मॉड्यूल 16

गतिविधि 6: अपने विचार साझा करें

 

सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। किये गये चरणों का पालन करके सहयोगी दीवार पर लगभग 50 शब्दों का एक परिच्छेद लिखकर अपने विचारों को साझा करें

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  1. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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    1. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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    2. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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    3. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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    4. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके

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  2. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  3. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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    1. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  4. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर 9 से 12 तक विभिन्न व्यावसाययो विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय ओं का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  5. पूरे व्यवसायिक शिक्षा के तहत पुरवा प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें

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  6. सामान्य शिक्षा के साथ साथ कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। पश्चात 9-12 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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    1. व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक कक्षा छठवीं से आठवीं तक सामान्य शिक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के व्यवसाय की भी सामान्य जानकारी बच्चों को प्रदान की जानी चाहिए जिससे बच्चे अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय के प्रति अपने समझ विकसित कर सकें उसके पश्चात माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा नौवीं से बारहवीं तक विभिन्न व्यवसायों में उनके रुचि के व्यवसाय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन के कार्यों एवं अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कर सके। इस प्रकार सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा देने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।

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  7. Pritan Kumar Xess,सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर 9 से 12 तक विभिन्न व्यावसाययो विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय ओं का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  8. बच्चों को समान्य शिक्षा के सांथ व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6 से ही प्रारंभ कर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय से जुड़ सके क्यों कि बच्चे जब माध्यमिक स्तर से व्यवसायिक कोर्स सीखेंगे तो वह एक कुसल कृकर होने के सांथ ही अपना व्यवसाय चयन करने में दिक्कतें नही होगी।

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    1. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली मेंं किया जाना एक बेहतर विकल्प है, इससे बच्चों को स्कूल स्तर से ही व्यावसायिक जानकारी मिलेगी और बाद मेंं संबंधित विषय के साथ दक्ष हो सकेंगे।

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    2. बच्चों को कक्षा 6-8 तक समान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के बारे में जानकारी देने चाहिए। इसके बाद कक्षा 9-12 तक समान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे अपने रुचि अनुसार ,समय पर अपना निर्धारित क्षेत्र के चयन में सरल, सुविधा उपलब्ध हो सके। जिससे वे कौशल निर्माण से सम्बंधित,वर्गीकरण में अपना, अपने परिवार के लिए जीवन निर्वाह करने में सक्षम हो , किसी भी तरह की आर्थिक प्रगति में सहायक हो और उनका जीवन सुखमय हो सके। यह शिक्षा बच्चों के हित के लिए अनिवार्य रूप से दी जा सकती है। जिससे बच्चों के सर्वांगीण विकास हो सके।

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  9. सामान्य शिक्षा के साथ साथ कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। पश्चात 9-12 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  10. ब्यवसायिक शिक्षा आज की आवश्यकता है। प्रत्येक स्कूल के बच्चों को इसका लाभ मिलना चाहिए। मेरा मानना है हर कक्षा में कुछ कौशलों का प्रशिक्षण मिलना चाहिए। इनमे कृषि, बागवानी, सिलाई, नेटवर्किंग, बिजली से चलने वाले घरेलू उपकरणों की जानकारी और कुकुंग सामिल होना चाहिए।

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  11. व्यसायिक शिक्षा आज की जरूरत है, इसके बिना हम अपने जीवन में अच्छे से आगे बढ़ने मे कामयाब नहीं हो सकते हैं।कक्षा6से8तक विभिन्न प्रकार के व्यसायिक काम काज की जानकारी होनी चाहिये तथा कक्षा9से12तक विभिन्न कार्य की विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार व्यसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने रोज मर्रा के कार्य में उपयोग करके आगे बढ़ सके।

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  12. व्यावसायिक शिक्षा आज की जरूरत हैं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए ये अति आव्यश्यक है।इसमें विधार्थी व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त कर स्वयं के रोजगार द्वारा देश .समाज .एवम् अपना संपूर्ण विकास कर सकते है।

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  13. Vyavsay Shiksha Bharti mahatvpurn hai aaj ke Jeevan mein Shiksha ka upyog bacche nirbhar Bharat

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  14. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है. व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान स्थिति की आवश्यकता है, आज का दौर स्किल दक्षता का युग है, अगर बच्चे प्रारंभ से ही व्यावसायिक दक्षता हासिल करते जायेगे ,अपनी रूचि अनुसार अध्ययन करेंगें तो देश ,समाज मे सामाजिक समरसता बढ़ेगी.

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    1. सामान्य शिक्षा के साथ पूर्व व्यवसायिक शिक्षा (6-8) के बच्चों को दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे भविष्य में रोजगार प्राप्त कर सके क्ष 9-12 वी तक कुछ स्कूलों में व्यवसायिक पाठ्यक्रम चालू है उसे सभी स्कूलों में संचालित करना चाहिए

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  16. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने पसन्दीदा व्यवसाय का निर्धारण कर सके।जो छात्र अपना रुचिकर व्यवसाय के अनुरूप व्यावसायिक कौशल विकसित करते हैं वो सामान्य शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं औऱ उनका कॉन्फिडेंस लेबल बढ़ा हुआ होता हैं जो उनके विकास में,उनके आगे बढ़ने में,उनके तरक्की में अहम भूमिका निभाती हैं।इसलिए व्यवसायिक शिक्षा नितांत आवश्यक हैं।

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  17. सामान्य शिक्षा के साथ साथ स्कूल एवं उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ना वर्तमान आवश्यकता है,जिससे बच्चो में व्यावसायिक कौशल के साथ जीवन मूल्य सीखने एवं करियर को बेहतर करने तथा छात्रों में आत्म विश्वास ,आत्म सम्मान की भावना जागृत होती है। और देश की सबसे बड़ी समस्या युवाओं में बेरोजगारी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होता है।

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  18. सामान्य शिक्षा के साथ ही उच्च प्राथमिक स्तर पर भी प्रारंभिक व्यवसायिक शिक्षा आज के संदर्भ जरूरी लगता है। और माध्यमिक स्तर पर रोजगार मूलक व्यवसायिक शिक्षा की अनिवार्यता होना चाहिए। इससे उनमेंआत्मनिर्भरता बढ़ेगी। यह बच्चों के लिए बहुत अच्छा होगा।

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    1. बच्चे को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सके।

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  19. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के अन्तर्गत विभिन्न व्यावसायिक ज्ञान कक्षा 6से8तक सामान्य जानकारी के रुप में दिया जाता है। कक्षा 9से12 तक व्यावसायिक शिक्षा रूचि के अनुसार दिया जाना चाहिए।

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  20. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए,ताकि वे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें । जो छात्र विषेश क्षेत्र के लिए व्यावसायिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्मविश्वास से भरे होते है, जो सामान्य शिक्षा पृषठभूमि वाले छात्रों को तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्च गुणवत्ता वाली व्यावहारिक शिक्षा और कुशल जन शक्ति आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।

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  21. मा.शा.कुदुर घोड़ा
    अंबागढ़ चौकी
    राजनांदगांव
    सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा।बच्चे सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसाय से संबंधित शिक्षा लेंगे।बच्चे बड़े होकर व्यावसायिक ज्ञान की मदद से अपना खुद का व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते है।

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  22. जीवन में  शिक्षा  के द्वारा सुख  शान्ति की  स्थापना के लिए इसे रोजगारोन्मुखी  बनाना अनिवार्य हैं. इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जा रहा हैं. व्यवसायिक शिक्षा के सन्दर्भ में लोग यह मानते हैं कि उसका उद्देश्य केवल पुरुषों को  शिक्षा देना हैं. यह किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं हैं. स्त्रियों को भी व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना देश के विकास के दृष्टिकोण से अनिवार्य हैं. इसलिए व्यावसायिक शिक्षा के  अंतर्गत पुरुषों व स्त्रियों  दोनों को समान अवसर उपलब्ध करवाया जाता हैं| चूँकि समाज एवं देश में समय के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं. इसलिए शिक्षा के उद्देश्यों में भी समय के साथ परिवर्तन होते हैं. वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुसार विज्ञान की शिक्षा, कार्यानुभव एवं व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना महत्व पूर्ण हैं.आधुनिक युग में मानव संसाधन के रूप में विकास में शिक्षा की प्रमुख भूमिका होती हैं. उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य कार्यकुशल नहीं बन सकता. कार्यकुशलता के बिना व्यावसायिक एवं आर्थिक सफलता की प्राप्ति नहीं की जा सकती हैं।व्यावसायिक शिक्षा देश की कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं जैसे बेरोजगारी, निर्धनता, आर्थिक समानता, आदि के समाधान में सहायक सिद्ध होगी. इससे छात्रों की रोजगार  पाने की क्षमता बढ़ेगी,  कुशल जनशक्ति की मांग  और आपूर्ति के बीच अस्त व्यस्त असंतुलन कम होगा. और बिना विशेष रुचि तथा प्रयोजन के उच्चतर अध्ययन जारी रखने वाले छात्रों के लिए विकल्प उपलब्ध हो जाएगा. इस तरह व्यावसायिक शिक्षा के कारण देश में तेजी से आर्थिक विकास होगा।

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  23. व्यावसायिक शिक्षा आज की जरूरत हैं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए ये अति आव्यश्यक है।इसमें विधार्थी व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त कर स्वयं के रोजगार द्वारा देश .समाज .एवम् अपना संपूर्ण विकास कर सकते है।

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  24. समय के साथ ही शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन होते रहता है। बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा दिया जाना चाहिए। इस शिक्षा में किसी भी तरह का लिंग भेद नहीं होना चाहिए।

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  25. सामान्य शिक्षा के साथ साथ स्कूल एवं उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ना वर्तमान आवश्यकता है,जिससे बच्चो में व्यावसायिक कौशल के साथ जीवन मूल्य सीखने एवं करियर को बेहतर करने तथा छात्रों में आत्म विश्वास ,आत्म सम्मान की भावना जागृत होती है। और देश की सबसे बड़ी समस्या युवाओं में बेरोजगारी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होता है।

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  26. आज के बदलते परिवेश में सरकारी रोजगार की बहुत कमी है अपना स्वयं का रोजगार होना बहुत जरूरी है इसलिए हमारी सरकार ने सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा पर जोर दिया है ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमारे विद्यार्थी सरकारी नौकरियों पर निर्भर ना हो वह स्वयं का रोजगार स्थापित कर सके इसलिए व्यवसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा के साथ जोड़ा जा रहा है जो बहुत जरूरी है विद्यार्थी अपनी रूचि के अनुसार व्यवसायिक विषय चुन सकते हैं और आत्मनिर्भर हो सकते हैं।।

    RADHAKRISHNA MISHRA

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  27. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा में बहुत जरूरी है क्योंकि सभी को सरकारी नौकरी तो संभव नहीं है इसलिए उच्च प्राथमिक में सैद्धांतिक रूप में पढ़ाई जाए और उच्च शिक्षा में उनके रुचि अनुसार प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा तो बेरोजगारी भी दूर हो सकती है ऐसा मेरा मानना है।

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  28. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा आज की जरूरत है । उच्च प्राथमिक स्कूलों में सामान्य जानकारी दिया जाना चाहिए तथा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि छात्रों को अपनी रूचि के अनुसार क्षेत्र का चयन करके प्रगति करके अपने जीवन को सुखमय बना सके ।

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  29. Pritan Kumar Xess,

    सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। पूरे व्यवसायिक शिक्षा के तहत पुरवा प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकेंपूरे व्यवसायिक शिक्षा के तहत पुरवा प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें।

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  30. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना चाहिए ताकि आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार बच्चे अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सके जो छात्रा विशेष क्षेत्र के लिए व्यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वह अत्यधिक आत्मविश्वास से भरे होते हैं उच्च गुणवत्ता वाली व्यवसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है

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  31. जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्यवसायिक कौशल विकसित करते हैं वह अधिक आत्मविश्वास से भरे होते हैं बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए यदि बच्चे रूचि के अनुसार अध्ययन करेंगे तो देश समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी

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  32. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए यदि बच्चे रूचि के अनुसार अध्ययन करेंगे तो देश समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी उच्च गुणवत्ता वाली व्यवसाय शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है

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  33. Bacchon ko Samanya Shiksha ke sath Vyavsayik Shiksha se bhi jodna avashyak hai, jo bacche Vishesh Kshetra ke liye Vyavsayik Kaushal viksit karte hain vah Adhik atmavishwas Se Bhare Hote Hain . yadi bacche Ruchi ke anusar adhyayan Karenge to Desh samaj mein Samajik samrasta badhegi.

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  34. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकरण करने से बच्चों को पढाई के साथ साथ कौशल का विकास होगा और भविष्य के प्रति जागरूक होंगे और जब सही समय पर कौशल का विकास होगा तो वे भविष्य में बेरोजगार नहीं रहेंगे। ममता झा, छान्टा झा, बम्हनी संकुल

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  35. व्यसायिक शिक्षा आज की जरूरत है, इसके बिना हम अपने जीवन में अच्छे से आगे बढ़ने मे कामयाब नहीं हो सकते हैं।कक्षा6से8तक विभिन्न प्रकार के व्यसायिक काम काज की जानकारी होनी चाहिये तथा कक्षा9से12तक विभिन्न कार्य की विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार व्यसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने रोज मर्रा के कार्य में उपयोग करके आगे बढ़ सके।

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  36. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण से बच्चों को बहुत लाभ मिलेगा।बच्चे सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसाय से संबंधित शिक्षा लेंगे।बच्चे बड़े होकर व्यावसायिक ज्ञान की मदद से अपना खुद का व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते है।

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  37. व्यसायिक शिक्षा आज की जरूरत है, इसके बिना हम अपने जीवन में अच्छे से आगे बढ़ने मे कामयाब नहीं हो सकते हैं।कक्षा6से8तक विभिन्न प्रकार के व्यसायिक काम काज की जानकारी होनी चाहिये तथा कक्षा9से12तक विभिन्न कार्य की विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार व्यसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने रोज मर्रा के कार्य में उपयोग करके आगे बढ़ सके।

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  38. जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्यवसायिक कौशल विकसित करते हैं वह अधिक आत्मविश्वास से भरे होते हैं ।बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए। यदि बच्चे रूचि के अनुसार अध्ययन करेंगे तो देश समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी।

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  39. Bacchon ko Samanya Shiksha ke sath Vyavsayik Shiksha bhi pradan karna chahie Taki Aage chalkar vah Apne vyavsay ka nirdharan Swayam kar sake Jo Chatra Kisi Vishesh Kshetra Mein Apni Ruchi ke anusar acche se Prashikshan lete hain vah Aage chal kar use chhetra mein bahut atmavishwas Se Bhare hote hain aur use vyavsay ko acche se kar paate Hain. Kuchh gunvatta wali Vyavsayik Shiksha aur Kushal janshakti Arthik Vikas ke liye avashyak hai.

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  40. व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ होना चाहिए क्योंकि बच्चे स्कूल स्तर से ही व्यवसाय के बारे में गहराई से जान पाएंगे और अपने भविष्य का लक्ष्य निर्धारित कर पाने में सक्षम होंगे और अपने पसंद के व्यवसाय को सलतापूर्वक आगे तक ले जाते हुए अपने साथ साथ अपने गांव,जिला, राज्य व देश का नाम रोशन करेंगे।

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  41. व्यावसायिक शिक्षा आज की जरूरत हैं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए ये अति आव्यश्यक है।इसमें विधार्थी व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त कर स्वयं के रोजगार द्वारा देश .समाज .एवम् अपना संपूर्ण विकास कर सकते है।

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  42. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर 6,-8तक के विभिन्न व्यवसाय की जानकारी देना चाहिए, ताकि बच्चों में व्यावसायिक रुचि जागृत हो।9-12 तक विभिन्न व्यावसायिक और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे भविष्य में अपने पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके,ताकि अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर सके।

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  43. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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  44. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके

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  45. बच्चों को समान्य शिक्षा के सांथ व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6 से ही प्रारंभ कर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय से जुड़ सके .

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  46. व्यवसायिक शिक्षा आज की जरूरत है इसके बिना हम अपने जीवन में अच्छे से आगे बढ़ने में कामयाब नहीं हो सकते क क्षा छठवीं से आठवीं तक विभिन्न प्रकार के व्यवसा यिक कामकाज की जानकारी होनी चाहिए तथा कक्षा नौवीं से बारहवीं तक विभिन्न कार्य की विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार व्यवसाय का चयन कर सके जि सका उपयोग व अपने रोजमर्रा के कार्य में उपयोग करके आगे बढ़ सके।

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  47. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में बढ़ती हुई आबादी के हिसाब से आज की जरूरत है ।जिसके कारण कोई भी बच्चा भविष्य में बेरोजगार नहीं होगा। व्यावसायिक शिक्षा से बच्चों में व्यावसायिक रुचि बढ़ेगा जिससे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने कार्य क्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं। जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकते हैं।
    बालक खाण्डेयकर
    शिक्षक
    शास.पूर्व माध्यमिक शाला-अकलसरा
    विकास खण्ड-जैजैपुर(सक्ति)

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  48. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने पसन्दीदा व्यवसाय का निर्धारण कर सके।जो छात्र अपना रुचिकर व्यवसाय के अनुरूप व्यावसायिक कौशल विकसित करते हैं वो सामान्य शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं औऱ उनका कॉन्फिडेंस लेबल बढ़ा हुआ होता हैं जो उनके विकास में,उनके आगे बढ़ने में,उनके तरक्की में अहम भूमिका निभाती हैं।इसलिए व्यवसायिक शिक्षा नितांत आवश्यक हैं।
    खुशहाली सोनी
    बलौदाबाजार

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  49. पूर्व व्यवसायीक शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व प्राथमिक स्तर ( छटवी से आठवीं) तक विभिन्न ब्यवसायो का समान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद मद्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर (9वीं से 12 वीं) तक विभिन्न ब्यवसायो का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित ब्यवसाय का चयन कर सेक। जिसका उपयोग वह अपनी दैनिक जीवन को सरल बनाने मे कर सेक।

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  50. विद्यालय स्तर पर व्यावसायिकशिक्षा का शिक्षण और प्रशिक्षण महाविद्यालयीन शिक्षण-प्रशिक्षण से ज्यादा महत्वपूर्ण है।क्योंकि वह विद्यालय स्तर पर बच्चे यह समझ ले पाएंगे कि उन्हें कौन सा व्यवसाय अपने जीवन यापन के लिए चुना है और किस में रुचि रखते हैं परंतु इतने साल अगर हम नहीं बताएंगे और अंतिम महाविद्यालय स्तर पर बताएंगे तो उनके लिए चुनाव करना मुश्किल होता है।

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  51. व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।
    आफिजा मलिक प्राथमिक शाला नवाटोला लोहारी से

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    1. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा आज की जरूरत है । बच्चों को कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए तथा कक्षा 9-12 तक व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।ताकि छात्र आत्मनिर्भर बन सके । अपना व्यवसाय ख़ुद चुन सकें ।

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  52. सामान्य शिक्षा के साथ साथ कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। पश्चात 9-12 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
    (KK siware)

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  53. स्कूली शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है।इससे बच्चों में आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार रोजगार चुनने में आसानी होगी।बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा। उनका जीवन सुगम हो जायेगा।

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  54. यह प्रश्न बहुत ही स्वाभाविक है कि वर्तमान परिदृश्य में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है ।
    नई शिक्षा नीति 2020 बहुत ही बेहतर साबित होगा । स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगा ।

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  55. सीएसी नवागांव :-- सामान्य शिक्षा के साथ बच्चों को व्यसायिक शिक्षा अनिवार्य है हर बच्चों में कोई न कोई हुनर होता है उसको निखारना एक शिक्षक का परम कर्तव्य है

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  56. सामान्य शिक्षा के साथ साथ कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। पश्चात 9-12 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  57. पूर्व माध्यमिक स्तर पर शिक्षा की मूलभूत जानकारियां बच्चों को प्रदान की जानी चाहिए तत्पश्चात कक्षा नौवीं और दसवीं में छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने में आसानी होगी साथ ही साथ कक्षा नौवीं से बारहवीं तक लगातार उन्हें प्रयोग के माध्यम से उनके द्वारा लिखे गए विषय तथ्यों को पूर्ण करने में सहयोग दिया जाएगा इससे यह व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को स्वरोजगार मुहैया पर आने में उपयोगी सिद्ध होगा

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  58. KHELAN RAM SAHU HEADMASTER पूर्व ब्वसायिक siksha कक्षा6 से 8तक वर्तमान मे लागू कर आगे कक्षा 9से 12 तक एवं उच्च siksha मे भी लागू करने से बच्चो मे रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सुगमता हो सकता है।तभी समग्र शिक्षा की सफलता मिल सकता है।

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  59. Samany shiksha ke sath sath vyavsayik shiksha bachho ke ruchi avm classwise deni chahiye.

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  60. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
    पूर्व माध्यमिक स्तर में सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ कर विद्यार्थियों में इन कार्यों के प्रति रुचि उत्पन्न की जा सकती है । समय समय पर विभिन्न प्रतियोगिता आयोजित कर इस दिशा में बेहतर कार्य एवं प्रतिफल तैयार किए जा सकते है ।

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  61. आज क दौर में व्यवसायिक शिक्षा की नितांत आवश्यकता है । कक्षा 6से 8 तक बच्चों को सामान्य व्यवसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए तत्पश्चात कक्षा 9 से 12 वीं तक उन्हें प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए । ताकि प्रत्येक बच्चा आत्म निर्भर बन सके और आत्मविश्वास के साथ अपनी रूची और क्षमता के अनुसार अपना रास्ता स्वयं चुन सके। एवं समाज,राष्ट्र और स्वयं का विकास कर सके ।
    सतीश श्रीवास्तव
    उoवoशिक्षक

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  62. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ कक्षा 6 से 8 तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए पश्चात 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए

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  63. Vyavsay sixa Ko samanya sixa k sath dene se chhatro ki kushalata ki vridhi hogi.avm students ki school jivan k bad berojgari ki samasya bhi hal hogi

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  64. बच्चों को प्राथमिक स्तर से ही शिक्षा के साथ ही साथ तकनीकी की समझ विकसित कराना चाहिए ताकि बच्चे पहले से ही व्यावसायिक योग्यता का अनुसरण कर सके ।माध्यमिक विद्यालय में जिस क्षेत्र में बच्चों का झुकाव हो उसी क्षेत्र में उनके अनुरूप शिक्षा ले सके। (विनोद कुमार साहू मा शा एर्राकोट)

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  65. पूर्व प्राथमिक से ही बच्चों को खिलौने के माध्यम से व्यावसायिक रूप से सक्षम ज्ञान देना होगा तथा प्राथमिक स्तर में बच्चों को विभिन्न गतिविधि के माध्यम से तकनीकी ज्ञान कराया जाए ।माध्यमिक स्तर में प्रवेश करने के बाद विषय में तकनीकी शिक्षा को शामिल किया जाए । बच्चों को कुछ गतिविधि भी कराया जाए जिससे अपनी रूची के अनुसार वह उनसे जुड़े। अपनी योग्यताऔर पसंद का व्यवसाय का चयन कर सकते हैं।
    उससे जुड़ने के लिए


    का चयन कर सके

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  66. बच्चों को पूर्व प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर से ही व्यवसायिक क्षेत्र से संबंधित जानकारी देना चाहिए तथा माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक शिक्षा से उन्हें वृहद स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  67. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व माध्यमिक स्तर (6से8) तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  68. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा को स्कूली स्तर पर जोड़ना बहुत ही अच्छा प्रयास है। इसका फायदा यह होगा कि बच्चे आगे चलकर स्वरोजगार अपना सकता है क्योंकि वह व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त है किया होगा। अतः इसके लिए बच्चों को तैयार रहना चाहिए।

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  69. व्यवसायिक शिक्षा का प्रारंभ उच्च प्राथमिक शाला कक्षा 6 से 8 से प्रारंभ करना चाहिए तथा कक्षा 9 से 10 के बीच में विशेष व्यवसायिक शिक्षा का प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि बच्चे अपना व्यवसायिक शिक्षा का उपयोग अपने जीवन के व्यवसाय के लिए कर सकें

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  70. सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली मे एक बेहतर विकल्प है।
    बच्चो को सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए ताकि वे आगे चल कर अपनी मनपसंद व्यावसाय का चुनाव कर सके।
    जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए आवश्यक व्यावसायिक कौशल विकासित करते है वे अधिक आत्मविश्वास से भरे होते है और सामान्य शैक्षणिक पृष्टभूमि वाले छात्रो की तुलना मे बेहतर प्रदर्शन करते है।
    अतः गुणवत्तायुक्त व्यावसायिक शिक्षा और कुशल नेतृत्व आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक है।

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  71. सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली मे एक बेहतर विकल्प है।
    बच्चो को सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए ताकि वे आगे चल कर अपनी मनपसंद व्यावसाय का चुनाव कर सके।
    जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए आवश्यक व्यावसायिक कौशल विकासित करते है वे अधिक आत्मविश्वास से भरे होते है और सामान्य शैक्षणिक पृष्टभूमि वाले छात्रो की तुलना मे बेहतर प्रदर्शन करते है।
    अतः गुणवत्तायुक्त व्यावसायिक शिक्षा और कुशल नेतृत्व आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक है।

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  72. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे आगे चलकर अपने रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सके ।आज का दौर स्किल दक्षता का दौर है अगर बच्चे प्रारंभ से ही व्यवसायिक दक्षता हासिल करते जाएंगे और अपने रुचि अनुसार अध्ययन करेंगे तो देश और समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी और बेरोजगार युवाओं की समस्या दूर होगी।

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  73. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ
    व्यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना
    चाहिए ताकि आगे चलकर अपनी रूचि के
    अनुसार अपने पसन्दीदा व्यवसाय का
    निर्धारण कर सके।जो छात्र अपना रुचिकर
    व्यवसाय के अनुरूप व्यावसायिक कौशल
    विकसित करते हैं वो सामान्य शैक्षणिक
    पृष्ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर
    प्रदर्शन करते हैं और उनका Confidence
    लेबल बढ़ा हुआ होता हैं जो उनके Growth
    में,उनके आगे बढ़ने में,उनके तरक्की में अहम
    भूमिका निभाती हैं। इसलिए व्यवसायिक
    शिक्षा नितांत आवश्यक हैं।

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  74. पूर्व माध्यमिक एवम् उच्चत्तर माध्यमिक विद्यलयों में व्यवसायिक प्रक्षिक्षण का होना आज के इस बेरोजगारी के समस्या से जूझ रहे भारतीयो को सहयोग प्रदान करता है। शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा महत्वपूर्ण है। अपने शिक्षा पूर्ण करने के बाद विधर्थि के पास जो पहले समस्या बेरोजगारी की ही आती है। उससे विद्यर्थी निजात प् लेगा तो। वह अपने जीवन को सकुशल व्यतीत कर सकता है।

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  75. बच्चों को शाला में पूर्वज्ञान के तहत व्यावसायिक ज्ञान आवश्यक है अतः कक्षा6से8के सभी छात्रों को उनके पसंद अनुसार व्यसायिक ज्ञान अवश्य देना चाहिए।।

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  76. Samanya shiksha ke sath vyavsayik shiksha ka ekikaran ek behtar vikalp hai aaj ke yug ki yah jarurat hai aaj kisi bhi karya me dakshta ki aavashyakta hoti hai agar bachchho ko yah dakshta vidyalay me pradan ki jati hai toh ve bhavishya me apne liye ruchi anusar koi bhi rozgar chunkar tarakki kar sakte hain

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  77. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर6वीं से8वीं तक विभिन्न सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यसायिक पाठ्यक्रम का चयन कर सके, जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन में कर सके।

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  78. इन्द्र सिंह चन्द्रा , उच्च वर्ग शिक्षक , शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला काशीगढ़ , विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)

    सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान परिवेश में बढ़ती हुई विशाल आबादी के हिसाब से आज की जरूरत है । जिसके कारण भविष्य में कोई भी बच्चा बेरोजगार नहीं होगा। व्यावसायिक शिक्षा से बच्चों में व्यावसायिक रुचि बढ़ेगा । जिससे बच्चे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अवलोकन कर अपने कार्यक्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं। जो छात्र-छात्राओं अपना रूचिकर व्यवसाय के अनुरूप व्यावसायिक कौशल विकसित करते हैं । वह सामान्य शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले छात्र-छात्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं । जो उनके विकास में , तरक्की में अहम भूमिका निभाती है । जिसका उपयोग छात्र-छात्राओं दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें। आज के परिवेश में व्यावसायिक शिक्षा नितांत आवश्यक है।

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  79. पूर्व व्यवसाय शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक शाला में सामान्य जानकारी देना चाहिए और माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में पूर्ण व्यवसायिक शिक्षा का जानकारी जिससे बच्चे स्कूल से ही एक कुशल कारीगर की कुशलता से बाहर आएंगे और भविष्य में आने वाली परेशानियों को कुशलता से निर्वहन करते हुए अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने की क्रिया पर संलग्न है धन्यवाद।

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  80. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा भी देना चाहिए ताकि वे भविष्य अपने पसंद के व्यवसाय का चयन कर सके।

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  81. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा कक्षा 6 से ही शुरुआत कर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार व्यवसाय से जुड़ सके।बच्चे को अपनी योग्यता अनुसार विषय चुन सकें।

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  82. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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  83. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर पर विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने समर्थ हो जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास करने में सहायक हो सके।

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  84. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर 9 से 12 तक विभिन्न व्यावसाययो विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय ओं का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके|

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  85. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण एक महत्वपूर्ण पहलू है । इससे बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही साथ व्यवसाय की तरफ भी अग्रसर होते हैं । कक्षा 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जाना चाहिए तत्पश्चात उच्चतर माध्यमिक स्तर कक्षा 9 से 12 तक विशेष प्रशिषण दिया जाना चाहिए ।

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  86. आज के परिवेश में सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा देना जरूरी है एवं महत्वपूर्ण है क्योंकि छात्र-छात्राएं अपना 15 साल सामान्य शिक्षा में बिता देते हैं और बाद में शिक्षा की ओर कुछ बच्चे ध्यान दे पाते हैं और कुछ नहीं हम यहां विद्या अध्ययन पांचवी के पश्चात स्कूलों मेंव्यवसायिकशिक्षादेनाआवश्यक हो गया है क्योंकि यह रोजगार मूलक कार्य है जो अपना व्यवसाय करने के लिए के साथबच्चेअपना जीवन स्तर सुधार सकते हैं आज वही बच्चा तकनीकी ज्ञान प्राप्त करते हैं जो जिनके पालक इन कार्यों से जुड़े हुए होते हैं या देखकर सीख जाते हैं और इस क्षेत्र में अपनी रुचि रखते हैं व्यवसायिक कार्य आज हमारी शिक्षा पद्धति एवं पुस्तक की और रह गई है एवं कंप्यूटर कृत हो गई है अतः हमें इनके अलावा भी अन्य व्यवसाय के कार्यों को स्कूलों में लागू करना अति आवश्यक हो गया है

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    1. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा अति आवश्यक है और कक्षा छठवीं से यदि शुरू हो रहा है तो और अच्छी बात है क्योंकि भविष्य में बच्चों को अपने रुचि पूर्वक रोजगार चुनने में सहायक होगी और अब अपने मनपसंद रोजगार कर पाएंगे और जीवन यापन करेंगे.

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  87. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा (कक्षा 6-8) तक सामान्य शिक्षा के साथ केवल व्यावसायिक शिक्षा अर्थात्‌ व्यवसायों की सामान्य जानकारी ही होनी चाहिए |व्यावसायिक शिक्षा (कक्षा 9-12) में सामान्य शिक्षा में ही व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ देना चाहिए ताकि कुछ छात्र जो आगे की पढ़ाई कुछ कारणों से छोड़ देते हैं, उन्हें काम करने या खोलने में सुविधा हो जाएगा और बेरोजगारी की दर इतनी अधिक नहीं होगी |स्कूल जीवन में उन्हें कार्य का अनुभव भी हो जाएगा |

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  88. बच्चों को समान्य शिक्षा के साथ 6वी से8वी तक व्यवसाय सम्बंधी जानकारी भी देनी चाहिये।जैसे- बांस से टोकनी,झाडू,फ्लॉवर,सिनरि,उन से राखी,तोरण,सिलाई,पैंटींग तथा बैग बनाना आदि का प्रशिक्षण देना चाहिये,वो अपने पैरों पर खडे हो सके ।उन्हे इससे अर्थिक मदद मिल जायेगी ।जीने कि कला सीख जायेंगे ।उन्नति की ओर अग्रसर होंगे । बेरोजगारी की समस्या हल हो जायेगी।

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  89. सामान्य शिक्षा के साथ साथ स्कूल एवं उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ना वर्तमान आवश्यकता है,जिससे बच्चो में व्यावसायिक कौशल के साथ जीवन मूल्य सीखने एवं करियर को बेहतर करने तथा छात्रों में आत्म विश्वास ,आत्म सम्मान की भावना जागृत होती है। और देश की सबसे बड़ी समस्या युवाओं में बेरोजगारी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होता है।

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  90. सत्यनारायण निषाद शिक्षक एल बी पूर्व मा शा lurgikhurd बलरामपुर छ ग।
    पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर6वीं से8वीं तक विभिन्न सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यसायिक पाठ्यक्रम का चयन कर सके, जिसका उपयोग वह अपने जीवन में कर सके।

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  91. शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में किया जाना एक बेहतर विकल्प है इससे विद्यार्थियों को विद्यालय स्तर से ही व्यावसायिक जानकारी मिलेगी और आगे चलकर बच्चे अपनी रूचि के क्षेत्र में दक्ष होकर अपना कैरियर संवार सकते हैं फलतः वे स्वयं के और देश के विकास में सहभागी बन सकेंगे।

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  92. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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  93. समय के साथ ही शिक्षा के स्वरूप में परिवर्तन होते रहता है। बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा दिया जाना चाहिए। इस शिक्षा में किसी भी तरह का लिंग भेद नहीं होना चाहिए।

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  94. Purv vyavasayik Shiksha ke ke tahat kaksha 6th se 8th Tak bacchon ko Samanya Jankari ke sath aaspaas ke Chote Chote Vyavsayik Sansthan ka Brahman karana chahie
    Kaksha 9th se12th ke bacchon ko Unki Pasand ke anusar Vyavsayik Shiksha ka Prashikshan Dena chahie Taki uska Sahi upyog kar Samajik aur Arthik paristhitiyon mein Sahayak Siddh Ho

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  95. पूर्व प्राथमिक शिक्षा के साथ यदि व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ा जाता है'तो अच्छा है, परंतु व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों में भी मात्र किताबी ग्यान है, प्रायोगिक ग्यान अभी भी कोषों दूर है

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  96. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी दिया जाना चाहिए ताकि 6से8तकविभिन्न व्यवसायो के सामान्य व बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके उसके बाद उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायो पर विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो सके।

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  97. व्यावसायिक शिक्षा आज की जरूरत हैं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए ये अति आव्यश्यक है।इसमें विधार्थी व्यावसायिक ज्ञान प्राप्त कर स्वयं के रोजगार द्वारा देश .समाज .एवम् अपना संपूर्ण विकास कर सकते है।

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  98. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।
    सामान्य शिक्षा के साथ साथ स्कूल एवं उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ना वर्तमान आवश्यकता है,जिससे बच्चो में व्यावसायिक कौशल के साथ जीवन मूल्य सीखने एवं करियर को बेहतर करने तथा छात्रों में आत्म विश्वास ,आत्म सम्मान की भावना जागृत होती है। और देश की सबसे बड़ी समस्या युवाओं में बेरोजगारी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होता है।

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  99. सामान्य शिक्षा में 6 से 8 तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए इसके पश्चात 9:00 से 12 भिन्न विभिन्न व्यवसाय एवं स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  100. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चे उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8 वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी कौशल विकास की समझ विकसित कर सके । तत्पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठयक्रम एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो,जिससे अपने दैनिक जीवन को सरल और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके ।

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  101. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के अनुसार पूर्व प्राथमिक स्तर - कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों का शिक्षण कार्य सामान्य विषयों के शिक्षण कार्य के साथ किया जाना सुनिश्चित किया गया है ।
    उसके बाद माध्यमिक /उच्चतर माध्यमिक स्तर कक्षा 9वीं से 12वीं तक विशेष प्रशिक्षण के द्वारा अधिगम कराया जाएगा , ताकि बच्चें भविष्य में अपनी व्यवसाय का चुनाव स्वतंत्र रूप से कर सकने सक्षम हो पाएं ।

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  102. By providing this we can help children perform better when they start their careers as prevocational training is designed to help individuals prepare to enter a competitive work environment. It is not career- or position-specific but rather focuses on helping individuals develop good work habits and gain the basic skills and abilities essential for employment in any field, such as following directions and being punctual

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  103. Class 6 se class 8th tk k students ke liye purw wywsayik shikshan me samanya jankari dena h,aur class 9 se class 10th k students ko vibhinn wywsay ki prakiya se awgat krate huye wywsayik bhraman krana h, taki we apni sweksha se apni vishay ka chunav kr paye

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  104. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है, बच्चों को जीवनमे आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये एक तरह अनिवार्य होना चाहिए।9 से 12 कक्षा के विशेष तौर पर विशेषज्ञ की निगरानी मैं ये कराई जानी चाहिए।ये जीवन के लिए आत्मनिर्भर और योग्य नागरिक बनाने में मददगार साबित होगा।

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  105. पूर्व ब्यवसायिक शिक्षा के तहत 6 वीं से 8 वीं तक विभिन्न व्यवसायों का उचित जानकारी देने के बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9वी से 12वीं तक विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।ताकि बच्चे आगे चलकर अपने मनमुताबिक ब्यवसाय कर सके और अपने दैनिक जीवन में उस ब्यवसाय का उचित उपयोग कर सकें ।

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  106. सामान्य शिक्षा के साथ- साथ व्यावसायिक शिक्षा का होना आज व्यक्ति, समाज एवं देश के लिए अनिवार्य सा हो गया है|सिर्फ सामान्य शिक्षा के कारण लोगों के सामने आजीविका की समस्या खड़ी हो गयी है| व्यावसायिक शिक्षा से ही लोगों को रोजगार मिल सकेंगे| अपनी रुचि के अनुसार उस क्षेत्र में कार्य कर सकेंगे|

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  107. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यावसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  108. बच्चो को सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए।ताकि उच्च प्राथमिक स्तर (6_8) तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवम् बुनियादी जीवन कौशल की समझ विकसित हो सके।फिर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक(9_12) तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवम् प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यावसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो।जिससे अपने जीवन की आवश्यकता पूर्ति और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सके।

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  109. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वे आगे चलकर अपने रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सके ।आज का दौर स्किल दक्षता का दौर है अगर बच्चे प्रारंभ से ही व्यवसायिक दक्षता हासिल करते जाएंगे और अपने रुचि अनुसार अध्ययन करेंगे तो देश और समाज में सामाजिक समरसता बढ़ेगी और बेरोजगार युवाओं की समस्या दूर होगी।

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  110. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समावेश एक सार्थक कदम है ।सर्वांगीण विकास हेतु एक अच्छा कदम है।

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  111. श्रीमती बिंदिया गवेल ,शासकीय प्राथमिक शाला भाटापारा उतई ,संकुल उतई ,जिला व विकासखंड दुर्ग।

    बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिए ,ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सके ।जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्यवसायिक कौशल विकसित करते हैं वह अधिक आत्मविश्वास से भरे होते हैं ।जो सामान्य शिक्षा पृष्ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं ।उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। इसलिए कक्षा 6 से 8 तक विभिन्न प्रकार की व्यवसायिक कार्य की जानकारी होनी चाहिए तथा कक्षा 9 से 12 तक विभिन्न कार्य की विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  112. एक अच्छा जीवन जीने के लिए व्यावहारिक और सैद्धांतिक दोनों ही प्रकार की शिक्षा आवश्यक होती है। यह शिक्षा यदि शाला में मिले तो बेहतर होगा जिससे बच्चे जीवन जीने के कौशल को सीख कर अपना जीवन यापन अच्छे से कर सकें।

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  113. व्यावसायिक शिक्षा आज की जरुरत है बच्चों के आत्मनिर्भर के लिए ये अति आवश्यक है वे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं और स्वयं के रोजगार द्वारा देश, समाज एवं अपना सम्पूर्ण विकास कर सकते हैं ।

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  114. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना चाहिए, ताकि बच्चे उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8 वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी कौशल विकास की समझ विकसित कर सके । तत्पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठयक्रम एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो,जिससे अपने दैनिक जीवन को सरल और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके ।

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  115. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।
    व्यावसायिक शिक्षा आज की जरुरत है बच्चों के आत्मनिर्भर के लिए ये अति आवश्यक है वे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं और स्वयं के रोजगार द्वारा देश, समाज एवं अपना सम्पूर्ण विकास कर सकते हैं ।

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  116. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए जिससे उच्च प्राथमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवम बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ बच्चों मै विकसित हो सके।

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  117. बच्चो को सामान्य शिक्षा के व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान अति आवश्यक है जिससे बच्चे के रूचि अनुसार उनको बुनियादी जीवन कौसल की समझ आजीविका चलाने मे सहायक हो

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  118. व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक कक्षा छठवीं से आठवीं तक सामान्य शिक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के व्यवसाय की भी सामान्य जानकारी बच्चों को प्रदान की जानी चाहिए जिससे बच्चे अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय के प्रति अपने समझ विकसित कर सकें उसके पश्चात माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा नौवीं से बारहवीं तक विभिन्न व्यवसायों में उनके रुचि के व्यवसाय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन के कार्यों एवं अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कर सके। इस प्रकार सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा देने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।

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  119. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ कक्षा ६-८ तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। बाद में कक्षा ९-१२ तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  120. बच्चों को समान्य शिक्षा के सांथ व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6 से ही प्रारंभ करना आज की आवश्यकता है, जिससे बच्चे आगे जीवन की चुनौतियाँ का सामना कर सके। अपनी रूचि के अनुरूप व्यवसाय से जुड़ सकें।

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  121. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान भी कराया जाना चाहिए । पहले कक्षा छठवीं से आठवीं तक उसके बाद कक्षा नवमी से 12वीं तक पढ़ाया जाना चाहिए ताकि वे आगे आने वाले भविष्य में उचित चुनाव करके अपना कैरियर चुन सकें।

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  122. बच्चो को शिक्षा के साथ- साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक है ताकि बच्चों में उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी से 8वीं से ही विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवम् बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ को बढ़ाया जा सके जिससे माध्यमिक एवम् उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा 9वी से 12वीं तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया सके ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी योग्यतानुसार पसंद का उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  123. Baccho ko shiksha ke sath sath vywsayik shiksha ka yekikaran school v ucch shiksha me kiya jana yek mahatvapurn yojana hai isse baccho ko uchit vyavsayik ka chayan karne me aasaani hogi or apne karya me aage jayenge

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  124. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।
    व्यावसायिक शिक्षा आज की जरुरत है बच्चों के आत्मनिर्भर के लिए ये अति आवश्यक है वे आगे चलकर अपनी रुचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं और स्वयं के रोजगार द्वारा देश, समाज एवं अपना सम्पूर्ण विकास कर सकते हैं ।

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  125. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली मेंं किया जाना एक बेहतर विकल्प है, इससे बच्चों को स्कूल स्तर से ही व्यावसायिक जानकारी मिलेगी और बाद मेंं संबंधित विषय के साथ दक्ष हो सकेंगे।

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  126. पूरे व्यवसायिक शिक्षा के तहत पुरवा प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें

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  127. आज के शिक्षा व्यवस्था में बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा देना बच्चों के रूचि के क्षेत्र में बहुत आवश्यक है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बच्चे अपने पसंद के अनुसार क्षेत्र चुन कर प्रशिक्षण प्राप्त कर भविष्य को सुरक्षित बनाने में संकर्षण हो पायेंगे।

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  128. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक
    स्तर पर कक्षा छठवीं से आठवीं तक विभिन्न
    व्यवसायों की सामान्य जानकारी उपलब्ध कराना चाहिए। उसके पश्चात माध्यमिक एवम्
    उच्चतर माध्यमिक स्तर पर विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना अनिवार्य
    होना चाहिए। जिससे बच्चे आगे चलकर आत्म
    निर्भर होकर आने वाले समय में व्यवसाय की
    शुरुआत कर सकते है।इससे देश में बेरोजगारी
    की समस्या कम हो सकती है।

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  129. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा यदि प्रदान किया जाता है तो भी विभिन्न व्यवसायों के सामान्य और बुनियादी कौशल को समझ सकेंगे तथा फिर उसी अनुरूप व्यवसाय का चयन कर सकने में सक्षम होंगे तत्पश्चात वे उसे उस विशेष रोजगार से संबंधित प्रशिक्षण कर अपनी व्यवसायिक दक्षता को विकसित कर जीवन यापन करने में सक्षम हो सकेंगे इसलिए छठवीं से आठवीं तक सामान्य जानकारी और नौवीं से बारहवीं तक विशेष कौशल प्रदान करनी चाहिए

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  130. कक्षा 6 से 8 तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा का विद्यार्थियों में पूर्ण ज्ञान विकसित कर उस विकसित ज्ञान को कक्षा 9 से 12 तक व्यवहारिक प्रयोग करने हेतु वातावरण निर्माण करना चाहिए ताकि बच्चों में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा को शिक्षण के रूप में प्रयोग करने की समझ विकसित हो सके। शिक्षा और शिक्षण का संबंध

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    1. कक्षा 6 से 8 तक पूर्व व्यवसायिक शिक्षा का विद्यार्थियों में पूर्ण ज्ञान विकसित कर उस विकसित ज्ञान को कक्षा 9 से 12 तक व्यवहारिक प्रयोग करने हेतु वातावरण निर्माण करना चाहिए ताकि बच्चों में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा को शिक्षण के रूप में प्रयोग करने की समझ विकसित हो सके। शिक्षा और शिक्षण का संबंध सार्थक होगा।

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  131. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत उच्च प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर 9 से 12 तक विभिन्न व्यावसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसायों का चयन कर उसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  132. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। यह विचार स्वामी विवेकानंद ने सैकड़ों वर्षों पहले — "शिक्षा के मानवीयकरण , अर्थात ऐसी शिक्षा दी जाए जो मानव जीवन में उपयोगी और कल्याणकारी हो। अतः देर ही सही वर्तमान आवश्यकता है।

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  133. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ साथ ब्यवसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए। उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी से 8वी तक विभिन्न ब्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न ब्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं ब्यवसायिक कौशल विकसित करने में सक्षम हो। बच्चे अपनी पसंद के अनुसार उचित ब्यवसाय का चयन कर अपने दैनिक जीवन को सरल बना सकें।

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  134. Bachho ko samanya siksha k sath behaviour sikhsha bhi deni chahiye

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  135. वर्तमान में यह अतिआवश्यक है कि बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान हो। क्योंकी बचपन से उनमें कौन से व्यवसाय का रूझान है यह समझ में आता है।

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  136. विकसित देशों की तरह भारत मे भी पूर्व व्यवसाईक शिक्षा को लागू ही करना चाहिए ताकि जब बच्चे पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी न कर पाने की स्थिति में ओ स्वयं का कार्य कर आमदनी कर सके।और बेरोजगारी से बच सके।

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  137. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है, बच्चों को जीवनमे आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये एक तरह अनिवार्य होना चाहिए।

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  138. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए जिससे बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार व्यवसाय का चयन कर सके

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  139. सामान्य शिक्षा के साथ ही साथ व्यावसायिक शिक्षा देने से बच्चे असानी से अनेक व्यवसाय के विषय में जान पाएंगे उसको सीख पाएंगे क्योंकि इस उम्र में बच्चे जल्दी सीखते हैं और बाद में अलग से व्यवसायिक शिक्षा देने की अवश्यकता नहीं पड़ेगी।

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  140. पूरे व्यवसायिक शिक्षा के तहत पुरवा प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9:00 से 12:00 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें

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  141. वर्तमान दौर में व्यावसायिक शिक्षा दिया जाना निहायत जरूरी है इससे देश मे बेरोजगारी कम होगा औद्योगिक क्षेत्र का विकास एवं विस्तार होने से देश का अर्थ- ब्यवस्था सुदृढ़ हो जायेगा।

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  142. सामान्य शिक्षा के साथ साथ जब हम व्यवसायिक प्रशिक्षण को जोङते है तो उसे शिक्षा का व्यवसायीकरण कहते हैं जो व्यवसायिक शिक्षा का एक बेहतर विकल्प है ।स्कूल शिक्षा मे शिक्षा के व्यवसायीकरण के चरण-1) जागरूकता /awareness - कक्षा 1से 5 तक के छात्र काम के दुनिया में जो विभिन्न व्यवसाय है करियर विकल्प है उनके बारे मे जानेगे। (कार्य- अनुभव) 2)अन्वेषण/exploration-कक्षा 6से 8 तक के छात्र विभिन्न व्यवसायों के लिए,जीवन यापन और कौशल निर्माण के लिए लोग क्या करते हैं?के बारे मे जानेगे (पूर्व व्यवसायिक शिक्षा) 3)व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण/vocational education & training-कक्षा 9से 12 तक के छात्र गतिविधि में भाग लेगे और व्यवसायिक कौशल के साथ अकादमिक ज्ञान और कौशल भी सीखेगे ।

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  143. सामान्य शिक्षा के साथ साथ कक्षा 6-8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए। पश्चात 9-12 तक विभिन्न व्यवसायों और स्वरोजगार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए

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  144. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सकता है तत्पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यावसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सके

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  145. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  146. बच्चो को शिक्षा के साथ- साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना आवश्यक है ताकि बच्चों में उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी से 8वीं से ही विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवम् बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ को बढ़ाया जा सके जिससे माध्यमिक एवम् उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा 9वी से 12वीं तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया सके ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी योग्यतानुसार पसंद का उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।
    Sharad Soni

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  147. सामान्य शिक्षा के साथ साथ जब हम व्यवसायिक प्रशिक्षण को जोङते है तो उसे शिक्षा का व्यवसायीकरण कहते हैं जो व्यवसायिक शिक्षा का एक बेहतर विकल्प है ।स्कूल शिक्षा मे शिक्षा के व्यवसायीकरण के चरण-1) जागरूकता /awareness - कक्षा 1से 5 तक के छात्र काम के दुनिया में जो विभिन्न व्यवसाय है करियर विकल्प है उनके बारे मे जानेगे। (कार्य- अनुभव) 2)अन्वेषण/exploration-कक्षा 6से 8 तक के छात्र विभिन्न व्यवसायों के लिए,जीवन यापन और कौशल निर्माण के लिए लोग क्या करते हैं?के बारे मे जानेगे (पूर्व व्यवसायिक शिक्षा) 3)व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण/vocational education & training-कक्षा 9से 12 तक के छात्र गतिविधि में भाग लेगे और व्यवसायिक कौशल के साथ अकादमिक ज्ञान और कौशल भी सीखेगे ।

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  148. सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है, बच्चों को जीवनमे आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये एक तरह अनिवार्य होना चाहिए।

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  149. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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  150. पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के तहत कक्षा 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसायों की सामान्य जानकारी दी जानी चाहिए फिर कक्षा 9 से 12:00 तक व्यवसायियों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि छात्र आगे जाकर अपने लिए उपयुक्त व्यवसाय का चयन कर सके एवं आत्मनिर्भर बन सकें

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  151. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा मे( कक्षा 6से8तक)और विषयो के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा को भी लागू किया जाना चाहिए। इसमे व्यवसायिक शिक्षा की प्रारम्भिक जानकारी ,व्यवसाय के प्रति रूचि जागृत करना।9से12 कक्षा तक व्यवसायिक शिक्षा मे प्रशिक्षित करना और प्रयोगात्मक गतिविधि अपनाया जा सकता है।

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  152. अजीत चौहान
    पूर्व प्राथमिक स्कूल से छात्र की रुचि जाननी चाहिए, उसी को आगे की कक्षा 9 से 12 तक व्यसायिक प्रशिक्षण देना चाहिए|

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  153. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर 6 से 8 तक विभिन्न व्यवसाय ओं का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए उसके बाद माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर 9 से 12 तक विभिन्न व्यावसाययो विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय ओं का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  154. पुर्व ब्यवसायीक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी से 8वी तक विभिन्न ब्यवसायोओ का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा 9वी से 12वी तक विभिन्न ब्यवसायो में विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

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  155. स्कूली शिक्षा के साथ पूर्व व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण भारत की प्राचीन समृद्ध परम्परा रही है।परन्तु आज इसे नए रूप में आवश्यक बदलाव के साथ अमल की जाने की आवशयकता है।बाद के स्तरो में शुरू करने से , छात्रों का इस दिशा में आगे बढ़ने की संभावना कम रह जाती है।उनमें पूर्व कौशल का पूर्व अभ्यास शेष रह जाता है।मूल्यों का विकास भी इसी स्तर पर ज्यादा होता है।

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  156. पूर्व प्राथमिक स्कूल से विद्यार्थी की रुचि जाननी चाहिए , उसी को आगे की कक्षा 9वी से 12वी तक व्यावसायिक प्रशिक्षण देना चाहिए

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  157. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें। जो छात्र विशेष क्षेत्र के लिए व्‍यावहारिक कौशल विकसित करते हैं वे अधिक आत्‍मविश्‍वास से भरेंं होतें हैं जो सामान्‍य शैैक्षणिक पृृृृृष्‍ठभूमि वाले छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।

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  158. Rajesh Kumar Dinkar
    Assistant teacher ARSIYAN Morga via pondi uprora District Korba Chhattisgarh
    Samanya shiksha ke sath sath vyawsaik shiksha ka bahut mahatw hai chunki aaj ka daur skill dakshata ka yug hai vyawsaik shiksha isliye bhi jaruri hai ki
    1. Vyawsaik kaushal ka vikas ke liye
    2. Berojgari ki samasya dur karne ke liye.
    3.yuwaon ko gumrah hone se bachane ke liye.
    4.chhatron me aatmvishwas ki bhawna waatmsamman ki bhawna jagrit karne ke liye.
    5.
    Chhatron ke behtarin pradarshana ke liye.
    6.shikshan adhigam ko rochak awam ruchikar banane ke liye.
    7.Aatmnirbhar hone ke liye.
    Kushal Janshakti badhan

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  159. लक्ष्मीन चन्द्रा, शासकीय प्राथमिक शाला अमापाली जैजैपुर , विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)

    सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान परिवेश में बढ़ती हुई विशाल आबादी के हिसाब से आज की जरूरत है । जिसके कारण भविष्य में कोई भी बच्चा बेरोजगार नहीं होगा। व्यावसायिक शिक्षा से बच्चों में व्यावसायिक रुचि बढ़ेगा । जिससे बच्चे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अवलोकन कर अपने कार्यक्षेत्र का निर्धारण कर सकते हैं। जो छात्र-छात्राओं अपना रूचिकर व्यवसाय के अनुरूप व्यावसायिक कौशल विकसित करते हैं । वह सामान्य शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले छात्र-छात्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते हैं । जो उनके विकास में , तरक्की में अहम भूमिका निभाती है । जिसका उपयोग छात्र-छात्राओं दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें। आज के परिवेश में व्यावसायिक शिक्षा नितांत आवश्यक है।

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  160. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा भी देना चाहिए। इसके तहत कक्षा 6वीं से 8वीं तक लागू किया गया है। जिससे बच्चों में विभिन्न व्यवसायों के प्रति रूचि जागृत होगी आगे चलकर वह इसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग करेगा ।अपने सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए भी कर सकता है बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना का भी विकास होगा।

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  161. बच्चों को पहले 6वी से 8 वी तक विभिन्न व्यवसायो से संबंधित जानकारी देना चाहिए।उसके बाद कि कक्षाओं में इसे समझने हेतु व्यावसायिक भ्रमण भी कराया जाना चाहिए और उसे व्यवहार में लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

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  162. पूर्व प्राथमिक स्तर छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  163. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  164. उच्‍च गुणवत्‍ता वाली व्‍यावसायिक शिक्षा और कुशल जनशक्ति आर्थिक विकास के लिये आवश्‍यक है।बच्चे अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय के प्रति अपने समझ विकसित कर सकें उसके पश्चात माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा नौवीं से बारहवीं तक विभिन्न व्यवसायों में उनके रुचि के व्यवसाय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन के कार्यों एवं अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कर सके।

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  165. आज समय की माँग है,कि बच्चों को दिए जाने वाले सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाय।प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च प्राथमिक स्तर पर छोटी-छोटी व्यावसायिक जानकारी व गतिविधियों के माध्यम से विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित की जाय,जिससे माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यावसायिक कौशल की समझ विकसित करने में समर्थ हो सके।साथ ही साथ अपना सामाजिक एवं आर्थिक विकास कर सके।

    दिलीप कुमार वर्मा
    सहायक शिक्षक(L.B.)
    शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
    वि.ख.-पलारी
    जिला-बलौदाबाजार(छ. ग.)

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  166. Purv vyavsayik shiksha ek achi phal hai jisme kaksha 1-5 tak me vidhyarthiyon ke liye karya anubhav ya karyashiksha, kaksha 6-8 ke liye purav vyavsayik shiksha aur kaksha 9-12 tak ke vidhyarthiyon ke liye lagu ki gayi hai. Vyavsayik shiksha aaj ki zarurat. Bacche apni pasand ke anusaar vyavsay ka chayan kar apna bhvishya ujjawal bana saken taki swayam ke vikas ke saath-saath samajh aur desh ka bhi vikas ho.
    Neelam Mishra

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  167. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  168. व्यावसायिक शिक्षा आज के परिवेश में अत्यंत जरूरी है।बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।बच्चे आत्मनिर्भर बन सके और स्वरोजगार के प्रति जागरूक हो सके।

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  169. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वी से 8वी तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवम बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके ।तत्पश्चात माध्यमिक एवम उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों को पाठ्यक्रम एवम विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवम व्यावसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो।

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  170. हमारी शिक्षा प्रणाली क्लर्क पैदा करने का कारखाना बन कर रह गई है।ऐसे में सरकारी नौकरी सभी को मिलना सम्भव ही नहीं है।किसी व्यक्ति में व्यसायिक योग्यता का होना आज के परिवेश में उसे एक अलग स्तर के आत्मविश्वास से लबरेज़ कर देता है।हमारे यशश्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना व्यवसायिक योग्यता से ही साकार हो सकती है।शिक्षा के व्यवसायमुलक होनेऔर रोजगार मुलक होने से सरकारी नौकरी पर निर्भरता कम होगी और सामाजिक उत्पादकता बढ़ेगी।

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  171. बच्‍चों को सामान्‍य शिक्षा के साथ व्‍यावसायिक शिक्षा भी प्रदान किया जाना चाहिये ताकि वे आगे चलकर अपनी रूचि के अनुसार अपने क्षेत्र का निर्धारण कर सकें, जिसका उपयोग छात्र-छात्राएं दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सकें। आज के परिवेश में व्यावसायिक शिक्षा नितांत आवश्यक है।

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  172. व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक कक्षा छठवीं से आठवीं तक सामान्य शिक्षा के साथ विभिन्न प्रकार के व्यवसाय की भी सामान्य जानकारी बच्चों को प्रदान की जानी चाहिए जिससे बच्चे अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय के प्रति अपने समझ विकसित कर सकें उसके पश्चात माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर कक्षा नौवीं से बारहवीं तक विभिन्न व्यवसायों में उनके रुचि के व्यवसाय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ।जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन के कार्यों एवं अपने सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए कर सके। इस प्रकार सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा देने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।

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  173. पूव॔ व्यवसायिक शिक्षा के तहत उच्च प्राथमिक स्तर 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों की सामान्य जानकारी प्रदान करते हुए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर 9वीं से 12वीं तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि युवा आगे चलकर अपनी समझ के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सकें तथा सामाजिक आथिॅक पारिवारिक विकास में सहायक हो सकते हैं।

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  174. सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण बेहतर विकल्प है। कक्षा 6 से 8 तक पूर्व व्यावसायिक शिक्षा, सामान्य जानकारी के रूप में दिया जाना चाहिए जिससे बच्चे अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय के प्रति अपनी समझ विकसित कर सके। पश्चात कक्षा 9 से 12 तक अपने रुचि के व्यवसाय पर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर उसका उपयोग अपने दैनिक जीवन के कार्यों एवं अपने सामाजिक आर्थिक विकास के लिए कर सके।

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  175. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ 6-8तक के कक्षा में पूर्व व्यावसायिक शिक्षा का सामान्य जानकारी प्रदान किया जाना चाहिए तादपशचट 9-12कक्षा से विभिन्न व्यवसायों एवम रोजगार मूलक विशेष प्रशिक्षण केन्द्र में शासन द्वारा नवाचारी शिक्षा दिया जाना चाहिए

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  176. सामान्य ज्ञान के साथ-साथ बुनियादी शिक्षा की जरूरत है साथ ही व्यवसायिक ज्ञान की समझ हो ताकी वह अपने जीविका निर्वाह के लिए उचित व्यवसाय चुन सके

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  177. प्राथमिक शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा आज के समय की महती आवश्यकता है। कक्षा 6वी से 8वी में बच्चों को कुछ सामान्य जानकारी जो उनके लिए आधार का काम करे वो जरूर देना चाहिये। इसके पश्चात 9वी से 12वी में उनकी रुचि के अनुसार उन्हें व्यावसायिक शिक्षा का कार्यानुभव, ज्ञान व कौशल अनुभव के पर्याप्त मौके व संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए।

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  178. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर(6से8)तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए।उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर(9से12)तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके।

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  179. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।.

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  180. पूर्व माध्यमिक स्तर पर शिक्षा की मूलभूत जानकारियां बच्चों को प्रदान की जानी चाहिए तत्पश्चात कक्षा नौवीं और दसवीं में छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने में आसानी होगी साथ ही साथ कक्षा नौवीं से बारहवीं तक लगातार उन्हें प्रयोग के माध्यम से उनके द्वारा लिखे गए विषय तथ्यों को पूर्ण करने में सहयोग दिया जाएगा इससे यह व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को स्वरोजगार मुहैया पर आने में उपयोगी सिद्ध होगा।व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

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  181. Samanya siksha k sath sath purva vyavsayaik siksha bachcho ki siksha starr m dohara labh pradan krga,jisse bachche apne jeevan m kausal gyan ka prayog ache tarike se kar skenge.

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  182. बच्चे अपनी रुचि के अनुसार अपने स्कूल से ही विषय निर्धारित कर सकेंगे,जो आगे चलकर उन्हें भटकाव की स्थिति से दूर रखेगाऔर भविस्य सुदृढ़ करने में मदद करेगा

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  183. पूर्व व्यवसायिक शिक्षा के तहत पूर्व प्राथमिक स्तर छठवीं से आठवीं तक विभिन्न व्यवसायों का सामान्य जानकारी प्रदान करना चाहिए। उसके बाद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों का विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे आगे चलकर अपनी पसंद के अनुसार उचित व्यवसाय का चयन कर सके जिसका उपयोग वह अपने दैनिक जीवन को सरल बनाने में कर सके

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  184. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा जरूरी है ताकि वे आगे चलकर रोजगार के लिए तैयार हो सके एवं उनसे अपना जीवन सरल एवं समृद्ध बना सकें

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  185. सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक है।क्योंकि आज सभी के लिए शासकीय नौकरी मिल पाना संभव नहीं है।बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाये तो अपनी रूचि के अनुरूप पढ़ने-लिखने के बाद स्वयं का व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं,अर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना सकते हैं ।व्यावसायिक शिक्षा से बेरोजगारी,आर्थिक विषमताओं को दूर करने मे मदद मिलेगी ।

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  186. बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उच्च प्राथमिक स्तर कक्षा 6वीं से 8वीं तक विभिन्न व्यवसायों के सामान्य एवं बुनियादी जीवन कौशल विकास की समझ विकसित किया जा सके। तत्पश्चात् माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक स्तर तक विभिन्न व्यवसायों के पाठ्यक्रम एवं विशेष प्रशिक्षण द्वारा रोजगार एवं व्यवसायिक कौशल विकसित करने में समर्थ हो। जिससे सामाजिक एवं आर्थिक विकास में सहायक हो सकें।

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  187. Bacchon ko Samanya Shiksha ke sath Vyavsayik Shiksha
    DiJaane chahie Taki Aage chalkar Rojgar ke liye taiyar ho sake aur apne Pasand ka vyavsay Chinta ke.

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