मॉड्यूल 17
गतिविधि 3: प्रदर्शन
अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
मॉड्यूल 17
गतिविधि 3: प्रदर्शन
अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
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घर मे रहकर और बार बार हाथ धोकर।
ReplyDeleteघर से बाहर न निकलना। जरूरी समान खाद्य पदार्थों को लाने के लिए मास्क लगाकर निकलना।15दिन का सब्जी ,दूध व फल एक साथ लाना।गाड़ी जल्दी चालू न होना, पेट्रोल न मिलना ,राशन मंहगा होना,।घर में पुरे परिवार साथ में रहकर बहुत अच्छा लगा।ओनलाइन, offline क्लाश लेना।नये नये पकवान बनाना सीखना।बाहर से लाये गये समान को अच्छे से धोना,धूप में रखना।बाहर से आकर नहाना भीड़ जगह में नहीं जाना।घर में रहकर सुरक्षित रहो बार बार हाथ दो,मास्क लगाओ सभी को सलाह देना।
Deleteहाँथ बाहर से आने के बाद थोये घर को साफ़ रखे,लोगों से दूरी बना कर रहे
ReplyDeleteLog ak dusare se duri bana rhe hai
ReplyDeleteलाॕक डाउन का सामना पहली बार किया| कोरोना का डर था व उससे बचने के सरकार द्वारा दिये गये नियमों का पालन किया और परिवार को कराया, जो अब तक जारी हैं|
DeleteCovid 19 se roktham hetu Sabhi niymo ka palan kare
ReplyDeleteलाकडाउन का पहला अनुभव -घर मेंं ही रहना शासन के दिशानिर्देशों का पालन करने के साथ-साथ अपने संयुक्त परिवार के साथ रहना एक अच्छा अनुभव रहा।नये तरीक़े से जीवन जीना शायद पुराने लोग ऐसे ही रहते रहे होंंगे।अच्छा अनुभव।
Deleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteलोकडाउन की अवधि के समय बहुत लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा,स्वास्थ्य कर्मचारी, सब्जी विक्रेता, दवा विक्रेता आदि लोगों ने सतत अपनी सेवा प्रदान की.
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सभी नियमों व मापदंडों का कड़ाई से पालन किया। रोजमर्रा की जरूरत व आपातकाल स्थिति में बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलना ।मास्क लगाना, सैनिटाइजर साबुन का प्रयोग करना हाथ धोने के लिए एवं सामाजिक दूरियां बनाकर रखना। संयुक्त परिवार में अपने परिवार वालों के साथ रहने का आनंद उठाया उनके साथ अपना समय व्यतीत किया मैंने पकवान बनाना सीखा एवं संचार के साधनों का प्रयोग सीखा। विषम परिस्थितियों में भी हमें किस प्रकार संयम से रहना चाहिए यह बात इस लॉकडाउन में हमने सीखी।
Deleteहमेशा मास्क का उपयोग करे और घर को साफ सुथरा रखे, लोगों से दूरी बना कर रहे।
Deleteकोविड -19 लाॅकडाउन जीवन का पहला अनुभव, घर में ही रहना, शासन के दिशा-निर्देशों को पालन करने के साथ-साथ पूरे परिवार के साथ रहने का एक सुखद अनुभव, साथ में महामारी का भय भी।नये तरीके से जीवन में व्यवहार करने का मौका मिला।खान-पान के सभी चीजें घर में ही बनने लगे, पूरे परिवार आनन्द लेने लगी।
Deleteजैसे कि घरों से बाहर ना निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलना,मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, सैनिटाइजर, साबुन से हाथ धोना आदि- आदि। अन्ततः पूरे परिवार के सदस्यों को संयमित जीवन जीने का मौका मिला।
Lack dowan ke dauran Government ke niyamo ka palan karte hue Ghar me social distancing ka palan kate hue time ko bitaye
ReplyDeleteलोकडाउन की अवधि के समय बहुत लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा,स्वास्थ्य कर्मचारी, सब्जी विक्रेता, दवा विक्रेता आदि लोगों ने सतत अपनी सेवा प्रदान
ReplyDeleteसपने में भी इस प्रकार की स्थिति निर्मित होगी,नहीं सोचा था।पर वास्तविकता को भी नकारा नहीं जा सकता।उसे न चाह कर भी स्वीकार करना पड़ता हैं जैसे अभी "नोवल कोरोना वायरस" एक वैश्विक महामारी हैं इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ हैं।पूरा जन जीवन को अस्त - व्यस्त कर दिया हैं।शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteफिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों का पालन करते हुए जीवन को जिये,हमारे दायित्वों को निभाए, जिम्मेदारियों को बखुबी से पूरा किए।स्कूली छात्रों का भी अहित होने नहीं दिए।पूरे नियमों का पालन करतें हुए,ऑनलाइन/ऑफ़लाइन, मोहल्ला क्लासेस चलाएं, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए, घर-घर वर्कसीट बांटे, जिन छात्रों के पास मोबाईल नहीं था उनसे उनके घर जाके व्यक्तिगत रूप से मिले,अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु कन्वेंश किए।इस प्रकार से ऐन-केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नही दिए।उनका रूटीन बनाएं रखें और नियमित रूप से असेसमेंट करतें रहें।इस प्रकार आगे भी हालात को मद्देनजर रखते हुए काम जारी रखेंगे।
लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteहमेशा मास्क का उपयोग करे और घर को साफ सुथरा रखे
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteसपने में भी इस प्रकार की स्थिति निर्मित होगी,नहीं सोचा था।पर वास्तविकता को भी नकारा नहीं जा सकता।उसे न चाह कर भी स्वीकार करना पड़ता हैं जैसे अभी "नोवल कोरोना वायरस" एक वैश्विक महामारी हैं इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ हैं।पूरा जन जीवन को अस्त - व्यस्त कर दिया हैं।शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteफिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों का पालन करते हुए जीवन को जिये,हमारे दायित्वों को निभाए, जिम्मेदारियों को बखुबी से पूरा किए।स्कूली छात्रों का भी अहित होने नहीं दिए।पूरे नियमों का पालन करतें हुए,ऑनलाइन/ऑफ़लाइन, मोहल्ला क्लासेस चलाएं, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए, घर-घर वर्कसीट बांटे, जिन छात्रों के पास मोबाईल नहीं था उनसे उनके घर जाके व्यक्तिगत रूप से मिले,अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु कन्वेंश किए।इस प्रकार से ऐन-केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नही दिए।उनका रूटीन बनाएं रखें और नियमित रूप से असेसमेंट करतें रहें।इस प्रकार आगे भी हालात को मद्देनजर रखते हुए काम जारी रखेंगे।
लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeletePritan kumar Xess,लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना , सब्जी फल को लाने के बाद खाने का सोडा पानी से धोकर उपयोग करना, हाथ व कपड़े को साबुन से धोना, सेनेटाइजर का उपयोग करना आदि।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया।इस दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।फिर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वाह किया।इस अवधि में सबसे अच्छी बात यह हुई कि घर मेंं रहकर भी शुद्ध हवा,पानी मिला साथ ही साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।
ReplyDeleteहमने तो शासन के नियमों का 100 परसेंट पालन किया जैसे घर से बाहर न निकलना, अति आवश्यक हो तभी निकले तो भी मास्क लगाकर,तथा सोसिअल डिस्टेंस का पालन करना एवं बार बार हाथों को धोना एवं सेनिटाइजर का इस्तेमाल करना,विटामिन सी वाली खाद्य पदार्थों का उपयोग करना,एवं दूसरों को भी जागरूक करना इत्यादि।
ReplyDeleteकोविद-19का यह दौर बहुत ही दुखद रहा है।सामाजिक दूरी,एकांतवास जैसे स्थिति निर्मित हो गई।इन परिस्थितियों में पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना भी कठिन प्रतीत हुआ।इसके अलावा अपना मूल कर्तव्यों के निर्वहन हेतु हमने ऑनलाइन, offline, मोहल्ला क्लास बुलटू के बोल जैसे माध्यमों का सहारा लेकर अनेकानेक प्रयास करते रहे हैं।
ReplyDeleteN k tiwari
ReplyDeleteBlock. Kota
लॉक डाउन के दौरान जब लोगो को घर से निकलने की मनाही थिअनेको परिवारों को कठिनाइयो का सामना करना पड़ा हमारे घर ने पिता जी का पैर में फेक्चर हो गया डॉक्टरबिन कोविद्द जांच के इलाज के लिये तैयार नही हुई उन्हें गांव से शहर लाने मे बहूत परेशानी का सामना करना पड़ा
स्कूल के समय सुबह से रात तक बिजी शैड्यूल होता था किंतु अचानक से लाकडाऊन जिसके कारण सब बंद था शुरू शुरू में समय काटना मुश्किल था फिर समय का सही उपयोग कैसे करूँ इस पर विचार किया वह काम जो स्कूल के समय नहीं कर सकती थी, जैसे योगाभ्यास, सिलाई कढ़ाई, रोज नये नये पकवान बनाना, नृत्य करना, बैडमिंटन खेलना, घर की साफ सफाई फिर धीरे धीरे धीरे जो समय काटना मुश्किल लग रहा था अब वह भी कम लगता है, ममता झा, छान्टा झा, बम्हनी संकुल
ReplyDeleteलाँकडाउन का पहला अनुभव -घर में ही रहना। लाँकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडो का कड़ाई से पालन किया।सामाजिक दूरी बनाना यूं तो लोगो से दूरी बनाना अजीब लगता था लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
Deleteलॉकडाउन के दौरान बहुत बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा तथा जैसे सब्जी खाने के सामान और बाहर निकलने में भी बहुत परेशानी था लोग मास्क लगाकर के बहुत लोग निकल रहे थे परंतु कुछ लोग नहीं मान रहे थे और सभी को डर था कि हमें कुछ ना हो जाए तथा बहुत लोग बेरोजगार भी हो गया जिसको बहुत आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा सामने में दिखाई देने लगा तथा लोग एक दूसरे का साथ देने की कोशिश किया तथा लोग मिलजुलकर के एक दूसरे से दूरी बनाते हुए अपने काम करते रहें परंतु यह दौर गुजर गया आप सब सामान्य है अब थोड़ा अच्छा लगता है और उस सभी परिवार के लोग शामिल करके समयअच्छा लगा ।
ReplyDeleteलांकडाऊन के दौरान हमें कुछ कड़वे अनुभव का सामना करना पड़ा। हमारे चाचा जी का देहावसान उसी समय हुआ था। फिर भी सबके सहयोग से सभी कार्यक्रम सुचारू रूप से आयोजित किया गया।
ReplyDeleteलॉकडाउन के समय की भावनाओं का वर्णन करना बहुत ही कष्टदायक है।
ReplyDeleteजीवन में इतनी पाबंदियां एवं कठोर नियम आज तक नहीं देखा था।
फिर भी घर पर रहे हैं एवं नियम को पालन किया कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूर्णता पालन किया।
लाकडाउन के दौरान शासन द्वारा दिये गयेे निर्देशों का पालन किया। घर से निकलना कम हो गया जब अतिआवश्यक हो तभी मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी का पालन किया। पहले कुछ समय अजीब सा लगा फिर धीरे -घीरे आदत से हो गई। COVID-19 के बचाव दल मे भी कार्य करने का माैैका मिला जिसके दौरान लोगों को इस महामारी के प्रति जागरूक किया। शैक्षणिक गतिविधियां भी चलती रही जैसे आनलाइन क्लास और मोहल्ला क्लास के द्वारा छात्रों से भी जुडे रहे, जो एक नया अनुभव था।
ReplyDeleteLockdown k douran pariwar k sath samay bitane ka aur jyada mouka mila.sabko bhawnatmak kiya.yah bahut sukhad tha.
ReplyDeleteघर से बाहर न निकलना। जरूरी समान खाद्य पदार्थों को लाने के लिए मास्क लगाकर निकलना।15दिन का सब्जी ,दूध व फल एक साथ लाना।गाड़ी घर में पुरे परिवार साथ में रहकर बहुत अच्छा लगा।आनलाईन, आफलाईन कक्षा लेना।बाहर से लाये गये समान को अच्छे से धोना,धूप में रखना।बाहर से आकर नहाना भीड़ जगह में नहीं जाना।घर में रहकर सुरक्षित रहो बार बार हाथ दो,मास्क लगाओ सभी को सलाह देना।
ReplyDeleteस्वच्छता नियमों का पालन,सामाजिक दूरी, मास्क का उपयोग, शरीरिक व्यायम , योगासन कर अपने को सुरक्षित बनाये रखा।लेकिन इसके चपेट आने से मैने अपनो को खोने का दर्द भी सहा है जो शायद कभी न भूले।वे पल बड़ी ही पीड़ादायक व असहनीय रहे।
ReplyDeleteकोविड-19 के सारे नियमों का पालन करते हुए ,सरकारी नियमों का पालन करते हुए हमने समय बिताया ।हमारा पुत्र जो कि नवोदय विद्यालय में अध्ययनरत है विगत 4 साल से वह वहीं था कक्षा दसवीं में वह इस साल है जिसे इस साल घर में रहने का और हमें उसके साथ कीमती समय व्यतीत करने का मौका मिला ।हमने इस समय को एक सकारात्मक रूप में कि हम अपने बच्चे के साथ समय व्यतीत कर रहे हैं इस पल को हम अच्छे से जिए उस तरह से हमने अनुभव किया।
ReplyDeleteLockdown k douran pariwar k sath samay bitane ka aur jyada mouka mila.sabko bhawnatmak kiya.yah bahut sukhad tha.
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान मैंने शासन के सभी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया । सामाजिक दूरी, बहुत जरूरी हो तभी मास्क लगाकर घर से बाहर निकलना,एक बार में ही सभी सामग्री बाजार से लाना, सब्जियों को पानी से अच्छी तरह धोना हाथों को बार-बार साबुन से रोना आदि । बच्चों को आनलाइन पढ़ाना , गृहकार्य की जांच करना, पारा मोहल्ला कक्षा शुरू करवाना, बच्चों को घर पर रखना आदि चुनौती पूर्ण कार्य किया।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हमें बहुत कष्टदायक महसूस हुआ जब भी किसी चीज की आवश्यकता होती तो घर से मांस का सैनिटाइजर लगाकर बाहर निकलते और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सामान खरीद कर लाते थे इसी दौरान ऑनलाइन क्लास भी ले रहे थे जिससे बच्चों को फायदा हुआ और पढ़ाई तुम्हारे द्वार के माध्यम से भी बच्चों को पर ध्यान से बढ़ाने का कार्य किए
ReplyDeleteमा.शा.कुदुर घोड़ा
ReplyDeleteअम्बागढ़ चौकी
राजनांदगांव
मैंने अपने जीवन में पहली बार लॉक डाउन को देखा।कोरोना के प्रति सबके मन में दहशत बैठा था। मैं भी दहशत में था।इस समय मैं अपने बेटी के घर मे था।मैं अपने मुखयालय वापसी के लिए बेचैन था।लॉक डाउन की अवधि बढ़ती जा रही थी।मैं बहुत बेचैन था।दूसरी तरफ हम लोग परिवार के साथ थे इसलिए सुखद अवसर भी था।
Lockdown Ke dauran shasan ke banae Hue niyamon ka Palan karte hue bahut Jaruri hone per hi Bahar Gaye aur mask Ka upyog Kiya Bahar social distancing ke niyamon ka Palan Kiya.
ReplyDeleteभावनात्मक अनुभव की बात करें तो corona के दौरान हुए lockdown ने सीखा दिया कि प्रत्येक क्षेत्र में मर्यादित रहे , अति सर्वत्र वर्ज्यते।
ReplyDeleteLockdown ko se mera parichay hua.Mai to dar gaya lekin niyamo ka palan karane ke bad corona se bacha raha.is dauran ham apne bachcho ko bhi niyam palan karane ke liye sachet karate rahe. Online
ReplyDeleteClass liya. Bad me loudspeaker se bhi padane ka prayas kiya.abhi mohalla class liya ja raha hai. Tika bhi lagana shuru ho chuka hai. School khulane ki aas lagi hai.
लॉक डाउन के दौरान प्रारम्भ में कुछ दहशत मन में थी ।किन्तु शासन के निर्देशानुसार रहते हुए आवश्यक सावधानी रखते हुए डर पर काबू पाते हुए बच्चों के साथ रहने का आनंद उठाया ।बच्चे 4 ,5 साल सर पढाई हेतु घर से दूर थे समय एवम् परिस्थिति को देखते हुए नकारात्मक।विचारों को अपने एवम् परिवार सर दूर रखा
ReplyDeleteकोविड-19 लाॅकडाउन से सभी की जीवन शैली में परिवर्तन आ गया ।मैं और मेरा परिवार कोविड के नियमों का पालन करते हुए घर पर ही रहे ।दैनिक जीवन में उपयोग की वस्तुओं को लाने ही मैं माॅस्क पहन कर सेनिटाइजर का उपयोग करते हुए सामाजिक दूरी बनाते हुए ही दुकानों तक गया ।वापस आने पर कपड़े धोना नहाना लायी गई वस्तुओं को आवश्यकतानुसार धोना सेनिटाइज करना धूप में रखना उसके बाद ही उपयोग में लाने का कार्य किया ।घर में सभी ने कुछ न कुछ नया काम सीखा ।
ReplyDelete1-लाॅकडाउन में मैंने शासन के आदेश के परिपालन में स्वास्थ्य विभाग के साथ कोरोना धनात्मक परिवारों के काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग का कार्य पीoपीoईo किट पहन कर किया जो मेरे लिए लोकहित का बहुत अच्छा अनुभव रहा है । 2- मैंने लाॅकडाउन में स्कूल के बच्चों के घर-घर जाकर M.D.M.के सूखा अनाज पाठ्यपुस्तकों का वितरण कार्य किया एवं नए बच्चों को दाखिल किया ।
3- बच्चों को ऑनलाइन अध्यापन कार्य कराया एवं असाइनमेंट/शंका समाधान के प्रश्नों की जांच भी किया । ऑनलाइन/ ऑफलाइन शिक्षण कार्य सतत् जारी है ।
सतीश श्रीवास्तव
उoवoशिक्षक
धरमजयगढ़
Hygiene is so important , don't touch your eye , nose without any reason and use sanitizer
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDelete(kk siware)
लाकडाउन की स्थिति पहली बार लोगों को महसूस करना पडा । आनलाईन के माध्यम से अपने समस्त कार्य पूर्ण कराया गया । शासन के सभी मापदंडों का पालन किया गया ।
ReplyDeleteकोरोना संक्रमण बीमारी ने शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteफिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों का पालन करते हुए जीवन को जिये,हमारे दायित्वों को निभाए, जिम्मेदारियों को बखुबी से पूरा किए।स्कूली छात्रों का भी अहित होने नहीं दिए।पूरे नियमों का पालन करतें हुए,ऑनलाइन/ऑफ़लाइन, मोहल्ला क्लासेस चलाएं, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए, घर-घर वर्कसीट बांटे, जिन छात्रों के पास मोबाईल नहीं था उनसे उनके घर जाके व्यक्तिगत रूप से मिले,अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु कन्वेंश किए।इस प्रकार से ऐन-केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नही दिए।उनका रूटीन बनाएं रखें और नियमित रूप से असेसमेंट करतें रहें।इस प्रकार आगे भी हालात को मद्देनजर रखते हुए काम जारी रखेंगे।
(सफाई के और सामाजिक दूरी के महत्व को बच्चो को समझाते हुए पालन करना है )आफिजा मलिक प्राथमिक शाला नवाटोला लोहारी से
लॉकडाउन के दौरान सामाजिक ज्योति का पालन करते हुए करुणा का एलान का पालन किया प्रारंभ में भय था लेकिन धीरे-धीरे दूर हो गया कुछ सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे मार्केट का बंद होना विभिन्न सामान लाने की जरूरत के सामान प्राप्त करने में सब्जी भोजन आदि प्राप्त करने में कठिनाई हुई बाद में धीरे-धीरे यह सामान्य होता गया मास्क का प्रयोग बार-बार हाथ धोना 1000 का उपयोग करो ना कॉल में हमने सीखा
ReplyDelete* हेमंत कुमार सलामें*UDT
ReplyDelete*लाॅकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना आदि।
यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब सा लगता है लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
सभी मापदंडों का पालन करते हुए ऑनलाइन/आफलाईन क्लास, मोहल्ला क्लास, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर कक्षाओं का संचालन किया । सभी विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं होने के कारण अधिकांश विद्यार्थी विद्यार्थी आनलाईन क्लास में नहीं जुड़ पा रहे हैं। हमारा अथक प्रयास जारी रहेगा। *
लाक डाऊन के अवधि त्रासदी था।सतर्कता बहुत बरतना पड़ा।जो इस महामारी के कारण थे उन को कोसने के सिवाय कुछ नही कर पाये।लाकडाऊन मे ं आनलाइन पढ़ा ना नई अनुभव रहा।
ReplyDeleteलॉक डाउन का सामना पहली बार की कोरोना का डर था व उससे बचाव के सर की सरकार द्वारा दिए गए नियमों का पालन की और परिवार को कराई अब तक जारी है लाख डाउन की अवधि में बहुत लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा
ReplyDeleteकोरोना जब आया, तो वह हमसे बहुत दूर था, किसी दूसरे देश की खबर था, कौतुहल की वजह था. और फिर जब वह पास आया, तो इस ताकत के साथ आया कि सब अपने अपने घरों में दुबकने को विवश हो गए. कोरोना काल का अनुभव ऐसा अप्रत्याशित था, जो सपने में भी नहीं सोचा होगा. हमारी पीढ़ियों ने ऐसी कोई महामारी देखी भी नहीं कि उससे निबटने का कोई अनुभव हो.
ReplyDeleteऐसे में सरकारों ने फैसले लिए. पहली बार सरकारों के फैसले राजनीतिक स्तर पर नहीं, बल्कि विशेषज्ञों से पूछकर लिए गए. और इन फैसलों में लोकतांत्रिक परंपराओं से ज्यादा अहम यह बात रही है कि लोगों की जान किस तरह बचाई जाए, जिन लोगों के रोजगार पर असर पड़ा, उनकी आजीविका का बंदोबस्त कैसे किया जाए और जो लोग घर पर रहने को मजबूर हैं, उनके अकेलेपन को कम करने के लिए क्या किया जाए.
Covid-19 ka daur bahut hi dukhad tha samajik duri ke sath bachcho ko online padane ki koshish rahi hai vibhinna sarve karya bhi kiya
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हम लोग घर मे ही रहकर कोविड19 वैश्विक महामारी से बचने के सभी उपाय शासन द्वारा बताया गया था, कड़ाई से पालन किये हैं।जब कभी भी घर से आवश्यक काम से बाहर जाना होता है तो मास्क लगाना और भीड़ वाले स्थान पर कम से कम एक मीटर की दूरी बनाना, घर आकर हाथ-पैर,मुँह धोना ,कपड़े बदलना आदि अब दिनचर्या बन गया है।इस लॉक डाउन के दौरान बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाये भी हैं।जो अभी तक चल रहा है।
ReplyDeleteबालक खाण्डेयकर
शिक्षक
शा.पूर्व माध्यमिक शाला-अकलसरा
विकास खण्ड-जैजैपुर(सक्ति)
इस वैश्विक महामारी ने जीवन को जहाँ एक ओर सुरक्षित रखने के लिए अपने घरों में सीमित कर दिया वहीं दूसरी ओर इसके कई सार्थक परिणाम भी सामने आया जैसे लोग सुरक्षा के प्रति जागरूक हुए, खर्च पर नियंत्रण के साथ जरूरतमन्दो की सेवा करना सिखाया।।लोगों में ऑनलाइन कार्य की क्षमता का विकास हुआ।हमने अनुभव किया कि,इस घड़ी में असुविधा वाले बच्चों की पढ़ाई पर भी बहुत असर पड़ा हालांकि इस कमी की पूर्ति हेतु हम शिक्षकों द्वारा लगातार विभिन्न तरीकों से प्रयास किये जा रहे हैं।
ReplyDeleteA sudden change in the entire daily routine effected the entire family on all kinds of levels be it mental, social or others.
ReplyDeleteलॉक डाउन का समय निश्चित ही सभी के जीवन में कभी ना भूलने वाला एक कालखंड बनकर रह गया है। इस दौरान हमें जीवन जीने के लिए बहुत सारे परिवर्तनों को अपनाना पड़ा। जैसे कि_दिनचर्या में बदलाव, खानपान में बदलाव यहां तक की कई लोगों के व्यवहार और विचारों ही बदलाव हो गया। लॉक डाउन का यह समय कई लोगों के लिए एक बुरे सपने की तरह भी बिता बीता क्योंकि बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें इस दौरान अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा या उनके आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा। वहीं दूसरी ओर कई लोगों को अपने परिवार के साथ लंबे समय तक रहने का सुखद एहसास भी हुआ।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान एक शिक्षक के रूप में मुझे बहुत मानसिक परेशानी हुई क्योंकि विद्यालय के लंबे समय तक बंद रहने से मेरे मन में यह ख्याल आने लगा था कि मैं बेरोजगार हो गया हूं और एक नियमित दिनचर्या के टूट जाने से अपने समय को खाली रह कर व्यतीत करना बहुत ज्यादा मुश्किल लेने लगा था। लेकिन बाद में ऑनलाइन क्लास चालू होने से मुझे एक बार फिर से बच्चों से जुड़ने का मौका मिला तो मन को शांति मिली।
लाक डाउन के दौरान शासन के निर्देशों एवं अनुरोधो का पालन करते हुए घर पर रहकर छात्रों के हित में आन लाइन क्लास लेकर उनके अध्ययन को जारी रखा ।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान हमने सभी नियमों का अनुसरण सही तरीके से किया, जैसे घर से बाहर न निकलना, मास्क पहनना ,सामाजिक दूरी बनाये रखना, बाहर से आने के बाद हाथ पैर को साबून से धोना, सेनेटाइजर का उपयोग करना, यही इस महामारी से बचने के उपाय था।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान मैंने शासन के सभी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया । सामाजिक दूरी, बहुत जरूरी हो तभी मास्क लगाकर घर से बाहर निकलना,एक बार में ही सभी सामग्री बाजार से लाना, सब्जियों को पानी से अच्छी तरह धोना हाथों को बार-बार साबुन से रोना आदि । बच्चों को आनलाइन पढ़ाना , गृहकार्य की जांच करना, पारा मोहल्ला कक्षा शुरू करवाना, बच्चों को घर पर रखना आदि चुनौती पूर्ण कार्य किया
ReplyDeleteGeeta sahu - लाॕक डाउन का सामना पहली बार किया| कोरोना का डर था व उससे बचने के सरकार द्वारा दिये गये नियमों का पालन किया और परिवार को कराया, जो अब तक जारी हैं|
ReplyDeleteबिना काम के बाहर ना निकले आवश्यक हो तो मास्क पहन कर बाहर निकले घर आए तो हाथ धोएं और 2 गज दूरी की पालन करें
ReplyDeleteसब कुछ बदल रहा है यह समय और परिस्थिति भी बदल जाएगी सब कुछ ठीक होगा यह भावना बनी रही
ReplyDeleteकोविंड 19 लॉक डऑन के समय पूरा देश संकन्ट के गुजर रहा था उस समय हेर व्यक्ति यही सोच रहा था अब क्या होगा। खाने राशन चावल सभी प्रकार के आवागमन स्कूल सब बंद हो गया था। वह स्थिति सोचते ही हमारा रूह काप जाता है। धर्य रखने और आपसी सहयोग से इस मुश्किल सैम को गुजार रहे है।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हम घर से तभी निकलते थे जब बहुत आवश्यक काम होता था घर से निकलने की पहले मास का प्रयोग करते थे और हाथ में सैनिटाइजर का यूज़ करते थे जब बाजार जाते थे सब्जी भाजी रोज और भी उपयोगी वस्तुओं के लिए तो डिस्टेंस सोशल डिस्टेंस का पालन करते थे और अभी भी सोशल डिस्टेंस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं इसको भी महामारी में वैक्सीन लगने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हम घर से तभी निकलते थे जब बहुत आवश्यक काम होता था घर से निकलने की पहले मास का प्रयोग करते थे और हाथ में सैनिटाइजर का यूज़ करते थे जब बाजार जाते थे सब्जी भाजी रोज और भी उपयोगी वस्तुओं के लिए तो डिस्टेंस सोशल डिस्टेंस का पालन करते थे और अभी भी सोशल डिस्टेंस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं इसको भी महामारी में वैक्सीन लगने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे।
ReplyDeleteLockdown ne satarkata ko puri tarah se badhaya hai.very good.
ReplyDeleteलाॅकडाउन में घर से बाहर तभी निकलते थे जरूरी काम हो ,मास्क लगाकर , सोशल डिस्टेंसिग का पालन किया गया। आगे भी पालन करते रहेंगे।
ReplyDeleteसीएसी नवागांव:-- विकट स्थिति थी घर में राशन नही था अचानक लाकडाऊन हुआ जो देश हित में जरूरी था
ReplyDeleteलाकडाऊन की स्थति में सभी देशवासी को भावनात्मक रूप से अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा ।
ReplyDeleteलाँक डाउन के दौरान सब कुछ बन्द था हम अपने अपने घर मे थे काम करने वाले नही आ रहे इसी प्रकार कुछ लोग अपनीरोजी रोटी कमाने भी नही आ पा रहे थे मुझे ऐसे लोगो की चिंता थी कि वे अपना जीवन यापन कैसे करेंगे कोरोना के नियमो का पालन किया बाजार जाते समय मास्क उपयोग किया 6फीट की दूरी रखी बाजार से आकर हाथो को सेनिटाइज किया इस समय भावनात्मक रूप से अनेक परेशानियों का सामना किया
Deleteलॉकडाउन में आवश्यक सामानों के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा पुलिस रोड पर काफी चेकिंग करते थे मास्क लगाने पर भी बिना अनुमति पत्र के आने जाने में रोक दिया करते थे मेरा नया मकान नींव डालने के बाद 1 माह तक वैसे ही पड़ा रहा लोगों से मिलता ही नहीं था घर में ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रहा करता था
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteलॉकडॉउन की अवधि में सरकार के द्वारा दी गई गाइड लाइन का पूर्णतः पालन किया ।
ReplyDeleteएक खास बात जो मेरे जहन में आज भी है जो मैं आपसे से साझा करना चाहता हूं कि lockdown के समय जब सभी लोग घर पर रह रहे थे पर उसी वक्त शासन के आदेशानुसार मुझे covid - 19 का सर्वे कार्य वार्डों का दिया गया था और मैंने सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए इस कार्य को पूर्ण किया ।
हम सभी को लाकडाऊन के समय धैर्य रखना पड़ा। घर में राशन सामग्री लाकर रखना पड़ा। लोगों से मिलना बंद हो गया। घर में ही आनलाईन क्लास के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने का प्रचलन शुरू हुआ। हमारी दैनिक दिनचर्या में बदलाव आ गया। आज हम बिना मास्क के घर से बाहर नहीं निकल रहे है। सामाजिक दूरी का पालन कर हम स्कूल मे मोहल्ला क्लास लगा कर पढाई में ब्यवधान आई है उसे हम पूरा कर रहे हैं । ( विनोद कुमार साहू मा शा एर्राकोट)
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है। जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं है।
ReplyDeleteस्वच्छता नियमों का पालन,सामाजिक दूरी, मास्क का उपयोग, शरीरिक व्यायम , योगासन कर अपने को सुरक्षित बनाये रखा।लेकिन इसके चपेट आने से मैने अपनो को खोने का दर्द भी सहा है जो शायद कभी न भूले।वे पल बड़ी ही पीड़ादायक व असहनीय रहे।
ReplyDeleteसत्यनारायण निषाद शिक्षक एल बी पूर्व मा शा lurgikhurd बलरामपुर छ ग।
Rajesh Kumar Dinkar
ReplyDeleteAssistant teacher ARSIYAN Morga via pondi uprora District Korba Chhattisgarh
School se dur bachchon se dur
Ho gaye the ham majbur
Pariwar se dur doston se dur
Jaise sapne ho gaye the chur
Apno se duri upar se samajik duri
Dahshat se bhari thi jindagi,puri ki puri
Kya karen,kya n karen ki isthiti thi
Chahuore bhayawah paristhiti thi
Man hi man kudhne laga tha
Apne aap par chidhne laga tha
Pagalpan ka daur shuru ho gaya tha
Chintakon ka Mahaguru ho gaya tha.
Lockdown के दौरान पूरे परिवार के साथ बैठकर धार्मिक Serials देखना, साथ खाना खाना, शाला और बच्चो को miss करना।
ReplyDeleteइन्द्र सिंह चन्द्रा , उच्च वर्ग शिक्षक , शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला काशीगढ़ , विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)
ReplyDeleteआज की दौर में हमने कल्पना भी नहीं किया था कि इस प्रकार की भयावह स्थिति निर्मित होगी पर वास्तविकता को न नकारते हुए स्वीकार करना ही पड़ता है । जैसे अभी नोवल कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है । इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ है। पूरा जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। शारीरिक, मानसिक , आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया है । फिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों अथवा नियमों का पालन करते हुए जीवन को जीना सीखा। हमारे दायित्वों को निभाएं। जिम्मेदारियों को बखूबी से पूरा किए। स्कूली छात्रों का भी अहित न हो कहकर पूरा नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन ,ऑफलाइन, मोहल्ला क्लासेस प्रारंभ किए। व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए। घर -घर जाकर व्यक्तिगत रूप से मिले। अधिकतर छात्रों के पास मोबाइल सुविधा नहीं था ।अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु प्रोत्साहित किए। इस प्रकार से ऐन -केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नहीं दिए। नियमित रूप से क्लास लिए । और छात्रों का असेसमेंट करते रहे।इस प्रकार आगे भी हालात का सामना कर काम जारी रखेंगे।
इस कॉरोना महामारी की वजह से जीवन अस्तव्यस्त हो गया था लेकिन हमने भी हार नहीं मानी और शासन के मापदंडों का पालन करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। मास्क, सैनिटाइजर सामाजिक दूरी, यानि कि फिजिकल distancing के साथ चल रहे हैं।
ReplyDeleteकोरोना महामारी मेंं सावधानी रखें।
ReplyDeleteलोगों का पलायन देखकर बहुत ही असहनीय रहा।
ReplyDeleteलोन की अवधि अत्यंत कड़वी रहे लेकिन कुछ खट्टा मीठा अनुभवी दे गया जिंदगी की सच्चाई बता गया कि हम सीमा में रहे मर्यादित रहे परिवार के बीच में दिनभर रहना घर में बंद रहना टीवी देखना घर के कार्य करना भरी गर्मी में घर में रहकर आनंद लेना मूवी देखना इस समय की गर्मी का उतना एहसास कोरोना काल में नहीं हुआ क्योंकि हम घर से बाहर निकले ही नहीं सर के सुनी हो गई लोगों का मेल मिलाप होना बंद हो गया लोग अपने दूरभाष के जरिए ही संपर्क में रहे घर में रहकर हम बार-बार हाथ धोते रहे शासन के निर्देशों का पालन करते रहे हम टीवी पर समाचार देखा करते थे और सारा समय तो टीवी देख कर ही बिता हम किसी प्रकार की सामग्री घर आने पर अच्छी तरह साफ करते थे या थोड़ी धूप में रख देते थे
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान हम अपने परिवार व रिस्तेदार से नही मिल पाये मेरी माँ की तबियत उन दिनों बहुत खराब थी मुझे उनसे मिलने जाने के लिए परमिशन लेने आवेदन करना पड़ा था मै उन दिनो को नही भूल सकती घर पर परिवार की सुरक्षा की कामना करना आदि
ReplyDeleteLack dowan ke dauran Government ke niyamo ka palan karte hue Ghar me social distancing ka palan kate hue time ko bitaye
ReplyDeleteऑक्लडाउन की अवधि में भले ही हम अपने परिवार एवं रिश्तेदारों से दूर रहे परंतु सुरक्षित रहें। यह देख कर अत्यंत आत्मिक सुख प्राप्त हुआ की पर्यावरण प्रदूषण कम हो गया ,वायु प्रदूषण मैं भी कमी आई। Covid-19 का समय भले ही कष्टदायक रहा परंतु दूर रहकर भी डिजिटल इंडिया के कारण सभी पास थे। शासन द्वारा बहुत ही उत्तम व्यवस्था किया गया जिसके कारण मध्यमवर्ग एवं निम्न वर्ग को किसी भी चीज का कमी महसूस नहीं हुआ।
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान मैं उस समय सबसे ज्यादा भाव हुई जब बाजार में राशन की मारामारी शुरू हो गई और कुछ लोग ऐसी परिस्थितियों में भी अपना कालाबाजारी नहीं छोड़े जो बहुत ही शर्मनाक थी इसके अलावा कोविड-19 हमें स्वस्थ और सतर्क रहना बहुत अच्छी तरीके से सिखाया और अन्य परिस्थितियों से सामना करने की भी हमें ताकत मिली
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान जिंदगी की बहुत सारी सच्चाई यों का पता लगा हम परिवार के बीच में दिनभर रहकर टीवी देखना बार-बार हाथ धोना मास्क पहनना यह सारी चीजें सतर्क रहकर करने लगे इसके अलावा बाजार में जब नमक की कालाबाजारी हुई तो बहुत ही बुरा लगा हमारे बीच के ही लोग अफवाह को इतनी बुरी तरीके से फैलाते हैं कि आम लोगों की कमर टूट जाती है जो कि बहुत ही बुरी बात है
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हम अपने परिवार व रिश्तेदार से नहीं मिल पाए ।पूरे समय घर में रहकर हमें विभिन्न परिस्थितियों से सामना करने की ताकत मिली , एवं बहुत सारी नई चीजें सीखने को मिली।
ReplyDeleteलॉकडाउन सचमुच एक बेहद कठिन समय था।लेकिन घर से निकलने की मनाही ने मुझे मेरे पुराने शौक की तरफ मोड़ दिया ,जिससे मैं नौकरी के बाद लगभग दूर हो गया था।मैंने फिर से संगीत का रियाज़ शुरू कर दिया और मेरी उँगलीयों ने पियानो पर दौड़ना शरू कर दिया।इस समय सबसे संपर्क बनाने का एक मात्र जरिया बना मोबाइल।अपने छात्रों से भी मोबाइल में ही मुलाकात होने लगी।इस समय मेरा मन तो करता था कि दोस्तों से, रिश्तेदारों से मिलूँ पर एक मूल मंत्र याद आ जाता था....... जान है तो जहान है।
ReplyDeleteBhn ki shadi ka ghar ghar me card btne ke baad shadi ka postponed hona aur baad ki date me anumti ke sath 50 logo ki upsthi me shadi hona jime aaregment ke liye bhut archan aana
ReplyDeleteलक्ष्मीन चन्द्रा ,शा.प्रा.शा.आमापाली जैजैपुर,विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)
ReplyDeleteआज की दौर में हमने कल्पना भी नहीं किया था कि इस प्रकार की भयावह स्थिति निर्मित होगी पर वास्तविकता को न नकारते हुए स्वीकार करना ही पड़ता है । जैसे अभी नोवल कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है । इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ है। पूरा जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। शारीरिक, मानसिक , आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया है । फिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों अथवा नियमों का पालन करते हुए जीवन को जीना सीखा। हमारे दायित्वों को निभाएं। जिम्मेदारियों को बखूबी से पूरा किए। स्कूली छात्रों का भी अहित न हो कहकर पूरा नियमों का पालन करते हुए ऑनलाइन ,ऑफलाइन, मोहल्ला क्लासेस प्रारंभ किए। व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए। घर -घर जाकर व्यक्तिगत रूप से मिले। अधिकतर छात्रों के पास मोबाइल सुविधा नहीं था ।अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु प्रोत्साहित किए। इस प्रकार से ऐन -केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नहीं दिए। नियमित रूप से क्लास लिए । और छात्रों का असेसमेंट करते रहे।इस प्रकार आगे भी हालात का सामना कर काम जारी रखेंगे।
लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि।कोरोना काल का अनुभव ऐसा अप्रत्याशित था, जो सपने में भी नहीं सोचा होगा. हमारी पीढ़ियों ने ऐसी कोई महामारी देखी भी नहीं कि उससे निबटने का कोई अनुभव हो.
ReplyDeleteलाॅकडाउन मे हमने बहुत कुछ सीखा ,लेकिन थोडी सी लापरवाही के कारण मेरे पति जोकि108के परिचालक है उनको कोरोना पाॅजिटिव हुआ था ।उनको कोरोनटाईन सेंटर में 10दिनों तक उपचार किया ,ठीक होने के बाद वे। घर लौटे । 15दिन बाद वे पुन:108चलाने लगे वो भी पूरी सावथानी के साथ ।
Deleteमैने पहली बार लक डाउन का सामना किया । और सरकार के द्वारा जारी दिशा निर्देश का कड़ाई से पालन करते हुए स्वयं व अपने परिवार को भी कोविड़ 19 से बचाए रखा।
ReplyDeleteचारो ओर कुछ नही सिर्फ कोरोना ही कोरोना कि बात होता था।
मैंने पहली बार लॉक डाउन का सामना किया और सरकार के द्वारा जारी सभी निर्देश का कड़ाई से पालन किए और अपने परिवार को भी करवाया कोविड-19 से बचने के लिए घर से बाहर निकलने पर मांस लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना साबुन से हाथ को बार-बार दो ना हैंड वॉश सेनीटाइजर का प्रयोग करना आसपास के लोगों को भी बताना गरम पानी , कहां चाय पीना बाहर से घर आने पर तुरंत हाथ धोना और नहाना इस सावधानी से अपने आप को बीमारी से बचाया।
ReplyDeleteइस covid19 महामारी के दौरान जब lockdown शुरू हुआ,दुनिया भर के लोग इससे काफी पीड़ित हुए, खासकर निम्न व मध्यम वर्ग के लोग जिनका रोजगार छुट गया, धंधा पानी छुट गया, बड़ी संख्या में लोग अपने देश या घरों को पैदल लौटने लगे, ऐसे हालात को देख आंखे नम हो जाती, हृदय में अजीब सी मनोदशा पैदा होती थी... विशेष चीन जो इस बीमारी को पैदा किया उन पर गुस्सा आता था और हमेशा उन पर गुस्सा आएगा जिसके चलते सबको कठिन परिस्थितियों से जुझना पड़ रहा |
ReplyDeleteकोरोना वायरस संक्रमण का भय पूरी दुनिया में था, ऐसे में हम सभी भयातुर थे।
ReplyDeleteमैंने पहली बार लॉक डाउन का सामना किया और सरकार के द्वारा जारी सभी निर्देश का कड़ाई से पालन किए और अपने परिवार को भी करवाया कोविड-19 से बचने के लिए घर से बाहर निकलने पर मांस लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना साबुन से हाथ को बार-बार दो ना हैंड वॉश सेनीटाइजर का प्रयोग करना आसपास के लोगों को भी बताना गरम पानी , कहां चाय पीना बाहर से घर आने पर तुरंत हाथ धोना और नहाना इस सावधानी से अपने आप को बीमारी से बचाया।
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteLockdown ke dauran shasan ke niyamo ka palan kiya jaise ghar se bahar jaruri kam ke samay mask lagana logo se samaajik duri banana evm e anubhav bahut kadva tha
ReplyDeleteलाकडाउन का सामना हमने पहली बार किया था कोरोना वायरस का डर हमेशा बना रहता था उससे बचने के सरकार द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का हमने कड़ाई से पालन किया और अपने परिवार को कराया, जो अब तक जारी है।
ReplyDeleteलॉकडाउन के समय हमारी भावना में काफी परिवर्तन हो गया। सभी लोगों के मन में इंसानियत की भावना जागृत हो गई थी। इस दौरान भले ही हम एक दूसरे से दूर थे किंतु आत्म प्रेम जुड़ गया था ,सभी पड़ोसी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए एक दूसरे का सहयोग ,किसी न किसी माध्यम से कर रहे थे। इन दिनों पर्यावरण में प्रदूषण भी कम हो गया था ।वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आई। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा एवं केंद्र शासन द्वारा भी मध्यम एवं निम्न वर्ग के लोगों की सहायता हेतु काफी सराहनीय कार्य किया गया।
ReplyDeleteलाकडाउन मे मजदूरों का पलायन, मौत बहुत ही दुखद था।
ReplyDeleteलॉक डाउन का सामना पहली बार किया कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी का डर था उससे बचने के सरकार द्वारा दिए गए नियमों का पालन किया गया जैसे घरों से बाहर निकलना मार्क्स लगाना सामाजिक दूरी बनाना आदि आदि इससे हमारी भावना में काफी परिवर्तन देखने को मिला
ReplyDeleteLockdown me shashan ,prashasan ke nirdeshanushar samsta niymo ka Palan karte hive swasth hai aap bhi niymo ka palan kijiye air swasth rahiye.
ReplyDeleteकोविड-19 में लॉकडाउन के दौरान भारत ही नहीं वरन समूचा विश्व परेशानियों से जूझता रहा।इस प्रकार की विकट स्थिति का सामना शायद ही लोगों ने किया होगा और शायद ही करेगा।खाने-पीने की चीजें महंगी हो गई।कुछ लालची दुकानदारों ने तो दैनिक जीवन के सामानों के दाम तिगुने-चौगुने बढ़ा दिया।लाखों लोग बेरोजगार हो गए।लाखों मजदूर पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े।अनेकों मजदूरों ने सड़क व ट्रेन दुर्घटना में अपनी जान गवां दी।
ReplyDeleteदेश के छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों तक ने भी कोरोना महामारी के दंश को झेला है।अनेकों समाजसेवियों व देश के किसानों ने लोगों को भूखा मरने नहीं दिया और अनाज के भंडार खोल दिए।
मैं भी अपने घर में रहकर शासन के गाइडलाइन के अनुसार नियमों का पालन किया।और कार्यक्षेत्र में जाने पर मॉस्क, सामाजिक दूरी के साथ- साथ सेनेटाइजर का उपयोग किया।
दिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक(L.B.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.-पलारी
जिला-बलौदाबाजार(छ. ग.)
लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था
ReplyDeleteहमने covid 19 के समस्त नियमों का अनुपालन किया, छात्रों के पढ़ाई को दृष्टिगत रखते हुए ऑनलाइन क्लासेज लिए ।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान मुझे राज्य के बाहर से आए लोगों के आसपास के पचास घरों का सर्वे करने का काम किया। सर्वे समाप्त होने के बाद क्वारेनटीन सेंटर में देखरेख का काम किया। मुझे ऐसा लगा कि मेरे लिए लाकडाउन नहीं है। हमें जरूरत के सामान की कोई कहीं थी।
ReplyDeleteLack down ke dauran shasan ke niyamo ka paalan karte hue ghar me social distancing ka paalan karte hue kam kiye gaye or baccho ka online classes liye gaye
ReplyDeleteलाॅकडाउन के दौरान घर पर ही रह कर कोरोना से लड़ा विभिन्न समस्याओं को हम लोगों ने सह हैं कोरोना से बचने के लिए हम लोग घर से बाहर जाने पर मास्क लगाते थे, बार बार साबुन से हाथ धोते थे, सामाजिक दूरी का पालन करना आदि।
ReplyDeleteLockdown me humne covid-19k sabhi niymo ka kadai see palan Kiya or students ko b on-line class k dauran in niymo ka palan krne hetu nirdeshit kiya
ReplyDeleteकोरोना महामारी के भयावह स्थिति से हम लोग वाकिफ थे अतः हमने लॉकडाउन के दौरान घर में रहना उचित समझा।जान है जहान है। बीमारी से बचने के लिये प्रशासन द्वारा सुझाये गये नियमो का पालन किया।
ReplyDeleteCorona ka daur bahut hi dukhad rha,samajik duri ke saath bachcho ko online class lene ki koshish jari rhi ,shashan ki niymo ka palan kiya gya.
ReplyDeleteलॉक डाउन के समय में, मैं शाला के मुख्यालय क्षेत्र में रहा, वहां पर लोगों को दो गज की दूरी, हाथ धुलाई, मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिग के लिए जागरूकता पर कार्य किया, इस दौरान लोगों में भय का माहौल बन गया था लगातार समुदाय से बातचीत करना, तथा बच्चो को घर में रहकर स्व-अध्ययन के लिए प्रेरित किया
ReplyDeleteकोरोना कालीन लॉकडाउन में शासन द्वारा निर्देशित नियमों का पालन किया गया,जैसे मॉस्क लगाना ,सामाजिक दूरी ,सेनेटाइजर का उपयोग यात्रा पर प्रतिबंध आदि...
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया।इस दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।फिर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वाह किया।इस अवधि में सबसे अच्छी बात यह हुई कि घर मेंं रहकर भी शुद्ध हवा,पानी मिला साथ ही साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।
ReplyDeleteकोविड-19 के बारे में जब पहली बार सुना तो अधिक ध्यान नहीं दिया सोचा कोई छोटी मोटी बीमारी होगी परंतु आगे जाकर समाचार पत्रों में टीवी में जानकारी प्रसारित की गई और इस बीमारी की भयानक था के बारे में पता चला तब से मैं सुरक्षा के सभी उपाय अपना रहा हूं मास्क लगाता हूं हाथ तोता हूं सेनीटाइज करता हूं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता हूं ऑनलाइन क्लास लगाता रहा फिर ऑफलाइन क्लास लगाने लगा मोहल्ले में इस प्रकार कोविड-19 के कारण स्कूल बंद हो गए पढ़ाई बहुत प्रभावित हो रही है
ReplyDeleteअपने जीवन का पहला एवं अद्भुत अनुभव रहा यह लाकडाउन। स्कूल बंद होने के बाद सबके साथ घर पर रहे, बच्चों को आनलाइन क्लास लिए, सरकार की सभी नियमों का पालन किया,कम खर्च में घर चला।
ReplyDeleteलाकडाला के दौरान शासन द्वारा निर्धाररित सभी मापदंडों का कढ़ाई से पालन किया गया, इस दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा! फिर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया! इस दौरान यह हुआ कि घर में भी रहकर शुध्द हवा पानी मिला, साथ ही साफ-सफाई पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाने लगा!
ReplyDeleteGhar par rahkar Bor go gaya tha but bahut Kuch seekhane ok Mila.
ReplyDeleteअपने जीवन का पहला एवं अद्भुत अनुभव रहा यह लाकडाउन। स्कूल बंद होने के बाद सबके साथ घर पर रहे, बच्चों को वर्चुअल क्लास के माध्यम से पठन पाठन की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा । सरकार की सभी नियमों का पालन का पालन करते हुए नोवेल कोरोना वायरस के प्रति लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया ।
ReplyDeleteलोकडाउन की अवधि के समय बहुत लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा,स्वास्थ्य कर्मचारी, सब्जी विक्रेता, दवा विक्रेता आदि लोगों ने सतत अपनी सेवा प्रदान की.।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया।इस दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।फिर भी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वाह किया।इस अवधि में सबसे अच्छी बात यह हुई कि घर मेंं रहकर भी शुद्ध हवा,पानी मिला साथ ही साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।
ReplyDeleteलाउक डाउन के समय शासन के नियमों का कठोरता से पालन किया गया। सभी परिवार एक साथ घर में रहे।दिनभर भर साबुन से हाथ धोना। सनेटाइजर लगते रहना। घर में भी सभी परिवार के सदस्य सोशल दिस्टेंसिंग के साथ रहते थे।घर से बाहर नहीं निकल पा ना। घर में राशन का सामान बहुत दिनों के लिए स्टॉक करके रखना। हमने अपने संयुक्त परिवार में सभी परिवार के सदस्य साथ में खाना खाना। एन्जॉय किए। परिवार के सदस्य में प्यार मोहबब्त बड़ा।।इसी बीच ऑनलाइन स्कूल के बच्चो को पढ़ने का भी मजा लिया गया। बहुत कुछ मोबाइल से ऑनलाइन काम भी सीखने का मौका मिला।इसी बीच मुझे कोरोना भी हो गया। उसके बाद कॉरोना क्या होता है।ये भी पता चला। मै रायपुर के संकल्प हॉस्पिटल में एडमिट दस दिन के लिए हो गई। वाहा से आने के बाद चौदह दिन घर में क्वारेंटाइन रही। इस तरह का अनुभव कुछ आच्छा बुरा रहा।
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। इस अवधि में सबसे अच्छी बात यह हुई कि घर मेंं रहकर भी शुद्ध हवा, पानी मिला साथ ही साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।
ReplyDeleteलाॕक डाउन का सामना पहली बार किया| कोरोना का डर था व उससे बचने के सरकार द्वारा दिये गये नियमों का पालन किया और परिवार को कराया, जो अब तक जारी हैं|
ReplyDeleteपहले तो मैं डर गई ये क्या हो रहा है।मैं अपनी और परिवार को कैसे इस बीमारी से बचा पाउंगी।फिर मैंने सब कुछ परमेश्वर पर छोड़ दिया।मेरे पति को मास्क लगाए बिना घर से बाहर नहीं जाने देती।covid19 के बचाव के तरीकों को अपनाया।स्कूल के बच्चों की चिंता हो रही थी उन्हें पढ़ाई से कैसे जोड़ पाउंगी लेकिन धीरे धीरे सब ठीक होने लगा।
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हमने covid-19 महामारी से लड़ते हुए, शासन द्वारा निर्धारित नियमों का कड़ाई से पालन किया। जब बहुत आवश्यक हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाए रखना , बार-बार हाथ धोना, बाहर से कोई भी वस्तु लाने पर उसे 24 घंटे तक ना छूना, गर्म पानी पीना, कोविड-19 के बचाव के लिए सभी ऐतिहात बरते। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेस लेकर बच्चों को पढ़ाई की ओर प्रेरित करते रहे।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान कुछ खट्टे मीठे अनुभव महसूस किए गए जिसमें जहां करो ना वायरस का डर मन में बैठा था जिसके कारण थोड़ा सा भी खांसी बुखार आने पर मन भयभीत हो जाता था घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं होती थी वहीं पर एक साथ एक परिवार घर में रहने का पहली बार मौका मिला जिसमें कई तरह की की कार्य किए गए लॉकडाउन में जैसे घर में रहकर पुराने पेंडिंग कर के गए घर की साफ-सफाई से लेकर बड़ी पापड़ बनाने तक भी कार्य लाख डाउन में के साथ ही बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा घर बैठे दिया गया
ReplyDeleteलाॕक डाउन का सामना पहली बार किया| कोरोना का डर था व उससे बचने के सरकार द्वारा दिये गये नियमों का पालन किया और परिवार को कराया, जो अब तक जारी हैं|
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था उस समय हमने कोविड-19 महामारी से लड़ते हुए शासन के द्वारा बताए गए नियमों का कड़ाई से पालन किया जब भी घर से बाहर निकले तो मास का उपयोग किया एक दूसरे से दूरी बनाकर रखी हाथों को ना मिला करके भारतीय परंपरा को जीवंत किया हाथ जोड़कर नमस्कार किया घर के कामों में हाथ बढ़ाएं भारती भारतीय एप विवेक्स के माध्यम से ऑनलाइन कक्षा का आयोजन कर छात्र से के साथ अध्ययन अध्यापन किया
ReplyDeleteलाकडाऊन के दौरान अपने घर में बड़े बुजुर्ग और बच्चों के साथ शासन के निर्देश का पालन करते हुए समय व्यतीत कर रहे हैं। अपने स्कूल के बच्चों के साथ फोन एवं अन्य माध्यम से लगातार जुड़े हुए हैं, बच्चों को को कोई समस्या होती है तो मुझे फोन करके पूछ लेते हैं और मुझे बहुत खुशी होती है।
ReplyDeleteLockdown me ghar me rhkr kuch achhi nyi aadte sikhi.aur kuch mushkilo ka samna b krna pda.technology me kuch nya sikhne mila.paiso ki bachat krna b sikha.
ReplyDeleteलाॕक डाउन का सामना पहली बार किया| कोरोना का डर था व उससे बचने के सरकार द्वारा दिये गये नियमों का पालन किया और परिवार को कराया, जो अब तक जारी हैं|
ReplyDeleteकोरोना महामारी एक अभिशाप बन कर आया| सभी लोगों को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा|लाकडाउन के समय घर में ही कैद होकर रहना पड़ा| दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ा| लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया| इस महामारी ने लोगों को स्वच्छता केसाथ जीने का संदेश दिया है|
ReplyDeleteहमेशा मास्क का उपयोग करे और घर को साफ सुथरा रखे, लोगों से दूरी बना कर रहे
ReplyDeleteऐसे छात्र जिनके माता पिता का व्यवसाय कोरोना महामारी से प्रभावित हुआ है उन बच्चों को फिजूलखर्ची न करने की सलाह देती हूं ऑनलाइन क्लास लेते समय पुरानी कॉपी के बचे पेज पर नोट्स तैयार करने के लिये प्रेरित करती हूं तथा माता पिता के काम मे सहायता करने को भी कहा जाता है
Deleteकोरोना महामारी के इस दौर में हमने बहुत कुछ सीखा लॉकडाउन के अवधि में हमने यह सीखा कि अगर जरूरी ना हो तो हम घर से बाहर ना निकले अपने स्वच्छता का विशेष ध्यान दें मास्क पहने और घर पर रहे
ReplyDeleteसपने में भी इस प्रकार की स्थिति निर्मित होगी, नहीं सोचा था। पर वास्तविकता को भी नकारा नहीं जा सकता। उसे न चाह कर भी स्वीकार करना पड़ता हैं जैसे अभी "नोवल कोरोना वायरस" एक वैश्विक महामारी हैं इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ हैं। पूरा जन जीवन को अस्त - व्यस्त कर दिया हैं।शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteकोरोना वायरस से हम लोग बहुत डरे हुए थे । शुरुआत में जब देश में , फिर हमारे छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया तो और डर लगा धीरे - धीरे यह अपने जिला में , फिर विकासखंड में और जब अपने गांव में आये । तो पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया । हम लोग पूरे परिवार सहित कोरोना गाइडलाइन का पालन किये । आस पड़ोस को समझाया । सभी एक दूसरे का ढांढस बंधाया । घर में रहे - रहे बहुत से मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा । गांव की गलियों में केवल पालतू जानवर और कुत्ता आदि ही नजर आता । सब लोग अपने घरो में दुबके रहता था । कभी ना भूलने वाला अनुभव था लाकडाउन अवधि । धीरे - धीरे फिर से सामान्य हो रहा है जनजीवन ।
जरूरी समान खाद्य पदार्थों को लाने के लिए मास्क लगाकर निकलना।15दिन का सब्जी ,दूध व फल एक साथ लाना।गाड़ी जल्दी चालू न होना, पेट्रोल न मिलना ,राशन मंहगा होना,।घर में पुरे परिवार साथ में रहकर बहुत अच्छा लगा।ओनलाइन, offline क्लाश लेना।नये नये पकवान बनाना सीखना।बाहर से लाये गये समान को अच्छे से धोना,धूप में रखना।बाहर से आकर नहाना भीड़ जगह में नहीं जाना।घर में रहकर सुरक्षित रहो बार बार हाथ दो,मास्क लगाओ सभी को सलाह देना।कोरोना महामारी एक अभिशाप बन कर आया| सभी लोगों को कष्टमय जीवन व्यतीत करना पड़ा|लाकडाउन के समय घर में ही कैद होकर रहना पड़ा| दैनिक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ा| लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया| इस महामारी ने लोगों को स्वच्छता केसाथ जीने का संदेश दिया है|
ReplyDeleteकोरोना का डर, लॉक डाउन का सामना, हमें अंदर से झकझोर कर रख दिया।परन्तु इससे बचने के लिए सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों व नियमो का पालन करते हुए सुरक्षित हैं।चूंकि मेरी ड्यूटी कॉरेंटाइन सेंटर में लगी थी।अत:लोगों को जागरूक करने का अवसर मिला।
ReplyDeleteलॉकडाऊन के समय हमने शासन द्वारा निर्धारित निर्देशों का पालन किया। शुरु में ये सब पाबंदी लगी परंतु बाद में समान्य महसूस होने लगा।परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिला जो सुखद अनुभव रहा।
ReplyDeleteकोविड19मे लाँँकडाऊन केसमय हमनें शासन के तरफ से जो दिशा निर्देश दिये गए थे, हमनें उनका पालन किया।शुरू मे ये सब पाबंदी लगी परंतु बाद में सामान्य महसुस होने लगा।परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिला जो बहुत ही सुखद अनुभव रहा।जरूरी सामान हेतु मास्क लगाकर ही बाहर जाना घर आकर साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना एवं सेनेटाइजर का प्रयोग करना दूसरों को भी जागरूक करना, आनलाइन कक्षाओं का संचालन करना बच्चों को कोविड19केबारे मे सचेत करना आदि।इस प्रकार कोविड19मे स्कूल के बच्चों के साथ साथ लोगों को जागरूक करने का अवसर मिला जो बहुत ही सुखद अनुभव रहा।
ReplyDeleteइस महामारी ने बहुत कुछ सिख दिया शांति पूर्ण घर में रहना सीखा दिया
ReplyDeleteकोरोना के समय हमने शासन द्वारा निर्धारित निर्देशो का पालन किया तथा परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला।
ReplyDeleteयह लॉक डाउन अपने जीवन का पहला एवं अदभुत अनुभव रहा । इस अवधि के समय बहुत लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा तथा स्वास्थ्य एवम पुलिस कर्मचारियो,सब्जी विक्रेता, दवा विक्रेता, आदि लोगों ने सतत अपनी सेवाएं प्रदान की
ReplyDeletePrakash das lahare लॉक डाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी दिशा निर्देशों का पालन किया, जैसे -घरों से बाहर न निकलना, किसी से हाथ न मिलाना उन्हें दूर से प्रणाम, नमस्ते करना, ये सभी क्रियाये हमारे साथ भावनात्मक पल रहा है, कि अपनों से बड़े लोगों का पैर न छूकर प्रणाम करना,ऐसा करने के अलावा इस महामारी के दौर में दूसरा कोई समाधान भी नहीं है ।
ReplyDeletelockdown का सामना मैंने पहली बार किया परिवार के साथ घर पर रहना और नए नए पकवान बनाना भगवानी करना रामायण और महाभारत देखना बहुत अच्छा लगा लेकिन कोरोना का डर मन में बना रहता था
ReplyDeleteलाॅकडाउन की अवधि के दौरान हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया । उस अवधि में हमारे घर से किसी भी सदस्य को बाहर निकलने नही दिया । कुछ जरूरी सामान लेने के लिए, मैं मास्क लगाकर, 2 दज दूरी बना कर दुकान जाया करता था ,दुकान से आने के तुरंत बाद अपने हाथों को साबुन से धोता। साग-सब्जी व अन्य सामाग्री का उपयोग दो-तीन दिनों के बाद धोकर किया करते थे । मैं लाॅकडाउन अवधि में स्वस्थ रहने के लिए सुबह-शाम 2-2 घण्टे योग, कसरत किया करता था । अगर घर मे कोई छींक मार दे तो, भी संदेह हो जाता , "कोरोना तो नहीं " भले ही छींक धुल व अन्य सामान्य कारणों से हो रहा हो
ReplyDeleteहम घर में रोज गिलोय,तुलसी,सोंठ,दालचीनी,लौंग का काॅढा बनाकर पीते रहे ।
लॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteLockdawn मे भारत सरकार के द्वारा ज़रूरी कदम के रूप मे सब कुछ बंद कर लोगो को अपने घरों मे कैद होना पड़ा पहली बार घर मे जेल की बन गया बाहर निकलने की मनाही के साथ घरों मे आवश्यक वस्तुओ को हफ़्ते पंद्रह दिनों के लिए खरीद कर रखना पड़ा पहली बार काम है तो जहांन है का एहसास हुआ और शायद ये पहली बार था की जानवर आज़ाद और इंसान कैद मे थे तब महसूस हुआ मनुष्य मे सामाजिक व्यवहार कितना जरुरी है
ReplyDeleteएन एल कुंभकार
ReplyDeleteमाशा कच्छारपारा निराछिंदली
संकुल-एटेकोन्हाडी विखं-केशकाल
जिला-कोण्डागांव छग
कोविड 19महामारी ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है।लाकडाउन के दौरान मजदूरों और मध्यमवर्गीय परिवार की जो स्थिति बनी, उससे मुझे गहरा दुख पहुंचा।मेरी संवेदनाएं उनके साथ रही।लाकडाउन तथा उसके बाद के समय में मैं अपने माता-पिता, एवं अपने परिवार को लेकर चिंतित था।हम तो स्वयं बचाव के नियमों का कड़ाई से पालन कर रहे थे लेकिन अन्य लोग उतने जागरूकता नहीं दिखाते थे, जिससे संक्रमण का डर बना रहता था। परंतु परिवार का साथ तथा स्वयं को व्यस्त रखने के कारण इस परिस्थिति से निपटने में मदद मिला।
लाॅकडाउन के दौरान शासन के निर्देशों का पालन किया जैसे जरूरत पङने पर ही घर से बाहर जाना ,मास्क सही तरीके से पहनना , सामान सेनेटाइज़ करना,स्वच्छता रखना,बार-बार हाथ धोना,दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखना इत्यादि तथा परिवार को भी इसे पालन करने हेतु प्रोत्साहित किया ।महामारी की चिंता तो थी ही कि कहीं इसका दुष्प्रभाव परिवार पर न पङने परंतु सभी के साथ ने इससे लङने हेतु बल दिया ।इस पूरे समय में हमने सीखा कि हमारे जीवन का गुजारा तो कुछ चीजो से ही हो सकता है ज्यादा की आवश्यकता नहीं है ।
ReplyDeleteलाॅकडाऊन अवधि का अनुभव अलग ही प्रकार से था ।लगभग पूरे समय घर पर ही रहना, स्वयं व परिवार का ध्यान रखना। मास्क लगाना एवं समय-समय पर हाथ धोते रहना , थाली बजाना बाहर केवल उपयोगी सामग्रियों की खरीदारी करने ही निकलना होता था। वातावरण बिल्कुल शांत रहता था।इस प्रकार की स्थिति भी निर्मित होगी इसकी कल्पना तनिक मात्र भी न था।कुल मिलाकर कोविड-19 ने हम सभी को बहुत ही स॔यमित और मिलकर रहनें हेतु प्रेरित किया है।
ReplyDeleteहमने lock-down का सामना पहली बार किया है ।कोरोना का डर था और उनसे बचने के लिए सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया और परिवार वालों को भी करवाया जो कि अब तक जारी है।
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ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि।
लॉक डाउन का पहलाअनुभव घर पर घर में ही रहना शासन के दिशा निर्देशों का पालन करना जैसे शाम 5:00 बजे सुरक्षाकर्मियों की व डॉक्टर के सम्मान में थाली वह ताली बजाना और परिवार के साथ-साथ समय बिताना एक अच्छा अनुभव रहा आजकल के फास्ट फूड खानपान के दौर में लॉकडाउन के समय बच्चे घर का खाना खाते थे जिससे बच्चों में अलग ही बदलाव देखा गया शायद पुराने लोग घर का बना स्वास्थ्यवर्धक खाना खाते थे जिसे कारण उनको स्वास्थ्य संबंधी परेशानी कम होती थी एक अच्छा अनुभव रहा
ReplyDeleteLockdown ke dauran hamne shasan dwara batae gae guidelines ka pura palan kiya bachcho ko padhai se jode rakhne ke liy online class liy bachcho aur palko ko samay samay par corona se bachne ka guidelines ka palan karne hetu prerit kiya gaya
ReplyDeleteवैश्विक महामारी में लॉकडाउन के दौरान हमने केंद्र एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन किया। हमने इस दौरान नए रेसिपी बनाना सिखा, परिवार बालों के साथ रहकर खुश रहा। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ने के लिए प्रेरित किया, उनका ऑनलाइन क्लास लिया साथ ही बच्चों को बार बार हाथ धोने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया।
ReplyDeleteकोरोना के संकटकाल में शासन के सभी निर्देशों का पालन किया, मास्क का सार्वजनिक जगहों पर उपयोग किया, बार बार हाथ धोना, बाहर से लाय सामानों को सैनेटाइज किया गया बच्चों की ऑनलाइन क्लास लिया गया.
ReplyDeleteकोरोना काल का अनुभव अपने आप मे बहुत कुछ समेटे हुए है।एक अज्ञात भय ने हमे चारो ओर से घेर रखा था,क्या कब घटित हो जाये कुछ पता नही,बस चारो ओर अनिश्चितता का वातावरण था।
ReplyDeleteइस दौरान आवश्यक सावधानी रखते हुए और शासन की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए मुस्तैदी से हम कर्तव्य में जुटे रहे।
पारिवारिक जिम्मेदारियों का पालन करते हुए रेलवे स्टेशन से प्रवासी श्रमिको को कोरेण्टाइन सेंटर तक ले जाने की ड्यूटी हो अथवा स्कूल की बन्द अवधि में बच्चो की पढ़ाई जारी रखने की जिम्मेदारी सब कुछ खुद को और औरों को महामारी से बचाते हुए करते रहे।
आज जब जिंदगी पटरी पर लौट रही तो उम्मीद है स्कूल भी जल्द खुलेंगे और हम बच्चो को सिखाना पहले जैसे बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
मनीष पाण्डेय
पूर्व मा.शाला,नवागांव खूंटा
विकासखंड-कोटा,जिला-बिलासपुर छ. ग.
लॉक डाउन के दौरान मेरे परिवार में सब लोग बहुत चिंतित रहते थे। कुछ दिनों बाद हम इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार हुए और अपना समय रचनात्मक कार्यों में लगाना शुरू किया। इससे परिवार के सभी सदस्यों को सुखद अनुभूति हुई। हमने शासन के निर्देशानुसार रहकर डर पर काबू पाते हुए बच्चों के साथ रहने का आनंद उठाया ।बच्चे जो उच्च शिक्षा के लिए साल भर पढाई हेतु घर से दूर थे उनके साथ रहने का भरपूर समय मिला।
ReplyDeleteकोविड 19 का यह दौर बहुत ही दुःखद रहा है।इस विषम परिस्थितियों में बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा लेना बहुत ही जवाबदेही था, शासन के निर्देशानुसार हम लोगों ने छात्रों की हित को ध्यान में आनलाइन, आफलाइन, और मोहल्ला क्लास के द्वारा बच्चों से नियमित रुप से जुड़े रहे हैं ,जो मेरे लिए एक चुनौती भरा समय था।
ReplyDeleteगोविंदा महामारी के प्रकोप से बचा तो जा सकता है लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां भी जिंदगी में निर्मित हो जाती है कि आदमी ना चाहते हुए भी कोरोनावायरस से ग्रसित हो जाता है ऐसी परिस्थितियों में अपने परिवार के सदस्यों को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है । इस महामारी से बचने की दिए हुए उपायों को सावधानियों को यदि जीवन शैली में हम उतार लें तो निश्चित ही हम रचनात्मक कार्य कर सकते हैं।
ReplyDeleteकोरोना संकट एक भयानक अनुभव है हम सब के लिए ।कोरोना के संकटकाल में शासन के सभी निर्देशों का पालन किया, मास्क का सार्वजनिक जगहों पर उपयोग किया, बार बार हाथ धोना, बाहर से लाय सामानों को सैनेटाइज किया गया बच्चों की ऑनलाइन क्लास लिया गया.
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हमने शासन के सभी निर्देशों का पालन किया जो कि राष्ट्र हित के लिए आवश्यक था।
ReplyDeleteकोरोना काल ने हमें जीने की सही मायने को सीखाया है, शारीरिक स्वच्छता, सामाजिक दूरी, बार-बार हाथ धोना, मुंह एवं नाक को घर से बाहर निकलने पर हमेशा मास्क या गमछा से ढककर रखना
ReplyDeleteजब आवश्यक हो तभी घर से बाहर जाना। शासन के निर्देशों का पालन करना एल्कोहल वेस्ड हेण्ड सेनीटाइजर का इस्तेमाल करना तथा बच्चों के पढ़ाई के नुक़सान को पूरा करने के लिए आनलाईन क्लास में बच्चों को जोड़ने में जोर देना विभिन्न आनलाईन प्लेटफॉर्म जैसे दीक्षा, गुगल फार्म, जूम एप्प, ई पाठशाला आदि शोसल मीडिया को उपयोग करके पढ़ाई के नुक़सान को पूरा किया जा सकता है।
Lockdown ke Doran shaan ke niyam ka kadai se palan kiya .Do mahino ka rashan Kharida taki ghar se bahar na jana pade. Sanitizer ka upyog kiya .Online class ke dvara School ke chhatrao ki class li .Bahut jaroori hone par mask lagakar bahar karti thi .
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान मैंने शासन के सभी गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया । सामाजिक दूरी, बहुत जरूरी हो तभी मास्क लगाकर घर से बाहर निकलना,एक बार में ही सभी सामग्री बाजार से लाना, सब्जियों को पानी से अच्छी तरह धोना हाथों को बार-बार साबुन से रोना आदि । बच्चों को आनलाइन पढ़ाना , गृहकार्य की जांच करना, पारा मोहल्ला कक्षा शुरू करवाना, बच्चों को घर पर रखना आदि चुनौती पूर्ण कार्य किया।
ReplyDeleteस्कूल के समय सुबह से रात तक बिजी शैड्यूल होता था किंतु अचानक से लाकडाऊन जिसके कारण सब बंद था शुरू शुरू में समय काटना मुश्किल था फिर समय का सही उपयोग कैसे करूँ इस पर विचार किया वह काम जो स्कूल के समय नहीं कर सकती थी, जैसे योगाभ्यास, सिलाई कढ़ाई, रोज नये नये पकवान बनाना, बैडमिंटन खेलना, घर की साफ सफाई फिर धीरे धीरे धीरे जो समय काटना मुश्किल लग रहा था अब वह भी कम लगता है, घर में परिवार के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगा !
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ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान बहुत बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा तथा जैसे सब्जी खाने के सामान और बाहर निकलने में भी बहुत परेशानी था लोग मास्क लगाकर के बहुत लोग निकल रहे थे परंतु कुछ लोग नहीं मान रहे थे और सभी को डर था कि हमें कुछ ना हो जाए तथा बहुत लोग बेरोजगार भी हो गया जिसको बहुत आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा सामने में दिखाई देने लगा तथा लोग एक दूसरे का साथ देने की कोशिश किया तथा लोग मिलजुलकर के एक दूसरे से दूरी बनाते हुए अपने काम करते रहें परंतु यह दौर गुजर गया आप सब सामान्य है अब थोड़ा अच्छा लगता है और उस सभी परिवार के लोग शामिल करके समयअच्छा लगा ।
lockdown ke dauran थोड़ी थोड़ी देर में हाथ होना लोगों से दूरी बनाए रखना और मास्क लगाना जो कि राष्ट्र हित के लिए आवश्यक था।
ReplyDeleteहमने जब पहली बार लॉकडाउन सुना तो कुछ अजीब सा लगा कि ये क्या है ? फिर जब पूरे देश ,राज्य,जिला और यहां तक कि पूरे गांव मोहल्ला में लॉकडॉउन हुआ।ऐसे में घर से बाहर निकलना मुश्किल था।ऐसे दौर में जब कुछ जरूरी काम से निकालना रहता तो फिर मास्क लगाकर निकालना ,सेनेटाइजर लगाना ,दो गज दूरी ये सब आदत सी हो गई थी। सच में कोरोना काल में हमें बहुत सबक सीखा दिया ।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान घर का एक सदस्य दूसरे जिले में,लॉक हो गया था ,मन बार बार उधर ही जाता , डर के कारण हम भी बाहर नहीं जाते थे,जैसे तैसे दिन गुजरा,जब सभी लोग घर आए तो ,बहुत सुकून मिला,
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया।
ReplyDeleteकोरोना संक्रमण बीमारी ने शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteफिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों का पालन करते हुए जीवन को जिये,हमारे दायित्वों को निभाए, जिम्मेदारियों को बखुबी से पूरा किए।स्कूली छात्रों का भी अहित होने नहीं दिए।पूरे नियमों का पालन करतें हुए,ऑनलाइन/ऑफ़लाइन, मोहल्ला क्लासेस चलाएं, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए, घर-घर वर्कसीट बांटे, जिन छात्रों के पास मोबाईल नहीं था उनसे उनके घर जाके व्यक्तिगत रूप से मिले,अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु कन्वेंश किए।इस प्रकार से ऐन-केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नही दिए।उनका रूटीन बनाएं रखें और नियमित रूप से असेसमेंट करतें रहें।इस प्रकार आगे भी हालात को मद्देनजर रखते हुए काम जारी रखेंगे।
(सफाई के और सामाजिक दूरी के महत्व को बच्चो को समझाते हुए पालन करना है
लाॅकडाउन की अवधि के दौरान हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया । उस अवधि में हमारे घर से किसी भी सदस्य को बाहर निकलने नही दिया । कुछ जरूरी सामान लेने के लिए, मैं मास्क लगाकर, 2 दज दूरी बना कर दुकान जाया करता था ,दुकान से आने के तुरंत बाद अपने हाथों को साबुन से धोता। साग-सब्जी व अन्य सामाग्री का उपयोग दो-तीन दिनों के बाद धोकर किया करते थे । मैं लाॅकडाउन अवधि में स्वस्थ रहने के लिए सुबह-शाम 2-2 घण्टे योग, कसरत किया करता था । अगर घर मे कोई छींक मार दे तो, भी संदेह हो जाता , "कोरोना तो नहीं " भले ही छींक धुल व अन्य सामान्य कारणों से हो रहा हो
ReplyDeleteहम घर में रोज गिलोय,तुलसी,सोंठ,दालचीनी,लौंग का काॅढा बनाकर पीते रहे
कोरोना काल मे सामाजिक दूरी बनाकर रहना घर से निकलते समय मास्क लगाकर निकलना, जरूरत का सामान लाने के लिए दुकान के सामने लाइन लगाना ,भीड़-भाड़ वाली जगहो पर नही जाना,पेट्रोल नही मिलना,ऐसी स्थिति मे ऑनलाइन क्लास लेना,चारो ओर भय का वातावरण था।बच्चो को घर से निकलने नही दिया जाता था।इस प्रकार समय के साथ अपने आपको ढालने का प्रयास किया।
ReplyDeleteअजीत चौहान
ReplyDeleteइस महामारी के कारण घर में बंद रहना पडा|लोगों से दूरी बनानी पडी़ मास्क लगाना पडा, जिसके कारण शुरू- शुरू में चिपचिपापन लगा बाद में बच्चों के साथ खेलने से पढ़ने से मन शांत हो गया
घर से बाहर न निकलना। जरूरी समान खाद्य पदार्थों को लाने के लिए मास्क लगाकर निकलना।15दिन का सब्जी ,दूध व फल एक साथ लाना।गाड़ी जल्दी चालू न होना, पेट्रोल न मिलना ,राशन मंहगा होना,।घर में पुरे परिवार साथ में रहकर बहुत अच्छा लगा।ओनलाइन, offline क्लाश लेना।नये नये पकवान बनाना सीखना।बाहर से लाये गये समान को अच्छे से धोना,धूप में रखना।बाहर से आकर नहाना भीड़ जगह में नहीं जाना।घर में रहकर सुरक्षित रहो बार बार हाथ दो,मास्क लगाओ सभी को सलाह देना।
ReplyDeleteलाॅकडाउन की अवधि के दौरान हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया।
सपने में भी इस प्रकार की स्थिति निर्मित होगी,नहीं सोचा था।पर वास्तविकता को भी नकारा नहीं जा सकता।उसे न चाह कर भी स्वीकार करना पड़ता हैं जैसे अभी "नोवल कोरोना वायरस" एक वैश्विक महामारी हैं इससे पूरा विश्व प्रभावित हुआ हैं।पूरा जन जीवन को अस्त - व्यस्त कर दिया हैं।शारीरिक,मानसिक, आर्थिक सभी पहलुओं से झकझोर कर रख दिया हैं।
ReplyDeleteफिर भी इस विषम परिस्थिति में हमने सभी मापदंडों का पालन करते हुए जीवन को जिये,हमारे दायित्वों को निभाए, जिम्मेदारियों को बखुबी से पूरा किए।स्कूली छात्रों का भी अहित होने नहीं दिए।पूरे नियमों का पालन करतें हुए,ऑनलाइन/ऑफ़लाइन, मोहल्ला क्लासेस चलाएं, व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाए, घर-घर वर्कसीट बांटे, जिन छात्रों के पास मोबाईल नहीं था उनसे उनके घर जाके व्यक्तिगत रूप से मिले,अन्य लोगों को उनके सहयोग हेतु कन्वेंश किए।इस प्रकार से ऐन-केन प्रकारेण छात्रों को उनके पढ़ाई से विमुख होने नही दिए।उनका रूटीन बनाएं रखें और नियमित रूप से असेसमेंट करतें रहें।इस प्रकार आगे भी हालात को मद्देनजर रखते हुए काम जारी रखेंगे
लाॅकडाऊन अवधि का अनुभव अलग ही प्रकार से था ।लगभग पूरे समय घर पर ही रहना, स्वयं व परिवार का ध्यान रखना। मास्क लगाना एवं समय-समय पर हाथ धोते रहना , थाली बजाना बाहर केवल उपयोगी सामग्रियों की खरीदारी करने ही निकलना होता था। वातावरण बिल्कुल शांत रहता था।इस प्रकार की स्थिति भी निर्मित होगी इसकी कल्पना तनिक मात्र भी न था।कुल मिलाकर कोविड-19 ने हम सभी को बहुत ही स॔यमित और मिलकर रहनें हेतु प्रेरित किया है।
ReplyDeleteSharad Soni
किसी भी व्यक्ति ने इस प्रकार की कल्पना नही की थी। इस वायरस ने मनुष्य को जीवन का एक अलग पहलू दिखाया है। इस तालाबंदी (लाॅकडाउन) मे हमने कई प्रकार की दिक्कतों का भी सामना किया तो परिवार के साथ कुछ स्मरणीय लम्हे भी बिताए। लोगों से दूरी ने कहीं न कहीं अपनों से दूरी घटा दी। हालांकि इससे शुरुआत मे चिड़चिड़ेपन का सामना करना पड़ा परन्तु यह कुछ समय तक ही सीमित था। लेकिन इस बात की भी दुविधा थी की आने वाला वक्त हमे क्या दिखाएगा। किन्तु वक्त के साथ साथ हालात बदलने और सुधरने लगे।
ReplyDeleteलॉकडाउन में हमने शासन द्वारा निर्धारित सभी मापदंडों का कड़ाई से पालन किया है, जैसे कि आनलाईन क्लास लेना, घरों से बाहर न निकलना, बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।
ReplyDeleteसबसे पहले तो हम सभी बहुत डर गए थे लेकिन हमने एक दूसरे का मजबूती से साथ दिया व सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन के नियमों व सुरक्षा निर्देशों का पूरा पालन किया क्योकि ये न सिर्फ हमारे परिवार के लिए वरन पूरी मानव सभ्यता की सुरक्षा हेतु बेहद आवश्यक था। हम अभी भी हाथों को सैनिटाइज व मास्क का नियमित प्रयोग कर रहे है।
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान जब लोगो को घर से निकलने की मनाही थी अनेकों परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हमारे गांव में एक युवक का स्वास्थ्य बहुत ही ज्यादा खराब था जिसे रायपुर ले जाने में बहुत कठिनाई हुई।
ReplyDeleteघर से बाहर न निकलना। जरूरी समान खाद्य पदार्थों को लाने के लिए मास्क लगाकर निकलना।15दिन का सब्जी ,दूध व फल एक साथ लाना।गाड़ी जल्दी चालू न होना, पेट्रोल न मिलना ,राशन मंहगा होना,।घर में पुरे परिवार साथ में रहकर बहुत अच्छा लगा।ओनलाइन, offline क्लाश लेना।नये नये पकवान बनाना सीखना।बाहर से लाये गये समान को अच्छे से धोना,धूप में रखना।बाहर से आकर नहाना भीड़ जगह में नहीं जाना।घर में रहकर सुरक्षित रहो बार बार हाथ दो,मास्क लगाओ सभी को सलाह देना।
ReplyDeleteThis Covid-19 pandemic situation we know about importance of many things. We understand importance of foodgrains, vegetables, fruits and other eatables foods items. Mostly group and social activities were banned. We spent maximum time in our homes with our family. Working persons could not give sufficient time to their family. We know limit and importance of "money" in this pandemic situation, one who had millions of rupees could not spend their money and other side millions of people survived for little amount of money. This showed "limit and importance" of money.
ReplyDeleteH L kurre , Assistant Teacher
Primary school Bhaklapara
Block - Chhura, Dist- Gariaband CG
लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर ना निकालना सब्जी लाना दूध लाना बाहर से सब्जी लाने से धो कर सुखा ना मास्क लगाना हाथ दो ना बाहर से घूम कर आने पर कपड़ा धोना ऐसे में बच्चों के साथ जाकर मोहल्ला क्लास लगाना बच्चों को साफ सफाई के बारे में बताना मास्क लगाना बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
ReplyDeleteमानव जाति के लिए अनादि काल से कोविट 19 विषाणु जैसे वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए व्यवहार को अंगीकृत करने के लिए एक भीषण चुनौती थी, मैं दिन भर विश्व कल्याण मे प्रार्थना करते हुए विषाणु के दवा प्राप्त मे कामना करते थे। खासकर कक्षाओं का किताबें पड़ना, पड़ाई तुहर द्वारा में कक्षा लगाया करते थे, एकदम नये व्यवहार को अंगीकृत करने के लिए मुझे कुछ समयतो लगा पर अभ्यास से स्वाभाविक हो गया। यह एक नया अनुभव था।
ReplyDeleteCovid-19 k dauran lockdown avadhi me corona virus sambandhi khabren TV k madhyam se dekhakar iske sabhi guidelines avam savdhaniyon ka aksharshah palan karte tha.Log jab iske samanya niyamon jaise social distancing, mask ,hand sanitizetion aadi ka palan nahin karte the tab iski sambhavit bhayavahta se sihar uthta tha.Iski koi nishchit dava nahin hone ke bavzood bhi log jab gair zimmedarana harkaten karte the jisase svayam, parivaar avam samaj ko khatre mein dalte the isase man vyathit ho jata tha.Kuchh log is dauran tan-man aur dhan se manavta ki seva mein age rahate the unke prati man shradha se bhar jata tha.Lockdown avadhi me maine apna adhikansh samay ghar par dhyan, vyayam ,aasan , pranayam karne, immunity power badhane k liye kadha sevan karne avam TV par corona sambandhi khabren dekhne mein vyatit karta tha aur parivaar k sabhi sadasyon ko aise hi karne ki salah deta tha.
ReplyDeleteघर से बाहर न निकलना ,दो गज की दूरी बनाये रखना,मास्क लगाना,सेनेटाईजर का उपयोग करना,बाहर निकलआते जाते अच्छे तरह से हाथ धोना।छींकने पर कपड़े या रुमाल से नाको ढकना।
ReplyDeleteबहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि। यूँ तो लोगों से दूरी बनाना अजीब लगता था, लेकिन ऐसा करने के अलावा इस महामारी का और कोई समाधान भी नहीं था।बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर जाना, मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना आदि।
ReplyDeleteलॉकडाउन के समय की भावनाओं का वर्णन करना बहुत ही कष्टदायक है।
ReplyDeleteजीवन में इतनी पाबंदियां एवं कठोर नियम आज तक नहीं देखा था।
फिर भी घर पर रहे हैं एवं नियम को पालन किया कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूर्णता पालन किया।
Lockdown k samay naye anubhavo ka samna hua bada hi azib anubhav aisa pehle kbhi nai hua. Sadke suni ghr pr hi rehna gadi n chlna mask sanitizer or social distance ka palan kiy or bccho kki online classes liy.
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