिस बच्चे की सीखने की गति धीमी है उसे पर्याप्त समय देना और उस पर निगरानी रखना |
बच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो।बच्चे सीख रहे हैं या नहीं ,ये भी जरूर देखा जायेगा
ReplyDeleteहां,प्रत्येक बच्चा अलग होता है,क्योंकि उसका परिवार ,उसके दोस्त और उसकी मानसिक,सामाजिक पृष्ठभूमि अलग होती है।
ReplyDeleteबच्चों की उक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्न उपाय करेंगे।
1-खेल गतिविधियां अदल बदल कर
2-हम उम्र बच्चों से बातचीत करवाकर
3-बडे बच्चों से बातचीत के अवसर देकर
4-जोडी से चर्चा करवाकर
5-खोज करने के मौके देकर
6-भय मुक्त वातावरण देकर
7-आत्म विश्वास बनाए रखने और उसे बढाने में मदद कर
8-सहायता और सुझाव देकर
बच्चों को स्वयं सीखने का अवसर प्रदान करना,खोज करने का मौका देकर,समूह में कार्य कराया जा सकता है,खेल गतिविधियों द्वारा ।
ReplyDeleteBachcho ko pura samay dekar unki bato ko sun ker aur unhe karne ka paryapt awasar dekar
ReplyDeleteजी हां सभी बच्चों की सीखने की गति अलग-अलग होती है।
ReplyDeleteYes sabhi students ki apni sikhne ki gati alg hoti hai parivesh bhi alg hoti hai
ReplyDeleteहां , यह सत्य है प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है इसलिए प्रत्येक बच्चों को उसके रुचि एवं क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान करना ताकि वह समग्र विकास कर सके ।
ReplyDeleteKeval kaksha Nahin pure Vishva mein bacche alag alag Prakriti ke hote hain Hamen unhen alag alag tarike se Samjhana padhaanaa padta hai
ReplyDeleteहां जी यह सही है कि प्रत्येक बच्चा का सीखने का तरीका और गति अलग अलग होता है,इस बात को ध्यान में रखकर टूल्स और तकनीक अपनाते हैं।
ReplyDeleteकक्षा मे सभी बच्चो के सीखने की गति व क्षमता भिन्न-भिन्न होती है।उनके आवयकता की पूर्ति हेतु सबको समान अवसर देना चाहेंगे।
ReplyDeleteबच्चे को अवसर देगे की वह किस तरीके से जल्दी सीखता है उसी तरीके को अपनाकर सिखायेंगे जैसे खेल कर गाकर स्वयं करकेआदि
ReplyDeleteFirst identify the learning method of the child. And then use this method in teaching learning process..
ReplyDeleteहां,प्रत्येक बच्चा अलग होता है,क्योंकि उसका परिवार ,उसके दोस्त और उसकी मानसिक,सामाजिक पृष्ठभूमि अलग होती है।
ReplyDeleteबच्चों की उक्त आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निम्न उपाय करेंगे।
1-खेल गतिविधियां अदल बदल कर
2-हम उम्र बच्चों से बातचीत करवाकर
3-बडे बच्चों से बातचीत के अवसर देकर
4-जोडी से चर्चा करवाकर
5-खोज करने के मौके देकर
6-भय मुक्त वातावरण देकर
7-आत्म विश्वास बनाए रखने और उसे बढाने में मदद कर
8-सहायता और सुझाव देकर
नाम- खुशहाली सोनी
सहायक शिक्षक lb
संकुल -खजूरी
P/s ढाबाडीह
प्रत्येक अंतिम बच्चे तक पहुंच कर उसे सीखने का अवसर प्रदान करना है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का सीखने का तरीका अलग होता है और इसके लिए हर बच्चे को प्रोत्साहन और मौका मिलना चाहिए की वो अपने तरीके से सिख सकेऔर शिक्षको को उनके तरीके से सिखाना चाहिए
ReplyDeleteहां मै यह मानती हूँ कि प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। मै कक्षा में बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अलग-अलग तरह की गतिविधियों का आयोजन करती हूं, बच्चों के सीखने की गति के अनुरूप Tlm तैयार करती हूं साथ ही उन्हे सीखने के पर्याप्त अवसर देती हूं।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे का सीखने का तरीका अलग होता है और इसके लिए हर बच्चे को प्रोत्साहन और मौका मिलना चाहिए की वो अपने तरीके से सिख सकेऔर शिक्षको को उनके तरीके से सिखाना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चों के सीखने के तरीके कई हो सकते हैं पहला अपने साथियों के साथ सीखना बड़ों के साथ सीखना विभिन्न चीजों उपकरणों के साथ सीखना जीवन में अनेक अनुभवों से बच्चे खेलते बढ़ते हुए सीखते हैं समझने की कोशिश करते हैं अपने ज्ञानेंद्रियों की सहायता से किसी वस्तु स्थिति को बुझाने का प्रयास करते हैं
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों के लिए अलग अलग योजना बनाकर
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे के सीखने की गति अलग अलग होती हैं । हम बच्चो के अधिगम स्तर के आधार बच्चो के अलग अलग समूह बनाकर अध्यापन करा सकते है ।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चेको सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना
ReplyDeleteजी हां प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग है इसके लिए बच्चों को उसके स्तर के अनुसार से अलग-अलग तरीकों से सिखाने का प्रयास करते हैं या अवसर प्रदान करते हैं
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की सीखने की आयाम , तरीके अलग अलग हो सकती है ऐसे में जाहिर सी बात है ,
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा अलग है !
इन्हें सीखने की स्वायत्त अवसर व विभिन्न TLM की उपलब्धता उनकी सीखने व विकास की प्रक्रिया में अधिक प्रभावशाली होती है।
Pratek bacha alag hota h or har ek bacha alag tarike se sikhta h. Kabhi kabhi kisi chij ko sabhi bache ek bar batane pr sikh jate h or kisi Vishy ko pratek bache ko alag tarike se batana hota h. Isliye hame unki aavshyakta ko dhyan me rakhkar batana chahiye.
ReplyDeleteबच्चो को प्रोत्साहित करना, स्वयं से सीखने के अवसर प्रदान करना,अन्य छात्रों द्वारा सिखाना, TLM के द्वारा सिखाना , खेल द्वारा सीखाने मे ।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे एक दूसरे से भिन्न होते हैं। सीखने, समझने और लिखने की गति अलग-अलग होती है। निम्नलिखित बिंदु के अनुसार उनके समझ बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
ReplyDelete1.समूह बनाकर पढ़ना।
2.परस्पर संवाद बढ़ाना।
3.खेल खेल में सीखना।
4.गतिविधि कराना।
5.कहानी, कविता आदि पढ़ना।
6.अपने अनुभव साझा करने का अवसर उपलब्ध कराना।
7.अपने पर्यावरण को जानना।
8.सामाजिकता से जुड़े
9.स्वआकलन के अवसर
10.प्रोजेक्ट कार्य देना।
ReplyDeleteबच्चो को प्रोत्साहित करना, स्वयं से सीखने के अवसर प्रदान करना,अन्य छात्रों द्वारा सिखाना, TLM के माध्यम से सीखना।
ReplyDelete'बच्चे विभिन्न तरीकों से सीखते हैं — अनुभव के माध्यम से, चीज़ों को बनाने और करने से, प्रयोग, पढ़ने, चर्चा, पूछने, सुनने, विचार करने और स्वयं को भाषण, आंदोलन या लेखन द्वारा व्यक्त करके — व्यक्तिगत रूप से और दूसरों के साथ दोनों तरह से। उन्हें अपने विकास के दौरान इन सभी प्रकार के अवसरों की आवश्यकता होती है
बच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास
ReplyDeleteव्यक्तिगत रूप से प्रोत्साहित करेंगे।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे पर ध्यान रखेंगे व प्रोत्साहित करेंगे।
ReplyDeleteबच्चों को उनके सीखने के तरीको के आधार पर नई नई गतिविधियों सिखने की पर्याप्त अवसर देना चाहिए। जिससे बच्चे अपने जिज्ञासा के अनुरूप सिख सके।
ReplyDeleteAawsar diya jana chahiye
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि उनका समग्र विकास हो।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों को उसकी क्षमता के अनुसार सीखने का पर्याप्त अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों में अपनी पृष्ठभूमि परिवेश व मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के आधार पर बच्चों के सीखने की क्षमता भिन्न भिन्न होती है ।शिक्षक को बच्चों की क्षमता व रूचियों को पहचान कर सीखने की पूर्ण अवसर देना चाहिए ।
ReplyDeleteक्योंकि बच्चे विभिन्न परिवेश से आते है।अत: उनके परिवेश एवम् रुचि को ध्यान में रखा जाए।प्रत्येक बच्चे के सीखने के तरीके अलग होते हैं।इसके लिए उनके आवश्यकता अनुरूप पर्याप्त साधन व अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteश्रीमती एम बी बंजारे
प्राचार्य
सेजस --सेलुद
प्रत्येक बच्चों की सीखने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य करेंगे।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों को सीखने का पर्याप्त अवसर देना होगा और उनका आकलन भी करना होगा
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने का स्तर अलग-अलग होता है,उनके स्तर के अनुसार अध्यापन कार्य कराना चाहिए ।धन्यवाद
ReplyDeleteहाँ हमे प्रत्येक बच्चे को सीखने के लिए अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की स्तर एवं सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती है। बच्चों को उनके स्तर की परख करने के उपरांत उनकी स्तरानुसार कार्य व गतिविधियाँ कराई जाती है। इसी के आधार पर बच्चे की समझ विकसित की जा सकती है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों का स्तर अलग होता है, उनके सीखने की गति भी अलग होती है। बच्चों को सिखाने के लिए अलग-अलग गतिविधियां कराई जाती है जैसे खेल गतिविधि, सामूहिक गतिविधि, कहानी सुनाने की गतिविधि इत्यादि।
ReplyDeleteसभी बच्चों का सीखने का स्तर अलग-अलग होता हैं।सभी बच्चों को उनके स्तर के अनुरूप अवसर प्रदान कर,उन्हें समय देकर,एक ही स्तर के बच्चों को एक ही समूह में रखकर गतिविधियों को करने हेतु पर्याप्त समय व समझ बनाते हुए,धैरतापूर्वक कार्य करने से बच्चें सीखते हैं और सिखाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteहां , प्रत्येक बच्चा अलग है और उनके सीखने के तरीके अलग है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक शिक्षक के रूप में मुझे प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देना पड़ेगा कि प्रत्येक बच्चा किस तरह से अच्छे सीखता है, सुगमता से सीखता है; और कौन-कौन सी आवश्यकता है उसकी ।वह किस माध्यम से, किस तकनीक से, किस विधि से अच्छे सीखता है ;और उन तरीकों को और विधियों को अपनाना मुझे प्रत्येक बच्चे के लिए चाहिए ।
ReplyDeletePratek bacche ko alag tarike se padhana , tahtha use prashn puchne hetu prerit karna, evam use bolne hetu awsar dena.
ReplyDeleteहाँ ! प्रत्येक बच्चा अलग और आपने आप में अद्वितीय होता है साथ ही सीखने के तरीके , सीखने की गति , अभिरुचि तथा प्रवृत्ति में भी भिन्नता होती है. इस प्रकार विद्यालय की प्रत्येक कक्षा विविधतापूर्ण होती है ऐसे में सभी बच्चों को एक ही तरीके से सीखा पाना संभव नहीं होता अतः शिक्षक को शैक्षिक गतिविधियों व शिक्षण में विविध प्रकार के संसाधनों का प्रयोग करते हुए सभी बच्चों की सक्रिय सहभागिता हेतु प्रयास करना चाहिये. बच्चों को आवश्यकतानुसार सुझाव व सहायता भी करनी चाहिये. साथ ही समूह में सीखने व परस्पर सहयोग की भावना के विकास को भी महत्त्व देना चाहिये इसके लिये कक्षा के भीतर व बाहर के खेलों में पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने चाहिये.
ReplyDeleteचिमन लाल साहू
सहायक शिक्षक
शासकीय प्राथमिक शाला खम्हरिया (यदु)
विकासखण्ड- बलौदाबाजार
जिला –बलौदाबाजार ( छत्तीसगढ़ )
Students Swayam ki dakchata avm Purva gyan k aadhar pr sikhenge
ReplyDeleteDekhkar sikhna
nkl krna ,vichar jahir krna
Batchit krna
Sunna sunana
Chhu kr sikhte hai
सभी बच्चों का परिवेश अलग अलग होता है,यहां तक कि हम बड़े व्यक्ति भी अलग अलग परिवेशों से सीख रहे है।ठीक इसी तरह सभी बच्चों के सीखने के लिए भी अलग अलग परिस्थितियां जिम्मेदार बनती है।
ReplyDeleteहाँ ! प्रत्येक बच्चा अलग और आपने आप में अद्वितीय होता है साथ ही सीखने के तरीके , सीखने की गति , अभिरुचि तथा प्रवृत्ति में भी भिन्नता होती है. इस प्रकार विद्यालय की प्रत्येक कक्षा विविधतापूर्ण होती है ऐसे में सभी बच्चों को एक ही तरीके से सीखा पाना संभव नहीं होता अतः शिक्षक को शैक्षिक गतिविधियों व शिक्षण में विविध प्रकार के संसाधनों का प्रयोग करते हुए सभी बच्चों की सक्रिय सहभागिता हेतु प्रयास करना चाहिये. बच्चों को आवश्यकतानुसार सुझाव व सहायता भी करनी चाहिये. साथ ही समूह में सीखने व परस्पर सहयोग की भावना के विकास को भी महत्त्व देना चाहिये इसके लिये कक्षा के भीतर व बाहर के खेलों में पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने चाहिये.
ReplyDeleteविषय ज्ञान को विभिन्न तरीकों से प्रस्तुत करना जैसे तार्किक स्पष्टीकरण, चित्रों और मानसिक मानचित्रों का उपयोग करना, गतिविधियों पर हाथ आदि ... समूह कार्य में, भूमिकाएँ सौंपना समावेश सुनिश्चित करने में बहुत मदद करता है।
ReplyDeleteहा सभी बच्चों मे बुद्धिमत्ता, भिन्न भिन्न होता है, उनके इच्छाओ, विचरो को सम्मान करते हुये, पूरा करने का प्रयास करना चाहिए,कमजोर बच्चे को होशियार बच्चे के साथ, अलग अलग समूह बनाकर, उनके साथ विभिन्न गतिविधि कराये, उनके रूचि आगे आये, झिचक, दूर होये, और होशियर बच्चे जैसा हो जाये, और होता है, उनका बौद्धिक विकास होता है l
ReplyDeleteहर बच्चे अलग होते हैं,मै उनके हिसाब से गतिविधि बदलने का कोशिश करता हूं।ये जरूरी होता है।
ReplyDeleteBachche nirbhay hokr apni eksha ke anusar activities karke sikhne ka awsar Dena chahiye
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ReplyDeleteबच्चों के भय को दूर कर । उन्हें विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित करके ।
ReplyDeleteहर बच्चे की रुचि, सीखने की गति अलग होती है। शिक्षक को धैर्य के साथ पीछे होने वाले बच्चों को भी साथ देना चाहिए।
ReplyDeleteहां,प्रत्येक बच्चा अलग है और उसके सीखने का तरीका भी अलग होता है। बच्चो की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना । खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो । प्रत्येक बच्चे को उसके रूचि एवं क्षमता के अनुसार सीखने का अवसर दिया जाएगा।
ReplyDeleteशरद कुमार सोनी
प्राथमिक शाला महोरा
विकासखंड - बैकुंठपुर
जिला - कोरिया (छत्तीसगढ़)
प्रत्येक बच्चे का स्तर अनुसार योजना तैयार करना,उनके जिज्ञासु प्रवृत्ति को बढ़ावा देना,भय मुक्त वातावरण तैयार करना जिससे निश्चिंत होकर शिक्षक से बात कर सकें।इस प्रकार प्रत्येक बच्चे का मार्गदर्शक के रूप में काम करके सबको अलग अलग सीखने का अवसर दिया जा सकता है।
ReplyDeleteबच्चों को समूह में बांटकर उन्हें कार्य देकर ,जिससे सभी बच्चों अलग अलग कार्य मिलेगा और वे अपने स्तर से सिख सकेंगे
ReplyDeleteबच्चों के स्तर अनुरूप कार्ययोजना तैयार
ReplyDeleteकर सिखाने का प्रयास किया जाएगा।
Bachhon ki vikas ki gtividi ko bdahne ke liye unke star pr jakir unke samajh ke adhar par adhyapak ko margdrsan krna chahiye
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चा को सीखने के लिए पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों के सोच व समझ के अनुसार उनको समझ के उनकी आवश्यकता पूरी करेंगें ।
ReplyDeleteहां,क्योंकि मेरा मानना है कि बच्चे विभिन्न परिवेश से आते है।अत: उनके परिवेश एवं रुचि को ध्यान में रखकर बच्चों को सिखाया जाए।प्रत्येक बच्चे के सीखने के तरीके अलग होते हैं।इसके लिए उनके आवश्यकता अनुरूप पर्याप्त साधन व अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteछोटे बच्चों को सिखाना असीम धैर्य का काम है। शिक्षक का धैर्यवान होना आवश्यक है। पीयर लर्निंग ग्रुप, मनोरंजक गतिविधियों और बच्चों की क्षमता के आधार पर तकनीकी कार्य योजना बनाकर बच्चों की अधिगम क्षमता बढ़ा सकते हैं।
ReplyDeleteमैं अपनी कक्षा के अलग अलग बच्चों को उनकी योग्यता एवं आवश्यकता अनुरूप अलग अलग ग्रुप्स मे बाट के उन्हें उन्ही के अनुसार activities कराऊंगी। साथ ही उन्हें प्रोत्साहित करूँगी के वो अपनी योग्यता अनुसार courses का चुनाव करें।
ReplyDeleteBachhe ko swayam se sikhne hetu prerit karna.
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की सीखने की गति अलग-अलग होती है ,उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने उन्हें स्वयं सीखने के पर्याप्त अवसर देनी चाहिए ।प्रत्येक बच्चा अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार सीखता है प्रत्येक बच्चे की मानसिक बौद्धिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि भिन्न-भिन्न होती है इन सभी के लिए आत्मविश्वास बनाए रखते हुए मदद करने की आवश्यकता है, सहायता एवं सहयोग देकर ,खेल खेल गतिविधियों द्वारा, भयमुक्त वातावरण देकर और समूह में पर्याप्त बातचीत का अवसर देकर उनकी सीखने की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं
ReplyDeleteहां प्रत्येक बच्चे जो है अलग तरीका सीखता है इसलिए कक्षा में आऊंगा उनको भयमुक्त वातावरण विकास के लिए टी आदि के माध्यम से सीखने को प्रसारित करेंगे।
ReplyDeleteOk
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे को उसकू रूचि एवम् क्षमता अनुसार सिखने का अवसर दिया जाएगा।ताकि उनका समग्र विकास हो।
ReplyDeletePratyek bachche ki sikhne ki gati alag alag hoti hai sabhi bachcho ko unke staranusar gatividhi dekar sikhne ka avsar uplabdha karvainge
ReplyDeletePratyek bacche ki sikhane ki gatividhi alag hoti hai isliye Hamen unke anusar unke Ruchi ke anusar unhen sikhane ke liye khel ka upyog Kala Ka upyog Karna chahie
ReplyDeleteबच्चों को स्वयं से सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना। खोज व प्रश्न पूछने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि सीखने की गति का विकास हो
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की स्तर एवं सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती है। बच्चों को उनके स्तर की परख करने के उपरांत उनकी स्तरानुसार कार्य व गतिविधियाँ कराई जाती है। इस हेतु शिक्षक को व्यावसायिक दक्षता हासिल करना आवश्यक है
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की स्तर एवं सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती है। बच्चों को उनके स्तर की परख करने के उपरांत उनकी स्तरानुसार कार्य व गतिविधियाँ कराई जाती है।
ReplyDeleteविद्यालय में प्रत्येक बच्चा अलग-अलग पृष्टभूमि से आते हैं।उनके सीखने की गति में पर्याप्त विविधता पायी जाती है।जो बच्चे धीमी गति से सीखते हैं उनके साथ सहानुभूति पूर्वक बातचीत करते हैं।उनके समस्या से अवगत होकर उचित मार्गदर्शन देते है तथा सीखने का पर्याप्त समय देते हैं।
ReplyDeleteदादूसिंह तोमर सहायक शिक्षक
प्रा शा जोगीसार(GPM)