मॉड्यूल 15
गतिविधि 1: अपने बचपन की
यादों को
साझा करें
एक पल रूकें और अपने बचपन के दिनों की यादों के बारे में सोचें।अब एक सुखद और एक दुखद स्मृति की सूची बनाएँ । इसके अलावा, अपने शुरुआती वर्षों में सीखी गई दो कहानियाँ/ कविताएँ साझा करें।
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
बचपन के दिनों की हम याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते लोग हमसे नाराज भी रहते और कभी कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है।
ReplyDeleteकछुआ और खरगोश खरगोश का दोनों मेंदोनों में शर्त लगा कि कौन जीतेगा और दोनों मेला के लिए निकल पड़े और रास्ते में चलते गए अंत में खरगोश अचानक सो गया और कछुआ आगे निकल गई इस तरह कछुआ जीत गया ।इसमें एक कहानी चूहा और कबूतर का है जिसमें कबूतर पिंजरे में फंस जाते हैं और उसे छुड़ाने के लिए चूहे के पास जाते हैं और चूहा उसको 15 को काटकर के बाहर कबूतर को आजाद कर देता है।
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है। बचपन मे पढ़ी प्रमुख कविताएं आज भी याद है
Deleteजैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
Bachapan me apne sahelio ke sath khelna ak sukhad smriti hai
ReplyDeleteबरसात में हम लोग मछली पकड़ने जाते थे ।सौंधी मिट्टी कि खुशबू अच्छी लगती हैं। बरसात में गरऊला,गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना,कोंट ऊल आदि का खेल खेलते हैं। बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे। बरसात में कभी कभी नहीं नहाना।हाथ पैर धोकर मतलब आधा नहाना। कविता जो हम लोग बहुत गाते थे।नीति के दोहे अमीर खुसरो यूं कहें बुझ पहेली मोरी।धुपो में वह पैदा होने छांव देख मुरझानवे अरी सखी मैं तुमसे पुछूं हवा लगे मरजावे ।एक नार के है दो बालक दोनों एक ही रंग ,एक फिरे एक ठरहा रहे फिर भी दोनों संग।।1.नाव चली भी नाव चली 2.चल थे मटके टम्मक टू। कहानी में 1.लकड़हारे कि कहानी कुल्हाड़ी वाला।2.मेहनत कि कमाई राजा रानी वाला।
Deleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बचपन में बरसात में मछली पकड़ने में बड़ा मजा आता था। गिल्ली डंडा और क्रिकेट खेलने में बड़ा मजा आता था। प्रमुख कविता चल रे मटके टम्मक टू हैं।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
बचपन में ,मैं अपने मित्रों के साथ एक-दूसरे से बातचीत करने ,खेलकूलऔर पढ़ाई-लिखाई के बहुत सुखद अनुभव है। बचपन बच्चों के लिए एक स्वगीर्य वातावरण होता है। हमें खेल में गिल्ली-डन्डा, रेस-टीप, पानी-पत्थर में बहुत मजा आता था। कविता-1.मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ तो डर जाती है,बाहर निकालो तो मर जाती है। 2.चलरे मटके टमक-टू । कहानी 1.खरगोश और कछूवा के दौड़, 2.दूधवाला और बन्दर।
Deleteबचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
दुखद स्मृति - जब मैंने अपनी मम्मी का कहना नहीं माना और साइकिल चलाते वक्त गिर गई और मुझे काफी को आई ।
ReplyDeleteसुखद स्मृति - मम्मी ने मुझे उठाया और प्यार किया चोट पर दवा लगाई, उसके बाद मुझे समझाया तब मुझे उनकी बात बात अच्छी लगी ।
कविता -१.अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे हैं बादल
२. चुन्नू बोला अच्छा मम्मी आज मुझे नहला देना
कहानी -१. कछुआ और खरगोश
२. शेर और चूहा
बचपन की यादें बहुत अच्छी थी, सहेलियों के साथ पिठुल खेलना, बरसात में मछली पकड़ना, खो खो, जंगल में मशरुम उठाना,छुपान छुपाई और स्कूल में मझे कविता में झासी की रानी,अंधे और लंगडे की कहानी आदि
Deleteसुखद स्मृति- बचपन की उन दिनों जब स्कूल मेंं पढने के अलावा हमारे शिक्षक कृषि कार्यों को एक किसान किस प्रकार करता हैं कि जानकारी देने गतिविधि स्वरूप खेत ले गये थे।
Deleteदुखद स्मृति- दिपावली मेंं पटाखे जलाते समय हाथ का जल जाना।
शुरूआती वर्षों की दो कविता/कहानी
1.अंधा और लंँगड़ा-एक अंधा था एक लँगड़ा था।गंगा राम अंधा था। बंशी लँगडा था। दोनोंं मेले मेंं जाना चाहते थे। गंगा राम देख नहीं सकता था। बंशी चल नहीं सकता था। लँगड़ा अंधे के कंधे पर बैठा।लँगड़ा राह बताता था।अंधा चलता था।मेले मे पहुँँचकर दोनों खुब हँसे हःहःहः।
2.दिन निकला-
बड़े सबेरे मुरगा बोला,
चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदायी,
सब बोले दिन निकला भाई।
In my childhood I used to enjoy flying paper plains in dry seasons and paper boats in in the rainy season.
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू
चुरकी मुरकी की कहानी आदि
बचपन में बरसात में भीगने, पानी खेलने, पानी में कागज की नाव चलाने में बड़ा मजा आता था।प्रमुख कविता चल रे मटके ट ममक टू है।कछुआ और खरगोश की कहानी कौन जीता है।
Deleteबचपन की सभी सुनहरे पल आज भी याद है हमारे पहले शिक्षक, शिक्षिकाएं जिनका चेहरा आज भी याद है उनका बोलना उनसे प्रेरित होकर उनका नकल करना तथा घर में आकर अपने माता-पिता को स्कूल की सारी बातें बताना दोस्तों के साथ खेलना लड़ना। कुछ यादे साझा करना चाहती हूं एक बार तो जब मैं प्राथमिक में थी तो सारे दोस्त खाने की छुट्टी पर छुपा छुपी का खेल खेलते खेलते ऐसी जगह में जा छुपे हमको स्कूल का घंटी सुनाई तक नहीं दिया और जब हमें स्कूल लौटे तो क्लास शुरु हो गई थी और हमारे प्रधान अध्यापक बड़ा सा रूल जिसे उस जमाने में सुधार सिंह कहते थे उसे लेकर गेट पर बैठे हुए हमारा इंतजार कर रहे थे सभी हमारे दोस्तों के साथ मुझे भी सुधार सिंह का स्वाद चखने को मिला जो आज भी याद है पर अब एहसास होता है वाकई में हमारे जो शिक्षक थे उसे सुधार सिंह क्यों कहते तो उसके बाद हम लोगों ने कभी भी छुपन छुपाई का खेल खेलते तो पहला ही घंटी हमारे कानों को सुनाई दे जाती और हम फट से स्कूल पहुंच जाते ।और मेरी नानी की कहानी हमशे अपने पैरों की मालिश कराते हुए उनका हमे कहानी सुनाना और हमारी मासूमियत भरी सवालों का प्यार से समझाना आज भी याद है सूरज चांद, राजा रानी की कहानी।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू
चुरकी मुरकी की कहानी आदि
बड़ी भली है अम्मा मेरी ताजा दुध पिलाती है मीठे मीठे फल ले लेकर मुझको रोज खिलाती है ।
ReplyDeleteमां खादी की चादर देदे मैं गांधी बन जाऊं
संतो के बीच बैठकर रघुपति राघव गाउ
भले काम मै किया करूँगा
छूट अछुत नही manuga
सबको अपना ही जानूंगा
एक मुझे तू लकड़ी ला दे टेक उसे
बढ़ जाऊ ।
Bachpan mein koi tension na hona aur kahi bhi bindas ghumna bada hi majedar tha
ReplyDeleteबचपन बहुत ही सुखद यादें हैं जिसमें दोस्तों के साथ खेलना, नदी पहाड़ ,लुकाछिपी ,बारिश में खेलना दोस्तों के साथ घूमना ,पिकनिक पर जाना, जंगल की सैर करना, दुखद यादों में जब हम कोई गलती करते थे जिससे हमें अपने बड़ो से डांट पड़ती थी। बचपन की कविता जिसने सारा जगत बनाया ,चल रे मटके टम्मक टू ,उठो लाल अब आंखें खोलो कहानियों में खरगोश कछुए की कहानी, लकड़हारा की कुल्हाड़ी की कहानी ,चुरकी मुरकी की कहानी आदि।
Deleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी। बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती हैं। एक कविता ----
ReplyDeleteमछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है ।
हाथ लगाओ डर जाती है,
बाहर निकालो मर जाती है।
जब मैं प्राथमिक में थी तो सारे दोस्त खाने की छुट्टी पर छुपा छुपी का खेल खेलते खेलते ऐसी जगह में जा छुपे हमको स्कूल का घंटी सुनाई तक नहीं दिया और जब हमें स्कूल लौटे तो क्लास शुरु हो गई थी और हमारे प्रधान अध्यापक बड़ा सा रूल जिसे उस जमाने में सुधार सिंह कहते थे उसे लेकर गेट पर बैठे हुए हमारा इंतजार कर रहे थे सभी हमारे दोस्तों के साथ मुझे भी सुधार सिंह का स्वाद चखने को मिला जो आज भी याद है पर अब एहसास होता है वाकई में हमारे जो शिक्षक थे उसे सुधार सिंह क्यों कहते तो उसके बाद हम लोगों ने कभी भी छुपन छुपाई का खेल खेलते तो पहला ही घंटी हमारे कानों को सुनाई दे जाती और बचपन के दिनों की हम याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते लोग हमसे नाराज भी रहते और कभी कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है। फट से स्कूल पहुंच जाते
ReplyDeleteबचपन की बातें बड़ी सुखद होती है।विषम परिस्थितियों में जीना, स्कूल में शिक्षकों का मार खाना, दोस्तों के साथ outdoor game खेलना आज के संदर्भ में बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteकविता - बड़े सबेरे मुर्गा बोला
बड़े दिनों की बात बताऊँ
कहानी - चूहा और शेर
रटंत तोता आदि।
बचपन की यादों में कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें हैं । बहुत ही सुहानी यादें हैं ।जब हम स्कूल जाते तो सभी सहेलियां खटाई बहुत खाते (इमली, कैथा ,बीही ) खटाई खाने की वजह से मार पड़ती थी।
ReplyDeleteदोपहर को खाने की छुट्टी में तालाब के किनारे की मिट्टी के खिलौने बनाते ।
बचपन की पढ़ी कविता कहानी आज भी याद आती 👉🏿👉🏿😍😍खट पट मत कर एक-दम सरल और भी बहुत कुछ यादें हैं बचपन की (miss my childhood life 😶)
आफिजा मलिक प्राथमिक शाला नवाटोला लोहारी से
बचपन की बहुत सारी खट्टी मिठी यादें है, जब बच्चों को खेलते लड़ते देखते हैं तो वो बिता हुआ पल भर आँखों के सामने आ जाता है, चल रे मटके tammak टू, और बारिश के दिनों में गिरते हुए स्कूल जाना,
ReplyDeleteakurJanuary 2, 2021 at 4:32 AM
ReplyDeleteबरसात में हम लोग मछली पकड़ने जाते थे ।सौंधी मिट्टी कि खुशबू अच्छी लगती हैं। बरसात में गरऊला,गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना,कोंट ऊल आदि का खेल खेलते हैं। बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे। बरसात में कभी कभी नहीं नहाना।हाथ पैर धोकर मतलब आधा नहाना। कविता जो हम लोग बहुत गाते थे।नीति के दोहे अमीर खुसरो यूं कहें बुझ पहेली मोरी।धुपो में वह पैदा होने छांव देख मुरझानवे अरी सखी मैं तुमसे पुछूं हवा लगे मरजावे ।एक नार के है दो बालक दोनों एक ही रंग ,एक फिरे एक ठरहा रहे फिर भी दोनों संग।।1.नाव चली भी नाव चली 2.चल थे मटके टम्मक टू। कहानी में 1.लकड़हारे कि कहानी कुल्हाड़ी वाला।2.मेहनत कि कमाई राजा रानी वाला।
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है।
ReplyDeleteबचपन मे बारिश के दिनों में नाव बनाना और पढ़ना चल रे मटके हर पाल सिंह की पांच बाते उठो प्यारे अब आंखे खोलो ये सब बहुत ही अच्छे थे
ReplyDeleteदुखद स्मृति - जब मैंने अपनी मम्मी का कहना नहीं माना और साइकिल चलाते वक्त गिर गई और मुझे काफी को आई ।
ReplyDeleteसुखद स्मृति - मम्मी ने मुझे उठाया और प्यार किया चोट पर दवा लगाई, उसके बाद मुझे समझाया तब मुझे उनकी बात बात अच्छी लगी ।
कविता -१.अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे हैं बादल
२. चुन्नू बोला अच्छा मम्मी आज मुझे नहला देना
कहानी -१. कछुआ और खरगोश
२. शेर और चूहा
बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है।
दुखद स्मृति - जब मैंने अपनी मम्मी का कहना नहीं माना और साइकिल चलाते वक्त गिर गई और मुझे काफी को आई ।
ReplyDeleteसुखद स्मृति - मम्मी ने मुझे उठाया और प्यार किया चोट पर दवा लगाई, उसके बाद मुझे समझाया तब मुझे उनकी बात बात अच्छी लगी ।
कविता -१.अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे हैं बादल
२. चुन्नू बोला अच्छा मम्मी आज मुझे नहला देना
कहानी -१. कछुआ और खरगोश
२. शेर और चूहा
बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है।
बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है।
ReplyDeleteVyakti Ka bachpan anokha hota hai...hum sab bachpan ki suhani yaden Yaad Kar anandit hote Hain... mujhe us samay Ka apnapan Accha Lagta hai...Mata pita Ka intkaal ho gya dukhad pahlu...Sher aur chuha Ki kahaniya....
ReplyDeleteबचपन की यादों में (1)स्कूल का पहला दिन जब मैंने शाला के सभी मित्रों/सहपाठियों को मिठाई बांटी थी, मैं बाबुजी के साथ स्कूल गया था।
ReplyDelete(2)दु:खद स्मृति में प्रतिदिन कीचड़ भरे रास्ते से स्कूल जाना,आज तक याद है।(वर्षा ऋतु में)
शुरुआती वर्षों में सीखी कविताओं में आज भी कुछ याद हैं, जैसे:-
(1) उठो लाल अब आंखें खोलो,
पानी लाई हूं मुंह धो लो,
बीती रात,कमल दल फूले
उनके ऊपर भौंरे झूले____
________
(2)चल रे मटके टम्मक टू
हुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठी तकदीर
मटका एक मंगाया मोल
लंबा-लंबा गोल-मटोल
बुढ़िया उसमें बैठी आप
वह ससुराल चली चुपचाप।
आज ये गतिविधि बचपन को फिर से वापस ले आई,जब पहली बार वर्ण माला को देखकर लिखना एक एक वर्ण का घुमावदार आकार फिर ये सोचना ये सब कैसे याद रखा जाए कि किसके बाद क्या आता है फिर पिता द्वारा हाथ पकड़ कर कलम से घुमावदार वर्ण बनाना एक बच्चे के लिए कितना कठिन होता है। ।।मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ डरम जाती है। बाहर निकालो मर जाती ।है। ममता झा, छान्टा झा, बम्हनी संकुल
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं।जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है,आज ये गतिविधि बचपन को फिर से वापस ले आई,जब पहली बार वर्ण माला को देखकर लिखना एक एक वर्ण का घुमावदार आकार फिर ये सोचना ये सब कैसे याद रखा जाए कि किसके बाद क्या आता है फिर पिता द्वारा हाथ पकड़ कर कलम से घुमावदार वर्ण बनाना एक बच्चे के लिए कितना कठिन होता है।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है।
Pritan kumar Xess,बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है। कविता1-चल रे मटके टम्मक टूं। 2-उठो लाल अब आंखें खोलो आदि। कहानी-1-शेर और चूहा। कछुआ और खरगोश आदि।
ReplyDeleteबचपन में हम मिट्टी के खिलौने बनाकर खेल खेलते तथा गुड्डे गुड़िये का विवाह करते।
ReplyDeleteदादी व नानी के पास राजा रानी की कहानी का आनंद लेते थे।बचपन का आनंद ही कुछ औऱ था।बहुत मज़ा आता था।
P bachpan ki yaden sabse mahatvpurn Hoti hai Bachpan mein khelna machhali pakdana fitful khelna aadi
ReplyDeleteBachpan ki Sabhi Yad Khaas Hoti Hai Jaise Barish Mein School Jana kagaj ki Naav Bana kar Pani Mein Tera Naa Kavita Chal Re matke tammak tu aur Thodi Lal ab Aankhen kholo
ReplyDeleteबचपन की सभी याद खास होती है जैसे बरसात के दिनों में पानी गिरता है तो मिट्टी की खुशबू बहुत ही अच्छा लगता है मेरे बचपन की दो कहानी आज भी याद करने से बचपन का याद आता है जैसे कि एक मैदान में एक खरगोश और कछुआ मुकाबला रखते हैं की जो पहले मेला में पहुंचेगा वह जीत जाएगा कछुआ की चाल धीमी धीमी चलती है और खरगोश तेज गति से दौड़ता है लेकिन खरगोश ने सोचा कि मैं जल्दी पहुंच जाऊंगा कह कर एक पेड़ के नीचे आराम करता है तो इसका नींद पड़ जाता है इधर कछुआ धीरे धीरे चाल से चलता रहता है और मेला में पहले पहुंच जाता है यह मेरा पहला कहानी है और दूसरा कहानी एक तोता साधु के घर में रहता है साधु हमेशा उसे एक गीत याद कर आता है शिकारी आता है जाल फैलाता है दाने का लोक दिखाता है जाल में नहीं फसना चाहिए ऐसा हुआ तोता हमेशा बोलकर याद कर लेता है और दूसरे तो तेरे को समूह में याद करवा लेते हैं एक दिन शिकारी जाल फैलाया रहता है और दाना डाल दिया रहता है सभी तोते वहां जाकर दाना झुकते हैं तो शिकारी के जाल में आ जाते हैं और हमेशा बोलते रहते हैं शिकारी आता है जाल फैलाता है दानी का लोक दिखाता है जाल में नहीं फंसना चाहिए यह कहानी आज भी हमें बचपन की याद दिलाती है
ReplyDeleteबचपन की बातें बड़ी सुखद होती है।विषम परिस्थितियों में जीना, स्कूल में शिक्षकों का मार खाना, दोस्तों के साथ outdoor game खेलना आज के संदर्भ में बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteकविता - बड़े सबेरे मुर्गा बोला
बड़े दिनों की बात बताऊँ
कहानी - चूहा और शेर
रटंत तोता आदि।
बचपन की यादें हमें अपने अतीत के सुनहरे पल के रूप में आनंदित करती है और छोटी उम्र जिसमें साथियों के साथ घूमने फिरने खाने-पीने नदी तालाबों में नहाने पेड़ों पर चढ़कर खेलने और मछली पकड़ने में बहुत मजा आता था स्कूल में दोस्तों के साथ पढ़ने लिखने के बाद लुका छुपी का खेल खेलने का मजा ही कुछ और था बचपन जीवन का सबसे आनंदमय समय होता है जिसका एहसास हमें अब होता है
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती है। उस पल को हम लोग हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विद्यालय में प्रवेश हुआ था। तब मुझे बच्चों के साथ जो आनन्द आता था। वह बहुत ही सुखद अनुभूति पूर्ण था। कभी-कभी बच्चों के साथ खेलने चला जाता था, और मेरा मा- पिताजी मुझे इधर-उधर ढूढ़ते थे। एक दिन शाला में मुझे गृहकार्य करने के लिए कुछ सवाल मिला । मैने हल करके नही ले गया।मेरे शिक्षक ने मुझे बहुत पिटाई की। जब मै घर गया तो मेरे पिताजी भी पिटे। उसके बाद से मैने रोज पढ़ कर जाता था। शिक्षक ने बहुत प्यार करते थे। विद्यालय में शिक्षकों के द्वारा खूब अभ्यास कराया जाता था। बचपन के पढ़े हुए कविता, कहानियाँ आज भी याद है।बचपन के सुनहरे पलआज भी याद आता है।
ReplyDelete(बचपन की यादें) सुखद अनुभव-बचपन बहुत ही प्यारा होता है।मां-बाप का प्यार, रामू के दुकान की बिस्किट और टाफी,तालाब के किनारे बैठकर पानी में पत्थर से छिलछीली चलाना, गिल्ली-डण्डा खेलना, कंचा खेलना, सातुल खेलना, नदी-पहाड़ खेलना, रेसटीप खेलना आदि।दुखद अनुभव-बचपन मेंं मां का असामयिक निधन, दर-दर की ठोंकरें खाना आदि।बचपन मेंं पिताजी के द्वारा हाथी और सियार की कहानी
ReplyDeleteतथा भरही पक्षी के अण्डों पर घंटा टूटने के बावजूद उसका सही-सलामत बच जाना आज भी याद है।
बड़ी भली है अम्मा मेरी ताजा दुध पिलाती है मीठे मीठे फल ले लेकर मुझको रोज खिलाती है ।
ReplyDeleteमां खादी की चादर देदे मैं गांधी बन जाऊं
संतो के बीच बैठकर रघुपति राघव गाउ
भले काम मै किया करूँगा
छूट अछुत नही manuga
सबको अपना ही जानूंगा(kk siware)
बचपन के दिनों की हम याद में यह बता सकते हैं कि हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते थे। कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते लोग हमसे नाराज भी रहते कभी कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है। कछुआ और खरगोश का दोनों मैदानों में शर्त लगेगी कौन जीतेगा और दोनों मेला देखने कि नहीं निकले और रास्ते में गया अंत में खरगोश अचानक सो गया और कछुआ आगे निकल गई स्तर कछुआ जीत गया।
ReplyDeleteबचपन की यादें खास होती हैं । सुखद अनुभव-1.बरसात में भीगना,2.पानी को बांधकर खपरैल की नली में से जाने देना 3. ता लाभ में तैरना 4.मेला घूमना 5.गिल्ली डंडा, बांटी,भौंरा खेलना दुखद अनुभव-1.गलती होने पर डांट खाना2.गृहकार्य न हो ने पर शिक्षक की मार3.साथियों से लड़ाई होना कहानी-1.मगर और बंदर2.शेर और बिल्ली 3.खरगोश और कछुआ
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो,
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो.
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले॥
२- चलरे मटके टम्मक टू,
हुये बहुत दिन बुढिया एक.
चलती थी लाठी को टेक,
उसके पास बहुुुत था माल,
जाना था उसको ससुराल
कविता-चल रे मटके टम्मक टूं।
ReplyDeleteहुई बहुत दिन बुढ़िया एक चलती थी लाठी को टेक।
जाना था उसको ससुराल, मगर राह में चीते शेर लेते थे राही को घेर ।
बुढ़िया ने सोची तदबीर चमक उठी उसकी तकदीर ।
मटका एक मंगाया मोल लंबा लंबा गोल-मटोल ।
उसमें बैठी बुढ़िया आप वह ससुराल चली चुपचाप ।
बुढ़िया गाती जाती यूँ चल रे मटके टम्मक टूं।
Poem - Uttho lal ab aankhen kholo
ReplyDeletePani layi muh dholo
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो,
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो.
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले॥
२- चलरे मटके टम्मक टू,
हुये बहुत दिन बुढिया एक.
चलती थी लाठी को टेक,
उसके पास बहुुुत था माल,
जाना था उसको ससुराल
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो।।
बचपन मे हम कक्षा में मस्ती करते थे और जब भी हमारे आदरणीय शिक्षक सिखाने के लिए कुछ गिट्टी, कंकड़ मंगवाते तो सबके सब एक साथ लाने चले जाते थे बड़ा मजा आता था।
ReplyDeleteमेरे पिता जी के स्थानांतरण होने के कारण मुझे तीन बार विद्यालय बदलना पड़ा जिसके चलते मेरे अभिन्न साथी मुझसे बिछड़ जाते थे तो बहुत दुख होता था।
, बचपन की सुखद यादें प्राथमिक शाला में पाठ्यक्रम कम होते थे शिक्षा मातृभाषा में होते थे केवल एक ही भाषा , भाषा पर प्रार्थी की स्कूल की सभी विषयों की पढ़ाई होती थी जिससे संपूर्ण विषय समझ में आ जाता था शिक्षा तनाव रहित खुशनुमा आनंददायक होते थे
ReplyDelete, दुखद पहलू उस समय बुनियादी सुविधाएं नहीं होती थी शिक्षकों की बहुत ही कमी होती थी गलतियां करने पर खूब पिटाई होती थी
बचपन की यादें तो आज भी मन को लालायित करता है, मानो एक बार फिर बचपन लौटकर आ जय तो कितना मजा आता वही सभी बचपन के दोस्त वही प्राथमिक शाला जो आज जीर्ण शीर्ण हो चुका है, कुछ का नक्शा बदल चुका है, कभी मेरे प्राथमिक शाला जाने का मौका मिलता है तो आज भी बचपन ताजा हो जाता है, वह जगह आज भी याद है जहां मैं बिठा करता था,और ब्रसड में ओ कीचड़ भरे पगडंडी जिसपर कभी फिसलकर गिर जाना और मीत्रो के द्वारा जोर जोर हँसना फिर रूठना,मनाना,बरसात के बहते पानी मे कागज की कश्ती बनाकर चलाना।
ReplyDeleteओह्ह कितना सुखद आनंद।इसीलिए तो कहा गया है बचपन हर गम से बेगाना होता है।
अपने बचपन के द नों की याद कर लगता हैं कि आज वो बचपन कहि खो गया है हमारे दिनों की शुरुवात ही खेल कूद जे साथ प्रारभ होता था गिल्ली डंडा कांचा pittul kabbdhi आदि कगे प्रमुखता के साथ खेलते रहते थे
ReplyDeleteBachpan bahut pyara hota hai. homework nahi karne ke wajah se shikshak ki dat dukhad anubhav raha. Bachpan me padhe huye kavita hai chal re matke tammak tu
ReplyDeleteBachpan k din sabse nirala hota h , bachpan m titliya pakadna or uese udana uske rango ko kapde pr lagna, school se an k bad khet k Pani m machhli pakdna or kichad m khelna, barsat m bhigte hue school jate the , khelne m Etna mast ho jate the ki ghanti ki awaj sunai nhi deti thi, der see Jane pr teacher lohe ki dande se marte the jise sudharsingh kahte the, chhutti hone k bad Kavita ko Gate -Gate Ghar jate the chal re matake tammak to. utho lala, ab ankhe kholo Pani layi hu muh dho lo.
ReplyDeleteakurJanuary 2, 2021 at 4:32 AM
ReplyDeleteबरसात में हम लोग मछली पकड़ने जाते थे ।सौंधी मिट्टी कि खुशबू अच्छी लगती हैं। बरसात में गरऊला,गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना,कोंट ऊल आदि का खेल खेलते हैं। बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे। बरसात में कभी कभी नहीं नहाना।हाथ पैर धोकर मतलब आधा नहाना। कविता जो हम लोग बहुत गाते थे।नीति के दोहे अमीर खुसरो यूं कहें बुझ पहेली मोरी।धुपो में वह पैदा होने छांव देख मुरझानवे अरी सखी मैं तुमसे पुछूं हवा लगे मरजावे ।एक नार के है दो बालक दोनों एक ही रंग ,एक फिरे एक ठरहा रहे फिर भी दोनों संग।।1.नाव चली भी नाव चली 2.चल थे मटके टम्मक टू। कहानी में 1.लकड़हारे कि कहानी कुल्हाड़ी वाला।2.मेहनत कि कमाई राजा रानी वाला।
Har shanivar school ke bagwani me pani dalna bahut hi sukhad anubhav tha. School me kabaddi khelte waqt baaya hath fracture ho gaya tha jo bahut hi dukhad anubhav tha.
ReplyDeleteSuruwati varsho me sikhi gayi kavitayein ninna hai -
1. Utho lal ab aankhe dho lo
Pani laayi hu mooh dho lo
Biti raat kamal dal fule
Uske upar bhanvare jhule.
2. Chal re matke tammak Tu
Huye bahut din budhiya ek
Chalti thi lathi ko tek
Uske pass bahut tha maal
Jana tha usko sasuraal
Magar raah me cheete sher
Lete the rahi ko gher
Budhiya ne sonchi tarkib
Jisse chamak uthi takdeer
Matka ek mangaya mol
Lamba lamba gol matol
Budhiya usme baithi aap
Wah sasural chali chupchap.
बचपन की यादें बहुत सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है कविता में झांसी की रानी और अंधे और लंगड़े की कहानी आज भी याद आता है
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
खुशहाली सोनी
बलौदाबाजार
Bachpan ki yade bahut suhani thi bachapan ki padai aaj bhi yad aati hai jo bahut achha lagata hai . Pramukh kavita chal re matke tamam tu .Lal bujhakkad bujh ke aadi.
ReplyDeleteBachpan ki yaden aaj bhi sukhad anubhaw krata hai. Bachpan ke dino me hm barish ka bahut maja lete the, kai prakar ke khel khelte the. Jaise.,gol gol rani, school jate samay pani me bhigna, fisal kr girna,kapde ganda hone pr bhi koi pareshani mahsus ni hona,aur barish ke pani me naw chalane me bahut maja aata tha.
ReplyDeleteBachpan ki yaden anmol hoti hai us samay kiya gya hr karya bhut hi sukhad hota hai
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत अच्छी थी, सहेलियों के साथ पिठुल खेलना, बरसात में मछली पकड़ना, खो खो, जंगल में मशरुम उठाना,छुपान छुपाई और स्कूल में मझे कविता में झासी की रानी,अंधे और लंगडे की कहानी आदि
ReplyDeleteबचपन मे बारिश के दिनों में नाव बनाना और पढ़ना चल रे मटके हर पाल सिंह की पांच बाते उठो प्यारे अब आंखे खोलो ये सब बहुत ही अच्छे थे
ReplyDeleteबचपन की यादें , मेरी जिन्दगी की सबसे अच्छे सुनहरे पल है । घर में सभी लोग मुझे बहुत प्यार करते थे। स्कूल में भी मेरी टीचर बहुत अच्छी थी। उनको देखकर ही मैंने टीचर बनने का सोचा और आज मैं एक प्राथमिक शाला में शिक्षिका हूं। छोटे बच्चों के साथ कार्य करने में बहुत अच्छा लगता है। मुझे अपने बचपन की 1.कछुआ और खरगोश की कहानी तथा 2. बड़ी भली है अम्मा मेरी ताजा दूध पिलाती है-- ।
ReplyDeleteआदि अभी भी याद है।
बचपन की यादें सुखद होती हैं मुझे इतना याद है कि मेरी छोटी बहन का शैशवावस्था में निधन हो गया था और मैं बहुत रो रही थी एक सुखद घटना हम नाना के घर गए थे और नानी ने मालपुए बनाए थे और सबको खिलाए थे एक कहानी जो मां ने सुनाई थी की एक राजा था जो अपनी पुत्रियों को इसलिए मार डालता था कि आगे इसकी शादी होगी तो मुझे दूसरों के सामने झुकना पड़ेगा परंतु रानी ने एक पुत्री को राजा से पुत्र हुआ है कह कर मरने से बचा लिया था तथा राजा से छिपाकर पाला था बाद में क्या हुआ यह याद नहीं है दूसरी कहानी शेर और चूहे की जब चूहे को शेर ने पकड़ लिया था चूहे ने विनती की कि मुझे ना मारे मैं कभी आपके काम आऊंगा एक बार शेर शिकारी के जाल में फस गया था तब चूहे ने जाल काटकर उसकी जान बचाई थी
ReplyDeleteBachpan ki yaden bhut sukhad avam amulya hoti hai bachpan me chhoti chhoti baton me hi khushiya dhundh lete hai
ReplyDeleteबचपन की यादें तालाब में नहाना, मछली पकड़ना,मां की कहानी सुनना,अंधा और लंगड़ा की कहानी ओ यादें अभी भी याद है।(Ng)
ReplyDeleteबचपन मे बारिश के दिनों में नाव बनाना और पढ़ना चल रे मटके हर पाल सिंह की पांच बाते उठो प्यारे अब आंखे खोलो ये सब बहुत ही अच्छे थे
ReplyDeleteबचपन की यादें हमें अपनी अतीत के सुनहरे पल के रूप में हमें आनन्दित करती है। और छोटी उम्र में साथियो के साथ घूमने फिरने खाने पीने नदी तालाबों में नहाने पेड़ पर चढ़ कर खेलने और पढ़ने में बहुत मजा आता था स्कुल में दोस्तों के साथ लुका छीपी का खेल खेलने का मजा ही कुछ और था बचपन जीवन का सबसे आनंदमय समय होता है जिसे हम चाह कर भी नहीं भूल पाते है।
ReplyDeleteबचपन में दोस्तों के साथ मस्ती करना बहुत ही सुखद अहसास होता है।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था ।
अपने बचपन की याद के बारें में सोचने के लिए कहे तो ये पल बेहद ही इंट्रेस्टिंग और गुदगुदा देने वाली होती हैं। दोस्तों के साथ मस्ती करना एक सुखद अनुभूति का आभास कराता हैं, एक अच्छी स्मृति हैं।वहीं दोस्तों के साथ मस्ती करने से मना कर देना,अपने मन से किसी काम को न करने देना दुखद स्मृति हैं।
ReplyDeleteबचपन के शुरुआती कविताओं में 1."उठो लाला अब आँखें खोलो,पानी लाई मुंह धोलो।" 2."चल रे मटके टम्मक टू,हुए बहुत दिन बुढ़िया एक,चलती थी लाठी को टेक" 3.मां खादी की चादर दे दे,मैं गाँधी बन जाऊं" 4."खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी, बुंदेलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।" 5."चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊ, चाह नहीं प्रेमी माला के बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊ।मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक।मातृभूमि को शीश चढ़ाने,जिस पथ जाए वीर अनेक।"
कहानियों में "प्यासा कौआ" ,"कौन जीता(हंस और कौआ)" ,"अंधा और लंगड़ा" , "खरगोश और कछुए की कहानी", "शेर और चूहा की कहानी" , चुरकी और मुरकी की कहानी।
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
इन्द्र सिंह चन्द्रा , उच्च वर्ग शिक्षक , शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला काशीगढ़ , विकास खण्ड-जैजैपुर , जिला - जांजगीर-चांपा , (छ.ग.)
ReplyDeleteबचपन के दिनों की याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में साथियों के साथ बरसात का अनुभव करते हुए मछली पकड़ने जाते थे। गरऊला, गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना इत्यादि अनेक प्रकार के खेल खेला करते थे । खेल खेलते समय आपस में लड़ते झगड़ते और कुछ समय पश्चात पुनः मिल जाते थे । कभी एक दूसरे से नाराज और कभी एक दूसरे से खुश भी रहते थे।
*सुखद स्मृति*-बचपन की उन दिनों जब स्कूल में पढ़ने के अलावा हमारे शिक्षक हमें बरसात के दिनों में बाढ़ दिखाने नजदीक के नाला के पास ले गए थे। बाढ़ में फंसे लोग कैसे कठिनाईयों का सामना करते हैं। गतिविधि के रूप में हमने प्रत्यक्ष देखा और नाला में बाढ़ से प्रभावित लोगों के बारे में समझ विकसित किया।
*दुखद स्मृति*-बचपन में कबड्डी खेलते समय मेरे सिर में मस्सा था जो चोट के कारण फट गया और सिर से काफी खून बहने लगा। खून का निकलना बंद नहीं हो रहा था। फिर डॉक्टर के पास जाना पड़ा।
शुरुआती वर्षों की दो कहानी/ कविता
1. दिन निकला-
बड़े सवेरे मुर्गा बोला ,
चिड़ियों ने अपना मुंह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोले दिन निकला भाई।
2. चल रे मटके टम्मक टू,
हुए बहुत दिन बुढ़िया एक,
चलती थी लाठी को टेक,
उसके पास बहुत था माल,
जाना था उसको ससुराल।
बचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
बचपन की यादें बहुत प्यारी होती है,उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विद्यालय में नामांकन हुआ तो मैं बहुत खुश हुआ वो मेरा सुखद अनुभव है, और एक दिन गृहकार्य नहीं करके ले गया तो शिक्षक से मुझे डांट खानी पड़ी वो मेरा दुःखद अनुभव है आज भी वो दिन मुझे याद है ।
ReplyDeleteकविता _दिन निकला ।
बड़े सबेरे मुर्गा बोला,
चिड़ियों ने अपना मुंह खोला।
आसमान पर लगा चमकने ,लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोलो दिन निकला भाई।
(२) चल रे मटके टम्मक टूं।
हुई बहुत दिन बुढ़िया एक,
चलती थी लाठी को टेक ।
जाना था उसको ससुराल,
मगर राह में चीते शेर लेते थे राही को घेर।
बुढ़िया ने सोची तदबीर,चमक उठी उसकी तकदीर।
मटका एक मंगाया मोल,
लंबा-लंबा गोल मटोल।
उसमें बैठी बुढ़िया आप,
वह ससुराल चली चुपचाप।
बुढ़िया गाती जाती यूं,
चल रे मटके टम्मक टूं।
बचपन की यादें, बहुत प्यारी होती है,उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विद्यालय में नामांकन हुआ तो मैं बहुत खुश हुआ वो मेरा सुखद अनुभव है और एक दिन गृहकार्य नहीं करके ले गया तो शिक्षक से मुझे डांट खानी पड़ी वो मेरा दुःखद अनुभव है। वो दिन मुझे आज भी याद है।
ReplyDeleteकविता (१) बड़े सबेरे मुर्गा बोला, चिड़ियों ने अपना मुंह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोलो दिन निकला भाई।
कविता (२)चल रे मटके टम्मक टूं।
हुई बहुत दिन बुढ़िया एक,
चलती थी लाठी को टेक।
जाना था उसको ससुराल,
मगर राह में चीते शेर लेते थे राही को घेर।
बुढ़िया ने सोची तदबीर,
चमक उठी उसकी तकदीर।
मटका एक मंगाया मोल,
लंबा-लंबा गोल मटोल।
उसमें बैठी बुढ़िया आप,
वह ससुराल चली चुपचाप।
बुढ़िया गाती जाती यूं,
चल रे मटके टम्मक टूं।
बचपन के दिनों की हम याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते लोग हमसे नाराज भी रहते और कभी कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है।
ReplyDeleteकछुआ और खरगोश खरगोश का दोनों मेंदोनों में शर्त लगा कि कौन जीतेगा और दोनों मेला के लिए निकल पड़े और रास्ते में चलते गए अंत में खरगोश अचानक सो गया और कछुआ आगे निकल गई इस तरह कछुआ जीत गया ।इसमें एक कहानी चूहा और कबूतर का है जिसमें कबूतर पिंजरे में फंस जाते हैं और उसे छुड़ाने के लिए चूहे के पास जाते हैं और चूहा उसको 15 को काटकर के बाहर कबूतर को आजाद कर देता है
Bachpan ki yaden bahut Suhani Thi saheliyon Ke Sath pitul khelna Chhupa Chhupi aur aur Barsat Mein bheegna nadiyon Se machli pakadna Aadi .Pramukh kavitaen Aaj Bhi Yad hai
ReplyDeleteBarish aai Chham Chham Chham......
chhata Lekar nikale Ham..
pair Fisal Gaya Gir Gaye Ham .Upar chhata niche ham....
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
जैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे।
ReplyDeleteदुखद स्मृति - जब मैंने अपनी मम्मी का कहना नहीं माना और साइकिल चलाते वक्त गिर गई और मुझे काफी को आई ।
ReplyDeleteसुखद स्मृति - मम्मी ने मुझे उठाया और प्यार किया चोट पर दवा लगाई, उसके बाद मुझे समझाया तब मुझे उनकी बात बात अच्छी लगी ।
कविता -१.अम्मा जरा देख तो ऊपर चले आ रहे हैं बादल
२. चुन्नू बोला अच्छा मम्मी आज मुझे नहला देना
कहानी -१. कछुआ और खरगोश
२. शेर और चूहा
बचपन की यादें बहुत ही रोचक और मजेदार होती है। जैसे दोस्तों के साथ बारिश में भीगना, कागज की नाव बनाना, मछली पकड़ना, पेड़ो पर चढ़ना आदि बहुत सारी सुखद और दुःखद अनुभव होता है जिसे पुराने दोस्त के साथ अचानक मिलने पर शेयर करने में बचपना फिर से वापस आ जाता है
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं आज भी याद है
बचपन के बहुत से किस्से याद आते हैं, बरसात में मैदान में पानी भर जाने पर खपरैल के टुकड़े को पानी के ऊपर मारते हुए उसे उस पार करना, बहुत मजा आता था, पाँच- दस पैसे में खरीदकर चना मुर्रा खाना, नारियल के टुकड़े खरीद कर खाना, पानी में कागज का नाव बनाकर छोड़ना.
ReplyDeleteबचपन बहुत प्यारा था,पढ़ना खेलना कहानी सुनना आदि
ReplyDeleteबचपन में दादी का दुलार और पिताजी की पिटाई ,याद आती है,,साथ ही ,किस्से कहानियों में ,पुस की रात ,और बूढ़ी काकी ,आज भी ,जीवंत लगती है,
ReplyDeleteसुखद स्मृति- बचपन की उन दिनों जब स्कूल मेंं पढने के अलावा हमारे शिक्षक कृषि कार्यों को एक किसान किस प्रकार करता हैं कि जानकारी देने गतिविधि स्वरूप खेत ले गये थे।
ReplyDeleteदुखद स्मृति- दिपावली मेंं पटाखे जलाते समय हाथ का जल जाना।
शुरूआती वर्षों की दो कविता/कहानी
1.अंधा और लंँगड़ा-एक अंधा था एक लँगड़ा था।गंगा राम अंधा था। बंशी लँगडा था। दोनोंं मेले मेंं जाना चाहते थे। गंगा राम देख नहीं सकता था। बंशी चल नहीं सकता था। लँगड़ा अंधे के कंधे पर बैठा।लँगड़ा राह बताता था।अंधा चलता था।मेले मे पहुँँचकर दोनों खुब हँसे हःहःहः।
2.दिन निकला-
बड़े सबेरे मुरगा बोला,
चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदायी,
सब बोले दिन निकला भाई।
बचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
बचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
बचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
(Bchpn ki yaden )
ReplyDeleteDukhdayi ghtna 😑
Ghutna tekna
Mar khana
School se bhga dena
Bahut dino tk school nhi jana
Teacher k Dr karn class room n jana
Course Kbhi pura nhi hona
Sadhn ki kmi hona
Paidal school jana
Bheeg jana
Kapi pustak ka bhig jana
Samay pr khana nhi milna
Sukhdayi Baten 😂😂
Teacher ki nkl krna
Class lena
Aavaj nikalna
Unke jaise chlna
Geet sangeet me bhag lena
Abhinay krna
Nayk bnna //class monitor etc
Pichhe baitna taki mar km pde
Khel aayojan me bhag lena
Apne se bde class k students se dosti krna
Prarthna krana
Ye Sbhi ak sukhd smriti hai
🙏🙏
बचपन में बरसात में मछली पकड़ने में बड़ा मजा आता था। गिल्ली डंडा और क्रिकेट खेलने में बड़ा मजा आता था। प्रमुख कविता चल रे मटके टम्मक टू हैं।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विद्यालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है वैसे तो मुझे ठीक ठीक याद नहीं कि मैं विद्यालय के सम्पर्क में पहली बार कब आया क्योंकि हमारे गाँव की पाठशाला हमारा आंठ ही था, मकान के सामने का बरामदा/गैलरी| और दु:खद पल एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
बचपन की यादे बहुत ही सुहानी थी,बचपन मे खेलना ,कूदना,पढ़ाई आज भी याद आती है।
ReplyDeleteप्रमुख कविताएं-चल रे मटके टम्मक टू।
Bachpan ki yaden bahut hi Pyari Hoti Hai jinhen Ham Kabhi Bhul Nahin Sakte unhen Yad karne per hi hi Hamare Chehre Mein Khushi a Jaati Hai
ReplyDeleteUtho Lal ab Aankhen kholo Pani Lai Munh dho
lo Beeti Raat Kamal Dal khule uske upr bhanvare Julie
Chal Re matke tamak Tu Hue bahut din Budhiya Ek Chalti thi Lathi cortec
बचपन के दिनों में मुझे मेरी मां ने स्कूल जाने से पहले घर में वर्णमाला को पढ़ना और लिखना सीखाया जबकि मेरी माँ सिर्फ साक्षर थी पढी लिखी नहीं थी । उस समय पूर्व प्राथ्यमिक शिक्षा का प्रावधान नहीं था इसलिए मां के द्वारा प्रदान किये गए शिक्षा के लिए उन्हे धन्यवाद देता हूँ। बचपन में मुझे खेलना भी बहुत पसंद था, पानी की रिमझिम बूंदों में भीगना , छपक छपक कर खेलना अच्छा लगता था ।
ReplyDeleteबचपन के दिनों की याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते, लोग हमसे नाराज भी रहते और कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है।
ReplyDeleteकछुआ और खरगोश खरगोश दोनों में शर्त लगा कि कौन जीतेगा? और दोनों मेला के लिए निकल पड़े और रास्ते में चलते गए अंत में खरगोश अचानक सो गया और कछुआ आगे निकल गई| इस तरह कछुआ जीत गया ।इसमें एक कहानी चूहा और शेर का है जिसमें शेर शिकारी के जाल में फंस जाता हैं और उस जाल को काटकर चूहा शेर को आजाद कर देता है। कविता में "उठो लाल अब आंखें खोलो" हृदय स्पर्शी था|
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है। बचपन मे पढ़ी प्रमुख कविताएं आज भी याद है
ReplyDeleteजैसे चल रे मटके टम्मक टू आदि
बचपन की यादें खास होती हैं । सुखद अनुभव-1.बरसात में भीगना,2.पानी को बांधकर खपरैल की नली में से जाने देना 3. ता लाभ में तैरना 4.मेला घूमना 5.गिल्ली डंडा, बांटी,भौंरा खेलना| दुखद अनुभव-1.गलती होने पर डांट खाना2.गृहकार्य न हो ने पर शिक्षक की मार3.साथियों से लड़ाई होना |कहानी-1.मगर और बंदर2.शेर और बिल्ली 3.खरगोश और कछुआ|
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी लगती है हम लोग तालाबों में देर तक दुपकते रहते थेऔर तालाब के पानी गंदा होने पर बड़े लोग हमारी कपड़ों को उठाते और पानी में भिगो देने का डर दिखाते थे तब जाकर हम लोग तालाब से बाहर निकलते थे हमारी आंखें लाल हो जाया करती थी और धुंधला धुंधला दिखाई देता था
ReplyDeleteजब मैं पहली कक्षा में दाखिला हुआ तो बहुत ही उत्साहित था स्कूल जाने के नाम पर लेकिन कुछ दिनों के बाद ही स्कूल जाना अच्छा नहीं लगने लगा वहां एक बड़े गुरुजी हुआ करते थे जिसको देखने के बाद उनकी हंसी उनके हाल-चाल हाव भाव एकदम अंदर से डर पैदा कर देता था रुहे तक कांप जाती थी पता नहीं ऐसा क्या था जैसे मैं कुछ महीने तक स्कूल जाना छोड़ दिया था मतलब स्कूल जा रहे हो कहकर बस्तालेकर निकलता जरूर था लेकिन स्कूल नहीं जाता था कहीं बाजार में किसी दुकान में छुप कर बैठा रहता था घर में पता चलने पर मुझे जबरदस्ती पकड़ कर स्कूल ले जाया करते थे मैं भी गुरु जी को आजू बाजू देखता रहता था और लघु आ वकाश के समय मौका देख कर भाग जाया करता था मुझे स्कूल में हमेशा भय बना रहता था एक दिन मुझे पता चला कि वह गुरु जी रिटायर हो रहे हैं मुझे मालूम नहीं था रीटा क्या को बोलते हैं तो मैंने अपने बड़े भैया को पूछा भैया रिटायर मतलब तो बताया क्या वह गुरु जी कभी स्कूल नहीं जाएंगे उनकी छुट्टी हो गई तो मैं बड़ा खुश हुआ उसी दिन से रोज स्कूल जाना शुरू कर दिया स्कूल की कविताएं कहानी सभी याद है जैसे लाल बुझक्कड़ की कहानी लोहे का धन आया एंड सोने की अंडा वाली कविता उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो और कविता का नाम भौर शेर और चूहा खरगोश और कछुआ की दौड़ चल रे मटके टम्मक टू अपना काम आप करो जैसे कुछ पाठ्य स्कूल में खेलना घर से रोज लिख कर ले जानागुरु जी के द्वारा दिया गया सवाल जल्दी से हल कर दिखाना और शाबाशीपाना बहुत अच्छा लगता था आज भी मैं अपने प्राथमिक शिक्षकों को याद करता हूं और उसी की तरह अध्यापन कार्य करने की कोशिश करता हूं
ReplyDeleteबचपन के दिनों में मेरी माँ के द्वारा कहानियां सुनाना, वर्नणमाला.सिखाना घर पर ही बैठकर सिखाया गया बचपन की यादें कुछ खास होती हैं जैसे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर पानी में चलाना, नदी-तालाब में तैरना, मेला घूमना, बेट-मिंटन खेलना। दुखद अनुभव. स्कूल का ग़हकार्य न.होने पर. शिक्षक की डांट खाना एवं मार खाना उसके बाद घर पर अभिभावक का डांट खाना, साथियों से लड़ना-झगड़ना फिर दोस्ती हो जाना, बचपन के दिन में किसी से. किसी प़कार का.चिंता फिक़.नहीं होती हैं मन स्वछंद घूमता है आदि।
During childhood we had no worries as there was no requirements to think of complicated issues and we could thus live each day to the fullest.
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी खेलना कूदना पड़ना लिखना सब याद आता है
ReplyDeleteबचपन में बरसात में भीगने, पानी खेलने, पानी में कागज की नाव चलाने में बड़ा मजा आता था।प्रमुख कविता चल रे मटके ट ममक टू है।कछुआ और खरगोश की कहानी कौन जीता है।
ReplyDeleteबचपन की सुखद स्मृतियों में गर्मियों की छुट्टियों में गांव जाना और सबका एक साथ समय बिताना खूब याद आता है। दुखद स्मृतियों में बहुत से एंबेरेसिंग मोमेंट है ।
ReplyDeleteबचपन की कहानियों में दादी द्वारा सुनाई जाने वाली छत्तीसगढ़ी कहानियां और राजा राम की कहानियां याद आती है।
बचपन की कविताओं में ट्विंकल ट्विंकल little star और बाबा ब्लैक शीप शामिल है।
बचपन में दादा दादी द्वारा सुनाई गई कहानी में एक दोस्ती की कहानी जिसमें दो दोस्त (ढेले व पत्ते)विपरित समय में एक दूसरे की ढाल बनते हैं, पर एक स्थिति ऐसी आती है कि वे एक दूसरे के लिए कुछ नहीं कर पाते और सब खत्म हो जाता है |
ReplyDeleteDuring early years of schooling I loved going to school as I could have fo many friends to play with. Participating in various co-curricular activities was always fun as it gave me opportunity to know my skills. Sports were my favourite.
ReplyDeleteकाश मेरे बचपन के दिन वापस आ जाते । ना कोई चिन्ता ना कोई फिकर बस स्कूल-खेल का मैदान हर तरह के खेल सारा दिन पढ़ो,खेलो और रात में थक कर सो जावो । बचपन में कागज की नाव बनाना बरसाती पानी में उसे चलाना कितना अच्छा लगता था । खेल खेलते समय स्वयं ही नियम बना दिया करते थे । और उन नियमों का पालन भी किया करते थे । हमारी बुआजी के घर में एक तोता था जो मेरा नाम रटता रहता था,एक दिन वह मर गया उसके मरने से मैं इतना दुखी हुआ कि सारा दिन रोता रहा उस दिन मैंने खाना भी नहीं खाया ।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती है।उसे हम हमेशा याद करते हैं। बचपन की पढ़ाई भी याद आती है, तो बहुत अच्छा लगता है।वो कविता आज भी याद आती है। जैसे-चल रे मटके टम्मक टू, बुढ़िया गाती जाती यूं ,चल रे मटके टम्मक टू।।
ReplyDeleteबचपन के दिनों में मैं अपने छोटे-छोटे बाल सखाओं के साथ गिल्ली- डंडा,रेस -टीप,नदी -पहाड़,नून-सुर,चोर-पुलिस,पिटटूल आदि खेल खेला करता था। मैं दाँव लेते वक्त बहुत खुश होता था और दाँव देने की बारी आती थी तो दुखी हो जाता था।
ReplyDeleteबचपन में पढ़ी कविताएं जो आज भी मुझे याद है-------------
(1)जिसने सूरज चाँद बनाया,
जिसने तारों को चमकाया,
जिसने फूलों को महकाया,
जिसने सारा जगत बनाया,
हम उस ईश्वर के गुण गाएँ,
उसे प्रेम से शीश झुकाएं।
(2)अटकन बटकन दही चटाका,
लवुहा लाटा बन में काँटा,
सावन में करेला फूटे,
चल-चल बिटिया गंगा जाबो,
गंगा ले गोदावरी,
आठ नग पागा गोलारसिंग राजा,
आमा के डारा टूट गे,
भरे कटोरा फूट गे ।
दिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक(L.B.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.--पलारी
जिला--बलौदाबाजार(छ. ग.)
Har shanivar school ke bagwani me pani dalna bahut hi sukhad anubhav tha. School me kabaddi khelte waqt baaya hath fracture ho gaya tha jo bahut hi dukhad anubhav tha.
ReplyDeleteSuruwati varsho me sikhi gayi kavitayein ninna hai -
1. Utho lal ab aankhe dho lo
Pani laayi hu mooh dho lo
Biti raat kamal dal fule
Uske upar bhanvare jhule.
2. Chal re matke tammak Tu
Huye bahut din budhiya ek
Chalti thi lathi ko tek
Uske pass bahut tha maal
Jana tha usko sasuraal
Magar raah me cheete sher
Lete the rahi ko gher
Budhiya ne sonchi tarkib
Jisse chamak uthi takdeer
Matka ek mangaya mol
Lamba lamba gol matol
Budhiya usme baithi aap
Wah sasural chali chupchap.
बचपन के दिनों की याद में हम यह बता सकते हैं हम बरसात के दिनों में बरसात का अनुभव करते कई प्रकार के खेल खेलते आपस में लड़ते और मिलते, लोग हमसे नाराज भी रहते और कभी खुश भी रहते और उस दिनों का एक कहानी है।
ReplyDeleteकछुआ और खरगोश खरगोश दोनों में शर्त लगा कि कौन जीतेगा? और दोनों मेला के लिए निकल पड़े और रास्ते में चलते गए अंत में खरगोश अचानक सो गया और कछुआ आगे निकल गई| इस तरह कछुआ जीत गया ।इसमें एक कहानी चूहा और शेर का है जिसमें शेर शिकारी के जाल में फंस जाता हैं और उस जाल को काटकर चूहा शेर को आजाद कर देता है। कविता में "उठो लाल अब आंखें खोलो" हृदय स्पर्शी था| और अटकन-बटकन!
बचपन के दिनों बातें ही कुछ अलग है। बारिश में भीगना ,कंचा खेलना,पित्तुल, क्रिकेट,डंडा पचरंगा, फुगड़ी,आदि खेल खेलना।कविता में उषा की किरण,चल रे मटके टमक टू,कहानी मे कछुआ और खरगोश,अंधा और लंगड़ा आदि शिक्षा प्रद थी। मैडम और सर कि डांटे सब बचपन की यादें स्मरणीय है।
ReplyDeleteबचपन मे बारिश के दिनों में नाव बनाना और पढ़ना चल रे मटके हर पाल सिंह की पांच बाते उठो प्यारे अब आंखे खोलो ये सब बहुत ही अच्छे थे
ReplyDeleteहम बचपन में स्कूल जाते थे हमें डर लगता था फिर धीरे धीरे आदत सी हो गयी।स्कूल में खूब पढ़ते व लिखते थे साथ ही खेलकूद भी करते थे। कविता, कहानी का आनंद भी लेते थे। शरारत करने पर गुरुजी से डाट भी पड़ती थी साथ ही आशीर्वाद भी मिलता था।
ReplyDeleteBachpan k din sabse behtrin din the,n kisi bat ki koi chinta aur n hi koi zimmedariyan...
ReplyDeleteBachpan m kahani sunna sabse acha lgta tha..aur subah jaldi uthna aur jaldi Naha k taiyar hona acha lgta tha,bachpan m jab khel khel m chot lg jati thi to bura lgta tha...
Bachpan m kathal khata kismatwala wali kavita aur bandar aur magarmach ki kahani aaj v yaad h...Jo man ko tarotaza kar deti h
Bachapan bhut majedar tha. Bhut se khel khelte the.jaise kagaj ka nav,lukachhipi, mtti ke khilaune banana etc.
ReplyDeleteबचपन की सभी यादे तो नहीं लेकीन स्कूलसे संबंधीत यादे मुझे याद है l 1 से 7 तक की मेरी शिक्षा मेरे गावं की याने ZP स्कूल मे हुई l पहली कक्षा मे मुझे पढ़ना तो आता था लेकीन गणित solve करना आता नहीं था तो टीचर मेरी चोटी पकडकर मारते थे l
ReplyDeleteथोडी बडी कक्षा मे जाने के बाद हम लोग बाथरुम के लिए जगह जाते थे तब वापस आते समय बडे पत्तो मे छोटे छोटे फूल जमा करते थे और स्कूल के बाजू मे पाणी रहता रहथा था उसमे नांव की तरह छोडते थे l
मेरे बचपन के दिनो की सुखद एवं दुखद स्मृति
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत ही प्यारी होती है उसे हम भूल नही सकते। जब मै पढने पहली बार स्कूल गया तो स्कूल की दीवारो पर बने भारत माता, अशोक चिन्ह और लिखी गई राष्ट्र गान
देख कर मेरा मन प्रसन्न हो उठा। स्कूल मे नये नये
दोस्त बने, जो बिना किसी कारण से क्षण भर मे झगड़ाना और उसी क्षण मिल जाना यह मेरे लिए
सुखद स्मृति है।
दुखद स्मृति:
मै कक्षा तीसरी की पढ़ाई कर रहा था उसी बीच मेरे पिताजी का अचानक देहावसान हो गया, मै अत्याधिक दुखी हुआ और मेरा परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हुआ ।
शुरुआती वर्षो मे सीखी गई कविता
1 उठो लाल, अब ऑखे खोलो ,
पानी लाई हूं, मुंह धोलो ।
बीती रात, कमल दल फूले ,
उनके ऊपर, भवरे झूले ।
चिड़िया चहक उठी पेडो पर ,
बहने लगी हवा अति सुन्दर-----------
2 बडे सबेरे मुर्गा बोला ,
चिड़ियो ने अपना मुंह खोला ।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल लाल सोने का गोला ।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोले दिन निकला भाई ।
मेरे बचपन के दिनो की सुखद एवं दुखद स्मृति
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत ही प्यारी होती है उसे हम भूल नही सकते। जब मै पढने पहली बार स्कूल गया तो स्कूल की दीवारो पर बने भारत माता, अशोक चिन्ह और लिखी गई राष्ट्र गान
देख कर मेरा मन प्रसन्न हो उठा। स्कूल मे नये नये
दोस्त बने, जो बिना किसी कारण से क्षण भर मे झगड़ाना और उसी क्षण मिल जाना यह मेरे लिए
सुखद स्मृति है।
दुखद स्मृति:
मै कक्षा तीसरी की पढ़ाई कर रहा था उसी बीच मेरे पिताजी का अचानक देहावसान हो गया, मै अत्याधिक दुखी हुआ और मेरा परीक्षा परिणाम भी प्रभावित हुआ ।
शुरुआती वर्षो मे सीखी गई कविता
1 उठो लाल, अब ऑखे खोलो ,
पानी लाई हूं, मुंह धोलो ।
बीती रात, कमल दल फूले ,
उनके ऊपर, भवरे झूले ।
चिड़िया चहक उठी पेडो पर ,
बहने लगी हवा अति सुन्दर-----------
2 बडे सबेरे मुर्गा बोला ,
चिड़ियो ने अपना मुंह खोला ।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल लाल सोने का गोला ।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोले दिन निकला भाई ।
बचपन की यादे पानी मे नाव बनाकर खेलना, गिल्ली डंडा, छुपन छुपाई, परि पत्थर, बिल्ला, खो, कबड्डी, फल खाना, जैसे- बेर कुसुम जामुन व स्कूल की कविता तितली रानी तितली रानी, चल रे मटके टमक्क टू कहानी खरगोश और कछुवे की दौड आदि
ReplyDeleteबचपन की यादें सुखद दुखद आज तक याद है बरसात में भीग ना और नाचना, गिल्ली डंडा का खेल खेलना, कबड्डी खेलना, नाला किनारे खड़ेहोकर मछली पकड़ने वालों को ध्यान से देखते रहना, दोस्तों के साथ तालाब में नहाते समय तैरना स्कूल में कविता पढ़ना लाल बुझक्कड़ बूझ के और ना बूझोकोयपैर में चक्की बांध के हिरना कूदा होए , चल रे मटके टम्मक टू आदि।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी होती है बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है प्रमुख कविताएं आज भी याद है जैसे चल रे मटके टम्मक टू दूसरा उठो लाल अब आंखें खोलो इसी तरह कहानी पहला है मगर और बंदर का दूसरा खरगोश और कछुआ का।
ReplyDeleteमा.शा.कुदुर घोड़ा
ReplyDeleteअंबागढ़ चौकी
राजनांदगांव
दुःखद स्मृति-जब मैं स्कूल के डर से छुप जाता था।
सुखद स्मृति-जब हम मेला मंडाई के लिए हम कई दिनों से पैसा इकठ्ठा करते थे।
कविता---
1-यह कदम का पेड़ अगर माँ होरा यमुना तीरे।
2-उठो लाल अब आंखे खोलो पानी लाई हूँ मुँह धोलो।
लक्ष्मीन चन्द्रा ,शा.प्रा.शा.आमापाली
ReplyDeleteजैजैपुर
बड़ी भली है अम्मा मेरी ताजा दुध पिलाती है मीठे मीठे फल ले लेकर मुझको रोज खिलाती है ।
मां खादी की चादर देदे मैं गांधी बन जाऊं
संतो के बीच बैठकर रघुपति राघव गाउ
भले काम मै किया करूँगा
छूट अछुत नही manuga
सबको अपना ही जानूंगा
एक मुझे तू लकड़ी ला दे टेक उसे
बढ़ जाऊ ।
Bachpan me Mai sochata that ki school nahi hone chahiye.kyuki padhai ka watavaran dar se bhatak hua tha.vidyalay me Swatantra avm prasannata ka watavaran nahi tha.aj Mai AK sikhyak k rup me Nirbhay avm khushnuma vatawaran nirmit karake adhyapan karya karata hu
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
बचपन की यादें अनमोल होती है। बचपन में कोई बात की चिंता नहीं होती। बचपन की यादें हमें अपने अतीत के सुनहरे पल के रूप में हमें आनंदित करती है। बचपन की शुरुआती कविताओं में चल रे मटके टम्मक टू हुए बहुत दिन बुढ़िया एक देख चलती थी लाठी को टेक। दूसरा खूब लड़ी मर्दानी हो तो झांसी वाली रानी थी । तीसरा चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं। अनेक कहानियां जैसे अंधा और लंगड़ा की कहानी शेर और चूहा की कहानी खरगोश और कछुए की कहानी यह सब अभी भी याद है । बचपन की पढ़ाई बहुत अच्छी लगती थी।
ReplyDeleteएन एल कुंभकार
ReplyDeleteमाशा कच्छारपारा निराछिंदली
संकुल-एटेकोन्हाडी विखं-केशकाल
जिला-कोण्डागांव छग
बचपन को याद करते ही अनेक खुशनुमा रंग,क्षण और यादें स्मृति पटल पर प्रदर्शित हो जाती है।बचपन के खेल, लड़ना झगड़ना, रूठना मनाना याद आता है। अधिकांश समय मेरा सुखद ही रहा है।
बचपन का एक कविता
एक पीपल के पेड़ पर दो चिड़िया रहती थी।
दोनों आपस में लड़ते लड़ते जमीन पर गिर पड़ी।
उधर से एक बिल्ली आई दोनों को डपट के खा गई।
दूसरी कविता(खेल)
एक साथी के पीछे झुककर कंधों पर दोनों हाथों को,सिर को पीठ में टिका कर चलते थे और कहते थे,,,,
तोर घर मोर घर कहां है,,,,
वहादे,,,,,,,,,
बचपन का वो जमाना आज भी याद है. बरसात में भींगना पानी में कागज की नाव चलाने में बड़ाआता था।शाला मे घंटी बजाना प्रधानाचार्य की बड़ा सा रूल जिसे उस जमाने में सुधार सिंह कहते थे।चांद सूरज. चुरकी मुरकी, चल रे मटके टम्मक टूं,मांखादी की चादर दे दे मैं गांधी बन जाऊँ, उठो लाल आंखें खोलो पानी लाई हूं मुह धोलो,न जाने कितनी सारी कविता कहानी,बचपन की सुखद यादें बहुत ही सुहानी थी।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत ही सुहानी थी याद आती ही नई उमंग आ जाती है बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है। बचपन मे गिल्ली डण्डे , छुपा छुपाई आदि कई खेल खेला करते थे ।
ReplyDeleteबचपन की यादें याद आते ही मन में नई उमंग आ जाती है l बचपन की पढ़ाई, और बचपन में छुपा छुपाई खेलना , गिली डंडा आज भी याद है l
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत ही सुहानी है।बचपन में हम लट्टू पित्तुल,गिल्ली डंडा,कंचे,लुकाछिपी आदि खेल खेलते थे।कक्षा पहली के पाठ बड़े
ReplyDeleteआनंद से पड़ते थे।
उठो लाल अब आंखे खोलो
पानी लाई मुंह धोलो........
We was playing with group of children games like Gilli danda,bilas,sap sidi, etc
ReplyDeleteसत्यनारायण निषाद शिक्षक एल बी पूर्व मा शा lurgikhurd बलरामपुर छ ग।
ReplyDeleteमैं बचपन में बहुत हठी था अपनी बात मनवाने पर ज़ोर देता था। चल रे मटके टम्मक टू कविता बहुत अच्छा लगता था।
Bachpan ke Dino me hum Sabhi saheliya melkar Nadi pahad ,pari pathar ,billas khel karte the. Khelte samay Chor lag Jane se hamari ma hame bahut data aur samghaya Karti thi . Bachapan ke Dino ki kachuve aur khargosh ki daur,chatur khargosh aadi kahani Baar Baar Suna karate the aur aaj Apne baccho KO Sunaya karte h. Saath hi yah kadam ka paed agar ma hota Yamuna ...... Kavita ko Baar Baar doharana Sacha lagata tha.
ReplyDeleteजब मै कक्षा 5 वीं मे था सरजी पुछे कि एक गज मे कितना फुट होता हैं? मुझे पता नहीं था मै 2फीट बता दिया उत्तर गलत था सर जी ने कसकर एक थप्पड़ कस दिया मेरे जीवन मे ये दुखद यादें आज भी हैं। बचपन मे सबसे ज्यादा खुशी तब मिला जब मेरी पालतु बिल्ली तीन -तीन बच्चे दिया।
ReplyDeleteबचपन में हम मिट्टी के खिलौने बनाकर खेल खेलते तथा गुड्डे गुड़िये का विवाह करते।
ReplyDeleteदादी व नानी के पास राजा रानी की कहानी का आनंद लेते थे।बचपन का आनंद ही कुछ औऱ था।बहुत मज़ा आता था।
Anand Das Manikpuri
ReplyDeleteLormi Bithaldah
Anand Das Manikpuri
ReplyDeleteBithaldah Lormi
बचपन के दिन भी क्या गजब की नींद थी बरसात के दिनों में जो पानी में छपाक छपाक करते हुए दौड़ना उछलना गिरना खूब मजा आता था और अब अपने दोस्तों के साथ में छक्का चलाना और रोड में इस तरह के सिद्धार्थ ना उसका अपना एक अलग ही आनंद था वह दिन एक प्रकार से गोल्डन हीरा के जैसा लगता है आज के दिन में जब हम सोचते हैं स्कूलों में जब जाते थे तो कुछ दोस्तों के साथ झगड़े भी हुआ करते थे तो इस प्रकार से कुछ सुखद कुछ दुखद स्मृति आ रही है और उसमें हमारी जो पुरानी कथाएं हैं वो राजा रानी और वह भूत प्रेतों की कहानियां जो दादा-दादी सुनाया करते थे वह काफी आज भी याद है वह कहानियां हमें इसके साथ ही साथ कविताएं जैसे कि रे मटके टम्मक टू और उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धो लो मुझे लगता है कि हम जीवन भर ना भूल पाए
बचपन में हम मिट्टी के खिलौने बनाकर खेल खेलते तथा गुड्डे गुड़िये का विवाह करते।
ReplyDeleteदादी व नानी के पास राजा रानी की कहानी का आनंद लेते थे।बचपन का आनंद ही कुछ औऱ था।बहुत मज़ा आता था।बचपन की शुरुआती कविताओं में चल रे मटके टम्मक टू हुए बहुत दिन बुढ़िया एक देख चलती थी लाठी को टेक। दूसरा खूब लड़ी मर्दानी हो तो झांसी वाली रानी थी । तीसरा चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं। अनेक कहानियां जैसे अंधा और लंगड़ा की कहानी शेर और चूहा की कहानी खरगोश और कछुए की कहानी यह सब अभी भी याद है । बचपन की पढ़ाई बहुत अच्छी लगती थी।
बचपन की यादें बहुत ही सुखद हैं कई यादें ऐसी है जो दिल को छू जाती हैं पर उनमें से एक सुखद याद है स्कूल से वापस लौटते समय सहेलियों के साथ खेलना, बरसात के दिनों में पानी पर छपाक छपाक मारते हुए चलना, फिसल पट्टी पर फिसलना
ReplyDeleteदुखद स्मृति-फिसल पट्टी पर फिसलते फिसलते लेट हो जाना और घर लेट से पहुंचने पर मम्मी का मारना
वैसे तो कई कविताएं याद है पर उनमें से बहुत दिल के करीब एक कविता
"चल रे मटके टम्मक टू"
हुई बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टैक्स उसके पास बहुत था माल जाना था उसे ससुराल मगर राह में चीते शेर लेते थे राही को घेर बुढ़िया ने सोची............. गुड़िया गाती जाती चल रे मटके टम्मक टू
2 "अंधा और लंगड़ा"
एकअंधा था ,एक लंगड़ा था ,दोनों मेले में जाना चाहते थे, अंधे को दिखाई नहीं देती था लंगड़ा चल नहीं सकता था दोनों ने फैसला किया अंधा लंगड़े को कंधे पर बैठा लिया लंगड़ा राह बताते जाता था अंधा चलते जाता था इस प्रकार दोनों मेले में पहुंचकर,बहुत मजा किए
आज ये गतिविधि बचपन को फिर से वापस ले आई,जब पहली बार वर्ण माला को देखकर लिखना एक एक वर्ण का घुमावदार आकार फिर ये सोचना ये सब कैसे याद रखा जाए कि किसके बाद क्या आता है। बचपन का आनंद ही कुछ औऱ था।बहुत मज़ा आता था।
ReplyDeleteबचपन की बहुत सारी प्यारी यादें हैं जिन्हें मैं कभी नहीं भूल सकती पर उनमें से एक यादें साझा कर रही हूं, जब हम आसपास के सभी बच्चे मिलकर रामलीला देखने जाते और अपनी अपनी मां के आने तक बोरी को बिछाकर उनके लिए जगह रखते। बचपन की दो कविता मुझे याद है(1) बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। (2) चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं, चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं।
ReplyDeleteबचपन में बारिश के दिनों में भीगने में मजा आता था कीचड़ में खेलने में मजा आता था नदी पहाड़ रंग-बिरंगे मिट्टी की खिलौने बनाकर खेलते थे स्कूल से घर बारिश में भीगते हुए आने में मजा आता था। गांव की गलियों में बहते हुए बारिश के पानी को रोककर बांध बनाते थे।
ReplyDeleteबचपन के दिन भी क्या गजब थे, मुझे सबसे ज्यादा धान मिजाई के समय कुठार में मस्ती करना व रात में फसल की रखवाली करते छोटे से पैरा का झोपड़ी बनाकर ठण्ड में सोना बहुत ही अच्छा लगता था। बचपन की दो कविताएं मुझे आज भी याद है - चल रे मटके टम्मक टू व वर्षा गीत।
ReplyDeleteबचपन में ,मैं अपने मित्रों के साथ एक-दूसरे से बातचीत करने ,खेलकूलऔर पढ़ाई-लिखाई के बहुत सुखद अनुभव है। बचपन बच्चों के लिए एक स्वगीर्य वातावरण होता है। हमें खेल में गिल्ली-डन्डा, रेस-टीप, पानी-पत्थर में बहुत मजा आता था। कविता-1.मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ तो डर जाती है,बाहर निकालो तो मर जाती है। 2.चलरे मटके टमक-टू । कहानी 1.खरगोश और कछूवा के दौड़, 2.दूधवाला और बन्दर।
ReplyDeleteमैं बचपन में बहुत सारे आउटडोर गेम खेलती थी, जिसमें बहुत मजा आता था। मेरे शिक्षक भी मुझे विभिन्न दायित्व देते थे जैसे प्रार्थना करवाना, बच्चों की कॉपी जांचना, इत्यादि, जिसे करने में मुझे बहुत अच्छा लगता था। मुझे पौधे लगाने का बहुत शौक था और मैं विभिन्न प्रकार के फूल पौधे अपने घर और स्कूल में उग आया करती थी।
ReplyDelete(१) "दिन निकला" -
बड़े सबेरे मुर्गा बोला, चिड़ियों ने अपना मुंह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदाई,
सब बोलो दिन निकला भाई।
(२) "पुष्प की अभिलाषा" -
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं।
चाह नहीं प्रेमी माला में बिंद प्यारी को ललचाऊं।
चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ू भाग्य पर ललचाऊं।
मुझे तोड़ लेना हे वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक।
मेरे जीवन की सबसे सुखद स्मृति मेरे बचपन की है जब मैंने पुस्तक पढ़ना सीख लिया था पुस्तक पढ़ना सीखने का अर्थ केवल पाठ्यपुस्तक पढ़ना नहीं मुझे नई नई कहानियां नई नई कविताएं पढ़ने का अवसर मिलता था l मैं हमारे घर के पास स्थित लाइब्रेरी में जाकर विभिन्न कहानियों की पुस्तकें पढ़ा करता था इन कहानियों को पढ़ने में मुझे अभूतपूर्व आनंद आता था l
ReplyDeleteबचपन में मैंने सबसे पहले जो कहानी पढ़ी और समझी वह कहानी थी खरगोश और कछुआ दोनों की दौड़ में कौन जीता l अगर मैं कविताओं की बात करूं तो मुझे बचपन में सबसे ज्यादा अच्छी कविता पढ़ने में जो लगती थी वह है चल रे मटके टम्मक टू l
सुखद स्मृति-बरसात का आनंद लेना, स्थानीय खेलकूद,दोस्तों के साथ जंगल में घूमना-फिरना,शिकार करना इत्यादि।
ReplyDeleteदुखद स्मृति-कक्षा में शिक्षक द्वारा घुटने टेक कर प्रश्नो के उत्तरों को रटवाना,याद न होने पर दंड देना।
2 कहानी-लालबुझक्कड़ की सूझ,खरगोश और कछुआ
2 कविता- जागो प्यारे
उठो लाल अब आँखे खोलो
पानी लाई हूँ मुँह धोलो।---
चल रे मटके टम्मक टू
AM
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलु के अंतर्गत शैक्षिक भ्रमण कराया जा सकता है,तथा हमारी विरासत,पुरातन धरोहरों,हमारी सभ्यता,तथा हमारा पर्यावरण की जानकारी प्रदान कर छात्रों में इनके प्रति अपनेपन व सम्मान की भावना विकसित कर उनमे कौशलों का विकास किया जा सकता है।तथा सम्बंधित गतिविधियों से उन्हें जोड़ा जा सकता है।
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी होती है बचपन की पढ़ाई आज भी याद आती है तो बहुत अच्छा लगता है प्रमुख कविताएं आज भी याद है जैसे चल रे मटके टम्मक टू दूसरा उठो लाल अब आंखें खोलो इसी तरह कहानी पहला है मगर और बंदर का दूसरा खरगोश और कछुआ का।
ReplyDeleteबचपन की यादें कुछ खट्टी कुछ मीठी आज भी याद है ।माता -पिता से दूर रहकर पढाई करना दुखद था पर हर चिंता से दूर सहेलियों के साथ रहकर पढाई करना अच्छा लगता था ।
ReplyDeleteबचपन में बिताये गये हर पल वापस नहीं आ सकती परन्तु क्या समय था। बरसात के मौसम में पानी में भीग कर सहपाठियो के साथ खेलने में बहुत आनन्द आता था। कान्च की गोली खेलना। रेत व मिट्टी के साथ खिलौने बनाना। बात बात मे सहपाठी के साथ लड़ना फिर मिलना। दादी माँ से कहानी सुनना। बचपन में हम बहुत खुश थे ।
ReplyDeleteबचपन की याद बहुत सुखद होती है बचपन में पढी हुई कविता यह कदंब का पेड़, बडी भली है अममा मेरी, मै गांधी बन जाऊ ,चल रे मटके टममक टूँ,आज भी अपने बच्चों को लोरी के रूप में सुनाती हूँ
ReplyDeleteबचपन बहुत आनंद आया था लेकिन स्कूल जाने में बहुत समस्या थी दूर स्कूल रहते थे
ReplyDeleteबचपन में हम कई प्रकार के खेल खेलते थे जैसे फुगड़ी पानी में नाच ना नदी में जाकर पानी में तैरना तथा विभिन्न प्रकार के खेल खेलते खेलते थे हमें बचपन में अच्छा लगता था बचपन में दादी मां हमें नई नई कहानियां सुनाती थी। बचपन में हम चल रे मटके टम्मक टू अंधा और लंगड़ा कछुआ और खरगोश आदि कहानियों को बहुत ही चाव के साथ पढ़ते थे स्कूल में छुट्टी के समय पहाड़ा पहाड़ा पहाड़ा पढ़ते थे।
ReplyDeleteबचपन में बरसात में भीगनाअच्छा लगता था। साइकिल चलाना सीखते समय बहुत जोर की चोट आई थी। पहली कक्षा की दो कविताएं अभी भी याद है "चल रे मटके टम्मक टू"और बड़ी भली है अम्मा मेरी।
ReplyDeleteबचपन की सभी यादे तो नहीं लेकिन स्कूलसे सम्बधित कुछ यादे मुझे याद है l स्कूल में चिला चिला कर पड़ना, क्यारी बना कर बागवानी करना अच्छा लगता था ।
ReplyDeleteहमारा स्कूल कचा मकान में लगता था।एक बार स्कूल समय में स्कूल का छत टूट कर नीचे गिर कर दीवाल में फस गया।स्कूल में भागदड मच गया।डर से दौड कर काफी बच्चे एक दुसरे के ऊपर गिर कर घायल हुए। गनीमत था कि दीवाल नहीं गिरा नहीं तो कई बच्चे दब जाते। इस घटना को याद कर दुख होता है ।
कविता जो अच्छा लगता है-
1-यह कदम का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे ।
2- मां खादी की चादर दे दे मैं गाँधी बन जाऊँ ।
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
बचपन में ,मैं अपने मित्रों के साथ एक-दूसरे से बातचीत करने ,खेलकूलऔर पढ़ाई-लिखाई के बहुत सुखद अनुभव है। बचपन बच्चों के लिए एक स्वगीर्य वातावरण होता है। हमें खेल में गिल्ली-डन्डा, रेस-टीप, पानी-पत्थर में बहुत मजा आता था। कविता-1.मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है। हाथ लगाओ तो डर जाती है,बाहर निकालो तो मर जाती है। 2.चलरे मटके टमक-टू । कहानी 1.खरगोश और कछूवा के दौड़, 2.दूधवाला और बन्दर।
ReplyDeleteबरसात में हम लोग मछली पकड़ने जाते थे ।सौंधी मिट्टी कि खुशबू अच्छी लगती हैं। बरसात में गरऊला,गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना,कोंट ऊल आदि का खेल खेलते हैं। बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे। बरसात में कभी कभी नहीं नहाना।हाथ पैर धोकर मतलब आधा नहाना। कविता जो हम लोग बहुत गाते थे।नीति के दोहे अमीर खुसरो यूं कहें बुझ पहेली मोरी।धुपो में वह पैदा होने छांव देख मुरझानवे अरी सखी मैं तुमसे पुछूं हवा लगे मरजावे ।एक नार के है दो बालक दोनों एक ही रंग ,एक फिरे एक ठरहा रहे फिर भी दोनों संग।।1.नाव चली भी नाव चली 2.चल थे मटके टम्मक टू। कहानी में 1.लकड़हारे कि कहानी कुल्हाड़ी वाला।2.मेहनत कि कमाई राजा रानी
ReplyDeleteBachpan ki yaadein kahte hi chehre per muskan a jaati hai kyunki Bachpan sabse alag aur sabse anutha hota hai mujhe Mary school life ki sabhi baten bahut acche se yaden bachpan ki kahani book Kavita jo bhi mummy madam ne sikhaya mujhe sab kuchh yad hai ghar ki bhi bahut si chij hai yad hai Magar school ki bahut jyada acche se aage kyunki hamari madam itni acchi dekhni pyari thi aur bahut acche se pyar karti thi school mein private school me padhaai ki hai jaha admission jaldi ho jata hai aur us samay jo pyaar hume hamare teacher se mila wo awismarniye haiisliye wo hamare jeevan ka best saal hai aur use yaad karna achcha lagta tha
ReplyDeleteSmt. Sushma Patel
ReplyDeleteएक सुखद अनुभूति बचपन में गुदगुदाने वाली, निश्चल भाव से जीवन जीना,आनंद देने वालीऔर छोटी छोटी मांगे पूरी होने पर जो आनंद महसूस होता था । वहअनोखा था। गीत,कविता,कहानी से मां का प्यार, दादी नानी की कहानियां आनंदित कर देती थी।
एक दुखद स्मृति अपनी मांग पूरी नहीं होने पर थोड़ी देर के लिए रूठ जाना, पर अब वह भी सुखद स्मृति दिलाती है माता पिता की डांट फटकार आज आशीर्वाद और मार्गदर्शन का कार्य करती है।
सुखद स्मृति- बचपन की उन दिनों जब स्कूल मेंं पढने के अलावा हमारे शिक्षक कृषि कार्यों को एक किसान किस प्रकार करता हैं कि जानकारी देने गतिविधि स्वरूप खेत ले गये थे।
ReplyDeleteदुखद स्मृति- दिपावली मेंं पटाखे जलाते समय हाथ का जल जाना।
शुरूआती वर्षों की दो कविता/कहानी
1.अंधा और लंँगड़ा-एक अंधा था एक लँगड़ा था।गंगा राम अंधा था। बंशी लँगडा था। दोनोंं मेले मेंं जाना चाहते थे। गंगा राम देख नहीं सकता था। बंशी चल नहीं सकता था। लँगड़ा अंधे के कंधे पर बैठा।लँगड़ा राह बताता था।अंधा चलता था।मेले मे पहुँँचकर दोनों खुब हँसे हःहःहः।
2.दिन निकला-
बड़े सबेरे मुरगा बोला,
चिड़ियों ने अपना मुँह खोला।
आसमान पर लगा चमकने,
लाल-लाल सोने का गोला।
ठंडी हवा बही सुखदायी,
सब बोले दिन निकला भाई
बचपन की यादें असीमित है बारिश में नाव बनाकर पानी मे छोड़ देते थे और उसे दूर जाते देखकर खुश होते थे गुडिया की शादी करते थे पिकनिक में खुद स्नैक्स बनाते थे बड़े बेफिक्री वाले दिन थे कोई चिंता नही
ReplyDeletebachpan me dosto ke sath khelna, masti Karna talab me tairna bahut hi sukhad yade hai,
ReplyDeleteबचपन में दोस्तों के साथ खेलना याद करके बहुत सुकून मिलता है
ReplyDeleteबचपन मे जब स्कूल जाते थे स्कूल जुलाई में शुरू होता था, और उसी समय बरसात भी रहती है ,जब स्कूल से छुट्टी के बाद तुरंत घर के लिए भागते ,मुझे एक समय का याद है बरसात हो रही थी कक्षा कक्ष में टिप टिप पानी टपक रहा था गुरुजी ने छुट्टी दे दी जैसे ही छुट्टी मिला बिना देर किए झटपट भागे बाहर बरसात भी हो रही थी दौड़ते दौड़ते घर पहुचे तो ,,कपड़ा पीछे से पूरा सिर तक कीचड़ ही कीचड़ हो गया था । फिर भी उसके परवाह किये बगैर रोज दौड़ना मजा आता था।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत सुखद खट्टी मीठी रही क्योंकि उस समय हमें किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता था और हम स्वच्छंद रूप से खेलते थे पढते थे हर प्रकार के खेल खेलते थे।
ReplyDeleteबचपन की याद करने से ही मन मे एक सुखद अनुभूति होने लगती है।उन गुजर्र हुए पलो की स्कूल के दिन, शरारत, व मस्ती ।स्कूल की वह कविता आज भी याद है।बड़ी भली है अम्माँ मेरी ताजा दूध पिलाती है।मैं गांधी बन जौऊ ।आजा ल मामा जैसी कविता प्यास कौआ, बंदर और मगर की कहानी आज भी याद है।
ReplyDeleteहम जब बच्चों को खेलते हुवे देखते है। तो जाहिर सी बात है हमें भी अपने बच्च्पन के दिन याद आ जाते है। उसी क्रम में मेरे सुखद पल जब शिक्षक हमे अच्छे काम की बधाई देते तो बहुत ख़ुशी होती और जब सबके सामने हमारे गलतियों पर डॉटते तो थोडा दुःख होता पर बाद में पछतावा हो की हम गलत थे। बचपन में दादा दादी के बताये कहानी बहुत अच्छे लगते। और कविताये भी सेर भालू की कहानी।
ReplyDeleteसुखद स्मृतियां- बरसात में भीगना, मछलियां पकड़ना,नाली में कागज के नाव छोड़ना,कंचे, गिल्ली-डंडा,छू-छूअउला आदि खेल खेलना गिरी मिट्टी से खिलौने बनाना,रेत से घर बनाना, पेड़ों से आम-अमरुद,जामुन,बेर आदि फल तोड़ना, शादी व त्योंहारों के समय नये कपड़े मिलना, दीपावली के समय फुलझड़ी जलाना एवं पटाखे फोड़ना, दादीजी से कहानी सुनना,
ReplyDeleteमेले घूमना, खिलौने पाना इत्यादि।
दुखद स्मृतियां-
बरसात में भीगने के बाद मम्मी-पापा का डांट पड़ना, सर्दी बुखार आ जाना, खेलते समय चोट लग जाना ,साइकिल चलाते समय गिर जाना, आपस मैं झगड़ा हो जाना इत्यादि।
एक कहानी
एक अंधा था, एक लंगड़ा था। दोनों पक्के मित्र थे। वे मेला देखने जाना चाहते थे। लंगड़ा अंधे के कंधे पर बैठा और दोनों मेला देखने निकल पड़े।लंगड़ा रास्ता बताते जाता और अंधा चलते जाता था।दोनों मेले पहुंच गए।मेले में पहुंचकर दोनों खूब हसे।hahahah...
एक कविता
मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जाएगी,
बाहर निकालो मर जाएगी।
सुखद स्मृति में- बचपन में घर के समान को लेकर बाहर पिकनिक मनाने जाना ,
ReplyDeleteनदी में घंटो नहाना आदि शामिल हैं।
मुझे याद है 4-5 साल का था ..तब हमारे मामाजी हमारे घर आये और जाते समय हम दोनो भाईयों के लिए एक रुपये का नोट देते हुए बोले यह दोनो भाई बराबर -बराबर बाट लेना ।मैं बहुंत खुश हुआ और उस एक रुपये वाली नोट को दो टुकडो में बांटकर आधा हिस्सा बड़े भाई को दिया वह उम्र में मुझसे बड़ा था तो मेरा भाई बोल अब यह रुपया नहीं चलेगा अब इससे कुछ नहीं मिलने वाला तब मुझे दुख हुआ ...बालपन का यह याद मुझे आज भी है।
ReplyDeleteहम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले
२- चलरे मटके टम्मक टू
हुये बहुत दिन बुढिया एक
चलती थी लाढी को टेक
उसके पास बहुुुत था माल
जाना था उसको ससुराल
हम अपने बचपन की यादों को हमेशा याद करते हैं । बचपन का जीवन बड़ा ही सुनहरा होता है ।बचपन की स्मृतियाँ जीवन पर्यन्त तक बना रहता है । जन्म से लेकर मृत्यु तक सोलह संस्कार बताया गया है । पाँच वर्ष की आयु तक बुद्धि का 90% विकास हो जाता है । शिक्षा जीवन का आधार है । अपने माता -पिता एवं अपने सभी शिक्षकों को सादर प्रणाम करता हूँ ।
ReplyDeleteमेरे बचपन की एक बहुत ही सुखद घटना यह है कि हमारे घर में बिजली ना होने की वजह से हम अपनी नानी के साथ सड़क किनारे लगे खंबे की लाइट में पढ़ाई करने जाते थे और वही तरह तरह के खेल भी खेला करते थे वह आज भी मैं भूल नहीं पाती
ReplyDeleteएक बार हम अपने गाय के बछड़े को उसकी मां के द्वारा दूध ना पिलाने की वजह से बोतल में दूध भरकर पिलाया करते थे लेकिन स्कूल से 1 दिन लौटने पर पता चला कि बाहर निकलने पर उसे कुत्तों ने काट लिया जिससे वह मर गई हम सभी बहने बहुत रोए यह एक दुखद घटना थी
बचपन की कविताओं में एक ही कविता है (मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है हाथ लगाओ डर जाती है बाहर निकालो मर जाती है l)
बचपन की यादें बहुत ही सुहानी है , वो सुनहरे पल - नानी से कहानी सुनना, स्कूल में कविताएं , कहानियां पढ़ना व सुनना जैसे - मछली जल की रानी है, चल रे मटके टम्मक टू ,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी , चुरकी - मुरकी की कहानी , कछुआ खरगोश की कहानी इत्यादि तथा खेल खेलना लुकाछिपी, बिल्लस, गिल्ली डंडा इत्यादि विभिन्न खेल खेलने में बहुत आनंद आता था ।
ReplyDeleteएक बार जब मैं कक्षा 5 में थी तब रिजल्ट मिलने वाले दिन सभी बच्चों के द्वारा पहले कुछ ना कुछ मिट्टी के खिलौने बनाकर स्कूल ले जाया जाता था । मैं भी मिट्टी के खिलौने बनाकर स्कूल ले गई थी, जिसे मेरी सहेली के द्वारा तोड़ दिया गया , यह देखकर मुझे बहुत दुख हुआ और मैं रोने लगी । इस प्रकार बचपन के वो पल आज भी आनंदित करते हैं।
सुखद स्मृति-रिक्शा में बैठकर मस्ती करते हुए school जाना, नदी पहाड़, परी पत्थर, घोड़ा बादामखाई का खेल।
ReplyDeleteदुःखद स्मृति-बारिश में ड्रेस, बैग का गीला होना मम्मी से डाट खाना
कविता-चल रे मटके छम्मक टू,एक बहुत था लोभी भाई जिसकी जादा थी न कमाई----
कहानी-प्यासा कौआ, खरगोश और कछुए की कहानी।
बचपन के दिन सुहाना होते हैं हम लोग के समय स्कूल का दबाव काफी रहता था ज्यादातर पढ़ाई लिखाई स्कूलों में होते थे उस समय साधन का अभाव था सभी समस्याओं का निराकरण के लिए शिक्षकों पर निर्भर था सीखना सिखाना स्कूल ही था अपने समय में अधिकांश बच्चों को हिंदी की कविता औऱ पहाड़ा जबानी याद होता था तथा व्यवहार गणित पर कई तरह का गतिविधियों में खूब आनंद आता था
ReplyDeleteKu.Nazima Begum
ReplyDeleteबचपन की यादे बहुत ही सुखद यांदे हैं। जैसे सहेलियों के साथ खेलना, बारिश में भीगना, घूमना, पिकनिक में जाना आदि ।
बचपन की कविता_बड़ी भली है अम्ममा मेरी ताजा दूध पिलाती है.............
मां खादी की चादर दे दे.......... आदि ।
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उसे हम हमेशा याद करते हैं। जब मेरा विदयालय मे नामांकन हुआ वो मेरे बचपन की सुखद अनुभूति है और एक दिन अपने गृृृृृृृहकार्य को न करने के कारण शिक्षक से डांंट खानी पडी वह दुखद अनुभूति रही।
ReplyDeleteबचपन मे पढी कविताएंं हैं-
१- उठो लाल, अब आंखे खोलो,
पानी लायी हूूॅ मुंह धोलो.
बीती रात कमल दल फूले,
उसके उपर भंवरे झूूूूले॥
२- चलरे मटके टम्मक टू,
हुये बहुत दिन बुढिया एक.
चलती थी लाठी को टेक,
उसके पास बहुुुत था माल,
जाना था उसको ससुराल
P. D. LAHARE, M. S. NETAMTOLA बचपन की बातें बड़ी सुखद होती है, हम गांव से 5कि. मी. की दुरी तय करके जी. ई. रोड से शाला जाते थे । समय से पूर्व घर से निकल कर खेलते -कूदते स्कूल जाना ये यादें बहुत अच्छा लगता है । कविता :-लाल बुझक्कड़ बुझ के, चल रे मटके टम्मक टू, पुष्पा की अभिलाषा, आदि ।
ReplyDeleteबचपन के दिनों में मेरी माँ के द्वारा कहानियां सुनाना, वर्नणमाला.सिखाना घर पर ही बैठकर सिखाया गया बचपन की यादें कुछ खास होती हैं जैसे पानी में भीगना, कागज की नाव बनाकर पानी में चलाना, नदी-तालाब में तैरना, मेला घूमना, बेट-मिंटन खेलना। दुखद अनुभव. स्कूल का ग़हकार्य न.होने पर. शिक्षक की डांट खाना एवं मार खाना उसके बाद घर पर अभिभावक का डांट खाना, साथियों से लड़ना-झगड़ना फिर दोस्ती हो जाना, बचपन के दिन में किसी से. किसी प़कार का.चिंता फिक़.नहीं होती हैं मन स्वछंद घूमता है आदि।
ReplyDeleteबचपन की यादें बहुत सुनहानी होती है,साथ में खेलना पढ़ना बड़ा अच्छा लगता हैं,शेर व चूहे की कहानी,लाल बुझक्कड़ , मुर्गा बोला, अंधे लंगड़े की कहानी बहुत अच्छा लगता है
ReplyDeleteBachpan ki yade kabhi bhuli nahi ja sakti. Dosto ke sath khelna, padna-likhna kitna sukhad hota hai. Tabiyat kharab hone ke Karen school nahi ja pane ke Karen bahut bura lagta tha.
ReplyDeleteStory-1)Chuha aur sher ki kahani
2)Andhe aur langde ki kahani
Poem-1)utho lal ab aankhe kholo
2)chal re matke tammak tu
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ReplyDeleteबचपन के दिनों में अपने मित्रों के साथ खेल कूद और पढ़ाई का अनुभव बहुत सुखद एवं चिरस्थाई है इस समय बच्चों के लिए एक सुखद व स्वीकार्य वातावरण होता है बचपन में मित्रों के साथ तालाबों में तैरना, डंडा पचरंगा ,कबड्डी, हॉकी खेलना एवं अमरैया से आम तोड़ना बहुत आनंददायक है ;बचपन में हमारे मां के द्वारा चुरकी मुरकी की कहानी आज भी जीवन के लिए प्रेरणास्पद है, इसी प्रकार दोस्तों के साथ मिलकर स्वर रसखान कवि की पद्य आज गई भोर भई एवं यह कदम का पेड़ कविता कविता आज भी मन को प्रफुल्लित करता है;/
ReplyDeleteबरसात में गरऊला,गिल्ली डंडा, डंडा घिसलाना,कोंट ऊल आदि का खेल खेलते हैं। बरसात के अनुभव बहुत अच्छा लगता है भीगने में मज़ा आता है। परेशानी भी हुआ स्कूल जाते समय फिसल के गिर जाना गाड़ी आने जाने वालों का गड्डे में जाने से कपड़ा गंदा होने पर गीले कपड़े में शाम तक रहना, ठंडी होने से सर्दी,खांसी,बुखार होना।गर्म पानी पीना गर्म पानी से नहाना मूंगफली,बदाम तिल ,सोंठ का लड्डू खाना । खांसी होने पर भूंजकर हल्ला,बैहरा खाना बहुत याद आता है पैरा का बिस्तर में सोते थे। बरसात में कभी कभी नहीं नहाना।हाथ पैर धोकर मतलब आधा नहाना। कविता जो हम लोग बहुत गाते थे।नीति के दोहे अमीर खुसरो यूं कहें बुझ पहेली मोरी।धुपो में वह पैदा होने छांव देख मुरझानवे अरी सखी मैं तुमसे पुछूं हवा लगे मरजावे ।एक नार के है दो बालक दोनों एक ही रंग ,एक फिरे एक ठरहा रहे फिर भी दोनों संग।।1.नाव चली भी नाव चली 2.चल थे मटके टम्मक टू। कहानी में 1.लकड़हारे कि कहानी कुल्हाड़ी वाला।2.मेहनत कि कमाई राजा रानी वाला
ReplyDeleteहर किसी के बचपन की बहुत सी यादें सुखद ही होती है मेरे बचपन की सुखद यादें हैं-बरसात के पानी में भीगना, सहेलियों के साथ सांप सीढ़ी, गिल्ली डंडा, नदी पहाड़, गोबर डंडा,बिल्ला,त्रिपासा, छिपा छाई खेलना। पिकनिक मनाना,स्कूल जाना,मेला घूमना,चकरी झूला झूलना।
ReplyDeleteदुखद स्मृति-ज्यादा देर तक खेलने पर मम्मी की डांट,कभी कभार होमवर्क न करने पर टीचर की डांट, 🏫 में कापी पेन गुम जाने पर।
शुरूआती वर्षों में सीखी गई दो कहानियां-
1.खरगोश और कछुए की दौड़ वाली कहानी
2.अंधे और लंगडे की मेले में जाने की कहानी
कविताएं-
1.चल रे मटके टमक टू ,हुए बहुत दिन बुढ़िया एक ,चलती थी लाठी को टेक ,उसके पास बहुत था माल,जाना था उसको ससुराल,मगर राह में चीते 🦁 लेते थे राही को घेर, बुढ़िया ने सोची तरकीब,चमक उठी उसकी तकदीर,मटका एक मंगाया गोल,लंबा लंबा गोल मटोल, उसमें बैठी बुढ़िया आप ,चली ससुराल चुपचाप, बुढ़िया गाती जाती यूं ,चलरे मटके टमक टू।
2.उठो लाल अब आंखें खोलो पानी लाई मुंह धोलो,बीती रात कमल दल फूले उनके ऊपर भौंरे झूले।