मॉड्यूल 4
गतिविधि 2: जेंडर का
मीडिया चित्रण का विश्लेषण
एक
ऐसे
विज्ञापन
के
बारे
में
सोचें
जो
जेंडर
संबंधी
रूढ़ियों
को
मजबूत
करता
है
और
एक
अन्य
विज्ञापन
जो
जेंडर
के
अनुकूल
है।
आप
विज्ञापन
वीडियो
के
लिंक
को
कॉपी
और
पेस्ट
कर
सकते
हैं।
चिंतन
के
लिए
कुछ
समय
लें
और
कमेंट
बॉक्स
में
अपनी
टिप्पणी
दर्ज
करें
।
ek ye vigyapan hai jisme mahilao ki ichchhashakti ko pradarshit kiya gaya hai.
ReplyDeletehttps://youtu.be/v2FviMZkX5s
Aur dusra ye jisme bachche ko uski maa sanrakshan de rahi hai. https://youtu.be/BpGEeL4la1U
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Deleteसौंदर्य प्रसाधन से संबंधित विज्ञापन जो जेडर संबंधी रूढ़ि वाद को बढ़ाने काम करता है
Deletehttps://youtu.be/l7kBGmkaOGA ,,😍👍
Deleteकिसी भी क्षेत्र में समानता हो
टीवी में किंडर जॉय का एक विज्ञापन आता है जिसमें मां बच्चों को बड़ों से आशीर्वाद लेने के लिए कहती है इसमें इससे बच्चों में अपने से बड़ों का आदर करने का संस्कार मिलता है
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय के लिये लिंगभेद करना उचित नही है किन्तु हम िलिंगभेद को बढावा न दे इसलिये इसकी शुरूवात हमे स्कूल शिक्षा से करनी होगी स्कूल वह स्थान है जहॉ हम छात्र छात्राओं से सीधे सम्पर्क मे रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से उपर उठकर कार्य करना चाहिये तभी हम अपनी भावी पीढी का नव िनिर्माण कर सकेगें और हमें सभी को उन्नति के िलिये पर्याप्त अवसन प्रदान करना चाहिये
ReplyDeleteटी.व्ही. मे सौंदर्य प्रसाधनों के विज्ञापनों पर केवल महिलाओं को ही दिखाया जाता है जो कि उचित नहीं है क्योंकि इससे महिला को सजने संवरने तक ही सीमित कर देता है ।
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteसन्तोष टोप्पो Diwanpur : -
ReplyDeleteविज्ञापनों में प्रायः लिखा मिलता है कि यह (........) केवल पुरुषों के लिए है या केवल महिला उम्मीदवार ही पात्र हैं ।
मीडिया में इस प्रकार जेंडर भिन्नता को बढ़ावा मिलती है ।
विद्यालय में जेंडर समावेशन की अवधारणा महत्वपूर्ण है ।
Advertise me saundaryata sambandhit vigyapan mahila ke liye hota hai.Jiske Karan gender bhedbhau hota hai.
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेद भाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteकोई भी संस्था हो किसी भी प्रकार से जेंडर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteसभी विज्ञापनों में केवल महिला या पुरुष ही दिखाई देते है पर थर्ड जेंडर को कहीं स्थान नहीं दिया जाता।यह थर्ड जेंडर के प्रति अन्याय है।वे भी हमारे समाज के अभिन्न अंग है।अतः सभी क्षेत्रों में हम लोगों का दृष्टि कोण समान होना चाहिए।
ReplyDeleteटीवी पर kinder joy का विग्यापन आता है जिसमें boy&girl के लिए अलग-अलग डिब्बा होता है और खिलौने भी अलग होते हैं।
ReplyDeleteजेंडर ईशु पर मीडिया को सेन्सर के दायरे में लाना चाहिए।
ReplyDeleteJender se bhed bhaw nahi hona chahiye
ReplyDeleteजेंडर भेद के आधार पर महिलाओं को पुरूषों से कमतर मानना सभ्य समाज में उचित नहीं कहा जा सकता है।
ReplyDeleteबालक और बालिका में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए हालांकि यह जैविक रूप से भिन्न तो होते हैं परंतु हमें सामाजिक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर इनके साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक यानी कि जेंडर आसमानता नहीं होनी चाहिए और इसकी शुरुआत हमें विद्यालयों से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए ताकि आने वाली जो नई पीढ़ी है उसमें इस जेंडर समानता को पूरी तरीके से खत्म किया जा सके
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय के लिए लिंग भेद करना उचित नहीं है किंतु हम लिंग भेद को बढ़ावा न दे इसलिए इसकी शुरुआत हमें अपनी विद्यालय से करने होँगे।लिंग भेद को दूर करते हुए बालक बालिकाओं को समान अवसर देने होंगे।
ReplyDeleteटी वी के विज्ञापन मे महिलाओं को दिखाया जाता है जिसमें उनकी भावनाओं का चित्रण किया जाता है। (विनोद साहू)
ReplyDeleteसभी संस्थाओं में लिंग भेद दूर करते हुए महिला व पुरुषों को समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteसभी संस्थाओं में लिंग भेद दूर करते हुए महिला व पुरुषों को समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteसभी संस्थाओं में लिंग भेद दूर करते हुए महिला व पुरुषों को समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय के लिए लिंग भेद करना उचित नहीं है किंतु हम लिंग भेद को बढ़ावा न दे इसलिए इसकी शुरुआत हमें अपनी विद्यालय से करने होँगे।लिंग भेद को दूर करते हुए बालक बालिकाओं को समान अवसर देने होंगे।
ReplyDeleteफिल्म के गाने महिलाओ के नाम पर नही होना चाहिए।LAVKUSH PATEL
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।(kk siware)
ReplyDeleteयह विज्ञापन जेंडर के अनुकूल है।
ReplyDeletehttps://youtu.be/9OEf5IYsRi8
किसी भी व्यवसाय के लिये लिंगभेद करना उचित नही है किन्तु हम िलिंगभेद को बढावा न दे इसलिये इसकी शुरूवात हमे स्कूल शिक्षा से करनी होगी स्कूल वह स्थान है जहॉ हम छात्र छात्राओं से सीधे सम्पर्क मे रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से उपर उठकर कार्य करना चाहिये तभी हम अपनी भावी पीढी का नव िनिर्माण कर सकेगें और हमें सभी को उन्नति के िलिये पर्याप्त अवसन प्रदान करना चाहिये
ReplyDeleteबचपन से ही हम हमारे परिवारिक परिवेश में ही जेंडर असमानता प्रारंभ कर देते हैं।(जैसे:-रहन-सहन,खान-पान,पहनावा-ओढावा, खेल-कूद इत्यादि)हमें इस प्रकार से भेदभाव बिल्कुल नहीं करना चाहिए।बच्चों को हर जगह समान भाव से देखना चाहिए और स्थान व महत्व देना चाहिए।चाहे वो घर हो,स्कूल हो,बाजार हो,समाज हो इत्यादि।
ReplyDeleteसभी जगह हम समभाव रूप से सभी को महत्व दे,अवसर प्रदान करें तो निश्चित रूप से हम सभी का सर्वांगीण विकास अवश्य संभावी हैं।
https://youtu.be/y4QxRV4pMcI
ReplyDeleteयह विज्ञापन जेंडर संबंधी रूढ़ियों को बढ़ावा देता है।
https://youtu.be/nC0Cl03fAOQ
ReplyDeleteकोई भी संस्था हो जेंडर भेदभाव नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteHme ling bhed dur krke hi mahilao v purusho ki sarvangin vikas kr skte h .dono me bhed Krna uchit nhi h .
ReplyDeleteमनोरंजन की दुनिया में कोई भी ऐसा विज्ञापन नहीं है जहां पर महिला को नहीं दिखाया जाता है यह महिला के महत्व पर भी आधारित है और महिला के शोषण पर भी आधारित है
ReplyDeleteसभी विज्ञापनों में केवल महिला या पुरुष ही दिखाई देते है पर थर्ड जेंडर को कहीं स्थान नहीं दिया जाता।यह थर्ड जेंडर के प्रति अन्याय है।वे भी हमारे समाज के अभिन्न अंग है।अतः सभी क्षेत्रों में हम लोगों का दृष्टि कोण समान होना चाहिए।बचपन से ही हम हमारे परिवारिक परिवेश में ही जेंडर असमानता प्रारंभ कर देते हैं।(जैसे:-रहन-सहन,खान-पान,पहनावा-ओढावा, खेल-कूद इत्यादि)हमें इस प्रकार से भेदभाव बिल्कुल नहीं करना चाहिए।बच्चों को हर जगह समान भाव से देखना चाहिए और स्थान व महत्व देना चाहिए।चाहे वो घर हो,स्कूल हो,बाजार हो,समाज हो इत्यादि।
ReplyDeleteसभी जगह हम समभाव रूप से सभी को महत्व दे,अवसर प्रदान करें तो निश्चित रूप से हम सभी का सर्वांगीण विकास अवश्य संभावी हैं।
सभी विज्ञापनों में केवल महिला या पुरुष ही दिखाई देते है पर थर्ड जेंडर को कहीं स्थान नहीं दिया जाता।यह थर्ड जेंडर के प्रति अन्याय है।वे भी हमारे समाज के अभिन्न अंग है।अतः सभी क्षेत्रों में हम लोगों का दृष्टि कोण समान होना चाहिए।बचपन से ही हम हमारे परिवारिक परिवेश में ही जेंडर असमानता प्रारंभ कर देते हैं।(जैसे:-रहन-सहन,खान-पान,पहनावा-ओढावा, खेल-कूद इत्यादि)हमें इस प्रकार से भेदभाव बिल्कुल नहीं करना चाहिए।बच्चों को हर जगह समान भाव से देखना चाहिए और स्थान व महत्व देना चाहिए।चाहे वो घर हो,स्कूल हो,बाजार हो,समाज हो इत्यादि।
ReplyDeleteसभी जगह हम समभाव रूप से सभी को महत्व दे,अवसर प्रदान करें तो निश्चित रूप से हम सभी का सर्वांगीण विकास अवश्य संभावी हैं।
रूढ़िवादी जेंडर जैसे झाड़ू लगाना, घुड़सवारी करना , पोशाक पहनना आदि।
ReplyDeleteवास्तविक जेंडर जैसे महिला सैनिक की भर्ती, शिक्षिका की भर्ती, नर्स की भर्ती आदि।
Sab ko saman samjhana chahiye
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteकोई भी विज्ञापन हो उसमें लिंग सम्बन्धी भेदभाव नहीं करना चाहिए।
Deleteहार्पिक बाथरूम क्लीनर के विज्ञापन में महिलाओं को बाथरूम के क्लिनिंग के बारे में पूछा जाता है और हार्पिक बाथरूम क्लीनर अपनाने को कहा जाता है जो लिंग भेद को बढ़ावा देती है, नर्सो की ट्रेनिंग या विज्ञापन में भी महिलाओं के लिए निकलता है वहीं पर बीमा पॉलिसी की विज्ञापन महिला एवं पुरूष दोनों के लिए दिखाते हैं.
ReplyDeleteफाॅग नामक परफ्यूम के विज्ञापन में लड़कों के द्वारा परफ्यूम लगाए जाने पर परफ्यूम के गंध से लडकियों को आकर्षित होते हुए दिखाया जाता है। अर्थात् हमारे देश की लडकियाँ एक परफ्यूम की गंध पर ही अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हो जाती हैं ऐसा दिखाया जाता है। और एक विज्ञापन बोर्नविटा का दिखाया जाता है जिसमें एक माँ के द्वारा अपने बच्चे एक अच्छा धावक बनाने के लिए परिश्रम करते हुए दिखाया जाता है। यह विज्ञापन महिला सशक्तिकरण का द्योतक है।
ReplyDeleteविज्ञापन में प्रायः महिलाओं को दिखाया जाता है , जो महिला के संबंध में रुढ़िवादी विचारों को बढ़ावा देती है।
ReplyDeleteआज जो शासन व्यवस्था में 50 % का जो आरक्षण किया गया है,वह उसकी सबलता को दिखाता है।
पुरूषों के लिए बॉडी बिल्डींग हेतु पेय पदार्थों का विज्ञापन एवं महिलाओं के लिए केश किंग या सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों का विज्ञापन भी लैंगिक भेदभाव को बढ़ाती है वहीं शिक्षकों के भर्ती संबंधी विज्ञापन में लैंगिक भेदभाव नहीं होता है.
ReplyDeleteसमाज व राष्ट्र के विकास के लिए लङके, लङकियो एवं ट्रान्सजेन्डर समूह के अन्तर को मिटाने व सभी वर्ग मे समानता लाने के मार्ग मे हम सबको प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteस्कूली शिक्षा हो या समाज किसी भी तरह से जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
ReplyDeleteMahila Purus me bhed bhaw nahi hona chiye
ReplyDeleteGender mein bhedbhav nahi hona chahiye
ReplyDeleteकिसी भी कार्य हो स्थान हो कहीं भी जेंडर भेदभाव नहीं होना चाहिए दोनों समान रूप से मैं देखना चाहिए
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव हमारी रूढ़िवादी कट्टरता का प्रतीक है। वर्तमान परिदृश्य में जेंडर भेदभाव के लिए कोई स्थान नही होना चाहिए।
ReplyDeleteटी वी में विभिन्न प्रकार के विज्ञापन लिंग भेद तथा लैंगिक समानता पर भी दिखाया जाता है जैसे किसी खास उत्पाद को महिलाओं के लिए तथा कुछ को पुरुषों के लिए जैसे फेयर एंड लवली कास्मेटिक सामग्री साबून आदि इसी प्रकार समानता के संदर्भ में दोनों को समान कार्य छमता के रुप में प्रस्तुत किया जाता है जैसे कोई इंस्टंट या शारिरिक गतिविधियों का विज्ञापन दवाइयों या खाने पीने के चीजों का विज्ञापन
ReplyDeleteकोई भी विभाग या सन्था हो जेंडर से भेदभाव नही होना चाहिए।।
ReplyDeleteसमाज और राष्ट्र निर्माण में यह आवश्यक है कि लडके व लड़कियों में हर क्षेत्र में बराबर का भागीदारी सुनिश्चित करना चाहिए। चाहे वो शिक्षा के क्षेत्र हो चाहे खेल का क्षेत्र हो।अत: लिंग भेद नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteहमारे संविधान मे महिला और पुरूषों को समानता का अधिकार प्राप्त है, जिसके तहत बालक और बालिकाओं में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करनी चाहिए। इसकी शुरुआत हमें परिवार से करनी चाहिए। जेंडर संबंधित शिक्षा हमें विद्यालय से देनी चाहिए। जन्म से ही लडके और लड़कियों में जैविक अंतर होता है, । परिवार , विज्ञापन, विद्यालय के माध्यम से समाज में जेंडर भेदभाव दूर करनी चाहिए ताकि एक भावी पीढ़ी एवम् समाज का निर्माण हो सके।
ReplyDeleteसमाज में जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए । बालक हो या बालिका हो या थर्ड जेंडर हो सभी k साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
ReplyDeleteHme jender bhedbhav se uper uthker school o me karya krna chahiye
ReplyDeleteसमाज में जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए । बालक हो या बालिका हो या थर्ड जेंडर हो सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
ReplyDeleteKoi bhi sanstha ya vibhag ho gender se bhedbhav nhi hona chahiye
ReplyDeleteलिंग भेद वर्तमान परिदृश्य में अस्वीकार्य है ।सभी को पता है कि सरल से कठिन कार्य महिला और पुरुष कर सकते है अतः छोटी छोटी शालेय गतिविधि भी लिंग भेद किए की जानी चाहिए
ReplyDeleteघर हो या परिवार में जेण्डर का भेदभाव नहीं करना चाहिए।चाहे लड़का हो या फिर लड़की दोनों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
ReplyDeleteKoi bhi sanstha ya vibhag ho gender se bhedbhav nhi hona chahiye
ReplyDeleteमुझे लगता है कि विज्ञापन केवल भेदभाव करके ही अपने प्रोडक्ट को बेचने का जरिया है,क्योंकि जहाँ एक ओर महिलाओं को सौंदर्य प्रसाधन के लिए ललचायी हुई दिखाया जाता है वही दूसरी ऒर पुरुषों को केवल खाने-पीने और मौज-मस्ती करने वाले लोगों की तरह दिखाया जाता है।इससे लोगों को पुरुष एवं महिलाओं के प्रति गलत धारणा बनाने का अवसर मिल जाता है।इसलिए विज्ञापन बनाने वाले कंपनी को चाहिए कि पुरुष एवं महिलाओं के अच्छे सामाजिक,राजनीतिक, सांस्कृतिक,खेलकूद आदि गतिविधियों को उजागर करते हुए विज्ञापन में जगह देना चाहिए।
ReplyDeleteदिलीप कुमार वर्मा
सहायक शिक्षक(L.B.)
शा.प्रा.शा.सुन्द्रावन
वि.ख.-पलारी
जिला-बलौदाबाजार(छ.ग.)
सामाजिक अथवा शासन से निर्धारित मापदंड के अनुसार विवाह के लिए लड़कों का उम्र 21 एवं लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित है। इससे पूर्व शीघ्र विवाह नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जब तक लड़के और लड़कियों का सर्वांगीण शारीरिक विकास नहीं होता, तब तक उनसे बच्चों का सर्वांगीण विकास का होना संभव नहीं है। इसलिए कच्ची उम्र में लड़के एवं लड़कियों का विवाह नहीं करनी चाहिए।
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें स्कूल में चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों में समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है।
ReplyDeleteTV pr bahut sare vigyapan hai Jo ling bhed ko badhava dete hai.jaise- fair& Lovely,Deodorant body spray, sope,etc.
ReplyDeleteAksar car ya bike ke speed se related vigyapano me puruso ko hi pradanta Di Kati h.kabhi BHI Manila ko is prakar ke vigyapano me avsar Nahi Diya Gaya h.
ReplyDeleteSunita Dewangan
मीडिया पर हम प्रायः रसोई, सौंदर्य प्रसाधन या कपड़े धोने के साबुन के विज्ञापनों में महिलाओं को ही दर्शाया जाता है मानो यह सारे काम सिर्फ महिलाएं ही कर सकती हैं, जो कि रूढ़ीवादी सोच का परिचायक है। जबकि सच्चाई यह है की सभी काम स्त्री और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं।
ReplyDeleteवही आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आता है जिसमें एक परिवार जिसमें सिर्फ महिलाएं हैं गाड़ी से कहीं जा रहे होते हैं और रास्ते में कार का टायर पंचर हो जाता है। लड़की की मां अपने पति को फोन कर मदद के लिए गुहार लगाती है वही उसकी बेटी कार के टायर को स्वयं बदल देती है। यह विज्ञापन जेंडर समानता को बढ़ावा देने के लिए बहुत ही उपयुक्त है।
हमें अपनी रूढ़ीवादी सोच को त्याग कर जेंडर के स्तर पर कोई भी भेदभाव नहीं करना चाहिए क्योंकि काम और सपनों का कोई जेंडर नहीं होता है।
समाज में जेण्डर में भेदभाव नही करना चाहिए।
ReplyDeleteसमाज में जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए । सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
ReplyDeleteहमें लड़को और लड़कियों में भेद भाव नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteकोई भी संस्था हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए । हमें स्कूल में चाहे वह लड़का हो या लड़की दोनों में समानता रखनी चाहिए । इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जोड़ी है।
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय के लिए लिंग भेद करना उचित नहीं है किंतु हम लिंग भेद को बढ़ावा न दे इसलिए इसकी शुरुआत हमें अपनी विद्यालय से करने होँगे।लिंग भेद को दूर करते हुए बालक बालिकाओं को समान अवसर देने होंगे।
ReplyDeleteवर्तमान समय में समाज में किसी भी प्रकार का जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए। सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।
Deleteकिसी भी कार्य की शुरुआत अपने घर,विधालय से करना चाहिए बालक बालिका कोसमान अवसर दे एवम उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए।
Deleteहमें रूढ़िवादी को बढ़ावा नहीं देना चाहिए जेंडर समानता पर हमेशा जोर देना चाहिए चाहे वह समाज हो या व्यवसायिक स्थल हमें अपनी शाला में भी लड़की लड़कियों को जेंडर समानता के बारे से परिचित कराना चाहिए
ReplyDeleteविज्ञापन मे महिलाओ को दिखाया जाता है जिसमें उनकी भावनाओं का चित्रण किया जाता है। समाज को जेण्डर में भेदभाव नही करना चाहिए ।
DeleteHamen Apne Saalon Mein ladki aur ladki donon ko Saman drishtikon se dekhna chahie Taki unke man mein Ruhi Gad Bhav Na Aaye Na Aaye Sath hi aise Vigyapan ki Hamesha avhelna karna
ReplyDeleteहमारे संविधान में महिला और पुरुषों को समानता का अधिकार प्राप्त है। जिसके तहत बालक और बालिकाओं में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए ।और इसकी शुरुआत हम सभी को परिवार से करनी चाहिए।
ReplyDeleteआज की सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों में प्रत्येक क्षेत्र में कल्पना करें तो जेंडर भेद भाव की जो रूढ़ता है कही भी उचित नही है आज ऐसा कोई काम नही जो बेटे कर सकते हैं और बेटियां नही इसलिए हमें तो भेद करना ही नही चाहिए।
ReplyDeleteहमारे संविधान में महिला और पुरुषों को समानता का अधिकार प्राप्त है जिसके तहत बालक और बालिकाओं में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए और इसकी शुरुआत हम सभी को परिवार से करनी चाहिए
ReplyDeleteहमें शिक्षण प्रक्रिया में लिंगभेद कभी भी नहीं करना चाहिए। छात्रऔर छात्राओं के बीच में कभी भी ऐसी मानसिकता ना आए कि हमें अलग समझा जाता है। बच्चों में ,बच्चो के विकास में- सामाजिक,सांस्कृतिक, आर्थिक गुणों में बहुत ही ज्यादा विपरीत परिस्थिति तैयार हो सकता है। इसलिए हमें जेंडर समानता, रुढ़िवादी, पूर्वाग्रह है उन्हें समाप्त करते हुए बच्चों के भविष्य का निर्माण करना चाहिए। धन्यवाद।
ReplyDeleteविज्ञपन मे जेन्डर भेद भाव नही करना चाहिए
ReplyDeleteकिसी भी समाज को कोई अधिकार नही की वह किसी के अधिकारों का शोषण कर हर किसी को सभी अधिकार मिलना चाहिए हम आज 21वी सदी में रहते है अपनी सोच उच्च रखनी चाइये ट्रंसजेडर भी अपनी माता की कोख से जन्म लेता है वह भी एक इंसान है इसलिए उसको भी सभी अधिकार मिलने चाइये
ReplyDeleteकिसी भी संस्था या कार्यालय हो लिंग भेद राष्ट्र के विकास में बाधक सिद्ध होते हैं ,बालक - बालिका अथवा ट्रांसजेंडर हो हमें सभी के साथ समान व्यवहार एवं समानता अपनानी चाहिए जिससे उनके मन में कुंठित मानसिकता उत्पन्न न हो जिससे हम एक स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज निर्माण हो सके।
ReplyDeleteविज्ञापनों में बालिका भ्रूण हत्या,घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना,बलात्कार,एसिड अटैक,माडलिंग के नाम पर अंग प्रदर्शन जैसे कई आयाम हैं जो जेण्डर संबंधी रूढियों को मजबूत करता दिखाई देता है वहीं दूसरी ओर बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं में बालिकाओ के बाजी मारने तथा श्रेष्ठ प्रदर्शन तथा खेल,सामाजिक,राजनीति और शैक्षणिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट भागीदारी ये विज्ञापन जेण्डर अनुकूलता को दर्शाते हैं
ReplyDeleteलड़का हो या लड़की कितना भी कठिन काम क्यो ना हो आसानी से कर सकते है लिग मायने नही रखता
ReplyDeleteलिंग भेद समाज की सबसे बड़ी बुराई है, आज के दौर में लिंग भेद रूढ़ियों में कुछ कमी आयी है परंतू अब भी यह हमारे समाज में है।किसी भी प्रकार की लिंग भेद रूढि बुरी है ओर्र हमें इसे खत्म करने का प्रयास करना चाहिये
ReplyDeletehttps://youtu.be/KVhY3WK9zs4
ReplyDeleteउपरोक्त विज्ञापन में पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी अस्तित्व पर प्रश्न उठाते हुए अक्षय कुमार द्वारा कैंसर संबंधी जागरूकता संदेश दिया जा रहा है इस विज्ञापन में अभी बताया जा रहा है कि महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति चिंता , पुरुष वर्ग में बहुत कम ही देखने को मिलती है। प्राचीन रूढ़िवादी परंपरा पर कटाक्ष करता यह विज्ञापन वर्तमान सामाजिक परिपेक्ष को इंगित करता है जो आज भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के हर जगह हो रहे सामाजिक , नैतिक और वैचारिक शोषण को प्रदर्शित करता है ।
विश्व, देश या भारत के किसी भी राज्य से महिला समुदाय को विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं महिला पर्यावरण से इतिहास काल से दूर रखा जाता रहा है। यही कारण है कि, आज पर्यंत महिलाएं केवल घरेलू कार्य एवं बच्चों के देखरेख में ही अपना जीवन समर्पित करती रही हैं। आज देखें तो कल्पना चावला जैसी महिलाएं अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं।
ReplyDeleteआवश्यकता इस बात की है कि, उन्हें बतौर कमजोर नहीं समझना चाहिए। सामाजिकता एवं मानसिकता के आधार पर जेंडर-वाद लाना निरर्थक एवं अनुचित है।
जगत राम कश्यप(शिक्षक)
ReplyDeleteमाध्यमिक शाला:- केरगांव
विकासखंड/जिला:- गरियाबंद
शाहरुख खान का एक विज्ञापन आता है, क्रीम का जिसमें एक लड़का कोई भी क्रीम लगा रहा होता है शाहरुख खान कहता है कि लड़की वाला क्रीम लगा रहे हो और उसे फेरन एण्ड लवली का 11 मुल्कों के मर्दों वाला क्रीम फेयर एंड हैंडसम क्रीम देता है लड़का खुश होते हुए लगाता है इस विज्ञापन में जेंडर समानता दिखता है।
Kisi bhi sanstha ho ya karyalay ho lingbhed rastra ke Vikas me badhk hote hai. Balak balika athwa transgender ho hame sabhi ka saath saman bywhar evm Samanta ka vyavhaar karna chahiye
ReplyDeletelife boy ke add me sifr male actor ko dikhaya jata hai. munch yaa phir dairy milk ke add me male aur female actor dono ko hi dikhaya jata hai.mai to bilkul bhi boys aur girls me bhedhbaav nahi chahunga samajik aur sanskritk taur par dono ko sabhi adhikar prapt hain to bhedbhaav kyon........dhanywaad
ReplyDeleteGender bhedbhaav uchit nhi
ReplyDeleteब्यूटी क्रीम,साबुन आदि विज्ञापनो में केवल एक ही जेंडर के बारे में दिखाना रूढ़िवादी को बढ़ावा देती है वहीं हाथ धुलाई,दर्दनाशक टेबलेट/क्रीम/जेल दवाओं के विज्ञापन जेण्डर समानता के अनुकूल होते हैं
ReplyDeleteSandhya Bala Dewangan
ReplyDeleteटीवी के कई विज्ञापनों में कपड़े धोना, खाना बनाते हुए केवल महिलाओं को दिखाया जाता है जो कि लिंग भेदभाव को दर्शाता है।समाज हो या स्कूल हो हमें पक्षपात न करते हुए हुए सभी को साथ लेकर चलना चाहिए।
महिलाएं ही अपने आप को अंग प्रदर्शन की चीज बना लिए है हर विघ्यापन में नजर आ जाती है जो गलत है
ReplyDeleteब्यूटी क्रीम,साबुन आदि विज्ञापनो में केवल एक ही जेंडर के बारे में दिखाना रूढ़िवादी को बढ़ावा देती है वहीं हाथ धुलाई,दर्दनाशक टेबलेट/क्रीम/जेल दवाओं के विज्ञापन जेण्डर समानता के अनुकूल होते हैं
ReplyDeleteकोई भी संस्था हो किसी भी प्रकार से जेंडर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमें स्कूल में चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनो में समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है। समानता के माध्यम से ही समाज के सभी वर्गों का समुचित विकास होगा।
ReplyDeletehttps://youtu.be/RJwBUecCIXo टी.. वी. पर प्रसारित सौंदर्य प्रसाधन सामग्रियों में महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है जो कि लिंगभेद को बढ़ावा देता है! जेंडर संबंधित रुढ़िवादी विचारधारा को हम स्कूली शिक्षा में पहचान करके उनका निराकरण कर सकते हैं!
ReplyDeleteDiscrimination should not be there in the classroom . All teachers should neglect discrimination for the welfare of the students and for Nation .
ReplyDeletehttps://youtu.be/iKmMKmKRkmc
ReplyDeleteयह लिंक जेंडर के अनुकूल हैhttps://youtu.be/8QDlv8kfwIM
ReplyDeleteकोई भी संस्था या विभाग हो लिंग भेद बिल्कुल भी नही करना चाहिए।
ReplyDeleteDiscrimination should not be there in the classroom . All teachers should neglect discrimination for the welfare of the students and for Nation .
ReplyDeleteRADHAKRISHNA MISHRA
सौंदर्य प्रसाधन सामग्री से सम्बन्धित विज्ञापन का प्रभाव
ReplyDeleteअप्रत्यक्ष रूप से सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का उपयोग न करने वाली महिलाओं के ऊपर ज्यादा पड़ता। जो कि जेंडर रूढ़िवाद को रेखांकित करता है जो कि गाहे-बगाहे पुरषों को अंतर भेद करने के लिए लक्षित करता।
आज हमारे समाज मैं लड़का हो या लड़की सभी आगे बढ़कर सामने आ रहे है हर विभाग मैं समान कार्य कर रहे है फिर वही कही न कही लिंग भेदभाव दिख ही जाता है ।एक विज्ञापन दिखता है जिसमे हेमा जया ओर सुषमा गाड़ी को कीचड़ से निकल देते है और पुरुष खड़े रहते है इससे ये साबित होता है कि लड़की भी कठिन कार्य कर सकती है ।
ReplyDeleteआज हमारे समाज मैं लड़का हो या लड़की सभी आगे बढ़कर सामने आ रहे है हर विभाग मैं समान कार्य कर रहे है फिर वही कही न कही लिंग भेदभाव दिख ही जाता है ।एक विज्ञापन दिखता है जिसमे हेमा जया ओर सुषमा गाड़ी को कीचड़ से निकल देते है और पुरुष खड़े रहते है इससे ये साबित होता है कि लड़की भी कठिन कार्य कर सकती है ।
ReplyDeleteव्यावसायिकता में जेंडर को स्थान दिया जाता है ।
ReplyDeleteसौंदर्य प्रसाधन के विज्ञापन केवल महिलाओं के लिए होता है और बॉडीबिल्डर का विज्ञापन केवल पुरुष के लिए लिखा जाता है हमें रूढ़िवादी को छोड़कर महिला और पुरुष को समान अवसर देना चाहिए। हमें शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteसेना के उच्च पद में जेन्डर असमानता दिखाई देती है
ReplyDeleteजेंडर को लेकर जो सामाजिक और सांस्कृतिक अंतर हम अक्सर विज्ञापनों में देखते हैं, जैसे लक्स पुरुषों के अंतःवस्त्र के विज्ञापन मे महिलाओं को फिट है बॉस कहते देखना, अथवा महिलाओं को पुरुषों के लिए श्रृंगार करते दिखाया जाना आदि जेंडर संबंधी विषमताओं को बढ़ावा देता है और इसके बाजारीकरण का समाज पर विपरीत असर होता है। विडंबना है कि imperial blue के विज्ञापन में men will be men कहकर, एकनिष्ठ पुरुषों को नीचा दिखाते हुए बहुसंबंध रखने वाले पुरुषों को महिमामंडित किया गया है।
ReplyDeleteज्योतिन्द्र श्रीवास्तव
बुढ़ानछापर, डोंगरगढ़
राजनांदगांव (छग)
आज के इस आधुनिक युग में जेन्डर भेद करना उचित नहीं लगता फिर भी आये दिन विज्ञापन में जेन्डर भेद से संबंधित विज्ञापन आते रहते हैं जैसे - सौन्दर्य प्रसाधन , शक्ति वर्धक दवाओं का विज्ञापन आदि जेन्डर भेद के अनुसार होते हैं । . आज कल समावेशी शिक्षा पर बल दिया जा रहा है जिसमे बालक बालिका एक साथ एक कक्षा में अध्ययन कर रहे हैं।
ReplyDelete👉सौन्दर्य साबुन जैसे लक्स,निमा सैंडल,निरमा आदि के विज्ञापन में महिलाओं को ही दिखाया जाता है,जबकि उसी साबुन का उपयोग प्रयेक जेंडर करता है।
ReplyDelete👉घड़ी डिटर्जेंट पाउडर महिलाओं की पहली पसंद।
👉कोलगेट,बिस्कुट या अन्य खाने के विज्ञापन में जेंडर का उल्लेख नहीं किया जाता है,सभी लोग इस्तेमाल कर सकते हैं।
किसी भी व्यवसाय के लिये लिंगभेद करना उचित नही है किन्तु हम िलिंगभेद को बढावा न दे इसलिये इसकी शुरूवात हमे स्कूल शिक्षा से करनी होगी स्कूल वह स्थान है जहॉ हम छात्र छात्राओं से सीधे सम्पर्क मे रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से उपर उठकर कार्य करना चाहिये तभी हम अपनी भावी पीढी का नव िनिर्माण कर सकेगें और हमें सभी को उन्नति के िलिये पर्याप्त अवसन प्रदान करना चाहिये
ReplyDeleteस्त्री पुरूष में रखो समानता
ReplyDeleteसमाज में नहीं फैलेगी विषमता
हमारे समाज मे बालक और बालिका में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए हालांकि यह जैविक रूप से भिन्न तो होते हैं परंतु हमें सामाजिक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक स्तर पर इनके साथ किसी भी प्रकार का लैंगिक यानी कि जेंडर आसमानता नहीं होनी चाहिए और इसकी शुरुआत हमें विद्यालयों से ही प्रारंभ कर देनी चाहिए ताकि आने वाली जो नई पीढ़ी है उसमें इस जेंडर समानता को पूरी तरीके से खत्म किया जा सके विज्ञापन मे भी हम देखते है की स्त्री को विज्ञापन मे अधिक दिखाया जा ता है
ReplyDeleteKoi bhi vibhag me gender ka bhedbhav nahi karna chahiye.Hame school me chahe woladka ho ya ladki dono mesamanata rakhni chahiye.Rashtra ki vikas kelie samanata joruri he.
ReplyDeleteAise tv serial or advertisement jo prasarit hote hai unpe rok lagani chye.
ReplyDelete1). भवन निर्माण के कार्यों में प्राय: देखा जाता है कि लड़कों को कुली और लड़कियों को रेजा शब्द से संबोधित किया जाता है।और उसी के आधार पर उसके कार्यों का विभाजन किया जाता है।जो कि जेंडर संबंधी रुढियों को मजबूत करता।
ReplyDelete2).चुनाव लड़ना जेंडर के अनुकूल है।
सौन्दर्य प्रसाधन कम्पनियां अपने प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए महिलाओं को ही माध्यम बनाती है वैसे ही पुरुषों से सम्बन्धित प्रोडक्ट जैसे अंतःवस्त्र गाड़ियां सेविंग क्रीम आदि के लिए भी महिलाओं का इस्तेमाल करती है ।जिससे जेंडर समानता को धक्का लगता है वहीं व्हील डिटर्जेंट पाउडर के एड में महिला द्वारा खुद कमाई करके पति की सहायता की बात दिखाना समानता को प्रदर्शित करता है।
ReplyDelete1-Is vigyapan me farelovly ponds cream mahilao k liye hai.aisa dikhaya jata hai. 2.-jabki boroplus toothpest biscuits me zender bhed nahi hai .ise sabhi log istemal karte hai.
ReplyDeleteस्कूली शिक्षा हो या समाज किसी भी तरह से जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
ReplyDeleteसामाजिक एवं राजनैतिक रूढ़िवादी को छोड़ कर लडका एवं लड़की को बिना लिंग भेद के हर क्षेत्र में समान अवसर देना चाहिए | आज लड़कियां भी पुरूषों के समान कार्य करती है एवं कई विशिष्ट पदों पर पहुंच चुकी है इसलिए लडके एवं लड़कियों में लिंग भेद न करते हुए दोनों को समान शिक्षा दिया जाना चाहिए जिसकी शुरुआत स्कूल से ही कर देना चाहिए |
ReplyDeleteमहिला के नाम से गाने नबने
ReplyDeleteसभी जगह लिंग भेद न करते हुए महिला पुरुष को समान रूप से देखना चाहिए
ReplyDeleteदोनों को समान अवसर मिले।
ReplyDeleteGeeta sahu(p.s.karkapal block- jagdalpur) - लिंगभेद करना उचित नही है।लिंगभेद को बढ़ावा न मिले इसलिए इसकी शुरुआत हमे स्कूली शिक्षा से करनी होगी।कोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नही करना चाहिए।मीडिया के विज्ञापनों में प्रायः यह देखने को मिलता है जैसे - केवल महिलाओं के लिए ,केवल पुरुषो के लिए इस प्रकार के विज्ञापन जेंडर भिन्नता को बढ़ावा देते है।
ReplyDeleteएक टीवी एड में बारिश में ट्रैफिक के पास खड़ी कार में बैठी महिला को एक ट्रांसजेंडर चाय आफर करती है पहलेपहल महिला शीशा बन्द होने के कारण सोचती है इन लोग का फिर से हो गया शुरू.....शीशा खुलता है उधर से आवाज आती है ,"बारिश का मौसम है इसलिये लोगो को निशुल्क चाय पिला रही हूं।" कार में बैठी महिला उसके सर पर प्यार से हाथ रखकर उसे खूब आशीर्वाद देती है। एक सकारात्मक एवम प्रभावोत्पादक सामाजिक संदेश से परिपूर्ण।
ReplyDeleteविभिन्न सेवा एवं सौंदर्य उत्पादों के प्रमोशन के लिये गौरवर्ण को ही वरीयता दी जाती है ।यह एक भयावह कड़वी एवम औपचारिक और अनौपचारिक दोनो रूपों में सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त सच्चाई से रूबरू कराती है।एक बेहद ही सहज मानवीय मनोवृत्ति को निराशा एवम अस्वीकार्यता की ओर ले जाने वाला।
समानता का अधिकार दोनों को समान अवसर के बारे में बताता है ।
ReplyDeleteजेंडर भेदभाव में समानता लाने हेतू स्कूली शिक्षण में हम शिक्षकों द्वारा औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों तरह से बच्चो को शिक्षण दे सकते है । स्कूली शिक्षा के साथ - साथ हमें समाज में भी जागरुकता फैलानी चाहिए । समय समय पर हमें बच्चों के पालकों से संपर्क करके इन सभी समानताओं पर चर्चा करनी चाहिए ।
ReplyDeleteसभी संस्थाओं में लिंग भेद दूर करते हुए महिला व पुरुषों को समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteस्कूल में लड़कों व लड़कियों के साथ भेदभाव मिटाना तथा उन्हें विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए।
ReplyDelete1. जेंडर सम्बंधी रूढ़ियों को मजबूत बनाने के लिऐ हमे स्कूली शिक्षा से प्रारंभ करना चाहिए। 2. स्कूल के प्रधान पाठक, स्कूल स्टाफ,, जन समुदाय सदस्यो , पालकगण, मित्रो सभी का योगदान चाहिए ताकि भविष्य में जेंडर संबंधी रूढ़ियों को अधिक मजबूत बना सके। 3. स्कूल गतिविधी हो या बाहरी गतिविधि हो सभी जेंडर को भागीदारी का समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteलड़कों और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteTV e k a Vigyapan on mein Main Ling Bhed dikhaya jata hai hai Jaise a Soundarya ke liye Ye mahine laaon ko co-op aur aur Purush ke liye Ye Alag Vigyapan ka ka upyog Kiya jata hai
ReplyDeleteकोई भी विभाग संस्था या घर हो जेंडर पर भेदभाव नहीं होना चाहिए
ReplyDeleteडाबर च्वमन् प्राश के विज्ञापन में केवल पुरूष को ही दिखाया गया है, वैसे ही डब साबुन के विज्ञापन में महिला को दिखाया गया है। यह जेंडर संबंधी रूढ़िवादिता को बढ़ावा देता है। वर्तमान में जीवन बीमा पॉलिसी के विज्ञापन में महिला और पुरुष दोंनो को समान रूप से दिखाया गया है। जिसमें जेंडर संबंधी समानताएं दिखाई देता है।
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ReplyDeleteसबसे बड़ी जेंडर भेदभाव तो वास्तविक है जो समाज में, फिल्मों आदि में यह दिखाया जाता है कि एक विधुर प्रत्येक सामाजिक, एवं धार्मिक कार्यों में बढ़ -चढ़कर भाग लेता है और इससे कोई अपशगुन नहीं होता है वहीँ पर एक विधवा को कोई भी सामाजिक अथवा धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने नहीं देते उन्हें अपशगुन मानते हैं , पर शिक्षित होते समाज में धीरे -धीरे बदलाव आ रहा है , बेटियां भी अपने पिता को मुखाग्नि दे रही हैं|
ReplyDeleteसबसे बड़ी जेंडर भेदभाव तो वास्तविक है जो समाज में, फिल्मों आदि में यह दिखाया जाता है कि एक विधुर प्रत्येक सामाजिक, एवं धार्मिक कार्यों में बढ़ -चढ़कर भाग लेता है और इससे कोई अपशगुन नहीं होता है वहीँ पर एक विधवा को कोई भी सामाजिक अथवा धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने नहीं देते उन्हें अपशगुन मानते हैं , पर शिक्षित होते समाज में धीरे -धीरे बदलाव आ रहा है , बेटियां भी अपने पिता को मुखाग्नि दे रही हैं|
ब्यूटी क्रीम,ब्यूटीसोप आदि के विज्ञापनों में ज्यादातर महिलाओं को दिखाया जाता है जो जेंडर असमानता को दर्शाता है। दर्दनिवारक टेबलेट व क्रीम के विज्ञापनों में महिलाओं व पुरुषों दोनों को दिखाया जाता है जो समानता को प्रदर्शित करता है
ReplyDeletehttps://youtu.be/23ICsMKeanY
ReplyDeleteउक्त विज्ञापन में बरतन की सफाई के बारे मे महिलाओं के द्वारा विज्ञापन करना महिलाओं के द्वारा ही इस कार्य को सम्पादित किया जाना जेन्डर असमानता को चित्रित करता है जबकि पुरुष भी इस कार्य को भली भांति करता है और कर सकता है।
1. जेंडर सम्बंधी रूढ़ियों को मजबूत बनाने के लिऐ हमे स्कूली शिक्षा से प्रारंभ करना चाहिए। 2. स्कूल के प्रधान पाठक, स्कूल स्टाफ,, जन समुदाय सदस्यो , पालकगण, मित्रो सभी का योगदान चाहिए ताकि भविष्य में जेंडर संबंधी रूढ़ियों को अधिक मजबूत बना सके। 3. स्कूल गतिविधी हो या बाहरी गतिविधि हो सभी जेंडर को भागीदारी का समान अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत से विज्ञापन लिङ्ग भेद को दर्शाते हैं ।सामाजिक गतिविधियों में भी लिङ्ग भेद दिखाई देता है। जो नहीं होना चाहिए।बल्कि सबके साथ समानता का व्यवहार हो।वैसा प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteसभी संस्थाओ में लिंग भेद दूर करते हुए सभी पर समान व्यवहार करना चाहिए
ReplyDeleteब्यूटी क्रीम,साबुन आदि विज्ञापनो में केवल एक ही जेंडर के बारे में दिखाना रूढ़िवादी को बढ़ावा देती है वहीं हाथ धुलाई,दर्दनाशक टेबलेट/क्रीम/जेल दवाओं के विज्ञापन जेण्डर समानता के अनुकूल होते हैं
ReplyDeleteलडको और लड़कियों में भेद भाव नहीं करना चाहिए। शिक्षक को पहले सभी स्कूली शिक्षा गतिविधियों में जेंडर भेद की पहचान करनी चाहिए।
ReplyDeleteहम आज भी टीवी, सिनेमा आदि मे दिखाए जाने वाले विज्ञापनों को देखते हैँ कि उनमें जेंडर की असमानता, भेदभाव आदि को लगातार परसो जा रहा है । सर्वप्रथम इन विज्ञापनों को रोका जाय जो प्रत्यक्ष रूप से मानव समाज को प्रभावित कर रहा है एवं इनके लिए एक टीम गठित हो जो इनका मूल्यांकन कर विज्ञापनों को प्रसारित करने की अनुमति प्रदान करें
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैंलड़कों और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए उन्हें आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी भी विभाग या पेशे मे लिंग भेद नही होनी चाहिये
ReplyDeleteकोई भी संस्था हो जेंडर भेदभाव नहीं होनी चाहिए।
ReplyDeleteटीवी पर kinder joy का विग्यापन आता है जिसमें boy&girl के लिए अलग-अलग डिब्बा होता है और खिलौने भी अलग होते हैं।
ReplyDeleteकिसी भी व्यवसाय के लिये लिंगभेद करना उचित नही है किन्तु हम िलिंगभेद को बढावा न दे इसलिये इसकी शुरूवात हमे स्कूल शिक्षा से करनी होगी स्कूल वह स्थान है जहॉ हम छात्र छात्राओं से सीधे सम्पर्क मे रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से उपर उठकर कार्य करना चाहिये तभी हम अपनी भावी पीढी का नव िनिर्माण कर सकेगें और हमें सभी को उन्नति के िलिये पर्याप्त अवसन प्रदान करना चाहिये
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ReplyDeleteVigyaapan men gender bhed dikhaya jata hai jo samaj ko pratyaksh prabhavit karta hai is par rok lgai jae
ReplyDeleteअक्षय कुमार सेनेटरी पैड का एक विज्ञापन देते है जिसमे पुरूष होते हुए भी औरतों की पीड़ा को समझते हुए उसके उससे होने वाली बीमारियों से बचने का संदेश समझते है जो महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है ।https://youtu.be/KVhY3WK9zs4
ReplyDeleteवर्तमान समय में रुढ़िवादिता पर विचार न कर जेंडर समानता पर विचार करें ।
ReplyDeletehttps://youtu.be/sUIhrwAAhhw
ReplyDeleteयह वीडियो लड़कियों को पढ़ाने और उनको आगे बढ़ाने को प्रेषित करता है अतः हमें लड़कियों को पढ़ने और स्कूल जाने से रोकना नहीं चाहिए यह उनका हक है
Koi bhi field ho gender bhedbhav nhi hona chahiye.
ReplyDeleteसिंगार प्रसाधन एवं साबुन आदि के विज्ञापन में महिलाओं को ही दिखाया जाता है अस्पताल में डॉक्टर आदि का विज्ञापन में महिला व पुरुष दोनों दिखाया जाता है
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए विद्यालय में बालक या बालिका दोनों में समानता रखनी चाहिए।
ReplyDeleteघर हो या बाहर कहीं भी लिंग भेद नहीं करना चाहिए वर्तमान समय में रूढ़िवादिता पर विचार ना कर जेंडर समानता पर विचार करना चाहिए
ReplyDeleteआज समाज मेलिंग भेद पूरी तरह संपत कर देने का समय आ गया है किसी भी कार्य मे महिलाये पुरषो से कम नही है हमे घरो में भी उनके पालन पोषण में भी समानता का वातावरण बनाने होंगे केवल स्कूल के प्रयास से समाधान इतनी जकड़ी सम्भव नही है हम आज भी लड़कियों किकन्या शाला में भेजते हैइससे से ऊपर सोचना होगा
ReplyDeleteसौंदर्य अर्थात ब्यूटी से संबंधित विज्ञापन मे प्रायः महिलाओं को दिखाना रूढ़िवादी को बढ़ावा देता है वही दूसरी और स्वच्छता से संबंधित विज्ञापन जेंडर के अनुकूल है|
ReplyDeleteहमें कहीं पर भी लिंग भेद नहीं करना चाहिए। सभी को समानता का अधिकार है। टीवी के बहुत सारे विज्ञापन में लिंग भेद होता है। जैसे फेयर and लवली को के लीजिए 1 पुरुष वाला और महिला वाला बताता है जो कि सरवाथा गलत है।
ReplyDeleteकक्षा में अलग-अलग परिवेश, अलग-अलग पारिवारिक व आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्र होने के बाद भी सभी छात्रों को समावेश करके ऐसी शिक्षा देनी है कि प्रत्येक छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteDiscrimination should not be their in society.All people should neglect discrimination for young generation,so give suggestion to media.
ReplyDeleteहमें कीसी भी क्षेत्र में भेद भाव नही जॉब किसी भी क्षेत्र में भेद भाव नही करब चाहिए
ReplyDeleteप्राय विज्ञापनों में देखा गया है लिंक भेद बहुत होता है किसी जगह लडको को महत्व दिया जाता है तथा किसी जगह लडकियो को महत्व दिया जाता है । जैसे लडको को शक्ति, बुद्धि ,निर्णय ,भरण पोषण,करने में अधिक सक्षम माना जाता है।तथा लड़कियों को घरेलू कामकाज,चतुराई,पढ़ाई, संवेदनशीलता,घबराहट आदि मामलो में अधिक सक्षम माना जाता हैं। परन्तु ऐसा नहीं है लड़कियां भी समय समय पर शक्ति में बुद्धि में निर्णय लेने में और भरण पोषण में सक्षम होती हैं वैसे ही लड़के भी घरेलू कामकाज में चतुराई में संवेदनशीलता में सक्षम होते है।
ReplyDeleteटीवी पर kinder joy का विग्यापन आता है जिसमें boy&girl के लिए अलग-अलग डिब्बा होता है और खिलौने भी अलग होते हैं।
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteटीवी पर kinder joy का विग्यापन आता है जिसमें boy&girl के लिए अलग-अलग डिब्बा होता है और खिलौने भी अलग होते हैं।
ReplyDeleteपुरूषो से संबंधित वस्तुओ के विज्ञापनो मे भी महिलाओं को कम कपङे पहने दिखाना । महिलाओं का शोषण है।
ReplyDeleteरुवादी जेंडर---
ReplyDeleteपिता-अपनी पुत्री से--- विज्ञान विषय लेकर पढ्ने से क्या फायदा,गृह विज्ञान लेकर पढो, काम आयेगा, तुम्हे कौन सा डॉक्टर बनना बनाना है, जो तुम विज्ञान विषय लेना चाहती हो।,
2--शाला मे लडके-लडकियो को अलग पंक्तियों मे रखना,या बैठाना।
आज भी ये भेदभाव कही ना कही दृष्टिगोचर है।
किसी भी व्यवसाय के लिये लिंगभेद करना उचित नही है किन्तु हम लिंगभेद को बढावा न दे इसलिये इसकी शुरूवात हमे स्कूल शिक्षा से करनी होगी स्कूल वह स्थान है जहॉ हम छात्र छात्राओं से सीधे सम्पर्क मे रहते हैं अत: सभी शिक्षकों को लिंगभेद के पूर्वाग्रहों से उपर उठकर कार्य करना चाहिये तभी हम अपनी भावी पीढी का नव निर्माण कर सकेगें और हमें सभी को उन्नति के लिये पर्याप्त अवसन प्रदान करना चाहिये
ReplyDeletehttps://youtu.be/9OEf5IYsRi8
ReplyDeleteलड़के/लड़कियों में अंतर हमारे सामाजिक सोच विचार पर है।
जैविक जेंडर में अंतर प्राकृतिक है।
विद्यालय में बालक बालिकाओं में समानता होनी चाहिए |
ReplyDeleteRudiwadita khatm ho raha hai.tv par vgyapan jo jender bhed ko dikhata hai use sencer team ke dwara prasaran keliye anumati lena chahiye ya team gathit kar vigyapan ka aulokan karana chahiye.aaj ki sthiti me jender samanta dikhai deti hai.
ReplyDeleteकोई भी विभाग हो जेंडर भेदभाव नहीं करना चाहिए।हमें स्कूल मे चाहे वो लड़का हो या लड़की दोनों मे समानता रखनी चाहिए। इससे ही हमें सामाजिक गुणों और राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी हैं।
ReplyDeleteसौंदर्य प्रसादन सामग्री के विज्ञापनों में लड़कियों को सुंदरता एवं कोमलता के प्रतीक के रूप में प्रतिबिम्बित किया जाता है जबकि शीतल पेय के विज्ञापन में लड़कों को निडर मज़बूत व साहसी रूप में प्रस्तुत किया जाता है,जो जेंडर विषमता को दर्शाताहै।
ReplyDeleteलिंग में असमानता प्राकृतिक होता है जबकि जेंडर भेद सामाजिक भावनात्मक भेद होती है।
ReplyDeletehttps://youth.be/n-YiJq4Xj_c. इस बूस्ट के विज्ञापन में एनर्जी को ऐड किया गया है । जिसके लिए लड़के का इस्तेमाल किया गया है।क्योंकि समाज मे ताकत के रूप में लड़कों को देखा जाता है। इसी प्रकार सौन्दर्य के विज्ञापन में लड़कियों का इस्तेमाल किया जाता है। समाज मे फेले इस द्वेष को स्कूल से ही दूर करने का प्रयास करना चाहिए।हमे इस प्रकार का माहौल बनाना चाहिए कि यह विवेदिता न हो।
ReplyDeleteसाबुन और क्रीम के विज्ञापन जेंडर आसमानता को बढ़ावा देते हैं
ReplyDeleteएक विज्ञापन आता है जिसमे माँ अपने बेटे को फोन मे भोजन बनाना सिखाती है समानता की और ले जाता है
T V mein vibhinn prakaar ke vigyapan ling bhed tatha laingik samanatha par bhi dikhaya jata hai jaise kisi khas udpaad ko mahilaon ke liye tatha kuch ko purushon ke liye dikhaya jata hai. Hamein school main chahe wo ladka ho ya ladki dono main samanatha rakhni chahiye isse hi hame samajik guno aur rashtra ke vikaas ke liye zaroori hai.
ReplyDeleteझाड़ू-पोंछा से लेकर अन्य घरेलू काम ,जिसे लगभग पुरुष नहीं करते,जेंडर भेदभाव को बढ़ावा देते हैं।
ReplyDeleteआज समाज को रूढ़िवादिता से ऊपर उठाने हेतु पहल करनी चाहिए।
स्थानीय स्तर से इस पर जागरूकता आले हेति आहे आना चाहिए।
लिंग भेद समाज के लिए एक बड़ी अभिशाप है आज मॉडर्न युग मे भी ज्यातर देखने को मिलता है कि पुरूषों की तुलना में महिलाएं कमजोर होती है शिक्षा एक ऐसी व्यावष्ठा है जिसके माध्यम से हम ऐसी बुराइयों को दूर कर सकते है /tv you tube में देखने को मिलता है कि कोई भी अच्छी प्रोडक्ट हो उसमे सुंदर सुंदर महिलाओं को एड के लिए चुना जाता है
ReplyDeletehttps://youtu.be/GFeI8QJMiuk उपरोक्त विज्ञापन जेंडर संबंधी समझ को पक्षपात रूप से प्रस्तुत करता है। क्योंकि कपड़े धोने का काम कोई भी सहज रुप से कर सकता है इसमें जेंडर बाधा नहीं आना चाहिए।
ReplyDeleteसेराजुल हक
मा0शा0 सौंतार
विकासखंड प्रतापपुर
चाहे परिवार हो,समाज हो ,या कोई व्यवसाय हो ,लिंगभेद नही होना चाहिए।
ReplyDeleteआज भी लड़का और लड़की में भेदभाव देखने को हर घर में मिलता है चाहे वो स्कूल हो या फिर कोई संस्था ।
ReplyDeleteपुरुष प्रधान समाज में चाहे वह लड़कियां हो या अन्य समुदाय को आगे बढ़ाने से रोका जाता है। हमें यही भेदभाव मिटाना है।
चाहे लड़का हो या लड़की या अन्य समुदाय सभी समान हैं।
समानता का अधिकार सभी को मिलना चाहिए ःः
ReplyDeleteसबसे बड़ी जेंडर भेदभाव जो वास्तविक है जो समाज में फिल्मों आदि में दिखाया जाता है की एक विधुर प्रत्येक सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है और इससे कोई अपशगुन नहीं होता वहीं पर एक विधवा को कोई भी सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों बढ़ चढ़कर भाग लेने नहीं देते उन्हें अपशगुन मानते हैं पर शिक्षित होते समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है बेटियां भी अपने पिता को मुखाग्नि दे रही हैं । जेंडर संबंधी रूढ़िवादी विचारधारा को हम स्कूली शिक्षा में पहचान करके उनका निराकरण कर सकते हैं।
ReplyDeleteसाबुन का विज्ञापन जिसमें महिलाओं को प्रधानता से दिखाया जाता है। जबकी साबुन सभी के द्वारा उपयोग किया जाता है।
ReplyDeleteटी वी में क्रीम, पावडर ,साबुन का विज्ञापन जेंडर भेदभाव को बढ़ाता है। दिवालो , मैग्जीन ,पेपर आदि पर लिखा गया लड़का लड़की एक समान जेंडर में समानता लाता है।
ReplyDeleteजेंडर समानता बहुत जरूरी है तभी दोनों वर्गों को समान रूप से अवसर प्राप्त होगा इस दृष्टिकोण से जेंडर समानता को बढ़ावा मिलना चाहिए। जेंडर समानता से संबंधित अवधारणा काफी महत्वपूर्ण है और इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteअक्सर ग्रामीण परिवेश में लड़कियो को घर के दलिज् पर रोक देते है घरेलू कार्य,या अपने शान के खिलाफ समझते है। जबकि लड़को को इसके विपरीत छुट मिलते है। यह एक लिंग भेद है । इसका ग्राफ् ग्रामीण क्षेत्रों में 51% शहरी क्षेत्रों में 35% है यह असमानता है । जबकि लड़कियाँ सभी क्षेत्रों में लड़को से आगें है ।
ReplyDeleteलीलाराम यादव स.शि.सिवनी कला
Deletevigyapan Jaise Soundarya prasadhan sambandhi vigyapan Hai jismein Keval mahilaon ke liye yah Keval purushon ke liye bataya jata Hai yah gender ki gadi ko badhava deta Hai is prakar ka vigyapan nahin hona chahie
ReplyDeleteJendar asamanta ka shrot swayam hmara ghar hai bachhe k paida hote hi iski shuruwat ho jati hai.vibhinna manyatayo me ladko aur ladkiyo k liye alg alg niyam bnakar
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