शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
मेरी समझ से व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य एकेडमिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था तक तो सभी छात्र शिक्षा ग्रहण करते ही हैं उसके पश्चात जब वे माध्यमिक स्तर पर आते हैं तो बहुत से छात्र अपने माता पिता के साथ उनके पुश्तैनी व्यवसाय में लग जाते हैं और इस कारण से विद्यालय शिक्षा को बेकार समझकर उस से विरत भी हो जाते हैं यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही माध्यमिक स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी से जीत कर पाना असंभव कार्य है बृजेश कुमार शर्मा व्याख्याता गणित शासकीय हाई स्कूल खेकतरा दादन विकासखंड लोरमी जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ भारत में रोजगार के अवसरो की कमी है व्यावसायिक पाठ्यक्रम की दक्षताये स्वरोजगार के अवसर उत्तपन करने में सार्थक भूमिका ka निर्वहन कर सकता hi
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।🙏
शिक्षा के व्यवसायीकण से तात्पर्य छात्रों को व्यवसाय से जोड़ना है साथ ही साथ छात्रों को आर्थिक एवम् सामाजिक रूप से मजबूत करना है जिससे छात्र अपना अपना जीविकोपार्जन सुनिश्चित कर सके।
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
Name-anita panigrahi School-goverment high secondre
it is very important for all student . it should be implemented before time in education system because more of unemployment that realy working in that day .it should be starting 6th level student . In young mind is very fast working than older student . I thing every teacher to specialy one area so to use this in your class first . I saw teacher who educated in electrical diploma ,degree that means different area to one period compulsory in personality development .
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य एकेडमिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था तक तो सभी छात्र शिक्षा ग्रहण करते ही हैं उसके पश्चात जब वे माध्यमिक स्तर पर आते हैं तो बहुत से छात्र अपने माता पिता के साथ उनके पुश्तैनी व्यवसाय में लग जाते हैं और इस कारण से विद्यालय शिक्षा को बेकार समझकर उस से विरत भी हो जाते हैं यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही माध्यमिक स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी से जीत कर पाना
Professionalism in education is important for both teachers and students , it helps in promoting various skills like punctuality ,discipline, respect ,hard work, positivity ,practice ,efficiency, etc. These skills lead to build a better future for both of them.
शिक्षा के व्यवसायीकण से तात्पर्य छात्रों को व्यवसाय से जोड़ना है साथ ही साथ छात्रों को आर्थिक एवम् सामाजिक रूप से मजबूत करना है जिससे वे जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सकें ।
शिक्षा के व्यवसायिकरण से विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर आशावान होंगे साथ ही व्यवसायिक शिक्षाके माध्यम से वे जीवन में रोजगार के प्रति निश्चिंत होंगे जरूरत है व्यवसायिक शिक्षा के उद्देश्य को धरातल पर फलीभूत करने की।
सुरेश कुमार मेश्राम व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल अमलीडीह धमतरी
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए उसके पश्चात यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी दे पाना असंभव कार्य है
Vyavsayik shiksha ka concept " shiksha ke sath - sath jeevanyapan karane ki shiksha" hai. Vyavsayik shiksha aaj ki jarurat hai . Ise aisa samajha ja sakata hai ki Bharat vividh dharmon aur bhashaon ka desh hai. Aise me koi anya desh hamari jaruraton par study karate hue apni economy ko strong kar raha hai jabaki hame ghar- ghar me skill develop karate hue aage badhana chahiye aur vikassheel ki jagah sashakt arthvyavastha wala desh hona chahiye. Vyavsayik shiksha swayam aur desh ke liye behatar soch hai jo 100% applicable hona chahiye. (Reena Mishra)
भारत की वर्तमान व्यावसायिक शिक्षा कौशल में पारांगत कर जीवन को समुन्नत ढंग से जीने में समर्थ बनायेगी। गौरीशंकर यादव प्राचार्य शास.हाईस्कूल बुटाकसा वि.खं. चौकी जि.राजनांदगाँव
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इसके अंतर्गत विभिन्न कौशल प्रशिक्षण दिया जाता ह। इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी । ऋषि कुमार साहू हाईस्कूल बगरुमनाला वि.खं.नगरी जिला धमतरी
व्यावसायिक शिक्षा का अर्थ और उद्देश्य शिक्षा को व्यवसाय के साथ जोड़ना ही व्यवसायिक शिक्षा कहलाती हैं। यह शिक्षा आधुनिक युग की नई मांग हैं। 'व्यावसायिक-शिक्षा ' अथवा 'शिक्षा का व्यवसायीकरण' का अर्थ - सामान्य शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक - आर्थिक जीवन के लिए उपयोगी शिल्पों, एवं व्यवसाय का ज्ञान प्राप्त करना l
इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक होना - यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाना। इस शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक ढ़ंग से सिखाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने तथा क्रियाओं के रुचि के अनुकूल होने से इससे प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है। व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भर बनाना - इस शिक्षा प्रणाली में स्वावलम्वन एवं आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को अपनाया जाता है। सर्वागीण विकास - यह शिक्षा बालक के सर्वागीण विकास पर बल देता है। यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार,श्रम तथा कार्य से संबंधित है। इस शिक्षा का आधार व्यक्तित्व का विकास करना है। व्यावसायिक शिक्षा एक विशिष्ट शिक्षा है। व्यावसायिक शिक्षा का रुप स्थिर नहीं रहता है। समय की गति एवं सभ्यता के विकास के साथ इसके रुप में परिवर्तन आता है। यह शिक्षा एक व्यावहारिक शिक्षा है। यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न प्रदान कर जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी होती है। देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना व्यावसायिक शिक्षा का उद्देश्य है।
Along with education from secondary level, students should be given vocational education according to their interest, so that their future will be secure as well as employment opportunities will be available and they will be able to do their own business.
व्यवसायिक शिक्षा महत्वपूर्ण तो है परन्तु धरातल पर यह अच्छे से लागू नही हो पा रहा है व्यवसायिक शिक्षकों द्वारा यह बताया जा रहा है कि बच्चों को सीखाने के लिये पैसे नहीं दिये जाते जिससे उन्हें जो आप बता रहे है वह सब सही तरीके से नहीं हो पाता। केवल यह बाकी विषयों की तरह पढ़ने और लिखने का विषय रह गया है।
व्यवसायी शिक्षा जीवनोपयोगी है पूर्व मे भी दी जाती थी। लेकिन माध्यमिक शिक्षा के बाद होता था। अब साथ साथ शिक्षा देना अच्छी बात है । रोज़गार उन्मुखी शिक्षा होगी।
शिक्षा में व्यायसायिक शिक्षा से बच्चों को अपने भविष्य को संवारने का मौका मिलेगा। अध्ययन पश्चात कौशल के अनुसार समाज में कार्य करेंगे और अपना एवं देश के लिए भला करेंगे।
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है
व्यवसायिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में ऐसे शिक्षा और स्किल का विकास करना है जिसके माध्यम से वह न सिर्फ सैद्धांतिक जानकारी रखें बल्कि अपने स्किल का प्रयोग करते हुए उस क्षेत्र विशेष में प्रायोगिक तौर पर जानकारी प्राप्त करें और अपने देश के कार्यबल में योगदान दें । प्रायोगिक ज्ञान के द्वारा बच्चों में न सिर्फ सीखने की प्रवृत्ति बढ़ेगी बल्कि उनमें कार्य क्षमता का विकास भी होगा और साथ ही वह देश के विकास में भी भागीदार बनेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत व्यवसायिक शिक्षा को प्रभावी रूप से स्कूल शिक्षा के साथ सम्मिलित किया गया है इससे बच्चों में व्यवसायिक शिक्षा को लेकर रूचि भी बढ़ेगी पर साथ ही व्यवसायिक शिक्षा के क्रियान्वयन हेतु उचित रोड मैप की भी आवश्यकता होगी जैसे कि बच्चों को प्रायोगिक तौर पर शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु लैब की आवश्यकता तथा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त किए हुए बच्चों को क्षेत्र विशेष में रोजगार दिलाने हेतु सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के द्वारा सहायता करना। इसके साथ ही व्यवसायिक शिक्षा में कार्यरत प्रशिक्षकों के मनोबल तथा कार्य क्षमता को बढ़ाने हेतु समय-समय पर ट्रेनिंग और जॉब की सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।
शिक्षा के व्यवसायीकरण से तात्पर्य है ऐसी शिक्षा प्रदान करना जो रोजगार मूलक हो अर्थात रोजगार प्राप्त करने में सहायक हो । इससे विद्यार्थियों का ज्ञान ना केवल पुस्तक की ज्ञान तक सीमित रहेगा अपितु वे अधिक व्यवहारिक, प्रायोगिक व कौशल से समृद्ध बन सकेंगे | धन्यवाद ! रमेश कुमार H S S Turekela
व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है। जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में अपने करियर निर्माण करने में मदद मिलती है।
व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है। जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में अपने करियर निर्माण करने में मदद मिलती है।व्यावसायिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत आवश्यक हैं। अशोक कुमार बंजारे व्याख्याता शासकीय हाई स्कूल अमाली विकासखंड कोटा जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
व्यवसायिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है इससे कार्यकुशलता मे बदलाव आयेगा और केरियर निर्माण में सहायक होगा। जिससे बच्चे आत्मनिर्भर होंगे और देश के विकास में सहायक होंगे।
व्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य है कि जब कोई विद्यार्थीर पढकर निकले तो अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें और अपने रोजी-रोटी चला सकें। जनसंख्या वृद्धि के कारण आज दिनोंदिन बेरोजगारी की समस्या बढ़ती ही चली जा रही है और सब के लिए रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की बस की बात नहीं है इसलिए कोई ऐसी व्यवसायिक शिक्षा दी जाए एवं विभिन्न प्रकार की व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से एवं कुशलता प्रदान करके मास्टरी हासिल करके स्वयं का रोजगार एवं लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के उद्योगों में वह अपनी व्यवसायिक शिक्षा का उपयोग कर सके इस तरीके से सरकार को शिक्षा देनी चाहिए जिससे हमारा देश आगे बढ़े।
यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें एक से अधिक रास्ते सबको उपलब्ध हो सकता है, जिससे जीवन संवारने में बच्चों को आसानी होगी। सी एम साहू व्याख्याता Govt hr sec school dargaon
व्यावसायिक शिक्षा मेरे अनुसार माध्यमिक स्तर पर उचित नहीं लग रहा है, बच्चों को पहले व्यवसायिक शिक्षा को समझने योग्य बनाने की आवश्यकता है, इसके बाद ही बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा देना उचित है , माध्यमिक शिक्षा के बाद बहुत संस्थान है जहां व्यावसायिक शिक्षा दिया जा रहा है जैसे आई टी आई, पालिटेक्निक, इंजीनियरिंग , डी एड , बी एड कालेज, ........ इसके साथ ही प्रत्येक कंपनी या संस्था के अन्तर्गत चलने वाले प्रशिक्षण केन्द्र जो अपने कर्मचारियों को उसके काम के अनुरूप प्रशिक्षण दे सकते है।
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित है। संतोष कुमार साहू (व्याख्याता) शासकीय हाई स्कूल सोमनापुर नया कबीर धम छत्तीसगढ़
व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से विद्यालय शिक्षा में व्यवसाय और रोजगारपरक कौशल विकास करना है। यह समय की आवश्यकता है और इससे बच्चों का विद्यालय शिक्षा के प्रति रुझान भी बढ़ेगा। फिर विद्यालय से निकलने वाला हर बच्चा एक कुशल श्रमिक निकलेगा।
ऐसी शिक्षा जो व्यक्तियों को रोजगार भी दिला सकें तथा उनके जिवकोपार्जन का साधन भी बन सकें , व्यवसायिक शिक्षा कहलाती है । वर्तमान में हमारे देश में कई व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित है जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत युवाओं का देश है यहां बहुत बड़ी संख्या में युवा वर्ग को यदि व्यवसायिक शिक्षा सुचारू रूप से दी गई तो इसका बहुत बड़ा लाभ सीधे-सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा जिससे हमारी भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी ।
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ शिक्षा को व्यवसाय से जोड़ना है इसका उद्देश्य अधिक से अधिक विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा देने से हैं ताकि आगे चलकर विद्यार्थी अपने जीवन में कुछ ना कुछ कर सके दूसरों पर आश्रित ना रहे
व्यावसायिक शिक्षा का अर्थ है ऐसी शिक्षा जो केवल theoretical ना हो. आज हम सबने यह महसूस किया है कि हमारे देश में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भी अधिकांश स्टूडेंट्स को अच्छी कंपनियां जॉब्स नहीं दे रही. क्यों? क्योंकि उनके पास प्रैक्टिकल knowledge नहीं होता. हमारे college उन्हें degree देते हैं पर व्यावसायिक कौशल नहीं दे पाते. कंपनियां हो या खुद का व्यवसाय, degree से ज्यादा कौशल की जरूरत होती है. व्यावसायिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में यही कौशल विकसित करना है ताकि वे अपने जीवन व्यापन के लिए दुसरों पर या सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर ना रहे.
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ है,बच्चो को शैक्षिक पठ्यवस्तु ,अक्षरज्ञान के साथ-साथ जीवन कौशलों की शिक्षा देकर उनकी रुचि अनुसार कौशलों को विकसित कर कार्यक्षम बनाना है । माध्यमिक स्तर तक किशोरवय बच्चा जिज्ञासु होता है हर नई चीज सीखने की उसमें ललक होती है अधिगम सुदृढ़ होगा, बेहतर सीखेगा जिसे कभी भूलेगा नही, पूरी कुशलता के साथ वह व्यापार व्यवसाय मे पारंगत होगा अतः व्यवसायिक शिक्षा को माध्यमिक स्तर पर संचालन एक बेहतर कदम होगा।
व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को अपनी ज़िन्दगी को दिशा देने में मदद करेगी, स्नातक होने क् उपरांत भी कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जिन्हें ये समझ नहीं आता की जीवन में अर्थ उपार्जन् किस प्रकार करें। व्यावसायिक शिक्षा ट्रेनिंग क् साथ हो तो उन बच्चोंं के लिए बहुत मदद होगी जिन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता।
व्यावसायिक शिक्षा से बच्चें अपने भविष्य को लेकर जागरूक होंगे। और अपने कैरियर के बारे में उचित मार्गदर्शन ले पायेंगे। Renu Pradhan GOVT.P/S Kastura Block - Duldula Dist. - Jashpur ( C.G.)
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
वर्तमान परिपेक्ष में विद्यालय में व्यवसाय शिक्षण अति आवश्यक है व्यवसायिक शिक्षा से विद्यार्थी भविष्य में अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय करने के लिए प्रेरित होंगे
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है
शिक्षा के व्यवसायीकरण का अर्थ यह नहीं है कि स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा दिया जाए जैसे पीप VET में दिया जाता है। शिक्षा के व्यवसायीकरण का अर्थ है कि व्यवसायिक शिक्षा लेने के पहले विद्यार्थियों को तैयार किया जाए उन्हे व्यवसायिक शिक्षा लेने के योग्य बनाया जाए। शिक्षा के व्यवसायीकरण का यह भी अर्थ है कि विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार की छोटे-छोटे व्यवसाय की सामान्य जानकारी प्रदान किया जाए ताकि वे अपने रुचि व आवश्यकता को जान सकें और इसी बेसिक शिक्षा को आसानी से चुन सकें। शिक्षा के व्यवसायीकरण का यह भी अर्थ है कि देश में व्यवसायिक शिक्षा की महत्व को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त मात्रा में मानव संसाधन तैयार किया जा सके। - उच्च प्राथमिक शाला मातेंगा ब्लॉक केशकाल
कोर्स 03 गतिविधि 5 : सीखने के परिवेश का सृजन– अपने विचार साझा करें सीखने के परिवेश का सृजन करने के लिए अपने स्वयं के कुछ तरीके सोचें और अपने विचार साझा करें।
कोर्स 02 गतिविधि 2 : अपने विचार साझा करें माध्यमिक स्तर पर आई . सी . टी . आपके शिक्षण , अधिगम और मूल्यांकन कार्यों में कैसे सहयोग करती है ? अपनी समझ साझा करें।
कोर्स 08 : सीखने का आकलन गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें आकलन के ऐसे कौन-से प्रकार हैं जिन्हें आप बुनियादी अवस्था में बच्चों के साथ प्रयोग कर सकते हैं ? आकलन के प्रकारों की सूची बनाएं - विशेष रूप से लिखित परीक्षा से भिन्न आकलन के प्रकार सोचें। अपने विचार साझा करें।
व्यावसायिक शिक्षा हो अच्छी बात है। बच्चो में कैरियर को लेकर शंका,कुसंका मिटेगी।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा कैरियर की दृष्टिकोण से बहुत ही अच्छा है।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा कैर्रियर के लिए बहुत बहुत आवश्यक है
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिए तैयार करना है जिससे वे अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सके।
ReplyDeleteVyavsayik shiksha safal jeevan ka mantra hai.
ReplyDeleteमेरी समझ से व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य एकेडमिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था तक तो सभी छात्र शिक्षा ग्रहण करते ही हैं उसके पश्चात जब वे माध्यमिक स्तर पर आते हैं तो बहुत से छात्र अपने माता पिता के साथ उनके पुश्तैनी व्यवसाय में लग जाते हैं और इस कारण से विद्यालय शिक्षा को बेकार समझकर उस से विरत भी हो जाते हैं यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही माध्यमिक स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी से जीत कर पाना असंभव कार्य है
ReplyDeleteबृजेश कुमार शर्मा
व्याख्याता गणित
शासकीय हाई स्कूल
खेकतरा दादन
विकासखंड लोरमी जिला मुंगेली छत्तीसगढ़
🙏बच्चो को भविष्य के लिए तैयार करना। with Practical skills👍🙏
ReplyDeleteवर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ भारत में रोजगार के अवसरो की कमी है व्यावसायिक पाठ्यक्रम की दक्षताये स्वरोजगार के अवसर उत्तपन करने में सार्थक भूमिका ka निर्वहन कर सकता hi
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा से स्वरोजगार बढेगा।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।🙏
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकण से तात्पर्य छात्रों को व्यवसाय से जोड़ना है साथ ही साथ छात्रों को आर्थिक एवम् सामाजिक रूप से मजबूत करना है जिससे छात्र अपना अपना जीविकोपार्जन सुनिश्चित कर सके।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
ReplyDeleteName-anita panigrahi
School-goverment high secondre
it is very important for all student . it should be implemented before time in education system because more of unemployment that realy working in that day .it should be starting 6th level student . In young mind is very fast working than older student . I thing every teacher to specialy one area so to use this in your class first . I saw teacher who educated in electrical diploma ,degree that means different area to one period compulsory in personality development .
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य एकेडमिक शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए क्योंकि किशोरावस्था तक तो सभी छात्र शिक्षा ग्रहण करते ही हैं उसके पश्चात जब वे माध्यमिक स्तर पर आते हैं तो बहुत से छात्र अपने माता पिता के साथ उनके पुश्तैनी व्यवसाय में लग जाते हैं और इस कारण से विद्यालय शिक्षा को बेकार समझकर उस से विरत भी हो जाते हैं यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही माध्यमिक स्तर पर व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी से जीत कर पाना
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा कैरियर के लिए अति आवश्यक है
ReplyDeleteProfessionalism in education is important for both teachers and students , it helps in promoting various skills like punctuality ,discipline, respect ,hard work, positivity ,practice ,efficiency, etc. These skills lead to build a better future for both of them.
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकण से तात्पर्य छात्रों को व्यवसाय से जोड़ना है साथ ही साथ छात्रों को आर्थिक एवम् सामाजिक रूप से मजबूत करना है जिससे वे जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सकें ।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायिकरण से विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर आशावान होंगे साथ ही व्यवसायिक शिक्षाके माध्यम से वे जीवन में रोजगार के प्रति निश्चिंत होंगे
ReplyDeleteजरूरत है व्यवसायिक शिक्षा के उद्देश्य को धरातल पर फलीभूत करने की।
सुरेश कुमार मेश्राम
व्याख्याता
शासकीय हाई स्कूल अमलीडीह धमतरी
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।व्यासायिक शिक्षा का प्रारंभ माध्यमिक स्तर पर ही प्रारंभ हो जाना चाहिए उसके पश्चात यदि उन्हें विद्यालय स्तर पर ही व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी तो उन्हें अपने व्यवसाय के लिए आवश्यक कौशल विकसित होंगे और अपने व्यवसाय को अधिक कुशलता के साथ और निपुणता के साथ चला सके भारत में विशेष आवश्यक है क्योंकि भारत की जनसंख्या वृद्धि से बढ़ रही है और सभी के लिए सरकार द्वारा नौकरी दे पाना असंभव कार्य है
ReplyDeleteVyavsayik shiksha ka concept " shiksha ke sath - sath jeevanyapan karane ki shiksha" hai. Vyavsayik shiksha aaj ki jarurat hai . Ise aisa samajha ja sakata hai ki Bharat vividh dharmon aur bhashaon ka desh hai. Aise me koi anya desh hamari jaruraton par study karate hue apni economy ko strong kar raha hai jabaki hame ghar- ghar me skill develop karate hue aage badhana chahiye aur vikassheel ki jagah sashakt arthvyavastha wala desh hona chahiye. Vyavsayik shiksha swayam aur desh ke liye behatar soch hai jo 100% applicable hona chahiye. (Reena Mishra)
ReplyDeleteभारत की वर्तमान व्यावसायिक शिक्षा
ReplyDeleteकौशल में पारांगत कर जीवन को समुन्नत
ढंग से जीने में समर्थ बनायेगी।
गौरीशंकर यादव
प्राचार्य
शास.हाईस्कूल बुटाकसा
वि.खं. चौकी जि.राजनांदगाँव
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ सामान्य शिक्षा के साथ-साथ विद्यार्थियों को व्यवसाय मूलक या रोजगार मूलक शिक्षा देना है इसके अंतर्गत विभिन्न कौशल प्रशिक्षण दिया जाता ह। इससे विद्यालयीन शिक्षा समाप्त करके वह अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे और बेरोजगारी जैसी समस्या से देश को मुक्ति मिल पाएगी ।
ReplyDeleteऋषि कुमार साहू
हाईस्कूल बगरुमनाला वि.खं.नगरी
जिला धमतरी
व्यावसायिक शिक्षा का अर्थ और उद्देश्य
ReplyDeleteशिक्षा को व्यवसाय के साथ जोड़ना ही व्यवसायिक शिक्षा कहलाती हैं। यह शिक्षा आधुनिक युग की नई मांग हैं। 'व्यावसायिक-शिक्षा ' अथवा 'शिक्षा का व्यवसायीकरण' का अर्थ - सामान्य शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक - आर्थिक जीवन के लिए उपयोगी शिल्पों, एवं व्यवसाय का ज्ञान प्राप्त करना l
इस शिक्षा का आधार मनोवैज्ञानिक होना - यह बालक की रुचि, प्रवृति एवं व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए शिक्षा योजना में शिक्षक एवं पुस्तक के स्थान पर बालक को विशेष महत्व दिया जाना।
इस शिक्षा प्रणाली में प्रत्येक कार्य को वैज्ञानिक ढ़ंग से सिखाया जाता है। विभिन्न क्रियाओं में सक्रिय भाग लेने तथा क्रियाओं के रुचि के अनुकूल होने से इससे प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है।
व्यक्ति को आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बन एवं आत्मनिर्भर बनाना - इस शिक्षा प्रणाली में स्वावलम्वन एवं आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को अपनाया जाता है।
सर्वागीण विकास - यह शिक्षा बालक के सर्वागीण विकास पर बल देता है।
यह शिक्षा जीवन से संबंधित है। यह शिक्षा परिवार,श्रम तथा कार्य से संबंधित है।
इस शिक्षा का आधार व्यक्तित्व का विकास करना है।
व्यावसायिक शिक्षा एक विशिष्ट शिक्षा है।
व्यावसायिक शिक्षा का रुप स्थिर नहीं रहता है। समय की गति एवं सभ्यता के विकास के साथ इसके रुप में परिवर्तन आता है।
यह शिक्षा एक व्यावहारिक शिक्षा है। यह शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान न प्रदान कर जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी होती है।
देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना व्यावसायिक शिक्षा का उद्देश्य है।
व्यवसायिक शिक्षा के समावेशन से शिक्षा में गुणवत्ता का स्तर बढेगा| साथ ही व्यवसायिक कौशल एवं बेरोजगारी की समस्या भी हल करने की ओर एक बेहतरीन कदम है|
ReplyDeleteAlong with education from secondary level, students should be given vocational education according to their interest, so that their future will be secure as well as employment opportunities will be available and they will be able to do their own business.
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा महत्वपूर्ण तो है परन्तु धरातल पर यह अच्छे से लागू नही हो पा रहा है व्यवसायिक शिक्षकों द्वारा यह बताया जा रहा है कि बच्चों को सीखाने के लिये पैसे नहीं दिये जाते जिससे उन्हें जो आप बता रहे है वह सब सही तरीके से नहीं हो पाता। केवल यह बाकी विषयों की तरह पढ़ने और लिखने का विषय रह गया है।
ReplyDeleteव्यवसायी शिक्षा जीवनोपयोगी है पूर्व मे भी दी जाती थी। लेकिन माध्यमिक शिक्षा के बाद होता था। अब साथ साथ शिक्षा देना अच्छी बात है । रोज़गार उन्मुखी शिक्षा होगी।
ReplyDeleteशिक्षा में व्यायसायिक शिक्षा से बच्चों को अपने भविष्य को संवारने का मौका मिलेगा। अध्ययन पश्चात कौशल के अनुसार समाज में कार्य करेंगे और अपना एवं देश के लिए भला करेंगे।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा व्यक्ति राष्ट एवं विश्व के विकाश के लिए जरूरी है।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में ऐसे शिक्षा और स्किल का विकास करना है जिसके माध्यम से वह न सिर्फ सैद्धांतिक जानकारी रखें बल्कि अपने स्किल का प्रयोग करते हुए उस क्षेत्र विशेष में प्रायोगिक तौर पर जानकारी प्राप्त करें और अपने देश के कार्यबल में योगदान दें । प्रायोगिक ज्ञान के द्वारा बच्चों में न सिर्फ सीखने की प्रवृत्ति बढ़ेगी बल्कि उनमें कार्य क्षमता का विकास भी होगा और साथ ही वह देश के विकास में भी भागीदार बनेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत व्यवसायिक शिक्षा को प्रभावी रूप से स्कूल शिक्षा के साथ सम्मिलित किया गया है इससे बच्चों में व्यवसायिक शिक्षा को लेकर रूचि भी बढ़ेगी पर साथ ही व्यवसायिक शिक्षा के क्रियान्वयन हेतु उचित रोड मैप की भी आवश्यकता होगी जैसे कि बच्चों को प्रायोगिक तौर पर शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु लैब की आवश्यकता तथा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त किए हुए बच्चों को क्षेत्र विशेष में रोजगार दिलाने हेतु सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के द्वारा सहायता करना। इसके साथ ही व्यवसायिक शिक्षा में कार्यरत प्रशिक्षकों के मनोबल तथा कार्य क्षमता को बढ़ाने हेतु समय-समय पर ट्रेनिंग और जॉब की सुरक्षा भी दी जानी चाहिए।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा बच्चो के लिए बहुत आवश्यक हैं।
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण से तात्पर्य है ऐसी शिक्षा प्रदान करना जो रोजगार मूलक हो अर्थात रोजगार प्राप्त करने में सहायक हो । इससे विद्यार्थियों का ज्ञान ना केवल पुस्तक की ज्ञान तक सीमित रहेगा अपितु वे अधिक व्यवहारिक, प्रायोगिक व कौशल से समृद्ध बन सकेंगे |
ReplyDeleteधन्यवाद !
रमेश कुमार
H S S Turekela
व्यावसायिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत आवश्यक हैं।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है। जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में अपने करियर निर्माण करने में मदद मिलती है।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा का अर्थ है छात्रों को रोजगार मूलक शिक्षा प्रदान करना इसका उद्देश्य है कि 2025 तक 50% छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना ।
ReplyDeleteVocational education is important for the children's in today's senirios because it is necessity of the education system.
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है। जिससे विद्यार्थियों को भविष्य में अपने करियर निर्माण करने में मदद मिलती है।व्यावसायिक शिक्षा बच्चों के लिए बहुत आवश्यक हैं।
ReplyDeleteअशोक कुमार बंजारे
व्याख्याता
शासकीय हाई स्कूल अमाली
विकासखंड कोटा
जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़
व्यावसायिक शिक्षा से अभिप्राय है एक जिम्मेदार, स्व लम्बी,, कुशल, व्यवहारिक नागरिक निर्माण हेतु, पथ prasast करना
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है इससे कार्यकुशलता मे बदलाव आयेगा और केरियर निर्माण में सहायक होगा। जिससे बच्चे आत्मनिर्भर होंगे और देश के विकास में सहायक होंगे।
ReplyDeleteVocational education bacchon ke liye atyant avashyak hai hai Kyunki ki vah pathyakram adhyayan ke sath sath Rojgar mulak Shiksha prapt kar sakte hain
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा से छात्र के जीवनयापन हेतु मार्ग प्रशस्त होगा।इसकी आवश्यकता थी और इसे लागू करने से बेरोजगारी भी बहुत हद तक कम होगी।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा विद्यर्थियों को जीवन के लिए तैयारी में सहायक है,विद्यार्थियों में ज्ञान ,कौशल का विकास होगा ।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा अत्यावश्यक है।मात्र सैद्धांतिक न होकर व्यावहारिक व्यावसायिक ज्ञान की सख्त आवश्यकता है।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा बच्चों को उनके रूचिकर व्यवसाय को चुनने तथा भविष्य में जीवनयापन के लिए उन्हें सक्षम बनाएगा ।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा से तात्पर्य है कि जब कोई विद्यार्थीर पढकर निकले तो अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें और अपने रोजी-रोटी चला सकें।
ReplyDeleteजनसंख्या वृद्धि के कारण आज दिनोंदिन बेरोजगारी की समस्या बढ़ती ही चली जा रही है और सब के लिए रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की बस की बात नहीं है इसलिए कोई ऐसी व्यवसायिक शिक्षा दी जाए एवं विभिन्न प्रकार की व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से एवं कुशलता प्रदान करके मास्टरी हासिल करके स्वयं का रोजगार एवं लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के उद्योगों में वह अपनी व्यवसायिक शिक्षा का उपयोग कर सके इस तरीके से सरकार को शिक्षा देनी चाहिए जिससे हमारा देश आगे बढ़े।
यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें एक से अधिक रास्ते सबको उपलब्ध हो सकता है, जिससे जीवन संवारने में बच्चों को आसानी होगी।
ReplyDeleteसी एम साहू
व्याख्याता
Govt hr sec school dargaon
व्यावसायिक शिक्षा मेरे अनुसार माध्यमिक स्तर पर उचित नहीं लग रहा है,
ReplyDeleteबच्चों को पहले व्यवसायिक शिक्षा को समझने योग्य बनाने की आवश्यकता है, इसके बाद ही बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा देना उचित है ,
माध्यमिक शिक्षा के बाद बहुत संस्थान है जहां व्यावसायिक शिक्षा दिया जा रहा है जैसे आई टी आई, पालिटेक्निक, इंजीनियरिंग , डी एड , बी एड कालेज, ........
इसके साथ ही प्रत्येक कंपनी या संस्था के अन्तर्गत चलने वाले प्रशिक्षण केन्द्र जो अपने कर्मचारियों को उसके काम के अनुरूप प्रशिक्षण दे सकते है।
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित है। संतोष कुमार साहू (व्याख्याता) शासकीय हाई स्कूल सोमनापुर नया कबीर धम छत्तीसगढ़
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से विद्यालय शिक्षा में व्यवसाय और रोजगारपरक कौशल विकास करना है। यह समय की आवश्यकता है और इससे बच्चों का विद्यालय शिक्षा के प्रति रुझान भी बढ़ेगा। फिर विद्यालय से निकलने वाला हर बच्चा एक कुशल श्रमिक निकलेगा।
ReplyDeleteऐसी शिक्षा जो व्यक्तियों को रोजगार भी दिला सकें तथा उनके जिवकोपार्जन का साधन भी बन सकें , व्यवसायिक शिक्षा कहलाती है । वर्तमान में हमारे देश में कई व्यवसायिक पाठ्यक्रम संचालित है
ReplyDeleteजैसा कि हम सभी जानते हैं भारत युवाओं का देश है यहां बहुत बड़ी संख्या में युवा वर्ग को यदि व्यवसायिक शिक्षा सुचारू रूप से दी गई तो इसका बहुत बड़ा लाभ सीधे-सीधे भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा जिससे हमारी भारत की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी ।
व्यवसायिक शिक्षा का अर्थ शिक्षा को व्यवसाय से जोड़ना है इसका उद्देश्य अधिक से अधिक विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा देने से हैं ताकि आगे चलकर विद्यार्थी अपने जीवन में कुछ ना कुछ कर सके दूसरों पर आश्रित ना रहे
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा का अर्थ है ऐसी शिक्षा जो केवल theoretical ना हो. आज हम सबने यह महसूस किया है कि हमारे देश में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भी अधिकांश स्टूडेंट्स को अच्छी कंपनियां जॉब्स नहीं दे रही. क्यों?
ReplyDeleteक्योंकि उनके पास प्रैक्टिकल knowledge नहीं होता. हमारे college उन्हें degree देते हैं पर व्यावसायिक कौशल नहीं दे पाते. कंपनियां हो या खुद का व्यवसाय, degree से ज्यादा कौशल की जरूरत होती है. व्यावसायिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में यही कौशल विकसित करना है ताकि वे अपने जीवन व्यापन के लिए दुसरों पर या सरकारी नौकरियों पर ही निर्भर ना रहे.
शिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा का अर्थ है,बच्चो को शैक्षिक पठ्यवस्तु ,अक्षरज्ञान के साथ-साथ जीवन कौशलों की शिक्षा देकर उनकी रुचि अनुसार कौशलों
ReplyDeleteको विकसित कर कार्यक्षम बनाना है ।
माध्यमिक स्तर तक किशोरवय बच्चा जिज्ञासु होता है हर नई चीज सीखने की उसमें ललक होती है अधिगम सुदृढ़ होगा, बेहतर सीखेगा जिसे कभी भूलेगा नही, पूरी कुशलता के साथ वह व्यापार व्यवसाय मे पारंगत होगा अतः व्यवसायिक शिक्षा को माध्यमिक स्तर पर संचालन एक बेहतर कदम होगा।
व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को अपनी ज़िन्दगी को दिशा देने में मदद करेगी, स्नातक होने क् उपरांत भी कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जिन्हें ये समझ नहीं आता की जीवन में अर्थ उपार्जन् किस प्रकार करें। व्यावसायिक शिक्षा ट्रेनिंग क् साथ हो तो उन बच्चोंं के लिए बहुत मदद होगी जिन्हें उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पाता।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा से बच्चें अपने भविष्य को लेकर जागरूक होंगे। और अपने कैरियर के बारे में उचित मार्गदर्शन ले पायेंगे।
ReplyDeleteRenu Pradhan
GOVT.P/S Kastura
Block - Duldula
Dist. - Jashpur ( C.G.)
ग्रामीण क्षेत्र के छात्र छात्राओ के लिए विशेष उपयोगी है ।वयवसायिक शिक्षा ।
ReplyDeleteव्यावसायीक शिक्षा आज कल के माहोल में बहोतही बुनियादी साबीन हो के २ हेगी ऐसा मेरा मानना है .
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है ।।
ReplyDeleteवर्तमान परिपेक्ष में विद्यालय में व्यवसाय शिक्षण अति आवश्यक है व्यवसायिक शिक्षा से विद्यार्थी भविष्य में अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय करने के लिए प्रेरित होंगे
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण बच्चो को उनके रुचिकर व्यवसाय और भावी जीवन यापन हेतु एक आयाम तय करेगा , और व्यवसायिक शिक्षा करके सीखने और उसे मूर्त रूप देने में महती भूमिका अदा करती है और हाथों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कड़ी है क्योंकि थ्योरिटिकल नॉलेज से बच्चे विषयवस्तु के सभी पहलुओ का अनुभव नही कर पाते पाते इसलिए पूर्ण अधिगम से वंचित रह जाते है
ReplyDeleteशिक्षा के व्यवसायीकरण का अर्थ यह नहीं है कि स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा दिया जाए जैसे पीप
ReplyDeleteVET में दिया जाता है। शिक्षा के व्यवसायीकरण का अर्थ है कि व्यवसायिक शिक्षा लेने के पहले विद्यार्थियों को तैयार किया जाए उन्हे व्यवसायिक शिक्षा लेने के योग्य बनाया जाए। शिक्षा के व्यवसायीकरण का यह भी अर्थ है कि विद्यार्थियों में विभिन्न प्रकार की छोटे-छोटे व्यवसाय की सामान्य जानकारी प्रदान किया जाए ताकि वे अपने रुचि व आवश्यकता को जान सकें और इसी बेसिक शिक्षा को आसानी से चुन सकें। शिक्षा के व्यवसायीकरण का यह भी अर्थ है कि देश में व्यवसायिक शिक्षा की महत्व को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त मात्रा में मानव संसाधन तैयार किया जा सके।
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