कोर्स 06

 

गतिविधि 6 : अपने विचार साझा करें

नौ वर्ष की आयु से लेकर अब तक आप में हुए परिवर्तनों की सूची बनाएँ। आपके द्वारा अनुभव किए गए शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करें। ऐसे कौन-से परिवर्तन हैं जिनसे आपको तब तक आश्चर्य या तनाव महसूस हुआ, जब तक आपने यह महसूस नहीं किया कि ये परिवर्तन सामान्य और स्वाभाविक थे ? ब्लॉग पोस्ट में अपनी समझ साझा करें।

Comments

  1. खुशी मन और शरीर को आनंदित करने वाला वाला गुण है खुशी अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग कार्य करने अथवा परिणाम प्राप्त होने पर प्राप्त होता है फिर भी ज्यादातर स्थितियों में अधिकांश लोगों को लगभग समान कार्य और परिणाम से खुशी प्राप्त होती है

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    1. जब हम 9 वर्ष के थे तो हमें खेलना, घूमना अच्छा लगता था ,बड़ों की बातें, रोकना ,टोकना कोई मायने नही रखता था । पर जैसे जैसे उमर बढ़ती है हम अपने आपको सजने संवारने और अच्छे दिखने की ओर ज्यादा ध्यान देते है । किसी का रोकना टोकना पसंद नही करते और वही करते है जो हमें अच्छा लगता है ।

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    2. जब हम छोटे थे तो हमे खेलना घूमना अच्छा लगता था। बडो की बाते हमे रोक नही पाता था।पर जैसे जैसे हम बडे होने लगे अपने आप को सजाने संवारने और दुसरो से अच्छे दिखने की ओर अधिक समय लगने लगा। किसी का टोकना पंसद नही करते और हम वही करते जो हमे अच्छा लगता है।

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  2. I don't have any such experience.on which I believe it's already ongoing process.

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  3. स्वाभाविक रूप से समय के साथ साथ शारीरिक एवं मानसिक विकास होते रहे हैं निश्चित रूप से कुछ शारीरिक विकास एवं कुछ मानसिक परिपक्वता ने कई बार आश्चर्यचकित किया है

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  4. परिवर्तन संसार का नियम है,, उम्र के साथ साथ सभी में परिवर्तन होते है। सभी मनुष्यों में विभिन्न परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

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  5. किशोरावस्था की मानसिक एवं शारीरिक
    समस्त परिवर्तन वयस्क होने के साथ ही स्वभाविक एवं सामान्य लगने लगे

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  6. हमें शारीरिक मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। यह जीवन और प्रकृति का नियम है।

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  7. परिवर्तन प्रकृति का नियम है हममे मे समय के साथ कई परिवर्तन हुए। जिसे अपनी समझ के आधार पर हमने किया और जीवन को जी रहे हैं।

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  8. किशोरवस्था में होने वाले परिवर्तन समय के साथ सामान्य हो जाते है तथापि teen age में हमें अपने आवेगो पर नियंत्रण रखना होता है तभी हम भविष्य के नागरिक का निर्माण कर सकते है

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  9. परिवर्तन प्रकृति का नियम है। किशोरा वस्था के दौरान शारिरीक, मानसिक परिवर्तनो के दौर से सभी को गुजरना पड़ता है।

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  10. जब हम 9 वर्ष के थे तब हमें बहुत बडा परिवर्तन देखने को मिला जब हम को कोई बोल देता था तो कई बार अपमान सहना पड़ता था एवं गुस्सा भी आता था। इसके अलावा कई ऐसे शब्द बोल दिए जाते थे जो हमारे लिए बहुत ही अपशब्द होता था यह हमारे मन में बहुत बड़ा घर कर जाता था। इसके अलावा शारिरीक परिवर्तन जैसे बालों का आना ,भी हमारे लिए बहुत बड़ा परिवर्तन था

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  11. नमस्कार ,
    परिवर्तन जीवन का मूल आधार है।9 वर्ष की आयु से अब तक जो भी परिवर्तन हुआ,वह शाश्वत है।
    जीवन एक नदी के समान है,जिसमें केवल बहते जाना है।इसमें कोई ठहराव नहीं है।
    उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अलग अनुभव है,जिस उम्र में जो चीज हमें अजीब लगती थी आगे चलकर वही सामान्य लगने लगी। किशोरावस्था में जो चीज हमें अजीब लगती थी वयस्क होने के बाद वही हमें सामान्य लगने लगी। इसमें कुछ भी ऐसा महत्वपूर्ण नहीं है कि जिसे हम साझा कर सके।

    श्रीमती हेमलता बोगिया
    व्याख्याता (गणित)
    शासकीय हाई स्कूल,माकड़ी(कोंडागांव)

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  12. परिवर्तन संसार का नियम है।समय प्रवाह मान है।इस बहते हुए समय मेंअलग-अलग अनुभव से प्रत्येक व्यक्ति गुजरता है,परिस्थितियां प्रत्येक क्षण रोमांच का अनुभव कराती हैं,19वर्ष की अवस्था तक मुझे गुस्सा जल्दी आता था।आज आश्चर्य होता है।समय सामांजस्य सिखा देता है।
    गौरीशंकर यादव
    प्राचार्य
    शास.हाईस्कूल बुटाकसा
    जिला-राजनांदगांव.

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  13. Change is natures law. Some changes are really surprising.

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  14. 9 वर्ष से लेकर अब तक तनमन में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है |शारीरिक  रूप  विकास  के साथ  स्वभाव  मे भी  परिवर्तन  होते रहते है परिवर्तन से तात्पर्य बदलाव से  है ।
    शरीर के आकार में , सोचने समझने की क्षमता , भार में वृद्धि , अंगों के संचालन का कौशल , चिड़चिड़ा संकोची स्वभाव ,भूखे रहना एक दूसरे के व्यक्ति के साथ संबंधों में होने वाले परिवर्तन, खेल में अपने साथी का हमला करना , साथी में अपना अधिकार जताना , अपनापन की भावना का विकास , मांगलिक आयोजनों में उल्लास , भावनाओं में उभरने और व्यक्त करने, समाज स्वीकृत तौर-तरीकों को सीखने, भाई-बहन मित्र मंडली के साथ संबंध आदि और भी शामिल है!
    उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक परिवर्तन बहुत आश्चर्य और तनाव महसूस हुआ अब यह समय के साथ साथ सामान्य और स्वाभाविक लगता है l

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  15. किशोरावस्था के बाद अनेक उतार चढ़ाव,और विविधताओं से गुजरना पड़ा है ।अनेक विवादों से अकेला पन ,आवेग में आना , घबराहट , उदासी ,अनेक परिवर्तन हुआ था पर सही समय में शिक्षक मिले कि ये सारी कमिया दूर करने में सहायक रहे जिससे बाद हर तरह से मानसिक विकास ,शारीरिक विकास,नैतिक, जिम्मेदारी अनेक परिवर्तन हुआ

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  16. किशोरावस्था के बाद अनेक उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है।अनेक विवादों से अकेलापन, आवेग में आना, घबराहट, उदासी आदि अनेक परिवर्तन होते हैं पर सही समय में शिक्षक और अपने घर के बड़ो के मार्गदर्शन में सारी कमियों को दूर करने में सहायक रहे।

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  17. विभिन्न शारीरिक एवम् मानसिक परिवर्तन हुए जो की प्राकृतिक है

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  18. समय के साथ प्रकृति में परिवर्तन निश्चित है।किशोरावस्था में भी होने वाले परिवर्तन स्वाभाविक है लेकिन इस अवस्था में ये परिवर्तन हमे बिल्कुल भी स्वाभाविक और सामान्य नहीं लगें।छोटी छोटी बातों पर हमें टोकना, समस्या को किससे साझा करें, कौन हमारे भावना और विचारों का आदर करेगा ।इसतरह के अनेक बातें जो किशोरावस्था के दौरान तनाव पैदा करते हैं ।

    सुरेश कुमार मेश्राम व्याख्याता
    शासकीय हाई स्कूल अमलीडीह धमतरी

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  19. 9 वर्ष की आयु से लेकर अब तक जो परिवर्तन हुआ है प्रकृति का नियम है उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अनुभव है, स्वाभाविक रूप से समय के साथ-साथ शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक विकास होते रहे हैं। कई बार परिवर्तन के कारण अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन अजीब लगते हैं बांध में वही सामान्य लगने लगते हैं।

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  20. परिवर्तन संसार का नियम है। हमने भी अपने अंदर इन परिवर्तनों को महसूस किया। शुरू में असामान्य लगा फिर बाद में सब सामान्य लगने लगा।

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  21. किशोरावस्था में जिस साधारण सी बात पर बेवजह खिलखिलाने लगते थे अब उसी बात पर हंसी नहीं आती .. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है ।
    श्रीमती शीतल राजन

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  22. Nothing special .Everything happening is part of life

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  23. When changes came in body characteristics.later it starts to feel as normal

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  24. नौ वर्ष की आयु से लेकर आज तक प्रतिदिन कुछ ना कुछ परिवर्तन होता है। वर्तमान में सभी के द्वारा वयोधिक होने पर सम्मान दिया जाना तथा विचारों को महत्व दिया जाना अच्छा अनुभव प्रदान करता है। यद्यपि शारीरिक रूप से कार्य क्षमता काम हो गई है किन्तु अनुभवों को साझा कर समाजोपयोगी सिद्ध हो रहा हूँ।
    धर्मेन्द्र प्रसाद सारस्वत
    प्रभारी प्राचार्य
    शा. उ. मा. वि. चिल्हाटी

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  25. 9 वर्ष की आयु से लेकर अब तक जो परिवर्तन हुआ है प्रकृति का नियम है उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अनुभव है, स्वाभाविक रूप से समय के साथ-साथ शारीरिकपरिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन होते रहे हैं
    जिसके कारण अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन अजीब लगते हैं बाद में वही सामान्य लगने लगते हैं।खासकर शारीरिकपरिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन के कारण तनाव भी आया पर घर के बुजुर्गों और मित्रों की मदद से उन पर काबू पाया गया|

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  26. शारीरिक ,मानसिक परिवर्तन समय के साथ होता गया।

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  27. जीवन एक नदी के समान है,जिसमें केवल बहते जाना है।इसमें कोई ठहराव नहीं है। उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अलग अनुभव है,जिस उम्र में जो चीज हमें अजीब लगती थी आगे चलकर वही सामान्य लगने लगी। किशोरावस्था में जो चीज हमें अजीब लगती थी वयस्क होने के बाद वही हमें सामान्य लगने लगी। इसमें कुछ भी ऐसा महत्वपूर्ण नहीं है कि जिसे हम साझा कर सके।9 वर्ष की आयु से लेकर अब तक जो परिवर्तन हुआ है प्रकृति का नियम है उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अनुभव है, स्वाभाविक रूप से समय के साथ-साथ शारीरिकपरिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन होते रहे हैं जिसके कारण अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तन अजीब लगते हैं बाद में वही सामान्य लगने लगते हैं।खासकर शारीरिकपरिवर्तन ,सामाजिक , मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन के कारण तनाव भी आया पर घर के बुजुर्गों और मित्रों की मदद से उन पर काबू पाया गया|

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  28. 9 वर्ष से लेकर अब तक तनमन में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है |शारीरिक रूप विकास के साथ स्वभाव मे भी परिवर्तन होते रहते है परिवर्तन से तात्पर्य बदलाव से है ।
    शरीर के आकार में , सोचने समझने की क्षमता , भार में वृद्धि , अंगों के संचालन का कौशल , चिड़चिड़ा संकोची स्वभाव ,भूखे रहना एक दूसरे के व्यक्ति के साथ संबंधों में होने वाले परिवर्तन, खेल में अपने साथी का हमला करना , साथी में अपना अधिकार जताना , अपनापन की भावना का विकास , मांगलिक आयोजनों में उल्लास , भावनाओं में उभरने और व्यक्त करने, समाज स्वीकृत तौर-तरीकों को सीखने, भाई-बहन मित्र मंडली के साथ संबंध आदि और भी शामिल है!
    उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक परिवर्तन बहुत आश्चर्य और तनाव महसूस हुआ अब यह समय के साथ साथ सामान्य और स्वाभाविक लगता है l

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  29. समय के साथ व्यक्ति में शारीरिक ,मानसिक एवम सामाजिक रूप से जीवन भर परिवर्तन होते रहता है। समय के साथ पारिवारिक एवम सामाजिक जिम्मेदारी बढ़ती जाती है। किशोरावस्था में आवाज में परिवर्तन मुझे तनाव में डाल रहा था,लेकिन कुछ समय बाद सब सामान्य हो गया।

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  30. Ji bilkul 9 yr se leker ab tak kai badlao k sath- sath bhavatmak & samajik badlav ko dekha , mahasus kiya h.bachpan me kisi prakar ki chinta ya bhay nhi tha.per bad k samay me dukh, sukh sab samajh aane laga . family k prati jimmedari ka bhav,tatha samajikta k bhav samajh aane lage.jo ab tak h

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  31. 9 वर्ष की उम्र से लेकर अब तक एक अच्छी बात वह यह है कि जो मन में इच्छा उत्पन्न हुई है, उसे मैं तब तक नहीं भुलता जब तक वह पुरी नही होती है। इससे मै जाना कि मनुष्य की सभी इच्छा को कुदरत अपने ढंग से कर देता है

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  32. 9वर्ष से अब तक के परिवर्तन की व्याख्या कर पाना संभव नहीं, परंतु छोटी उम्र में लोभ मोह न के बराबर होता है,जो उम्र बढ़ने के साथ_साथ क्रमशः बढ़ने लगता है,काश कि वही सोच 60 तक बना रहता तो शायद लोग समाज के लिए कुछ ज्यादा अच्छा कर पाते । ऐसा मेरा अनुभव कहता है।
    सी एम साहू
    व्याख्याता
    शास उच्च मा वि दारगांव

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  33. जीवन एक नदी के समान है,जिसमें केवल बहते जाना है।इसमें कोई ठहराव नहीं है। उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अलग अनुभव है,जिस उम्र में जो चीज हमें अजीब लगती थी आगे चलकर वही सामान्य लगने लगी। किशोरावस्था में जो चीज हमें अजीब लगती थी वयस्क होने के बाद वही हमें सामान्य लगने लगी।

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  34. परिवर्तन उम्र के हर मोड पर कुछ कुछ सीख देता हैं।

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  35. किशोर अवस्था में ही परिवर्तन को जाना समझा.शिक्षक एवं बडो़ के मार्ग दर्शन से अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करना सीखा, अभी सामाजिक एवं नैतिक विकास निरन्तर जारी है

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  36. किशोर अवस्था में ही परिवर्तन को जाना समझा, शिक्षक एवं बडो़ के मार्ग दर्शन से अपनी ऊर्जा का सदुपयोग करना सीखा सामाजिक,नैतिक विकास निरंतर जारी है
    निर्मला दोहरे,देवरी🏫

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  37. उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अलग अनुभव है।जिस उम्र में जो चीज हमें अजीब लगती थी आगे चलकर वही सामान्य लगने लगी। किशोरावस्था में जो चीज हमें अजीब लगती थी वयस्क होने के बाद वही हमें सामान्य लगने लगी। इसमें कुछ भी ऐसा महत्वपूर्ण नहीं है कि जिसे समय के साथ व्यक्ति में शारीरिक ,मानसिक एवम सामाजिक रूप से जीवन भर परिवर्तन होते रहता है। समय के साथ पारिवारिक एवम सामाजिक जिम्मेदारी बढ़ती जाती है।

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  38. 🙏ये एक ऐसा समय होता है जब परिवार और पालक गैर लगने लगते है और सहपाठी ही दुख सुख का साथी होता है। 👬👭

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  39. I am mentally emotionally stronger amd physicall more efficient than i wasthen

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  40. 9 वर्ष के बाद किसी भी व्यक्ति में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास तीव्र गति से होने लगता है।

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  41. उम्र के अनुसार होने वाले परिवर्तन स्वाभाविक लगते हैं मन भी उन्हें स्वीकार करने लगता है यदि माता पिता और शिक्षकों का सही मार्गदर्शन मिलता जाता है ये ही सच्चे दोस्त की भूमिका भी अच्छी तरह निभाते हैं, खुशनसीब होते हैं वे विद्यार्थी जिन्हें ऐसे मार्गदर्शक मिलते हैं |

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  42. जब हम 9 वर्ष के थे तो हमें खेलना, घूमना अच्छा लगता था ,बड़ों की बातें, रोकना ,टोकना कोई मायने नही रखता था । पर जैसे जैसे उमर बढ़ती है हम अपने आपको सजने संवारने और अच्छे दिखने की ओर ज्यादा ध्यान देते है । किसी का रोकना टोकना पसंद नही करते और वही करते है जो हमें अच्छा लगता है ।

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  43. प्रकृति का नियम है वृद्धि और विकास। जो जन्म दिया है उसमें बदलाव तय है। शारीरिक व मानसिक परिवर्तन स्वाभाविक प्रक्रिया है। किशोर मन जिज्ञासु होता है हर बदलाव को जानना समझना चाहता है, सही मार्गदर्शन मंजिल तक पहुंचने में मदद करता है वरना किशोर मन भटक भी जाता है माता पिता व शिक्षक सच्चे पथ प्रदर्शक होते हैं। वैसे घर; परिवार; समाज परिवेश भी बहुत कुछ सिखा देता है। जो मन मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ जाता है। किशोरावस्था के मनोभावों को मैंने भी महसूस किया जो समय के साथ सब सहज सामान्य होता जाता है।
    व्ही. माहेश्वरी
    व्याख्याता
    शाम.उ.मा.शा. चिरचारी कला
    जिला राजनांदगांव

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  44. बचपन से अभी तक मुझे गुस्सा जल्दी आता है। किशोरावस्था में परिपक्वता आई क्योंकि घर में अकेला था तो वक्त से पहले ही संज्ञान हो गया।आज के परिवेश वा सामाजिक परिवेश में मेरा उचित तालमेल है।इस पड़ाव में भी कुछ करने तथा सीखने की प्रक्रिया अनवरत जारी है।
    चंद्रशेखर गजबिए
    व्याख्याता
    Chawand
    कांकेर

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  45. Kai tarah ke mansik aaur saririk parivartanon se gujarna pada .But usse achcha aaur koi awastha nahi

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  46. Hn bilkul 9 yr se leker ab tak kai badlao k sath- sath bhavatmak & samajik badlav ko dekha , mahasus kiya h.bachpan me kisi prakar ki chinta ya bhay nhi tha.per bad k samay me dukh, sukh sab samajh aane laga . family k prati jimmedari ka bhav,tatha samajikta k bhav samajh aane lage.jo ab tak h.

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  47. नौवीं दसवीं कक्षा के दौरान हुए परिवर्तनों के प्रति समायोजन की कठिनाइयां महसूस हुई अपने मन में बने हुए आदर्श व्यक्ति की छवि के अनुरूप स्वयं को बनाने की कोशिश करते थे समूह में स्वयं की अच्छी छवि स्थापित करने का प्रयत्न करते थे।

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  48. vidhyarthiyo ka poora vikas unka khud ka ankalan karna hota hai. agr vidyarthi apne aap ko bachpan se ankalan karna sikh jaye aur galti lo sudharna sikh jaye to aage jrur bdega

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  49. किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को सामान्य माना जा सकता है ।

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  50. शरीर के विकास के साथ भावनात्मक और व्यवहार में परिवर्तन आते ही हैं।किशोरावस्था में ऊर्जा,क्रोध और मित्रों के प्रति आकर्षण बढ़ता ही है।

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  51. शारीरिक फिटनेस गतिविधियों में शामिल होने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जहां एक और एरोबिक व्यायाम करने से शरीर के संचालन क्षमता में वृद्धि होने के साथ सभी अंगों के कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है ऐसे मांसपेशियों को मजबूती होना हड्डियों का सुदृढ़ीकरण एवं त्वचा में चमक का होना वही नैरोबी गया हमसे शरीर शक्तिशाली बनता है जैसे कि कहा गया है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है तो एक सौ शरीर के होने के बाद हमारी किसी कार्य को करने की क्षमता में वृद्धि होती है अर्थात हम किसी कार्य को बिना थके में समय तक कर सकते हैं मनोगत्यात्मक कार्यों में सुधार के साथ ही हमारे मानसिक मजबूती में वृद्धि होती है

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  52. जब मैं ९ वर्ष की थी तब मुझे खेलना बहुत पसंद था जैसे - जैसे उम्र बढ़ती गयी कई शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन को मैंने महसूस किया। समय के साथ मानसिक परिपक्वता ने आश्चर्य चकित किया है।

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  53. जब मैं 9 वर्ष का था तो कक्षा तीसरी मैं पढ़ता था, तब मैं अपने शारीरिक ,भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तन धीरे-धीरे होते गया शरीर में छोटी-छोटी हड्डियां धीरे-धीरे बढ़ने लगी और जो हम बचपन में सोचते थे वह कर नहीं पाते थे लेकिन समय के साथ-साथ जब उम्र बढ़ते गया गया तो धीरे धीरे घर परिवार में रहते हुए हमें धीरे-धीरे समाज में कैसे रहना चाहिए यह हमें परिवार के माध्यम से ही सीखा। समय के साथ परिवर्तन निश्चित है, समय के साथ शरीर में वृद्धि और विकास के लिए निरन्तर व्यायाम खेल एवं संतुलित आहार एवं कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन वसा आदि का सेवन करके शरीर में वृद्धि होता है और इससे हम जब हमारा शरीर स्वस्थ होता है तो मानसिक विचार भी स्वस्थ होता है और हमारे भावनाएं भी लोगों के प्रति तेज ,नम्र होने लगती है और समाज में रहते-रहते लोगों से कैसे व्यवहार करना है यह हमारे अचार विचार पर भी निर्भर करता है कि हम लोगों के साथ कैसे पेश आएं ताकि हमें इज्जत एवं व्यवहार के साथ-साथ रहन-सहन ,खानपान आचार -विचार आदान-प्रदान से ही सामाजिक परिवर्तन होता है।

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  54. 9 वर्ष से लेकर वर्तमान अवस्था तक हमारे जीवन में निरंतर परिवर्तन दिखाई देता है। शरीरिक ,मानसिक ,भावनात्मक परिवर्तनों से किशोरावस्था में सामंजस्य स्थापित करना कठिन रहा है। परिवार की अहम भूमिका होती है।

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  55. किशोरावस्था मे सभी शारीरीक, मानसिक परिवर्तन से गुजरते है।प्रारंभ मे अनेकों विचार जैसे गुस्सा, मिजाज, तनाव, चिँता,आकर्षण आदि आते है पर समयानुसार सब सामान्य होता जाता है। किशोरावस्था मे सही मार्गदर्शन मिलना जरूरी है।

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  56. Changes are inevitable part of life.they happen with everyone and transform a person's appearance nature and behaviour completely.

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  57. शारीरिक,तो स्वाभाविक हुआ। मानसिक बहुत परवर्तन हुआ। हार्मोन,परवारिक,कई फैक्टर जीनने डाल अटे का भाव याद करा दिया।

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  58. Sabarmati lecturer, Govt. High School Badwahi Block Bharatpur Dist.Koriya State Chhattisgarh._ 9years k baad sharir m badlaav hua phir kishoravasth m secondary growth , gussa ana, tanav ityadi, physical changes, bhavnatmak , saamajik parivartan mahshush hua aur jankari Sabi samanya aur svabhavik thi. Kishoravasth m sahi margdarshan aur parmarsh milna jaruri h.

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  59. Nothing special happened ..
    But physical changes and mental stress according to age which every normal human being have to face that's all... But later on when we grew up everything become normal.

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  60. 9 वर्ष की आयु से लेकर अब तक जो परिवर्तन हुआ है ,प्रकृति का नियम है ।उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अनुभव है, स्वाभाविक रूप से समय के साथ-साथ शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक विकास होते रहे हैं। कई बार परिवर्तन के कारण अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन अजीब लगते हैं बाद में वही सामान्य लगने लगते हैं।मेरीआवाज में जब परिवर्तन हुआ,तब मुझे बहुत अटपटा सा लगा था। संदीप किशोर भटनागर प्राचार्य शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तिरिया जिला बस्तर

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  61. 9 वर्ष के बाद बहुत से परिवर्तन आए , क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है । शरीर का बढ़ना , दाढ़ी आना , आवाज का भारी होना , ये कुछ उधारण है। जिनके माध्यम से हम जान सकते है , की शारीरिक , मानसिक व भावनात्मक विकास होता रहा है

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  62. नौ वर्ष की आयु से होने वाले शारीरिक परिवर्तनों सर्वाधिक तनाव वह आश्चर्य दिया। वातावरण ऐसा था कि किसी से कुछ पूंछ नहीं पाते थे और जिज्ञासा मानसिक तनाव देती थी।
    आज स्वयं की दो बेटियां हैं उन्हें इन परिवर्तनों के विषय में इतनी सहजता से बताया है कि उनके मन में इस संबंध में न कोई जिज्ञासा है न तनाव।

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  63. शारीरिक और मानसिक परिवर्तन किशोरावस्था में तीव्र गति से होता है।

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  64. 9 वर्ष की आयु में अपने दोस्तों के साथ खेलना कूदना अच्छा लगता है माता-पिता की ज्यादा रोक-टोक पसंद नहीं आता है यह एक अलग ही आनंदित क्षण होता है शारीरिक परिवर्तन होते हैं मानसिक परिवर्तन होते हैं अच्छा दिखने की चाह होती है जब कोई अच्छा कार्य करता है उसको प्रशंसा मिलती है तो उससे प्रेरणा भी मिलती है वैसा करने का मन में सोच रखते हैं और प्रयास भी करते हैं

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  65. किशोरावस्था में अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक परिवर्तन देखने को मिलते हैं हम उस अवस्था में उन परिवर्तनों को बड़े आश्चर्य से देखते हैं क्योंकि वह हमारे लिए बिल्कुल नए होते हैं परंतु जैसे-जैसे हम व्यस्त होते जाते हैं और हमें उनके बारे में अध्ययन करने को मिलता है तो सारी चीजें समाने लगे लग जाती और हम जिस अवस्था से गुजरे होते हैं उन्हें अवस्था में आने वाली पीढ़ी को देखते हैं तो उनके प्रति सहानुभूति नहीं रख पाती जबकि होना यह चाहिए कि एक शिक्षक के रूप में हमें किशोरों के साथ सहानुभूति रखते उनकी भावनाओं को समझना चाहिए ताकि वह कुसंगति में पढ़ कर अपना भविष्य बर्बाद ना कर पाए क्योंकिक्योंकि पूरी समिति में प्रकरण में धूम्रपान नशा चोरी आदि पनप सकती है जो कि एक नकारात्मक समाज को जन्म देती है।
    बृजेश कुमार शर्मा
    व्याख्याता गणित
    शासकीय हाई स्कूल खेकतरा दादन

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  66. किशोरावस्था एक तरह का उपद्रव से भरा हुआ जीवन होता है। जहां क्रोध और प्रेम समान रूप से बलवती होता है। स्वतंत्रता और नियंत्रण दोनों साथ साथ महसूस होते हैं। किशोरावस्था में बच्चों को सही मार्गदर्शन और परामर्श मिलना जरूरी है।

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  67. किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन समय के साथ सामान्य हो जाते हैं । परिवर्तन प्राकृति का नियम है। किशोरावस्था के दौरान शारीरिक मानसिक परिवर्तनों के दौर से सभी को गुजरना पड़ता है ।

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  68. नव वर्ष से आज तक एक अच्छी बात यह है कि मुझे खेलना बहुत पसंद था जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई शारीरिक मानसिक एवं भावनात्मक परिवर्तन को मैंने महसूस किया ।
    अशोक कुमार बंजारे
    शासकीय हाई स्कूल अमाल अमाली
    विकासखंड कोटा जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़

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  69. शारीरिक फिटनेस गतिविधियों में शामिल होने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जहां एक और एरोबिक व्यायाम करने से शरीर के संचालन क्षमता में वृद्धि होने के साथ सभी अंगों के कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है ऐसे मांसपेशियों को मजबूती होना हड्डियों का सुदृढ़ीकरण एवं त्वचा में चमक का होना वही नैरोबी गया हमसे शरीर शक्तिशाली बनता है जैसे कि कहा गया है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है तो एक सौ शरीर के होने के बाद हमारी किसी कार्य को करने की क्षमता में वृद्धि होती है अर्थात हम किसी कार्य को बिना थके में समय तक कर सकते हैं मनोगत्यात्मक कार्यों में सुधार के साथ ही हमारे मानसिक मजबूती में वृद्धि होती है

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  70. किशोरावस्था के बाद अनेक उतार चढ़ाव,और विविधताओं से गुजरना पड़ा है ।अनेक विवादों से अकेला पन ,आवेग में आना , घबराहट , उदासी ,अनेक परिवर्तन हुआ था पर सही समय में शिक्षक मिले कि ये सारी कमिया दूर करने में सहायक रहे जिससे बाद हर तरह से मानसिक विकास ,शारीरिक विकास,नैतिक, जिम्मेदारी अनेक परिवर्तन हुआ

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  71. जीवन एक नदी के समान है,जिसमें केवल बहते जाना है।इसमें कोई ठहराव नहीं है। उम्र के हर पड़ाव का अपना एक अलग अनुभव है,जिस उम्र में जो चीज हमें अजीब लगती थी आगे चलकर वही सामान्य लगने लगी। किशोरावस्था में जो चीज हमें अजीब लगती थी वयस्क होने के बाद वही हमें सामान्य लगने लगी।

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