कोर्स 02 (FLN) गतिविधि 1 : अपने विचार साझा करें
कोर्स 02
गतिविधि 1 : अपने
विचार साझा करें
प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को आपके द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करें।
क्या सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है और उनकी निश्चित परीक्षण
सारणी है या सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है? आपके विचार में शिक्षार्थी
केंद्रित पद्धति के प्रयोग के क्या लाभ/सीमाएँ हैं? अपने विचार साझा करें।
विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा जरूरी है।स्लाइड प्रोजेक्टर उपयोगी है।मैंने स्कूलों हेतु सस्ता,टिकाऊ स्लाइड प्रोजेक्टर डिजाइन,पेटेंट किया।लिंक से कुछ जानकारी।मै सारे स्कूलों में उपलब्ध कराने में सक्षम हूं।https://youtu.be/fXPLKVvKja4
ReplyDeleteLink से इस पर प्रकाश ......
Shiksharthi kendrit paddhati se bachchon ko sikhane ka saman avasar prapt hota hai apne star ke anusar sikh pate hain
Deleteविद्यार्धी केन्द्रित शिक्षा आवश्यक है परन्तु शिक्षक पाठ्यक्रम पूरा करने के दबाव में आवश्यकता अनुसार शिक्षण कार्य नहीं हो पाता।अगर पाठ्यक्रम का दबाव न हो तो आसानी से लक्ष्य तक पहुॅचा जा सकता है।
Deleteशिक्षक की कमी , समय की कमी, बी एल ओ. डीबीटी.,छात्रवृत्ति पंजीयन, NAS.बेसलाइन मुल्यांकन फिर एंट्री मे लगे हैं ... स्तर बड जाय तो अच्छा है..।
Deleteबाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत दक्षता आधारित शिक्षण अति आवश्यक है। परंतु दक्षता आधारित शिक्षण के लिए स्कूल में शिक्षकों की आवश्यकता भी उतनी ही जरूरी है। विकासखंड से दूरस्थ विद्यालयों में अभी भी शिक्षक और छात्र का अनुपात सही नहीं है जिससे वर्तमान में कोई शिक्षक अपनी रूचि के अनुसार पढ़ाना चाहते हुए भी पढ़ा नहीं पा रहा है। यदि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का कार्य ही दे दिया जाए तो शिक्षा के स्तर में निश्चय ही वृद्धि होगी।
Deleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है जिससे बच्चों का उनके स्तर के अनुसार सीखना सुनिश्चित हो सके।
Deleteबाल केंद्रित शिक्षा बहुत ही अनिवार्य है। बाल केंद्रित शिक्षा बच्चों को सीखने के लिए बहुत ही अच्छा अवसर प्रदान करती है । इसमें हमें और अधिक प्रयास की आवश्यकता है। बच्चों में दक्षता लाने के लिए बाल केंद्रित शिक्षा के अनुसार प्रत्येक बच्चों के
Deleteलिए एक ही दक्षता के लिए अलग-अलग गतिविधि की आवश्यकता होती है इसे बच्चों में दक्षता की समझ विकसित हो सके।
बाल केंद्रित शिक्षा अनिवार्य है। बाल केंद्रित शिक्षा में बालकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सीखने सिखाने के कार्य किया जाता है जबकि समान शिक्षण पद्धति में सभी बच्चों को एक निश्चित कौशल को एक ही पद्धति है या पैटर्न में सीखने सिखाने के माहौल में रखा जाता है। इसमें क्या होता है जिस बच्चे की दक्षता समृद्ध हो आगे निकल जाते हैं और जिनकी सोचने की समझने की क्षमता कमजोर है पीछे रह जाते हैं। इसेलिए बाल केंद्रित शिक्षा एवं दक्षता आधारित शिक्षा आज की आवश्यकता हो गई है इसे निश्चित रूप से लागू किया जाना चाहिए
Deleteछात्रों की आयु , वातावरण , मानसिक , शारीरिक, आर्थिक विविधता को ध्यान में रखकर शिक्षा देनी चाहिए । तभी सी बी ए की मान्यताओं के अनुसार लर्निंग आउट कम प्राप्त होगा ।
Deleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना है, हमारे यहां अलग अलग शिछर्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने के मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा की एक प्रमुख सीमा है
बाल केंद्रित शिक्षा जरूरी है
ReplyDeleteविद्यार्धी केन्द्रित शिक्षा आवश्यक है परन्तु शिक्षक पाठ्यक्रम पूरा करने के दबाव में आवश्यकता अनुसार शिक्षण कार्य नहीं हो पाता।अगर पाठ्यक्रम का दबाव न हो तो आसानी से लक्ष्य तक पहुॅचा जा सकता है।
Deleteशिक्षात्री केंद्रित पद्धति से हम बच्चो को बहुत कुछ सीखने का अवसर देते है
ReplyDeleteबच्चों को परिवेश आधारित रुचि कर शिक्षा दी जानी चाहिए
ReplyDeleteसहमत
Deleteविद्यालयों में गैर शैक्षणिक कार्य ज्यादा है जिस कारण शिक्षण कार्य बाधित होता है। निष्ठा ट्रेनिंग में दिए गए वीडियो ज्यादा हाई क्वालिटी के होने के कारण प्ले करने में समस्या होती है
ReplyDeleteविद्यालय में शिक्षकों की कमी के साथ गैर शिक्षकीय कार्य व विभिन्न जानकारियां बनाने तथा भेजने में समय लगता है। शिक्षक चाहकर भी बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते। जिसके कारण बच्चों की में अपेक्षित गुणवत्ता नहीं आ पाता।
Deleteविद्यार्थी केंद्रित पद्धति के अंतर्गत विद्यालयो के कक्षा-कक्ष मे छात्रो के आवश्यकतानुसार पठन-पाठन एवं परीक्षण होना चाहिए जिससे सिखने के प्रतिफलो को प्राप्त किया जा सके और शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्यो से दूर रखा जाय। ताकि शिक्षक अधिक से अधिक समय छात्रो के साथ रहकर शिक्षण कार्य कर सके।
ReplyDeleteShikshan ka Swaroop Bal kendrit Hona chahie
Deleteवर्तमान निर्मित परिस्थितियों में शिक्षक व छात्रों को पर्याप्त समय की आवश्यकता है
Deleteअभी भी स्कूलों में बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नहीं दिया जा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे -समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधनों की कमी, लेकिन विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है ।इसके लिए शिक्षकों को भी व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना होगा।
(1)यह सच है की बच्चे भिन्न भिन्न पारिवारिक पृष्ठ भूमि से आते जिसके कारण उनमें दक्षता प्राप्त करने के समय में अंतर होता ही है लेकिन हमारी शिक्षा प्रणाली का एक भाग यह होता है कि कोर्स को पूरा करना
ReplyDelete(2) व्यवस्था करना और गुणवत्ता दोनों अलग अलग है
हमारी शिक्षा प्रणाली में व्यवस्था आधारित हैं
जैसे किसी स्कूल में कक्षा पहिली से पांचवी तक दर्ज संख्या 30/60/90है तो दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षक रखें जाते हैं यही व्यवस्था चल रही है
जिसके कारण जहां अधिक शिक्षक है वहां के छात्र छात्राओं को सीखने के लिए अधिक समय मिलता है और जहां कम शिक्षक है वहां के छात्र छात्राओं को सीखने के लिए कम समय मिलता हैं
इस अंतर को दूर करने का प्रयास करना भी अधिक जरूरी है
हमारी शिक्षा प्रणाली में निरंतर बदलाव किया जा रहा है। विद्यार्थियों की अधिगम गति भिन्न भिन्न होने तथा विद्यालय की भिन्न भिन्न समस्याओं के कारण एक तरीके से सभी विद्यार्थियों का मापन तर्क संगत नहीं होगा।
ReplyDeleteBalkendrit shiksha bahut jaruri hai.
ReplyDeleteचाहे बच्चा कोई भी परिवेश का हो परीक्षा तो सबके लिए एक समान है
ReplyDeleteटीचर को शिक्षा देने के लिए स्वतंत्र रखना चाहिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग बंद होने चाहिए
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा देना चाहिए
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteअतः शिक्षक को चाहिए कि वह बच्चों को गतिविधि आधारित एवं खेल खेल में शिक्षा प्रदान करें।
बाल केन्द्रित शिक्षा अति आवश्यक है,वर्तमान समय में शिक्षकॊ द्वारा प्रयास किया जा रहा हैं पर सनसाधनो की कमी,कोर्स पुर्ण करना, शिक्षकॊ की कमी, आदि कई कारण है जिसका भी निवारण जरुरी है।
ReplyDeleteSikchan kendro me bachcho k vicharo ka adhyayan ho
ReplyDeleteTest prnali se students ko dur rkha jay
Vo kya kahna chahta hai use sunne wala koi nhi hai
Ya vo kya likh rha hai aur uske sanketik bhasha kya kah rha hai use prkhne wala koi nhi hai
Test lekr fail aur Pass ye jivan bhr chlta hai students aadi ho jate hai
Ve shikcha k mhtwa se koso duur ho jate hai aur ve apni bat jivan bhr nhi kah pate
anbhigyata phle hm sbki hai
Student ki Swayam ki dakchata kahan hai? unke soch aur jigyasa kaha hai?
Suddh-Ptn ,lekhan ,sankhya_ gyan ,Aadrsh-Vachn ye to buniyadi shikcha
hai hi lekin,
Sunna Sbse phle aata hai jo jitna sunega vo utna hi achcha kahega ya bolega aur utna hi smjhega
FLN ka mukhya uddeshya bhi yhi hai .
हमारी द्वारा शिक्षार्थियों को शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षण देने का पूरा प्रयास रहता है परंतु प्रशासन की निर्देशानुसार कोर्स पूरा करने का दबाव हम शिक्षकों पर होता है जिसके कारण हम सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना पड़ता है जब की आवश्यकता होती है निम्न स्तर के बच्चों को साथ लेते हुए हम आगे बढ़े इसके लिए जरूरी है की पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव शिक्षकों पर ना डाला जाए।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती हैं। तथा बच्चे भी अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं।हमारी कोशिश तो यही रहती है कि प्रत्येक बच्चों पर समान रुप से फोकस किया जाए परन्तु कहीं न कहीं अन्य कार्य प्रभावित करता हैं।
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित पद्धति के अंतर्गत विद्यालयो के कक्षा-कक्ष मे छात्रो के आवश्यकतानुसार पठन-पाठन एवं परीक्षण होना चाहिए जिससे सिखने के प्रतिफलो को प्राप्त किया जा सके और शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्यो से दूर रखा जाय। ताकि शिक्षक अधिक से अधिक समय छात्रो के साथ रहकर शिक्षण कार्य कर सके
ReplyDeleteहम शिक्षकों के द्वारा छात्रों को बाल केंद्रित शिक्षा देने का पूरा प्रयास रहता है किन्तु अधिकारियों का दबाव कोर्स पूरा करने पर रहता है.जिसके कारण हमें सभी बच्चों को एक साथ लेकर चलना पड़ता है.पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव ,गैर शिक्षकीय कार्य कराना बाल केंद्रित शिक्षण में बाधक है.
ReplyDeleteहमारा पूरा प्रयास रहतT है कि सभी बच्चो पर समान रूप से फोकस किया जाय लेकिन कोर्स पूरा कराने का दबाव रहतT है और अन्य काम प्रभावित करते है
ReplyDeleteअध्यापन कार्य रूचिपूर्ण एवं बाल कद्रित होना चाहिए।
ReplyDeleteमेरा पूरा प्रयास रहता हैं कि सभी बच्चों पर फोकस समान रूप से रहे लेकिन अन्य कार्य प्रभावित करते हैं।
ReplyDeleteStudent centered education
Deleteविद्यार्थी आधारित शिक्षा पर मैं विशेष ध्यान देती हूं और उनकी रूचि के आधार पर बात चीत , चर्चा और अध्यापन कराती हूं।
ReplyDelete
ReplyDeleteशिक्षाथिर्यो ki sikhane mein Main vividhta ko Dhyan Mein Nahin Rakha jata hai vidyarthiyon mein Main sikhane ki vividhta per Dhyan Rakha Jayega Tu To avashya Labh hoga lekin iske liye Sabhi kaksha mein Shikshak uplabdh hone chahie Taki ki sikhane mein Main vividhta per II lagatar Dhyan De sake vartman mein sthiti hai ki Sabhi kaksha mein Shikshak uplabdh Nahin Hai koi bhi Shikshak Sabhi kaksha par Dhyan Nahin Rakh Sakta isliye Ye pahle yah yah sunishchit kiya jaaye ki Sabhi kaksha mein Main Shikshak Hoon tabhi e yah Shikshak Pranali Safal ho payega।
Vidyarthy kendrit shiksha me bachcho ke sikhane ki gati sabse jyada prabhaavit karti hai or dusari chij shikshko ki kami ke karan sabhi bachcho par dhyan dene me bhi paresani hoty hai
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को उसकी मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। उन्हें स्वतंत्र रूप से अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान किया जाता है जैसे-छोटे-छोटे कविता बोलना, अपने घर के बारे में बताना आदि। बच्चों को सिखाने में विविधता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि कुछ बच्चे घर से ही बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में दक्ष होते हैं जबकि कुछ बच्चों में यह दक्षता नहीं होती है। बच्चों को बाल केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteविधार्थी आधारित शिक्षण पद्धति द्वारा छात्र ज्यादा अच्छे से अधिगम कर सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों को सीखने सिखाने का समान अवसर देना चाहिए।वे अलग अलग परिवेश से आते हैं । उन्हें उनके स्तर को समझ कर आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देना होगा एवं प्रत्येक विद्यालय में कम से कम 3 शिक्षक पढ़ाने के लिए अवश्य ही होने चाहिए
ReplyDeleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना है, हमारे यहां अलग अलग शिछर्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने के मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा की एक प्रमुख सीमा
विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे के स्तर को ध्यान में रखकर शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अपनाने से बच्चों में विषय वस्तु या कौशल के प्रति गहरी समझ होती जाती है।
बच्चे मे वांछित परिणाम दिखने शुरू हो जाते हैं।
बाल केंद्रीत शिक्षा के साथ साथ स्थानीय क्षेत्र ,बोली,वातावरण के आधार पर शिक्षा हो तो सीखने सिखाने में आनंद मिलता है।
ReplyDeleteवर्तमान के प्रत्येक विद्यार्थी को उनके स्तर अनुसार शिक्षा देना मुश्किल है अभी 2 माह हुए है स्कूल खुले एक महीने से केवल आकलन चल रहा है।अब nsa टेस्ट होगा।
ReplyDeleteपढ़ाने का पर्याप्त अवसर मिलना चाहिए।
स्कूलों में शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्यों को ना लेते हुए दक्षता आधारित शिक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। विद्यार्थी केंद्रित शिक्षण से विद्यार्थियों में सीखने की रूचि उत्पन्न होती है। विद्यार्थियों में लर्निंग आउटकम पाने हेतु पर्याप्त अवसर की आवश्यकता है।
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे के स्तर को ध्यान में रखकर शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अपनाने से बच्चों में विषय वस्तु या कौशल के प्रति गहरी समझ होती जाती है।
बच्चे मे वांछित परिणाम दिखने शुरू हो जाते हैं और उनका मानसिक और बौद्धिक विकास तीव्र गति से होने लगता है , इससे उनके अंदर सीखने की लालसा उत्पन्न होती है और बच्चे कक्षा और कक्षा के बाहर भी गतिविधियों में भाग लेने लगते है जो कि एक अच्छे अधिगम क्षमता का सूचक है ।
यदि विद्यार्थी को स्टूडेंट ओरिएंटेड लर्निंग दिया जाए तो विद्यार्थी में एक सीखने की भावना उत्पन्न होती है उसकी इच्छा होती है कि आगे मैं और जानू एक बेहतर वातावरण का निर्माण होता है बच्चे उत्सुकता से रूचि पूर्वक उस चीज को सीखने लग जाते हैं इसलिए हम अपने विद्यालय को जहां तक हो सके स्लाइडर प्रोजेक्ट यदि हो तो संभव हो तो ऐसा तो कर ही सकते हैं
ReplyDeleteसभी बच्चों को सीखने के समान अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteप्रारंभिक अवस्था में सभी बच्चों का भावनात्मक स्तर, सीखने की गति, अभिव्यक्ति, अवलोकन क्षमता और भाषाई संप्रेषण भिन्न भिन्न होती है।बाल केंद्रित शिक्षा में सभी बच्चों को समान अवसर उपलब्ध होंगे जो उनके सिखने के लिए अतिआवश्यक है। शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा में यह अवसर बच्चों को अनुपलब्ध होगा। अतएव बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति से बच्चों का विकास और सिखने का स्तर अच्छा होगा।
ReplyDeleteविद्यार्थियों को वास्तविक चीजों से परिचय कराते हुए पठन कौशल को शामिल करना चाहिए। ताकि अवधारणा समझने में सरलता हो।
ReplyDeleteवर्तमान समय मे बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति बहुत आवश्यक है।अधिकांशतः इस ओर शिक्षक ध्यान नही दे रहे है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि बच्चे स्तर अनुसार उपलब्धि प्राप्त करने में समर्थ नही हो पा रहे है। बच्चों के लिए शिक्षण सारिणी निर्मित है परंतु ये खाना पूर्ति मात्र है।
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों के लिए बुनियादी शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है। बच्चों भिन्नता तथा सीखने की गति में अंतर को ध्यान में रखकर एक अभिनव प्रयास, कमाल विधि से शिक्षण को भी मान सकते हैं, जिसमें बच्चों को हरा, नीला और लाल घर के रुप में चिन्हांकित कर अध्यापन करातें हैं ताकि सभी बच्चे सीखने के प्रतिफल को हासिल करें|
ReplyDeleteअतः शिक्षक को चाहिए कि वह बच्चों को गतिविधि आधारित एवं खेल खेल में शिक्षा प्रदान करें।
प्रत्येक छात्र की सीखने की गति अलग-अलग होती है तथा बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते है।हमारी कोशिश तो यही रहती कि प्रत्येक बच्चे पर समान रुप से फोकस किया जाए परंतु कहीं न कहीं अन्य प्रभावित करता है।यदि शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति का प्रयोग किया जाए तो बच्चे अपनी गति और स्तर के अनुसार रूचिकर ढंग से सीखेंगे।
ReplyDeleteप्रत्येक छात्र की सीखने की गति अलग-अलग होती है तथा बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते है।हमारी कोशिश तो यही रहती कि प्रत्येक बच्चे पर समान रुप से फोकस किया जाए परंतु कहीं न कहीं अन्य प्रभावित करता है।यदि शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति का प्रयोग किया जाए तो बच्चे अपनी गति और स्तर के अनुसार रूचिकर ढंग से सीखेंगे।
DeleteREPLY
बच्चों को सीखने सिखाने का समान अवसर देना चाहिए।वे अलग अलग परिवेश से आते हैं । उन्हें उनके स्तर को समझ कर आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को उसकी मातृभाषा में शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है। उन्हें स्वतंत्र रूप से अपने विचारों की अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान किया जाता है जैसे-छोटे-छोटे कविता बोलना, अपने घर के बारे में बताना आदि। बच्चों को सिखाने में विविधता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है क्योंकि कुछ बच्चे घर से ही बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान में दक्ष होते हैं जबकि कुछ बच्चों में यह दक्षता नहीं होती है। बच्चों को बाल केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteवर्तमान समय मे बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति बहुत आवश्यक है।
ReplyDeleteबच्चों को परिवेश आधारित एवं बाल केन्द्रित शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteअजीत चौहान
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्वति अच्छा है पर शिक्षकों को पालको का सहयोग नहीं मीलता साथ- साथ अधिकतर सरकारी स्कूलों के बच्चों के घर मे पढ़ाई का माहौल नहीं है
एक गाँव मे तीन चार सरकारी स्कूल खोलने के बजाय एक ही रहना चाहिए, जिससे शिक्षकों की कमी कुछ हद तक दूर हो जाएगी या गाँव के स्कूलों के कक्षाओं का बटवारा कर देना चाहिए जिससे एक कक्षा एक शिक्षक हो जाएगी और पढ़ाई काफी हद तक सुधार जाएगी |
बच्चों को उनके परिवेश, उनकी रूचि व उनकी आयु के अनुसार शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए तथा शिक्षा बाल केंद्रित होनी चाहिए ।
ReplyDeleteकही ना कही विधार्थी केंद्रित शिक्षा की कमी आई
ReplyDeleteबच्चों में प्रारंभिक वर्षों में सीखने की ललक अधिक होती है इस कारण उन्हे शिक्षक केन्द्रित शिक्षण न देकर विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा प्रदान करना उपयुक्त होगा । उनके लिए ऐसा वातावरण निर्माण करना होगा जो खेल खेल में शिक्षा देने के लिए गतिविधि आघिरत हो ताकि बच्चे अवधारणाओं को समझने एवं सीखने में दक्षता हासिल कर सकें ।
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की दक्षता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा देने की आवश्यकता है ।धन्यवाद
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित शिक्षा बहुत ही आवश्यक है, जिससे बच्चे समझ के साथ पढ़ने _लिखने में सक्षम हो।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी रुचि इच्छा के अनुसार शिक्षा दी जानी चाहिए । अनावश्यक दबाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को सीखने हेतु विभिन्न गतिविधि आधारित शिक्षण पद्धति उपयोग में लाया जाना चाहिये।
ReplyDeleteशिक्षात्री केंद्रित पद्धति से हम बच्चो को बहुत कुछ सीखने का अवसर देते है। लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीक्षा लेना पड़ता है।
ReplyDeleteबच्चों की सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती हैं। तथा बच्चे भी अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं।हमारी कोशिश तो यही रहती है कि प्रत्येक बच्चों पर समान रुप से फोकस किया जाए परन्तु कहीं न कहीं अन्य कार्य प्रभावित करता हैं।
ReplyDeleteThere has been observed a great change after launched ssa now teachers appreciate individual difference and tires to meet their requirements.but there is a lot to be done. It is observed that there's no systematic tracking and remediation for each school. I am hoping that it will be developed soon.
ReplyDeletePrarambhik varsh main bacchon ko sikhana bahut hi pareshani hoti hai kyunki ki bacchon ki sikhane ki pratifal mein Kai sari pareshani aati hai aur bacche ki mansik ki sthiti ek saman nahin Hoti isliye bacchon ko Khel Khel ke madhyam se unke Ruchi ke anusar sikhaya ja sakta hai
Deleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना है, हमारे यहां अलग अलग शिछर्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने के मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा की एक प्रमुख सीमा है
श्री खुशहाली सोनी
संकुल खजूरी
प्रा.शा.ढाबाडीह
बलौदाबाज़ार
बाल केंद्रित शिक्षा जरूरी है।और शिक्षा आनंदपूर्ण वातावरण में हो ।
ReplyDeleteसभी बच्चो के सामाजिक परिवेश पालन पोषण के तरीके अलग अलग हो सकते हैं इस कारण पाठ्यक्रम पर जोर न देकर बच्चो के सीखने पर ध्यान होना चाहिए।
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित शिक्षा जरूरी है। तभी हम बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाएंगे।
ReplyDeleteवर्तमान समय में बाल केंद्रित शिक्षा बहुत जरूरी है खासकर प्राथमिक शाला में बच्चों को ध्यान रखकर पाठ्यक्रम का निर्माण करना जरूरी है
ReplyDeleteबच्च्चों को सीखने का सामान अवसर देना चाहिए Iप्राथमिक स्तर पर सीखने पर जोर देना चाहिए न कि पाठ्यक्रम पर I
ReplyDeleteशिक्षण का यह तरीका कारगर है।
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को मेरे द्वारा दिए गए अनुभवों पर विचार करूं तो मैने बच्चों को सदैव ही उनके निजी जीवन के अनुभवों को व्यक्त करने के पर्याप्त अवसर दिए , हमेशा यह ध्यान रखा कि बच्चों को उनकी क्षमता, रूचि और स्व अनुभवों के आधार पर सीखने के अवसर मिले। सीखने सिखाने की प्रक्रिया को विविधतापूर्ण, रुचिकर बनाने से ही बच्चे जल्दी सीखते हैं, शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति बहुत ही बेहतरीन पद्धति है, शिक्षण की पद्धति अगर पूर्ण रूप से बच्चों की सीखने की क्षमता, गति, रुचि पर आधारित हो तो सीखने सिखाने की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चों की सीखने की गति भिन्न-भिन्न होती हैं। तथा बच्चे भी अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं।हमारी कोशिश प्रत्येक बच्चे पर फोकस करना ।
ReplyDeleteName: Mohammad Faheem(Sm)
DeleteP. S. Shekhana Nagram, Block मोहनलालगंज जनपद लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)
प्राथमिक पाठशाला का शिक्षक कोर्स/ पाठ्यक्रम को पूरा करने के दबाव से गुजर रहा होता है।इसलिए वह भलीभांति शिक्षण कार्य नहीं कर पाता है। यदि अध्यापक पर पाठ्यक्रम को पूरा करने का दबाव न हो तो बड़ी सरलता पूर्वक लक्ष्यों तक पहुंच सुनिश्चित हो सकती है।अतः बाल केंद्रित शिक्षा की नितांत आवश्यकता है। यदि शिक्षक को B.L.O.,dbt, छात्र पंजीयन आदि से अवमुक्त रखा जाए तो शिक्षर्थी केंद्रित शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा sakta hai.
Thank so much
सभी बच्चों के अलग -अलग परिवेश के कारण सीखने की गति भी अलग- अलग होती है। अत: शिक्षण शिक्षार्थ केंद्रित होना चाहिए।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा की जरूरत को आज वास्तविक पृष्ठभूमि से लिया गया जिसकी अपेक्षा सभी को था,लेकिन शासन स्तर पर बेहतर प्रक्रिया संकल्पित करते हुए आगे बढ़ना निश्चित इस बात की ओर स्प्ष्ट इंगित करता है कि शिक्षण प्रक्रिया में परिवर्तन करना ही होगा ,और यह परिवर्तन वैज्ञानिकता आधारित बाल मन को समझते हुए ही किया जा सकता है,इसके लिए निश्चित विभिन्न परिवेश के बच्चो में ग्राह्यता में भी अंतर होता है,अतः शिक्षक आधारित शिक्षण से अति उपयुक्त बाल केंद्रित शिक्षण बेहतर ही होगा ,इस प्रक्रिया को मैंने स्वयं अपने विद्यालय में अपनाया,परिणाम बेहतर ही पाया,क्रमशः .....................…..🙏🏼
ReplyDeleteहेमलता बरिहा
ReplyDeleteआज के दौर में बालकेन्द्रित शिक्षा अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है। सभी को इस पर ध्यान देना होगा।
दक्षता आधारित शिक्षा वर्तमान समय में अतयंत आवश्यक है.
Deleteप्रारंभिक वर्षों में शुरुआत से सभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जाता है लेकिन उनके सीखने की विविधता पर ध्यान दिया जाना चाहिए और जो बच्चे सीखने में पिछड़ रहे हैं उन पर व्यक्तिगत रूप से विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए।विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा बहुत जरूरी है,इसके लिए पर्याप्त शिक्षक एवम् समय भी जरूरी है अतः शिक्षकों r गैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबालकेन्द्रित शिक्षा की आवश्यकता है।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा की बहुत आवश्यकता है परंतु शिक्षकों की कमी व कोर्स पूरा करने की जल्दी व अतिरिक्त कार्यो को करने के कारण संभव नही हो पाता।
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा अति आवश्यक है,वर्तमान समय में शिक्षकॊ द्वारा प्रयास किया जा रहा हैं पर सनसाधनो की कमी,कोर्स पुर्ण करना, शिक्षकॊ की कमी, आदि कई कारण है
ReplyDeletePrarambhik varshon mein sabhi bacchon Ko saman avsar AVN saman Shiksha Di jaati hai mulyankan abhi saman tarike se Kiya jata hai प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को समान रूप से कक्षा में अवसर और मूल्यांकन किया जाता है इसी तरीके से मूल्यांकन किया जाता है एवं एक निश्चित अवधि में उनकी दक्षता की परीक्षा ली जाती है
ReplyDeletePrarambhik varshon Mein Sabhi bacchon Ko Saman Roop se Shiksha Di Jaati Hai Kintu Jaise jaise bacchon mein Agali Charan ki kakshaon mein unnyn hota hai FIR bacchon Ke Jo dakshata Hai Unme bhinnata Aane lagti hai aur Shiksha ko Vidyarthi Kendrit Shikshan Yojana Lagu karne par shikshakon ko alag alag Shikshan Yojana me kam karne mein Kafi Katni mahsus hoti hai hai jismein Samay paryapt Nahin Mil pata jis Karan Jo kam Sikha Hua Vidyarthi hai uske upar Dhyan kendrit Nahin Ho pata
ReplyDeleteBal kendrit siksha balut hi aawasyak hai.
ReplyDeleteहमारी शिक्षा प्रणाली में निरंतर बदलाव किया जा रहा है विद्यार्थियों की अधिगम गतिविधि भिन्न भिन्न होने तथा पाठ्य पुस्तकों के सिलेबस को खत्म करने ,शिक्षकों की कमी, तथा शासन के नित नए योजना के कारण बच्चों को एक तरीके से सिखाने में परेशानी होती है ।साथ ही बच्चों को सीखने का पर्याप्त समय भी नहीं मिल पाता, सभी बच्चे एक ही स्तर के नहीं होते हैं कुछ बच्चे जल्दी सीख जाते हैं कुछ देरी से सीखते हैं लेकिन हम शिक्षा इस अंतर को दूर करने का पूरा प्रयास करते हैं ताकि सभी बच्चे एक समान सीख सकें।
ReplyDeleteVidyarthi kendrit shiksha bahut zaroori hai. Bashart shikshako ki vyavastha ho. Ek class ke liye ek hi teacher diya jaye.
ReplyDeleteजैसा कि हम जानते हैं एक क्लास मैं विभिन्न तरह के बच्चे होते हैं जिनकी सामाजिक परिवेश में विभिन्नता होती हैं जिनको हम सभी बच्चों को एक ही तरह से नहीं दिखा सकते हमें कई बार अलग-अलग तरीकों का उपयोग करना पड़ता है कुछ बच्चे अमूर्त रूप से समझ जाते हैं कुछ बच्चों के लिए आवश्यक सहायक सामग्री की आवश्यकताएं होती है कुछ बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं कुछ की रफ्तार धीमी होती है अतः हमें सभी बच्चों को साथ लेकर चलना होता है इसके लिए हमें समावेशी पाठ्यक्रम की आवश्यकता होती है के हम जो बच्चे जल्दी से चार है उनको भी उनका हक दे सकें और जो बच्चे दिन में सीख रहे हैं उनको भी साथ लेके चल सके
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्धति के प्रयोग छात्रों के लिए जरूरी हैं।भले ही बच्चों के सीखने का स्तर अलग-अलग होता हैं।कई बच्चें अवधारणाओं को जल्दी सीख जाते हैं तो कई बच्चें देरी से सीख पाते हैं।जो बच्चें देरी से सीखते हैं उन्हें अलग-अलग तरीकों से,गतिविधियों से और अन्य क्रियाकलापों से उनके स्तर को ध्यान में रखते हुए कक्षा अनुरूप दक्षता लाना पड़ता हैं।तभी हम सभी बच्चों को परीक्षा में सम्मिलित कर उनके स्तर का सही आकलन कर पाते हैं और सभी को कक्षा अनुरूप दक्षता हासिल करा पाने में सफल होते हैं।
ReplyDeleteबच्चो को उनके गतिविधि के अनुरूप आगे बढ़ाना चाहिए
ReplyDeleteट्रेनिग में अच्छी अच्छी बातें बताई गई हैं , शिक्षक इसे ध्यान से समझे तो क्रियान्वयन में आसानी होगी , समुदाय व अधिकारियों का सकारात्मक सहयोग मिले तो निश्चित ही यह संभव है।
ReplyDeleteशिक्षण प्राथमिक कक्षाओं में प्रायः बालकेन्द्रित ही होना चाहिए । उनको गतिविधियों में रुचि उत्पन्न कर आगे बढ़ने, प्रेरित करना चाहिए ।
ReplyDeleteBalkendrit shikshan se hi hum apne sukhne ke pratifal evm uddesh pure kar sakenge
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित शिक्षा आवश्यक है।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान शिक्षण प्रदान किया जा रहा है। और उनकी सीखने में विविधता को ध्यान में रखा जाता है।बच्चो की सीखने के भिन्नता के कारण उन्हें समय देना आवश्यक होता है।बच्चो को स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteSchool me shikshan ke alawa anya karya par adhik prayog hote rahata hai jiske karan baal kendrit shikshan nahi ho pa raha hai jo jaruri hai.
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित पद्धति के अंतर्गत विद्यालयो के कक्षा-कक्ष मे छात्रो के आवश्यकतानुसार पठन-पाठन एवं परीक्षण होना चाहिए जिससे सिखने के प्रतिफलो को प्राप्त किया जा सके और शिक्षको को गैर शैक्षणिक कार्यो से दूर रखा जाय। ताकि शिक्षक अधिक से अधिक समय छात्रो के साथ रहकर शिक्षण कार्य कर सके।
ReplyDeleteभावना खत्री,सहायक शिक्षक, स्टेशन पारा, राजनांदगांव
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ReplyDeleteसभी बच्चों के सीखने की गति अलग होती है अतः अधिक समय तक बच्चों के बीच रहकर काम करने की आवश्यकता होती है l
ReplyDeletePrarmbhik varsho mein vidyarhi ka shikshan karya uske Dainik jeevan se sambandhit karte huye karna aasan hota hai.sabhi bachho ko sman shikshan diya ja rha hai lekin vividhta ko dhyan mein rakhne ke bavjood bachchhe kamjor family background hone ke karan sikhne mein asmarth hain.vidyarthi kendrit padhti ke labh hum unke bare mein unke shikshan ko achchhe se kar pate hain lekin isse bachchhe ko relax rakh pana ek samsya hai...
ReplyDeleteबल केंद्रित शिक्षा बहुत ही आवश्यक है लेकिन बहुत से ऐसे कारण है जिससे बच्चे दक्षता हासिल नहीं कर पाते।जैसे स्कूलों में शिक्षकों की कमी,बच्चों की नियमित उपस्थिति, पलकों का बच्चों के प्रति ध्यान न देना औऱ शासन के नित नये प्रयोग ।
ReplyDeleteVidyarthi kendrit siksha bhot jaruri hai
ReplyDeleteबालकेन्द्रित शिक्षा ही श्रेष्ठ शिक्षा होगी।
ReplyDeleteबालकेंद्रित शिक्षा सीखने के लिहाज से बेहतर है।विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षको की व्यवस्था होनी चाहिए।
ReplyDeleteदादूसिंह तोमर सहायक शिक्षक
प्रा शा जोगीसार GPM
बच्चों का आंकलन किया जाता है, इस आधार पर बीच बीच में उन्हें उनके स्तर अनुरूप शिक्षा दी जाती है। साथ ही पाठ्यक्रम पर भी चलते रहना पड़ता है।यदि अधिकतर बच्चे कक्षा अनुरूप स्तर के नहीं हैं तो स्तर अनुरूप शिक्षा देना उचित है। पाठ्यक्रम को पूरा करना सब कुछ नहीं है।
ReplyDeleteबच्चों को उनके स्तर की जाँच कर शिक्षा देने से कमजोर बच्चों पर ध्यान देने से, वे बच्चे जो तेजी से सीख रहे होते हैं उनका पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता। शिक्षक वर्षभर दोनों ओर संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं।
ReplyDeleteशिक्षको केवल अध्यापन कार्य करने दें ,अन्य कार्यो से अलग रखें,
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा की आवश्यकता प्राचीन काल से ही है। आज उसे पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षकों को केवल शैक्षिक कार्य ही देना चाहिए ताकि वे अपने कार्य को 100%फलीभूत होता देख सके । मैं स्वयं बच्चों की दक्षता की जांच के लिए प्रर्दशन करवाता हूं । ऐसा कार्य देता जिसे वह पूरा कर क्लास में अन्य बच्चों के साथ क्रिया कर उसे सिखा सकें।
ReplyDeleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है। इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना जरूरी है, हमारे यहां अलग अलग विद्यार्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने को मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाना चाहिए लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है।
Student centered education is very useful for an individual student , in this method a student can understand any type of theory it is the profit of this student centered education but on the other hand it is more time taking beacause every student has their own capacity to learn and it is quite difficult for a teacher to give thier focus to every student on just 45 minutes.
ReplyDeleteStudent should be nurtured well under observation of teacher
ReplyDeleteStudent should be nurtured well under observation of teachers
ReplyDeleteबच्चों को बाल केंद्रित शिक्षा देने की महती आवश्यकता है क्योंकि बच्चे अपनी रूचि के अनुसार किसी कार्य को करना पसंद करते हैं जिस विषय में उनकी रुचि ना हो वह अनुमन्य ढंग से उस कार्य को करते हैं जिससे उनमें सीखने की ललक नहीं रहती इसलिए बच्चों की रुचि के अनुसार ही उनको शिक्षा प्रदान करना अति आवश्यक है जिसके लिए विभिन्न शिक्षक की कार्यों में शिक्षकों को संलग्न करने के बजाए बच्चों को सिखाने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए जो शिक्षक बच्चों को बेसिक ज्ञान देता है उन्हें गैर शिक्षक की कार्यों में लगा दिया जाता है
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा से विद्यार्थी जल्दी सीखते है
ReplyDeleteAdhyapan karya Ruchi purn aur Bal kendrit hona chahie
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा बहुत ही आवश्यक है क्योंकि बच्चों के रुचि के अनुसार अध्यापन कराने से बच्चे प्रभावी रूप से सीखते हैं।
ReplyDeleteBachho ko padhane ke liye bal kendrit shikshan to bahut hi aavashyak hai. Kyuki kaksha me vibhinna mansik star ke bachhe rahte hai
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा अति आवश्यक है क्योंकि इसमें छात्र अपनी गति से सीखते हैं।
ReplyDeleteBal kendrit Shiksha bahut jaruri ha.jo baccho ke star anurup hota ha.or sabhi teachers is par Dyan bi de rahe ha. but teaching work ko free tarike se karne diya jaye.dusre work ka load jyada hota ha.fir bi Puri koshis kar rahe ha.
ReplyDeleteRENU PRADHAN
Govt.P/S Kastura
Block - Duldula
Dist.- Jashpur ( C.G.)
बालकेन्द्रित शिक्षण से बच्चों में दक्षता का विकास होता है।इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होता है।प्राथमिक कक्षाओं में बच्चें स्वयं से नहीं कर पाते है।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा अति महत्वपूर्ण है इस से बच्चों को सीखाने में तेजी आती है
ReplyDeleteबाल केन्द्रित शिक्षा के साथ बच्चों के परिवेश को भी ध्यान देने की आवश्यकता है ।
ReplyDeleteBalkendrit shiksha bahut mahatvapurna hai.Bachche jaldi dakshata hasil karte gain.
ReplyDeleteबच्चों की पृष्ठभूमि और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उनके सीखने के अवसर देने पर वह जल्दी सीख पाते हैं इसमे समय लग सकता है पर वह स्थायी होगा
ReplyDeleteBalkandrit Sikha ho
ReplyDeleteBal kendrit shiksha se hi bachche jaldi sikhate hai
ReplyDeleteMohlla classes chala kar bachcho ke sath rahe
ReplyDeleteविद्यार्धी केन्द्रित शिक्षा आवश्यक है
ReplyDeleteएक कक्षा के सभी बच्चों को उनकी स्तर अनुसार शिक्षा देने का प्रयास किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteBacchon ke sarvangeen Vikas ke liye Bal kendrit Shiksha Bharti kendrit Shiksha hona atyant avashyak hai parantu vidyalayon mein shikshakon ki Kami avashyak Sansadhan uplabdh na hona tatha vibhinn Gair Shikshak ki karyon Ke Karan Shikshak kendrit Shikshan Ho a raha hai
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षण से बच्चे जल्दी सीखते हैं।उनमें स्थाई अधिगम दक्षता का विकास होता है।
ReplyDeleteबच्चों को बाल केन्द्रित शिक्षा देने की आवश्यकता है। बच्चे अपनी रूचि के अनुसार किसी कार्य को करना पसन्द करते हैं। बच्चों को उनके रूचि के अनुसार शिक्षा देना आवश्यक है। कुछ बच्चे अवधारणा को जल्दी सीख पाते हैं, कुछ बच्चे धीमी गति से सीख पाते हैं।
ReplyDeleteमेरे विचार से शिक्षा बाल केंद्रित या शिक्षार्थी केंद्रित ही होना चाहिए क्योंकि हर बच्चे का सीखने का स्तर भिन्न-भिन्न होता है हमें उन्हें एक तराजू में नहीं तौलना चाहिए।
ReplyDeleteVidyarthi kendrit siksha ke sath dakshata adarit shikshad bhi jaruri h
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बच्चों को बहुत ध्यान देना चाहिए। बच्चों को शिक्षण के महौल में ढालने का प्रयास करना चाहिए। शिक्षार्थी केन्द्रित पद्धति का प्रयोग करके बच्चों को सरल तरीक़े से सिखाया जा सकता है। बच्चे अलग-अलग परिवेश से आते हैं उनका परिवारिक महौल भी अलग होता है। इन सबको ध्यान में रखकर आगे बढ़ा जा सकता है।
ReplyDeleteBat to sahi hai. Eske liye prayasrat hai.
ReplyDelete10:10 PM
ReplyDeleteहमारी शिक्षा प्रणाली में निरंतर बदलाव किया जा रहा है। विद्यार्थियों की अधिगम गति भिन्न भिन्न होने तथा विद्यालय की भिन्न भिन्न समस्याओं के कारण एक तरीके से सभी विद्यार्थियों का मापन तर्क संगत नहीं होगा।
बाल केन्द्रित शिक्षा बच्चों के सीखने के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है ,इससे बच्चों को उनकी रुचि के अनुरुप सीखने का अवसर प्राप्त होता है।
ReplyDeleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना है, हमारे यहां अलग अलग शिछर्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने के मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा की एक प्रमुख सीमा...
Bal kendrit shiksha ke sath dakshta adharit shiksha baccho ke liya h zaroori h isse ve apni yogyta ke anusar sikhte h
ReplyDeleteप्रथमिक विद्यालय में प्रारंभिक कक्षा में बच्चो से आशा करते हैँ की उन्हें छोटी छोटी गतिविधियों एवं बुनियादी समझ आसानी से कर सकते हैँ पर हम पूरा समय प्ररंभिक कक्षा को समय नहीं दें पातेl
ReplyDeleteआज हमारी शिक्षा पद्धति और नीतियों के अनुरूप देखा जाए तो हर बच्चा अपने कौशलों , दक्षताओं और ज्ञान के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है । लेकिन इसमें शिक्षको के लिए समय समय पर कुछ कठिनाइयां सामने आती रहती हैं । विभिन्न परिवेश भौगोलिक स्थितियों से आये सभी बच्चे का मानसिक स्तर एक जैसा नही होता है । इसमें शिक्षक की अहम भूमिका होती है कि वो प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्तर , दक्षता और सीखने के कौशलों का आंकलन करके हर बच्चे को अलग अलग विभिन्न तरीकों से सीखने के अवसर प्रदान करते हुए उनकी दक्षता और कौशलों को निखारने में उनकी मदद करे । बच्चे यदि विषय वस्तु को अपनी परिवेशीय परिस्थितियों के समझ के साथ जोड़कर पढ़ते या उस पर गतिविधि करते हैं तो निश्चित ही हम बच्चों के दक्षता आधारित , बुनियादी साक्षरता और सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे । और ये सभी शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा पद्धति से ही संभव हो सकता है।
ReplyDeleteबाल केन्द्रीय शिक्षा जरुरी है | इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है | विभिन्न पारिवारिक ,भौगोलिक परिवेश से आये बच्चों की मानसिक स्तर एक जैसा नही होता |
ReplyDeleteबाल केन्द्रीय शिक्षा जरुरी है। इसमें शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विभिन्न पारिवारिक, भौगोलिक परिवेश से आये बच्चों की मानसिक स्तर एक जैसा नही होता।
ReplyDeleteवर्तमान में सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षण प्रदान किया जाता है, जबकि बच्चों की सीखने की क्षमता समान नहीं होती। प्रखर बुद्धि वाला बच्चा जल्दी सीखकर पुरस्कृत हो जाता है। वहीं न सीख पाने वाले बच्चों को अघोषित रूप से, looser होने का एहसास करा दिया जाता है। यह पद्धति दोषपूर्ण है।
ReplyDeleteबालक को अच्छी शिक्षा देकर दक्षता विकास संभव है
Deleteदक्षता आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने वाली नीतियां लागू हो। जबकि हमे कोर्स पूरा करने का दबाव होता है। हमारी परीक्षा पद्धति के कारण ऐसा ही करना पड़ता है।जो कि बच्चों के लिए हितकर नहीं कहा जा सकता।
ReplyDeleteसी एम साहू
शास उच्च मा विद्यालय
Dargaon
Bal kendrit Shiksha me bachche nirbhay hokr apni eksha ke anusar activities karate Hai aur jaldi sikhate hai
ReplyDeleteMukesh Kumar Sahu
P /s bakighat
शिक्षार्थी केंद्रीत शिक्षा के कारण बच्चों में काफ़ी हद तक परिवर्तन देखने को मिला है क्योंकि मै स्वयं संतुष्ट हूँ कि मैं जो ज्ञान देना चाहता हूं वो शिक्षार्थियों तक पहुँच पा रहा है।
ReplyDeleteशिक्षार्थी केंद्रित पद्वति से बच्चे जल्दी सीखते है,और अधिगम क्षमता में निरंतर विकास होता है ।
ReplyDeleteआज हमारी शिक्षा पद्धति और नीतियों के अनुरूप देखा जाए तो हर बच्चा अपने कौशलों , दक्षताओं और ज्ञान के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है । लेकिन इसमें शिक्षको के लिए समय समय पर कुछ कठिनाइयां सामने आती रहती हैं । विभिन्न परिवेश भौगोलिक स्थितियों से आये सभी बच्चे का मानसिक स्तर एक जैसा नही होता है । इसमें शिक्षक की अहम भूमिका होती है कि वो प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्तर , दक्षता और सीखने के कौशलों का आंकलन करके हर बच्चे को अलग अलग विभिन्न तरीकों से सीखने के अवसर प्रदान करते हुए उनकी दक्षता और कौशलों को निखारने में उनकी मदद करे । बच्चे यदि विषय वस्तु को अपनी परिवेशीय परिस्थितियों के समझ के साथ जोड़कर पढ़ते या उस पर गतिविधि करते हैं तो निश्चित ही हम बच्चों के दक्षता आधारित , बुनियादी साक्षरता और सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान रूप से पढ़ाया जाता है ये सच है। विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा से पाठ्यक्रम पुरा नहीं हो सकता, लेकिन बच्चों में अपेक्षाकृत अधिक विकास होगा।
ReplyDeleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है जिससे बच्चों का उनके स्तर के अनुसार सीखना सुनिश्चित हो सके , ताकि उन्हें शिक्षा ग्रहण करने में आसानी हो सके।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा आवश्यक है और इस पर शिक्षकों के द्वारा प्रयास भी किया जा रहा है लेकिन स्कूल में शिक्षकों की कमी पर्याप्त संसाधनों की कमी और एक कक्षा में बच्चों की अधिकता के कारण शिक्षक हर एक बच्चे पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते इसलिए बच्चों को उनकी आवश्यकता अनुसार शिक्षा देने के लिए पर्याप्त संसाधनों के साथ-साथ कक्षा में हर 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक और एक हेल्पर की आवश्यकता होती है इस पर भी विचार किया जाना चाहिए
ReplyDeleteविद्यालय में बच्चों के सीखने में विविधता का ध्यान नहीं रखा जा पा रहा है । उन्हें पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं। सीखने के विविध अवसरों को उपलब्ध करा पाने के बजाय शिक्षक केंद्रीत शिक्षा ही दिया जा पा रहा है।
ReplyDeleteदक्षता आधारित शिक्षा के लिए शिक्षण और परीक्षण प्रक्रिया को बाल केंद्रित करना जरूरी है।
इसके लिए पर्याप्त संसाधन, पर्याप्त समय, पर्याप्त शिक्षक और पाठ्यक्रम में लचीलता जरूरी है।
दक्षता आधारित शिक्षा का मतलब जहां छात्र यह जानते हैं कि उन्हें क्या सीखने की जरूरत है और कैसे सीखना है।
आमतौर पर हर बच्चे को इसकी जानकारी होती है, लेकिन इसमें उन्हें पर्याप्त समय और सहयोग विद्यालय नहीं दे पाता है।
हमारी शिक्षा का केंद्र विधार्थी होता है. शिक्षा का पहिया सदैव विधार्थी के आस पास घूमने के बाद भी सभी के सीखने का स्तर भिन्न भिन्न होता है .उनके अनुरूप शिक्षण की व्यवस्था कर सभी को सामान शिक्षण देना चाहिए
ReplyDeleteदूरस्थ अंचलों में बच्चों के दक्षता आधारित शिक्षा में दक्ष नही होने का मेरे अनुसार एक कारण है, बच्चों और शिक्षक की भाषा अलग अलग होना बच्चे इस कारण शिक्षक की बातों को और पाठ्यक्रम को नहीं समझ पाते हैं धीरे धीरे वे स्कूल भी नियमित आना बंद कर देते है
ReplyDeleteबच्चो को उन्ही के अनुसार ढल कर सीखाना व पढ़ाना चाहिए।
ReplyDeleteLearning should be learner oriented
ReplyDeleteबब
ReplyDeleteविद्यार्थी केंद्रित शिक्षा बच्चों की सीखने की क्षमता के अनुसार है जिससे सभी बच्चे अपनी योग्यता या कमियों के रहते भी अच्छी तरह सीखते हैं पुरानी पद्धति शिक्षक केंद्रित थी जिसमें विद्यार्थियों की लिखने की क्षमता पर ध्यान नहीं दिया जाता था जिसे कमजोर बच्चे अच्छी तरह सीख नहीं पाते थे
ReplyDeleteप्रारंभिक वर्षों में बाल केंद्रित शिक्षण पद्धति अत्यंत आवश्यक होती है। हमारी शाला में बच्चों को बाल केंद्रित तरीके से शिक्षण कार्य किया जाता है। बच्चों का सतत आकलन किया जाता है एवं सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाते हैं। अलग-अलग बच्चों के सीखने की गति अलग-अलग होती है अतः उन्हें पर्याप्त अवसर प्रदान करना आवश्यक होता है।
ReplyDeleteपरिवेश आधारित शिक्षा देनी चाहिए।
ReplyDeleteSarkar द्वारा say samay par नई नई yojnaye ngo chala kar satata prash kiye jate hai samay समय par prashikkhan diye ja rhe sab no apne apne star se बच्चों ki सिखाने me jor diye jate hai नई नई गाइडेंस Line ur sab ki online entry kabhi kabhi ek hi सामी me sab ke karykram ko karne ki aaupcharitaye teachers khud bhramit ho jate hai ki ashal me unhe karna kya hai kaisha सिखाने hai waishe bhi ab shiksha pranali bal kendit ho chuki hai जिसमें sabhi bachchho ke star me dyan diya jata hai ur unhe unke star ke hisab se अक्षर bhi diya jata hai mai hmare kshetra me sanyog n देने se koi bhi yojna ka labh sahi star par nhi mil pta aaganwadi se class 3 tak sahi dang se बच्चों ko vidyalay hi nhi bheje hai
ReplyDeleteसभी स्कूलों में शिक्ष्यों को विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा दी जानी चाहिए । बच्चे की रुचि एवम लगन पर ध्यान देना आवश्यक है , तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास होगा ।
ReplyDeleteविभिन्न परिवेश और परिस्थिती से आए बच्चो को बालकेंद्रित शिक्षा जरूरी है यह प्रभावी शिक्षा प्रदान करती है परंतु समर्पित शिक्षक और जागरूक पालक भी जरूरी है ।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत दक्षता आधारित शिक्षण अति आवश्यक है। परंतु दक्षता आधारित शिक्षण के लिए स्कूल में शिक्षकों की आवश्यकता भी उतनी ही जरूरी है। विकासखंड से दूरस्थ विद्यालयों में अभी भी शिक्षक और छात्र का अनुपात सही नहीं है जिससे वर्तमान में कोई शिक्षक अपनी रूचि के अनुसार पढ़ाना चाहते हुए भी पढ़ा नहीं पा रहा है। यदि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का कार्य ही दे दिया जाए तो शिक्षा के स्तर में निश्चय ही वृद्धि होगी।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा ही सही है।पर कोर्स पूरा करना, शिक्षक की कमी ,सभी बच्चे का सिखने का अलग स्तर का होना,एक ही जानकारी को विभाग द्वारा बार बार मंगाया जाना इन सभी कारणों से बालक केंद्रित शिक्षा पूरी तरह से नहीं हो पाता।
ReplyDeleteसब बच्चों को समान रूप से सीखने के अवसर दिया था
ReplyDeleteबाल केन्द्रित और दक्षता आधारित शिक्षा अनिवार्य है , छात्र स्तर अनुसार सीख सके ।
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत दक्षता आधारित शिक्षण अति आवश्यक है। परंतु दक्षता आधारित शिक्षण के लिए स्कूल में शिक्षकों की आवश्यकता भी उतनी ही जरूरी है। विकासखंड से दूरस्थ विद्यालयों में अभी भी शिक्षक और छात्र का अनुपात सही नहीं है जिससे वर्तमान में कोई शिक्षक अपनी रूचि के अनुसार पढ़ाना चाहते हुए भी पढ़ा नहीं पा रहा है। यदि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का कार्य ही दे दिया जाए तो शिक्षा के स्तर में निश्चय ही वृद्धि होगी।
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे के सीखने की गति अलग-अलग होती है इसलिए इसलिए बच्चे कभी भी सीख सकते हैं कक्षा में प्रत्येक बच्चे के ऊपर समारोह से ध्यान दिया जाता है चाहे वह किसी भी प्रकार का हो चाहे वह किसी भी धर्म समुदाय या फिर किसी भी पृष्ठभूमि से हो।
ReplyDeleteOk
ReplyDeleteअभी भी बहुत हद तक विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा नही दिया जा पा रहा है, जिसके अनेक कारण है, जैसे समय की कमी, स्कूलों में शिक्षकों की कमी,
ReplyDeleteसाधन की कमी, लेकिन विद्याथी केंद्रित शिक्षा दिया जाना बहुत ही आवयश्क है इसके लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करना है, हमारे यहां अलग अलग शिछर्थी को अलग अलग सीखने और उसके सीखने के मापने के लिए अलग अलग पैमाना अपनाया जाता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं हमें सभी बच्चों का एक साथ वार्षिक परीछा लेना पड़ता है जो कि विद्याथी केंद्रित शिक्षा की एक प्रमुख सीमा है
बाल केंद्रित शिक्षा शिक्षा के लिए बहुत ही आवश्यकता है परंतु यदि प्राथमिक स्तर से सभी प्रकार की भौतिक सुख सुविधाएं बच्चों को प्राप्त हो जाता और सभी प्रकार की शिक्षा मिल जाती तो बच्चों का नींव मजबूत हो जाता
ReplyDeleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है जिससे बच्चों का उनके स्तर के अनुसार सीखना सुनिश्चित हो सके।
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ReplyDeleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है जिससे बच्चों का उनके स्तर के अनुसार सीखना सुनिश्चित हो सके। परंतु हम सब इस बात को भी नहीं नकार सकते हैं कि शाला में विद्यार्थियों और शिक्षकों के अनुपात में बहुत अधिक असमानता है। जो कहीं न कहीं इस बात के लिए जिम्मेदार जरूर है किई बार हम चाहते हुए भी सभी बच्चों के पूर्ण समय दे पाने में असमर्थता महसूस करते हैं।
Alag alag bacho ki sikhne ki gati aalag alag hoti hai kuch bachche jaldi sikhte hai kuch baad me mai sabhi ko sikhane ka samay deta hu likin agar fir bhi nahi sikh pate to aage badhna padta hai kyoki korsh bhi pura karna hota hai sath hi jo bachche jaldi sikh chuke hota hai ve bar bar dohrav se boriyat mahshush karte hai
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ReplyDeleteकिसी स्कूल में पर्याप्त मात्रा में शिक्षक हों तभी दक्षता आधारित शिक्षा संभव है। एक शिक्षक 2 ,-3 क्लास को पढ़ाएगा और अन्य कार्य भी करेगा तो क्वॉलिटी कहां से आ पाएगी
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत दक्षता आधारित शिक्षण अति आवश्यक है। परंतु दक्षता आधारित शिक्षण के लिए स्कूल में शिक्षकों की आवश्यकता भी उतनी ही जरूरी है। विकासखंड से दूरस्थ विद्यालयों में अभी भी शिक्षक और छात्र का अनुपात सही नहीं है जिससे वर्तमान में कोई शिक्षक अपनी रूचि के अनुसार पढ़ाना चाहते हुए भी पढ़ा नहीं पा रहा है। यदि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का कार्य ही दे दिया जाए तो शिक्षा के स्तर में निश्चय ही वृद्धि होगी।
ReplyDeleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है पर पाठ शाला मे एक शिक्षक के प्रयास से यह संभव नहीं हो सकता क्योंकि प्रायः देखा जाता है की बच्चों को शुरू से पढ़ने की आदत नहीं होती हैं क्योंकि शिक्षकों की कमी या फिर अन्य कार्य कि वजह से शिक्षक ठीक ध्यान ही नहीं दे पाते तो बच्चों की आदत भी वैसे ही बन जाता हैं फिर उन बच्चों को अगर चौथी या पांचवी पढ़ाने का प्रयास करे तो उनका ध्यान पढ़ने लिखने की बजाय खेल कूद मे ज्यादा रहता है
ReplyDeleteKhula akash me Jo bate bachho ke liye kahi gayi hai un sabhi bato par vichar kar hame pre schooling par behtar tarike se karya karne ki samjha avam prerna milti hai. Sath hi khel khel me bachho ko shiksha Dena kafi asan ho jata h aur vo shikhte bhi bahut ache se hai
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा बच्चों के सर्वांगीन विकास हेतु आवश्यक है खुला आकाश प्री स्कूलिंग हेतु नए विचार प्रदान करता है।
ReplyDeleteबुनियादी शिक्षा के अंतर्गत बच्चो में पढ़ने लिखने समझने और प्रतिक्रिया व्यक्त व संख्या बोध माप आदि में सहायक है
ReplyDeleteबाल केंद्रित शिक्षा अनिवार्य है। बाल केंद्रित शिक्षा में बालकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर सीखने सिखाने के कार्य किया जाता है जबकि समान शिक्षण पद्धति में सभी बच्चों को एक निश्चित कौशल को एक ही पद्धति है या पैटर्न में सीखने सिखाने के माहौल में रखा जाता है। इसमें क्या होता है जिस बच्चे की दक्षता समृद्ध हो आगे निकल जाते हैं और जिनकी सोचने की समझने की क्षमता कमजोर है पीछे रह जाते हैं। इसेलिए बाल केंद्रित शिक्षा एवं दक्षता आधारित शिक्षा आज की आवश्यकता हो गई है इसे निश्चित रूप से लागू किया जाना चाहिए
ReplyDeleteHa bilkul ek saman दक्षता नही होती
ReplyDeleteबाल केन्द्रीत शिक्षा के साथ ही दक्षता आधारित शिक्षा जरूरी है जिससे बच्चों का उनके स्तर के अनुसार सीखना सुनिश्चित हो सके।
ReplyDeleteSeekhne me bacchon ki vividhta ko dhyan me rakhtey hue unke star ke anusar unhe yn k sath shamil ho kar seekhne me madad krni chahiye
ReplyDeleteBachho ka sikhshan bal kendrit hona cahiye
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